राजु और उसका दोस्त बब्बु

एक किसान था। उसका एक छोटा सा बेटा था।  जब  राजु और बच्चों को खिलौनों से खेलते देखता तो  अपने पिता से फरमाइश करता कि मेरे पास भी खिलौने होते तो मैं भी खिलौनों से खेलता। उसके आसपास के घरों में छोटे-छोटे बच्चे खिलौनों से खेलते थे। उसका पिता  गरीब आदमी था। वह उसे एक दिन कहने लगा बेटा मैं तुझे खिलौने लाकर नहीं दे सकता। वह अपने पिता से कहता काश मेरे पास भी एक ऐसा ही कोई खिलौना होता तो मैं भी उसके साथ खेला करता। उसके पिता ने कहा बेटा कोई बात नहीं मैं तुझे वह तो अवश्य ही लाकर दूंगा। वह अपने बेटे को  कभी-कभी खेत पर भी ले  कर जाता था। उसका बेटा उसके पास ही बैठकर अपने पिता को हल चलाते देखा करता था।

एक  दिन की बात है जब वह किसान हल चला रहा था तो हल चलाते चलाते  खेत में  उसे कुछ  दिखाई दिया। उसने उसी  समय  हल चलाना रोक दिया।  उसको  खेत में  कुछ आवाज सुनाई दी। उसने देखा पास ही  झाडियों के पीछे एक गडडा था जिसमें वहां पर उस में गिरा हुआ एक छोटा सा शेर का बच्चा दिखाई दिया। वह बहुत ही छोटा सा था। उसने सोचा वह अपनें परिवार से बिछुड़ कर   गिर गया होगा। किसान  नें हाथ से उसे ऊपर निकाला। यह सब उसका बेटा देख रहा था। वह अपने बाबा से बोला बाबा बाबा आज से यही मेरा दोस्त होगा। मैं इसका नाम बब्बू रखूंगा। वह उसको बब्बू बुलाने लगा। उसका पिता उसे घर ले आया। धीरे धीरे बब्बू भी किसान के बेटे के साथ  हिल मिल गया। वह उसका दोस्त बन चुका था। अब तो उसे खाने की भी परवाह नहीं थी। वह सारा दिन उसके साथ धमाचौकड़ी  मचाया करता था। कभी अपने नन्हे नन्हे हाथों से उसके कान खींचता और वह शेर का बच्चा भी उसके साथ खूब मस्ती करता वह दोनों इतने गहरे दोस्त बन गए कि जहां भी जाते  साथ जाते इकट्ठे खेलते। किसान का बेटा 7 साल का हो चुका था। अपने  दोस्त को कभी भी  वह अकेला नहीं छोड़ता था।

एक  दिन  किसान का बेटा अपने पिता के साथ जंगल में गया हुआ था। साथ में वह बब्बू को भी लेकर गया था। जंगल से जब वापस आ रहा था तो जंगल में शेरनी ने उस शावक को देख लिया। शेरनी ने उस छोटे से बच्चे को देखकर अपने मन में सोचा यह कितना प्यारा बच्चा है? मैं इस बच्चे को इन से छीन लूंगी। वह हर रोज आते जाते उनको देखा करती थी। उसे यह भी पता चल गया था कि यह शेर का बच्चा  इस बच्चे  का दोस्त है। हर हाल में  वह उसे पाना चाहती थी। वह अपने मन में सोचने लगी मेरे तो संतान नहीं है लेकिन मैं इस नन्हे से बच्चे को पाल पोस कर बड़ा करूंगी। इंसानों की दुनिया में इसका क्या काम? शायद  यह अपने मां बाप से बिछड़ गया होगा और छूट गया होगा। किसान ने इसका पालन पोषण किया होगा। वह हर रोज किसान और उसके बेटे पर नजर रखने लगी। एक दिन उसे पता चल गया कि किसान जंगल के एक दूसरे  छोर पर छोटी सी झोपड़ी में रहता है।

