नई भोर

राधा चौथी कक्षा की छात्रा थी। वह एक छोटे से गांव में एक सरकारी स्कूल में पढ़ती थी। वह बहुत ही होनहार थी। वह पढ़ाई में तो अच्छी थी ही साथ ही साथ वह अपनी मां का घर के कामों मैं भी हाथ बंटाती थी। एक दिन विद्यालय में अध्यापिका शहर के जीवन की जानकारी बच्चों को दे रही थी।
शहर बड़ी और स्थायी मानव बस्ती होती है। शहर होने के बहुत से फायदे पर बहुत से नुकसान भी है। बच्चों शहर में चौड़ी चौड़ी सड़कें होती हैं। बड़ी बड़ी इमारतें और बहुत से उद्योग, बहुत सारे घर, और हां साथ ही साथ बहुत सारा प्रदूषण। चारों तरफ बस,रिक्शा,स्कूटर कार और सैंकड़ों गाड़ियों के चलें से शहर में पौंपौ का शोर और सड़क को पार करना भी मुश्किल हो जाता है। चारों ओर प्रदुषित वातावरण होता है। बच्चे भी वहां सड़क पर खेल-कूद नहीं सकते। तुम यहां जैसे मौज-मस्ती से खेलते हो वहां ऐसा नहीं कर सकते।बच्चों को अन्दर ही कैद हो कर रह जाना पड़ता है। राधा ने अपने सोचा कि यह शहर कैसा होता है?
शाम को घर आकर उसने अपनी मां से पूछा कि मां मां शहर क्या होता है? शहर में कितने लोग रहते हैं? उसकी मां बोली कि बेटा जब तुम शहर जाओगी तब वहीं पर जाकर तुम्हें पता लगेगा।
उसकी मां बोली की अबकी बार जब तुम्हारे मामा जी गांव आएंगे तब तुम्हें छुट्टियों में उनके साथ शहर भेज दूंगी। शहर जाने की बात सुनकर राधा बहुत ही खुश हुई । अपने मामा के आने का इंतजार करने लगी । उसे स्कूल से कब छुट्टियां होंगी और वह शहर जाएगी। राधा को गर्मियों स्कूल में गर्मियों की छुट्टियां होने ही वाली थी इस बार उसने अपने मामा जी के घर शहर जाने का मन बना रखा था उसने अपनी मां से अनुमति भी ले ली थी। राधा की मां ने उसके मामा को‌ गर्मियों की छुट्टियों में राधा को शहर ले जाने के लिए बुला लिया था। आज उसकी छुट्टियां आ गई थी।उसके मामा जी उसे गांव लेने आ गए थे ।वह अपने मामा के साथ शहर जाने के लिए तैयार हो गई। आज उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
गाड़ी में बैठ कर उसे बहुत ही अच्छा लगा। सफर बहुत लंबा था अगले दिन सुबह ही शहर पहुंचे। शहर पंहुचने पर शहर में सुंदर-सुंदर जगहों को देखकर हैरान हो गई। कहीं भी जाना हो तो रिक्शा या औटो करो ।इतना बड़ा अड्डा देखकर हैरान रह गई। वह अपने मामा की उंगली पकड़ कर बोली कि मामू मेरी उंगली मत छोड़ना उसने कसकर अपनें मामू का हाथ पकड़ लिया ।उसे शांति तब मिली जब उसके मामा ने ओटो ले कर अपनें घर के पास रुकवाया।आज उसका शहर देखनें का सपना अब सच मुच ही पूरा होनें जा रहा था। दोपहर होते-होते वह अपने मामू के घर पहुंच गई थी ।

उनके दो बच्चे रानी और चिंटटू उनको देखते ही भाग कर मिलने आए? चिंटटू और रानी राधा से दो साल छोटे थे। कि अपनी बड़ी बहन से बहुत प्यार करते थे। यह दोनों राधा को देखकर बहुत ही खुश हुए। वह दोनों बच्चे सीधा बिस्तर से ही उठकर आए थे। बोले मां मां जल्दी से चाय लाओ।। नाश्ता लाओ। दीदी इतने लंबे सफर से थक कर आई है उन्हें बहुत जोर से भूख लगी होगी हमें भी बहुत भूख लगी है।
