एक किसान था उसकी पत्नी और एक बेटा था। वह अपनी पत्नी और बच्चे को हमेशा खुश रखता था। वह दिन रात खेत में मेहनत करके कमा कर लाता था। उससे उसकी आजीविका चल रही थी खेत में खुदाई कर रहा था तो उसने देखा खुदाई करते करते एक सांप उस की चपेट में आ गया था सांप तो मर गया था सांप का छोटा सा बच्चा था । सांपिन वहां नहीं थी ।वह सोचने लगा अगर वह सांपिन जिंदा होगी तो वह जरुर हमसे बदला लेगी ।चाहे बदला ले या कुछ भी हो मैं इस बच्चे को घर ले जाऊंगा आज से यह मेरा बेटा होगा ।मेरा एक बेटा है आज से मेरे दो बेटे होंगे ।उसने सांप के बच्चे को टोकरी में डाला और अपने घर ले आया ।सांपिन ने उस किसान को देख लिया था ।सांपिन जैसे ही अपने बिल में आई उसका सांप मरा पड़ा था। रो-रो कर उसने अपना बुरा हाल कर दिया था। उसको मालूम हो गया था कि किसान ने उसके पति को मार दिया था मेरा बच्चा भी शायद उसने मार दिया होगा ।उसने अपने पति को वचन दिया कि मैं इसको मार कर ही दम लूंगी,तब मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगी मैं कसम खाकर कहती हूं कि आज मैं भी इस के घर के एक-एक सदस्यों को मार कर ही दम लूंगी ।किसान हर रोज खेत में काम करने हल जोतने जाता था ।उसकी कुदाली में खून लगा था । सांपिनको पता लग गया था कि ये काम किसान का ही है। उसने ही मेरे पति की जान ली है ।वह किसान के पीछे पीछे उसके घर तक आ गई ।किसान तो घर के अंदर चला गया था था वह घर के बाहर ही इंतजार करने लगी कब यह घर का द्वार खोले या खिड़की खोले जिससे वह अन्दर घुस सके। किसान को जैसे ही बाहर जाते देखा कि किसान की पत्नी ने खिड़की खोल दी।खिड़की के एक कोने से सांपिन आ गई और बिस्तर के एक कोने में छिप गई ।वहां पर किसान का बेटा एक चटाई पर खेल रहा था। चटाई पर सभी ने उसे खेलते देख लिया था।सांपिन ने किसान के बेटे को डस लिया खिड़की के बाहर जब सांपिन जा रही थी तो किसान ने देख लिया था। वह अंदर से आ कर दौड़ता दौड़ता चिल्लाया चीकू चीकू चीकू ।किसान की पत्नी ने भी सांपिन को बाहर निकलते देखा ।किसान को आभास हो गया था कि सांपिन अपना बदला लेने आई है उसने हमारे बच्च को शायद डस लिया होगा अंदर जाकर किसान की पत्नी और किसान ने देखा कि उसके बेटे को सांपिन ने डस लिया था वह जोर जोर से चिल्लाने लगी बचाओ- बचाओ वह दोनों उसे अस्पताल तो ले जाना चाहते थे मगर उनके गांव में कोई भी अस्पताल नजदीक नहीं था ।उसके पास इतने अधिक रुपए नहीं थे जिसे वह अपने बच्चे को बचा पाते। उनके बेटे के मुंह से झाग निकल रहा था ।वह मर चुका था। दोनों ने अपने बेटे को दाह संस्कार कर दिया । वह दोनों गुमसुम रहने लगेथे। किसान बोला अब यह सांप का बेटा ही हमारा बेटा है ।हम उस सांप के बेटे को ही अपना बेटा समझ कर पाल लेंगे ।हम दिन-रात उसकी देखभाल करेंगे जैसे अपने बेटे की करते थे। मुझे लगता है कि सांपिन को उसके बेटे को मारकर कुछ राहत मिली थी । वह किसान को मारने आई ।वह खिड़की के सहारे अंदर छिप कर घूम रही थी। वहां का दृश्य देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वहां पर किसान और उसकी पत्नी सांप को दूध पिला रही थी। उसे देख कर रो पड़ी। यह दृश्य देखकर वह हैरान हो गई मैंने तो उसके घर के चिराग को मार दिया। किसान ने भी तो बिना सोचे समझे उसके पति को मार दिया था। उसे क्या पता था उसका बच्चा जीवित है ?वह उसे अपने बच्चे जैसा ही प्यार दे रही थी। उसकी आंखों से आंसू छलक गए। अगर उसने अपने बच्चे को इस तरह देखा होता तो उस दिन मैं उनके बच्चे को नहीं मारती इन्होंने भी तो अपने बच्चे को खोया है मैंने अपना बदला इसके बच्चे को मार कर ले लिया है ।मैं देखना चाहती हूं कि यह सच में ही वे उसे अपना बेटा मानते हैं या नहीं ।जब सांपिन ने देखा कि किसान और उसकी पत्नी सांप को हर रोज दूध पिलाते थे सांपिन ने कहा अगर मैंने अपने सांप को सच्चे दिल से प्यार किया है तो इन किसान और उसकी पत्नी को कहीं से भी एक बच्चा दे । मैंने हमेशा अपने पति के अतिरिक्त किसी सांप की और देखा भी नहीं ।मैंने भी इनके बच्चे को भी अनजाने में मार दिया। वह मंदिर में चक्कर काट रही थी किसान और उसकी पत्नी ने देखा उन का दरवाजा किसी ने खटखटाया? किसान की पत्नी ने किसान को कहा हमारे घर का दरवाजा कोई खटखटा रहा है। किसान ने दरवाजा खोल दिया उसके सामने एक सेठ और सेठानी खड़े थे। उनकी गोद में एक बच्चा था ।उसके हाथ में अटैची थी ।सेठानी ने किसान के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा कृपया हमारे बच्चे को बचा लो ।इस को सांपिन ने काट लिया है ।हमारे पीछे गुंडे पड़े है ।अभी भी हमसे हमारा बच्चा छीनने आ रहे हैं । तुम अगर हमारे बच्चे को बचा लोगे तो भगवान तुम्हारा भला करेगा! वह बच्चे को छोड़कर वहां से चले गए ।किसान ने बच्चे को पकड़ लिया था और दरवाजा बंद कर दिया था ।किसान रो रहा था आज फिर इस बच्चे को सांप ने काट लिया ।हे भगवान !इस बच्चे को बचा लो मैं इस बच्चे को अस्पताल ले जाता हूं तो यह रास्ते में ही यह दम तोड़ देगा ।अगर उन गुंडों ने इस बच्चे को देख लिया तो वे इस बच्चे को भी पकड़ लेंगे ।मैं इस बच्चे के गले से सोने का लॉकेट निकाल लेता हूं। वे लौकट छिननेके लिए इस बच्चे को पकड़ रहे होंगे ।किसान ने उसका लौकट अपने कमीज में छुपा लिया। किसान की पत्नी अपने पति किसान की तरफ देखकर बोली चलो इस को बचाते हैं । सापिन खिड़की से सब कुछ देख रही थी ।उसने अपनी मणि नीचे गिरा दी थी ।किसान ने देखा मणि उसके सामने पड़ी थी ।वह चौका उसने चुपचाप मणि को उस बच्चे के काटे हुए स्थान पर लगा दिया। उस मणि ने सारा जहर चूस लिया था वह बच्चा बच गया था दोनों ने उसे हल्दी वाला दूध पीने को दिया। वह दोनों बच्चे को जिन्दा पाकर खुश थे ।थोड़ी देर के लिए सोचनेे लगे कि हमारा बेटा वापिस आ गया है । यह तो उस सेठ -सेठानी का बेटा है ।चलो इस बच्चे की जान तो हमने बचा ली है ।कुछ दिनों तक तो सांपिन उनके घर नहीं आई। उसे मालूम हो गया था कि इन दोनों को बच्चा मिल गया है । बच्चा चाहे किसी का भी हो ।सेठ -सेठानी को उन गुंडों ने मार दिया था ।किसान जब खेत में जा रहा था उसे चौराहे पर सेठ और सेठानी मरे हुए मिले। पुलिस छानबीन कर रही थी किसान और उसकी पत्नी ने उस बच्चे से पूछा बेटा तुम्हारा नाम क्या है?वह बोला चीकू ।किसान और उसकी पत्नी की आंखों में आंसू छलक आए। वह बोले आज हमारा चीकू वापिस आ गया है । वह चीकू को अपना बेटा मानने लग गए थे ।सांपिन बीच-बीच में अपने बच्चे को देखने आती थी ।एक दिन सांपिन के मन में आ गया कि कहीं वह किसान और उसकी पत्नी उस बच्चे को पाकर मेरे बच्चे के साथ अन्याय तो नहीं कर रहे हैं। वह मेरे बच्चे को भी प्यार करते हैं या नहीं मुझे इनकी परीक्षा लेनी होगी। सांपिन ने एक सपेरे का रूप धर लिया। वह महात्मा बनकर वहां पर पहुंच गए। किसान से बोले यहां पर कौन-कौन रहता है ?