पिकनिक का भरपूर आनन्द

रजत और रिन्की अपने पापा से पिकनिक पर जाने की कितने दिनों से फरमाइश कर रहे थे? उनके माता-पिता अपने बच्चों की फरमाइश को आगे से आगे टालते जा रहे थे। दोनों बच्चे अपने माता-पिता से गुस्सा थे उसके मम्मी पापा ने उन दोनों को समझाया बेटा पिकनिक पर जाना कोई मामूली काम नहीं होता। वह भी घर से काफी दूर। नजदीक वाली जगह हो तो हम तुम्हें किसी भी छुट्टी वाले दिन घुमाने लेकर जा सकते हैं लेकिन दूर वाली स्थान पर जाने के लिए तो हमें गाड़ी या बस को पहले ही बुक करवाना पड़ता है इसके लिए पहले हमें योजना बनानी पड़ती है एक दिन रविवार को जब उनका शावर का नल लीक कर रहा था तो, मकान मालिक आकर बोला तुम्हारा नल का पाइप टूटा हुआ है। आज तो आप सारा दिन बाथरूम का इस्तेमाल नहीं करना। पानी नीचे नहीं जाना चाहिए।उन के कि माता-पिता ने सोचा हम अगर घर पर रहेंगे दोनों बच्चे कहीं जानबूझकर पानी ना छोड़ दें।आज तो कहीं घूमनें का प्रोगाम बना ही डालते हैं।

शाम को ही रजत और रिंकी के माता पिता ने उन्हें कह दिया था कि हम 2 दिनों के लिए बाहर पिकनिक पर जा रहे हैं ।तुम दोनों अपना समान पैक कर डालो। वे दोनों बच्चे खुशी से फूला नहीं समा रहे थे। मन ही मन ना जाने कितनी ढेर सारी कल्पनाएं करने लगे। हम दोनों ढेर सारी फोटो लेंगे। रास्ते में आने जाने वाली जगहों को दर्शनीय स्थलों को देखेंगे। उसके माता-पिता ने गाड़ी बुक करवा ली थी। शाम को देर से सोने के कारण दोनों बच्चे सुबह नहीं जगे। सुबह जैसे ही ड्राइवर आया तो उसके मम्मी ने उन दोनों को कहा पिकनिक पर नहीं चलना है क्या? दोनों के दोनों जाने के लिए तैयार हो गये। जल्दी जल्दी उठकर के हाथ मुंह धोकर ही चल दिए। मां ने पूछा बेटा क्या तुम दोनों ने अपना सारा सामान पैक कर लिया है?उन्होनें हां में सर हिलाया। सब के सब गाड़ी में बैठ गए थे।
पापा बोले बेटा हम शहर से 120 किलोमीटर की दूरी पर आ गए हैं। हम यहां के आसपास के शहरों को देखेंगे। रजत बोला आपको कैसे पता चला कि हम कि हम 128 किलोमीटर की दूरी पर आ गएहैं?हम यहां आसपास के जगहों को देखेंगे। उसके पापा रजत की ओर देखते हुए बोले बेटा कि हम कैसे किसी क्षेत्र की दूरी का पता कैसे लगा सकते हैं ?मैं आज कार्यालय से आते वक्त ऐटलस लाया था। इससे दूरी और दिशा की जानकारी तुम्हें जानकारी मिल जाएगी जी पी एस चालू करके हमें सही दिशा और स्थान की जानकारी मिल जाएगी।उन्होंने चालक को कहा कि जी पी एस को चालू कर दो।
रजत और रिंकी रास्ते में बाहर की ओर देखते जा रहे थे।किनारे पर एक पत्थर गढा हुआ था। एक सफेद पत्थर ऊपर से कुछ पीला सा था उसके पापा ने ने बताया कि जब हम सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं उस समय सड़क के किनारे कुछ मील के पत्थर दिखाई देते हैं। इस मील के पत्थरों पर जिस शहर की तरफ जा रहे होते हैं उनकी दूरी लिखी होती है। ।इनके रंग अलग-अलग होते हैं। आधे से ज्यादा में सफेद रंग होता है ।ऊपर का कुछ भाग अलग रंग का होता है। पीले और सफेद रंग के पत्थर दिखाई दे तो समझना चाहिए कि हम राष्ट्रीय राजमार्ग पर चल रहे हैं

रजत बोला पापा यह राष्ट्रीय राजमार्ग क्या होता है ?उसके पापा बोले कि राष्ट्रीय राजमार्ग का मतलब जो मार्ग एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ता है उसे राष्ट्रीय राजमार्ग कहते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 76 हजार818 किलोमीटर है। जहां राजमार्ग हो वहां हरे और सफेद रंग के पत्थर एक राज्य के अंदर की दूरी बताते हैं ।रिंकी बोली कि पापा मील का पत्थर कौन से रंग का होता है? उसके पापा बोले बेटा मील का पत्थर काली और नीली पट्टी वाले पत्थर में किसी बड़े शहर या जिला में जब प्रवेश करते हैं वहां की जानकारी देता है।

