दोस्त वही जो मुसीबत में काम आए

किसी गांव में एक नाई रहता था। वह गांव के लोगों के बाल काटता। सेव करता और लोगों की मसाज  करता। गांव में बहुत लोग उस से बाल कटवाते।  सारी गांव में केवल वही एक नाई था। उसकी दुकान पर लोगों का जमघट लगा रहता था। लोगों के साथ प्यार से पेश आता था। लोग भी उस से ही  बाल कटवाते।एक दिन की बात है कि उसकी दुकान के सामने उसी की बस्ती  में एक नया आदमी आ गया जब उसने अपने घर के बाहर  बोर्ड लगाया तो नाई चौंका।किशन नें देखा उसकी दुकान के ठीक सामने एक नया नाई आ चुका थां। उसको इस प्रकार नाई का काम करता देकर किशन का खून खौल उठा। वहसोचनें लगा यह कंहा  से आ टपका। इस गांव की बस्ती में तो पहले  मेरी ही धाक  थी।इस नें तो आ कर मेरा सब कुछ मलिका मेट  कर दिया।मैं अब क्या करुं। वह सोचने लगा  अब मैं क्या करूं अब तो लोग इसके पास ही बाल कटवाने जाएंगे उसने दरवाजा खटखटाकर पूछा भाई मेरे तुम कहां से आए हो? नरेंद्र बोला कि मैंने सोचा कि दूसरे गांव में अपनी नाई की दुकान खोलता हूं। मैंने इसलिए दुकान तुम्हारी दुकान के सामने खोली ताकि हम दोनों एक ही व्यवसाय में है तो हमारी दोनों की खूब पटेगी इसलिए मैंने यह जगह चुनी। मैंने सोचा दूसरे गांव में जाकर अगर कोई रोजगार जमाया जाए तो वह ज्यादा फलता-फूलता नहीं है।

 

इसलिए मैं  अपनी पत्नी मां और अपने बच्चों को यहां ले आया हूं। आज से मैं तुम्हारा पड़ोसी हूं। आशा है कि आप और मैं दोनों मिलकर इस व्यवसाय  को आगे बढ़ाएंगे। किशन मन ही मन सोचने लगा इसने तो आते ही मेरे धंधे पर लात मार दी अब तो लोग इसके पास ही बाल कटवाने जाएंगे। अब तो मेरे ग्राहकों की संख्या कम हो जाएगी। मेरे पास लोग बाल कटवाने कमआएंगे क्योंकि कई बार मैं गुस्सा होने पर लोगों को खरी-खोटी सुना देता हूं। यह तो बहुत ही बुरा हुआ। इसको यहां से निकालने के लिए मुझे कोई योजना बनानी पड़ेगी।

 

एक दिन अपनी दुकान को बंद करके उस गांव के सरपंच के पास गया और बोला हमारे गांव में एक नये आदमी नें नाई की दुकान खोल दी है। वह इस गांव का नहीं है। इसको आपने कैसे आने दिया।  किसी को पूछे  बिना ही इस ने अपनी दुकान खोल ली है अगर आप कुछ नहीं करेंगे तो मैं पुलिस के पास जाऊंगा। बिना सोचे समझे   बाहर से आकर कोई इंसान यहां पर आ कर काम धंधा कैसे कर सकता है। जब तक कि वह इस गांव का ना हो या उसकी अपनी जमीन जायदाद होनी चाहिए। वह तो अपने पूरे परिवार को लेकर यहां आ गया है। आप इसे यहां से जल्दी निकालने का प्रयास करें।

पंचायत अधिकारी के पास और पुलिस अधिकारी के पास जाकर  वह न्ए नाई की शिकायत का फरमान लेकर गया। पुलिस इंस्पेक्टर और पंचायत के पंच नें कहा की तुम्हारी बात पर गौर किया जाएगा। वह बोलाआप जल्दी से जल्दी निर्णय  ले। वह वहा जा कर अपने मन की भड़ास निकाल चुका था। मन ही मन किशन को हर रोज गाली निकालता और सोचता कि यह व्यक्ति यहां से कहीं और चला जाए।