किसान बोला मेरे दो बेटे हैं । चीकू और मीकू। संपेरा बोला तुम्हारा एक ही बेटा इधर दिख रहा है ,दूसरा बेटा कहां है मुझे यहां पर शराब की गंध आ रही है। तुम्हारे घर में सांप है क्या ?वह बोला तुम्हें कैसे पता चला ?वह सांप नहीं है वह हमारा बेटा है ।इसका नाम निक्क है।वह बोला इस सांप को मुझे दे दो। वह बोला इसको मैं किसी भी कीमत पर नहीं दे सकता। मुझसे बड़ा भारी अपराध हो गया था ।मैंने इसके पिता को अनजाने में मार दिया। मैंने उस दिन कसम खाई थी कि चाहे मेरी जान भी चली जाए मैं उसे किसी को भी नहीं दूंगा ।संपेरा बोला चलो ,अच्छा कोई बात नही तुमं इस बच्चे को मुझे दे दो ।वह बोला मैं इसे नहीं दूंगा मेरे दो बच्चे हैं ।वह दोनों मेरी जान है ।तुम मुझे मार दो ।मेरी पत्नी को मत मानना क्योंकि मेरी पत्नी ने इन दोनों को पालना है ।कृपया मेरी पत्नी को मत मारना। संपेरा बोला बातें मत बनाओ। अच्छा अगर तुम यह यह बच्चा नहीं देना चाहते तो यह मणि मुझे दे दो। किसान बोला ठीक है मेरे दोनों बच्चों को छोड़ दो। इस मणि को ले जाओ हमें इस मणि से कुछ नहीं लेना। संपेरे ने मणि उठा ली थी। सपेरा मणि को ले करअचानक बाहर निकल गया । सांपिन का रूप धर कर खिड़की के झरोखों से देखा दोनों पति पत्नी ने मेरे बच्चों को अपने बच्चे जैसा प्यार दिया है ।वह दोनों सच्चे हैं ।मेरा बदला अब पूरा हुआ ।बाहर निकलकर वह सांप के बिल में पहुंच गई ।जहां पर सांप मरा पड़ा था। सांपिन वंही पर पंहुच गई जंहा उसके साथी ने अपनी जान दे दी थी।वह मर कर अपने सांप के पास पहुंच गई थी ।उसने किसान और उसकी पत्नी को छोड़ दिया था ।जब किसान बाहर आया तो उसके घर के बाहर सांपिन मरी पड़ी थी ।मणि वही पर पड़ी थी। किसान रो रहा था किसान को सारा माजरा समझ आ चुका था। वह अपने बेटे को देखने आई थी।शायद संपेरे के के वेश मे किसान ने उसे जला दिया था। आज किसान खुश था ।आज उसके दिमाग से सारा बोझ हट चुका था ।ं
Day: September 26, 2018
किसान और उसका समझदार बेटा
एक किसान था उसके एक बेटा था। एक बार उसकी पत्नी बहुत बीमार हो गई ।किसान की पत्नी ने अपने पति से कहा कि मेरा बचना बहुत मुश्किल है ।तुम दूसरी शादी मत करना। कुछ दिन बाद उसकी पत्नी मर गई। किसान ने कुछ दिन तो अपने बेटे को लेकर समय बिताया परंतु एक दिन वह अपने बेटे के लिए दूसरी मां ले आया। वह उसकी असली मां नहीं बन सकती थी ।
उसकी सौतेली मां के भी एक बेटा हो चुका था। वह रामू को फूटी आंख नहीं सुहाती थी वह इसी उधेड़बुन में रहती थी कि वह कब इस बच्चे से छुटकारा पाए इसके लिए वह तरह तरह की योजना बनाती रहती थी।एक दिन उसने अपने पति से कहा कि तुम अपने बच्चे को कहीं पर छोड़ आओ। जहां सेे वह कभी यहां वापस ना आ सके। किसान ने कहा कि मैं अपने बच्चे के बारे में ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोच सकता हूं। उसकी पत्नी ने कहा कि तुमने अगर उसे नहीं छोड़ा तो मैं उसे किसी ना किसी तरीके से मरवा दूंगी ।तुम उसे किसी दूर स्थान पर छोड़ आओ। जिससे कभी भी वह वापस ना आ सके। किसान अपने बेटे को मरता नहीं देख सकता था। उसकी पत्नी ने उससे कहा कि तुम अपने बेटे को कहना कि दूर के रिश्ते में तुम्हारे चाचा के बेटे की शादी है उसे भी साथ ले जाना और रास्ते में कहीं पर छोड़ आना। सुबह बेटा जब जागा तो उसने अपने पापा को तैयार होते देखा तो बोला पिता जी आप कहां जा रहे हो? उसका पिता बोला मैं तुम्हारे चाचा के बेटे की शादी में जा रहा हूं।
तुम भी मेरे साथ चलो बेटा मान गया। वह भी अपने पिता के साथ चलने के लिए मान गया जब वह काफी दूर निकल आए। उनको चलते चलते शाम होने को थी उसके पिता ने एक सराय के पास उसको बैठने का इशारा किया और कहा बेटा जरा में लघुशंका से निवृत होकर आता हूं तब तक तुम मेरा यही पर इंतजार करना। उसने अपना बैग अपने बेटे के पास थमा दिया और चुपचाप वहां से खिसक गया ।जब काफी देर तक उसके पिता नहीं आए तो बेटे को चिंता सताने लगी। सोचनें लगा उन्हें इतनी देर तो नहीं लगनी चाहिए थी। वह अपने पिता को ढूंढते-ढूंढते पुकारने लगा। दूर-दूर तक भयानक जंगल में उसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं था। अंधेरा भी होने वाला था वह चुपचाप आहिस्ता आहिस्ता चलने लगा
अचानक उसे एक घर दिखाई दिया ।वहां से रोशनी आ रही थी ।वह एकदम अंदर जाने ही वाला था वहां पर एक जिन्न जैसी भयानक शक्ल वाला आदमी खड़ा था। वह भयानक राक्षसथा। राक्षस ने उससे कहा बेटा डरो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करुंगा। मेरा भी तुम्हारे जैसा ही एक बेटा ह। मेरी शकल सूरत पर मत जाओ देखने में तो मैं तुम्हें डरावना प्रतीत होता हूं परंतु तुम्हें मुझ से डरने की कोई आवश्यकता नहीं आओ थकान दूर करो। मैं तुम्हें खाना देता हूं। किसान के बेटे का डर के मारे बुरा हाल हो गया था उसका भूख के मारे बहुत बुरा हाल था। उसने आव देखा न ताव फटाफट खाना खाने लगा। खाना खाकर उसने एक पलंग की ओर इशारा किया और उस पलंग पर सो सोने के लिए कहा। किसान का बेटा अंदर आराम करने के लिए चला गया। राक्षस ने कहा बेटा आज तो मैं भी थक गया हूं मैं भी विश्राम करना चाहता हूं सुबह तुम से बात करूंगा। किसान का बेटा अंदर चला गया और चुपचाप जैसे ही चारपाई पर बैठा उसकी आंखों से नींद तो कोसों दूर थी। वह सोचने लगा कि हो ना हो यह राक्षस उसे जरूर खाएगा शक्ल से वह राक्षस बुढा नजर आ रहा था उसे दिखाई भी नहीं कम देता था। किसान का बेटा सोचने लगा कि मैं इस राक्षस से अपने आप को कैसे बचाएं। उसके दिमाग में एक योजना आई। पास में ही उस राक्षस का बेटा सोया हुआ था ।वह इतनी गहरी नींद में सोया था कि वह बिल्कुल भी हिल डुल नहीं रहा था। शायद उस राक्षस ने उसे भी कोई नशे की गोली खिलाकर सुला दिया था।
