जल्दी से वर्दी पहनाकर स्कूल को करो तैयार। लंच बॉक्स में देरी ना करो झटपट करो तैयार। रोज-रोज रख देती हो मक्की की रोटी और साग। जिस को खा कर अब मेरा दिल नहीं होता है बाग बाग। मीनू अब मैंने छांट डाला। किचन के द्वार पर लिख टांगा। सोमवार को आलू खिचड़ी। संग रोटी… Continue reading लंच बाक्स
Day: September 6, 2018
कब क्यूं और कैसे
तीन दोस्त थे अंकित अरुण और आरभ। तीनों साथ-साथ शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वह तीनों 12वीं की परीक्षा के बाद पढ़ाई भी कर रहे थे। और नौकरी ढूंढने का प्रयास भी कर रहे थे। उनके माता पिता चाहते थे कि वे नौकरी करके हमारा भी सहारा बने। अंकित अरुण और आरभ तीनों मध्यम वर्गीय… Continue reading कब क्यूं और कैसे