मेरी सहेलियां

देखो देखो यह मेरी सहेलियां। मुझे लगती है यह पहेलियां। मेरी सहेली अंजली हमेशा हंसती खिल खिलाती। नीलाक्षी है हमेशा पक्की दोस्ती निभाती। डिंपल रहती है चुप चुप। नेहा बातें करती है गुपचुप। तारुषि  को कहते हैं सब भोली लेकिन वह है बंदूक की गोली। अर्चना है हमेशा गाना गाती। अंजना की लिखाई भी है… Continue reading मेरी सहेलियां

होनहार टफी

रामप्रकाश एक छोटे से कस्बे में रहने के लिए आए थे क्योंकि कुछ दिन पहले ही उनका तबादला सोनपुर के एक छोटे से कस्बे में हुआ था ।उन्होंने वहां पर एक घर किराए पर लिया हुआ था। उस घर में वह अपनी पत्नी के साथ रहते थे अभी उनकी शादी को दो-तीन महीने ही हुए… Continue reading होनहार टफी

चिन्टू और गडरिया

किसी गांव में एक गडरिया रहता था। वह  भेड़ और बकरियों को चराने जंगल में ले जाया करता था। उसका एक बेटा था वह दो साल का था। कभी कभी वह  उसको भी अपनें साथ भेड़ बकरियां चराने साथ ले जाता था। गडरिया हमेशा बीमार ही रहा करता था। वह सोचने लगा कि मेरे बाद… Continue reading चिन्टू और गडरिया