राक्षस जब सोने जा रहा था तो उसने राक्षस को अपने घर के पास एक मोटा सा पत्थर रखते हुए देख लिया था। रामू को लगा कि राक्षस उसे खाने की योजना बना रहा है और उसने पत्थर इसलिए रखा है ताकि वह यहां से भाग ना सके। रामू ने अपनी चारपाई को खिसका कर वहां लगा दिया जहां राक्षस का बेटा सोया था और अपने आप राक्षस के बेटे की चारपाई को वहां लगा दिया जहां राक्षस उसे चारपाई दिखा गया था। वह चुपचाप सोने का नाटक करने लगा ।रात के 3:00 बजे थे उसको राक्षस अपने कमरे की ओर आता दिखाई ।उसने राक्षस के बेटे को भी पूरी तरह चादर ढका दी थी और पूरी तरह से अपने आप को भी चादर से ढक लिया था राक्षस आया उसने उस चारपाई पर से सोए सोए ही उस बेटे को उठाया और बाहर एक ही वार के प्रहार से उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए ।वह किसान का बेटा यह सब देख रहा था। उस राक्षस नें आधी रात को अंधेरे में अपने ही बेटे को खा लिया था। उसने वहां पत्थर भी वहां से हटा दिया ।वह राक्षस सोचनें लगा कि मैंने तो अब उस बच्चे को खा ही लिया है। उस पत्थर को वंहा पर् रखने से क्या लाभ उसने पत्थर को वहां से हटा दिया ।डर के मारे रामू बुरी तरह से काम्प रहा था। उसने राक्षस को दोबारा अपने कमरे की ओर जाते देखा ।राक्षस सोने चला गया था। किसान का बेटा जल्दी जल्दी उठा और वहां से भाग निकला भागते-भागते वह सोचने लगा कि मैं कहां जाऊं क्या करुं? मैं अपने घर घर जाऊंगा तो शायद कहीं मेरी सौतेली मां मुझे फिर से कहीं घर से निकाल ना दे ।उसने मेरे पिता को भी अपने साथ मिला लिया है अब मैं कहां जाऊं। सुबह होने को थी वहां से वह भाग गया सुबह जब राक्षस जगा तो अपने बेटे को जगाने के लिए उठा तो देखा वहां उसका बेटा ना था। अब तो उसे समझ समझते देर नहीं लगी कि उसने जिस बच्चे को खा लिया था ।वह तो उसका अपना ही बेटा था राक्षस सिर पटक पटक कर मर गया। बच्चा भागते-भागते बहुत दूर आ गया था। काफी दूर चल कर उसे एक घर दिखाई दिया। वहां पर अंदर चला गया वह एक साहूकार का घर था।साहूकार के पास गया और बोला बाबा मैं बहुत ही थक गया हूं। मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है एक बाबा है पर वह भी पता नहीं कंहा है? मुझ से बिछुड गए हैं। अब तो मैं अकेला हूं। मैं आपके घर का काम कर दिया करुंगा ।कृपया मुझे खाना खिला देना। साहूकार ने कहा कि मेरा बेटा भी तुम्हारे जैसा था ना जाने वह कहां चला गया है? उसको आज गए हुए तीन साल हो चुके हैं मगर वह आज तक वापस नहीं आया है ।तुम मेरे बेटे जैसे हो। साहूकार ने उसे बड़े प्यार से खाना खिलाया और कहा बेटा जब तक तुम यहां रहना चाहते हो तब तक तुम यहां रह सकते हो इतना प्यार देखकर किसान के बेटे की आंखों से आंसू आ गए। साहूकार ने यह घोषणा की थी कि अगर कोई उसके बेटे को सुरक्षित यहां लेकर आएगा उसे वह अपनी आधी संपत्ति का वारिस बना देगा। किसान का बेटा सोचने लगा कि काश अगर मुझे साहूकार का बेटा मिल जाए तो मैं उसे साहूकार के बेटे को उस से मिलवा दूंगा तब मुझे भी संपत्ति मिल जाएगी और मेरे घर रहने का ठिकाना भी हो जाएगा रात को वह सोने जा ही रहा था तो उसे अपनी मां दिखाई दी। उसने अपनी मां को बताया कि उसकी सौतेली मां ने उसे घर से निकाल दिया था। उसकी मां ने कहा बेटा निराश मत हो। मैंने तुम्हें चारों कोनों में अपनी अस्थिया दबाने के लिए कहा था। जब तुम्हें किसी वस्तु की बहुत ही जरुरत होगी तब तुम वहां से एक-एक करके निकाल लेना सुबह जब उठा तो उसे स्वपन की बात याद आई वह अपने घर की ओर चलने की योजना बनाने लगा ।उसने अपना वेश बदला और वहां पर चलने के लिए तैयार हो गया और अपने घर पहुंच गया। वहां पर उसने अपनी सौतेली मां को और पिता को देखा। उसने भेष बदला हुआ था इसलिए उसे उन दोनों ने नहीं पहचाना। उसने अपनी सौतेली मां को कहा कि वह बहुत दूर से आया है ।यहां के प्रधान जी से मिलना चाहता है ।प्रधान जी नहीं मिले वह कहीं गए हुए थे इसलिए वह यहां चला आया। उसकी सौतेली मां ने कहा कि बेटा कोई बात नहीं आज रात तुम यह कर सकते हो? किसान ने कहा बेटा बड़ी खुशी से तुम यहां रह सकते हो । उसने रात को क्यारी में से कुछ कंकड़ निकालें और उनको एक कपड़े में बांध लिया और उसको उस गड्ढे से ढक दिया। रात को उसकी मां ने उसे स्वपन में कहा बेटा जल्दी से यहां से चले जाओ। उसने अपनी मां को बताया कि साहुकार का बेटा न जाने कहां खो गया है? साहूकार ने घोषणा की है कि जो मेरे बेटे को ढूंढ कर लाएगा उसे मैं अपनी आधी संपत्ति का वारिस बना दूंगा अगर मैं उसके बेटे को ढूंढ कर ला देता हूं ।वह साहूकार
मुझे आधी संपत्ति का वारिस बना देगा। उसकी मां ने उसे स्वप्न में कहा बेटा तुमने जो क्यारी से कंकर निकाले हैं तुम उन कंकड़ को रास्ते में फेंकते जाना जहां पर यह यहां कंकर समाप्त हो जाएंगे जहां पर कोई कंकड़ नहीं बचेगा वहां समझ लेना कि वही पर उस साहूकार का बेटा है। जो राख तुमने गड्ढे में से निकाली है तुम इस राख को अगर किसी पर फेंकोगे तो वह इंसान तुम्हारे साथ चलने लग जाएगा। तुम्हे इन कंकर और इस राख का ठीक ढंग से सदुपयोग करना है।
साहूकार का बेटा तुम्हें मिल जाएगा सुबह उसने किसान को कहा अच्छा बाबा मैं चलता हूं। प्रधान जी को मिलने मैं फिर कभी आ जाऊंगा। वह साहूकार के पास आकर बोला बाबा मैं आपको विश्वास दिलाता हूंआपने मुझ पर विश्वास करके अपने घर में पनाह दी मुझे भूख लगने पर खाना खिलाया। बाबा मैं कसम खाता हूं कि अब मैं आपके पास तभी आऊंगा जब तक मैं आपके बेटे को ढूंढ कर न ले आऊं। उसके इतना कहने पर साहू कार नें उसे अपने गले से लगा लिया वह बोला बेटा बड़ी मुश्किल से तुम मुझे मिले थे मैंने समझा था कि इतने दिनों बाद मुझे एक बेटा छीन लेने के बाद मुझे दूसरा बेटा मिल गया है मगर तुम भी हमें छोड़कर जा रहे हो। बेटा अगर तुम मेरे बेटे को ढूंढ कर ले आओगे तो मैं अपने वादे के अनुसार तुम्हें अपनी आधी संपत्ति का वारिस बना दूंगा। तुम मेरे बेटे को नहीं भी ला सके तो भी मैं तुम्हें अपनी बेटे की तरह तुम्हें अपने घर में रखूंगा। किसान के बेटे ने साहूकार के और उसकी पत्नी के पैर छुए और कहा मुझे आशीर्वाद दो मैं सफल हो कर लौट आऊं।
साहूकार ने उसे बहुत धन दौलत देखकर उसे विदा किया। किसान का बेटा चलते चलते रास्ते में कंकर फेंकता जा रहा था और उसे चलते चलते दो दिन हो चुके थे। उसने देखा उसके पास एक कंकर शेष था। वह कंकर भी समाप्त हो चुका था। जहां वह कंकर समाप्त हुआ वहां उसने देखा एक बहुत ही बड़ा खंडर था। उस घर में घुस गया उस खडंहर में एक बड़े से टोप वाले एक आदमी को अंदर जाते देखा। वहां पर एक ढाबा था। उस ढाबे में दूर दूर से आने वाले यात्रियों को खाना मिलता था। वहां साथ में ही उसनें एक सराय में रात को एक कमरा किराए पर लेने की सोची। उस ढाबे को देख कर उसे भूख सताने लगी सोचने लगा पहले यहां कुछ खा पी लेता हूं। उसके बाद एक कमरा रात बिताने के लिए किराए पर ले लेता हूं।
वह ढाबे के अंदर चला गया वहां पर एक औरत और उसकी बेटी थी। उसने उनसे खाना बनाने के लिए कहा। खाना खाकर वह बहुत थक चुका था। उसने ढाबे की मालकिन से पूछा क्या यहां एक कमरा किराए पर मिल सकता है? ढाबे की मालकिन ने कहा उस सराय में तो सारे कमरे किराए पर चढ़ चुके हैं। मेरे पास एक कमरा है। एक कमरा कभी न कभी किराए पर चढ़ ही जाता है। अगर तुम्हें ठीक लगे तो ठीक है उसने वह कमरा उसे दिखा दिया। वह कमरा किसी खंडर से कम नहीं दिखाई देता था। उसने ढाबे की मालकिन को कहा आज रात मैं यही बताना चाहता हूं। उसने ढाबे की मालकिन से कमरे की चाबी ले ली थी। रात को वह सोने की जा रहा था तभी उसे रात को रोने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज कहां से आ रही है?, उसने देखा वह ढाबे की ऊपर वाली मंजिल में गया वहां से वह रोने की आवाज़ आ रही थी। उसने चुपके से झरोखे में से झांका वहां पर वही टोपवाला आदमी खड़ा था। वह दूसरे आदमी से कह रहा था कि तुमने उसकी बात नहीं मानी तो वह तुम्हें यहां सदा के लिए मरने के लिए छोड़ देगा। तुम यहां पर तड़प तड़प कर मर जाओगे। तुम्हें यहां ढूंढने वाला कोई नहीं आएगा।