एक दिन की बात है कि जंगल में शेरनी रात के 2:00 बजे किसान की झोपड़ी में पहुंची। बब्बू गहरी नींद में सो रहा था। साथ में ही राजु भी सोया था। उसनें चुपचाप  बब्बू  को उठाया और जंगल की ओर भागने लगी। जैसे ही  बब्बू को  ले कर भागने लगी तभी राजु  की जाग खुल गई।।  बब्बू जोर जोर से शोर मचाने लगा मुझे तुम कहां ले जा रही हो? मुझे अपने भाई से अलग मत करो। यहां पर मेरा भाई  रहता है। मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?। मुझे छोड़ दो। वह बोला अगर तुम मुझे नहीं छोड़ोगी तो मैं यहां से चुपके से भाग जाऊंगा। शेरनी बोली बेटा तुम तो पशु जाति के हो। इंसान की जाति में तुम्हारा क्या काम? हमारा उनसे कोई लेना देना नहीं होता। हम लोग तो जंगल में ही रहने वाले हैं। तुम शायद अपने मां बाप से अलग हो गए होंगे और किसान ने तुम्हें पाल पोस कर बडा किया होगा। बब्बू बोला ऐसी बात नहीं है। मैं ही किसान का बेटा हूं।। और मेरा भाई राजू  है। शेरनी बोली नहीं मेरे बच्चे अभी तुम बहुत ही छोटे हो। जब तुम बड़े हो जाओगे तब   तुम्हे सब कुछ समझ में आ जाएगा। हमारी दुनिया में ही तुम्हें रहना है। यही तुम्हारा घर है। बब्बू बोला मैं किसी भी कीमत पर यहां नहीं रहूंगा। तुम मेरे साथ मजाक करती हो। शेरनी बोली कि मैं तुम्हारी मां बनकर तुम्हारा पालन पोषण करूंगी। मै तुम्हें सब कुछ दूंगी जो तुम्हें चाहिए। बड़ा होकर  तुम जंगल का राजा  बनोगे। मैं तुम्हें अपना बच्चा समझकर पालूंगी। तुम्हें अपना नाम दूंगी। वह बहुत जोर जोर से चिल्लाने लगा बचाओ बचाओ मगर उस घने जंगल में उसकी कोई भी सुनने वाला नहीं था। चारों तरफ सारे के सारे जानवर इकट्ठे हो गए थे। छोटे से बच्चे को तरह-तरह का लालच देकर लुभा रहे थे। वह छोटा सा बच्चा उन को चकमा देकर इधर-उधर भाग रहा था।

शेरनी ने जब उसके सामने खाना रखा तो उसने  खाने को  हाथ भी नहीं लगाया। वह सारा दिन भूखा रहा। राजु  की सुबह जब आंख खुली अपने दोस्त को  नहीं पाया तो वह चिल्लाने लगा। चाहे कुछ भी हो जाए  मेरे बब्बू को वापस लाओ। उसने सारा घर सर पर उठा लिया और 2 दिन तक खाना भी नहीं खाया। वह अपने दोस्त की याद में बीमार हो गया।

रात बहुत हो चुकी थी। बब्बू ने सोने का नाटक किया। शेरनी ने समझा की बब्बू सो चुका है। शेरनी को भी नींद आ गई थी। वह चुपचाप वहां से उठा और भागने लगा भागते भागते उसे काफी देर हो चुकी थी। अचानक उसे किसान की झोपड़ी दिखाई दी। वह जोर से चिल्लाया मेरे दोस्त मैं आ गया हूं। मेरे दोस्त मैं आ गया हूं। डॉक्टर  के सामने  किसान और उसकी पत्नी खड़े थे। वह अपने बच्चे को बचानें के लिए डॉक्टर से दुआ मांग रहे थे। जैसे ही राजु नें बब्बू की आवाज सुनी वह दौड़ा दौड़ा बाहर की ओर भागा। वह खुशी से चिल्लाया मेरे दोस्त तुम मुझे छोड़ कर कहां चले गए थे? वह राजू को प्यार से चाटने लगा था। उन दोनों की दोस्ती देखकर किसान और उसकी पत्नी भी हैरान रह गए।

