हीरा

एक छोटे से पहाड़ की तलहटी पर हीरा अपनी माँ रूपा के साथ रहता  था। हीरा भोली मुस्कान लिए जब अपनी माँ की ओर देखता तो उसे हीरा पे बहुत प्यार आता, और फिर उसकी माँ को पता नहीं क्या सूझता वह उसको डांटने लगती कहती कि जल्दी ही अपना काम किया करो।  समय पर अगर तुमनें काम नहीं किया तो आज खाना नहीं दिया जाएगा। वह सोचता माँ को ना जाने एकदम क्या हो जाता है एक पल में मां दयावान बन जाती है। थोड़ी देर में ना जाने क्या हो जाता है।? कई बार माँ को पूछने का जतन करता लेकिन कभी सफल नहीं होता था। इसी तरह दिन गुज़रते रहे। हीरा माँ को कहता माँ मेरे पिता कहां है? उसकी माँ कहती तुम्हारे पिता हमें छोड़ कर चले गए हैं। तुम आगे से अपने पिता के बारे में कभी भी कोई भी सवाल मुझसे मत पूछना। तुम्हारे पिता को बड़ा बनने की चाह नें  और अंहकार नें मार डाला। इन्सान बड़ा बनकर अपने सगे संबंधियों को भूल जाता है। बेटा इतना याद रखना हम जैसे भी हैं ठीक है। कभी भी बहुत बड़ा इंसान बनने की चेष्टा मत करना वर्ना तुम भी अपने पिता की तरह बन जाओगे। हीरा अपनी माँ की बातें ध्यान से सुनता था।

उसकी माँ जंगल में पशुओं को चराने जाती थी। थोड़ा बहुत जो कमाई होती उसी से घर चलाती। पर अक्सर हीरा की भूख शांत नहीँ हो पाती थी। उसे पानी पी कर ही गुज़ारा करना पड़ता । गाँव मे हीरा के कुछ दोस्त थे।  उसके सभी दोस्त स्कूल पढ़ने जाते थे। वे उस से कहते कि हम तो स्कूल पढ़ने जाते हैं तुम भी हमारे साथ पाठशाला चला करो। वह कहता कि मेरी माँ कहती है कि हमें पढ़ना लिखना नहीं चाहिए। पढ़ना लिखना बहुत बुरी बात होती है। इंसान पढ लिख कर बड़ा बनकर अपनों को भूल जाता है। उसकी माँ तो अनपढ़ थी। शायद इसीलिए ही उसके पति ने उसे छोड़ दिया था। वह पढ़ाई को बहुत ही बुरा समझती थी वह अपने बेटे को स्कूल जाने से कोसों दूर रखती थी। उस मासूम को तो विद्यालय जाने का मतलब भी पता नहीं था।

उसकी मां पशुओं को चराने के पश्चात आकर घर से 5 किलोमीटर की दूरी पर एक साहुकार के यहाँ थोड़ा बहुत मज़दूरी का काम भी करती थी। वह जो कमाती, उसका मालिक  जो कुछ देता वह उसी से गुजारा करती। वह इसी में अपने बेटे के साथ खुश थी। घर पर आकर घर का काम करने के पश्चात थोड़ी देर अपनें बेटे के साथ समय समय व्यतीत करती थी। उसे अच्छी-अच्छी बातें सिखाती थी।

एक दिन उसका दोस्त पंकज उस से मिला। पंकज उस से बोला तुम भी मेरे साथ पढ़ने चला करो। स्कूल में पढ़ाई करने में बहुत ही मज़ा आता है। स्कूल में अच्छी-अच्छी बातें सिखाई जाती है। स्कूल में अच्छी बातों के साथ  दोपहर को हर बच्चे को भोजन भी खानें को दिया जाता है। बच्चों के मनपसंद खेल भी खिलाए जाते हैं। ड्राइंग करने को भी मिलती है। प्यार से सभी अध्यापक अध्यापिकाएं हमें पढ़ाते हैं। पेट भर भोजन मिलता है! यह सुन कर  हीरा के मुँह में पानी आ गया। उसकी माँ उसे भर पेट खाना नही दे पाती थी। उसकी भूख कभी शांत नहीं हो पाती थी। ं हीरा बोला अब तो मुझे भी स्कूल जाने का कोई उपाय सोचना ही पड़ेगा। कम से कम खाना तो मिल ही जायेगा।

