विचित्र न्याय

किसी शहर में दो दोस्त रहते थे। दोनों घनिष्ट मित्र थे  ।एक का नाम था राम दूसरे का नाम था श्याम ।दोनों एक दूसरे की सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे । राम एक राजा के यहां पर माली का काम करता था जो कुछ मिलता था उसे अपना और अपनी पत्नी का पालन पोषण कर रहा था ।श्याम की शादी को तो अभी मुश्किल से ही एक ही साल हुआ था। श्याम ने जिस लड़की से शादी की थी वह भी गरीब परिवार से संबंध रखती थी ।उसने अपने माता पिता के खिलाफ जाकर शादी कर ली थी क्योंकि उसके पिता ने जो लड़का उसके लिए देख रखा था वह बहुत ही लालची था । इसलिए उस लडके साथ शादी करना नहीं  चाहती थी।

श्याम को मधु ने सब कुछ पहले ही बता दिया था कि तुम जल्दी से जल्दी मुझे दुल्हन बनाकर ले जाओ। वरना मेरे  माता पिता मेरी शादी किसी ऐसे नवयुवक से करने जा रहे हैं जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। श्याम ने मधु के साथ भाग कर शादी कर ली थी ।मधु के माता-पिता ने उसे कह दिया था कि अब हमारे घर में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है ।वह मधु को लेकर एक छोटे से किराए के मकान में रहने लग गया था ।उसकी श्याम ने बहुत सहायता की। उसके घर में अब एक छोटी सी गुड़िया भी आ चुकी थी जिसका नाम उन्होंने दिशा रखा था प्यार से वह उसे दिशु बुलाता था । एक दिन उसकी पत्नी चक्कर खाकर गिर पड़ी उसने   कुछ एक अस्पताल में दिखाया डॉक्टरों ं ने कहा कि आपकी पत्नी का तो ऑपरेशन करना पड़ेगा क्योंकि आपकी पत्नी के ब्रेन ट्यूमर है। उसका ऑपरेशन जल्दी से जल्दी नहीं किया गया तो वह इस दुनिया से सदा के लिए चली जाएगी अपनी पत्नी की रिपोर्ट सुनकर श्याम बहुत ही उदास रहने लग गया था। उसने इस रिपोर्ट के बारे में अपनी पत्नी मधु को भी नहीं बताया था और दिशु तो अभी एक महीने की ही थी वह सोचने लगा कि काश मेरी पत्नी ठीक हो जाए कैसे मैं इसकी जिंदगी को बचाऊूं ‘और कैसे मैं इस छोटी सी नन्ही कली जिसने तो अभी तक कुछ भी नहीं देखा है इसके लिए ऐसा क्या करूं जिससे मैं उसकी मां को बचा सकता हूं। मैं इसकी जिंदगी बचाने के लिए जो कुछ भी हो सकेगा मैं पीछे नहीं हटूंगा क्योंकि अब तो इसको मेरे सिवा और कोई देखने वाला भी नहीं है ।श्यामअब बहुत ही उदास रहने लग गया था। वह सारा दिन मजदूरी करके जो कुछ मिलता था उसी से अपना और अपनी पत्नी का पेट पालता था।

एक दिन उसको दुखी  देखते हुए उसका दोस्त राम  बोला भाई मैंने तुम्हें कुछ दिनों से बहुत ही उदास देखा है क्या बात है।? तुम आजकल बहुत ही चिंता में दिखाई देते हो। मुझ से अपना दुख नहीं कहोगे तो किससे कहोगे? मैं ही तुम्हारा दोस्त हू। ं श्याम राम के के गले लगकर फूट-फूट कर रो पड़ा भाई मेरे बात ही इतनी गंभीर है। राम बोला तुझे मेरी कसम है अपने दोस्त को अपने मन की बात बता कर अपने मन को हल्का करो अगर मेरे करने लायक कुछ होगा तो मैं भी तुम्हारी मदद करुंगा ।श्याम बोला तुम यह बात अपनी भाभी को मत बताना। एक दिन तुम्हारी भाभी चक्कर खा कर नीचे गिर गई थी। डॉक्टर ने मुझे बताया कि उसके दिमाग में ट्यूमर है ।अगर इस ट्यूमर का जल्द से जल्द इलाज नहीं करवाया गया तो वह जल्दी ही मर जाएगी उसके ऑपरेशन के लिए डॉक्टर ने एक लाख रुपया फीस बताई ।मेरे पास 100’000 रुपए कहां से आएंगे? अब मैं क्या करूं एक लाख रुपए में मैं सारी जिंदगी कमाऊं तो  भीनहीं मिल सकते। उसका दोस्त बोला अब तो हम यह फैसला भगवान पर ही छोड़ देते हैं जैसी ईश्वर की मर्जी होगी वही होगा ।राम बोला थोड़ी मदद तो मैं भी कर दूंगा परंतु एक लाख तो इतनी अधिक है क्या करू।ं वह बोला मैंने आजकल रिक्शा चलाना भी शुरू कर दिया है

