साहसी भोलू

एक लड़का था भोलू हमेशा शरारतें किया करता था। वह अपने दोस्तों के साथ जंगल में गौवों को चराने ले कर जाता था। काफी देर तक पशुओं को  चरा कर जंगल से वापस आता था। उसके दोस्त हमेशा उस से शर्त लगाते थे कि जो कोई जंगल की गुफा में जाकर वापस आएगा वही इंसान बहादुर होगा। एक दिन दोनों ने सोचा कि उस गुफा में जाया जाए।भोलू अपने दोस्त गोलू को साथ ले  गुफा के अंदर चला गया। गोलू को कहा तुम बाहर मेरा इंतजार करना जब तक मैं ना आऊं। तब तक तुम बाहर बैठकर मेरा इंतजार करना। भोलू अंदर चला गया। गुफा एकदम सुनसान थी गुफा के अंदर जाते ही वहां पर उसे एक विचित्र दरवाजा दिखाई दिया। उस दरवाजे को देखता रहा।  उसे वहां पर कोई भी नहीं दिखाई दिया। एकदम सुनसान थी। वहां उसे डर भी लग रहा था। उसने एक भयानक डरावने राक्षस को आते हुए देखा। वह राक्षस बिल्कुलडरावना था। उसको देखकर वह डर गया। उसनें गाय को देख लिया था। उस गाय को उसके दानव नें अपना ग्रास बना।

 

भोलू काफी देर तक रोता रहा उसकी गाय उस से  बिछुड़ चुकी थी। वह कोने में  एक ओर दूबका पड़ा था। राक्षस की नजर उस पर नहीं पड़ी क्योंकि अंधेरा हो चुका था। अंधेरे में उस राक्षस को कुछ भी दिखाई नहीं देता था। वह सोचने लगा यहां पर हर रोज़ कोई ना कोई इंसान तो आता ही होगा। राक्षस हर आने जाने वाले को अपना ग्रास बनाता होगा। राक्षस से चला जाता नहीं था। बूढ़ा हो चुका था। भोलू एक कोने में दूबका रहा। उसने देखा सामने से एक भयानक बालों वाली औरत चली आ रही थी। उसने उसको कहा आज तो हमारा भोजन हो चुका चलो सो जाते हैं। जैसे ही उसने जंम्भाई ली उसका हाथ एक पत्थर से टकराया। उसके हाथ में बंधी हुई जादू की माला टूट गई। उसके तीन चार मन के नीचे बिखर गए। जादूगरनी बोली इस माला का एक  भी मोती किसी के हाथ लग गया तो हम मारे जाएंगे। जो कोई भी यहां आएगा वह हमें दिखाई नहीं देगा। जल्दी से उस मनके को ढूंढो वरना जो कोई भी इंसान बाहर से आएगा उसको हम देख नहीं पाएंगे। वह हमें नुकसान पहुंचा सकता है। राक्षस बोला   रात के समय यहां कोई नहीं आने वाला सुबह जल्दी उठकर हम अपनी माला के मोतियों को ढूंढ लेंगे। तुम निश्चिंत होकर सो जाओ।

 

भोलू नें यह सब सुन लिया था। वह जब  घर से चला था उसने टॉर्च ले ली थी। वह अपने साथ कुछ पत्थर और मोटी मोटी सेल वाली रस्सी भी लाया था  ताकि जंगली जानवरों को आग जला कर डराया जाए। वह सोने के लिए अंदर गुफा के पास आया उसने टोर्च जलाई। वहां पर उसे जादू की माला के मनके दिखाई दिए। उसने कसकर  वे मोतीअपने हाथ में पकड़ लिए। उसने उनको  एक धागे में पिरो दिया उसने सोचा कि इस मनको को मैं किसी भी कीमत पर जादूगर को नहीं दूंगा। उसे वहीं पर नींद आ गई।

 

सुबह जैसे ही उसकी नींद खुली उसने अपनी ओर आते हुए जिन्न को देखा वह गरजकर बोला हमारे इलाके में कौन आया है। कौन है? जिसे अपना जीवन प्यारा नहीं है। वह जोर से चिल्लाया ऐ बालक मैंने तुम्हें देख लिया है। जल्दी से बाहर निकलो वर्ना मैं तुम्हें ढूंढ निकालूंगा। ठहरो मैं अंदर से जादू की तलवार लाता हूं जिससे एक ही झटके में तुम्हारा काम तमाम हो जाएगा। जिन्न अंदर चला गया। भोलू डर के मारे कांपने लगा। जिन्न अपनी पत्नी को बोला यहां कोई बालक मरने के लिए आ गया है। उस को पकड़ते हैं। वह बोली अगर उसने वह माला के मोती अपने गले में पहन लिए या हाथ में पहन लिए  तो वह हमें दिखाई नहीं देगा। भोलू ने सुन लिया था उसने जल्दी से वह माला अपने गले में पहन ली उससे उसने वह मोती  एक माला में पिरो दिए थे ताकि अगर कोई उससे छीन लेगा तो भी हाथ या गले की तरफ तो उसका ध्यान ही नहीं जाएगा। भोलू ने माला अपने गले में डाल दी। उसका डर के मारे बुरा हाल था। वह सोच रहा था अवश्य ही वह मारा जाएगा लेकिन यह क्या जिन्न उसके बिल्कुल सामने खड़ा था। वह उसको देख नहीं पा रहा था। वह बहुत खुश हो गया। वह बच गया। लाख-लाख शुक्र है मैं बाल-बाल बच गया।