हीरा अपने दोस्त को बोला तो कल मैं भी तुम्हारे साथ स्कूल चलूंगा। वहां देखूँगा कि तुम क्या क्या सीखते हो? हीरा ने अपनी माँ को कहा माँ  मैं पंकज के साथ खेलने जा रहा हूं। वह अपनी मां को बताता कि वह पंकज के स्कूल जा रहा है तो उसकी माँ उसे कभी भी स्कूल नहीं भेजती। वह जल्दी से तैयार होकर पंकज के साथ विद्यालय चला गया। रास्ते में चलते चलते पंकज बोला हमें  समय पर स्कूल आना पड़ता है। स्कूल में काम समय पर करना पड़ता है।

मुझे पहले स्कूल का मतलब ही पता नहीं।  पाठशाला या स्कूल क्या होता है? हीरा अपनें दोस्त पंकज से बोला, जिस प्रकार हम घर में रहते हैं उसे  गृहालय या आवास स्थान कहते हैं। जहां पर हम रहते हैं और आलय का मतलब होता है स्थान या आवास स्थान। ज्ञान या पाठ का मतलब होता है ज्ञान प्राप्त करना है। शिक्षा ग्रहण करने का स्थान यही विद्यालय होता है। यही स्कूल होता है। जहां अच्छी अच्छी बातें सिखाई जाती है।

ये तो हमारी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है।

हीरा हैरान हो कर बोला, यह दैनिक दिनचर्या क्या होती है? दैनिक दिनचर्या जो काम तुम प्रतिदिन सुबह उठकर करते हो जैसे सुबह उठकर शौच जाना दातुन करना नहाना, भोजन करना, अथवा प्रतिदिन जो काम हम करते हैं यह सब कार्य दैनिक दिनचर्या में आते हैं । तुम पशुओं को जंगल में चराने ले जाते  हो। जहां पशु चराए जातें हैं उसे चरागाह कहतें हैं। सुबह जब उठते हो प्रातः काल का समय होता है। हमें सूर्य निकलने से पहले उठना चाहिए। थोड़ा दूर चले ही थे कि माँ ने उसे आवाज़ दे के वापस बुला लिया। उसे किसी काम के लिए हीरा की मदद की आवश्यकता पड़ी थी। हीरा उस दिन स्कूल नहीं जा पाया पर उसके मन मे एक दिन विद्यालय जाने की इच्छा घर कर गई। कोई बात नहीं मैं कल तुम्हारे साथ विद्यालय ज़रूर जाऊँगा।

अगले ही  दिन फिर बिना अपनी माँ को बताए पंकज के स्कूल में जाने के  लिए तैयार हो गया। वह बोला माँ आज मैं अपने एक दोस्त के घर जा रहा हूँ।जल्दी ही आ जाऊंगा। उसकी माँ बोली बेटा जल्दी आ जाना मैं भी काम पर जा रही हूं। उसकी माँ अपने बेटे को यह  कहकर काम पर चली गई। हीरा अपनें दोस्त के साथ स्कूल में पहुंच गया था। स्कूल में पहुंचकर उसे बहुत ही अच्छा लगा। सभी बच्चे लाइनें बनाकर प्रार्थना के लिए जा रहे थे। उनकी मुख्याध्यापिका ने आकर बच्चों को बड़े ही प्यार से शुभ प्रातः कहकर संबोधित किया। बच्चों ने भी शुभ प्रातः कर एक दूसरे का अभिवादन किया। बच्चों ने प्रार्थना में किसी न किसी विषय पर कुछ ना कुछ बोला। विषय समाप्त होने पर बच्चों ने तालियां बजाई। आज हीरा पहली बार कक्षा में बैठा था। उसे बड़ा ही अच्छा लग रहा था। बच्चों की मैडम नें सब बच्चों की उपस्थिति लगाई। पर उनका ध्यान हीरा पर नहीं गया।

स्कूल में उस दिन एक बच्चे का जन्मदिन था। उस दिन उस बच्चे ने स्कूल में टौफियां और  मिठाई बांटी। सभी बच्चों ने तालियां बजाई। उस बच्चे की अध्यापिका ने उसके सिर पर हाथ रख कर उसे आशीर्वाद दिया। बेटा तुम पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बनना। सच्चाई के रास्ते पर चलना। पंकज नें भी उस बच्चे के लिए तालियां बजाई।

