किसी गांव में एक नाई रहता था। वह गांव वालों के बाल काटता था। रोशन बहुत ही अच्छी अच्छी कहानियां किस्से सुना कर उन सभी का दिल मोह लिया करता था। चंपी तो इतनी अच्छी करता था कि लोग उसकी दुकान पर मालिश करवाने और बाल कटवाने आते थे। वह घंटों उसकी दुकान पर बैठकर कहानियों का आनंद लिया करते थे। हर इतवार के दिन तो उसकी दुकान पर इतनी भीड़ होती थी कि बस पूछो ही मत। लोगों को बाल कटवाने के लिए लाइन ही लगानी पड़ती थी। लोग उसी की ही दुकान पर बाल कटवाना पसंद करते थे। दिनों दिन उसकी ख्याति चारों ओर फैल रही थी। सब लोग उसकी ही दुकान पर आना पसंद करते थे।
उसकी दुकान के पास ही एक चाय बेचने वाले का होटल था। वह चाय बेचने वाला रामू उसी का दोस्त था। एक दिन किसी बात को लेकर उन दोनों की बहस हो गई। राम उस को नीचा दिखाने का प्रयत्न करने लगा। उसने सोचा ठीक है जब तक मैं इसे सबक नहीं सिखा लूंगा तब तक मुझे चैन नहीं पड़ेगा। रामू ने आव देखा ना ताव उसनें भी चाय का ढाबा बेच दिया ओर नाई की दूकान खोलनें का निश्चय किया। उसने भी रोशन की तरह नाई की दुकान खोल दी। सब लोगों ने उससे कहा तुमने यह काम क्यों करना शुरू कर दिया।? वह बोला मैं रोशन से अधिक सफाई से बाल काटता हूं। लोग उसकी दुकान में नहीं आते थे। सारे के सारे लोग तो रौशन की दुकान पर ही आते थे। उसने एक दिन वहां पर ताश जुआ खेलने का अड्डा बना लिया जो भी लोग उसके पास आते उन्हें वह ताश खेलने फंसा देता और जुआ खेलनें। सब लोग रोशन की दुकान में बाल कटवाने कम जाने लगे और रामू की दुकान पर लोग ज्यादा जाने लगे। उन्हें तो शराब पीने से मतलब था ताश खेलना जुआ खेलना उसकी दुकान नाई की दुकान कम और शराब और जुए के अड्डे की दुकान ज्यादा मशहूर हो गई। उसने तो अपने दोस्त से बदला लेने के लिए ऐसा किया था। काम वाले सब उसे समझाते मगर उस रामू के कान में जूं तक नहीं रेंगती थी।
रोशन की पत्नी बहुत ही होशियार थी। उसनें अपनें पति से कहा रामू नें यह सब तुम से बदला लेनें के लिए किया है। उसने अपने पति को समझाया तुम चिंता मत करो तुम धीरज रखो उसकी दुकान ज्यादा चलने वाले नहीं है। वह आपको नीचा दिखाने की कोशिश में था। इसलिए उसने ऐसा निर्णय लिया। हम तब तक थोड़े में ही गुजारा करके संतोष कर लेंगे मैं भी कुछ ना कुछ कमा लेती हूं।
रोशन की पत्नी रानी रामू की पत्नी के पास गई बोली यह तुम्हारे पति को क्या सूझी। उसने तो हमारे धंधे पर लात ही मार दी। उसकी यह कमाई ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है। तुम होशियार हो तुम्हें अपने पति को समझाओ। एक दिन पांच औरतें रामू की दुकान पर आकर बोली भाई साहब हम आप पर भरोसा करती थी। आप तो इतना नीचे गिर जाओगे हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। आपने हमारे पतियों को शराब जुए आदि की लत लगा दी। वह काफी देर तक आप की दुकान पर बैठकर शराब पीते