बाग का भूत

एक छोटा सा गांव था। उस गांव की आबादी 1000के करीब थी। उस गांव में पांच दोस्तों की मण्डली थी।चारु, बिटू,पप्पू, मीकू, चिन्टू

 वे सब आपस में सब मिलजुल कर एक साथ जहां जाते इकट्ठा जाते।

उन में से  किसान का बेटा था चारु और गांव के जमीदार का बेटा था मीकू। बाकि दोस्त भी  मध्यम परिवार से सम्बन्ध रखते थे। वे सभी एक दूसरे के सुख दुःख में शरीक रहते थे। सभी दोस्त जब स्कूल जाते इकट्ठे सब मिल जुल  कर मौज मस्ती करते जाते।उन को नदी पार कर स्कूल जाना पडता था। गर्मियों के दिनों में तो उनकी हालत ही खराब हो  जाती थी। वह छुट्टी वाले दिन भी आम के बाग में आम तोडने जाते। बाग में माली जब सोया रहता था शाम के चार बजे जब थक हार कर सोया रहता तो चोरी छिपे उसके आम चुराते। वह माली के ऊपर टोकरी डाल देते। वह माली बेचारा लंगड़ा लंगड़ा कर चलता था। माली के ऊपर टोकरी डाल कर कहते कि माली को  लगी ठन्ड माली टोकरे में बन्द। माली को जब उन का शोर सुनाई देता तो वह  उठ कर कहता ठहरो बदमाशों अभी तुम्हे ठीक करता हूं। वह उन के पीछे छड़ी ले कर दौड़ता। बच्चे कब हाथ आने वाले थे। वे और भी तेज भागते। वह थक हार कर चुप बैठ जाता। वह उन की शैतानीयों से तंग आ चुका था। वह हर दम उन को सबक सिखाने की योजना बनाता रहता था।

एक दिन माली नें सोचा कि ऐसा मैं क्या करूं जिससे ये बच्चे चोरी न कर सके। एक दिन जब सभी बच्चे बाग से आम चुरानें आए तो सब बच्चों नें किसान के बेटे चारु को सबसे आगे कर दिया। तुम पेड़ पर चढ़ोगे। जमीदार का बेटा मीकू  माली के आसपास चक्कर लगाएगा। माली जैसे ही उठनें की कोशिश करेगा वह कूकडूं का स्वर निकाल कर सभी को सचेत कर देगा। माली तो तैयार था। जैसे ही टोकरी हिली जमीदार के बेटे नें कूकडूं का स्वर निकाला। सभी बच्चे एक स्वर में चिल्लाए माली को लगी ठन्ड माली टोकरी में बन्द। माली को तो पता ही था कि बच्चे चार बजे के समय चोरी करनें आते हैं। उसने उस दिन अपनी जगह अपने भाई के बेटे को सुला  दिया था। वह चादर ढांप कर सोता था।बच्चों ने सोचा माली चाचा सो रहा है उन्होंने उस पर टोकरी ढक दी थी। माली तो वहीं बाग के एक कोनें में जानवरों को डरानें के लिए एक डरावनी शक्ल के मुखौटे के पीछे छिप गया था। उन्हें तो यही पता था कि यह मुखौटा

जानवरों को डरानें के लिए लगाया  है। वह उस मुखौटे को  हाथ से छूते थे। उन्हें कुछ नहीं होता था।

