जीनें की राह

किसी गांव में वैशाली नाम की एक औरत थी। उसके एक बेटा था। वह कपड़े सिल सिल कर अपना तथा अपने बेटे का पेट पाल रही थी। उसके पिता नहीं थे। उसका बेटा आठवीं कक्षा में पढ़ता था। किशन बहुत ही होशियार था उसके गुरुजन उस से बहुत प्यार करते थे। वह जो कुछ अध्यापक… Continue reading जीनें की राह

मंजिल

अपनी मंजिल को तलाशते तलाशते। यूं ही राही चला चल चला चल चला चल। यूं ही मुस्कुरा कर यूं ही बेखौफ होकर चला चल चला चल चला चल।। सपनों के भवर में तुम यूं ना खो जाना। कठिनाइयों से घबराकर अपने पथ से यूं न विचलित हो जाना।। परेशानियों में जो ना डगमगाए। वही इंसान… Continue reading मंजिल