हैं। घर से बाल कटवाने का बहाना बनाकर आपकी दुकान पर घंटो घंटो तक ताश जुआ खेला करते हैं। आपको पता है कि इसका बुरा असर हमारे बच्चों पर भी पड़ता है। आपने एक अलग शौक कहां से पाल लिया? रामू ने आग बबूला होकर कहा जाओ। अपने पतिओं के साथ इश्क लडानें का इतना ही शौक है तो तुम अपने अपने पतियों को घर में पकड़कर क्यों नहीं रखती? मैंने उन्हें क्या कोई पकड़ कर रखा है।? वह क्या कोई छोटे बच्चे हैं जिनके साथ में जबरदस्ती कर रहा हूं? रामू ने गुस्से में आकर उन सभी को कह दिया। मोहल्ले की औरतों ने ठान ही ली थी कि हम सब मिलकर रामू को सबक सिखाएंगे।
एक दिन भी सब की सब औरतें इकट्ठे होकर रामू की दुकान पर पहुंच गई जहां उसके पति शराब पीकर ताश खेल कर अपना सारा समय व्यतीत कर रहे थे। वे सभी भी आकर रामू को बोली हम भी शराब पीना चाहती हैं। उन सब में रामू की पत्नी भी शामिल थी। वह भी अपने पति रामू की इस हरकत से परेशान आ गई थी। रामू नें कस कर चांटा अपनी पत्नी माधवी के मार दिया। माधवी से कहा शराब पीने का शौक तुम्हें कंहा से लग गया?। तुम यहां पर क्यों आई हो? माधवी नें भी आव देखा न ताव बोली तुम कौन होते हो मुझे रोकने वाले? आज अगर आपने यह धंधा नहीं छोड़ा तो मैं भी भूल जाऊंगी कि तुम मेरे पति हो। मैं अपने बच्चों को छोड़ कर चली जाऊंगी।। बोला हां हां जाओ।
सारी की सारी औरतें शराब पीने लग गई थी उन्होंने रुपए रामू के सिर पर मारे। उसके पति यह सहन नहीं कर सके। अपनी पत्नी को शराब पीते कैसे देख सकती थी। उस दिन के बाद कुछ लोगों ने तो उसकी दुकान पर आना छोड़ दिया था। कुछ एक लोग ही बचे थे जो उसकी दुकान पर शराब पीनें आते थे वह ऐसे लोग थे जो समझाने पर भी उन पर कोई असर नहीं होता था। वह अपनी पत्नी और बच्चों को भी कुछ नहीं समझते थे।
रोशन की पत्नी रानी एक दिन रामू के घर आई बोली बहन मैं तुम्हें सुझाव देती हूं। एक दिन जब तुम्हारे पति जब दुकान पर सब लोगों को शराब दे तो तुम उनको भी शराब पिला देना। जब वह शराब पिएंगे और कोई उनके पास जो भी बाल कटवाने आएगा तुम उसका फायदा उठाना। एक दिन जब दो युवक रामू की दुकान पर बाल कटवाने आए माधवी ने अपने पति को इतनी पिला दी थी की रामू नें उनकी ऐसी हजामत बनाई कि उन सब के सिर पर एक भी बाल नहीं बचा। उन्हें गंजा कर दिया। लोग चिल्लाते रामू को भला बुरा कहने लगे। उस को भला बुरा कहने के साथ गालियां निकालने लगे। लोगों ने उसकी दुकान पर जाना ही छोड़ दिया। यहां तक कि कि उनके पास कुछ भी नहीं बचा। वह हाथ मलते रह गया। उसकी पत्नी ने अपनें पति को कहा। देख लिया अपनी बेवकूफी का नतीजा। मैं भी तुमको छोड़कर मायके जा रही हूं। रामू बोला मुझे माफ कर दो। मैंने गुस्से में आकर अपने दोस्त को नीचा दिखाने के चक्कर में यह सब किया। उसकी पत्नी माधवी ने कहा कि फिर से चाय का ढाबा खोल लो। जिसका काम उसी को साजे और करे तो ठेंगा बाजे।