राम माली के रूप में राजा के यहां काम कर रहा था। वह भी अपने दोस्त मदद नहीं कर सकता था। उस उसको भी बड़ी मुश्किल से 5000 6000 रूपए  मिलते थे। राजा की बेटी को घुमाना और फूलों की माला बनाना क्यारियों में पानी डालना और बगीचे की देखभाल करना है ःउसका काम था। वह पौधों को पानी दे रहा था और अपने दोस्त के बारे में सोच रहा था तभी राजा की बेटी उसके पास आकर बोली अंकल अंकल आप पौधों को पानी दे रहे हैं ।आप अंकल आज उदास क्यों है? वह बोला हां आज मैं बहुत ही उदास हूं मेरा एक दोस्त है ।वह भी मेरी ही तरह गरीब है उसकी छोटी सी बेटी है। वह केवल अभी एक महीने की हुई है और उसकी मां जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है क्योंकि उसे डॉक्टरों ने भी ब्रेन ट्यूमर बताया है ।हम गरीबों के पास खाने के लिए भी इतने रुपए नहीं है ब्रेन ट्यूमर का इलाज करवाने के लिए उसे 100000 रुपए चाहिए। मेरा दोस्त एक लाख रुपए कहां से लाएगा यह सोचकर मैं उसके लिए दुखी हो रहा हूं। आज तो मेरा दोस्त मुझे कह रहा था कि अगर मेरी पत्नी मर गई तो मैं भी उसके साथ ही मर जाऊंगा। तू मेरी बेटी को पा ल लेना मैं उसके बारे में सोच सोच कर दुखी हो रहा हूं ।मालिक को इस प्रकार कहता सुन छोटी सी नेहा बहुत ही दुखी हुई बोली अंकल आप भगवान पर भरोसा रखो आपकी भाभी को कुछ नहीं होगा ।वह ठीक हो जाएगी। राम घर आ गया उसके दिमाग में यही विचार आ रहा था कि वह अपनी भाभी की जान कैसे बचाए ।।।

राजा अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था ।नेहा अपने पापा के पास गई और बोली आप एक राजा है और राजा का फर्ज़ होता है अपने राज्य में गरीब दीनों और लाचारों की मदद करना। राजा बोला हां बेटा, नेहा बोली आप आज अपनी बेटी के सामने कसम खाओ आपके राज्य में जो कोई भी इंसान फरियाद लेकर आएगा आप उसकी व्यथा जरूर सुनेंगे। उसको बिना सुने वापस लौट आने को विवश नहीं करेंगे। आप धनुर्विद्या में बहुत ही निपुण है पापा आप को धनुर्विद्या में कोई नहीं हरा सकता ।मैं आप के कौशल को देखना चाहती हूं ।आज अपने राज्य में घोषणा कर दो जो मुझे राजा को धनुर्विद्या में हरा देगा उसे मैं एक लाख रुपए दूंगा। राजा बोला ठीक है बेटा मैं कल ही घोषणा कर दूंगा राजा ने दूसरे दिन घोषणा कर दी कि जो मुझ को धनुर्विद्या में हरा देगा मैं उसे 100000 रुपए दूंगा

दूसरे दिन जब राम बगीचे में आया तो वह वहां पर  नेहा पहले ही मौजूद थी नेहा बोली अंकल आप अपने दोस्त को कहा कि आपके राज्य में राजा ने घोषणा की है कि जो मुझे धनुर्विद्या में हरा देगा उसे मैं 100000 रूपय दूंगा। वह बोला बेटी धनुर्विद्या में तो हम दोनों दोस्त निपुण है ।आपके पापा का मुकाबला हम नहीं कर सकते अगर मैं जीत गया तो मैं खुशी-खुशी अपने दोस्त को एक लाख रुपए देने के लिए तैयार हूं। ं हम दोनों ही कल आपके महल में आएंगे।

राजा ने अपने राज्य में ऐलान कर दिया था कि जो कोई मुझे धनुर्विद्या में हरा देगा उसे मैं एक लाख रुपए दूंगा। यह बात श्याम नेे भी सुनी श्याम अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए धनुर्विद्या में हिस्सा लेने के लिए चला गया।