वह दोनों बिना कुर्ला किए ही चाय पीने लगे।उसकी मां ने नाश्ते में ब्रेड कटलेट बनाया था।। वह बोली मामी जी पहले मैं नहा लूंगी उसके बाद ब्रश करके खाऊंगी ।
वह दोनों तो चाय और कटलेट पर टूट पड़े मानो आज ही उन्हें कटलेट खाने को मिल रहा हो। उसकी मां रानी को बोली बेटा खाने के बाद प्लेट उठाने में मेरी मदद करना। अंदर से ही रानी चिल्लाई, मां अपने आप उठा लो ,और अपने भाई के साथ टीवी देखने लगी। राधा को यह बहुत ही बुरा लग रहा था । जब वह नहा कर निकली तो तरोताजा महसूस कर रही थी। उसने नाश्ता किया और सारे के सारे बर्तन मामी की रसोई में रख दिए वह बोली लाओ मामी मैं साफ कर देती हूं ।उसकी मामी उसे मुस्कुराकर देखने लगी, वह बोली तुम्हारी मां ने तुम तुम्हें संस्कार अच्छे दिए हैं। पर बेटा तुम आज ही इतने लंबे सफर से आई हो थक गई होगी रहने दो मैं कर लूंगी।
दिन में तीनों बच्चों मिलकर खूब मस्ती की। शाम को वह अपने भाई बहनों के साथ खेलने पार्क में गई। वहां उसे खेलने में बहुत मज़ा आया। पार्क में बड़े-बड़े झूले थे। कोई बच्चा अपनी मां के साथ तो कुछ बच्चे 2- 3 बच्चों का ग्रुप बनाकर खेल रहे थे कोई भी मिलकर नहीं खेल रहा था।
अगले दिन‌ दोनों बच्चों का स्कूल था। उसने देखा कि दोनों बच्चे अपनी मां पर चिल्ला रहे थे। रानी बोली मां मां जल्दी आओ मेरी चोटी बना दो। चीन्टू बोला मां मेरा बस्ता पैक कर दो वह उन दोनों का मुंह देखती रह गई । चीनू को उसकी मां पकड़ पकड़ कर खाना खिला रही थी रानी बोली मुझे भी खिलाओ। उसकी मां दोनों को खाना मुंह में डालती जा रही थी उन दोनों को इस तरह देखकर राधा को महसूस हो रहा था कि वह दोनों बच्चे उसकी मामी को कितना परेशान करते है। शाम को जब स्कूल से घर वापस आए तो दोनों ने अपना बस्ता बाहर ऐसे ही कहीं पटक दिया। उनके कमरे की हालत देखने वाली थी । बस्ता कहीं, जूते कहीं ,कपड़े कहीं।
बिना हाथ मुंह धोए ही वह दोनों रसोई घर में घुस गए।
रात में रानी अपनी मां के पास आ कर बोली मां आज शाम खेल खेलते हुए बहुत ही देर हो गई। याद ही नहीं रहा कल मेरा अंग्रेजी का टैस्ट भी है। आप मुझे पाठ याद करवानें में मेरी सहायता करना। उसकी मां बोली कि मैं तुम्हें पाठ याद करवाती जाती हूं। रानी बोली पहले मुझे खाना खिलाओ।उसकी मां उसे खाना भी खिलाती जा रही थी और पाठ याद भी करवाती जा रही थी ।
राधा को अपने मामी की हालत देखकर बहुत ही रोना आ रहा था। उन बच्चों ने तो मामी की नाक में दम कर दिया है । बेचारी किस तरह सहन करती हैं?अगर मैं भी इसी तरह अपनी मां को तंग किया करती तो मेरी मां बेचारी क्या करती।
