राजु और उसका दोस्त बब्बु

एक किसान था। उसका एक छोटा सा बेटा था।  जब  राजु और बच्चों को खिलौनों से खेलते देखता तो  अपने पिता से फरमाइश करता कि मेरे पास भी खिलौने होते तो मैं भी खिलौनों से खेलता। उसके आसपास के घरों में छोटे-छोटे बच्चे खिलौनों से खेलते थे। उसका पिता  गरीब आदमी था। वह उसे एक दिन कहने लगा बेटा मैं तुझे खिलौने लाकर नहीं दे सकता। वह अपने पिता से कहता काश मेरे पास भी एक ऐसा ही कोई खिलौना होता तो मैं भी उसके साथ खेला करता। उसके पिता ने कहा बेटा कोई बात नहीं मैं तुझे वह तो अवश्य ही लाकर दूंगा। वह अपने बेटे को  कभी-कभी खेत पर भी ले  कर जाता था। उसका बेटा उसके पास ही बैठकर अपने पिता को हल चलाते देखा करता था।

एक  दिन की बात है जब वह किसान हल चला रहा था तो हल चलाते चलाते  खेत में  उसे कुछ  दिखाई दिया। उसने उसी  समय  हल चलाना रोक दिया।  उसको  खेत में  कुछ आवाज सुनाई दी। उसने देखा पास ही  झाडियों के पीछे एक गडडा था जिसमें वहां पर उस में गिरा हुआ एक छोटा सा शेर का बच्चा दिखाई दिया। वह बहुत ही छोटा सा था। उसने सोचा वह अपनें परिवार से बिछुड़ कर   गिर गया होगा। किसान  नें हाथ से उसे ऊपर निकाला। यह सब उसका बेटा देख रहा था। वह अपने बाबा से बोला बाबा बाबा आज से यही मेरा दोस्त होगा। मैं इसका नाम बब्बू रखूंगा। वह उसको बब्बू बुलाने लगा। उसका पिता उसे घर ले आया। धीरे धीरे बब्बू भी किसान के बेटे के साथ  हिल मिल गया। वह उसका दोस्त बन चुका था। अब तो उसे खाने की भी परवाह नहीं थी। वह सारा दिन उसके साथ धमाचौकड़ी  मचाया करता था। कभी अपने नन्हे नन्हे हाथों से उसके कान खींचता और वह शेर का बच्चा भी उसके साथ खूब मस्ती करता वह दोनों इतने गहरे दोस्त बन गए कि जहां भी जाते  साथ जाते इकट्ठे खेलते। किसान का बेटा 7 साल का हो चुका था। अपने  दोस्त को कभी भी  वह अकेला नहीं छोड़ता था।

एक  दिन  किसान का बेटा अपने पिता के साथ जंगल में गया हुआ था। साथ में वह बब्बू को भी लेकर गया था। जंगल से जब वापस आ रहा था तो जंगल में शेरनी ने उस शावक को देख लिया। शेरनी ने उस छोटे से बच्चे को देखकर अपने मन में सोचा यह कितना प्यारा बच्चा है? मैं इस बच्चे को इन से छीन लूंगी। वह हर रोज आते जाते उनको देखा करती थी। उसे यह भी पता चल गया था कि यह शेर का बच्चा  इस बच्चे  का दोस्त है। हर हाल में  वह उसे पाना चाहती थी। वह अपने मन में सोचने लगी मेरे तो संतान नहीं है लेकिन मैं इस नन्हे से बच्चे को पाल पोस कर बड़ा करूंगी। इंसानों की दुनिया में इसका क्या काम? शायद  यह अपने मां बाप से बिछड़ गया होगा और छूट गया होगा। किसान ने इसका पालन पोषण किया होगा। वह हर रोज किसान और उसके बेटे पर नजर रखने लगी। एक दिन उसे पता चल गया कि किसान जंगल के एक दूसरे  छोर पर छोटी सी झोपड़ी में रहता है।

एक दिन की बात है कि जंगल में शेरनी रात के 2:00 बजे किसान की झोपड़ी में पहुंची। बब्बू गहरी नींद में सो रहा था। साथ में ही राजु भी सोया था। उसनें चुपचाप  बब्बू  को उठाया और जंगल की ओर भागने लगी। जैसे ही  बब्बू को  ले कर भागने लगी तभी राजु  की जाग खुल गई।।  बब्बू जोर जोर से शोर मचाने लगा मुझे तुम कहां ले जा रही हो? मुझे अपने भाई से अलग मत करो। यहां पर मेरा भाई  रहता है। मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?। मुझे छोड़ दो। वह बोला अगर तुम मुझे नहीं छोड़ोगी तो मैं यहां से चुपके से भाग जाऊंगा। शेरनी बोली बेटा तुम तो पशु जाति के हो। इंसान की जाति में तुम्हारा क्या काम? हमारा उनसे कोई लेना देना नहीं होता। हम लोग तो जंगल में ही रहने वाले हैं। तुम शायद अपने मां बाप से अलग हो गए होंगे और किसान ने तुम्हें पाल पोस कर बडा किया होगा। बब्बू बोला ऐसी बात नहीं है। मैं ही किसान का बेटा हूं।। और मेरा भाई राजू  है। शेरनी बोली नहीं मेरे बच्चे अभी तुम बहुत ही छोटे हो। जब तुम बड़े हो जाओगे तब   तुम्हे सब कुछ समझ में आ जाएगा। हमारी दुनिया में ही तुम्हें रहना है। यही तुम्हारा घर है। बब्बू बोला मैं किसी भी कीमत पर यहां नहीं रहूंगा। तुम मेरे साथ मजाक करती हो। शेरनी बोली कि मैं तुम्हारी मां बनकर तुम्हारा पालन पोषण करूंगी। मै तुम्हें सब कुछ दूंगी जो तुम्हें चाहिए। बड़ा होकर  तुम जंगल का राजा  बनोगे। मैं तुम्हें अपना बच्चा समझकर पालूंगी। तुम्हें अपना नाम दूंगी। वह बहुत जोर जोर से चिल्लाने लगा बचाओ बचाओ मगर उस घने जंगल में उसकी कोई भी सुनने वाला नहीं था। चारों तरफ सारे के सारे जानवर इकट्ठे हो गए थे। छोटे से बच्चे को तरह-तरह का लालच देकर लुभा रहे थे। वह छोटा सा बच्चा उन को चकमा देकर इधर-उधर भाग रहा था।