नेहा ने जैसे ही राम और श्याम को आते देखा उसने देखा श्याम बहुत ही उदास था। वह सचमुच ही अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए आतुर था। आकर दोनों ने अपने अपने फार्म जमा करवा दिए थे ।दूसरे दिन प्रतियोगिता थी और उसे अगले दिन उसकी पत्नी का ऑपरेशन था ।।वह सोच रहा था कि मुझे हर हालत में अपनी पत्नी की जान बचानी है ।उसने अपने दोस्त को एक  कागज का परचा देकर कहा मैं यह सब कुछ होश में लिख रहा हूं अगर मैं जिंदा बच गया तो ठीक है नहीं तो मेरी बेटी की जिम्मेदारी मैं अपने दोस्त श्याम को सौंपता हूं क्योंकि डॉक्टरों ने मेरी पत्नी को ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए एक लाख रुपया खर्चा बताया है ।मैं अगर धनुर्विद्या में जीत गया तो मैं अपनी पत्नी और बेटी को ढेर सारी खुशियां दूंगा। और मैं अगर नहीं जीत पाया, तो   मेरा दोस्त मेरी बेटी को पालेगा।क्योंकि मैं भी अपनी पत्नी के साथ अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूंगा।

अगर मैं हार गया तो, इसलिए मेरे प्यारे दोस्त अलविदा यह कहकर उसने कागज का टुकड़ा अपने दोस्त राम को देने के लिए मेज पर रख दिया।

जैसी ही प्रतियोगिता शुरु होने वाली थी नेहा ने अपने पापा को बुलाया पापा आपको मेरी बात याद है या नहीं ।उसके पापा ने कहा कौन सी बात तब उसने अपने पापा को वह कागज का टुकड़ा थमा दिया जिसमें श्याम ने अपने दोस्त को पत्र लिखा था।उसके पापा ने वह खत पढाऔर बोला बेटा इस खत को मैंने पढ़ लिया है तभी उसकी बेटी बोली पापा आपने अपने वायदेे पर  कायम हैं। राजा बोला हां बेटा ।।।

नेहा बोली पापा धन्यवाद ,आपने मुझे आज जो खुशी दी है जिसकी मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकती थी। दूसरे दिन सारे लोग प्रतियोगिता में भाग लेने आए थे। सभी को राजा ने पूछ लिया था कि तुम क्यों आए हो सभी के बारे में राजा ने अच्छी प्रकार समझ लिया था तभी उसने श्याम को बुलाया और कहा तुम्हारा यह खत यही छूट गया था।  उसने राजाको देखा और बोला राजा जी धन्यवाद यह खत मुझे बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह खत आपके सामने मैं अपने दोस्त राम को देना चाहता हूं । राजा बोला इस खत में ऐसा तुमने क्या लिखा है जो तुम अभी नहीं दिखा सकते श्याम बोला आप पर अपने राज्य के राजा पर विश्वास करके यह खत मैं अपने दोस्त को देना चाहता हूं तब राजा बोला ठीक है यह खत मुझे दे दो। मैं तुम्हारे दोस्त को जरुर दे दूंगा ।

राजा का महल खचाखच भरा हुआ था। सब लोग धनुर्विद्या को देखने के लिए दूर दूर से आए थे सब लोगों को राजा ने हरा दिया था। राजा को छः निशाने लगाने  थे जो पांच निशाने लगा देगा वही जीता हुआ समझा जाएगा। अब तो केवल शाम ही रह गया था श्याम की जैसे ही बारी आई वह अपने दोस्त के गले लग कर बोला भाई मेरे मेने एक खत राजा के पास तुम्हारे लिए लिख छोड़ा है। उसे तुम देख लेना वह जल्दी जल्दी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने चला गया ।

उसने सबसे पहले धरती माता के पैर छुए ।उसे  नेहा बड़े ध्यान से देख रही थी ।राजा ने तीन निशाने तो लगा दिए मगर राजा तीन ही निशाने लगा पाया था अब शाम की बारी थी। पांच निशाने ठीक लगाए। अब् तो श्याम जीत चुका था ।नेहा अपने पापा की तरफ देखकर मुस्कुराई।  वह जान गई थी कि उसके पापा ने जानबूझकर श्याम से हारे थे ।सब लोगों ने तालियां बजाई । अब तो शाम को भी पता चल चुका था की राजा जान बूझ कर हारे थे क्योंकि वह शाम को हारते हुए नहीं देख सकते थे। उन्होंने सच्चा न्याय करना था ।सत्य न्याय करने के लिए उनकी बेटी ने उन्हें प्रेरित किया था। तालियों की गड़गड़ाहट से श्याम को माला से नवाजा गया और उसे वादे के   अनुसार एक लाख रुपए दिए ।

नेहा ने आकर कहा अपने पापा को कहा कि सही मायने में आज आपने न्याय किया है। आज मैं गर्व से कह सकती हूं मेरे पापा जैसा न्याय करने वाला राजा कोई और हो ही नहीं सकता। राजा ने अपनी बेटी को गले से लगा लिया रुपए पाकर शाम बहुत ही खुश हुआ। उसने अस्पताल जाकर अपनी पत्नी का ऑपरेशन करवा दिया था ।ऑपरेशन सफल हो गया था। दिशु को अपनी मां के प्यार से वंचित नहीं होना पड़ा।

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