उसकी मामी जब उसको पढ़ा चुकी तो राधा बोली मामी जी आप उनके पीछे क्यों पड़ती हो ?वह दोनों अगर अपना काम करने की आदत नहीं डालेंगे तो यह बड़ा होने पर भी आपको परेशान करते रहेंगें। मैं तो सब कुछ अपने आप याद कर स्कूल जाती हूं। यदि काम करके न ले जाऊं तो उस दिन मार पड़ जाती है ,लेकिन अब मैं अपने आप सभी काम करती हूं । आप इन की आदत को जल्दी से बदल डालो नहीं तो एक दिन आपको दुःखी होना पड़ेगा। इतनी छोटी सी बच्ची के मुंह से यह बात सुनकर पूनम बहुत ही दुःखी हुई । पूनम सोच रही थी कि वह बच्ची उसे ठीक ही तो कह रही है । उसने अगर आपने बच्चों में खुद छोटे-मोटे काम करने की आदत डाली होती तो आज उसे इस हालत से नहीं गुजरना पड़ता। पुनम ने राधा से कहा कि इस बार छुट्टियों में इन दोनों को तुम्हारे गांव भेज दूंगी शायद वहां पर चलकर तुमसे कुछ सीख लेंगे।
छुट्टी वाले दिन राधा के मामा मामी उसे और उसके छोटे भाई बहनों को घुमाने शहर के बाजार में ले गए। राधा को बहुत अजीब लग रहा था। घूमने के लिए कुछ खास था ही नहीं। हां शॉपिंग करने के लिए बड़ी-बड़ी दुकानें शॉपिंग मॉल्स और रेस्टोरेंट्स थे। बच्चों के लिए खेलने के लिए जगह भी शॉपिंग मॉल्स के अंदर ही थी। कहां बच्चे वीडियो गेम्स और कंप्यूटर गेम्स खेलते थे। शहर का खाना और मिठाइयां काफी स्वादिष्ट थी और साथ ही साथ बहुत महंगी भी थी।राधा ने पहली बार केक खाया था। उसे बहुत ही स्वादिष्ट लगा।घर आ कर पूनम नें कहा तुम तीनों मिल कर कोई गेम खेलों।कल तुम्हारी छुटटी है ।सुबह सुबह जल्दी भी नहीं उठना है। तुम खेलों तब तक मैं पडौस की आंटी के पास किसी काम से जा रही हूं।तीनों बच्चे काफी देर तक इन्ताश्क्षरी खेलनें लगे।थक गए तो वे एक दूसरे को कहानीयां सुनाने लगे।तीनों को बहुत ही अच्छा लग रहा था।राधा बोली यंहा शहर में तो सारा दिन गाड़ियों की आवाजों से शोर होता रहता है।गांव का वातावरण तो बहुत ही शांत और , चौड़ी खुली खुली सड़कें ।जितनी देर तक खेलना हो खुले वातावरण में खेल सकतें हैं।तुम जब कुछ दिनों के लिए गांव आओगे तो तुम्हें भी बहुत ही मजा आएगा।रानी बोली हम दोनों जरुर आएंगे।जंगलों की तो अद्भूत शोभा है।जंगल में बेर,अमरुद,काफल,और। बहुत सारे खानें योग्य पैदार्थ,विभिन्न प्रकार की सामाग्रियां मिल जाती है।खीरे तो इतनें होतें हैंकि तुम खाते खाते थक जाओगी।

कुछ दिन के बाद राधा जब आपने गांव वापिस पहुंची तो वह अपने मां के गले लग कर बोली कि मां मुझे आपकी बहुत याद आई ।परंतु मुझे शहर के बारे में भी बहुत कुछ सीखने को मिला। वहां पर लंबी लंबी चौड़ी सड़के देखकर मैं बहुत ही घबरा गई थी। परंतु धीरे-धीरे मेरे मन से डर दूर हो गया।वहां पर तो खेल भी नहीं सकते । हर जगह मोटर गाड़ियों का शोर गांव जैसा खुला वातावरण वहां पर नहीं मिलता।श्रेया अपनी मां को बोली कि मां मामी की हालत तो बहुत ही खराब हो गई है। उनके बच्चे उन पर बात बात पर चिल्लाते हैं।उनका कहना नहीं मानते । होमवर्क भी याद करना हो तो मामी को कहते हैं कि याद करवाओ। जूते तक अपने आप नहीं पहनते । राधा की मां बोली बेटा जैसा बीज हम बचपन में बो देते हैं वैसे उसमें संस्कार पैदा होते हैं। हम अगर अपने बचपन में ही बच्चों में अच्छे संस्कार नहीं डालेंगे तो वह बड़ा बनकर भी अच्छे संस्कारों वाला बच्चा नहीं बनेगा। यह सब कुछ माता पिता के ऊपर निर्भर करता है। घर के सदस्य यदि बात बात पर लड़ाई झगड़ा करेंगे तो बच्चा भी झगड़ालू बनेगा।जिस घर में शांति का माहौल नहीं होगा उस घर का बच्चा कभी भी उन्नति के पथ पर कभी अग्रसर नहीं होगा।