मुख्य अध्यापिका जी ने कहा कि तुम्हारा जीवन हर दिन ख़ुशियाँ ले कर आए।

हीरा पंकज से बोला मेरी माँ ने मेरा जन्मदिन कभी भी नहीं मनाया। मुझे तो यह भी पता नहीं है कि मैं कब पैदा हुआ था। मेरी माँ कहती है कि बड़ा आदमी कभी मत बनना और अध्यापिका कहती हैं कि पढ लिख कर  बडा आदमी बनना। मैं अपनी माँ से पूछ कर ही रहूंगा मेरा जन्म दिन वह क्यों नहीं मनाती। अगले कालांश में दूसरी अध्यापिका आई। पंकज नें कहा वह विज्ञान की अध्यापिका है। वह बच्चों को बड़े ही प्यार से पढ़ा रही थी। विज्ञान की अध्यापिका ने बच्चों को  बहुत से जानकरियांं दी। सफाई स्वछता से संबंधित और गंदगी से होने वाली आम बीमारियों और उन के इलाज से संबंधित। यह सब जान कर हीरा बहुत ही हैरान था। उसकी माँ उसे सारी अच्छी बातें सिखाती थी पर ये सब तो उसे मालूम ही नहीं था।

विद्यालय में आधी छुट्टी के समय सब बच्चे एक पंक्ति बना  के भोजन करने गए।

वहाँ एक कमरे में से एक मेज़ पर भोजन के बर्तन ढक के रखे हुए थे। हीरा को खाने की एसी खुश्बू आ रही थी कि उसके मुँह में पानी भर आया। उसका मन कर रहा था कि भाग के जाए और सीधा बर्तन में से अभी खाना शुरू कर दे। पर सब को देख के वह चुपचाप पंक्ति में चलता रहा। सब बच्चों ने एक कोने में अपने जूते उत्तर के रखे और पास में लगे नल से पानी ले कर साबुन से हाथ साफ किये। हीरा को विज्ञान की मैडम की बात याद आई के भोजन करने से पहले हाथ साफ करने चाहिए नहीं तो बीमार हो सकते हैं। सब हाथ धो के भोजन करने बैठे। आज पहली बार हीरा ने भर पेट भोजन किया था। सब्ज़ी दाल चावल और रोटी। हीरा बहुत खुश था। आज से मैं भी रोज़ स्कूल आऊंगा। चाहे कुछ भी हो जाये। माँ से मुझे झूठ ही क्यों ना कहना पड़े।

भोजन करने के बाद सब ने अपनी अपनी थाली और गिलास उठाये और धो के एक जगह रख दिये। खाने के बर्तन साफ रखने चाहिए पंकज ने कहा। साफ भोजन करने और साफ पानी पीने से हम बीमारियों से बचे रहते हैं। मैडम ने बताया था याद है ना? हीरा ने मुस्कुराते हुए सर हिलाया। फिर सब बच्चे खेल कूद में व्यस्त हो गए।

थोड़ी देर बाद सभी बच्चे अपनी अपनी कक्षाओं में लौट गए।

आधी छुट्टी के पश्चात ड्राइंग की क्लास थी। उस दिन स्कूल में ड्रॉइंग कंपटीशन था। कॉम्पिटिशन में भाग लेंनें के लिए बच्चे अलग-अलग स्कूलों से आए थे।

एक मैडम की नज़र हीरा पर पड़ी तो मैडम बोली बेटा तुम्हारी ड्राइंग नोटबुक कहां  है? पंकज बोला वह अपनी कौपी और रंग आज घर पर ही भूल गया है। मैडम को तो पता ही नहीं चला कि वह उनके स्कूल का बच्चा नहीं  है। वह किसी दूसरे स्कूल से ड्राइंग कंपटीशन में भाग लेने के लिए आया होगा। मैडम ने मुस्कुराते हुए कहा के कोई बात नहीं बेटा में अभी तुम्हें ड्राइंग की कॉपी और रंग उपलब्ध करवाती हूँ। रंग और कॉपी मिलते ही वह खुशी-खुशी से ड्राइंग बनाने लगा। उसने जंगल में उगते हुए सूर्य और चरागाह को दिखाया था। मैडम नें घोषणा कि  अगले सोमवार को जिन बच्चों का सबसे अच्छा चित्र होगा उसे ईनाम दिया जाएगा। सभी बच्चे वर्दी डालकर आना।

छुट्टी के वक्त हीरा  ने अपने कदम घर की ओर बढ़ाए। उसे स्कूल में आज बहुत ही अच्छी बातें सिखाई गई थी। गणित, विज्ञान, इतिहास और सबसे रोचक तो उसे अंग्रेजी भाषा  लगी।

घर आ कर वह बहुत ही खुश था। माँ के आने से पहले ही वह वापस घर आ गया था। पता नहीं कब बिस्तर पे गिरते ही उसे गेहरी नींद आ गई। रात को भोजन करते हुए उस ने माँ से पूछा माँ मेरा जन्मदिन कब आता है? आज पड़ोस में एक लड़के का जन्मदिन था मेरा कब आता है माँ? मैं भी सबको मिठाई बांटूंगा। माँ ने झल्ला के कहा मुझे याद नहीं। तंग मत कर जा, जा के सो जा। हीरा उदास हो के सो गया। उसकी माँ ने  सोचा, बेचारा मेरा बेटा, मेने बेकार ही उसे डांट दिया।