राजू कहने लगा मेरे दोस्त मुझे छोड़कर कभी मत जाना। डॉक्टर वापिस चला गया था। किसान की पत्नी किसान से बोली हमारा बच्चा अभी तो छोटा है मगर जब यह जान जाएगा कि वह एक शेर का बच्चा है। हम इस  शेर के बच्चे को लेकर तो आ गए हैं मगर हम को उसे  जंगल में चिड़ियाघर  के अधिकारी को सौंपना होगा। हमें भी वह बच्चा अपनें राजु जैसा लगता है।  इसने बड़े होकर किसी को नुकसान पहुंचा दिया तो  हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है। किसान बोला कि  तब तक हमारे बेटे को भी समझ आ जाएगी। यह सब बातें  बब्बू सुन रहा था। मैं उन का बेटा नहीं हूं। राजु मेरा भाई नहीं है।जंगल में  शेरनी ठीक ही कह रही थी। आज तो पूछ कर ही रहूंगा। बब्बू  किसान के पास जा कर बोला आज आप को बताना ही होगा क्या मैं आप का बेटा नहीं? अगर मैं आप का बेटा नहीं तो आप नें मुझे क्यों पाला।मेरी मां कहां है?  किसान बोला बेटा यह बात नहीं कि हम तुम्हारे मां बाप नहीं तुम तो हमारे राजु जैसे हो। बब्बू बोला आप मुझे कंहा से लाए? किसान बोला बेटा जब एक दिन मैं खेत में हल चला रहा था । तुम खेत में गडडे में धंसे हुए थे। तुम्हे गहरी चोट आई थी। मेरा बेटा मुझ से खिलौने की फरमाईश किया करता था। उस दिन वह भी मेरे साथ था। हम नें तुम्हारे घाव पर मिट्टी डाली। और घर ला कर तुम्हारी देखभाल की। मेरा बेटा तुम्हे पा कर बहुत खुश हुआ।उस दिन से वह तुम्हे भाई पुकारनें लगा। तुम्हे तो एक पल को भी अपनी आंखों से  ओझल होनें नहीं  देता। आज भी तुम्हे न पा कर बिमार हो गया। उसने कुछ भी नहीं खाया बोला पहले मेरे बब्बू को लाओ तभी खाना खाऊँगा।  बेटा यह बात सच है तुम हमारी जाति के

नहीं हो। हम मनुष्य जाति के हैं।तुम पशु जाति के हो। हम नें तुम्हे पाल तो लिया बड़ा होनें पर हमें तुम को चिड़िया घर में  छोड़ना होगा। बब्बू बोला आप ही मेरे मां बाबा हो। मैं आप सब को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। इतने में राजु आ कर बोला मां पापा अगर आप उस को कहीं छोड़ कर आओगे मैं भी उस के साथ रहूंगा कान खोल कर सुन लो। बब्बू को पता चल चुका था कि वह मनुष्य जाति का नहीं है। एक दिन वे उसे  चिड़िया घर में छोड़ कर आ जाएंगे।

शेरनी  ने  देखा कि बब्बू वहां नहीं था। वह तो वहां से नौ दो ग्यारह हो चुका था। वह  चुपके चुपके किसान और उसके बेटे पर नजर रखने लगी। उसने अपने सारे साथियों के साथ  किसान के घर पर हमला कर दिया। बब्बू और किसान के बेटे को उठाकर अपने घर ले आई । राजु   शेर को देखकर  जोर जोर से चिल्लाने लगा  बचाओ बचाओ । शेरनी उसे कहां छोड़ने वाली थी?  वह तो उसे मार देना चाहती थी। राजु को उसने अपनें जबड़े से जोर से खैंचा। उसकी बाजुओं में खून निकल आया था। शेरनी को  बब्बू बोला  तुमने मेरे दोस्त को क्यों  नुकसान पहुंचाया? ॥एक तो तुम मुझे  अपना बेटा  कहती हो और ऊपर से  इस छोटे से बच्चे को मार डालने पर क्यों तुली हो?यह मेरा दोस्त है  अगर मैं  आपका बेटा हूं  मेरा दोस्त  भी आप  का बेटा हुआ। शेरनी बब्बू  को बोली  इंसान की जाति   वालों से हमारी कोई  दोस्ती नहीं है। जंगल के सारे जानवर हमारे दोस्त हैं।  तुम्हें जंगल के जानवरों के साथ ही दोस्ती रखनी चाहिए ना की इंसान  लोगों के साथ। बब्बू बोला  यह इंसान ही मेरे  सब कुछ है  अगर तुमने मेरे दोस्त को नुकसान पहुंचाया  तो कभी भी मैं आपका बेटा नहीं बनूंगा। जल्दी से मेरे दोस्त को ठीक करो। शेरनी अपने मन में सोचने लगी कि जब तक इसका दोस्त ठीक नहीं होता तब तक तो वह मुझ पर  गुस्सा निकालता ही रहेगा। बब्बू से बोली तुम किसी डॉक्टर को जानते हो  बब्बू बोला हां  किसान की झोपड़ी के पास ही एक डॉक्टर का घर है अभी अभी अभी वह शहर से नया आया है  उसे ही बुला कर लाओ  शेरनी ने अपने  जानवरों को हुक्म दिया कि उस डॉक्टर को बक्से के साथ ही पकड़ कर ले आओ।