माली उसमुखौटे की आड में   छिप गया। माली उस मुखौटे की ओट में से बोला तुम हर रोज मेरे बगीचे को तहशनहश कर देते हो। मैं  हर रोज  चोरी छिपे   तुम्हारा चोरी  से छिप कर आमों के बगीचे में धमा चौकड़ी मचा कर आमों को अपनें बैग में भर कर ले जाना और कुछ खाए हुए आमों को चूपचूप कर बगीचे में चारों तरफ फैंक देना । मेरा माली बेचारा लंगड़ा है। वह तुम्हे पकड़ नही सकता। तुम उस बेचारे को एक तो टोकरी से ढक देते हो। और उस का मजाक उड़ाते हो। वह जब कह रहा था तो सब बच्चे भाग खड़े हुए। बचा तो केवल किसान का बेटा। सारे के सारे बच्चे उसे अकेला छोड़ कर भाग गए। वह जैसे ही जानें लगा माली नें डरावनी शक्ल उस बच्चे को दिखाई। वह बोला मैं बाग का भूत हूं। तुम मेरे बगीचे  से हर  कभी आम चोरी कर के ले जाते हो। चोरी करना बुरी बात है। लेकिन चोरी की भी एक सीमा होती है। चोरी करनें के पश्चात बगीचे के चारों ओर अधकच्चे आमों को नोच नोच कर यूं ही फैंक देना कहां कि इन्सानियत है। तुम स्कूल में घर में कूड़ा कर्कट इधर ऊपर फैंक देतें होंगे। आप के माता पिता क्या तुम्हारी इन्हीं हरकतों से परेशान नहीं होगें। आखिर कार तुम तो काबु में आए। उस मुखौटे नें चारू का पैर पकड़ लिया।उस का कोई भी दोस्त उसे बचानें नहीं आया। उस मुखौटे नें जब काली काली आंखे चमका कर उस को डराया और कहा यह बगीचा मेरे बेटे का है। मैं उस के पिता की आत्मा हूं। चारु नें जब लाल लाल चमकती हुई आंखें देखी तब उस के डर के मारे होश ही गुम हो गए। वह डर कर बोला भूत जी भूत जी मैं आप के बगीचे के आम कभी नहीं चुराऊंगा। मुझे माफ कर दो। कान पकड़ता हूं। भूत बोला चलो इस बगीचे को सारा साफ करो नहीं तो पीटने केलिए  तैयार हो जाओ। उस नें झाड़ू ऊठाई और लगानें के लिए तैयार हुआ ही था बोला आप मेरे सामनें मत आओ। आप यहां से चले जाओ। भूत ने कहा ठीक   है मैं चला जाऊंगा।जल्दी करो। अपने दोस्तों को भी कह देना किसी नें भी माली के साथ हेराफेरी की या उसे तंग किया अगली बार उस को कडे से कडा दण्ड दिया जाएगा।

चारू वंहा से जल्दी जल्दी भागने लगा। उसे अपनें दोस्तों पर बडा ही गुस्सा आ रहा था। आम खाने हों तो चिकनीचुपडी बातें कर के मुझे पेड़ पर चढा देते हैं। जब मैं पकड़ा गया तो कोई भी दोस्त मेरे बचाव के लिए आगे नहीं आया। आगे से मैं कभी भी इस बाग में चोरी करनें नहीं आऊंगा। इस बार तो बालबाल बच गया वर्ना आज तो मुझे इस भूत नें मार ही डाला होता। वह वहां से फुर्ती से भागा। रास्ते में उसके दोस्त मिले। उसने किसी से भी बात नहीं की। स्कूल को भी वह अलग से जानें लगा। उसनें घर में भी किसी को कुछ नहीं बताया। उस दिन के बाद वह चुपचाप रहने लगा। जमीदार का बेटा एक दिन उस के पास आ कर बोला यार मुझे माफ कर दे। हम सब तेरे गुनहगार हैं। मुझे सब शक्ति शाली कहतें हैं मगर उस मुसीबत की घड़ी में मैनें  भी तुम्हारा साथ देनें के बजाए तुम्हें अकेला छोड़ दिया। यार मेरे जब तक तू मुझे माफ नहीं करेगा तब तक मैं तुझे नहीं छोड़ूंगा। आ गले लगता जा यार। आगे से कभी ऐसा नहीं होगा। बाकि दोस्तों का तो मुझे पता नहीं हम दोनों एक साथ मिलजुल कर सभी काम करेंगें। चाहे कितनी भी भारी विपदा आ जाएगी हम दोनों मिल कर सुलझाएंगे। उस दिन क्या माली नें तेरी खूब पिटाई की? वह बोला यार ऐसा कुछ नहीं हुआ। उस दिन माली की जगह मेरा सामना बाग में रहनेवाले भूत से हुआ। उसनें मुझे चेतावनी दी है और कहा है कि अगर तुमनें इस बगीचे के आमों की चोरी कि या बगीचे को तहस-नहस किया जो तुम्हारी हालत होगी वह बाद में ही तुम सब को पता चलेगा। तुम क्या स्कूल में चोरी करना सीखते हो? उस बुढे माली को  टोकरी  में बन्द कर के आम खाना चाहते हो। वह बेचारा तुम्हारे पीछे कहां तक दौड़ लगाता फिरेगा। तुम प्यार से उस से आम मांगते तो वह कभी भी तुम्हे मना नहीं करता। कभी तुम नें प्यार से उस के साथ दो मधुर बोल बोलें हैं। मैंने उस भूत से क्षमा याचना  कि और  उसका बगीचा साफ किया तब कहीं जा कर छूटा। जमीदार का बेटा बोला अरे यार भूत वक्त कुछ नहीं होता है। हमारा वहम होता है