सुबह जब हीरा उठा तो माँ ने उसके लिए आटे का हलवा बना के रखा था। उसने हीरा से कहा कि आज से हम हर वर्ष तेरा जन्मदिन आज के दिन ही मनाएंगे। हीरा ने माँ के गले से लग के धन्यवाद दिया और माज़े से हलवा खाया।  हीरा अपनी मां से बोला में खेलने जा रहा हूँ देर से आऊंगा। आप काम पे चली जाना कह कर वह अपने दोस्त से मिलने भाग गया।

अब तो हीरा को  पढ़ने में बहुत ही मज़ा आने लगा था। उसकी माँ जब उसे जंगल में चलने के लिए कहती तो वह कहता माँ आज मेरी तबियत ठीक नहीं है। सिर में दर्द है। बहाने करता रहता। माँ को बिना बताए ही स्कूल जाने लगा अपने मित्र से किताबें उधार ले कर घर मे भी पढ़ने का अभ्यास करता था।

एक दिन स्कूल में शाम को मैडम ने सभी को कहा था कि अपना अपना बैग और ड्रेस साफ सुथरा लाना है। जो बच्चे वर्दी नहीं पहन के आएंगे उन्हें कक्षा में आने नहीं दिया जाएगा। उसके पास तो वर्दी भी नहीं थी। स्कूल से लौटते समय वह अपने दोस्त पंकज के साथ एक दुकान पर रुका क्योंकि उसके दोस्त नें  वहां अपनी वर्दी सिलवानें के लिए दी थी। पंकज ने अपनी वर्दी दीवान चंद से खरीदी थी। गांव में दीवान चंद की दुकान बहुत ही मशहूर थी। दीवान चंद तो वहां पर रहते नहीं थे। वह तो सिर्फ बच्चों की स्कूलों की वर्दी बेचने के लिए कभी-कभी गांव आते थे। उन्होंने गांव में एक ही बहुत ही बढ़िया दुकान खोली थी। पंकज ने अपनी वर्दी देखी। हीरा बोला अंकल आप मुझे भी वर्दी दिखाइए, मेरे नाप की।

दुकानदार दीवान चंद बोले  मेरे पास एक बच्चे नें वर्दी सिलवाने के लिए  दी है। उसके पिता का स्थानांतरण हो गया है। वह अब वर्दी नहीं लेगा। यह वर्दी पहन कर तो देखो। हीरा नें जब वह वर्दी पहन कर देखी उसे वह पूरी थी। लेकिन कमीज की बांजुएं थोड़ी लंबी थी। दुकानदार बोला  कल तुम्हें वर्दी मिल जाएगी। हीरा बोला पहले मैं अपनी माँ से पूछ कर बताऊंगा।

रात को उसने माँ से पूछा कि माँ क्या मुझे थोड़े पैसे दे दोगी? तुझे पैसे की क्या ज़रूरत आ पड़ी? माँ ने हैरान हो के पूछा। हीरा ने माँ से कहा कि उसे खेलने के लिए नई गेंद लेनी है। माँ  ने उसे कुछ पैसे दिए पर वह तो उसकी स्कूल की वर्दी लेने के लिए बहुत कम थे।

अब क्या करे? हीरा ने सोचा।

वह दीवान चांद जी की दुकान में गया और वर्दी देखी। उस समय दीवानचंद वहां नही थे, दुकान पे उनके नौकर ही थे। हीरा को स्कूल की वर्दी पहने की इतनी ईच्छा थी के उसने उसे चुराने का निर्णय कर लिया।

उसने देखा, उस दिन दुकान में काफी भीड़ थी। बहुत से बच्चों के माता पिता उनके लिए वर्दी लेने आये थे । हीरा भी एक दंपति के पास जा के बैठ गया। उस ने धीरे से नौकर से वो वर्दी लाने को कहा। नौकर ने सोचा कि पास बैठे दंपत्ति ही उसके माता पिता हैं। जब सब नौकर थोड़ा व्यसत हो गए तो चुपके से हीरा ने वो वर्दी एक झोले में छिपा दी। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। उसने दुकान के एक कर्मचारी से पीने के लिए पानी मांगा, जैसे ही वो पानी लाने गया हीरा वहां से चुपके से बाहर निकल गया। फिर वहां से उसने बहुत तेज़ दौड़ लगाई। उल्टी सीधी गलियों से होता हुआ वह सीधा अपने घर आ के ही रुका। घर के अंदर जाते ही उसने जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। उसकी माँ अभी वापस नही लौटी थी। उसने जल्दी से वर्दी झोले  से बाहर निकाली। उसे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था कि अब उसके पास भी स्कूल की वर्दी है। अब वह भी रोज़ वर्दी पहन के स्कूल जाने लगा।