शेरनी ने जब उसके सामने खाना रखा तो उसने  खाने को  हाथ भी नहीं लगाया। वह सारा दिन भूखा रहा। राजु  की सुबह जब आंख खुली अपने दोस्त को  नहीं पाया तो वह चिल्लाने लगा। चाहे कुछ भी हो जाए  मेरे बब्बू को वापस लाओ। उसने सारा घर सर पर उठा लिया और 2 दिन तक खाना भी नहीं खाया। वह अपने दोस्त की याद में बीमार हो गया।

रात बहुत हो चुकी थी। बब्बू ने सोने का नाटक किया। शेरनी ने समझा की बब्बू सो चुका है। शेरनी को भी नींद आ गई थी। वह चुपचाप वहां से उठा और भागने लगा भागते भागते उसे काफी देर हो चुकी थी। अचानक उसे किसान की झोपड़ी दिखाई दी। वह जोर से चिल्लाया मेरे दोस्त मैं आ गया हूं। मेरे दोस्त मैं आ गया हूं। डॉक्टर  के सामने  किसान और उसकी पत्नी खड़े थे। वह अपने बच्चे को बचानें के लिए डॉक्टर से दुआ मांग रहे थे। जैसे ही राजु नें बब्बू की आवाज सुनी वह दौड़ा दौड़ा बाहर की ओर भागा। वह खुशी से चिल्लाया मेरे दोस्त तुम मुझे छोड़ कर कहां चले गए थे? वह राजू को प्यार से चाटने लगा था। उन दोनों की दोस्ती देखकर किसान और उसकी पत्नी भी हैरान रह गए।

राजू कहने लगा मेरे दोस्त मुझे छोड़कर कभी मत जाना। डॉक्टर वापिस चला गया था। किसान की पत्नी किसान से बोली हमारा बच्चा अभी तो छोटा है मगर जब यह जान जाएगा कि वह एक शेर का बच्चा है। हम इस  शेर के बच्चे को लेकर तो आ गए हैं मगर हम को उसे  जंगल में चिड़ियाघर  के अधिकारी को सौंपना होगा। हमें भी वह बच्चा अपनें राजु जैसा लगता है।  इसने बड़े होकर किसी को नुकसान पहुंचा दिया तो  हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है। किसान बोला कि  तब तक हमारे बेटे को भी समझ आ जाएगी। यह सब बातें  बब्बू सुन रहा था। मैं उन का बेटा नहीं हूं। राजु मेरा भाई नहीं है।जंगल में  शेरनी ठीक ही कह रही थी। आज तो पूछ कर ही रहूंगा। बब्बू  किसान के पास जा कर बोला आज आप को बताना ही होगा क्या मैं आप का बेटा नहीं? अगर मैं आप का बेटा नहीं तो आप नें मुझे क्यों पाला।मेरी मां कहां है?  किसान बोला बेटा यह बात नहीं कि हम तुम्हारे मां बाप नहीं तुम तो हमारे राजु जैसे हो। बब्बू बोला आप मुझे कंहा से लाए? किसान बोला बेटा जब एक दिन मैं खेत में हल चला रहा था । तुम खेत में गडडे में धंसे हुए थे। तुम्हे गहरी चोट आई थी। मेरा बेटा मुझ से खिलौने की फरमाईश किया करता था। उस दिन वह भी मेरे साथ था। हम नें तुम्हारे घाव पर मिट्टी डाली। और घर ला कर तुम्हारी देखभाल की। मेरा बेटा तुम्हे पा कर बहुत खुश हुआ।उस दिन से वह तुम्हे भाई पुकारनें लगा। तुम्हे तो एक पल को भी अपनी आंखों से  ओझल होनें नहीं  देता। आज भी तुम्हे न पा कर बिमार हो गया। उसने कुछ भी नहीं खाया बोला पहले मेरे बब्बू को लाओ तभी खाना खाऊँगा।  बेटा यह बात सच है तुम हमारी जाति के

नहीं हो। हम मनुष्य जाति के हैं।तुम पशु जाति के हो। हम नें तुम्हे पाल तो लिया बड़ा होनें पर हमें तुम को चिड़िया घर में  छोड़ना होगा। बब्बू बोला आप ही मेरे मां बाबा हो। मैं आप सब को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। इतने में राजु आ कर बोला मां पापा अगर आप उस को कहीं छोड़ कर आओगे मैं भी उस के साथ रहूंगा कान खोल कर सुन लो। बब्बू को पता चल चुका था कि वह मनुष्य जाति का नहीं है। एक दिन वे उसे  चिड़िया घर में छोड़ कर आ जाएंगे।

शेरनी  ने  देखा कि बब्बू वहां नहीं था। वह तो वहां से नौ दो ग्यारह हो चुका था। वह  चुपके चुपके किसान और उसके बेटे पर नजर रखने लगी। उसने अपने सारे साथियों के साथ  किसान के घर पर हमला कर दिया। बब्बू और किसान के बेटे को उठाकर अपने घर ले आई । राजु   शेर को देखकर  जोर जोर से चिल्लाने लगा  बचाओ बचाओ । शेरनी उसे कहां छोड़ने वाली थी?  वह तो उसे मार देना चाहती थी। राजु को उसने अपनें जबड़े से जोर से खैंचा। उसकी बाजुओं में खून निकल आया था। शेरनी को  बब्बू बोला  तुमने मेरे दोस्त को क्यों  नुकसान पहुंचाया? ॥एक तो तुम मुझे  अपना बेटा  कहती हो और ऊपर से  इस छोटे से बच्चे को मार डालने पर क्यों तुली हो?यह मेरा दोस्त है  अगर मैं  आपका बेटा हूं  मेरा दोस्त  भी आप  का बेटा हुआ। शेरनी बब्बू  को बोली  इंसान की जाति   वालों से हमारी कोई  दोस्ती नहीं है। जंगल के सारे जानवर हमारे दोस्त हैं।  तुम्हें जंगल के जानवरों के साथ ही दोस्ती रखनी चाहिए ना की इंसान  लोगों के साथ। बब्बू बोला  यह इंसान ही मेरे  सब कुछ है  अगर तुमने मेरे दोस्त को नुकसान पहुंचाया  तो कभी भी मैं आपका बेटा नहीं बनूंगा। जल्दी से मेरे दोस्त को ठीक करो। शेरनी अपने मन में सोचने लगी कि जब तक इसका दोस्त ठीक नहीं होता तब तक तो वह मुझ पर  गुस्सा निकालता ही रहेगा। बब्बू से बोली तुम किसी डॉक्टर को जानते हो  बब्बू बोला हां  किसान की झोपड़ी के पास ही एक डॉक्टर का घर है अभी अभी अभी वह शहर से नया आया है  उसे ही बुला कर लाओ  शेरनी ने अपने  जानवरों को हुक्म दिया कि उस डॉक्टर को बक्से के साथ ही पकड़ कर ले आओ।