 

सामने से आते हुए एक युवक को देखा वह युवक रास्ता भूल गया था। अंदर आ गया जिन्न उसकी तरफ देख कर चिल्लाया अच्छा जल्दी बताओ मेरी माला का मोती कंहा है मुझे उसे दे दो मैं तुम्हें नहीं मारूंगा। राजा बोला तुम कौन हो? वह बोला मैं यहां का जिन्न हूं यह गुफा मेरी है। इस गुफा में मेरी आज्ञा के बिना कोई प्रवेश नहीं कर सकता

तुम पहले इंसान हो जो मुझे टक्कर देने आए हो। इतने साल हो गए यहां आना तो दूर लोग दूर से ही यहां से चले जाते हैं। जिन्न बोला मैं तुम्हें एक दिन का की मोहलत देता हूं। जल्दी से मेरी माला मेरे हवाले कर दो वर्ना मारे जाओगे। वह बोला मैं एक राजा हूं मैं यहां शिकार खेलने आया था। जंगल में रास्ता भटक गया इसलिए यहां चला आया। मेरे पास तुम्हारी कोई माला नहीं है। जिन्न बोला सोच लो नहीं तो तुम्हें प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा। उसको अकेला छोड़कर अंदर चला गया। जिन्न बोला मैं तुम्हें एकघंटे का समय देता हूं वर्ना मरने के लिए तैयार हो जाना।

 

भोलू  राजा के पास आकर बोला भाई तुम यहां कैसे आ गए।? राजा बोला मैं  रास्ता भटक कर यंहा आ फंसा। तुम कौन हो?,  राजा नें भोलू को कहा। मैं भी अंधेरे में रास्ता भटक कर यंहा पहुंच गया। उसने मेरी गाय को अपना  भोजन बना लिया। शाम का समय था। अंधेरा था। इसलिए वह मुझे देख नहीं पाया। क्योंकि वह बूढ़ा हो चुका है यह हम दोनों को मार देगा। मुझे इसकी जादू की माला का मोती मिल गया। वह मुझे मारनें ही वाला था। मैंने वह मोती की माला अपने गले में पहन ली जिससे वह मुझे देख नहीं पाया। मैंने जादूगरनी को बोलते हुए सुन लिया था कि इस मोती को जो गले में पहनेगा या हाथ में पहन लेगा वह हमें दिखाई नहीं देगा। राजा बोला चलो हम दोनों मिलकर इस जादूगर को मारेंगे। तुम उस से कहना तुम्हें मुझ से   युद्ध करना है तो मेंरे साथ  युद्ध करो देखें कौन ताकतवर है। । राक्षस जब आया  तो राजा को बोला मरने के लिए तैयार हो या माला का मनका देते हो। राजा बोला यह आप का इलाका है। मैं आपका अतिथि हूं। अतिथि तो भगवान का रुप होता है। उसकी आवभगत की जाती है। आप तो मुझे मारने की सोच रहे हैं। राक्षस बोला मेरी माला के मोती मुझे दे दो। वह बोला ठीक है राक्षस जी मैं आपकी माला के मोती आपको दे दूंगा। एक शर्त पर पहले आप  को मुझसे युद्ध करना होगा। राजा को बोला आप मुझे अपने दांत दिखाओ। भोलू ने राजा को कहा कि   यह पांच पत्थर  वह बडे बडे पत्थर सफेद सफेद दांत की आकृति के पत्थर थे। राक्षस के सामने फेंक दो। राजा बोला यह देखो मेरे दांत। वह उसके दांत देखकर डर गया। राजा ने कहा कि अब तुम अपने दांत दिखाओ। तुम भी उखाड़ कर दिखाओ। भोलू ने उसे बताया था कि इस राक्षस की हर एक चीज में जादू है। अगर वह वस्तु हमें मिल जाए तो उससे हम इस राक्षस को मार सकते हैं। इसीलिए वह उससे उसके दांत मांग रहा था।

 

