परोपकार

रामू आज भी स्कूल देर से पहुंचा था। मैडम ने आते ही उसे बेंच पर खड़ा कर दिया। तुम्हें एक महीना हो गया कहते-कहते जल्दी स्कूल आया करो। हर रोज देर से आते हो। यह देखो तुम्हारी उपस्थिति।   तुम समय पर स्कूल नहीं पहुंचोगे तो तुम्हें स्कूल से निकाल दिया जाएगा रामू बहुत ही मायूस हो गया। मुंह से कुछ भी नहीं बोला। उसकी कक्षा अध्यापिका ने उसे कहा आज तुम सारा दिन बेंच पर खड़ा रहोगे। तुम्हारी यही सजा है। वह सारा दिन बेंच पर खड़ा रहा। जैसे ही छुट्टी हुई वह घर जाना चाहता था लेकिन वह अपनी अध्यापिका को क्या बताएं मां को क्या बताएं।? उसे देरी क्यों होती है? वह किसी के दुख दर्द को देख नहीं सकता था इसलिए वह ऐसा करता है।

 

एक दिन उसकी अध्यापिका ने कक्षा में बताया कि जो किसी इंसान को परेशानी में देखकर उसकी समस्या का हल बिना ढूंढे चला जाए वह इंसान नहीं वह कायर होता है। हमें दूसरे इंसान को हौसला देना चाहिए। अपने लिए तो संसार में सभी जीते हैं। इंसान तो वही कहलाता है जो दूसरों का भला करें। आज से एक  महीने पहले की बात है जब वह घर की ओर आ रहा था रास्ते में एक बुढ़िया बेहोश होकर गिर गई थी। उसे मिली। शायद भूख के कारण उसे चक्कर आ गया था। उसने जल्दी से बुढ़िया दादी को उठाया और उस पानी पिलाया।   दादी मां को जैसे ही होश आया  उसने उन्हें कहा  कहा दादी मां आपका घर कहां है? वह बोला बेटा मैं सामान लेने बाजार आई थी। अचानक गिर गई। वह बोला दादी आपके परिवार में कौन-कौन हैं? वह बोली बेटा मेरा एक बेटा है वह भी तीन दिन से घर नहीं आया है। मैं खाना कहां से बनाती? मेरे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था इसलिए बाजार आई थी।

 

राम की आंखों में आंसू आ गए बोला दादी मां मुझे बताओ आपका घर कहां है।? रामू  दादी मां का हाथ पकड़कर उसे घर ले आया। वहां पर अंदर जाकर देखा छोटा सा घर था। बुढ़िया बोली बेटा भगवान तुम्हारा भला करे। रामू ने उस दिन खाना नहीं खाया था। उसने अपने डिब्बे में से खाना निकाला और बुढ़िया दादी को खाना खिलाया। वह भी इतने दिनों तक दादी को खाना खिलाता आ रहा था। उसका बेटा ना जाने कहां चला गया।? वह बुढ़िया अपने बेटे की आस लगाए बैठी थी कब उसका बेटा आएगा। रामू बोला दादी मां जब तक आपका बेटा नहीं आता तब तक मैं आपको देख जाया करूंगा। वह हर रोज घर में देर से पहुंचा था।  उसकी मां हर रोज नाराज होती थी ना जाने कहां आवारागर्दी करता रहता है। एक दिन तो  उस के स्कूल की अध्यापिका घर पर आकर बोली आपका बेटा ना जाने कहां रहता है।? मैं आपको बता दूं आपका बेटा हर रोज स्कूल देर से पहुंचता है। इस बार अगर आप का बेटा देर से आएगा तो हम उसका नाम स्कूल से काट देंगे। उसकी मां बोली क्या यही दिन देखने के लिए मैंने तुझे पैदा किया था? तू किस मिट्टी का बना है। बता क्यों नहीं स्कूल जाता है।

 

उसके पड़ोस की औरतें बोलने लगी बहन आजकल जमाना खराब है। ज्यादा बच्चे को डांटना भी मत उसे प्यार प्यार से पूछना उसे किसी बुरी आदत का शिकार तो नहीं हो गया। रामू ने अपनी मां के सामने जुबान ही नहीं खोली क्योंकि उसकी मां उसकी बहुत ही पिटाई करती थी। वह अब इतना ढीठ  बन चुका था कि उसके ऊपर मार का भी कोई असर नहीं होता था।

 