सारे के सारे जानवर उस डॉक्टर की तलाश में निकल पड़े। जैसे ही अंधेरा होने लगा  वह डाक्टर के घर घुस गए। डॉक्टर खाना खा रहा था उन्होंने डॉक्टर का बॉक्स पकड़ा और उसको भी साथ लेकर जंगल की ओर आए। डॉक्टर जोर जोर से चिल्लाने लगा बचाओ बचाओ बचाओ। रास्ते में एक आदमी ने उसकी आवाज सुनी। वह उसको बचाने के लिए उनके पीछे भागने लगा। वह भी जंगल में पहुंच गया । वह आदिवासी था।  उसे जंगल के जानवरों की भाषा समझ में आती थी। वह एक पेड़ की आड़ में छुप गया। सारे के सारे जानवरों नें  शेरनी के  पास उस डॉक्टर को लाकर कहा कि हम डॉक्टर को लेकर आ गए हैं।  डाक्टर   को-देखकर बब्बू बहुत ही खुश हुआ। वह शेरनी से बोला  जल्दी से मेरे दोस्त की बाजू पर पट्टी बांधो और उसकी   मरहम पट्टी  करो।  एकाएक आदिवासी उस डाक्टर के पास जाकर बोला डॉक्टर साहब डॉक्टर साहब  यह जानवर कह रहे हैं कि इस बच्चे को इंजेक्शन लगाओ। यह  बब्बू  इस बच्चे का दोस्त है।  वह अपने दोस्त को सुरक्षित देखना चाहता है।आदिवासी नें शेरनी की सारी बातें सुन ली थी।  शेरनी शेर को कह रही थी कि इस बब्बू को अपना बेटा स्वीकार करना है तो हमें इस बच्चे को बचाना होगा। हम उस बच्चे को बचा देंगे   तभी हम बब्बू को  हासिल कर  पाएंगें।

राजु बेहोश हो चुका था।  वह तो  अपनें सामनें जंगल के जानवरों को देख कर डर के मारे थर थर कांप रहा था। बब्बू   उसके पास जाकर उसे चूमते हुए  बोला मेरे दोस्त तुम्हें कुछ भी नहीं होगा।  तुम अपने माता पिता  के पास सुरक्षित  घर पहुंच जाओगे।

यह सारे के सारे जानवर मुझे कहते हैं कि मैं इंसान का बच्चा नहीं हूं।  मैं उन जैसा हूं। लेकिन मैं तुम्हें अपना भाई मानता हूं  और तुम्हारे पिता और माता को अपने माता-पिता मानता हूं। जब से होश संभाला है  मैंने  तुम्हें और अपने माता पिता को ही पाया  परंतु यह सारे के सारे जानवर मेरे पीछे पड़ गए हैं कि तुम इंसान के बच्चे नहीं हो।इस जानवर के बच्चे को तुम्हें यहीं रखना चाहिए । मेरे दोस्त  अगर मैं तुम्हारे साथ  वापिस जाऊंगा तो  यह सारे के सारे जानवर  तुम्हें और तुम्हारे माता-पिता को मार डालेंगे।  मैं तुमसे सच्ची मोहब्बत करता हूं।  मैं अपने माता पिता और भाई को कोई नुकसान होते हुए नहीं देख सकता। इससे पहले कि वह तुम्हें मार डाले मैं शेरनी को अपनी मां मना लूंगा। बब्बू शेरनी के पास जाकर बोला अगर आप चाहती हो कि मैं  आपका बेटा बनकर यहां रहूं  तो आपको भी मेरी एक शर्त माननी होगी  आज के बाद आप कभी भी दोस्त राजु  और मेरे माता-पिता  को  को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा ओगे। मुझे पता है आप उनको मार डालने के लिए ना जाने क्या-क्या चाले चलते हो। आपने मेरे  भाई को और  माता पिता को मार डालने की योजना बनाई तो मैं खुद भी मर जाऊंगा और  आप लोगों को भी नहीं छोड़ूंगा।

शेरनी बोली  मैं तो तुम्हें अपना बच्चा मानती हूं मेरे कोई भी संतान नहीं है तुम मेरे साथ ही रहोगे। मेरे दोस्त को तुम यह मत बताना  कि मैं उसके साथ नहीं जा रहा हूं। तुम मुझे और मेरे दोस्त को किसान की झोपड़ी के पास छोड़ दो। मैं सच कहता हूं मैं लौट कर आप लोगों के पास आ जाऊंगा। इतना सा तो आपको मुझ पर विश्वास करना होगा। शेरनी मन ही मन बहुत खुश हुई चलो उसकी इच्छा पूरी हुई। शेरनी ने बब्बू को विश्वास दिलाया कि वह कभी भी उसके दोस्त को नुकसान नहीं पहुंचाएगी।

वह बब्बू और राजु को उठाकर किसान की झोपड़ी के पास रख कर आ गई। आदिवासी उन दोनों की दोस्ती को देखकर दंग रह गया। चुपके से उनके पीछे आया जैसे ही शेरनी उनको छोड़कर गई बब्बू आदिवासी के पीछे आया बोला भाई मेरे मुझ पर एक एहसान करना। मैं अपनें दोस्त पर कोई भी आंच नहीं आने देना चाहता। यह मेरा बहुत ही पक्का दोस्त और भाई है। अभी यह बेहोश है जब सुबह उसकी आंख खुलेगी तो मुझे अपने सामने ना देख कर अपने माता पिता से खूब हंगामा करेगा तब तुम उसे समझा देना धीरे धीरे वह सब कुछ समझ जाएगा और वह मुझे भूल जाएगा। आदिवासी उन दोनों की दोस्ती को देखकर दंग रह गया सुबह जैसे ही किसान और उसकी पत्नी जागे अपने बच्चे को अपने सामने देखकर हैरान रह गए। किसान की पत्नी की किसान से बोली मैं ना कहती थी कि वह अपने दोस्त को ढूंढने गया होगा। उसे उसका दोस्त तो नहीं मिला परंतु लहूलुहान होकर आया है। आदिवासी उनके सामने सामने जाकर बोला इसका दोस्त बहुत ही प्यारा है उसने अपनी जान की परवाह न करते हुए आपके बच्चे की जान बचाई है।

