उपहार

माधोपुर के एक छोटे से कस्बे में सविता अपने बेटे के आने की राह देख रही थी। सविता के पति सेना में शहीद हुए थे। उसके बेटे ने भी कसम खाई थी कि वह भी अपने पिता की भांति एक वीर सैनिक बनेगा। अपने बेटे की हट के कारण उसकी एक न चली सविता के… Continue reading उपहार

माँ

मां का भोला भाला चेहरा याद आता है। उनका ममता भरा स्पर्श याद आता है। दुलार की ठंडी छांव का झोंका याद आता है। उनकी हर बात का हर शब्द याद आता है।। मां की छवि को भुलाया नहीं जा सकता। उनकी यादों को कभी मिटाया नहीं जा सकता। चाहे कितनी भी उंचाइयां छू लीं… Continue reading माँ

(आओ हम कुछ देना सीखें) कविता

   आओ हम  कुछ  देना सीखें।  जन जन की खातिर प्यार अपना लुटाना सीखें।। आओ हम कुछ देना सीखें। तरु की झुकी झुकी डालियों की तरह हम भी शीश झुकाना सीखें।। अपने अहंकार को त्याग कर सभी को गले लगाना सीखें।। आओ हम कुछ देना सीखें। माला के मनकों की तरह एक पंक्ति में गुंथ कर… Continue reading (आओ हम कुछ देना सीखें) कविता