राम की मां सोचने लगी कि बेटे को मारने से कोई फायदा नहीं है। यह तहस  में आकर कोई गलत कदम  न उठा ले। उसने कहा मैडम जी आगे से मैं ध्यान रखूंगी। आप इस बार इसे माफ कर दो। एक हफ्ते बाद रामू का देर से आने का सिलसिला इसी प्रकार चलता रहा। रामू के पिता तो हर वक्त टूर पर ही होते थे। वह तो अपने बेटे पर नजर भी नहीं रख सकते थे। उस दिन भी जब रामू देर से पहुंचा मैडम ने उसे कहा कल तो तुम्हारा नाम स्कूल से नाम काट लिया जाएगा। आज तो तुम अपना स्कूल में आखिरी दिन ही समझो। कल अपने माता पिता को स्कूल ले कर आना नहीं तो हम तुम्हें स्कूल में नहीं रखेंगे। तुम्हारी स्कूल से छुट्टी कर देंगे

रामू ने फिर भी कुछ नहीं कहा। उसकी कक्षा में एक मनोविज्ञान की अध्यापिका आई थी। उसकी कक्षा अध्यापिका ने मनोविज्ञान की अध्यापिका को सारी बात बताई कि हमारे स्कूल में एक बच्चा  है जो हर रोज देर से आता है। उसकी मां घर पर वह रोज  स्कूल देर से आता है। उसके घर वालों ने कोई कार्यवाही नहीं की। आज मैं उसका नाम स्कूल से काटने जा रही हूं। अंजलि बोली आज रहने दो मैं उसके बारे में सारा पता करूंगी। वह क्यों ऐसा कह रहा है?

 

मैडम हम अध्यापक लोगों को जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए हो सकता है रास्ते में उसे कोई परेशान कर रहा हो। अंजलि ने और बच्चों से पूछा कि राम कैसा लड़का है।?। सब बच्चों ने कहा वह तो बहुत ही अच्छा लड़का है। लेकिन एक महीने से वह सब से कटा कटा सा रहता है। उसकी मां उसकी बहुत ही पिटाई करती है। अंजलि ने मोनिका मैडम को कहा कि आप इस बच्चे का सर्टिफिकेट अभी नहीं देंगे।। शाम को जैसे ही छुट्टी हुई वह राम के पीछे पीछे वेश बदलकर चलने लगी। वह रास्ते में अकेला चला जा रहा था। वह सड़क तो दूसरी तरफ को जा रही थी। अंजलि सोचने लगी यह तो उसके घर की सड़क नहीं है। यह बच्चा तो कहीं और ही जा रहा है। बच्चों ने उसके घर का रास्ता मैडम को दिन को दिखा दिया था। मैडम सोचने  लगी की सचमुच में ही यह किसी गैन्ग के ग्रुप में शामिल तो नंहीं हो गया होगा। वह छिप कर देखने लगी।

 

वहां पर उसे एक घर दिखाई दिया। रामू मंदिर चला गया? मैडम भी पीछे पीछे आ कर देखने लगी वह कहां जाता है।? क्या करता है? वहां जाकर अंजलि की आंखें भर आई जब उसने एक चारपाई पर एक बुढिया को लेटे हुए देखा रामू ने उसे उठाया अपने बैग में से टिफिन निकाला और उसे खाना खिलाया। पानी पिलाया। रामूबोला दादी मां आज एक महीने से भी ज्यादा हो गया। आपका बेटा अभी तक घर नहीं पहुंचा है। आपका बेटा आपको छोड़ कर कहां जा सकता है।? वह बोली आज ही मेरे बेटे ने मुझे खत लिखा है बेटा मैं अनपढ़ हूं मेरे बेटे ने क्या लिखा है।? मुझे पढ़कर सुना दे। वह बोला दादी मां मुझे पत्र दिखाओ। वह  पढ़ने लगा।मैं आपको छोड़कर जा रहा हूं। अब मैं आपको बहुत दिनों तक अपने साथ नहीं रख सकता। तुम अपना गुजारा खुद करना। मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना। मैं आपको हर रोज खिला नहीं सकता। मैं एक लड़की से शादी कर के घर बसाना चाहता हूं वह कहती है कि पहले तुम अपनी बूढ़ी  मां को छोड़ो। आज मैं आपको छोड़कर सदा सदा के लिए जा रहा हूं। मैं आपको किसी वृद्ध आश्रम में छोड़ दूंगा। बुढ़िया को कम सुनाई देता था। पत्र पढ़कर रामू जोर जोर से रोने लगा। वह बोली बेटा तुम क्यों रो रहे हो? वह  आंसूओं को रोक कर बोला दादी मां मेरे हाथ में मिर्च थी उस से मेरी आंखों में आंसू आ गए। वह जोर से बोला। उसे सूझ ही नहीं रहा था कि वह क्या कहे?