तुम जैसे पहले हमारे लिए काम करते थे वैसे ही तुम्हें मेरा यह काम भी करना होगा नहीं तो मैं तुम्हें यही मारकर तुम्हारा काम तमाम कर देता हूं। दूसरा आदमी रोते हुए टोप वाले आदमी के पैरों पर पड़ गया बोला? कृपया मुझे एक बार अपने घर जाने दो। तीन साल हो गए मुझे अपने परिवार वालों से बिना मिले वह मुझे याद करते करते मेरे गम में मर जाएंगे।
किसान का बेटा हैरान रह गया। चुपचाप वह सीढ़ियों से नीचे आया जब तक वह टोपवाला आदमी अपने कमरे में सोने नंही चला गया। किसान का बेटा अंदर कमरे में घुसने का प्रयत्न करने लगा। उसने अपने कमरे की चाबी लगा दी। उससे ऊपर के कमरे का दरवाजा खोल दिया। अपने सामने एक अजनबी आदमी को देखकर साहूकार का बेटा कांपते हुए बोला तुम मुझसे क्या चाहते हो? तुम यंहा क्या करनेआए हो? मैं हर रोज की इस थकन भरी जिंदगी से थक चुका हूं। तुम सब मेरी जान लेना चाहते हो तो ले लो। किसान के बेटे ने उसके मुंह पर उंगली रख दी। उसने उस नवयुवक से पूछा तुम कौन हो।? और यहां तुम्हें क्यों बंदी बनाया हुआ है।? किसान के बेटे ने कहा तुम्हारे कमरे से रोने की आवाज आ रही थी। मैं यहां पर किसी की तलाश में आया हूं इसलिए आज रात को इस ढाबे में कमरा किराए पर लिया है। सुबह यहां से मैं चला जाऊंगा। भाई मेरे तुम डरो मत अगर तुम्हें यहां किसी ने कुछ कह दिया है तो मुझे सब कुछ सच सच बताओ। मैं तुम्हें यहां से निकालने का प्रयत्न करुंगा। उसी बंदी नवयुवक ने कहा कि मेरे पिता एक साहूकार है। मैं अपने सामान को बेचने के लिए यहां पर आया था। समान को बेचकर जब यहां से बहुत सारा पैसा कमा कर जा रहा था तब इन आदमी ने मुझे देख लिया। मुझ से सारे रुपए छीन कर मुझे यहां कैद कर लिया।
उन आदमियों ने किसी निर्दोष व्यक्ति को मार दिया है। उसके घर में डाका डालकर उसको जान से मार दिया और मुझसे कह रहे हैं कि तुम अदालत में यह बयान देना कि तुम ने उस व्यक्ति को मारा है अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो हम तुम्हें जान से मार देंगे। क्योंकि जिस व्यक्ति ने उस निर्दोष व्यक्ति को मारा था उस व्यक्ति की शक्ल मुझ से काफी मिलती है। इसलिए जब तक कार्यवाही नहीं हो जाती मुझे उन्होंने यहां कैद कर रखा है।
किसान के बेटे को समझते ही नहीं लगी कि वह जिस व्यक्ति को ढूंढने निकला था वह तो वही साहूकार का बेटा था। उसने साहूकार के बेटे को कहा कि तुम्हें मुझ से डरने की कोई जरुरत नहीं। मैं तुम्हें ही ढूंढते ढूंढते यहां आया हूं। जैसा मैं कहूं तुम वैसे ही करना। किसान के बेटे ने ताला लगा दिया और नीचे उतर आया। सुबह-सुबह ढाबे की मालकिन को उसने चाय बनाने के लिए कहा। साहूकार के बेटे ने कहा कि यह लोग मुझे हर रोज नशे वाली गोलियां देते हैं जिनसे मुझे नींद आ जाती है। आज तो यह गोलियां मैंने नहीं खाई है। किसान के बेटे ने कहा कि तुम इन गोलियों को आज मुझे दे दो। आज तो तुम मेरा कमाल देखो। उसने कमरे का ताला लगा दिया और चुपचाप वहां पर ढाबे पर आकर मालकिन को जगा दिया और कहा कि मुझे चाय पीनी है।
ढाबे की मालकिन ने कहा अभी तो 3:00 ही बजे हैं। किसान के बेटे ने कहा मुझे सुबह सुबह चाय पीने की आदत है।टोप वाला आदमी भी पास बैठा हुआ था। वह बोला मुझे भी चाय बना देना। किसान का बेटा बोला आंटी चलो आज मैं आपको बहुत ही स्वादिष्ट चाय बनाकर पिलाता हूं। उसमें ढाबे वाली मालकिन को कहा कि आप मेरे सामने बैठ जाओ। टोप वाले आदमी ने कहा कि उसे चाय बनाने दो। किसान का बेटा चाय बनाने लगा उसने चाय मे वह नशे की गोलियां डाल दी और सबको चाय देने लगा। अपने लिए उसने अलग से चाय निकाली। उन सब ने जब चाय पी तो वह सब बेहोशी की अवस्था में एक और लुढ़क गए। वह जल्दी-जल्दी ऊपर गया उसने कमरे का दरवाजा खोला और उसने साहूकार के बेटे को वहां से निकाला और पुलिस में जाकर पुलिस को सूचना दी कि इस व्यक्ति को इन गुंडों ने तीन साल से कैद कर रखा है।
पुलिस वालों ने साहूकार के बेटे से कहा मुझे तीन साल हो गए हैं। इन गुंडों ने मुझसे सारे रुपए छिपकर मुझे किसी व्यक्ति के खून में फंसा दिया है। शायद उस खुन करनें वाले व्यक्ति की शक्ल मुझसे मिलती है। पुलिस वालों ने किसान के बेटे से कहा कि अच्छा तुम जाओ अगर तुम्हारी जरूरत पड़ी तो जब हम तुम्हें बुलाएंगे तब तुम आ जाना। पुलिस ने उसे छोड़ दिया। साहूकार का बेटा किसान के बेटे के साथ खुशी खुशी घर पहुंच गया। अपने बेटे को सुरक्षित देखकर साहूकार और उसकी पत्नी बड़े खुश हुए। उन्होंने अपने वायदे के अनुसार किसान के बेटे को आधी संपत्ति का वारिस बना दिया। किसान का बेटा एक दिन सोचने लगा कि क्यों ना एक बार मैं अपने घर होकर आता हूं इस बार जब मैं घर में आया तो वंहा भेष बदलकर ही आया था। उसने अपनी सौतेली मां को उच्च स्वर में अपने पिता को डांटते हुए देखा। वह उन्हे कह रही थी कि कुछ काम वाम भी कर लिया करो नहीं तो यहां से निकल जाओ। यह घर अब तुम्हारा नहीं है यह घर तो अब मेरे नाम पर है। मैंने तुम्हारे बेटे को तो घर से निकाल भी दिया है। इस घर से जाने कि अब तुम्हारी बारी है। जल्दी से यहां से चले जाओ वरना तुम्हें भी मैं भगवान के पास भेज दूंगी। रामू ने अपनी सौतेली मां की सारी बातें सुन ली थी। उसे अपने पिता के ऊपर दया आ गई वह तो एक बार फिर अपने पिता को बचाना चाहता था। वह चुपचाप उस क्यारी में गया और वहां उसने दूसरे कोने में खुदाई की। वहां उसे एक डंडा और रस्सी मिली। उसने उसे अपने पास रख लिया। जैसे ही रात को सोने लगा तो उसकी मां ने उसे स्वप्न में बताया बेटा तुम इतने उदास क्यों हो? उसने सारी बात बताई कि सौतेली मां पहले मुझे घर से निकाला अब वह मेरे पिता को घर से निकालना चाहती है उसने सारा रुपया घर सब कुछ अपने नाम पर कर लिया है। उसकी मां ने कहा कि तुम अपने पिता के पास ये रस्सी और डंडा दे देना और कहना जब तुम कहोगे कि चल डंडा और बंध रस्सी तब गुनाह करने वाले व्यक्ति को रस्सी बांध लेगी और डंडा उसकी पिटाई करने लग जाएगा। बेटा सुबह अपने पिता के पास गया और बोला अब मैं चलता हूं पता नहीं आप लोगों से मेरा शायद कोई पुराना संबंधी हो इसलिए ही मैं यहां आता हूं।