शेरनी तो उसको मारने ही वाली थी परंतु उस बब्बू ने शेरनी को ऐसा करने के लिए मना लिया मैंने उनकी उसकी सारी बातें सुन रही थी वह शेरनी को कह रहा था कि मैं तुम्हारा बेटा नहीं हूं। मेरे मां बाप तो एक छोटी सी झोपड़ी में रहते हैं और यही मेरा भाई है जब शेरनी ने उन्हें मारने की धमकी दी तो बब्बू से रहा नहीं गया और वह बोला आप कसम खाओ कि आप उन सब को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा ओगे। मैं आप लोगों के साथ ही जंगल में रहूंगा। अगर आपने उनको नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो मैं खुद भी अपनी जान दे दूंगा और तड़प तड़प कर मर जाएंगे। शेरनी बोली एक शर्त पर हम किसान और उसके बेटे को छोड़ देते हैं अगर तुम जंगल में हमारे साथ आकर रहो और हमें ही अपने मां-बाप समझो तो हम तुम्हारी जान बख्स सकते हैं।

बब्बू नें  राजु के पास आ कर चुपके से उसकी तरफ देखा और दिल को मजबूत कर के  चुपचाप जंगल में शेरनी के पास और जानवरों के पास लौट आया। अपनें परिवार के समान माता पिता से जुदा होते हुए उसे बहुत ही बुरा लग रहा था। उसने-किसान और उसकी पत्नी को कहा आप लोगों के साथ मेरा इतना ही नाता था। मुझे समझ आ गया है कि मेरी जगह यहां नहीं। आप लोग  भी बडा होनें पर मुझे यंहा नहीं रख सकते। आप चिन्ता मत करो।   मैं भी अपनें आप को समझा दूंगा। मेरे दोस्त को भी समझा  देना।उसे  भी जल्दी ही समझ आ जाएगी। अलविदा कह कर वह जंगल की ओर चला गया।  उसे विदा करते समय किसान और उसकी पत्नी की आंखों में आंसू थे।

तीन नन्हें जासूस

आरुषि अर्चना और अभि तीनों पक्के दोस्त थे उनकी दोस्ती इतनी मशहूर थी कि वह अपने कस्बे में भी अपनी जासूसी के कारण अलग ही पहचाने जाते थे। उनके कस्बे में आए दिन किसी ना किसी बच्चे को मारा जाना या बच्चों के नर कंकाल मिलना तो एक आम बात थी। पुलिस कभी पता नहीं कर सकी कि इसके पीछे किसका हाथ है?

आए दिन कुछ न कुछ अखबार में सुनने को मिलता था। उनके घर वाले काफी परेशान आ चुके थे। उन्होंनें अपने बच्चों को घरों से बाहर निकलना भी बंद कर दिया था। हर एक बच्चे के माता-पिता उनके साथ जाते थे। यह दोनों दोस्त आरुषि और अर्चना सातवीं कक्षा में पढ़ते थे। अभिषेक आठवीं कक्षा में पढ़ता था। उनके माता पिता उसे अभि अरु और अर्चु कह कर बुलाते थे। वे जब भी मिलते तीनों एक दूसरे को बताते आज उन्होंने क्या देखा?।

एक दिन  इसी तरह सैर करने निकले थे कि अभि नें देखा कि तीन लंबे लंबे व्यक्ति एक बच्चे को कंही लिए जा रहे थे। उन्होंने  उस बच्चे का चेहरा देखा।  उस बच्चे ने उस  अजनबी व्यक्ति की गर्दन को जोर से पकड़ा हुआ था। जब यह तीनों शाम को इकट्ठे मिले तो आरुषि ने कहा कि मैंने आज 3 आदमियों को एक बच्चे को ले जाते हुए देखा।  अर्चना नें अभिऔर अरु को  कहा कि  हमने  तीन आदमियों को एक बच्चे को ले जाते हुए देखा। हमारे मन में हर समय जासूसी का ख्वाब  छाया रहता है। हो सकता है वह उनका अपना बच्चा हो। अगर वह बच्चा किसी और का होता तो वह शोर मचा रहा होता। आरुषि ने अपने दोस्त से कहा कि उसने  एक ऐसे आदमी को देखा  जिसनेंअपने हाथ में चांदी का कड़ा पहन रखा था। अर्चना ने कहा मैंने  भी  एक ऐसे आदमी को देखा  जिस आदमी की 6 उंगलिया थी। अभि बोला मैंने देखा कि एक आदमी की आंखें गहरे नीले रंग की थी। और उसकी आंख में एक तिल का निशान था। वह तीनों कहने लगे कि अगर हमें पता चला कि वह चोरी करने के लिए आए हैं तो हमें इन आदमियों के बारे में काफी कुछ पता लग चुका है।  तीनों काफी थक चुके थे एक रेस्टोरेंट में चाय पीने लगे। उन्होंने अखबार में पढ़ा कि एक बच्चा जिसकी उम्र 11 साल है उस बच्चे की फोटो भी अखबार में दी हुई थी वह 3 दिन से  अपनें घर  से गायब है।   उन तीनों को समझ आ चुका था कि उन तीनों ने उस आदमी को एक बच्चे को ले जाते हुए देखा था। उस बच्चे की शक्ल उस अख़बार वाले बच्चे से काफी मिलती जुलती थी।। तीनों ने फैसला कर लिया कि वह तीनों युवकों को ढूंढ निकालेंगे। जिन्होंने उस बच्चे को अगवा किया है। अभी तक उन्होंने किसी को कुछ भी नहीं बताया क्योंकि उनके पास पूरा सबूत नहीं था। तीनों ने योजना बनाई कि हम आज स्कूल नहीं जाएंगे। वे तीनों अजनबीयों को ढूंढने निकल पड़े। उन्हें निराशा ही हाथ लगी।

