प्रार्थना

 तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।

तुम्हारा हर पल करें  हम ध्यान।

भक्तों का तुम करते कल्याण।।

तेरी छवि अति महान।

मनमोहक अति सुन्दर राम।।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।

तू ही अन्दर ,

तू ही भीतर

तू ही सब का प्यारा हितकर।।

तू ही सर्वत्र विद्यमान।

तेरी लीला अति महान।

तेरी लीला अति महान।।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएंआलीशान।

तू ही भक्ति देनें वाला।

तू ही शक्ति देने वाला।

तू ही सब का तारण हार।

तू ही सब का पालनहार।।

तेरी करुणा अति महान।

तेरी करुणा अति महान।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।

भव चक्र से छुड़ाने वाला।

मोह, अंधकार मिटाने वाला।

कष्टों का निवारण हार।

तू दाता तू ही  कर्तार।

तू दाता तू  ही करतार।

  आओ मन में तुम्हें बसाएं।

सुबहोशाम तेरा ध्यान लगाएं।।

बारम्बार तुम्हें शीश नवाएं।

सब के दाता दानी राम।

सब के दाता दानी राम।।

तेरे पूजन को भगवान बना मन को बनाएं आलीशान।

झुलाझूला कर तुम्हें सुलाएं।

 शीतलजल कुंए से  लाएं।

वृक्षों के फल तोड़ कर लाएं।

अपनें हाथों से  तुम्हें खिलाएं।।

तुम्हें हर पल रिझाएं राम।

तेरे पूजन को भगवान मन को बनाएं आलीशान।।

तेरी माया बड़ी निराली।

मंत्र मुग्ध होते नर नारी।।

तुम्हारी ओर खिंचे चले आते।

दिव्य दृष्टि,तेज तुम से ही पाते।

तुम्हारी अनौखी लीला राम।

प्रभु,पिता,परमेश्वर राम।

प्रभु, पिता, परमेश्वर राम।

कल्याण मुर्ति के धाम।।

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