भीखू सुबह-सुबह नदी के तट पर पहुंचना चाहता था। वह सुबह सुबह नाविकों को नाव पर से दूसरे छोर तक ले जाता था। इतना मेहनती नाविक था लोग उसकी नाव पर बैठना पसंद करते थे। भीखू को काम करते 20 साल हो चुके थे। वह सुबह सुबह नाविकों
को ले जाता और शाम होने तक चार चक्कर पूरे कर लेता था। नदी के तट पर उसका एक दोस्त था मगर मच्छ। सब लोग उस मगर मच्छर से डरते थे। वह मगरमच्छ अपनें दोस्त को कुछ नहीं कहता था। वह उसका पक्का दोस्त था। उसे हर रोज खाने को ले जाता। एक बार मगरमच्छ की टांग पानी में बहती हुई नुकिली चीज से फंस गई थी। उसकी टांग से खून निकल रहा था। भीखू नें उसकी हर रोज पट्टी की। उसकी खूब सेवा की। उस मगरमच्छ की जान उस ने बचा ली थी। उस दिन के बाद मगरमच्छ उस का पक्का दोस्त बन गया।भीखू काफी साल बाद जब वह नाव चलाने वापस आया तो मगरमच्छ ने उसे पहचान लिया। और उसे कुछ नहीं कहा बल्कि और लोगों को उसने नुकसान पहुंचाया।
सब लोग मगरमच्छ से डरते थे। वह मगरमच्छभीखू को कुछ नहीं करता था। वह काफी देर तक उसके साथ खेलता था। उसे हर रोज कुछ न कुछ खाने को ले जाता था। सब लोग उसको मगरमच्छ के साथ खेलता देख कर हैरान हो जाते थे। एक दिन इतनी जोर की आंधी तूफान और बारिश भी बड़ी जोर की थी। इतनी जोर का तुफान चला नाव पानी में डूबने लगी। दूसरे नाव को डूबता देख भीखू नें अपनी नाव की रफ्तार तेज कर दी। वह लोगों को जल्दी से जल्दी दूसरी तरफ पहुंचाना चाहता था। काफी देर तक नाव पत्थर के पास फंसी रही। भीखू नें अपने नाव के सभी यात्रियों को सुरक्षित पहुंचा दिया। दूसरी नाव का कुछ पता नहीं चला। भीखू नें पानी में छलांग लगा दी। लोग चिल्ला रहे थे। हमारे बच्चों को बचाओ। भीखू एकएक यात्री को पानी से बचा कर ला रहा था। उसने सारी यात्रियों को बचा लिया था। लोगों ने भीखू का खूब धन्यवाद किया।
एक बच्चा अपनी मां से बिछड़ कर पत्थर के एक और पडा था। मगरमच्छ उस बच्चे पर झपटनें ही वाला था। भीखू नें नदी में छलांग लगा दी। उसने मगरमच्छ को कहा भाई मगरमच्छ इस बच्चे को मत खाना। मगरमच्छ ने उसको छोड़ दिया। उसके माता-पिता डॉक्टर थे। उसके माता-पिता ने भीखू को बहुत धन्यवाद दिया उन्होंने कहा कि हम अपनी प्रेक्टिस के सिलसिले में यहां पर आए हुए हैं। हम दोनों पेशे से डॉक्टर हैं। हम हर रोज यहां पर सैर करने आते हैं। आपने हमारी बेटी को बचाकर आज बहुत ही पुन्य का काम किया है। हम आपका धन्यवाद किन शब्दों में करें।
अपने बच्चे को सही सलामत देखकर उसके माता पिता बहुत खुश हुए। उन्होंने भीखू को ढेर सारा ईनाम दिया। इस तरह काफी दिन गुजर गए।
भीखू मांझी इतना प्रसिद्ध हो गया। एक दिन चोरों ने उसको देख लिया। वह रोज कितना रुपए कमाता है इसका रुपया कैसे छीन लिया जाए।? उन्होंने उस से रुपए छीनने की योजना बना ली। वह महीने के आखिरी दिनों में अपने रुपयों को बैंक में जमा करता था। उन्होंने उसे रुपए ले जाते देख लिया। भीखू नें अपने रुपयों का एक बैग एक ओर रख दिया। वह मगरमच्छ से खेलनें लगा। उन चोरों नें चुपके से उसका बैग उठा लिया। मगरमच्छनें उनचोरों को उसका बैग ले जाते हुए देख लिया। मगरमच्छ के पास से जब वहखेल कर वापिस आया तो उसने देखा चोर उसका रुपयों का बैग ले जा रहे थे। भीखू नें कहा मेरा बैग मुझे दे दो मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? चोर भाग गये। भीखू उन चोरों के पीछे भागा। उन चोरों नें उसका बैग नहीं दिया। वहां पर बाहर से यात्री सैर करने के लिए आए हुए थे। उन्होंने भीखू की खूब की तस्वीरें ले ली थी। मगरमच्छ के साथ खेलते हुए फिर चोरों के पीछे भागते हुए उन्होंने यह सारी तस्वीरें ले ली थी। भीखू की चप्पल भी जल्दी में वही झाड़ियों में फंस गई थी। भीखू शाम को उदास सा घर पहुंचा। उसने शाम को खाना भी नहीं खाया। मगरमच्छ ने उन चोरों को देख लिया था।