एक दिन  जब वह तीनों पार्क में टहलने गए थे उन्होंने उन तीनों अजनबी लोंगों को जाते देखा इस बार भी उनकी गाड़ी में तीन बच्चे थे।  वे तीन बच्चे भी चिल्ला नहीं रहे थे। उन्हें  मालूम हो  गया था कि  उन अजनबी  लोंगों नें उन तीनों बच्चों को कुछ  सूंघा दिया था। वह बच्चे मुश्किल से 6 साल के थे। तीनों लड़के थे। तीनों ने योजना  बनाई कि उन बच्चों को अवश्य ही उन गुन्डों से छुडा लेंगें। उन्होंनें एक बाइक किराए पर ली। वे सभी  बाइक पर बैठकर उन का पीछा करने लगे। काफी दूर जाकर उन अजनबीयों नें अपनी गाड़ी रोक दी।उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो उनको  अपनें पीछे एक बाईकआती दिखाई दी। उन्हें यह मालूम नंही हुआ कि कोई उनका पीछा कर रहा था। उन तीनों अजनबीयों नें एक दूसरे को  कुछ कहा  फिर उन्होंने तीनों बच्चों को अपने पास बुलाया और पूछा तुम यहां क्या कर रहे हो? उन्होंने कहा कि वह सैर करते-करते बहुत दूर आ गए हैं। और रास्ता भटक गए हैं। तीनों अजनबीयों  नें एक जोरदार तमाचा अभि को मारा। और उन दोनों लड़कियों को एक रस्सी से बांध दिया। उन तीनों को कहा तुम हमें बुद्धू बनाते हो। हमारी नजर तुम तीनों  पर थी।  हमने तुम्हें बहुत दूर से आते हुए देख लिया था। तुम हमारा पीछा क्यों कर रहे थे।? उन तीनों ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने अभि को मारकर उसकी खूब पिटाई की और  बेहोश करनें के पश्चात उसे एक बोरे में भरकर ले गए। आरुषि अर्चना  उन दोनों सहेलियों को भी कुछ सूंघा कर बेहोश कर दिया। उन्होंने अभिषेक को बोरे में डालकर नदी में फेंक दिया। नदी में फेंक कर जब वापस आए तो उन्होंने आपस में कहा कि यह दोनों सहेलियाँ  अभि तक बेहोश है। चलो अंदर चल कर देखते हैं। उन 3 बच्चों को होश आया कि नहीं। यह तीनों अंदर चले गए।

उन दोनों सहेलियों को होश आ चुका था परंतु उन दोनों ने बेहोश होने का नाटक किया था। वह तीनों साथ वाले कमरे में थे। वे दोनों जब अंदर गए तो उन्होंने एक व्यक्ति से कहा कि हम तीन बच्चों को लेकर आए हैं। एक और बच्चे ने हमारी सारी हरकतें नोट कर ली थी। इसलिए उस बच्चे को मारकर हमने  उसेनदी में फेंक दिया है। और उसके साथ दो लड़कियां भी थी उसको भी जब होश आ जाएगा तब उनके साथ क्या करना है तब सोचेंगे। पहले हम इन तीनों बच्चों की किडनी निकाल लेंगे। इसके लिए हमने  सैन्ट्रल हॉस्पिटल के डॉक्टर के साथ मिलकर इनकी किडनियां बेचने का फैसला कर लिया है।  हमें  अब जरा भी देर नहीं करनी चाहिए इससे पहले कि इन दोनों सहेलियों को होश आ जाए तब तक हमें अस्पताल जाकर इन बच्चों की किडनीयां निकालनी होगी। तीसरे व्यक्ति ने कहा चलो उन्होंने एक डॉक्टर को फोन किया। उसका क्लीनिक उनके अड्डे में से पांच किलोमीटर की दूरी पर था। यह सारी की सारी बातें वह दोनों सहेलियाँ सुन रही थी। वह तीनों अजनबी जल्दी से बाहर निकले और  और ताला लगाने ही वाले थे  उन्होंने  आपस में कहा कि हम ताला लगा देते हैं। उन्हें याद आया कि ऑफिस की खिड़कियां  तो खुली  ही रह गई हैं। उन्होंने सोचा कि जल्दी से इन्हें भी बंद कर देतें हैं तीनों खिड़कियां बंद करनें लगे। वे दोनों सखियां बहुत ही होशियार थी। उनके पास कैंची थी। उन्होंने कैंची से रस्सी को काट दिया और चुपचाप बाहर निकल गई। वे  तीनों अजनबी दरवाजे के बाहर चुपके   से निकले उन्होंने  आपस में कहा कि अंदर से ताला लगा देते हैं। जिससे वे दोनों सखियां बाहर ना निकल सके। दरवाजा बंद करके जाने लगे तो वे दोनों सहेलियां पीछा करती करती उनके साथ उस क्लीनिक तक पहुंच गई। उन दोनों सहेलियों ने अपने मुंह पर रुमाल बांधे थे ताकि कोई देख ना सके। उन्होंने सबसे पहले एक  टेलिफोन बूथ के ऑफिस के पास पहुंच कर पुलिस को सूचना दे दी थी।  वे तीनोंअजनबी इन तीनों बच्चों की किडनी को निकालने वाले हैं। इसके लिए इन्हें पांच ₹500000 मिलते थे। उन्होंने उस  पिटारा हॉस्पिटल का हवाला दिया और कहा कि आप इस हॉस्पिटल में जाकर उन शातिरों को जल्दी से पकड़ लो।  ना जाने आज फिर तीन अबोध बालकोंं को  मौत के मुंह में जाने से कोई नहीं रोक सकेगा। पुलिस वालों ने  उस अस्पताल में  समय पर पहुंच कर सभी डाक्टरों को ऑपरेशन करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि आज इस  अस्पताल की  चैकिन्ग  होनी है।  उन अजनबीयों  ने सुना तो उन्होंने अपनी गाड़ी की नेम प्लेट निकाल दी। तीनों बच्चों को उन दोनों सहेलियों ने बचा लिया था। इस काम के लिए पुलिस वालों ने उन दोनों सहेलियों  को ईनाम की घोषणा कर दी। उन दोनों नें ईनाम लेनें से मना कर दिया और कहा कि अगर आप हमें ईनाम देना ही चाहते हैं तो हमारे दोस्त अभिषेक को जल्दी से जल्दी हमें ढूंढ कर लौटा दो। तब हम समझेगें कि सचमुच में ही आपने हमारा इनाम हमें दे दिया है। तीनों अजनबी वहां से खिसक चुके थे। उन को पुलिस पकड़ नहीं पाई।

वे तीनों अजनबी आपस में कहनें लगे ऐसा कौन व्यक्ति है जिस नें पुलिस वालों को हमें पकड़वाने की सूचना  दी। यह सूचना किसने दी होगी। यह तो शुक्र है जो आज  हम बाल-बाल बच गए वर्ना आज तो पुलिस वालों ने उन्हें हवालात में बंद कर दिया होता। चुपचाप दूसरी गाड़ी में बैठकर अपने अड्डे पर पहुंचे।

जब उन्होंने ताला खोला तो उन्होंने देखा कि वे दोनों सहेलियाँ वहां से गायब थी। जल्दी में उन दोनों के  आईकार्ड  वंही  पर ही छूट गए थे। उनको समझ आ गया कि वे दोनों सहेलियाँ उन दोनों को चकमा देकर वहां से फरार हो गई थी।। उन्होंने  ही पुलिस वालों को इसकी सूचना दी होगी।

