किसी घने जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे शेर जंगल का राजा था। शेर जानवरों को मारकर खा जाया करता था। शेर का एक मंत्री था भालू। एक दिन शेर ने भालू को बुलाया और कहा कुछ दिनों के लिए मैं अपनी नानी मां के पास जाना चाहता हूं। क्योंकि मेरी नानी मां बीमार है? मेरी अनुपस्थिति में तुम राज्य का कार्यभार संभालना। भालू ने कहा ठीक है शेर तो अपने ननिहाल चला गया था। भालू के आतंक से सभी जानवर डर कर चुप जाते थे वह तो किसी को भी नहीं छोड़ता था। एक दिन की बात है कि सारे के सारे जानवर भालू से बहुत ही डर गए थे। वे सब जानवर लोमड़ी के पास आए और कहने लगे बहन तुम ही सबसे ज्यादा होशियार हो। तुम ही भालू के आंतंक से हमें बचा सकती हो। लोमड़ी ने कहा ठीक है लोमड़ी, भंवरे, तितली, मक्खी और मधुमक्खी के पास गई और बोली तुम सब मेरे मित्र हो।
आज तुमको मेरी मदद करनी होगी।। चारों बोले हम तुम्हारी क्या मदद कर सकते हैं। लोमड़ी बोली मैं भालु को इस बाग में ले आऊंगी। लोमड़ी ने मक्खी को कहा कि तुम भालू के कान के पास जाकर तंग करना’ भंवरे को कहा तुम उसकी आंखों के पास मंडराना ‘भंवरे ने अपने दोस्त फूल को कहा फूल भाई तुम इतनी तीखी महक छोड़ना जिससे भालू को चक्कर आ जाए’। तितली ने कहा तुम उसके आसपास मंडराना जैसे ही वह तीखी सुगंध से सोने लगा’तू इसकी तंद्रा में खलल डालना। लोमड़ी ने भालू को कहा भाई मेरे तुम जानवरों को तो खा सकते हो पहले आपको मेरी शर्त माननी पड़ेगी भालू बोला क्या? लोमड़ी बोली अगर एक दिन तक आप अपने आप को इन जानवरों से बचा पाए तो ठीक है नहीं तो आपको पन्द्रह दिन तक किसी भी जानवर को नहीं खाना पड़ेगा। भालू बोला ठीक है। जब भालू लोमड़ी के बताए हुए स्थान पर पहुंचा भालू बोला भाई मुझसे अब इंतजार नहीं होता। मेरा खाना लाओ। मुझे बड़े जोर की भूख लग रही है।
लोमड़ी बोली मैंने बाग में आपको बढ़िया-बढ़िया नाश्ता लगा रखा है। भालू जैसे ही बाग में पहुंचा फूलों की तीखी सुगंध से उसका सिर चकरा गया। उसे लग रहा था कि उसे नींद आ रही है। तभी एक मक्खी उसके कानों के पास भिन्न भिन्न करनें लगी। भंवरा उसकी आंखों के पास गुंजन करने लगा। मधुमक्खी नें तो उसे इतनी जोर से डंक मारा कि भालू कुछ कह नहीं सका। तितली भी उसके पास बार-बार सर सर कर रही थी। वह बोला लोमड़ी बहन मैं और अब बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं यहां से बाहर जाना चाहता हूं। मुश्किल से वह दस मिनट ही वहां पर टिक पाया था। वायदे के मुताबिक पन्द्रह दिन तक उसने किसी भी जानवर को ना खाने की कसम खाई।
लोमड़ी नें पन्द्रह दिन तक तो सभी जानवरों को बचा लिया था। पन्द्रह दिन पूरे हो चुके थे वादे के मुताबिक एक बार फिर लोमड़ी के पास आकर भालू बोला। मेरा खाना कंहा है।? लोमड़ी बोली भालू भाई क्या बताऊं? ‘नदी के किनारे आप से भी ज्यादा ताकतवर एक और भालू आ गया है। वह भालू तो आपसे भी ज्यादा ताकतवर है। भालु बोला कहां है? मुझे नदी पर ले चलो लोमड़ी उसे नदी पर ले गई नदी में उसने पानी में अपनी परछाई देखी। उसने सोचा मुझसे कोई ज्यादा ताकतवर भालू पानी में। है पानी में से भी ज्यादा और भी तेज आवाज आई। भालू सचमुच डर कर कांपने लगा। वह बोला मैं तुम से नहीं डरता जाओ।।
भालु को लोमड़ी ने कहा तुम्हें पानी में घुसकर दूसरे भालू को मारना होगा। जैसे ही भालू पानी में कूदा मगरमच्छ ने उसे घसीट कर उस के टुकड़े टुकड़े कर दिए। भालू के आतंक से जानवरों को छुटकारा मिल गया था। सभी जानवर लोमड़ी की चतुराई की प्रशंसा करने लगे। उन्होंने लोमड़ी को धन्यवाद देते हुए कहा मुसीबत पडनें पर जो साथ दे वही सच्चा मित्र होता है। तुमने हम सब की मुसीबत के समय हमारी रक्षा की है इसलिए तुम ही हमारी सच्ची वफादार दोस्त हो। तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद। तुम्हारे जैसा सच्चा दोस्त सब को मिले।