राधा सर्दी की छुट्टियों में चिंटू और रानी के आने का इंतजार कर रही थी। मामा को पता चला कि राधा को सर्दियों की छुट्टियां पड़ गई हैं।कुछ दिनों के लिए उसके मामा जी अपनें दोनों बच्चों को गांव छोड़ गए थे। गांव में पहुंच कर दोनों बच्चे जोर जोर से चिल्लाने लगे गांव आ गया गांव आ गया। वे दोनों आपस में किसी बात को ले कर झगड़ा करनें लगे थे।राधा नें अपनी मां को उनके बारे में सब कुछ बता दिया था। वह उन्हें प्यार से समझाते हुए बोली बेटा ज़िद नहीं करते। अच्छे बच्चे हमेशा बड़ों का कहना मानते हैं । उनका इस प्रकार प्यार से कहने पर वे दोनों चुपचाप कमरे में चले गए। राधा ने उस समय तो उन दोनों को कुछ नहीं कहा परंतु वह अपने मन में विचार करने लगी कि इन दोनों को कैसे सुधारा जाए?। मैं इन दोनों को सुधार कर ही रहूंगी। राधा को उनका साथ बहुत ही अच्छा लग रहा था क्योंकि वह अकेले ही सारा दिन घर में रहती थी। उसकी मां जब काम पर चली जाती वह उन दोनों के साथ खेलनें में मस्त हो जाती।

एक दिन राधा नें सोचा आज अच्छा मौका है। इन दोनों से ही काम करवाया जाए।उसकी मां ने सुबह ही कह दिया था कि आज उसे घर आने में देर हो जाएगी। तुम अपने आप गर्म करके खाना खा लेना। जब काफी देर तक राधा की मां घर नहीं पहुंची तो बच्चे भूख से चिल्लाने लगे। वह राधा को बोले कि हमें खाना लाओ। राधा बोली की रसोई में अपने आप चूल्हे में गर्म कर लो ।रानी ने आज से पहले कभी भी खाना गर्म नहीं किया था। काफी देर तक वह दोनों भूखे रहे। परंतु जब भूख से रहा नहीं गया तो वह उठ कर रसोई में आई। राधा नें उन्हें कहा कि घर में लकड़ियां नहीं है। बाहर चल कर लकड़ियां ले कर आंतें है। रानी और चीनू बोले लकड़ियां लाना हमारा काम नहीं। राधा बोली हम तीनों मिल कर लकड़ियां इकट्ठी करें तो काम जल्दी हो जाएगा। तुम अगर मेरे साथ चलना चाहते तो तो देरी मत करो। यह कह कर राधा दूसरे कमरे में चले गई। काफी देर तक तो वे को कुछ नहीं बोले जब बड़े जोर की भूख लगी तो बोले हम ठंडा दूध ही पी लेंगें।राधा बोली दूध पीना है तो गाय को दूहना पड़ेगा। चिंटू गुस्से से बोला मुझे यह पता होता कि यहां पर सब कुछ करना पड़ेगा तो मैं कभी गांव नहीं आता। रानी बोली चिंटू चलो गाय को दूहनें की कोशिश करतें हैं। अब यहां आ ही गए हैं तो खाने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा। सबसे पहले रानी कोशिश करती है। रानी कहनें लगी कि गाय तो मुझे रात मार रही है। राधा बोली इस को पहले थोड़ा सा घास खिलाना पड़ता है। उसे प्यार से सहलाना पड़ता है। वह तभी दूध देगी। मां भी ऐसा ही करती है। ठीक उसी प्रकार जैसे तुम थोड़ी देर पहले एक दूसरे से लड़ते हो तुम्हें गुस्सा आता है परन्तु जब गुस्सा छोड़ कर तुम दोनों एक दूसरे को मनाते हो तो मान जाते हो उसी प्रकार यह गाय भी ममता चाहती है।