कुछ समय में ही उसने थोड़ा थोड़ा पढ़ना लिखना भी सीख लिया था। हीरा बहुत ही होनहार चैत्र था,  वह गणित के सवाल भी असानी से हल कर लेता था। उसे नोटों के बारे में काफी जानकारी हो गई थी। वह घर में नोटों को उल्टपल्ट कर देखा करता था। बीच बीच में पंकज  के साथ स्कूल चला जाता था।

एक दिन  हीरा की मां जब काम पर से वापस आई तो हीरा  को घर पर ना पाकर उदास हो गई। वह बीमार होने की वजह से जल्दी ही घर वापस आ गई। । वह तो हर रोज उसकी अनुपस्थिति में स्कूल चला जाता  था।

 जब काफी देर तक हीरा घर नहीं आया तो वह उसके  दोस्त पंकज के घर गई। और पंकज की मां ने दरवाजा खोला। हीरा की माँ बोली मेरा बेटा तुम्हारे घर तो नहीं आया। पंकज की माँ बोली आप का बेटा तो मेरे बेटे के साथ स्कूल गया है। वह कहने लगी

मेरा  बेटा तो स्कूल में नहीं पढ़ता है। उसकी माँ को विश्वास नहीं हुआ। हीरा की माँ को क्या पता होगा? वह तो मुझे से पूछ कर गया था। अपने आप पता करूंगी। वह ठीक ही कह रही है या गलत। आज  जल्दी में उसके साथ स्कूल चला गया होगा। उसे कहना होगा कि पंकज के साथ मत रहा कर। वह कभी भी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहती थी। इसी कारण उसने पढ़ाई नहीं की।

काफी दिन तक उसकी माँ बीमार रही। उसे तेज़ बुखार था और पेट मे भी दर्द था।घर में

हीरा  ने देखा कि रसोई में माँ ने जिस कपड़े में रोटियां  लपेटी थी वह कई दिन से साफ नहीं किया गया था। उसने रोटी लपेटने के कपड़े को साफ कर दिया। पानी पीने के लिए उसने एक तार को मोड़ कर गिलास के चारो और लपेट कर उस की हत्थी बना दी थी। गिलास के चारों ओर तार लपेट दी थी। उसको पानी की बाल्टी में पीने के लिए प्रयोग किया। उसने वह बाल्टी  साफ करके उसको ऊपर से ढक दिया। घर को भी साफ कर रख दिया।

उसकी मां को  डिहाइड्रेशन हो गया था।  दस्त लग जाने के कारण उसके शरीर में पानी और नमक की कमी हो गई थी।

उसकी मां बोली बेटा तुम मेरे मालिक के पास जाकर मेरी पगार ले कर आना। मुझे दवाइयाँ लानी है। वह अपने मित्र पंकज के साथ साहुकार के यहां गया जहाँ उसकी माँ काम करती थी। उसकी माँ नें कागज़ की एक पर्ची दे कर कहा था कि उसे इतने रुपए मिलते हैं। उसके मालिक ने उसे 300 रुपये थमाते हुए उसे एक काग़ज़ पर हस्ताक्षर करने को कहा। हीरा ने देखा उस पे दी गई रकम 800 रुपये लिखी थी। उसकी इस करतूत को देख कर हीरा साहुकार को बोला  मेरी माँ को आप ₹300 दे कर 800रु की जगह पर हस्ताक्षर करवाते हो। मेरी मां पढी लिखी नहीं है। मेरी मां दिन-रात मेहनत करके कमाती है आप उन्हें कम पगार देते हैं। शेष राशि को आप अपनी जेब में डाल देते हैं क्या? उनको 800रु की जगह पर 300रु ही देते हो। हीरा पंकज से बोला मेरी मां की पर्ची पर आठ सौ ही लिखा है न, तुम देख के बताओ। पंकज बोला हां दोस्त यह 800रू ही है। साहूकार ने हीरा को कहा के गलती से गलत पढ़ लिया होगा। और हीरा को 800 रुपये दे दिए।

