देर आए दुरुस्त आए

पियूष जल्दी से घर पहुंचना चाहता था क्योंकि आज वह काफी थक चुका था। ऑफिस में बॉस से कहा सुनी हो गई घर में पत्नी से नोकझोंक इस आदत से वह बहुत ही तंग आ चुका था । कुछ दिनों से उसे बहुत ही गुस्सा आ रहा था क्योंकि घर पर उसकी पत्नी उससे हर रोज लड़ाई झगड़ा करती थी । झगड़ा हर रोज एक ही बात को लेकर होता था । उसकी पत्नी उसे हर रोज टेलीविजन की फर्माईश करती थी। टेलीविजन भी बहुत महंगे वाला क्योंकि पल्लवी अपनी सहेलियों के घर में नई-नई चीजें देखकर आती थी और अपने पति से हर रोज यही कहती थी कि मेरी सहेलियों के पास इतनी महंगी महंगी चीजें हैं,आप तो कभी भी हमारी एक भी इच्छा पूरी नहीं करते हो । तब उसका पति उसे समझाता भाग्यवान हमें दूसरों के घर से क्या लेना-देना ? उनके पास चाहे जितनी भी महंगी चीजें हैं पर तुम्हारे पास भी किस वस्तु की कमी नहीं है । तुम्हारे पास दो प्यारे-प्यारे बच्चे हैं और तुम्हारा पति सही सलामत है । सब अच्छी तरह से खा पी रहे हैं  मेरी इतनी हैसियत नहीं है कि मैं इतना महंगा  टैलीविजन ले लूं और वह भी ₹30000 का । हमें उतने ही पैर पसारने चाहिए जितनी कि हमारे में क्षमता हो ।हमें दूसरों के पास क्या-क्या है इसको देखकर ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए? मैं ईमानदारी से अपनी आजीविका चला रहा हूं।

आज तो वह चुपचाप घर आकर सो जाना चाहता था। परंतु उसकी पत्नी ने उसके सिर दर्द की परवाह कभी नहीं की और कहने लगी तुम झूठ मूठ का बहाना बना रहे हो क्योंकि तुम हमें टैलीविजन दिलाना नहीं चाहते ।मैंने आज तक तुमसे कुछ भी नहीं मांगा ।मेरी सहेलियों के बच्चे तो गाड़ी में ही स्कूल जाते आते हैं । क्या कभी मैंने गाड़ी कि फर्माइश की तब उसके पति ने कहा कि तुम अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने जाती हो तभी तो तुम तंदुरुस्त हो और अच्छी बात है तुम्हें सैर  करने का मौका भी मिल जाता है । तुम अपनी सहेली के बच्चों को ही देखो ।हर रोज उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ता है ।उन्हें ज़रा भी पैदल चलने की आदत नहीं। हो सकता है तुम्हारी सहेलियों के पति  इतनी महंगी चीजें घर लेकर आते हैं वह शायद काले धन से  कमाया  हुआ रुपया हो। या किसी से रिश्वत लेकर। जरा सोचो तो अगर मैं भी तुम्हें गाड़ी, टीवी ,फ्रिज और कूलर दिलवा दूं वह भी रिश्वत की कमाई से तो क्या तुम लेना स्वीकार करोगी?  पल्लवी कुछ नहीं बोली चुपचाप रसोई घर में चली गई। दूसरे दिन पियूष  ने अपने बॉस से अपना रुपए निकलवाने की शिफारिश की क्योंकि वह अपनी पत्नी की इच्छा को पूरी करना चाहता था। उसे मुश्किल से ₹15000 मिले वह एक   टैलीविजन की दुकान पर गया वहां पर उसने वही  टैलीविजन देखा जिसकी फर्माइश उसकी पत्नी कर रही थी ।उसकी कीमत सुनकर वह धक्क  से रह गया, क्योंकि उसकी कीमत ₹25000 थी ?उसके पास इतने अधिक रुपए नहीं थे तभी उसने सामने से आते हुए अपने दोस्त को देखा ।उसके दोस्त पंकज ने उस से हाथ मिलाया और अपने दोस्त को परेशानी की हालत  में देखते हुए बोला ,अरे यार तुम्हें क्या हुआ है ?तुम इतने परेशान क्यों हो ?मुझसे कहो शायद मैं तुम्हें तुम्हारी समस्या को हल कर दूं ।उसने अपने दोस्त को  कौफी  पेश की और कहा मैं यहां पर  टैलीविजन की दुकान पर नौकरी करता हूं ।पल्लवी के पति ने कहा तुम्हारी भाभी हर रोज मुझसे नए मॉडल के  टैलीविजन की फर्माइश करती है। मैं क्या करूं ?मेरे पास इतने रुपए नहीं है । मुझे अपने परिवार में बच्चों को भी देखना पड़ता है आजकल महंगाई के वक्त इतना रुपया एकदम जुटाना बड़ा मुश्किल है क्योंकि मैं इतना अमीर नहीं हूं । तुम्हारी भाभी इस बात को जरा भी नहीं सोचती। उसके दोस्त ने कहा कि मेरे पास इस समस्या का भी समाधान है। तुम इसी मॉडल की तरह का एक सस्ता सा  टैलीविजन लेना चाहते हो। मैं  उस टैलिविजन को इस तरह का बना दूंगा कि तुम्हारी पत्नी को पता भी नहीं चलेगा कि यह सस्ता वाला  टैलिविजन है । उसी डिजाइन का  टैलिविजन तुम्हें ₹10000 में दे दूंगा जैसा कि तुम्हारी  पत्नी की सहेलियों  के पास है।उस पर स्टीकर  भी उसी मॉडल का चिपका दूंगा तुम्हारी पत्नी को तो क्या उनकी सहेलियों को भी मालूम नहीं पड़ेगा कि यह  टैलिविजन ₹10000 का है । तुम्हारी बीवी भी खुश हो जाएगी ।

