यह कहानी एक मध्यम वर्गीय परिवार की है शैलेंद्र के परिवार में उसकी पत्नी और एक बेटा था। उनका बेटा बहुत ही शरारती था शैलेंदर उसकी खूब पिटाई करता था। शैलेंद्र नें अपने बेटे को बहुत समझाया था परंतु उसके कानों में जू तक नहीं रेंगती थी। पहले की तरह ढीठ था। शैलेंद्र ने टीवी में एक प्रमुख बाल विशेषज्ञ भाषण सुना जिसमें बताया गया था कि बच्चों से जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। उन्हें पीट पर कुछ भी नहीं समझाया जा सकता। इस तरह से तो बच्चे ढीठ बन जाते हैं।
हमें बच्चों की हर एक जीद को पूरी नहीं करना चाहिए। उन्हें मारना नहीं चाहिए। उन्हें प्यार से समझाना चाहिए तभी वह सुधर सकते हैं। उनका बेटा भानू बहुत ही उदंड था। उसके माता-पिता ने उसे डांटना छोड़ दिया दोनों उसे कुछ भी नहीं कहते थे । थोड़े दिनों बाद बच्चे में कुछ असर दिखाई दिया। वह भानु के साथ मित्र की तरह व्यवहार करने लगे । वह अपनें माता-पिता से खुशी खुशी हिलमिल गया। उसके पिता ने कहा बेटा हमें हर रोज टहलना चाहिए इसके लिए तुम सुबह सुबह पार्क में जा सकते हो। थोड़ी देर वहां पर टहल कर अपनी पढ़ाई कर सकते हो भानु मान गया था ठीक है पापा अब वह हर रोज पार्क में टहलने जाने लगा एक साधु महात्मा उसे हर रोज टहलते जाता हुआ देखा करते थे एक दिन वह साधु बाबा भी उसके साथ टहलनें लगा। बातों ही बातों में उसने भानू से उसके घर का पता ले लिया। बोला बेटा मैं भी यंहां टहलने आता हूं अच्छा है आज से हम दोनों मित्र बन गए ।
वह उसके साथ हर रोज घूमने लगा। कभी-कभी तो बीच-बीच में हो उसे मिठाई भी खिला देता था । उसको खाकर तो वह काफी देर तक शांत रहता था ना किसी के साथ लड़ता झगड़ता चुपचाप अपने कमरे में पढ़ता रहता। वह साधु बाबा समझाते बेटा तुम्हारी माता पिता ठीक ही कहते हैं। तुम्हें मेहनत करनी चाहिए। तुम अपनी कक्षा में इस बार अगर प्रथम आए तो मैं तुम्हें ढेर सारी चॉकलेट दूंगा। भानू दिन रात मेहनत करने लग गया था। उसको पढता देख उसके माता-पिता बड़ी खुश होते थे। हमारा बेटा ब सुधर गया है। कुछ दिनों पश्चात भानू ने अपने पापा को कहा पापा मुझे मोबाइल ला कर दे दो। यह मेरी मेहनत का ईनाम होगा। भानू के इस बार अच्छे अंक आए।
भानू के पिता ने उसे मोबाइल ला कर दे दिया। मोबाइल पाकर बहुत खुश हुआ। मोबाइल चलाना उसके दोस्त साधु बाबा ने उसे सिखा दिया था । साधु बाबा ने उसे कहा कि हम जब बात करेंगे तो हम एक कोड वर्ड उपयोग करेंगे तब तुम समझ जाना कि मेरा फोन है। मैं तुम्हें अपना नाम नहीं बताऊंगा। यह मेरा और तुम्हारा सीक्रेट कोड होगा। तुम किसी के सामने इसे मत बताना। जैसे हमारा एक सीक्रेट होता है वैसे आपकी मम्मी पापा ने घर में किसी चीज के लिए एक कार्ड बनाया होता है। उस कार्ड की जानकारी अपने घर के सदस्य के अतिरिक्त किसी को भी नहीं होती तुम ध्यान देकर देखना। घर पर मत बताना नहीं तो मेरा और तुम्हारा सीक्रेट सब को पता चल जाएगा।
एक दिन शैलेंद्र की पत्नी सारिका ने कहा कि आज मैं शॉपिंग जाना चाहती हूं अपने एटीएम कार्ड कहां रखा है।? तब शैलेंद्र बोला एटी एम कार्ड तो लौकर में है। वह बोला इसका सीक्रेट कोड क्या है? मैं भूल गई हूं। शैलेंद्र बोला 8253। भानू को पता चल चुका था यही सीक्रेट कोड होता होगा। उसने 8253 अपनी कॉपी पर लिख लिया ।उसने शाम के समय देखना चाहा यह लौकर खुलता है या नहीं। वह हैरान हो गया। लौकर खुल गया। उसने कार्ड देखा मम्मी और पापा के बैंक के एटीएम कार्ड अंदर पड़े थे। उसने उन दोनों कार्ड के नंबर लिख लिए थे। अगले दिन उसने अपने एटीएम कार्ड के और लौकरके नंबर उस बाबा जी को बता दिए थे।