अपने पिता को बाहर बुला कर उसने कहा मैं आपका बेटा हूं। मैं भेष बदलकर यहां आया हूं। आपने तो मुझे घर से निकाल ही दिया था मुझे सब समझ आ चुका है कि सौतेली मां के चक्कर में आपने मुझे घर से निकाला था। आपको वह जरा भी प्यार व्यार नहीं करती है। वह तो आपकी धन दौलत से ही प्यार करती है। वह आपका सब कुछ छीन लेना चाहती है। जबकि सब कुछ उसने अपने नाम पर कर लिया है। वह आप को बाहर का रास्ता दिखाना चाहती हैह अपने बेटे को सामने देखकर किसान फूट-फूट कर रोने लगा और बोला मैं तुम्हें अपने घर से निकाल कर आज तक पछता रहा हूं। मैंने अपने पांव पर स्वयं कुल्हाड़ी मारी है। मेरे प्यारे बेटे मुझे माफ कर दे। यहां से मुझे छोड़ कर कभी मत जाना। उसने अपने पिता को अकेले में बुला कर कहा पिताजी आज मैं आपको एक रस्सी और डंडा देता हूं जब आप कहेंगे कि बंध रस्सी और चल डंडे। डंडा दोषी व्यक्ति की तड़ाक तड़ाक पिटाई करने लगता है और रस्सी से वह दोषी व्यक्ति पूरी तरह जकड़ जाता है। किसान के बेटे ने कहा कि आज आपका बेटा एक अच्छी जिंदगी जी रहा है। उसके पास अपना घर है बहुत सारी धन दौलत का मालिक है। मुझे आप से कुछ नहीं चाहिए। मैं आपको सौतेली मां से छुड़ाने आया हूं। संपत्ति घर पैसा जो आप नें गंवा दिया है उसे आपका बेटा लौटा कर यहां से चला जाएगा। उसने रस्सी डंडा अपने पिता को दे दिया।
जब शाम को किसान की पत्नी उसे कहने लगी कि आज तुम्हें खाना नहीं मिलेगा किसान ने कहा ठीक है आज मैं भूखा ही सो जाऊंगा। किसान ने चुपके से उस डंडे और रस्सी से कहा अपना काम शुरू कर दो। दोषी व्यक्ति को सजा दो। किसान की पत्नी को तभी रस्सी ने बांधदिया। वह भूत भूत कहती चिल्लाई और अपने आप को छुड़वाने लगी। जितना वह अपने आप को छुड़वाने की कोशिश करती रही उसे और भी ज्यादा जोर से जकडनें लगती।
वह चिल्लाने लगी बचाओ बचाओ। उसने अपने पति को कहा बचाओ-बचाओ। किसान ने अपनी पत्नी को कहा मुझे खाना देती हो कि नहीं। पत्नी ने कहा कि पहले मुझे उस रस्सी से छुटकारा दिलाओ। किसान के पति ने कहा मैं तुम्हें एक ही शर्त पर छुड़ा सकता हूं अगर तुम मुझे खाना दोगी। जब किसान की पत्नी ने अपने पति की बात नहीं मानी तो डंडे ने उसकी तड़ातड़ पिटाई शुरू करनी शुरू कर दी। किसान की पत्नी जोर-जोर से चिल्लाने लगी मुझे बचाओ मुझे बचाओ किसान ने कहा पहले मुझे खाना खिलाओ नहीं तो मैं तुम्हें उस रस्सी डंडे से नहीं बचा सकता। किसान ने डंडे से कहा कि रूक डंडे किसान की पत्नी ने अपने पति को खाना खिलाया वह तो मार खा खाकर अधमरी हो गई थी। दूसरे दिन जब उसने अपने पति से वही बात कही तो उसके पति ने कहा कि तुम अपने किए पर पछतावा नहीं करना चाहती तुम्हें डंडे की जरूरत है। उसने डंडे से कहा कि अपना काम शुरू कर दे तब डंडे ने फिर तड़ातड़ किसान की पत्नी की पिटाई करना शुरू कर दी। किसान ने कहा कि तुम तुम इस घर से चली जाओ। किसान का बेटा भी आ गया था। उसने अपनी सौतेली मां को कहा घर के कागजात हमारे हवाले कर दो।
किसान की दूसरी पत्नी ने यह सब नहीं किया। किसान के बेटे ने उस क्यारी में जाकर तीसरे कोने में खुदाई कर देखा तो उसे वहां राख के सिवा कुछ दिखाई नहीं दिया। उसने वह अपने कपड़े में बांधी और अपने साथ घर ले आया। सोचने लगा कि इस राख से क्या होगा।? रात को सोते वक्त किसान के बेटे को सपने में उसकी मां दिखाई दी। उसने उसे बताया कि तुम इस राख को अपनी सौतेली मां के मुंह पर फैंक दो। इस राखमें इतना जादू है कि जिस व्यक्ति से कोई काम करवाना हो उस व्यक्ति पर राख फेंकोगे तो वह व्यक्ति वही काम करने लगेगा जो हम कहेंगे। थोड़ी देर बार वह अपनी अवस्था में आ जाएगा। किसान के बेटे ने वह राख अपनी सौतेली मां के मुंह पर फेंक दी। और उसे कहा कि घर के कागजात ले आओ।
किसान की पत्नी ने घर के कागजात किसान के हवाले कर दिए। किसान के पिता ने कहा कि इस कागज पर हस्ताक्षर कर दो कि आज से यह घर में इन्हें वापिस कर रही हूं। धोखे से उसनें यह घर हथिया लिया था। किसान की दूसरी पत्नी नें कहा मैं अपनी गलती पर मैं शर्मिंदा हूं। उसने उन कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए। किसान अपने घर को दुबारा पाकर बहुत खुश था। उसने अपने बेटे की समझदारी पर बहुत प्रशंसा की जब किसान की पत्नी को थोड़ी देर बाद होश आया तो वह सोचने लगी कि मुझे चक्कर आ गया था। किसान ने उसे कहा कि इस घर से तुम सदा के लिए जा सकती हो। मुझे इतने दिनों बाद समझ आ चुकी है मैंने अपनी हीरे जैसे बेटे को खो दिया था। मैं दोबारा खोना नहीं चाहता। तुम यहां से खुशी-खुशी जा सकती हो। मेरे दिमाग में तुमने जहर भर दिया था तुमने तो मुझसे सारा कुछ छीन लिया था। मुझे फिर से सब कुछ वापिस मिल चुका है। अपने बेटे के सिवा अब कुछ नहीं चाहिए जाकर उसने अपनी पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया। जाते जाते उसने अपने पति को कहा कि तुमने मेरे साथ अच्छा नहीं किया। किसान के बेटे ने अब अपने बेटे की शादी कर दी थी। वह अपनी बहू और बेटे को पाकर बहुत खुश था।
प्रकृति का लाल
चीकू रास्ते में जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ा रहा था। उसका मालिक जब वह समय पर काम पर नहीं पहुंचता था उसको कहता था तब तक तुम्हें खाना नहीं मिलेगा जब तक तुम काम नहीं करोगे। चीकू 12 वर्ष का था रास्ते में फुटपाथ पर उसके मालिक को पड़ा मिला था। मुश्किल में उस समय चीकू तीन वर्ष का था चीकू को धुंधला धुंधला याद है। उसकी मां उसे फुटपाथ पर छोड़ गई। जब से उसने होश संभाला अपने आपको फुटपाथ पर पाया जो कोई भी वहां से जाता उससे खाने को मांगता कोई ना कोई आदमी उस पर दया करके उसे खाने को दे दिया करता था। उसका मालिक उस से डटकर काम करवाता था। बदले में उसे खाने को देता था वह भी खुश था क्योंकि उसे खाने को मिल जाता था। रात को वह सड़क के किनारे पेड़ के नीचे चुपचाप आ कर सो जाता था। उसका वही घर था
एक दिन उसके मालिक ने उसे खाने को नहीं दिया उसे बड़ी जोर की भूख लगी थी। सामने से उसने कुछ बच्चों को स्कूल जाते देखा उसने बच्चों से पूछा तुम कहां जा रहे हो? वह बोले हम स्कूल जा रहे हैं तुम्हें इतना भी नहीं पता वह अपने दिमाग में सोचने लगा यह स्कूल क्या होता है? जब वह मालिक के पास पहुंचा तो बोला मलिक जी मुझे बताओ स्कूल क्या होता है? उसका मालिक बोला तू जान कर क्या करेगा तूने कौन सा पढ़ाई करनी है? वह बोला यह पढ़ना क्या होता है? उसने एक बार जोरदार चांटा चीकू के गाल पर मार दिया। आगे से कभी मत पूछना जिसका जो काम हो उसको वही शोभा देता है। जाओ अपना काम करो उसका मालिक उसे कभी बाहर नहीं जाने देता था। कहीं इस बच्चे ने किसी को बता दिया कि इतने छोटे से बच्चे से काम करवाया जाता है इसलिए उसे कहीं नहीं जाने देता था। चीकू ने भी कभी अपने मालिक को कभी पूछने का कष्ट नहीं किया। क्योंकि अगर वह उसे पूछता था उसका मालिक उसे खाने को भी नहीं पूछता था।
एक दिन जब उसका मालिक बाहर गया हुआ था वह एकदम बाहर निकला अच्छा मौका है बाहर घूमने का वह सड़क पर अपनी ही धुन में चला जा रहा था।