 

पियूष की खुशी का ठिकाना नहीं रहा ।उसने अपने दोस्त को धन्यवाद देते हुए कहा कि तुम जल्दी से मुझे वह  टैलिविजन पैक कर दो ।  पियूष जब घर आया तो उसने अपनी पत्नी को कहा जल्दी से चाय बना कर लाओ ,आज मैंने तुम्हारी  फर्माइश  पूरी कर दी है ।उसकी पत्नी खुश होते हुए बोली क्या तुम झूठ बोल रहे हो? उससे पहले कि वह कुछ कहती उसने एक आदमी को एक बॉक्स अपने घर पर छोड़ते हुए देख लिया था। उसने उस बक्से में से टैलिविजन निकाला और पीयूष को पूछा कहां लगाना है ?पल्लवी बार-बार टीवी को देख रही थी।  उसने अपने पति को धन्यवाद दिया और कहा तुमने मेरी इच्छा आज आखिरकार पूरी कर ही दी। कहीं तुमने भी तो रिश्वत लेकर टैलिविजन नहीं खरीदा है ?पियूष  बोला अगर तुम हर बार  फर्माइश करोगी तो मुझे भी यही करना पड़ेगा । पल्लवी  बोली नहीं मैं अब तुमसे कुछ भी नहीं मांगूंगी।

 

बच्चे भी दौड़कर बार-बार  टैलिविजन को देखकर खुश हो रहे थे अपनी सहेलियों को अगले दिन उसने चाय पर घर बुलाया ।उन्होंने भी  टैलिविजन को देख कर उस से कहा अरे वाह !यह टैलिविजन तुमने कितने का लिया अचानक  पल्लवी बोली ₹30000 का ।उसकी सहेलियों को पता ही नहीं चला कि वह  टैलिविजन बिल्कुल उसी मॉडल की तरह दिख रहा था ।इस बात को काफी दिन व्यतीत हो गए ।पल्लवी अब अपने पति से कभी फर्माईश नहीं करती थी ।एक दिन जब पल्लवी घर आई तो उसके बेटे ने टेलीविजन का शीशा तोड़ दिया ।पल्लवी  बड़ी उदास हुई ।उसने अपने पास जो रुपए इकट्ठे किए थे उससे उसने वह  टैलिविजन ठीक करवाया ।आज सोचने लगी कि मैं अपने पति पर यूं ही गुस्सा होती थी ,इतना महंगा टैलिविजन उन्होंने हमें खरीद कर दिया है और हमने एक ही झटके में ₹25000 का खून कर दिया। मेरे पति ने पता नहीं कैसे-कैसे पाई-पाई जोड़कर इतने रुपए इकट्ठा किए होंगे? दूसरे दिन जब वह अपनी सहेलियों के घर  से आई तो उसने देखा कि उसके बच्चे आपस में लड़ रहे थे ।वह आपस में कह रहे थे पहले मैं सीरियल देखूंगा।लड़की कह रही थी मैं देखूंगी। उनकी मां ने आकर  टैलिविजन  बंद कर दिया।  उन दोनों बच्चों ने तूफान मचा दिया और एक-दूसरे के बाल पकड़ कर खींचनें  लगे।

 

