एक किसान था वह बहुत ही गरीब था। वह एक दिन सोचने लगा। कि क्यों ना मैं भी अमीर बन जाऊं?
जिससे मेरा जीवन सार्थक बन जाए। वह अपने घर में बैठा-बैठा योजना बनाने लगा ऐसा मैं क्या करूं? जिससे मेरा सारा जीवन आराम से कटे। वह सपनों की साकार दुनिया में हिलोरे खानें लगा। एक दिन वह कुल्लाहडी लेकर जंगल में गया तो देखा वहां पर हरे भरे पेड़ों को देख कर बहुत खुश हो गया। । उसने आसपास देखा मुझे कोई देख तो नहीं रहा है वह बहुत ही खुश हो गया। हर रोज तो उसे लकड़ियों के बहुत ही कम दाम मिलते थे। उस ने आस पास देखा उसे कोई देख तो नही रहा है। उसने एक कुल्हाड़ी ली और सबको एक-एक करके काट डाला। उसने प्रकृति की मूल्यवान धरोहर को नष्ट कर दिया था। उसने सारी लकड़ियों को अपने दोस्तों की मदद से काट डाला। एक-एक एक करके वह उन लकड़ियों को अपने घर पर ले आया और उन लकड़ियों को बाजार में बेच दिया। वह अमीर तो बन गया लेकिन अमीर बनकर वह कभी सुखी नहीं रह सका। एक दिन फारेस्ट अधिकारियों ने उसके घर छापा डाला तो पाया कि उसने ही सारे पेड़ काट डाले थे। उसको पुलिस वालों ने पकड कर जेल में डाल दिया। सरपंच अधिकारियों नें उसे उस के क्षमा मांगने के कारण इस लिए क्षमा कर दिया क्यों कि उसने अपनी गल्ती स्वीकार कर ली। सरपंच अधिकारियों नें उसे इस लिए ही छोडा। उन्होंने उस से कहा जितनें तुमनें पेड़ काटे हैं उससे दुगने पेड़ उगाने होगें। वह मान गया। उसने कसम खाई कि वह हमेशा ईमानदारी के रास्ते पर चल कर कभी भी बुराई के दलदल में कभी नही फंसेगा। वह औरों को भी लालच न करनें के लिए प्रेरित करेगा ।
हमें पेड़ नहीं काटने चाहिए। हमें अगर पेड़ काटने ही पड़ जाए तो हमें उसकी जगह एक और नया पेड़ लगा देना चाहिए। पर्यावरण दिवस हर वर्ष पांच जून को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। हम सभी जब मिलजुल कर एकजुट होंगे तभी हमारा यह प्रयास सफल होगा नहीं तो हमारा किया गया प्रयत्न निरर्थक हो जाएगा। उस किसान का सपना अधूरा ही रह गया। वह अमीर तो ना बन सका मगर लालच के फेर में पड़कर अमीर बनने का ख्वाब देखने लगा था जिसके कारण उसकी ऐसी हालत हुई। इसलिए बच्चों हम सबको इस कहानी से सबक लेना चाहिए कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। मेहनत से तुम चाहे एक ही रुपया क्यों ना अपनी गुल्लक में इकट्ठा करो उस रुपए को ही अपना मूल्यवान खजाना समझो।
“पेड़ हमारे जीवन दाता,
इनसे हमारा सदियों का नाता ।
पेड़ों से सब हरियाली पाता।
पेड़ों को निरर्थक काटने से बचाओ,
हर बच्चा घर-घर जाकर इस पावन धरा को समृद्ध बनाओ”