सारे के सारे जानवर उस डॉक्टर की तलाश में निकल पड़े। जैसे ही अंधेरा होने लगा  वह डाक्टर के घर घुस गए। डॉक्टर खाना खा रहा था उन्होंने डॉक्टर का बॉक्स पकड़ा और उसको भी साथ लेकर जंगल की ओर आए। डॉक्टर जोर जोर से चिल्लाने लगा बचाओ बचाओ बचाओ। रास्ते में एक आदमी ने उसकी आवाज सुनी। वह उसको बचाने के लिए उनके पीछे भागने लगा। वह भी जंगल में पहुंच गया । वह आदिवासी था।  उसे जंगल के जानवरों की भाषा समझ में आती थी। वह एक पेड़ की आड़ में छुप गया। सारे के सारे जानवरों नें  शेरनी के  पास उस डॉक्टर को लाकर कहा कि हम डॉक्टर को लेकर आ गए हैं।  डाक्टर   को-देखकर बब्बू बहुत ही खुश हुआ। वह शेरनी से बोला  जल्दी से मेरे दोस्त की बाजू पर पट्टी बांधो और उसकी   मरहम पट्टी  करो।  एकाएक आदिवासी उस डाक्टर के पास जाकर बोला डॉक्टर साहब डॉक्टर साहब  यह जानवर कह रहे हैं कि इस बच्चे को इंजेक्शन लगाओ। यह  बब्बू  इस बच्चे का दोस्त है।  वह अपने दोस्त को सुरक्षित देखना चाहता है।आदिवासी नें शेरनी की सारी बातें सुन ली थी।  शेरनी शेर को कह रही थी कि इस बब्बू को अपना बेटा स्वीकार करना है तो हमें इस बच्चे को बचाना होगा। हम उस बच्चे को बचा देंगे   तभी हम बब्बू को  हासिल कर  पाएंगें।

राजु बेहोश हो चुका था।  वह तो  अपनें सामनें जंगल के जानवरों को देख कर डर के मारे थर थर कांप रहा था। बब्बू   उसके पास जाकर उसे चूमते हुए  बोला मेरे दोस्त तुम्हें कुछ भी नहीं होगा।  तुम अपने माता पिता  के पास सुरक्षित  घर पहुंच जाओगे।

यह सारे के सारे जानवर मुझे कहते हैं कि मैं इंसान का बच्चा नहीं हूं।  मैं उन जैसा हूं। लेकिन मैं तुम्हें अपना भाई मानता हूं  और तुम्हारे पिता और माता को अपने माता-पिता मानता हूं। जब से होश संभाला है  मैंने  तुम्हें और अपने माता पिता को ही पाया  परंतु यह सारे के सारे जानवर मेरे पीछे पड़ गए हैं कि तुम इंसान के बच्चे नहीं हो।इस जानवर के बच्चे को तुम्हें यहीं रखना चाहिए । मेरे दोस्त  अगर मैं तुम्हारे साथ  वापिस जाऊंगा तो  यह सारे के सारे जानवर  तुम्हें और तुम्हारे माता-पिता को मार डालेंगे।  मैं तुमसे सच्ची मोहब्बत करता हूं।  मैं अपने माता पिता और भाई को कोई नुकसान होते हुए नहीं देख सकता। इससे पहले कि वह तुम्हें मार डाले मैं शेरनी को अपनी मां मना लूंगा। बब्बू शेरनी के पास जाकर बोला अगर आप चाहती हो कि मैं  आपका बेटा बनकर यहां रहूं  तो आपको भी मेरी एक शर्त माननी होगी  आज के बाद आप कभी भी दोस्त राजु  और मेरे माता-पिता  को  को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा ओगे। मुझे पता है आप उनको मार डालने के लिए ना जाने क्या-क्या चाले चलते हो। आपने मेरे  भाई को और  माता पिता को मार डालने की योजना बनाई तो मैं खुद भी मर जाऊंगा और  आप लोगों को भी नहीं छोड़ूंगा।