हम जब बहुत ही डर जातें हैं तब हमें यह सब कुछ दिखाई देनें लग जाता है। वे दोनों इकट्ठे स्कूल जाते। उस ने मीकू को फिर से अपना दोस्त बना लिया था।

किसान के बेटे चारु नें कहा कि एक बार फिर उस बगीचे में आम लेनें चलते हैं। इन  तीनों दोस्तों को मजा चखाना है।मैं उन्हें बाग के भूत के बारे में कुछ नहीं बताऊंगा। इस बार उन्हें ही आम निकालनें भेजना। जमीदार का बेटा बोला मैं देखना चाहता हूं यह भूत है या कोई आदमी जो भूत बन कर हमें डरा रहा है। वह जब अपनें दोस्त चारू को कह रहा था तो एक बुढिया उन के पीछे पीछे चल रही थी। वह बुढ़िया उन की बातों को ध्यान से सुन रही थी। जमीदार के बेटे मीकू ने पपू, चिन्टू, बिटू को कहा कि इतनें दिन हो गए हैं आम नहीं खाए हैं बगीचे में चलते हैं आम तोड़ कर लाएंगे। रविवार के दिन सभी दोस्तों नें योजना बनाई। सभी दोस्तों नें चारु को कहा कि उस दिन डर के मारे हमें नहीं सुझा इस लिए हम तुम्हें छोड़ कर भाग आए। भाई  मौफ कर दे। चारु कुछ नहीं बोला। रविवार के दिन वह सभी दोस्त शाम के समय आम के बगीचे के पास पहुंचे। माली चादर ढांप कर सो रहा था। चारु बोला मैं पेड़ पर नहीं चढूंगा। एक बात तुम सब कान खोल कर सुन लो चुपके से आम चुराना। चलो माली चाचा को जगा कर उन से ही आम खानें को मांग लेते हैं। बेचारे बुढे हैं उन का काम भी हम कर देंगे। वह  बदलें में हमें आम दे देंगें तो ठीक है मैं तो पेड़ पर नहीं चढने वाला तुम चाहो तो चढ सकते हो। जिसे मेरी बात मंजूर है वह मेरे साथ आ जाए।