दैत्य ने अपने दांत उखाड़ने के लिए जोरलगाया उसने जैसे अपने  पांच दांत उखाड़े उसे भयानक दर्द हुआ। उसने अपने पांच दांत राजकुमार की ओर फेंके। भोलू  नें चुपचाप वह दांत सम्भाल कर अपने पास रख लिए। वह तो दिखाई नंहीं दे रहा था क्योंकि भोलू नें वह माला पहन रखी थी। भोलू ने राजा को कहा कि उस राक्षस को कहो कि अपने बाल बताएं। राक्षस बोला पहले तुम अपने बाल दिखाओ। भोलू ने राजा के पास जो वह सेल की मोटी रस्सी लाया था वह फेंक दी यह लो यह है मेरे बाल। राक्षस सोचने लगा इसके बाल तो मेरे बालों से भी लंबे हैं। राक्षस ने जैसे ही अपने बाल खींच कर फेंके उसे भयानक दर्द हुआ। गोलू ने उसके बाल भी अपने पास रख लिए राक्षस दर्द के मारे कराह रहा था।

 

अचानक दैत्य  जादूगर की पत्नी बोली यह क्या कर रहे हो।? तुम्हें पता भी है तुम्हारे बाल तुम्हारे दांत इन सभी में जादू है। दैत्य बोला इसने मुझे चुनौती दी थी मैं तो भूल ही गया था अब क्या करूं।? राजा ने और गोलू ने सुन लिया था। गोलू ने जैसे ही उसके बालों को अपने सिर से लगाया वह भी दानव बन गया भोलू एकदम डर गया जैसे  हीउसने बालों को अपने से हटाया वह फिर से अपने रूप में आ गया। दांतों को जैसे ही रगड़ा उसके सामने एक जादू का बौना आ गया बोला मेरे लिए क्या हुक्म है। बौनें को देख कर भोलू डर कर कांपनें लगा। बौना बोला  डरो मत जिस किसी के पास यह बाल होंतें हैं मै उस के वश में हो जाता हूं मुझे बताओ क्या करना है।? बौना बोला इस जिन्न को मारना बहुत ही जोखिम का काम है तुम्हें इस दानव को मारने के लिए उसे लालच देना होगा। उसे कहो चलो रेस लगाते हैं। जो दौड़ में जीतेगा। तुम जीते तो वह तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगा। अगर राक्षस जीता तो मैं तुम्हें तुम्हारी माला के मोती तुम्हें दे दूंगा। राक्षस मान गया।

 

भोलू ने उस बौनें को कहा कि मुझे उड़ने वाला घोड़ा दे दो जिसमें बैठकर मैं उड़ सकूं। बौनें ने उसे उड़ने वाला घोड़ा लाकर दे दिया। वह घोड़ा  सिर्फ राजा और भोलू को ही दिखाई देता था। वह घोड़ा  दानों को  उडा कर बहुत दूर ले गया। जंगल में वहां पर राजा का असली घोड़ा एक पेड़ से बंधा हुआ था। उस घोड़े पर उसने अपना सारा सामान रखा हुआ था। राजा ने अपनी तलवार निकाली और उस दैत्य के साथ रेस लगाई। इस बार भी राजा रेस में जीत गया। दैत्यबोला तुम तो मुझसे भी ताकतवर हो। मैं हार मानता हूं। राजा ने भोलू को धन्यवाद दिया। तुम्हारी वजह से आज मैं बच गया। भोलू बोला अभी तो हमें इस दैत्य को मार कर के यहां से वापिस जाना है। जल्दी से इस  दैत्य को मारने का कोई उपाय खोजते हैं।

 

भोलूऔर राजा ने दोनों ने मिलकर उस जादुई तलवार को हासिल करने की योजना बनाई। रात को जैसे ही जादूगर सोया भोलू ने वह माला पहन ली।  राजा ने दैत्य का रूप धारण कर लिया और उस राक्षस के कमरे में गए जहां पर दानव सोया हुआ था। राक्षस ने जैसे ही दूसरे दानव को देखा वह चिल्लाया तुम कौन हो।? तुम मेरे इलाके में कैसे घुस गए।? वह बोला मैं तुमसे लड़ाई करने आया हूं इससे पहले कि दानव उठ कर उसको मारने दौड़ता जैसे ही दैत्य उठा भोलू ने चुपचाप जाकर के उसके सिरहाने से जादुई तलवार ले ली और उस पर दो वार किए वार के प्रहार से राक्षस घायल हो गया।  राजा ने भी तलवार से उस राक्षस पर प्रहार किया। मोनू ने और राजा ने मिलकर जादूगरनी को भी मार दिया। खुशी खुशी घर वापिस आए। भोलू का दोस्त गोलू बोला मैंने तुम्हारा बहुत देर तक इंतजार किया मुझे यही पेड़ के नीचे नींद आ गई। भोलू ने अपने दोस्त को सारी कथा सुनाई कि किस प्रकार वह राक्षस को मारकर अपनी जान बचाकर वापिस आया। उसके दोस्त ने कहा सचमुच में ही तुम तो बहुत ही बहादुर इंसान हो। खुशी-खुशी  जादु की तलवार ले कर अपने घर वापिस आ गए। राजा नें अपनें दरबार में भोलू को बुलाया और उसे ढेर सारा ईनाम दिया। उसकी सब प्रजा के सामनें प्रशंसा की।

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