आज मेरी मां पढ़ी-लिखी होती तो हमें यह दिन नहीं देखना पड़ता। माँ मुझे  भी स्कूल न भेज कर मेरा भी नुकसान कर रही है। उसे आज समझ आ गया कि पढ़ना लिखना जरूरी होता है।

घर आ कर उसने अपनी माँ को  ओ आर एस का घोल अपने हाथ से बना कर दिया। 1 लीटर पानी को ठंडा कर उसको बनाकर घोल बनाया।  मां की हालत पहले से बेहतर हो गई थी। उसकी मां बोली बेटा तुमने यह कहां से सीखा। तुम्हें यह घोल बनाना किस से सीखा। मां आप ने  एक दिन मुझ से कहा था कि हमें पढ़ना लिखना नहीं चाहिए। आप कितना गल्त थी। यह मैनें स्कूल जा कर जाना। मैं अगर स्कूल नहीं गया  होता तो मैं यह सब कहां सीखता?आज आपको एक बात बताता हूं पढ़ना लिखना सबके लिए जरूरी होता है आज मैंने यह जाना। जहां पर आप काम करती है उसका मालिक आपको ₹800  आप की पगार के देता है लेकिन आपको ₹800 के बदले वह ₹300 ही देता है। ₹500 अपनी जेब में डाल देता है आप अनपढ़ होने के कारण यह बात नहीं समझ सकती हो। वह आप का फायदा उठाता है। यह सारी बातें मैंने स्कूल में सीखी। हां ‘मैंने भी एक गलत काम किया है। स्कूल जाने के लालच में  एक सेठ जी की दुकान से वर्दी चुरा ली।मां मुझे माफ कर दो।

उसकी मां बोली मुझे नहीं पता था कि पढ़ना लिखना जरूरी होता है। मैं तुम्हें इसलिए पढ़ाना नहीं चाहती थी कि तुम वहां पर जाकर अपने पिता की तरह बन जाओगे। तुम्हारे पिता ने मुझे इसलिए छोड़ दिया कि उन्हें ज्यादा रुपए का लालच हो गया था। शायद मेरे अनपढ़ होनें के कारण। मुझे तो यही लगा कि उन्हें धन पा कर घमंड हो गया था। बेटा मैं भी तुम्हें पढ़ाऊंगी पर एक बात का ध्यान रखना अपने पिता की तरह मुझे छोड़कर ना जाना। मैं तुम्हें स्कूल अवश्य भेजूंगी। तूने तो घर की काया ही पलट दी।

इतनी अच्छी अच्छी बातें स्कूल में सिखाई जाती है यह मैंनें तुम से जाना। सबसे पहले तुम कसम खाओ कि तू उस दुकानदार की वर्दी वापस करके आएगा। । मैं तुझे वर्दी दिलवाने का प्रयत्न करूंगी।

पंकज दौड़ता दौड़ता आया दोस्त तुम्हारी ड्राइंग तो सबसे अच्छी थी। मैडम ने तुम्हें स्कूल में बुलाया है। तुम्हें स्कूल में पारितोषिक वितरण किया जाएगा। स्कूल  वालों नें तुम्हें इनाम देने की घोषणा की है।

स्कूल में हीरा  की मां पंहुच गई थी। वह स्कूल पंहुच कर औफिस के पास जा कर खड़ी हो गई। चौकीदार नें उसे अन्दर जाते देख लिया था वहीं बोला आप बिना इजाजत के अन्दर नहीं जा सकती। स्कूल कीअध्यापिकाओं नें उससे वहाँ आने का कारण पूछा।वह बोली मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं आप के स्कूल की मुख्याध्यापिका जी से मिलना चाहती हूं जिन की वजह से आज मेरा बेटा कुछ पढना लिखना सीखा गया है। वे उसे अन्दर ले कर गई।  हीरा की मां बोली पर मेरे बेटे नें एक गल्त काम किया है। मेरा बेटा कभी भी किसी की चोरी नहीं करता लेकिन उसने यह लालच में कर डाला। मुख्याध्यापिका जी नें उसे बिठाया। ठन्डा पानी पीनें को दिया। मैडम नें कहा तुम्हारे बेटे का नाम क्या है।? वह बोली मेरे बेटे का नाम हीरा है। मैडम ने एक बच्चे को कागज़ का पर्चा थमा कर हीरा को बुलाने के लिए कहा। चपरासी नें आ कर कहा कि हीरा नाम का कोई भी बच्चा यहां नहीं पढ़ाता। मुख्याध्यापिका जी बोली इस नाम का कोई भी बच्चा यहां नहीं पढ़ाता। हीरा की मां बोली आप के स्कूल में पंकज चौथी कक्षा का छात्र है। उसके साथ स्कूल आ जाता था। मैंनें ही उसे पढ़नें से रोका था। घर में कूड़ा कचरा फैलाने वाला मेरा बेटा समझदार बन गया। यहां तक के उसने मुझे एहसास दिलाया कि पढ़ना लिखना सभी वर्ग के लोंगो के लिए जरुरी होता है।