तुम इस के साथ जोर-जबरदस्ती करोगे तो वह तुम्हें अपनें सींगों से मार भी सकती है। राधा ने तभी देखा चिंटू थोड़ी सी घास ले कर गाय के सामने रख गया था। वह गाय को प्यार कर रहा था। गाय भी बड़े चाव से घास खा रही थी।रानी ने थोड़ी सी घास उसके नन्हें से बछड़े को ।डाल दी।
उन तीनों को बड़ा मज़ा आ रहा था।गाय का दूध राधा नें निकाला तो थोड़ा सा दूध गाए नें दे दिया था। वह उन तीनों को काफी नहीं था। राधा बोली कि पास में ही एक खेत है। वहां पर चलतें है।तीनों आईस्ता आईस्ता चलनें लगे।

रास्ते में पगडंडियों से चलते हुए उनके पैर दुःख गए।रास्ते में एक झाड़ी में बहुत सारी रसभरियां देख कर राधा बोली चलो रसभरियां खाते हैं।राधा बोली तुम्हें रसभरियां खानें के लिए अपनें आप कांटों से इन्हें निकालना पड़ेगा।रानी और चिंटूं कांटों भरे रास्ते से चलते हुए रसभरियां खानें लगे ।वे थक भी गए थे। उन को इस प्रकार रसभरियां तोड़ते देख, गांव के बहुत से बच्चे वहां आ गए थे।वे भी रसभरियां खानें लगे।सभी बच्चे खेलते भी जा रहे थे और मौज मस्ती भी कर रहे थे।रानी को भी उनके साथ अच्छा लगा।राधा ने अपनें दोस्तों से उन्हें मिलवाया।

रानी बोली कि चुल्हे में आग जलाना तो मुश्किल काम है। राधा रानी को बोली यह सफेद रंग की लकड़ी जो तुम देख रही हो यह सेल की सूखी लकड़ी होती है।इससे आग आसानी से जल जाती है।और देखो खेतों में गाय के गोबर को हाथ से गोल गोल बना कर और सूखा कर उपले बनाएं जातें हैं। इन के धूएं से मक्खी मच्छर भाग जातें हैं।इन को सुलगा कर आग जल जाती है।। उन दोनों को बहुत सारे बच्चों के साथ मिल कर अच्छा लगा वे खेलते खेलते काम भी करते जा रहे थे। सब बच्चों नें‌ रानी और चिन्टू को बताया कि वे सभी अपना काम स्वयं करतें हैं।किसी पर निर्भर नहीं रहते। रानी सोचनें लगी कि वह भी अपना काम खुद करेगी। वह तो हर बात के लिए अपनें माता पर निर्भर है।
उसनें घर आ कर खाना गर्म करने के लिए आग जलाना चाहा। काफी प्रयास के बाद आग जली तो मगर फिर धुंआ उठनें लगा। उसनें चपाती चूल्हे में डाली ।वह सारी की सारी जल गई अब तो रानी जोर जोर से रोने लगी उसको रोता देखकर राधा उसे बोली तुम भी तो अपनी मम्मी पर जोर जोर से चिल्लाती हो ।बेचारी अपना काम छोड़कर तुम्हारे लिए खाना बनाती है ।कपड़े प्रेस करती है। तुम दोनों को पढ़ाती भी हैं।
आज तुमसे इतनी सी रोटी गरम नहीं हो रही है । रानी भूखी आकर पलंग पर सो गई। उसे राधा पर बहुत ही गुस्सा आ रहा था ।वह अपनी मां को फोन करने के लिए दौड़ी ।राधा ने उसके फोन में बैटरी पहले ही निकाल दी थी। वह अपनी मां को फोन नहीं कर सकी ।चुपचाप कमरे में जब रानी सोने चले गई।