तीनों दोस्त अलग हो गए। वे बोले नहीं हम तुम्हारे साथ नहीं आएंगे। हम यहां कोई सफाई नहीं करेंगें। मीकू बोला मैं तुम्हारे साथ आता हूं। वह दोनों दोस्त एक साथ हो लिए। तीनों दोस्तों ने उसकी बात नहीं मानी। वह बोले अगर तुम पेड़ पर नहीं चढ़ते तो क्या हमें खाने को आम नहीं मिलेंगे। चारु कहनें ही वाला था कि मैं तुम्हे सतर्क कर रहा हूं। इतनें में उन्हें कुछ आहट सुनाई दी। चारू की बात अधूरी ही रह गई। तीनों नें आव देखा न ताव जल्दी से पेड़ पर चढनें लगे।दो तो पेड़ पर चढ़कर इधर उधर देखने लगे। पपू नीचे ही रह गया। मीकू नें जब जोर से कहा माली को लगी ठन्ड माली टोकरें में बन्द। वह देखना चाहता था कि सचमुचमें ही बाग का भूत है या नहीं। उसने मुखौटे को हिलते देखा। उस मुखौटे की लाल आंखें उन बच्चों को घूर रही थी। मीकू नें कस कर चारु का हाथ पकडा और जोर जोर से चिल्लाया भूत भूत।और भागते भागते बोला जल्दी से यहां से भागो वर्ना मारे जाओगे। दोस्तों नें सुना तो उनकी सिटि – पिटी गुम हो गई। चिन्टू और बिटू तो पेड़ पर चढ़कर गए थे। पपू डर कर बेहोश हो कर गिर पड़ा। दोनों दोस्त डर के मारे थरथरा कांप रहे थे। मुखौटे की तरफ से आवाज आई तुम बच्चों को शायद मेरी बात समझ में नहीं आई।मैं इस बाग का भूत हूं तुम नें आज फिर बगीचे को तहस-नहस कर दिया । आज   तो तुम नहीं बच सकते। तुम्हे कितना समझाया था कि चोरी नहीं करनी चाहिए। तुम नें अगर माली से प्यार से  आम मांगे होते तो वह तुम्हे कभी भी मना नहीं करता। तुम नें तो उस लंगड़े का भी ध्यान नहीं किया। तुम्हारे दोस्त को तो मैनें सब कुछ बताया था। ऎसे तो तुम सारे बड़े पक्के दोस्त बनाए हो। तुम सब में एकता ही नहीं तुम मेरा क्या बिगाडोगे। चिन्टू और बन्टू को उस भूत की अंधेरों में चमकती हुई आंखें दिखाई दे रही थी। थोड़ी दूरी पर हट के मीकू और चारु अपनी सांसे रोक कर खड़े थे। अचानक चारु को अपनी गल्ती का एहसास हुआ। उन दोस्तों नें मुझे मुसीबत के समय अकेला छोड़ा था। लेकिन मैं फिर से वही गल्ती दोहराने लगा था। हम इसी प्रकार एक दूसरे पर किचड उछालते रहे छोटी छोटी गल्तीयों को अपनें दिल में बिठाते रहे और एक दूसरे से  बदला लेनें पर उतार हुए तो उनमें और मुझ में क्या फर्क रह जाएगा।  उस भूत के डर से अपनें दोस्तों के साथ बदला लेनें के बजाए हम मिल कर उनके के बचाव का  कोई न कोई रास्ता तलाश करतें हैं। यहां वह भूत हमें नहीं देख पाएगा। उस भूत नें हमे मार्ग सुझा दिया है।हम सब  मिल कर एक हो जाएं तो यह भूत हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उस बाग के भूत नें कहा ये देखो मैनें तुम्हारे दोस्त को उल्टा लटका दिया है। अंधेरे में उन्हें ऊपर की ओर लटका हुआ कुछ दिखाई दे रहा था। अचानक चारु दौड़ कर आया बोला भूत राजा भूत राजा। मेरे दोस्त भोले हैं। उस दिन के बाद मुझे मेरे दोस्त मिले ही नहीं मैं उन्हें समझाऊंगा तो वह कभी भी मेरी बात नहीं टालेंगें। चारु पेड़ की तरफ इशारा कर बोला तुम कैसे दोस्त हो? सबसे पहले भूत जी को नमस्कार करो। मेरा कहना मानोगे तो बच जाओगे वर्ना सजा भुगतो। दोनों दोस्त बोले हां हां हम तुम्हारा कहना अवश्य मानेंगें।

