बदलाव

सत्या एक गरीब घर की लड़की थी। उसके पिता ने उसे  आठवीं तक बड़ी मुश्किल से पढ़ाया ।उसके पिता नें उसे किसी खास  अधिकारी को कह कर उसे विद्युत विभाग में नौकरी पर लगा दिया।  सत्या बहुत खुश हुई वह रोज अपना काम इमानदारी से करती। एक दो साल तक तो सत्या सब के साथ बहुत ही प्यार से पेश आती थी। वह तो नौकरी मिलते ही अपने आप पर बहुत ही घमंड करने लगी। उसके पैर जमीन पर पर ही नहीं पडते थे। थोड़ा-बहुत कमाकर पिता को दे  देती थी। अपने लिए हर महीने नया सूट बनवाती थी। उसके पिताजी उस से संतुष्ट नहीं थे ।वह बोले बेटा रुपयों का सदुपयोग ठीक ढंग से करना चाहिए। ।रुपया आज है तो कल नहीं कल किसने देखा है। हमें ज्यादा मिलने पर भी घमंड नहीं करना चाहिए। हमें  हर परिस्थिति में   भी संतुष्ट रहना चाहिए। वह अपने पिता की बात नहीं मानती थी ।उसके पिता ने उसकी शादी एक नजदीकी  दोस्त के लड़के से कर दी। उसकी अपने पति के साथ भी नहीं बन पाई। उसको छोड़ कर अपने दो बच्चों के साथ अलग रहने लगी थी ।पति से तलाक होने के बाद उसके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया। वह अपने ऑफिस में अपने आप को किसी बड़े कर्मचारी से कम नही समझती थी। उसका काम केवल कार्यकर्ताओं को पानी पिलाना और चाय पिलाना था। पानी पिलाना तो एक और जब उस सेे कोई पानी मांगता तो उसको पानी तभी देती थी जब वह प्यास के मारे बेहाल हो जाता था। ।ऑफिस में थोड़े से कार्य कर्ता थे जिन्हें वह पानी के लिए पूछती थी। सभी कार्यकर्ता कर्मचारी वर्ग उस से खफा रहते थे ।कभी कभी तो कह देते थे कि सत्या पानी तो पिला दिया कर तब वह कहती आप ने मांगा ही नहीं। किसी को अभिवादन करना तो दूर की बात वह चाहती कि कोई उसे ही नमस्ते करें। ।ऑफिस के कार्यकर्ता उस से तंग आ चुके थे ।उन्होंने उसकी शिकायत करने की सोची।

 

एक दिन तो वह अपने ऑफिस में भी  सफाई कर्मचारी से तू तू  मैं मैं करनें लगी वह सफाई कर्मचारी बीमार थी । वह बिमार होनें के बावजूद   भी ऑफिस में काम करने आती थी। एक दिन उस ने शौचालय  मे बहुत ही कम पानी डाला था। उसपर बरस पड़ी अपना काम भी ठीक ढंग से करना नहीं आता। सफाई कर्मचारी निशा बोली मैं बीमार हूं। मैं फिर भी काम पर आई हूं। कल से ऐसा नहीं होगा मुझे क्षमा कर दो। वह सफाई कर्मचारी निशा उसके घर पर भी शौचालय साफ करने आती थी। उस दिन निशा सत्या के घर सफाई करने नहीं आ सकी। दूसरे दिन  वह निशा पर बुरी तरह से बरस पड़ी।    अपने बेटे डब्बू की पैंट लेने  जैसे ही शौचालय में गई ।शौचालय में  उसनें नलका  भी खुला रखा था।  निशा कहीं और सफाई करने जा रही थी तो सत्या की अंगूठी शौचालय के पौट में गिर गई  उस पर जोर से  चिल्लाई। निशा तुम्हारी वजह से मेरी  अंगूठी पौट में गिर गई है। निकाल दे। वह कहीं और सफाई करने जा रही थी। वह बोली अभी आ कर ढूंढती हूं। जब निशा चली गई तो सत्या ने पड़ोस की औरतों को कहा कि निशा मेरी अंगूठी चोरी करके ले गई है ।

निशा जब सब जगह से काम करके लॉट आई तो उसने सोचा चलो पहले सत्या बहन जी के घर चलती हूं ।उस की अंगूठी को निकालती हूं। निशा सत्या के घर के समीप ही खड़ी थी तभी   तीन चार औरतें आ कर बोली ।तुम कहां जा रही हो? वह बोली सत्या दीदी की अंगूठी  शौचालय के पोट में गिर गई है ।उसे निकालने जा रही हूं ।पड़ोस की औंरतें बोली आजकल धर्म का तो जमाना ही नहीं रहा। सत्या तो कह रही थी कि निशा ने मेरी अंगूठी चुराई है। वह मेरी अंगूठी  चोरी कर के ले गई।निशा बहुत ही गंभीर हो गई। उसकी आंखों से आंसू निकल ही वाले थे परंतु उसने सोचा कि इन बड़े लोगों को हम जैसे गरीबों पर ही लांछन लगाना होता है । मैं उसके घर सफाई नहीं करूंगी । वह दो तीन दिन तक उसके यहां काम पर नहीं आई। सब के घरों में वह सफाई करती पर उसने सत्या के घर में काम ना करने का निश्चय कर लिया। वह जब तक मुझसे माफी नहीं मांगेगी। वह कभी भी उसका काम नहीं करेगी।