शेरनी बोली  मैं तो तुम्हें अपना बच्चा मानती हूं मेरे कोई भी संतान नहीं है तुम मेरे साथ ही रहोगे। मेरे दोस्त को तुम यह मत बताना  कि मैं उसके साथ नहीं जा रहा हूं। तुम मुझे और मेरे दोस्त को किसान की झोपड़ी के पास छोड़ दो। मैं सच कहता हूं मैं लौट कर आप लोगों के पास आ जाऊंगा। इतना सा तो आपको मुझ पर विश्वास करना होगा। शेरनी मन ही मन बहुत खुश हुई चलो उसकी इच्छा पूरी हुई। शेरनी ने बब्बू को विश्वास दिलाया कि वह कभी भी उसके दोस्त को नुकसान नहीं पहुंचाएगी।

वह बब्बू और राजु को उठाकर किसान की झोपड़ी के पास रख कर आ गई। आदिवासी उन दोनों की दोस्ती को देखकर दंग रह गया। चुपके से उनके पीछे आया जैसे ही शेरनी उनको छोड़कर गई बब्बू आदिवासी के पीछे आया बोला भाई मेरे मुझ पर एक एहसान करना। मैं अपनें दोस्त पर कोई भी आंच नहीं आने देना चाहता। यह मेरा बहुत ही पक्का दोस्त और भाई है। अभी यह बेहोश है जब सुबह उसकी आंख खुलेगी तो मुझे अपने सामने ना देख कर अपने माता पिता से खूब हंगामा करेगा तब तुम उसे समझा देना धीरे धीरे वह सब कुछ समझ जाएगा और वह मुझे भूल जाएगा। आदिवासी उन दोनों की दोस्ती को देखकर दंग रह गया सुबह जैसे ही किसान और उसकी पत्नी जागे अपने बच्चे को अपने सामने देखकर हैरान रह गए। किसान की पत्नी की किसान से बोली मैं ना कहती थी कि वह अपने दोस्त को ढूंढने गया होगा। उसे उसका दोस्त तो नहीं मिला परंतु लहूलुहान होकर आया है। आदिवासी उनके सामने सामने जाकर बोला इसका दोस्त बहुत ही प्यारा है उसने अपनी जान की परवाह न करते हुए आपके बच्चे की जान बचाई है।

शेरनी तो उसको मारने ही वाली थी परंतु उस बब्बू ने शेरनी को ऐसा करने के लिए मना लिया मैंने उनकी उसकी सारी बातें सुन रही थी वह शेरनी को कह रहा था कि मैं तुम्हारा बेटा नहीं हूं। मेरे मां बाप तो एक छोटी सी झोपड़ी में रहते हैं और यही मेरा भाई है जब शेरनी ने उन्हें मारने की धमकी दी तो बब्बू से रहा नहीं गया और वह बोला आप कसम खाओ कि आप उन सब को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा ओगे। मैं आप लोगों के साथ ही जंगल में रहूंगा। अगर आपने उनको नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो मैं खुद भी अपनी जान दे दूंगा और तड़प तड़प कर मर जाएंगे। शेरनी बोली एक शर्त पर हम किसान और उसके बेटे को छोड़ देते हैं अगर तुम जंगल में हमारे साथ आकर रहो और हमें ही अपने मां-बाप समझो तो हम तुम्हारी जान बख्स सकते हैं।

बब्बू नें  राजु के पास आ कर चुपके से उसकी तरफ देखा और दिल को मजबूत कर के  चुपचाप जंगल में शेरनी के पास और जानवरों के पास लौट आया। अपनें परिवार के समान माता पिता से जुदा होते हुए उसे बहुत ही बुरा लग रहा था। उसने-किसान और उसकी पत्नी को कहा आप लोगों के साथ मेरा इतना ही नाता था। मुझे समझ आ गया है कि मेरी जगह यहां नहीं। आप लोग  भी बडा होनें पर मुझे यंहा नहीं रख सकते। आप चिन्ता मत करो।   मैं भी अपनें आप को समझा दूंगा। मेरे दोस्त को भी समझा  देना।उसे  भी जल्दी ही समझ आ जाएगी। अलविदा कह कर वह जंगल की ओर चला गया।  उसे विदा करते समय किसान और उसकी पत्नी की आंखों में आंसू थे।

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