कुछ लोग नए-नाई के पास भी बाल कटवाने आने लगे। किशन की बात सच साबित हुई। आधी से अधिक लोगों की संख्या बिशन के पास बाल कटवाने  जानें लगी क्योंकि वह लोगों के बड़े प्यार से बाल काटता था। किशन  सोचने लगा कि अब मैं क्या करूं? इस गम में वह बीमार पड़ गया।  उसके सामने अदालत से एक नोटिस आया जिसमें लिखा था कि जल्दी से जल्दी आकर अपनी जमीन के 50,000रु जल्दी से जल्दी  इस इतवार को आकर जमा कर दो। वर्ना तुम्हारे खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। अब तो  किशन और भी निराश हो गया। बस्ती वालों से तो कुछ कह नहीं मांग सकता था क्योंकि कोई भी उसकी मदद करने के लिए आगे नहीं आता था। क्योंकि वह बहुत ही गुस्से वाला था। उसके इसी बर्ताव के कारण लोग उसे रुपए देने से कतराते थे। इस गम में वह बीमार पड़ गया। उसको बीमारी की हालत में देख कर  बिशन बोला भैया अब आप आराम करो। मैं आपकी दुकान में आकर आज बाल काट देता हूं। आज मैं अपनी दुकान पर ताला लगा देता हूं। क्यों कि मुझे आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती। अगर मैं तुम्हारी कुछ सहायता कर सकूं तो मैं  अपने आप को भाग्यवान समझूंगा।  मुसीबत के समय एक दोस्त की सेवा करना हमारा फर्ज होता है। उस दिन बिशन ने सारा दिन अपनी दुकान बंद रखी। उसको कुछ ठीक होते देख बिशन किशन से बोला भाई मेरे मैं कई दिनों से मैं तुम्हें बहुत उदास देख रहा हूं। क्या बात  है? मुझसे कहो शायद मैं तुम्हारे किसी काम आ सकूं। किशन बोला कोई बात नहीं। बिशन बोला कि भाई मेरे मैंने तुम्हें दोस्त ही  नही भाई भी कहा है कहीं ना कहीं तुम मुझसे बड़े हो इसलिए तुम निश्चिंत होकर अपने मन की बात मुझ से कह सकते हो। तो शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं अगर तुम मुझ से मदद मांगना चाहते हो तो आज मेरे घर पर आ   सकते हो। किशन चारों तरफ से निराश हो चुका था। उसके पास जमीन के रुपए जमा करवाने के केवल 5 दिन शेष थे। वह सोच रहा था कि आगे इन 5 दिनों में वह जमीन के रुपए नहीं चुकाता है तो वह जमीन सरकार अपने नाम कर लेगी। अब मैं क्या करूं?   हार कर उसने सोचा क्यों ना बिशन के पास मदद मांगने जाऊं। उसने मुझसे कहा था कि शायद  मैं तुम्हारी किसी काम  आ सकूं। किशन ने अपने दोस्त बिशन के घर जाने का निश्चय कर लिया। किशन अपने दोस्त बिशन के घर पहुंचा तो वह देखकर हैरान हुआ कि बिशन एक छोटे से कमरे में रहता था। वहीं पर उसकी बूढ़ी मां उसकी पत्नी और उसके दो बच्चे एक छोटे से कमरे में रहते थे। वहीं पर खाना बनाना आराम करना बस एक कमरे में ही सब कुछ करते थे। वहीं पर ही बिस्तर लगाकर सोते थे। एक और स्टोब रखा हुआ था जहां पर उसकी पत्नी खाना बनाती थी।

 