वे सोचने लगे कि इन दोनों को  ढूंढ कर इन दोंनों सहेलियों का काम तमाम कर देंगें।  इसलिए उन तीनों ने उन दोनों के नाम   भी याद कर लिए थे। उनके आई कार्ड संभाल कर रख लिए थे।

नदी में बहता बहता अभि बहुत  ही दूर निकल चुका था।  एक मछुआरे नें एक बोरे को  बहते आते देखकर जब उस बोरे को खोला तो  बच्चे को देखकर उसने उस बच्चे को होश में लानें का यत्न किया। उसकी खूब सेवा किऔर अपने मालिक को बच्चा देते हुए बोला कि यह बच्चा मुझे नदी में बहता मिला है। अगर आप इस बच्चे को रखना चाहते हैं तो ठीक है वर्ना इस बच्चे को मैं पाल लूंगा। यह बच्चा अब खतरे से बाहर है। ना जाने यह किसका बच्चा है? ना जाने कहां से आया है।

उस मछुआरे के मालिक नें उस को बहुत सारा रुपए देकर कहा तुमने हमें एक बच्चे को लाकर हमारी गोद में  डाला है। हम  इसे गंगा मैया की अमानत समझकर इसका पालन पोषण करेंगे। हम इसे इतना प्यार करेंगे कि वह कभी अपने घर जाने का नाम नहीं लेगा।

मछुआरे का मालिक एक बहुत बड़ा होटल का मालिक था। होटल के मालिक ने उस बच्चे से पूछने की कोशिश की कि तुम कौन हो? और कहां से आए हो? मगर वह बच्चा कुछ बोल नहीं सकता था। उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने कहा कि इस बच्चे को किसी ने खूब मार-मार कर इस को नदी में फेंका था। उसकी पीठ पर मार के निशान थे।मालकिन ने उस बच्चे को खूब प्यार किया और कहा कि इसके मां-बाप कितने निर्दयी होंगे जिन्होंने ना जाने किस कारण इस बच्चे को मारकर नदी में फेंक दिया। डॉक्टर ने यह भी कहा कि पिटाई के कारण यह अपनी यादाश्त खो बैठा है। इसे कुछ भी याद नहीं है। और कुछ बोल पाने में भी असमर्थ है। इसका आई कार्ड हमें मिला है। इसमें एक  सैन्ट्रल  स्कूल सीतागढ का नाम लिखा है। और कक्षा आठवीं का छात्र  है। इस बच्चे का नाम अभि है। हम इसे अभि नाम से ही पुकारेंगे।

होटल का मालिक बोला जो भी हो आज से यह हमारा बेटा है।हम  अब इसे खोना नहीं चाहते। वह अभि को बहुत प्यार करते। अभि भी उनसे काफी घुल मिल गया था। पुलिस वाले अभि को ढूंढने में नाकाम हो चुके थे। वह तो अपने शहर से दूर किसी दूसरे देश में पहुंच गया था। अभि के माता-पिता अपनें बेटे के सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सके। बहुत ही उदास रहने लगे। उसको याद करते करते थक चुके थे।  उनकी आंखें  रो रो कर थक चुकी थी उन्होंने समझ लिया था कि हमारा बच्चा मर चुका है।

एक दिन जब अभि होटल में अपने होटल के मालिक के साथ बैठा था तो उसने तीन अजनबी यों को खाना खाने के लिए अपनें होटल में आते देखा। वह तीनों अजनबीयों को देखकर चौका। उसे कुछ कुछ याद आ रहा था। वह चक्कर खा कर नीचे गिर गया। होटल की मालकिन दौड़ी दौड़ी आई और उसे पलंग पर लिटाया। उसने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेर कर कहा क्या हुआ? अभि-अभि ने उन्हें कुछ कहा। बोलने की कोशिश करते करते फिर बेहोश हो गया।

तीनों अजनबी उस क्षेत्र के निवासी थे। वे वंहा पर  दिन के समय उसी होटल में खाना खाने आते थे। वह उस शहर के निवासी थे। वह अभी के शहर में तो सिर्फ चोरी करने के इरादे से वहां गए थे। बच्चों की किडनी बेचकर जो रुपया मिलता था  वह अपने देश में आकर खर्च करते थे। अगली बार जब यह तीनों अजनबी होटल में खाना खाने आए तो अभि वंहा टहल रहा था तभी उन तीनों को देखकर वह चौका। उसे सब कुछ याद आ गया था।

वह तीनों अजनबी जिन्होंने उसे पिटाई कर के बेहोश करके नदी में  फैकनें के लिए एक बोरे में डाल दिया था। सब कुछ याद आ गया था वह बहुत होशियार था उसने जल्दी से एक हैट पहन लिया। अजनबी उसे पहचान नहीं सके  उन्होंने होटल के मालिक से कहा कि यह बच्चा कौन है? उस होटल के मालिक ने कहा कि यह मेरा बेटा है। यह गूंगा है। वह बोलता नहीं है। एक दुर्घटना में इसकी यादाश्त चली गली थी। उन तीनों अजनबीयों ने कहा कि कुछ दिन के लिए  आपअपने बेटे को हमारे साथ भेज दें। क्योंकि हमारे साथ काम करने वाला एक आदमी अपने घर गया है। वह हमारे छोटे-मोटे काम कर दे देता था। अगर आपको मंजूर हो तो हम इस बच्चे को थोड़े दिन के लिए अपने साथ ले जाते हैं। हम आपको आपके बेटे को सही सलामत वापस आपके घर छोड़ने आएंगे। हमें एक एसे ही  नव युवक की तलाश थी जो गूंगा हो। कृपया आप हमारे  साथ इसे भेज दे इसके लिए हम आपको ₹100000 देंगे।