सभी बच्चे स्कूल जा रहे थे। वे आपस में बातें कर रहे थे आप आज अगर तुमने प्रश्नों के उत्तर ठीक दिए तो आज उन्हें स्कूल में बढ़िया-बढ़िया खाने को मिलेगा। सबसे बढ़िया उत्तर देने वाले को ₹500 और उन्हें एक दिन का होटल में खाने को मुफ्त दिया जाएगा। बच्चों की बातों को सुनकर चीकू को बहुत ही अच्छा लग रहा था। कोई बात नहीं शायद मैं भी उनके प्रश्नों के उत्तर सही दे पाऊं। इसी तरह चला जा रहा था बच्चे स्कूल के अंदर घुस गए सभी स्कूल के बच्चे और बाहर से 15 साल तक के बच्चे स्कूल में आए थे। चीकू भी अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था।।
पुलिस वालों ने अंदर आने के लिए उसे कहा बेटा क्या तुम भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले हो? बच्चों ने कहा सर यह हमारे स्कूल का बच्चा नहीं है। अधिकारी महोदय ने कहा तो क्या हम 15 साल तक के सभी बच्चों को यहां आमंत्रित कर रहे हैं? चाहे कोई भी बच्चा हो कहीं का भी हो हम 15 साल तक के सभी बच्चों को इस प्रतियोगिता में शामिल करने के लिए आमंत्रित करते हैं। वह अंदर आ कर खुश हो रहा था कब जैसे मैं इनके प्रश्नों के उत्तर दूं और कब मुझे ईनाम मिले और भरपेट खाने को तो मिलेगा। आज तो मेरा मालिक भी कुछ नहीं कह सकता। उस के आदमियों ने आज मुझे छूट दे दी है। आज तो मैं अपने मन की हर इच्छा को पूरी करूंगा। मेरा मालिक आ जाएगा तो मैं कहीं नहीं घूम सकता। सब लोग अतिथि महोदय के आने का इंतजार कर रहे थे। बड़ी सी गाड़ी में एक लंबे से आदमी ने उतरकर जैसे ही स्कूल के मैदान में कदम रखा चीकू ने देखा सब उसको सलाम कर रहे थे। कोई झंडे लेकर कोई माला पहनाकर उनका स्वागत कर रहे थे। चीकू तो आज यह सब देख कर मन ही मन खुश हो रहा था वाह वाह इस सेठ के खूब ठाठ ह उसको सब माला क्यों पहना रहे हैं ? इसकी तो बड़े ही ठाठ है कोई उसको मिठाई खिला रहा है ? कोई इसको टीका लगा रहा है? कोई उसको ना जाने क्या-क्या ढेर सारी वस्तुएं दे रहे हैं ? इसके बदले अगर इतनी सी इतनी सारी वस्तु किसी ने मुझे दी होती तो कितना अच्छा होता जरूर आज तो इस सेठ जी से ही दोस्ती करूंगा। यह तो मेरी मालिक से भी बहुत अच्छे हैं शायद यही मुझे ज्यादा खाने दे दिया करेगा। चीकू ने देखा लाउडस्पीकर की ध्वनि से सभी बच्चों को बैठने को कहा गया। और जो बच्चा हमारे तीन प्रश्नों के अच्छे ढंग से उत्तर देगा वही आज का विजेता घोषित किया जाएगा ।
अधिकारी महोदय ने कहा 15 साल से कम उम्र का बच्चा ही इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है। एक एक करके सभी बच्चों को बुलाया गया अधिकारी महोदय ने 10 बच्चों को सिलेक्ट किया अधिकारी महोदय ने कहा कि एक बच्चा हम बाहर का भी ले सकते हैं जो बच्चा सबसे पहले हाथ खड़े करेगा उस बच्चे को बुला लिया जाएगा। अधिकारी महोदय ने देखा इतनी बड़ी भीड़ में सबसे पीछे एक बच्चे का हाथ खड़ा दिखाई दिया। उन्होंने जोर से कहा जो सबसे पीछे बच्चा खड़ा है वही आगे आएगा। चीकू ने खुश हो कर कहा वह जल्दी-जल्दी उस भीड़ में से निकलने का पर्यत्न करने लगा। उन बच्चों की लिस्ट में शामिल हो गया। सभी बच्चों को अधिकारी महोदय ने कहा तुम कहां तक पढ़े हो? सभी बच्चों ने कहा हम इसी स्कूल में पढ़ते हैं चीकू से पूछा उसने कहा मुझे स्कूल का पता नहीं है स्कूल क्या होता है? अधिकारी महोदय हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगे पहले बच्चे से अधिकारी महोदय ने प्रश्न किया तुम्हारे मां तुम्हारे परिवार और तुम्हारे परिवार म कौन-कौन सदस्य हैं। इन 3 प्रश्नों के उत्तर सबसे अच्छा जो उत्तर देगा वही हमारा आज का विजेता घोषित होगा ।।
सभी बच्चे कहने लगे हमारी असली गुरु हमारी मां है। स्कूल में अध्यापक महोदय हैं। हमारे रिश्तेदार और हमारे सगे संबंधी हमारा परिवार है। चीकू बोला महोदय मेरा असली गुरु मेरी धरती मां है। जिसकी गोद में मैं बड़ा हुआ हूं। यहां पर आकर मुझे पता चला कि यहीं पर सब कुछ है जब मां अपने बेटे को पुचकारती है दुलारती है तब मेरी मां ने मुझे रास्ते में चौराहे पर फेंक दिया। मैंने अपनी असली मां बाप को तो नहीं देखा। जब से मैंने होश संभाला तबसे मैं अपनें आप को चौराहे पर भीख मांगता फिरा करता था। जब थोड़ा बड़ा हुआ तो एक सेठ ने जी ने मुझे यहां पर काम पर रख लिया। मैं वहां उनके जूठे बर्तन साफ करने का काम करता हूं। वह मेरा मालिक क्या गुरु हो सकता है पर उसे मैं अपना गुरु नहीं मानता। क्योंकि गुरु तो वह होता है जो अपने शिष्य को सब कुछ बांट सके । मेरा मालिक तो मुझे जब मेरा काम करने का मन नहीं करता वह मुझे कहता है तुम्हें आज खाना नहीं दूंगा थक हार कर मैं वहां से हरी-भरी पहाड़ों के बीच में हरियाली खेतों के बीच में अपने आप को वहां पहुंचकर बहुत ही खुशी महसूस करता हूं । जब मैं शाम को थक हार कर घर आता हूं तो किसी पेड़ के नीचे या बगीचे में टहल कर सो जाता हूं। तितलियां पक्षी भंवरे फूल यह सब मेरा परिवार है । प्रकृति की मूल्यवान संपदा मेरा घर है । यही मेरी मां है । यही मेरा परिवार है।
अधिकारी महोदय जी आप जल्दी से मेरा इनाम दे दो। वर्ना अगर मैं आज देर से होटल पहुंचा तो मेरा मालिक आज मेरे साथ न जाने क्या-क्या कर डालेगा। अधिकारी महोदय इस बच्चे की बात सुनकर अवाक रह गए। वह बोले यही बच्चा इस ईनाम का असली हकदार है उन्होंने उस बच्चे को कहा यह लो ₹500 वह बोला साहब यह मुझे पता है एक नोट 500 का है दूसरा हजार का। चलो मुझे किसी अच्छे से होटल में मुझे ले चलो। मैं अपनी मनपसंद की वस्तु खाना चाहता हूं। अधिकारी महोदय उस बच्चे की कहानी सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने शाम को जाकर उस होटल का पता किया होटल के मालिक को जेल में डाल दिया। तुमने इतने छोटे से बच्चे के साथ अन्याय किया है। छोटे बच्चों से काम करवाना जुर्म है। उन्होंने उस दुकानदार को जेल में डलवा दिया। चीकू ने कहा जब मैं बडा बन जाऊंगा तब मै अपने परिवार की देखभाल करूंगा मै कभी भी किसी को पेडो को काटने नंदी दूंगा। अपने जन्म दिन पर एक पेड़ अवश्य ही लगाऊंगा। सरकार नें चीकू की पढाई का खर्चा अपनें ऊपर ले लिया। पढ लिख कर चीकू एक बहुत ही बडा औफिसर बना।
चिन्टू का कमरा
किसी पहाड़ी की तलहटी पर एक छोटा सा गांव था। उसमें बिहारी बाबू अपनी पत्नी निर्मला और दो बच्चों के साथ रहते थे। बीनू बड़ी थी और चीनू छोटा था। चीनू छोटा होने के कारण घर में सबका लाडला था। मां बाप ने उसको इस कदर बिगाड़ दिया था कि वह हर काम को करने में देर लगाता था। जब तक उसके मम्मी-पापा बार बार आवाज लगाकर उसे बुलाते नहीं थे तब तक वह किसी की भी नहीं सुनता था। वह कभी भी खाना खाने की मेज पर नहीं आता। बीनू एकदम गंभीर शांत और चीनू नटखट स्वभाव वाला। उसकी मां उसे समझाती कि बेटा तुम अब आठ साल के हो चुके हो कब तक कहना नहीं माना करोगे मगर उसको लगता कि मां-बाप उसे बेवजह डांट रहे हैं। वह खाने को नीचे फैेंक देता और जल भून कर बाहर चला जाता। उसे जब तक मनाया नहीं जाता वह खाना भी नहीं खाता था। बीनू भी अपने मम्मी-पापा को कहती मां स्कूल जाते हुए भी यह मुझे बहुत ही तंग करता है। एक दिन तो चिन्टू नें घर आते समय इतनी तेज दौड़ लगाई बेचारी वीनू दौड़ दौड़ कर परेशान हो गई।