 

वह बोला आपके बेटे ने लिखा है कि वह बहुत जल्दी आकर तुम्हें ले जाएगा। वह बाहर जाकर फूट-फूट कर रोने लगा। उसे रोता देखकर  मैडम अंजलि उसके सामने आई होली बेटा तुम रो क्यों रहे हो? वह बोला मैडम मैं हार गया।। मैं बूढ़ी दादी के काम नहीं आ सका। मैंने उस बूढ़ी दादी को आज दिलासा तो दे दिया कि तुम्हारा बेटा आएगा पर उसके बेटे ने जो पत्र में लिखा है उसे आप स्वयं पढ़ लो।

 

रामू ने अंजलि मैडम को उस बुढ़िया दादी की सारी कहानी सुना दी कैसे उसका बेटा उसको छोड़कर चला गया। दूसरे दिन स्कूल में अंजलि मैडम ने रामू की सारी कहानी सारे अध्यापकों को सुनाई। जिस बच्चे को आप स्कूल से निकालने की बात कर रहे थे वह तो बहुत ही खुद्दार बालक है। वह तो सारे बच्चों के लिए एक आदर्श है। इसके मन में दूसरों के लिए कितनी दया की भावना है। हम उस बच्चे के बारे में ना जाने क्या-क्या राय बनाते हैं। वह बच्चा तो सचमुच ही हीरा  है। ऐसे बच्चे तो कोई विरले ही होते हैं। जिनकी सोच ऐसी होती है।

 

हमने उस बच्चे को ना जाने कितनी सजा दी थी। घर में भी सजा सहता रहा और स्कूल में भी सजा सहता रहा। घर में आकर रामू चक्कर खाकर गिर पड़ा। उसकी मां उसे हॉस्पिटल लेकर गई। आप अपने बच्चे को क्या खाना नहीं देती हो? इसने बहुत दिन से कुछ भी नहीं खाया है।

 

स्कूल में जब रामू नहीं आया तो मैडम को चिंता हुई उसके सभी अध्यापक उसके घर पहुंचे। पड़ोसियों ने बताया कि रामू तो अस्पताल में है। उसकी मां रोए जा रही थी ना जाने मेरे बेटे को क्या हो गया है।? रामू के मम्मी पापा भी आ गए थे। वह बोले बेटा हमें बताओ क्या बात है? वह बेहोशी में भी दादी दादी कर रहा था। उसकी मां बोली यह दादी कौन है?।

उसकी स्कूल की मैडम अंजलि आकर बोली आपका बेटा तो एक नेक दिल इंसान है। आप तो अपने बेटे को कोसती रहती  आपके बेटे ने एक बूढी लाचार और असहाय दादी को एक महीने तक खाना खिलाया। वह भी अपने टिफन में से। उसे वह दादी मां सड़क पर गिरी हुई मिली। उसने उसे बचाया और उसके घर पहुंचाया और वह हर रोज उस दादी मां को देखने उनके घर आता है। सुबह भी और शाम को चुपके से जाकर बूढ़ी दादी को खाना खिलाकर आता था। उसने आपसे ज्यादा खाना इसलिए नहीं मांगा क्योंकि कहीं आप उसे मना कर देती तो वह क्या करता।?

 

अपने टिफिन में से उस बूढ़ी दादी को खाना खिलाता रहा। मैडम अंजलि ने उसकी मां को बताया कि मैंने सोचा कि कहीं आपका बेटा किसी बुरी संगत में तो नहीं पड़ गया इसलिए मैं चलकर देखूं आपका बेटा कहां जाता है।? क्या करता है।? वहां पर जाकर पता चला कि उस बूढ़ी दादी मां का बेटा उसे छोड़कर चला गया था। बुढी दादी के घर में कोई नहीं था। एक दिन जब वह स्कूल से घर आ रहा था तो बूढ़ी दादी उसे मिल गई। वह चक्कर खाकर गिर गई थी। उसने उसे बचा लिया। और उसके बेटे के आने की राह देखने लगा। मगर आज उस बुढ़िया के बेटे के खत इस बच्चे के हौसले को तोड़ दिया। उस बुढ़िया के बेटे ने लिखा था कि मां मैं अब आपको खिला नहीं सकता। आप स्वयं ही अपनी देखभाल करना। मैं एक लड़की के साथ शादी करके घर बसाना चाहता हूं। वह कहती है पहले अपनी बूढ़ी मां को छोड़ दो तभी  वह मुझसे शादी करेगी। मैं कभी वापस नहीं आऊंगा। तुम्हारा बेटा रवि।

 

रवि की मां बोली बेटा हम तुम्हारी दादी को अपने घर रखेंगे। जब तक उसका बेटा वापिस  उसे प्यार से अपने साथ लेकर  जाएगा। बेटा डरो मत। हम इतने बुरे नहीं है। अपनी बात को मन में नहीं रखना चाहिए था