चिंटू और रानी को आज कहीं जा कर अपनी मां की बातें याद आई। सचमुच हमारी मां कितनी अच्छी है? हमारे सब नखरे सहन करती है।हम तो दोनों उन्हें बात बात पर हर मिन्ट बात किसी न किसी चीज की फरमाइश करतें रहें हैं। हमारी मां ममता की सच्ची मूर्त है। घर पहुंच कर हम दोनों अपनी मां से अपने किए पर पश्चाताप करेंगे हम दोनों स्वयं में सुधार कर अपनी मां का जीवन खुशियों से भर देंगें।
थोड़ी देर बाद जब उन्हें तेज भूख लगी तो रानी, राधा के पास आकर बोली आप आग कैसे जलाते हो?राधा बोली
चलो तीनों मिल कर कोशिश करतें हैं। थोड़ी देर में ही चूल्हे में आग जल गई। राधा ने दोनों को चूल्हे में खाना गर्म करना सिखाया। तीनों ने मिलकर गरम गरम खाना खाया।
राधा बोली की बहन मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हें और चिंट्टू को बहुत ही परेशान किया हालांकि में उम्र में तुम से 2 साल बड़ी हूं परंतु, मैंने तुम्हें सुधारने का बीड़ा उठा लिया था । मुझे अपनी मामी का रोता हुआ चेहरा सामने आ गया। मैं तुम्हें सुधार कर ही दम लूंगी ।यह मैंने निश्चय कर लिया था कि मेरे भाई बहन होकर तुम बिगड़ नहीं सकते।
रानी बोली दीदी आप तो हमें सुधारना चाहती थी। हम तो अपने आप पर बहुत ही शर्मिंदा है। हम शहर जाकर अपनी मां को कभी भी तंग नहीं करेंगे। उनके साथ उनका हाथ बंटाया करेंगे और पढ़ाई भी स्वयं ही कर लिया करेंगे ।आज हमें अपनी गलती का एहसास हो गया है ।
राधा बोली की आज मुझे गर्व है कि मैंने अपनें दोनों भाई बहन को सुधार कर एक अच्छा काम किया है।
रानी और चिंटू गांव में दोस्तों संग काफी घुल मिल गए थे। वह जब रानी को अपनी माता के चरण स्पर्श करते देखते तो वह भी अपनें बुआ के चरण स्पर्श करनें लगे। हर छोटे छोटे काम करनें में उन्हें मजा आनें लगा।।
छुट्टियां समाप्त हो गई थी। चिंटू और रानी के पापा उन्हें लेने आ गए थे । उन दोनों का गांव से जानें का मन ही नहीं कर रहा था। चिंन्टू के पापा जैसे ही गांव पहुंचे रानी और चिंटू ने अपने पापा के चरण स्पर्श किए । उनके पापा को अपनें बच्चों में बदलाव नजर आया। यह सब राधा का ही कमाल है। वह बोले श्रेया बेटा तुम धन्य हो जो तुमने मेरे बच्चों को सुधार दिया।जो काम हम इतनें दिनों से नहीं कर तुमनें वह चुटकी में कर डाला। तुम शाबाशी की हकदार हो। शहर पहुंचकर रानी और श्रेया अपनी मां के गले लग कर बोले मां हमने आपको बहुत ही तंग किया।
हम आपको कभी भी तंग नहीं करेंगे ।हम दोनों भाई बहन आपका हमेशा कहना माना करेंगे। और हमेशा आप की मदद किया करेंगे। रानी और चिंट्टू में आए हुए बर्ताव को देखकर पुनम भी दंग रह गई । आज हमारे जीवन में नई सुबह की किरणें उजाला लेकर आई हैं। भगवान उस जैसी बेटी सब को दे। जिसने मेरे बच्चों को सुधार कर हमारा आनें वाला भविष्य उजागर कर दिया।

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