भाई ने अपनी बहन को इतनी जोर से धक्का दिया वह दूर जाकर गिरी। उसके माथे से खून निकल गया था ।उन दोनों को लड़ता देखकर उसके पापा भी अचानक आ गए और अपनी पत्नी को डांटते हुए बोले तुम्हारी टैलिविजन की  जिद नें  तुम्हारे बच्चों को क्या से क्या बना दिया? पहले दोनों बच्चे खूब मन लगाकर पढ़ते थे अब तो सारा दिन टैलिविजन के सामने बैठकर नाटक देखा करते हैं । उन्हें डांटों तो गुस्सा होकर घर से निकल जाते हैं। तुम्हारी इसी आदत से मैं परेशान आ गया हूं । हर रोज हर दिन एक  नई फर्माईश लेकर आ जाती हो आज तो  मैं तुम्हारे बेटे की रिपोर्ट कार्ड लेकर घर आया हूं। तुम्हारा बेटा गणित मैं फेल है वह जब दूसरी सहेली के घर गई तो वहां का नजारा तो देखने ही लायक था। पुलिस इंस्पेक्टर वहां पर खड़े थे और पूछ रहे थे कि वर्मा जी  घर पर हैं ।क्या वर्मा जी का घर यहीं पर है? वर्मा जी ने ऑफिस में कुछ गड़बड़ घोटाला करके ₹50000 का कालाधन अपने घर में छिपाकर रखा था ।उनके घर से पुलिस ने छापा   डाल कर  सब रूपये वसूल कर लिए थे। उसे हवालात में डालने के लिए आई थी। उस पर ₹50000 का जुर्माना किया गया था और  छ:महीने की जेल हुई थी ।  वह चुपचाप  वंहा से  खिसक कर सीधे घर आई और अपने पति से बोली ।आप ठीक ही कहते हो, हमें उतने ही पैर पसारने चाहिए जितनी हम में क्षमता हो  ज्यादा के लालच में हमें अपना सब कुछ गंवाना पड़ सकता है ।उसका बेटा आते ही बोला मम्मी मैं आज थक गया हूं जरा  टैलिविजन लगा दो ।मम्मी ने टीवी का रिमोट हाथ में लेकर कहा था तुम्हें  टैलिविजन तभी देखने दूंगी मगर इस शर्त पर कि तुम  एक  घंटे से ज्यादा टीवी नहीं देखोगे और दोनों एक ही वक्त पर  टैलिविजन देखोगे ।दोनों बच्चों ने अपनी मम्मी को कुछ कहा मां ,जैसा आप कहोगी हम वैसा ही करेंगे । उसके पड़ोस की आंटी आई और बोली पल्लवी आज हमारे घर चलोगी ।आज मेरे बेटे का जन्मदिन है ।  पल्लवी  बोली आज मैं नहीं आ सकती ।मैं अपने बच्चों को तुम्हारे घर पर भेज दूंगी। पल्लवी  अब कहीं ना कहीं समझ गई थी कि अपनी मेहनत से कमाया हुआ रुपया ही फलता-फूलता है ।

 

हमें कभी भी दूसरों के घरों में कभी नहीं झांकना चाहिए। जो हमारे पास है वह बहुत ही मूल्यवान है ।हमारे शरीर के सभी अंग करोड़ों रुपयों के हैं  । हमारे  इन अंगों में से एक भी खराब हो जाता है तो हमारे पास तो इनका इलाज करवाने के लिए भी इतनी कीमत नहीं है ।हम तो बेकार में ही किसी के पास कोई अच्छी सी चीज देखकर अपने मन में कल्पना करने लगते हैं कि काश मेरे पास भी यह चीज होती ,परंतु सोचो जरा ,यह सब बात पल्लवी  सोच रही थी ।अपने पति को ऑफिस से आते देखा उसने अपने पति को कहा कि आपको निराश होने की जरुरत नहीं है ।मुझे आज अच्छी तरह से समझ में आ चुका है । कल से मैं अपने बच्चों को जल्दी स्कूल छोड़ने जाया करूंगी ।आप ठीक ही कहते हैं सैर करने से थोड़ा व्यायाम भी हो जाता है । सारा दिन चेहरे पर रौनक रहती है उसका पति खुश होते हुए बोला देर से ही  सही दुरुस्त आए । वह बहुत खुश हो गया बोला यही बात  मैं तुम्हें समझाना चाहता था ।उसने अपनी पत्नी और बच्चों को कहा कहां चला जाए? आज हम सब बाहर ही खाना खाने चलते हैं । उसकी पत्नी बोली  बाहर का खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता ।मैं घर में ही आज बढ़िया बढ़िया भोजन बनाती हूं थोड़ी देर हम सारे बैठकर अंताक्षरी खेलते है।बढ़िया -बढ़िया भोजन का आनंद लेते हैं। दोनों बच्चे ठहाका मारकर हंसने लगे  ।सबके चेहरों पर खुशी के आंसू थे  ।पियूष को तो आज मानो सारी खुशियां हासिल हो चुकी थी ।

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