इस बाबा जी ने अपने किसी दोस्त को उसके घर चोरी करने भेजा । शाम को शैलेंद्र की पत्नी रो रही थी किे पता नहीं लॉकर से गहने कहीं गुम हो गए। पुलिस उनके घर की तलाशी ले रही थी। लॉकर खुला पड़ा था। दूसरे दिन जब भानु सुबह टहलने गया तो उसके पापा ने देखा कि एक साधु बाबा उसके बेटे से काफी देर बातें कर रहे हैं। उनके मन में आया कि कहीं इन साधु बाबा नें ही तो उनके बेटे को तो नंही बहकाया हो। उसनें इससे जानकारी हासिल कर ली होगी। साधु बाबा का फोन आया कोड नंबर इतना। कहना था और उसके पिता ने फोन सुना उसके पिता हैरान रह गए कि यह कोर्ड नंबर वाला इंसान कौन है।? जब उसका बेटा नहा कर आया तो बोला पापा अभी फोन कहां से आया था? क्या आपका फोन था।? वह बोला कोड नंबर कोई कोड नंबर से बात कर रहा था। भानु बोला यह तो मेरा दोस्त है।
भानू के पापा बोले यह कौन सा दोस्त है? मुझे तो तुम्हारे सब दोस्तों के बारे में पता है। वह बोला पापा मैं यह नहीं बताऊंगा। भानू के पापा चुप हो गए। वह अपनी बेटे पर निगरानी रखने लगे थे। साधु महात्मा को उन्होंने इधर-उधर चक्कर लगाते देखा था।। उन्होंने भानू का टहलना बंद करवा दिया। परंतु फिर भी उस साधु महात्मा ने उसके घर के पास ही पार्क में मिलना शुरु कर दिया। भानु के पापा छुप छुप कर देखा करते थे। एक दिन साधु महात्मा ने भानू को कहा कि ये है तुम्हारी मिठाई। उसेबहुत सारी चॉकलेट खाने को दी। वह घर आकर चॉकलेट खाने लगा। एक चॉकलेट भानू के पापा ने छिपा दी। उसने उस चाकलेट में नशे की दवाई मिलाई हुई थी। जिससे काफी नींद आती थी। उन्हें पता चल गया था कि यह सब काम धाम साधु बाबा का किया धरा है। इस काम के लिए भानु के पिता ने पुलिस वालों की मदद ली। उन्होंने भानू की जेब में एक रिकॉर्ड कैमरा फिट कर दिया। जिससे वह सब कुछ बातें जान लेते थे। इस बात की जानकारी भानू को भी नहीं दी थी।
उसकी मम्मी ने पैंट के बीच में रिकॉर्डिंग फिट कर दिया था। साधु बाबा भानु से बोले बेटा तुम अपने घर से वह कार्ड लेकर आना मैं तुम्हें बताऊंगा कि लौकर से कैसे रुप्ए निकाले जाते हैं?यह बात तुम घर पर मत बताना।
दूसरे दिन जैसे ही भानु घर से बाहर जाने लगा तो वह बोला पापा मुझे जरुरी काम है। मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूं। देर हो जाएगी। उसके पापा ने कहा ठीक है जल्दी आ जाना। भानू बोला ठीक है। वह अपनी मम्मी का कार्ड लेकर बैंक चला गया था। वहां पर साधु बाबा भानू को बता रहे थे कि रुपए कैसे निकाले जाते हैं? वह कार्ड एटीएम मशीन में डालने ही वाला ही था कि वहां पर पुलिस पहुंच गई।
शैलेंद्र के पापा ने रिकॉर्ड की सहायता से ढोंगी साधु का पर्दाफाश कर दिया था। उसने न जानें कितने बच्चों को गुमराह करके घरवालों के गहने और एटीएम कार्ड की जानकारी हासिल कर रखी थी। वह ढोंगी साधु पकड़ा गया। भानू ने कहा कि सीक्रेट कोड भी उस बाबाजी ने मुझसे पूछा था। साधु बाबा के अडडे का पता भी चल गया था उसके साथ सात आठ ढोंगी साधु बाबा इस काम में संलिप्त थे। जो कि घर की औरतों को अकेली देखकर उनके रुप्यों को डबल करने का चकमा देते थे। उनके गहनों को चमकाने का काम करने को कहते थे। भोली भाली औरतें उन ढोंगी बाबा की बातों का शिकार हो जाती थी। वह बातों ही बातों में कुछ सुंघा देते थे। घर की नकदी और रुपया और औंरतों के गहने और एटीएम कार्ड की जानकारी हासिल कर लेते थे। उन के घर का सारा का सारा रूपया लूट लेते थे। साधु बाबा को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया गया। हमें अपनें बच्चों को सारी बातों की जानकारी अवश्यक देनी चाहिए। उन पर निगरानी रानी अवश्य रखनी चाहिए। बच्चे भटकनें से बच जातें हैं उन्हें प्यार प्यार से समझाया जाए। वह भविष्य में किसी ढोंगी बाबा के चक्कर में न आए।