कभी-कभी हमें सड़कों के पास केसरिया और सफेद रंग के पत्थर भी दिखाई देते हैं इस रंग के पत्थर का मतलब होता है कि आप किसी ग्रामीण सड़क पर है। यह रंग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क की योजना को बताता है । दोनों बच्चे खुशी खुशी गाड़ी में से बाहर की स्थानों को देखते जा रहे थे और पापा से जानकारी भी पा रहे थे
रजत ने देखा कि उसके पिता फोन पर किसी से बातें कर रहे थे। वह कह रहे थे कि क्या आगे जाने के लिए हमें गाड़ी मिलेगी? रजत अपने पापा को बोला पापा क्या गाड़ी आगे नहीं जाएगी? उसके पापा बोले बेटा जरा अपना मोबाइल तो दे उन के फोन की बैटरी समाप्त हो गई थी।अपनी जेब में फोन को निकालने के लिए हाथ बढ़ाया तो उसे अपना मोबाइल जेब में नहीं मिला। वह बहुत ही उदास होकर बोला पापा मैं अपना मोबाइल तो घर पर ही भूल लाया। उसके पापा बोले बेटा तो क्या हुआ फोन के बिना ही काम चलाओ। पहले जब फोन नहीं होते थे तो लोग आपस में मिलजुल कर एक दूसरे के साथ हंसी मजाक कर काम चलाते थे ।आजकल तो मनुष्य फोन के बिना अपने आप को बहुत ही असहाय समझता है। तुम तो फोन ना लानें पर ऐसे उदास हो गए जैसे कि तुम्हारे ना जाने कितनी कीमती चीज गुम हो गई हो? वह बोला पापा मैंने तो समझा था कि मैं तो पिकनिक का भरपूर आनन्द लूंगा। मगर लगता है पिकनिक का कोई मजा नहीं आने वाला।रास्ते में गाड़ी भी खराब हो गई है ।उबड़ खाबड़ रास्ते से चलनें के कारण वह आगे नहीं चल रही थी। रास्ते में जगह-जगह सड़क कई जगह से टूटी हुई थी ।गड्ढों में पानी भरा हुआ था। ड्राइवर ने कहा कि मैं गाड़ी को ठीक करवा कर आता हूं तब तक यहां के जंगलों की सैर कर आओ।

गाड़ी ठीक होनें पर मैं आप को सूचित कर दूंगा। आज सभी गाड़ियों की हड़ताल है ।आगे कोई भी गाड़ी नहीं चलेगी।रजत तो बहुत ही मायूस हो गया था। रिंकी बोली कि हमारा पिकनिक का सारा मजा किरकिरा हो गया।उन के पापा बोले बेटा यूं मायूस नहीं होना चाहिए । वे वहीं गाड़ी से नीचे उतर आए। गाड़ी जंगल के रास्ते में थी। दूर-दूर तक कोई भी नहीं दिखाई दे रहा था। आने जाने वाले रास्ते में लोग कह रहे थे कि यहां से 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा फिर कहीं जाकर ढाबा मिलेगा ।उन्हें तो बहुत जोरों की भूख भी लग रही थी। वे अब पैदल चलने लगे थे। पैरों में चलते-चलते छाले पड़ गए थे। वे दोनों अपने पापा को बोले कि पापा आपकी गाड़ी क्या आज ही खराब होनी थी ?उसके पापा उसे समझा कर बोले बेटा जब हम छोटे थे तो हम तो 10 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करते थे।3 किलोमीटर की दूरी पर चलने पर उन्हें एक ढाबा दिखाई दिया। वहां पर भी एक ही व्यक्ति बैठा हुआ था। वह बोला अभी अभी थोड़ी दूर पर यहां दुर्घटना हुई है इसलिए आज सारी दुकानें बंद है। बच्चों का भूख के मारे बुरा हाल था उसके पापा बोले मुझे जंगल के पास से होते हुए नजदीक से जाने का रास्ता ही पता है। हम अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाएंगे।इसी रास्ते से चलते हैं। जल्दी ही हम वहां पर पहुंच जाएंगे । थोड़ा विश्राम कर के फिर चल पड़ेगेंं।यहां से भीचिड़ियाघर थोड़ी ही दूरी पर है। वे धीरे-धीरे पैदल चलने लगे रास्ते में उसके पिता ने कहा कि बेटा यहां पर बहुत सारे फलों के पेड़ हैं। यहां से मैं तुम्हें नाशपाती निकाल कर दूंगा। कुछ बेरी के पेड़ भी है ।यहां से फल खाकर अपना पेट भर लेंगे। अचानक उसके पिता ने एक पेड को देखकर उस पर चढ़कर रजत को बोले बेटा ।मैं तुम्हें नाश्पती तोड़ कर देता हूं