होटल का मालिक मान गया। उसने उन तीनों अजनबीयों को कहा कि अगर तुमने हमारे बेटे को जरा भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो हम तुम्हे छोड़ेंगे नहीं। तीनों अजनबीयों ने कहा कि यह केवल हमारी गाड़ी की देखरेख किया करेगा। और हम इस से कोई काम नहीं करवाएंगे। यह हमारे ऑफिस में हमारे साथ रहेगा। होटल के मालिक ने अभि को  ईशारे से अपने पास बुलाया उससे पूछा क्या तुम इन तीनों के साथ काम करना पसंद करोगे।? इसलिए यह सारी बातें उसनें पर्ची पर लिख दी थी। क्योंकि वह सोचता था कि जो व्यक्ति गूंगा होता है वह सुन भी नहीं सकता। उसने अभि को लिख कर कहा कि क्या तुम इनके साथ जाना पसंद करोगे? अभिने भी पर्ची पर हां लिख कर    दे दिया। ं उन तीनों अजनबीयों के साथ अभि उनके अड्डे पर पहुंच गया। उसने वहां पर पंहुंच उनके बारे में पता लगा लिया वे कैसे-कैसे बच्चों के  लीवर  किडनी बाहर निकालकर उन्हें अस्पतालों में बेच दिया करते थे।

अभि उनके सामने गूंगे होने का नाटक करता था। उनकी गतिविधियों पर वह हर समय नजर रखता था। एक दिन उसने दूरभाष पर उनमें से एक अजनबी को फोन पर बात करते सुना। वह आपस में बातें  कर रहे थे। वह किसी दूसरे व्यक्ति को कह रहा था कि हम जल्दी से दूसरे शहर जा रहे हैं। इस बार आरुषि और अर्चना को ही सबसे पहले अपना शिकार बनाएंगे। क्योंकि वह दोनों लड़कियां उन्हें चकमा देकर फरार हो गई थी। एक का नाम आरुषि और  दूसरी का अर्चना है। वह दोनों सातवीं कक्षा की छात्रा हैं। उनका स्कूल एक खूबसूरत चर्च के पास है। वे दोनों लड़कियां बहुत ही शातिर हैं। हमनें किसी ना किसी तरह उनके दोस्त को तो मार कर नदी में फेंक दिया। शायद वह तो मर भी गया होगा। अच्छा होता अगर उन दोनों को भी उस नदी में फेंक दिया होता। हम तुम्हें इन दोनों लड़कियों की फोटो भेज रहे हैं। हम जल्दी से जल्दी इन लड़कियों को पकड़ना चाहते हैं। अबकी बार हमारा मोहरा यह दोनों सहेलियाँ है। जब अभि नें उस अजनबी को फोन पर यह कहते सुना तो समझ आ चुका था कि अबकी बार वह उनकी दोस्तों को नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहे हैं ।

जब अभि  मालकिन के घर से आ रहा था तब उसने चुपके से एक मोबाइल भी उसनें अपनी जेब में रख दिया था।  जब वह तीनों अजनबी बाहर गए तो उसने अपनी दोनों दोस्तों को फोन लगाया। अभि की दोनों दोस्त साथ ही रहती थी।  उन्होंने फोन सुना तो उन्हें आवाज से मालूम हो गया  कि यह तो  हमारा दोस्त अभि है।  उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे थे। अभी नें उन्हें बताया कि किस तरह उन अजनबीयों ने उन्हें मारकर बोरे में बेहोश कर नदी में फेंक दिया था। शायद भगवान को भी मेरा मरना मंजूर नहीं था। मुझे एक मछुआरे ने  बचाया। उसनें मुझे बोरे से निकाल कर अपनें घर ले गया। मेरी बहुत सेवा कि।  उसनें अपनें जाकर एक होटल के मालिक को  मुझे सौंप दिया। वह ना जाने कौन से देश में पहुंच गया है? और वह  अब तकअपनी यादाश्त खो बैठा था। लेकिन जब यह तीनों अजनबी उस होटल पर खाना खाने आए तो इन तीनों अजनबी यों को देखकर मेरी याददाश्त लौट आई।

मैंने यह सब  बातअपने मालिक   को नहीं बताई। मैं उन तीनों अजनबीयों के साथ काम करने के लिए आ गया।  मैंने अपने  बाल खूब लंबे-लंबे कर लिए जिस कारण वे अजनबी उसे पहचान नहीं सके। मैं तुम्हें इसलिए यह सब कह रहा हूं कि आज मैंने इन तीनों की बातें सुनी। तुम तीनों को मारने के लिए तुम्हें अगवा करने की योजना बना रहे  हैं। तुम होशियार रहना । और पुलिस वालों को भी इन्फॉर्म कर देना ताकि तुम दोनों की जान बच सके। जब वह आएंगे तो मैं भी उनके साथ आऊंगा। तब तक तुम मेरे माता-पिता को भी बता देना कि मैं जिंदा हूं। मुझे से कांटेक्ट करने की कोशिश मत करना क्योंकि मैंने किसी को भी यह बात नहीं बताई है कि मुझे होश आ चुका है।

तीनों अजनबीयों ने अपना भेष बदला और गाड़ी में बैठ गए।   अभि नें तो उन्हें कड़ा ,छःऊंगलियों और भूरी आंखों द्वारा उन्हें पहचान लिया था। उसी शहर में  वापिस आकर अभि को एक कमरे में ठहराया और उसे पर्ची पर लिखकर दिया कि हम किसी काम से  गेटवे चर्च के पास जा रहे हैं। वहां हमें काम है। तब तक तुम हमारा यही इंतजार करना।  वह तीनों अजनबी गाड़ी में बैठकर चले गए अभी ने उन्हें जाते देखा।

उसने अपने घर फोन किया। उसकी आवाज सुनने के लिए उसके माता-पिता तरस गए थे अभि की मम्मी तो अभि की आवाज सुन कर बहुत खुश हुई बोली बेटा तू कहां है? हम तुमसे मिलने आ रहे हैं। अभि ने अपनी मम्मी को कहा कि भूलकर भी अभी यहां फोन मत करना वर्ना आप अपने बेटे को नहीं देख सकोगी।

तीनों अजनबीयों को किसी ने बताया था कि वह दोनों लड़कियां तो बहुत ही चालाक है। उन को पकड़ना बहुत ही मुश्किल है। इसलिए उन तीनों अजनबीयों  नें अर्चना और अरु के घर फोन किया हम तुम्हारे स्कूल से तुम्हारे अध्यापक बोल रहे हैं। तुम्हारे स्कूल का सांस्कृतिक कार्यक्रम कल होना है। जिसके लिए तुम दोनों को सिलेक्ट किया गया है। इसलिए हम तुम्हें चर्च के पास लेने आ रहे हैं। उन तीनों अजनबीयों ने स्कूल से पता कर लिया था कि उनके स्कूल के टीचर्स ने सचमुच  फोन किया था या कोई उन्हे झूठमूठ में गुमराह कर रहा है। इसलिए उन्होंने वह फोन नहीं उठाया था।