पढ़ा लिखा इन्सान कभी भी जीवन में किसी के आगे धोखा नहीं खा सकता। मेरे बेटे को भी कुछ लिखना पढ़ना नहीं आता था।वह पंकज के साथ दो तीन महीने  से चुपके से स्कूल में आ रहा है। उस के साथ आ कर बहुत कुछ पढ लेता है। एक दिन जब मैं बीमारी की वजह से जल्दी घर पहुंची तो मुझे पता चला कि वह तो पंकज के साथ स्कूल जाता है। उसने मुझे बीमारी से ठीक किया। ये सब उसने स्कूल में ही सीखा है। मैंने उसे स्कूल न जानें की कसम दी थी आज मैं वह अपनी कसम तोड़ने आई हूं। आज मैं उसे स्कूल में दाखिल करवाने भी आई हूँ। मेरे बेटे नें आज एक साहुकार की दुकान से वर्दी चोरी की। वह आज आप के स्कूल में पहन कर आना चाहता था लेकिन अपनी ग़लती के कारण वह आज मेरे साथ स्कूल नहीं आया। स्कूल के अध्यापक अध्यापिकांएं हैरान हो कर उस बच्चे की कहानी सुन रहीं थी। पंकज आ कर बोला मेरा दोस्त मेरे साथ स्कूल आया है। लेकिन वह बाहर ही खड़ा है कह रहा है कि मैं स्कूल जानें योग्य नहीं हूं। मैंनें अपनी मां के साथ विश्वासघात किया है। उस दुकानदार को जब पता चलेगा तो वह भी मुझे चोर समझेगा। मुख्याध्यापिका जी  नें हीरा को अपने पास बुला कर कहा कि कौन कहता है कि तुमनें चोरी की है? चोरी कर के जो अपनी गलती स्वीकार कर लेता है वह तो अच्छा इन्सान होता है। हमें नहीं पता था कि तुम तो पढ़ाई के लिए यह सब कर रहे थे। हम तुम्हे अपने विद्यालय में प्रवेश देतें हैं।

हीरा की मां जब सेठ जी की दुकान  के पास वर्दी लौटानें गई तो सेठ जी को बोली मेरे बेटे नें पढाई करनें के लालच में आप की दुकान से चोरी की। आप नें उसके दोस्त पंकज को वर्दी दिखाई। उसने वह वर्दी पहन कर देखी थी। उसे लालच आ गया था। मैने उसे कभी स्कूल न भेजने का निर्णय किया था मगर उस बच्चे ने मुझे भी शिक्षा दे कर मुझे शिक्षा का महत्व क्या होता है सिखा दिया। साहुकार दिवानचन्द ने हीरा की माँ की ईमानदारी से प्रसन्न ही नही हुए बल्कि उस के बच्चे के नेक विचारों से भी खुश होकर बोले आप का बेटा पढ़ाई करनें के लिए कितना इच्छुक है और एक मेरा बेटा है वह कभी स्कूल जाना ही नहीं चाहता। अपनी तरफ से मैं भी उसे उस की ईमानदारी के लिए उसे वह वर्दी  ईनाम के तौर पर देता हूं। उस की पढ़ाई के लिए में भी उस के स्कूल आ कर उस को कौपियां किताबें उपलब्ध करवाऊंगा। मैडम नें उसे अच्छी चित्रकारी करने पर रंग और ड्राइंग की कॉपी भी ईनाम में दी। स्कूल जा कर हीरा एक अच्छा बच्चा बन गया था। पढ लिख कर एक दिन हीरा नें अपनी माँ को सभी खुशियां दी।

रहस्यमयी गुफा भाग (5)

भोलू नदियों  पहाड़ों को पार करता हुआ जा रहा था। एक घने जंगल से गुज़र रहा था तभी उसने अपने पीछे पीछे आते हुए कुछ डाकूओं को देखा। वह भोलू पर प्रहार करने ही वाले थे कि उसनें जादू का जूता पहन कर  दौड़ लगाई। डाकू भोलू का कुछ नहीं  बिगाड़ पाए। वह बहुत ही पीछे रह गए थे। भागते भागते वह बहुत दूर पहुंच गया था। अचानक  भोलू ने देखा कि गोलू दूर से चला आ रहा है। वह मन ही मन सोचनें लगा मुझे यहां पर भी गोलू ही दिखाई दे रहा है। गोलू यहां कैसे आने लगा। वह अपनी आंखें मलने लगा। कहीं वह दिन में भी स्वपन तो नही देखनें लगा।