उसकी बहन नें घर आकर अपनी मां को कहा मां आप अपने लाड़ले को समझाते क्यों नहीं? वह तो मुझे भी बहुत तंग करता है। वह अब उसकी कोई भी बात नहीं मानेगी। आपको इसको समझाना होगा। मैं इसे स्कूल नहीं लेकर जाया करूंगी। उसकी मां बीनू को डांटते हुए बोली तुम्हारे एक ही तो भाई है। तुम इसके बारे में ऐसा क्यों सोचती हो? वह बोली मां यह मेरा भाई है इसका भला मैं भी चाहती हूं। मां बाबूजी आप दोनों को इसके साथ सख्ती से पेश आना होगा। उसके पापा बोले बीनू ठीक ही कहती है। उसकी मां बोली जब यह शरारत करे तो आपको इसको डांटना होगा नहीं तो बड़ा होकर इस को सुधारना मुश्किल हो जाएगा।
एक दिन उसकी मौसी उसके घर पर आई थी। उसकी मौसी उसे बुलाते बुलाते थक गई मगर वह नहीं आया। स्कूल से आते हीअपना बस्ता एक ओर फैंका और अपने कपड़े भी कुर्सी पर फेंके अपना खेल का बैट जोर से इस तरह पटका वह टूटते टूटते बचा। उसनें अपना बस्ता भी जोर से घुमा कर फैंका। बस्ते की जीप का मुंह खुला हुआ था। कुछ किताबें सोफे के नीचे गिरी, कोई कहीं, कोई कहीं। उस की मां ने उसे बुलाया तो उसनें आने में बहुत देर कर दी। उसनें अपनी मां को ऐसे देखा जैसे उसनें उसे बुलाकर कोई गुनाह किया हो। खाने की प्लेट को जल्दी से टेबल पर रखा। खाने का एक कौर मुंह में लेकर बोला यह क्या बनाया है? खाने की थाली को नीचे गिरा दिया। वह जोर से चिल्ला कर बोला हर रोज भिंडी बना देती हो। उसकी मां उसे प्यार करते हुए बोली बेटा आज खा ले, कल से तेरी मनपसंद की सब्जी बनाया करूंगी। बड़ी मुश्किल से उसे खाना खाने के लिए मनाया। बीनू यह सब देख रही थी। उसे गुस्सा आ रहा था मां मुझे तो ऐसे कभी नहीं मनाती। छोटा है तो क्या हुआ? इसको कहते कि नहीं खाना है तो मत खा, तुझे आज खाना नहीं मिलेगा। मेरे बस में होता तो मैं उसे खाना ही नहीं देती। कामकाज कुछ करता नहीं है। सब की नाक में दम कर रखा है। उसकी मौसी आभा सब कुछ देख रही थी। वह दौड़ी दौड़ी आई और निर्मला को बोली बीनू ठीक ही कहती है। उसको बिगाड़ने में आप लोगों का ही हाथ है। जब यह कोई चीज मांगता है तो तुरंत हाजिर कर देते हो। आपको इसे काम करना तो सिखाना ही चाहिए। ज्यादा लाड प्यार करना ठीक नहीं होता। जब कभी खाने की थाली गिराए तो किसी को भी इस को मनाना नहीं चाहिए। इसको हर काम को अपने आप करने की आदत डालनी चाहिए। जब भी यह चीजें इधर-उधर पटके इसके साथ बातें मत कीजिए। एक दिन गुस्सा करेगा। दो दिन गुस्सा करेगा कब तक करेगा? कोई भी उसके साथ घर में बात ना करें। और मनाओ भी मत। मनानें से और पिटाई करनें से तो वह ढीठ बन जाएगा। उसकी मां ने खाना मेज पर लगा दिया।
चींटू के स्कूल में जब उसकी मम्मी निर्मला गई तो उसकी कक्षा अध्यापिका बोली आपका बच्चा बहुत ही शरारती है। वहीं। कभी भी एक स्थान पर टिक कर नहीं बैठता है। हर दस मिनट बाद अपनी बहन से कभी कापी कभी पेंसिल कभी पैन लेने आ जाता है। उसे भी कक्षा में डिस्टर्ब करता है। कभी कोई कॉपी लाता है, कभी कोई कॉपी। कभी भी उसके पास किताबे नहीं होती कभी पेंसिल नहीं होती। आप कैसे अभिभावक हैं? आप अपने बच्चे के बैग को चैक करके दिया करो।
यह सब बातें सुनकर निर्मला को बहुत ही बुरा लगा। वह जैसे ही घर आई बहुत ही उदास थी उसकी बहन बोली की क्या बात है? तुम इतनी उदास क्यों हो? आज चिन्टू के स्कूल गई। स्कूल के अध्यापकों ने भी चिंटू की शिकायत की। स्कूल को कॉपी नहीं ले जाता। कल से उसके बस्ते को चेक कर दिया करुंगी। उसकी बहन आभा बोली न बहना ऐसा मत करना। उसे अपना काम स्वयं करने की आदत डालो। स्कूल में उसकी पिटाई होगी तो होने दो।। तुम उसे कुछ मत कहना।
एक दिन निर्मला की सहेलियां उसके घर पर आई थी। चिंटू ने एक पैर का जूता सोफे पर, एक नीचे, कॉपी इधर उधर फैंकी हुई थी। जब उसकी सहेलियाँ घर में आई तो अपने कमरे की हालत देखकर निर्मला को रोना आ रहा था उसकी सहेलियों ने तो उसे कुछ कहा नहीं परंतु वे आपस में एक दूसरे से बातें कर रही थी। चिन्टू की ममी उनसे कहने लगी हर रोज मैं कमरे की सेटिंग करती हूं। चिंटू कोई ना कोई चीज इधर उधर फैंक देता है। उसकी मौसी बोली एक छोटा सा कमरा चिंटू को दे दो। वह अपने कमरे को कैसे रखें यह उसकी मर्जी है। निर्मला नें एक दिन स्टोर रूम खाली कर दिया। स्टोर वाला कमरा चिंटू को दे दिया। चिंटू नया कमरा पाकर बहुत ही खुश हो गया। जल्दी से स्कूल से आया उसने जूते एक और फैंक डाले। उसकी अपने बिस्तर पर किताबे इधर उधर पड़ी थी। उनको वंहा से उसनें नहीं उठाया और दौड़ कर बाहर की भाग गया उसकी मां कमरे में आई तो कमरे की हालत देखकर उसे क्रोध भी आया। आभा बोली कि आप इसे कुछ नहीं कहेंगी। उसे करने दो जो वह करता है। जब उसकी कोई वस्तु नहीं मिलेगी तो आप उसे ढूंढ कर मत देना। उससे कोई बात भी नहीं करना। थाली फैंक कर जाता है तो देना आप उसे पटकने देना। जब तक वह खुद खाना नहीं मांगे तब तक उसे खाना देना मत। धीरे-धीरे वह खुद ही समझ जाएगा।
तीन दिन बाद उसकी परीक्षा थी। स्कूल से घर आया तो वह अपने बैग में अंग्रेजी की पुस्तक खोजनें लगा। उस की अंग्रेजी की कॉपी भी नहीं मिल रही थी और न ही किताब। उसने बीनू को बुलाया। मेरी कॉपी ढूंढ दो। बीनू बोली मैंने तुम्हारी अंग्रेजी की कापी ढूंढने का ठेका नहीं ले रखा है। खुद ढूंढ ले। वह चुपचाप अपनें कैमरे में आ गया और भूल गया कि उसका कल पेपर है। वह जल्दी जल्दी खेलने बाहर चला गया।
शाम को जब खेल करआया तो उसे अचानक याद आया कल तो उसकी अंग्रेजी की परीक्षा है। अंग्रेजी की कॉपी सारे ढूंढ निकाली मगर नहीं मिली। उसकी मां ने भी उसकी कॉपी ढूंढने में उसकी मदद नहीं की। वह तीन बार अपनी मां के पास आया। मां मैं इस बार फेल हो जाऊंगा। मेरी कॉपी ढूंढने में मेरी मदद करो। सारा घर छान मारा मगर उसकी अंग्रेजी की किताब और कॉपी नहीं मिली। बिना पढ़े ही वह स्कूल चला गया। किसी के साथ बात नहीं की। खाने को भी मेज पर गुस्से के कारण पटका और खाना भी नहीं खाया। उसकी मां को बहुत ही दुःख हुआ। उसने अपने दुःख को अंदर ही अंदर रखा। वह अपनें मन में सोचने लगी जो कुछ भी होगा उसे अब अपने ऊपर काबू रखना होगा। सब उसे ही कहते हैं कि उसनें चिंटू को बिगाड़ दिया है। कोई बात नहीं इस बार फेल हो जाएगा कोई बात नहीं। इस बार उसको सुधार कर ही दम लूंगी। इसके कमरे की हालत तो खस्ता है। मैं उसके कमरे को भी ठीक नहीं करूंगी।