रजत बोला पापा क्या मैं भी पेड पर चढ़ सकता हूं ?उसके पापा बोले बेटा पेड पर तुम नहीं चढ सकते। मेरा बचपन तो पेड़ पर चढ़कर ही बीता। तुम्हें ऊपर चढ़ाने में मैं तुम्हारी मदद करूंगा ।उसके पापा ने उसी पेड़ पर चढ़ा दिया पेड़ पर चढ़कर उसे बहुतआनंद आया। वह शाखाओं को हिलानें ही लगा था कि उसके पापा ने उसे कहा बेटा इसकी शाखा कमजोर होती है तुम नीचे भी गिर सकते हो। उन्होंने फल खाकर अपना पेट भरा। वह जंगल के रास्ते से धीरे-धीरे पैदल चलने ।

रींकी को भी भूख लग रही थी। उसके पापा ने जंगल के एक छोर के पास जाकर वहां से दो पत्थर उठाए।उन पत्थरों को उठाते देख रजत नें अपने पापा को कहा पापा ये पत्थर आपने किस लिए उठाए? उसके पापा बोले बेटा तुम दोनों सूखी लकड़ियां लाओ। मैं तुम्हें आग जलाना सिखाता हूं। वे दोनों सूखी सूखी लकड़ियां लेकर आए। वह घर से एक पतीला और थोड़ी सी चाय का सामान लेकर चले थे ।उसके पापा ने दोनों पत्थरों को आपस में रगड़ कर आग जलाई ।दोनों बच्चे आश्चर्य से अपने पापा की ओर देखने लगे। उसके पापा बोले कि बेटा जब पहले पहल इंसान को भोजन का ज्ञान नहीं था तो वह कंदमूल फल खा कर गुजारा करता था। उसे आग जलाना भी नहीं आता था।दो पत्थरों को आपस में रगड़ कर उसने आग जलाना सीखा। पापा बोले कि जैसे मैंने तुम्हें दोनों पत्थरों को रगड़ कर आग जलाई। उन्हें भी इसी तरह से आग जलाने का ज्ञान हुआ। उन्होंने इस का उपयोग जंगली पशुओं को डराने के लिए भी किया। जंगली जानवर आगको देखकर डर कर भाग जाते थे उन्हें तो खेती का भी ज्ञान नहीं था। आदि मानव नदियों के किनारे रहता था ।वहां पर उन्होंने सूखे सूखे बीज गिरे दिखे ।और उन्होंने उसे कचरा समझ कर वहीं पर फेंक दिया। कुछ दिनों बाद ये भी पनप कर पौधे बन गए, तब उन्हें खेती करना आया था ।धीरे-धीरे उससे उन्होंने खेती करना सीखा

रिंकी बोली खेती के लिए औजार कंहा से आए?।वह बोले पत्थरों को घिस घिस कर उन्हें औजार का रुप दे देता था। नदी पार करनें के लिए लकड़ी के मोटे मोटे तने पर बैठ कर नदी के पार जाता था।संदेश भी कबुतर द्वारा भेजा जाता था। उन्होंने वहां पर पत्थरों को आपस में रगड़ कर आग जलाकर चाय बनाई ।बच्चों को बहुत ही मजा आ रहा था अपने पापा को बोले पापा कि हमें थकान का महसूस ही नहीं हो रहा है। हमें आज बहुत ही खुशी हो रही है। बिना मोबाइल के भी हम खुश रह सकते हैं। उसके पापा बोले बेटा चलो आज हम मिलजुल कर अंताक्षरी खेलते हैं ।सब के सब इन्ताक्षरी खेलने लग जाते हैं।वहां पर उन्होंने कैमरे से बहुत सेचित्र लिए। अचानक ही वर्षा होनें लगी।वह वर्षा से बचनें के लिए पेड़ की शाखा के नीचे खड़े हो गए।रजत बोला पापा अचानक वर्षा क्यों आ जाती है?