किशन जब उनके घर पहुंचा तो उनकी हालत देखकर हैरान रह गया उसका एक बच्चा रोता हुआ आया बोला अंकल अंकल आप क्या लोगे? खाना या चाय। किशन ने पूछा कि तुम्हारा बेटा लंगड़ा कर चलता है तो वह बोला मेरे बेटे को बचपन से ही  पोलियो है।  उसने एक और लेटी हुई बुढिया की ओर देखा वह कराह  रही थी और बार-बार कह रही थी कि हे भगवान मुझे उठा ले। इस बीमारी से  मैं तंग आ गई हूं। उसकी मेज पर  ढेर सारी दवाइयाँ रखी हुई थी। उसको कराहते देखकर बिशन बोला मां तू चिंता मत कर तू ठीक हो जाएगी। अभी तेरा बेटा जिंदा है। तभी उसकी पत्नी चाय बना कर लाई। वह भी आहिस्ता आहिस्ता चल रही थी। वह एक आंख से अंधी थी। यह सब देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।  वह कितना दिलेर है। वह हरदम हंसी खुशी अपनी मां बीवी और बच्चे की देखभाल कर रहा था। वह भी एक छोटे से कमरे में। उसको चुप देख कर बोला भाई मेरे अब तो मुझे  बता तुझे क्या चिंता है? किशन बोला कि तुम मेरी मदद नहीं कर सकते। बिशन बोला तुम मुझे बताओ तो सही। मुझे 50000रु अपनी जमीन के  5 दिन में जमा करवानें हैं। मैं अगर पांच दिनों के अन्दर 50000रु जमा न कर पाया तो मेरी जमीन सरकार के  कब्जे में चली जाएगी। बिशन बोला यह बात है चलो मैं एक काम करता हूं।

 

मैंने अपनी मां के ईलाज के लिए 30000 रुपये इकट्ठे किए। हैं  मेरी पत्नी के पास अपने कुछ गहनों हैं। वह गहनों का क्या करेगी? इसको बेच देंगे। हमारे  पास₹50000 का इंतजाम हो जाएगा। रुपयों को ले जाकर तुम अपनी जमीन छुड़वा सकते हो। फिर इकट्ठे करके मुझे लौटा देना उसके यह वाक्य सुन कर किशन हैरान रह गया। किशन मन ही मन अपने आप को कोसने लगा मैंने इस किशन को अपने मन में ना जाने कितनी गालियां दे डाली और एक है जो मेरी मदद करने चला है।

 

भगवान इस के लिए तो मुझे कभी भगवान भी माफ नहीं करेंगे।  मेरे घर में तो मेरी बीवी मेरे बच्चे मेरा परिवार सब खुशहाल है। परंतु इन को देखो सभी  इस स्थिति में है परंतु इसके मन में दुख की एक शिकन भी नहीं है। मैंनें इस भोले भाले इंसान के साथ बेईमानी की है। मैंने गांव के सरपंच को पुलिस अधिकारी को इस व्यक्ति को गांव से बाहर निकालने के लिए खत लिख दिया है। भगवान इससे पहले कहीं देर हो जाए  अपनी अर्जी उस से वापस ले लेता हूं। नहीं तो एक दोस्त का दूसरे दोस्त पर  से सदा के लिए विश्वास उठ जाएगा। यह मेरे लिए ₹50000 देने के लिए तैयार हो गया।

 

मेरी सोच कितनी गंदी है। हे भगवान।  किशन जल्दी-जल्दी सरपंच के पास गया और बोला सरपंच साहब आपको जो मैंने खत लिखा था कि मेरे घर के पास ही एक अनजान व्यक्ति आकर रह रहा है वह सचमुच में ही अच्छा इंसान है। कृपया करके आप इस खत को फाड़ दे। मैं उसको देख कर सोच रहा था कि उस व्यक्ति ने तो आते ही मेरी दुकान पर ताला लगा दिया परंतु मेरी सोच गलत थी हमें बिना सोचे समझे किसी व्यक्ति के बारे में कोई राय कायम नहीं करनी चाहिए। कृपा करके आप इस खत को फाड़ दे कहीं ना कहीं मेरी भूल थी।  मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है।

 

सरपंच महोदय बोले बेटा शाबाश अगर तुम्हें थोड़ी सी भी देर हो जाती तो आज  ये अर्जी उस तक पहुंच जाती। आज ही मैं अपने आदमी को वहां भेज भेजने वाला था परंतु अब मैं ऐसा नहीं करूंगा। किशन ने पुलिस इंस्पेक्टर को भी कह दिया कि मैं तो गुस्से में ऐसा कह रहा था। वह आदमी एक नेक इंसान है क्योंकि आप मेरे रिश्तेदार हैं आप उस इंसान के साथ अन्याय नहीं करेंगे। मैं अपनी अर्जी खारिज करता हूं। आज मैं जान गया हूं कि मुसीबत के समय में जो काम आता  है वही  सच्चा दोस्त होता है। वह दोस्त चाहे कोई भी हो।

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