भूत राजा जब तक मैं आप को विश्वास न दिलाया दूं  कि हम आप के बगीचे को नुकसान पंहुचाने नहीं आए हम तो माली चाचा की सहायता करनें आए थे। हम उन्हें अपना दोस्त बनाने आए थे। चारू बोला आप कृपया कर के हमारे दोस्त को छोड़ दो। हम यहां से भाग कर नहीं जाएंगे। भूत बोला एक शर्त पर छोड़ूंगा तुम  साबित करो जो कह रहे हो ठीक कह रहे हो। चारु बोला अगर आप सजा देना ही चाहते हो तो मैं सजा भुगतनें को तैयार हूं। मैं  मरनें से नहीं डरता। मेरे दोस्तों को छोड़ दो मुझे मार डालो। मेरी मौत से अगर मेरे सभी दोस्त बच जाएंगे तो  मैं मरने से नहीं डरता। आप की सीख नें मेरे अन्दर धैर्य बढाया। भूत जी मेरा विश्वास करो मेरे दोस्त वैसा ही करेंगें जैसा मैं उन्हें कहूँ गा। भूत बोला तुम तो पहले डरपोक थे। अचानक बहादुर कैसे बन गए। बोला आप नें हमें सीख दी कि हम सब  को मिल कर रहना चाहिए।

हम छोटी छोटी बातों पर आपस में लड़ाई झगड़ा करते थे। एक दूसरे की टांग खैंचनें में हमें बडा  ही मजा आता था। स्कूल में भी एक दूसरे को मार पड़ वाले  थे। अध्यापक के सजा देनें पर एक दूसरे की खिल्ली उड़ाना आदि हमारी आदतें थी। आज कहीं आप की सीख नें मेरी आंखें खोल दी है।

हम बच्चे अपनें से बडों की बातों को नजरअंदाज करते हैं। बडों की बात को काटते हैं। हमारे माता पिता या बड़े बुजुर्ग जो काम हमें कहतें हैं हम उस से उल्टा करते हैं। वह हमें कहतें हैं कि  यह काम मत करो। जिस काम को हमें करनें के लिए मना किया जाता है उसी काम को हम करतें हैं। आज मुझे तो अपनी भूल के लिए पछतावा है। मैं अपनें दोस्तों को भी समझाऊंगा। वह बोला भूत जी भूत जी मैं आप के पास आ रहा हूं। मुझे मार दो। सभी दोस्तों नें पेड़ से छलांग लगा दी और कहा भूत जी भूत जी हमारे दोस्त को मत खाना। हम ही उसके कई बात नहीं मान रहे थे। हमें अपने दोस्त की सारी बाते मंजूर है। आप हमारे दोस्त को छोड़ दो। सब दोस्तों नें आंखें बन्द कर ली थी और एक दूसरे का हाथ थाम कर यह कह रहे थे। चारु को आज विश्वास हो गया था कि भूत हम सब को छोड़ देगा। भूत बोला मीकू आगे मत आओ। पहले मैं तुम्हारे दोस्त पपू को ठीक करता हूं। वह मुझे देख कर बेहोश हो गया था। भूत बोला  तब तक मैं यहां से कंही और जाता हूं। तुम माली चाचा से अपनें किए की माफी मांगो। उन दोस्तो को हवा में कुछ हिलता नजर आया। अंधेरा हो चुका था। सब के सब दोस्त घर जानें के लिए बेताब थे।

उन्हें दूर से माली काका आता दिखाई दिया। वह बोला आज फिर तुम सब मेरा बगीचा  तहशनहस करनें आए हो। मीकू बोला माली चाचा नमस्ते। वह सब बच्चों को हैरान हो कर देखें लगा। चारू आगे आ कर बोला लाओ आप थक गए होंगें आप आराम करो। पपू बोला चाचा आओ मैं आप के पैर दबा देता हूं। चिन्टू बोला चाचा हम अपनी गलती के लिए आप से क्षमा मांगतें हैं। हमनें आप को बहुत सताया। चारु बोला यह छडी लो आप हमारी पिटाई कर सकते हो। हमनें आप को कितना सताया लेकिन अब हमें अक्ल आ गई है। आप की भावनांओं को हमनें समझा ही नहीं। हम तो आप को हमेशा  टोकरी में बन्द कर के आप के बगीचे को नष्ट कर देते थे। कच्चे आम भी तोड़ तोड़ कर इधर उधर फैंक देते थे।