चिंटू घर वापिस आया तो चुपचाप एकदम अपने कमरे में गया उसने अपना बैट इतनी जोर से फेंका कि वह जाकर सोफे के पीछे जा लगा। उसकी मां ने उसे खाना खाने भी नहीं बुलाया। वह चुपचाप था। उसने सुबह से कुछ नहीं खाया था। उसके पेट में चूहे भी कूद रहे थे। वह जल्दी ही उठ कर खाने की मेज पर चला गया बोला खाना लाओ। उसनें खाना खाया किसी से कुछ नहीं बोला और चुपचाप खेलने चला गया।
तीसरे दिन उसका स्कूल में क्रिकेट का मैच था वह अपना बैट ढूंढता रहा। सब जगह ढूंढ निकाला परंतु उसे बैट नहीं मिला। वह रोते-रोते अपनें पापा के पास गया बोला पापा ना जाने मेरा बैट कहां गिर गया। कल मेरा मैच है मुझे दूसरा बैट लाकर दे दो। उसके पिता बोले बेटा मैं तुझे ना जाने कितने बैट लेकर आया। मैं अब तुम्हारी चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आने वाला। मक्खन केवल अपने मां को ही लगाना। वही ही तुम्हें मनाएगी। वह मां के पास जाकर बोला मां मेरा बैट ढूंढने में मेरी मदद कर दो। आगे से मैं कभी भी चीजों को इधर-उधर नहीं फेंका करुंगा। उसकी मां बोली कि मैं बाजार जा रही हूं। मुझे बहुत ही जरूरी काम है। वह अपनी बहन के पास जाकर बोला मेरी प्यारी बहन मेरा बैट ढूंडवानें में मेरी मदद कर दे। वह बोली मैं तुम्हारी चिकनी चुपडी बातों में नहीं आने वाली। तुम्हें अपना काम खुद करना चाहिए। जो बच्चे आलसी होते हैं उनकी मदद तो भगवान भी नहीं करते। तुम अगर अच्छे बच्चे बनना चाहते हो तो एक बात गांठ बांध लो। अपना सामान एक जगह पर रखना सीखो। जो व्यक्ति अपना सामान ठीक ढंग से ठीक जगह पर नहीं रखता उसकी मदद तो कोई भी नहीं करता। तुम जिस दिन अपनी चीजें ठीक ढंग से रखना सीख जाओगे उस दिन से तुम एक अच्छे बच्चे बन जाओगे। वह चुपचाप अपने कमरे में आ गया। वह बिस्तर पर अपने जूतों के साथ ही चढ़ गया और सोचने लगा कि उसका बैट कहां गया होगा? वह कहीं बाहर तो नहीं भूल गया। अच्छा बिट्टू के घर जाकर उसका बैट ले कर आता हूं। वह जल्दी जल्दी बिट्टू के घर पर जाकर अपनें दोस्त से बोला। बिट्टू कल के लिए मुझे अपना बै दे दे। कल मेरा मैच है
बिट्टू बोला नहीं मैं तुझे अपना बैट नहीं दे सकता। तूने अगर मेरा बैट तोड़ दिया तो मुझे तो कोई भी दूसरा बैट लेकर नहीं आएगा। मेरे माता पिता तुम्हारे पिता माता पिता की तरह अमीर आदमी नहीं है। बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी गुल्लक के पैसों को जोड़ जोड़ कर यह बैट लिया है।
चिंटू को रोना आ रहा था। वह मन ही मन में बोला। अपने आप को क्या समझता है? नहीं देना है तो मत दे। निराश होकर चिंटू घर लौट आया। उसने खाना भी नहीं खाया। कमरे में आते ही बिस्तर पर लेट गया। उस जल्दी हीे नींद आ गई। स्वपन में उसे एक परी दिखाई दी। वह बोलीआज तुम्हें पता चला। अपने बैट के लिए तुमने सब के पास कितनी फरियाद की मगर किसी ने भी तुम्हारी मदद नहीं की। क्या तुमने कभी सोचा है कि जो बच्चा अपना सामान इधर-उधर फैंकता है वह कभी भी जिंदगी में सफल नहीं हो सकता। अभी भी समय है। जल्दी से सोचो तुमने अपना बैट कहां रखा होगा? ट्राफी भी हासिल नहीं कर पाओगे। तुम जिस तरह अपने जूते फेंकते हो और जूतों के साथ ही बिस्तर पर चढ़ जाते हो यह बुरी बात है। इस तरह तुम्हारा बैट कहीं भी गिर सकता है। शायद बिस्तर के नीचे सोफे के नीचे या कहीं और। शांत मन से जल्दी से सोचो। अचानक उसकी आंख खुल गई। ठीक ही तो है जब स्कूल से आया तो जोर से उसने अपना बस्ता बिस्तर पर पटका। वह कभी भी बस्ते की जीप बन्द नहीं करता है। बस्ते की जीप खुली थी। उसमें से कॉपी और किताबें बिस्तर के नीचे भी जा सकती हैं। उसने छड़ी लेकर बिस्तर के नीचे से किताब निकाली। उसकी अंग्रेजी की किताब बिस्तर के नीचे मिल गई थी। किताब पास कर बड़ा खुश हुआ। उसने अपनी किताब को उठाया और चूम लिया उसको जैसे कोई खजाना मिल गया हो। उसने तकिया उठाया। उसे अपनी एक जुराब तकिए के नीचे मिली। उस में से बदबू आ रही थी। एक ही जुराब थी। दूसरी कहां होगी? उसने सारा बिस्तर झाड़ डाला। दूसरी जुराब चादर के नीचे मिल गई। गल्ती से चादर के नीचे घुस गई थी। उसकी जुराबों से दुर्गंध आ रही थी। उसे ने साबुन लिया और अपनी जुराबे धोने लगा। मेरी मां को भी तो इसमें से दुर्गंध आती होगी। उसने जैसे तैसे करके नल के के नीचे अपनी जुराबें धो डाली।
उसकी मां और मौसी उसे देख रही थी।। उसकी मां की आंखों में खुशी के आंसू थे। आज थोड़ी ही सही उसे अक्ल तो आई। उसकी मां ने जब उसे बुलाया तो वह दौड़ा दौड़ा आया बोला मुझे बहुत भूख लगी है। उसकी मां बोली बेटा आज भिंडी की सब्जी बनी है। वह बोला मां कोई बात नहीं मैं वही खा लूंगा। उसे भिंडी की सब्जी खाते देख कर उसकी मां बोली कोई बात नहीं कल तुम्हारी पसंद की सब्जी बनेगी। वह अपने कमरे में आया।
जूते की रैक को खिसका कर बैट ढूंढने लगा। रैक के पीछे ही उसका बैट पड़ा था। वह बैट पा कर बड़ा हीखुश हुआ। वह सोचने लगा सभी ठीक ही तो कहते हैं मुझे अपनी चीजों का ध्यान रखना चाहिए। अच्छा हुआ मेरा बैट मिल गया। चलो कल ही मैच है। कल मैच के लिए तो उसका बैठ मिल गया है। उसने अपना बस्ता शाम को ही पैक कर लिया।
सुबह जब उसकी मां कमरे में आई तो अपने बेटे के कमरे की सफाई देख कर चौंक गई। सारी चीजें अपनी जगह पर ठीक जगह पर थी। उसकी मां भी अपनी चप्पल बाहर खोल कर अंदर आकर बोली। बेटा आज आज मैं बहुत ही खुश हूं। तुमको आज मैं तुम्हारी मनपसंद की चीजें लेकर आऊंगी। वह बोला मां मुझे कुछ नहीं चाहिए। वीनू बोली चल जल्दी से स्कूल चलते हैं। वह बोला आया दीदी। वीनू हैरान हो गई।। आज उसने उसे दीदी कहकर पुकारा था। वह बोली एक बार फिर बोल क्या तू मेरा ही भाई है? उसे गले लगा कर बोली भाई मैं तुझे सुधारना चाहती थी। तू सुधर गया। हम सब थोड़े दुःखी तो हुए मगर तुम्हें सुधार कर हम आज बहुत ही खुश हैं। कल तो मैं भी तुम्हे उपहार ला कर दूंगी। सब के मुख से अपनी प्रशंसा सुन कर चिन्टू बहुत ही खुश हुआ। परी ठीक ही कहती थी। मै अच्छा बच्चा बनकर ही रहूंगा। शाम को जब वह सोया तो वह बोला मेरी प्यारी प्यारी परी आपका धन्यवाद। आप मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। परी बोली मैं तो तुम्हारा मार्गदर्शन करने आई थी। तुम अब अच्छे बच्चे बन गए हो। मैं यहां से जा रही हूं।
अपनें माता पिता का कहना मानना चाहिए। उनको दुःखी नहीँ करना चाहिए। आपकी मां आप के दुःख में बिमार पड़ गई तो उन्हें कौन देखने आएगा? परी बोली तुम अपनी बहन को भी बहुत तंग करते हो। उसको तुम दीदी कह कर पुकारा करो। यह सब बातें अच्छे शिष्टाचार में आतीं हैं। पापा भी तुम्हें प्यार से अपनी गोद में बिठाएंगे जब आप उनकी बात को ध्यान से सुनोगे और उन का भी कहना मानोगे। चिन्टू बोला धन्यवाद। आगे से वह कभी उन सब को कभी तंग नहीं करेगा।वह जल्दी ही अच्छा बच्चा बन जाएगा। परी वहां से चली गई थी मगर उसकी बातें उसके मन में घर कर गई थी। वह सचमुच ही सुधर गया था।