भीखू को बड़ा दुःख हुआ। काम करने में भी उसका मन नहीं लगता था। एक दिन बाहर से आए हुए यात्रियों ने उसे बहुत सारा रुपए दिया। वे चोर उस पर निगरानी रखते थे। वह कंहा कंहा जाता है? क्या क्या करता है? उस दिन भी उन चोरों ने उससे रुपए छीनने की कोशिश की थी। उन्होंने उसे मारने की योजना भी बना ली थी। हम इस को मार कर ही दम लेंगे। एक दिन उन चोरों ने योजना बनाई कि हम इस भीखू को मार देंगे। जब वह शाम के समय वापस घर जाएगा इसकी नाव में कोई नहीं होगा उस समय हम इसकी नाव में छेद कर देंगे। वह डूब कर मर जाएगा। हम इससे इसका सब कुछ छीन लेंगे।
एक दिन जब वह शाम के समय बहुत सारा रुपया अपने बक्से में लेकर जा रहा था तब उन चोरों ने उसे देख लिया
उन्होंने उस की नाव में छेद कर दिया। वह डूबने ही वाला था वह एक और जाकर फंस गया। चोर तो मौके की तलाश में थे कब नाव पानी में डूबे और कब रुपयों एवं भरा बक्सा ले। चोर उसका बक्सा लेकर भाग रहे थे। मगरमच्छ ने अपने मालिक को पानी से बाहर निकाला और उसे एक और एक छोर पर ले जा कर रख दिया। भीखू की अभी थोड़ी-थोड़ी सांसे बाकी थी। पास में ही उसका मोबाइल पड़ा था। उसने बडी़ मुश्किल से फोन उठाया। उसने जल्दी से पुलिस को फोन किया। पुलिस का नाम जब उन चोरों ने सुना तो वह भाग निकले। पुलिस इंस्पेक्टर वहां पर पहुंचे। भीखू भी उन चोरों के पीछे भागा। भीखू को उन चोरों के पीछे भागते भागते काफी चोट लग गई थी। वह बुरी तरह हांप रहा था। वह एक और लुढ़क गया। मगरमच्छ की आंखों में आंसू थे।
दूसरी नाव पानी के एक और पहुंच चुकी थी। उसमें से डॉक्टर और उसकी पत्नी दोनों ने किसी एक व्यक्ति किसी व्यक्ति को गिरे पड़े हुए देखा। उन्होंने उसे तुरंत पहचान लिया। यह तो वही माझी है जिसने हमारी बेटी की जान बचाई थी। इसको अवश्य बचाना चाहिए। उन्होंने जल्दी से उसको इंजेक्शन लगाया और भीखूं को उठाकर नदी के तट के एक और रख दिया। भीखू को होश आ गया। मगरमच्छ अपनें दोस्त को जिन्दा देख कर मुस्कुरा कर अपने दोस्त की तरफ देख रहा था। वह जल्दी से पानी के अन्दर गया। लोग उसको पानी के भीतर जाते देख रहे थे। जैसे ही वहपानी के अंदर गया उस नदी से एक बक्सा निकाल कर ले आया। पुलिस वाले उस मगरमच्छ की फोटो ले रहे थे। उन्होंने देखा पास में ही तीन चार आदमियों की लाशें पड़ी थी। मगरमच्छ ने बक्साअपने दोस्त को पकड़ा दिया। उसके पश्चात एक और गिर गया। मगरमच्छ के भी काफी खून निकल चुका था। मगरमच्छ अपने दोस्त के बक्से की रखवाली कर रहा था। उसने चोंरो से उसका बक्सा छीन लिया था। भीखू नें डाक्टर साहब को कहा कृपया मेरे दोस्त की जान बचा लीजिए। इसकी जान मुझसे ज्यादा कीमती है। डॉक्टर ने उसे भी इंजेक्शन लगाया। भीखू नेंपुलिस वालों को बताया कि चोर उसके पीछे पड़े थे। उन्होंने मुझसे मेरे सारे रुपए छीन लिए थे। मगरमच्छ उन को खींचकर पानी में ले गया होगा। उसनें भी बक्सा ले जाते हुए चोरों को देखा होगा। उसने मुझे मेरी मेहनत की कमाई मुझे लौटा दी और मेरी जान भी बचा दी।
प्लीज डॉक्टर साहब मेरे दोस्त को बचा लीजिए अपने मालिक को जीवित देखकर खुश हो गया और अपनी जान जान बचाकर अपने मालिक को बचाना चाहता था। भीखू अपनें दोस्त को गले लगा कर बोला तू मुझे बचानें के लिए अपनी जान कुर्बान करनें चला था। तू तो मेरे लिए मेरी धन दौलत से भी बढ़ कर है। मेरा और तुम्हारा नाता वर्षो पुराना है। भाई मेरे मुझे छोड़ कर मत जाना। भीखू नें अपनें दोस्त के मुखडे को चुम लिया।