वह बोला बच्चों तुम मुझसे से प्यार से एक बार मांग कर तो देखते मैं तुम्हें कभी भी आम खाने के लिए मना नहीं करता। माली चाचा बोला तुम नें जब आम खाने हों तो मुझ से कहना। बच्चों को इस जबाब की कभी भी आशा नहीं थी। माली काका की बातें सुन कर वे बडे खुश हुए। माली का सारा बगिया उन्होनें ठीक कर दिया। माली काका ने कहा मैं कल तुम सब को अपनें घर पर  खाने के लिए बुलाता हूं। बच्चे बोले आप तो अकेले रहते होंगें। वह बोला मेरी मूंह बोली बहन मेरे लिए खाना बना देती है। घर आ कर सारे के सारे बच्चे खुश थे। आज उन को पता चलता चुका था कि मिलजुल कर सभी काम आसानी से हो सकतें हैं। तीनों दोस्तों नें भी सोचा कि अगर चारु आज उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आता तो वह भूत तो हम को मार ही डालता। उन सभी दोस्तों नें चारू से क्षमा मांग कर कहा हमें अब सब कुछ समझ में आ चुका है। हम सब तुम्हे मुसीबत की घड़ी में अकेला छोड़ कर घर चले आए। करनें को तो तुम भी ऐसा कर सकते थे। तुम भी हम से बदला ले सकते थे। तुम ने तो हम सभी को बचाया ही नहीं हमें भी सुधार दिया है। आज से हम कसम खातें हैं कि हम आपस में कभी भी एक दूसरे को नीचा नहीं दिखाएंगे और मुसीबत पडनें पर एक दूसरे की ताकत बन जाएंगे। रात बहुत हो चुकी थी। उन सब के परिवार के लोग उन के घर न पहुंचने पर परेशान हो रहे थे।घर में देर से आनें के लिए सभी बच्चों नें अपनें माता पिता से क्षमा मांगी। पपू के बूढे दादा जी बोले बेटा जरा मुझे पानी तो पिलाना। पपू की मां बोली अभी लाई। पपू नें अपनें मां का हाथ थामा बोला मां आप आराम करो। पानी में पिला दूंगा। सभी बच्चों में इतना परिवर्तन आ चुका था। सब बच्चों के घर वाले हैरान थे। खुश भी थे कि हमारे बच्चे समझदार हो गए हैं।

दूसरे दिन बच्चे माली काका के घर पर पहुंच चुके थे। घर पहुंचते ही सभी बच्चों नें बुरी दादी के पैर छू कर आशिर्वाद लिया। भर पेट खीर खाई। बूढी काकी बोली तुम सब को आज मैं एक बात  तो बताना भूल ही गई। तुम सारे के सारे बच्चे जब आम चुरानें आते थे और अपनें माली काका को परेशान करते थे तो मुझे तुम पर बहुत गुस्सा आता था कि तुम मेरे भाई माली को बहुत ही दौड़ाते हो। बेचारा एक टांग से लंगड़ा कर चलता है। मुझेबहुत ही गुस्सा आया। एक दिन मैंनें माली को समझाया और तुम सब बच्चों को बाग का भूत बन कर डराया। तुम पर डांट का तो कोई असर नहीं होता था। मैंनें ही एक दिन रास्ते से आते आते तुम्हारी बाते सुनी और योजना को अन्जाम दिया। मैं ही हर बार तुम्हे डराती रही। मेरी योजना सफल हुई। भूत वूत कुछ नहीं होता है। तुम डरना मत। सभी बच्चों के मन से भूत का खौफ समाप्त हो गया था। सभी बच्चे बोले काकी अमा आप की सीख का हम जीवन भर अनुसरण करेंगें। हम कभी भी गल्ती काम नहीं करेंगे। सभी बच्चे खुशी खुशी अपनें घर वापिस आए।

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