हम आज ही जाकर बूढ़ी दादी को अपने घर ले आते हैं। तब कहीं जाकर रामू को चैन आया।

 

रामू के पिता ने उस बूढ़ी दादी के घर जाकर उसका सारा घर छान मारा। उन्हें एक डायरी में रवि की प्रेमिका रानी का पत्र मिला। उन्हें रानी का पता मिल गया था। वह फरीदाबाद की रहने वाली थी। रामू के पिता फरीदाबाद गये और उससे बोले बेटी मैं तुमसे मिलना चाहता हूं। वह बोली आप मुझसे क्यों मिलना चाहते हैं।? वह बोले देखो मैंने तुम्हारे बारे में सब पता कर लिया है। तुम एक लड़की रवि से प्यार करती हो। वह रवि तो तुम्हें धोखा दे रहा है। तुम उसके साथ घर बसाना चाहती हो। तुम्हें उसके बारे में गलतफहमी है।। वह ना जाने कितनी लड़कियों के साथ प्रेम का चक्कर चलाना चुका है। जो बच्चा अपनी बूढ़ी मां को छोड़ कर तुम्हारे पास आना चाहता है।

 

उसकी मां ने तो उसे जीवन भर अपने साथ,  रखा है तुम तो उसे अभी मिली हो। वह अपनी बूढ़ी मां का नहीं हो सका तो क्या हुआ तुम्हें खुश रख पाएगा।? कदापि नहीं। क्या तुम अपनी बूढ़ी मां को छोड़ कर जा सकती हो।? जरा सोचो अगर एक दिन वह तुम्हें कहे कि तुम मेरे लिए अपनी मां को छोड़ दो तो क्या तुम छोड़ दोगी।? वह बोली अंकल आप मुझे माफ कर दो। मेरे सिर पर से मेरे पिता का साया बचपन से ही उठ गया था। मेरी मां गूंगी है। वह बोल नही सकती। मुझे समझाने वाला भी कोई नहीं है इस कारण मैंने गलत कदम उठा लिया।

 

मैं रवि की प्रेम में पागल हो गई थी लेकिन आज आपके समझाने पर मुझे समझ आ गया है। उस दिन जब शाम को रवि अंजली के पास वापस आया तो जैसे ही वह घर आया बोला मैं अपनी बूढी मां को छोड़कर सदा सदा के लिए तुम्हारे पास आ गया हूं। रानी बोली मैं तो तुम्हारी परीक्षा ले रही थी। जो बच्चा अपने बूढ़े मां बाप का नहीं हो सका वह मेरा क्या होगा? मैं सदा के लिए तुम से नाता तोड़ रही हूं। मुझे माफ करना रवि। उस दिन अपने घर वापस लौट आया। उसको लोगों ने बताया कि एक बच्चा है जो कि सेंट्रल स्कूल हिसार में पढ़ता है। उसका नाम रवि है। उसके घर में तुम्हारी बूढ़ी मां रह रही है। स्कूल से तुम्हें उसके घर का पता मिल जाएगा। रवि दौड़ा दौड़ा सेंट्रल स्कूल में गया। वहां पर उसने रवि के घर का पता मालूम किया  वह ढूंढते ढूंढते उस के घर पहुंच गया। उसकी मां चारपाई पर लेटी हुई थी अपने बेटे को सामने देखकर उसकी आंखें भर आई बोली बेटा तुम मुझे छोड़ कर कहां चले गए थे? मैं ना जाने क्या-क्या सोच रही थी।? चलो बेटा अपने घर चलते हैं। रवि बोला मां मुझे माफ कर दो। मैं भी रास्ता भटक गया था। अब मुझे मंजिल मिल गई है।

 

वह राम के पास आकर बोला ऐसा बेटा सबको दे। एक बेटा मैं हूं जो अपनी मां को बीच मझधार में अकेला छोड़कर चला गया। भगवान तुम्हारी झोली खुशियों से भर दे। बेटा मुझे माफ कर दे।  तुमने मेरी मां को एक महीने से भी ज्यादा दिन तक खाना खिलाया। मैं इसका उपकार कभी भी नहीं भूलूंगा। रामू के माता-पिता ने भी उसे माफ कर दिया।  बाद में रवि भी अच्छा बच्चा बन गया।उसने फिर कभी भी अपनी मां को नहीं छोड़ा। रवि के पिता नें उसे अपने कार्यलय में नौकरी पर लगा दिया। रवि के पिता नें उसे समझा दिया था। उसने  बाद में उसी लडकी के साथ शादी करके अपना घर बसा लिया था। वह तीनों खुशी खुशी रहने लगे थे।

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