तीनों अजनबीयों को पता चल चुका था कि किस टीचर ने उन दोनों को फोन किया? जब दोबारा फोन आया तब आरुषि और अर्चना ने पूछा कि आप कौन बोल रहे  हैं?  उन्होंने उनके टीचर का नाम बता दिया मैं तुम्हारा अंग्रेजी का अध्यापक वास्तव  बोल रहा हूं। वह दोनों समझी कि उनके अध्यापक ही उन्हें फोन कर रहे हैं। वह दोनों उनसे मिलने चल पड़ी। उन्होंने अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम का सारा सामान लिया और जल्दी-जल्दी चर्च पहुंचने का प्रयत्न करनें लगी।  उन्हें तभी एक गाड़ी दिखाई दी। उस गाड़ी में  से उतर कर एक आदमी ने कहा कि तुम्हारे सर जल्दी में निकल गए क्यों कि उन्हें वहा पर जल्दी पहुंचना है इसलिए उन्होंने हमें कहा है कि तुम चर्च के सामने गेट पर मिलना। वही तुम्हारे स्कूल का प्रोग्राम एक हॉल  में होने वाला है। वह दोनों जल्दी से गाड़ी में बैठ  गई।

जब काफी देर तक चर्च नहीं आया तो उनकी आंखें  उनका माथा ठनका।  वे  दोनों कंहीं धोखे में आ गई थी। उन्हें समझ आ गया कि एक बार फिर वह पकड़ी गई। जब आरुषि की नजर उस व्यक्ति के हाथ पर गई  जिसके हाथ में  उसनें कड़ा देखा था। अचानक उन्होंनें कहा सर हमने इस शो रुम  से साड़ी लेनी है। उन्होंनें साथ बैठे युवक को साड़ी की स्लिप पकड़ा दी। दो नव युवकों ने उन से कहा कि तुम दोनों इसी गाड़ी में बैठी रहो । हम तुम्हारी  पास की दुकान से साड़ियां ले  करआते हैं। उन्होंने जल्दी से गाड़ी का दरवाजा बंद कर दिया। जल्दी में वह गाड़ी को लॉक करना भूल गये। वह दोनों नवयुवक साड़ी लेने इंपोरियम में गए तभी वह वह दोनों जल्दी से खिड़की से कूद गई।  जल्दी से जाकर पुलिस को इसकी सूचना दे दी।

प्लीज जल्दी से उन दोनों नव युवकों को पकड़ लो। एक बार फिर  किडनी गैंग के लोग हमारे शहर में पहुंच चुके हैं। उन्होंने एक बार फिर हमें पकड़ लिया था। आप जल्दी से हमारे   साथ चल कर  एंपोरियम में दो लंबे हट्टे-कट्टे नौजवान जो साड़ी लेने गए हैं उन्हें आप जल्दी से पकड़ लो। पुलिस तो पहले ही उन गैन्ग की  तलाश में थी  जो मासूम बच्चों को कुछ सूंघा कर और बेहोश कर के उनके किडनी लिवर निकाल कर दूसरे देशों को भेज देती थी। जैसे उन्होंने अर्चना और आरुषि की आवाज सुनी  जल्दी से  पुलिसवालों को अलग-अलग स्थानों पर तैनात कर दिया। इंपोरियम से जैसे  ही वे दोनों अजनबी वापिस आ रहे थे उन्होंने उन को पकड़ लिया। अभि भी पुलिस वालों के पास पहले  ही पंहुच चुका था। उसने भी उन दोनों की सूचना पुलिस वालों को दे दी थी। अभि ने अपना सारा हाल कह दिया कि किस प्रकार उन्होंने  उसे नदी में भरकर बोरे में भरकर एक नदी में फेंक दिया था। फिर एक मछुआरे ने दया करके उसे बचाया और होटल के मालिक ने उसे बच्चे की तरह प्यार किया। उसने अपनी सारी कहानी पुलिसवालों को सुना दी और उन्होंनें उसे अपने बच्चे से भी बढ़कर प्यार किया। उसने अपनी सारी कहानी पुलिस वालों को बताई किस तरह उसने सारे गैंग वालों का पर्दाफाश किया और पुलिस वालों ने किडनी निकालने वाले गैंग को पकड़कर अपना फर्ज पूरा किया। और उन तीनों बच्चों को ईनाम देकर 26 जनवरी के मौके पर उनको सम्मानित किया।उन तीनों को उस गैन्ग को पकडवाने  के लिए तीन लाख की राशि ईनामस्वरुप दी गई।

अभि   नें होटल के मालिक को फोन किया और उनको सच्चाई से अवगत कराया। आप जैसे मां बाप पाया कर में फूला नहीं समाया। आप दोनों जहां भी रहो खुश रहो।

उसने सारी कहानी होटल के मालिक को सुनाई कैसे उसको  उन अजनबी युवकों ने उसे मारकर बोरी में फेंक दिया था। परंतु आपके होटल में जब वे तीनों खाना खाने के लिए आए। जिन लोगों नें उसे नदी में फैंक दिया था उन्हें देखकर मेरी याददाश्त वापस आ गई। परंतु मैंने  आप को कुछ नहीं बताया इसलिए मैंनें उनके साथ जाना स्वीकार कर लिया क्योंकि मैं उनसे सच्चाई उगलवा कर उनका पर्दाफाश करना चाहता था।

उन्होंने  न जानें कितने अबोध बच्चों को पकड़कर उनके किडनी लीवर निकाल कर मार दिया था। मैंने उनके अड्डे का पता लगा कर उन तीनों अजनबी यों को पुलिस के हवाले कर दिया। हमारे  शहर में तो वे दो ही आए थे। परंतु तीसरे को भी रंगे हाथ पकड़ लिया गया। उनके शहर में ही उसे पकड़ लिया गया। अब वे तीनों सलाखों के पीछे हैं। मैं मार के कारण अपनी यादाश्त खो बैठा था परंतु इन तीनों को देखकर मुझे सब कुछ याद आ गया। मैंने अगर आपको सच्चाई बता दी होती तो आप मुझे उनके साथ नहीं भेजते। कभी आपसे मिलने जरूर आऊंगा। आपका अभि।

अभि आरुषि और अर्चना तीनो दोस्त मिलकर बहुत ही खुश हुए। तीनों की आंखों से झर झर आंसू बह रहे थे। अभि के माता पिता भी अपने बेटे को गले से लगाकर बोले बेटा हम तो निराश ही हो  चुके थे। तुम तो हमारे होनहार बेटे हो। हमें तुम तीनों पर गर्व है। आज सचमुच में ही हमारी खुशियां लौट आई है।