वह बड़ी होगी वह अपने लिए मेरा क्या कर लेगी। इतना  बड़ा इल्जाम लगा दिया। दो-तीन दिन तक वह उसके घर काम पर नहीं आई। निशा ने पानी वाले अधिकारी को भी कह दिया कि सत्या के यहां पानी की सप्लाई  पांच दिनों तक मत देना।    आप  अगर मेरे भाई हैं ।इसने मुझ पर इतना बड़ा इल्जाम लगाया है। पानी की सप्लाई में काम करने वाले रहीम ने निशा को बहन बनाया हुआ था। उसने कहा बहन निराश ना हो वह तो बहुत ही घमंडी औरत है। वहे सबसे तू तू मैं करके बात करती है। ऑफिस में भी इसकी किसी कार्यकर्ता के साथ नहीं बनती। सब इसकी शिकायत प्रभारी महोदय के पास करना चाहते हैं ।

निशा  बोली की बिजली विभाग की मैं सबसे बड़ी मैनेजर अधिकारी को मैं जानती हूं ।इसकी शिकायत मैँ ही उनके पास करुंगी । एक दिन निशा ने सत्या कि शिकायत विद्युत विभाग अधिकारी से कर दी। उसने अधिकारी को बताया कि मैडम जी सत्या मुझे कहती है कि तुम अपना काम ठीक ढंग से नहीं करती।  

 

मैडम ऑफिस में कोई भी कर्मचारी ऐसा नहीं है जिसे कि वह पानी के लिए पूछती हो। जब तक कि वह अपने आप पानी ने मांगे। निशा सत्याके यहां काम करने नहीं आई तो वह खुद ही शौचालय साफ करती। उसने प्लास्टिक के दस्ताने पहनकर अपनी अंगूठी निकाली।   

 

सात दिन तक पानी भी नहीं आया ।छोटे-छोटे बच्चों के साथ वह कहीं और भी नहीं जा सकती थी। अपने पति के साथ भी उसने किनारा कर लिया था। पिता के घर भी जाना नहीं चाहती थी। उसके घर के शौचालय में इतनी दुर्गन्ध आ  चुकी थी कि वह अपनी शिकायत लेकर बड़े  औफिसरके पास गई।अधिकारी महोदय ने कहा कि तुम्हारे मोहल्ले के निवासियों से पूछते हैं ।सब से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां तो सफाई कार्यकर्ता हर रोज आती है वह तो बहुत ही अच्छी है वह एक सप्ताह तक छुट्टी लेकर घर पर ही रुक गई। वह बहुत पछता रही थी। सात दिन बाद जब अपने ऑफिस गई तो कुछ उदास थी।  उसका  व्यवहार वैसा का वैसा  था।

 

प्रभारी मैनेजर ने उसे अपने ऑफिस में बुलाया और कहा कि तुम्हारी शिकायत आई है तुम अपना काम ठीक ढंग से नहीं करती हो हम  तुम्हे इसके लिए एक महीने का समय देते हैं सुधर जाओ वर्ना हमें कोई और कदम उठाना पड़ेगा ।जो काम किसी को भी सौंपा जाता है उसे पूरी निष्ठा से करना चाहिए। हमें तुम्हारी सारी क्रियाकलापों के बारे में मालूमात है। आशा है आज से तुम अपना काम अच्छे ढंग से करोगी। जितने भी कार्य कर्ता  आफिस में है तुम उन सभी का सम्मान करोगी।

सत्या बहुत ही शर्मिंदा हुई बोली। मुझे माफ कर दो ।आगे से ऐसी गलती नहीं होगी ।शाम को सबसे पहले वह निशा को खोज   रही थी सामने से निशा आती  दिखाई दी । निशा को बोली बहन मुझे माफ कर दो आगे से ऐसा नहीं होगा तू गुस्सा थूक दे । मुझे समझ आ चुका है।

सत्या केे व्यवहार में परिवर्तन आ चुका था। वह सचमुच  में  ही बदल गई थी। ऑफिस में भी वह सभी के साथ प्यार से पेश आती थी। उसने अपने पति से भी अपने बर्ताव के लिए माफी मांग कर  कहा कि मुझे माफ कर दो। अब से मैं आपकी हर बात मांनुंगी। आप मेरे पास मेरे बच्चों के पास लौट करआ जाएं। उसके पति ने उसे माफ कर दिया।

 

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