उसके पापा बोले जिस दिन ज्यादा गर्मी पड़ती है उस दिन वर्षा होती है।दिन भर गर्मी पड़ने के कारण धरती तपनें लगती है।कभी कभी आसमान में बादल नहीं दिखते। लेकिन हल्की सी बारिश हो जाती है।इन्हें बौछारें कहते हैं।
अचानक गाड़ी का परिचालक आ कर बोला गाड़ी का मार्ग खुल गया है।वह गाड़ी में बैठ कर ही इन्ताक्षरी का आनन्द लेनें लगे।सबसे पहले गाड़ी से उतर कर उन्होनें भोजन किया।दोपहर हो चुकी थी।रजत बोला पापा मैंने शायद ज्यादा खाना खा लिया है, इसीलिए नीद आ रही है।रींकी बोली पिकनिक पर आए हो या सोने के लिए।उठो।रजत बोला ज्यादा खाना खानें पर नींद क्यो आनें लगती है?। उसके पिता बोले जब हम ज्यादा खाना खा लेतें है तो हमारे पेट और आंतों को उस खानें को पचानें के लिए ज्यादा काम करना पड़ता है।ऐसे में इन्हें खून की भी जरूरत पड़ती है।इससे हमारे दिमाग की तरफ जानें वाले खून की मात्रा में कमी आ जाती है।हमें तब नींद आनें लगती है। रजत बोला आज तो पिकनिक का बहुत ही मजा आया।हम सारा दिन स्कूल में आधी छुट्टी में सब दोस्त इतना आनन्द नहीं लेते जितना आज हमें आया।बिना मोबाइल के मैं तो कोई भी काम नहीं कर पाता था।आज महसूस हुआ कि सच्ची खुशी तो सब के साथ खेलनें कुदनें एक दूसरे से अच्छी बातें सीखनें में है आज तो हमनें इन सभी का व्यवहारिक जीवन में प्रयोग किया।अच्छी अच्छी जानकारी साझा की।आज से पहले तो हम दोनों बच्चे खाना खाते वक्त भी मोबाइल हाथ में लिए सारा दिन या तो अपनें दोस्तो के साथ बातें करते रहते थे।अब हम मोबाइल का प्रयोग आवश्यक जानकारी प्राप्त करनें के लिए किया करेंगे।हम बिना मोबाइल के ही बहुत कुछ ज्ञान एक दूसरे के साथ नए नए विचारों को साझा कर सकतें हैं।पापा आज कि पिकनिक हम कभी नहीं भूल सकते।पैदल चलनें का तो कुछ खास ही अनुभव हुआ।

गाड़ी चालक ने गाड़ी दूसरी तरफ मोड़ दी। वे राष्ट्रीय राज मार्ग। पर थे। गाड़ी चालक नें चाल तेज कर दी। गाड़ी बड़ी तेजी से चल रही थी। गाड़ी से वे रात को देहली पंहुच गए थे। रात के समय चारों तरफ गाड़ियों की चकाचौंध।पापा ने गाड़ी से राजघाट, शान्तिघाट लोटस टैम्पल बहुत सारे स्थानों की यात्रा की।वे थक भी बहुत गए थे।
बच्चे बोले पापा दिल्ली के चिड़ियाघर देखनें जरूर जाना है।आज रात तो किसी होटल में व्यतीत करतें हैं। सुबह उठते ही वे दिल्ली का चिड़ियाघर देखने चलेगें।

दोनों बच्चों ने दिल्ली का चिड़िया पहली बार देखा चिड़ियाघर में टिकेट ले कर सीढ़ियों से नीचे उतरते ही प्रकृति की अद्भुत छटा के दर्शन हुए। एक और पुराने किले के अंदर से और दूसरी ओर कृत्रिम झील में तैरते बगुले, पक्षी भी जल क्रीडा में मग्न थे । पानी में तैरते पक्षी ऐसे प्रतीत हो रहे थे जैसे कागज की छोटी नाव तैर रही हो। इसके पश्चात पशु पक्षियों के पिंजरे का सिलसिला आरंभ हो गया था। दोनों बच्चों नें पहली बार सफेद मोर देखा। सफेद मोर को देखकर बच्चे खुशी से झूम गए।
चिड़ियाघर में बहुत से विदेशी पक्षी भी शामिल थे। अनेक विदेशी पक्षियों के रंग और बनावट को देखकर पक्षियों के संसार की विविधता व रंग-बिरंगे पन का का ज्ञान हुआ।
चिड़ियाघर में दरियाई घोड़ा, भालू ,जंगली गधा ,उदधबिलाव ,वनमानुष लोमड़ी, हिरण, चीता ,सफेद शेर काली धारियों वाला शेर, मगरमच्छ कंगारू आदि देखने का अवसर मिला।इन सभी जंगली जानवरों के सम्बंध में जानकारी प्राप्त हुई।बच्चों का मनोरंजन भी हुआ और बहुत सारी ज्ञान की बातें भी सीखने को मिली। उन्हें चिड़ियाघर की सैर करना अच्छा लगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published.