गोलू सचमुच ही वहां पहुंच गया था। उसने गोलू को च्योंटी काटी। वह आते ही भोलू  से चिपक गया बोला। मेरे दोस्त मैंने राजा को समझाने की कोशिश की लेकिन राजा उस दुष्ट जादूगर की बातों में आ गया। जब उसे सच्चाई का पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गोलू बोला कि उस दुष्ट जादूगर ने राजा को और तुम्हारे पिता को उसने जादू से मुर्गा बना दिया है।

गोलू बोला जब  दुष्ट जादूगर ने मेरे साथ राजा को बातें करतें सुना  उस  तब पता चल गया कि वह उसे कुछ कह रहा है।  शायद यही उसका बेटा होगा।  उसने उन दोनों को मुर्गा बना दिया मैं तो वहां से बडी़ मुश्किल से  जान बचा कर यहां तुम्हारे पास तुम्हें यह सब बताने के लिए आ गया। मैं उन  जादूगर के बालों की वजह से तुम तक यहां पहुंचा।

गोलू बोला कि मैं सीधे ही पहले उस दुष्ट जादूगर की गुफा में गया। जहां पर  हमनें भूरी की हड्डियों को  दबाया था। मैंने जाकर भूरी से पूछा कि मेरा दोस्त जादू की छड़ी प्राप्त करने गया है। मैं उसे कहां ढूंढ? वह बोली कि वह सात समुद्र पार करने की तैयारी कर रहा है। अभी उसने पहला समुद्र ही पार किया है। गोलू ने भोलू को सारी बात बता दी कि तुम्हारे पिता को और राजा को उस दुष्ट जादूगर ने कैद कर लिया है और उन्हें मुर्गा बना दिया है। अब हम क्या करें मैं कैसे अपने दोस्त के पास पहुंच पाऊँगा? भूरी बोली कि अपने दोस्त को कहना कि इन दोनों दुष्ट जादूगरों से बचने के लिए तुम्हें जादू की तलवार प्राप्त करनी होगी। जादू की तलवार प्राप्त करने के लिए तुम्हें परियों के देश में जाना होगा। जब तुम जादू की तलवार प्राप्त कर पाओगे तभी तुम उस दुष्ट जादूगर को मार सकोगे। तुम्हारा दोस्त तुम्हें अवश्य मिलेगा,जल्दी जाओ।

मैं तुम्हारे द्वारा दी गई माला और उस दुष्ट राज जादूगरों के बाल बालों की वजह से तुम तक यहां पर पहुंच पाया।  भोलू बोला कि मैं जादू की तलवार प्राप्त करके और जादू की छड़ी प्राप्त कर जल्द ही वापस आऊंगा। तू वापस घर चले जा।

गोलू बोला राजा की गद्दी  पर वह दुष्ट जादूगर राजा बन बैठा है। जो व्यक्ति उस की बात नहीं मानता वह उसको दुष्ट जादूगर कोडे  लगा लगा कर अधमरा कर अपने महल में बंदी बना लेता है। उसने ना जाने कितने लोगों को अपने साथ मिला दिया है। वह सब लोगों को अपनी तरफ करना चाहता है। सारे के सारे लोग कह रहे थे कि ना जाने हमारे राजा जी कहां चले गए? कब वह लौटकर आएंगे वह हम सब को  छुड़ायेंगे? भोलू बोला तू चिंता मत कर मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। तू उन सब पर नज़र रखना। भूरी ने गोलू को यह भी बताया था कि तुम अपनें दोस्त को कहना कि सात समुद्रों  को पार करके परियों के देश में तुम पहुंच जाओगे। वहां की राजकुमारी सोनपरी है। उसके पास जादू की तलवार है।  तुम्हारा दोस्त  भोलू जादू की तलवार प्राप्त करके ले आएगा तो वह सब लोगों को छुड़ा पाएगा। उस जादू की तलवार में इतनी शक्ति है कि एक वार पडते ही शत्रु धराशाई हो जाता है।  गोलू अपनें दोस्त भोलू से मिल कर    अपने घर आ गया था।

भोलू  जादू की तलवार प्राप्त करने के लिए चल पड़ा। जंगल से चलता चलता नदियों और गहरी गहरी खाईयों  को पार करता जा रहा था। पहले पहाड़ को जब पार कर रहा था तो उसके सामने ना जाने कितने विषैले जीव जंतु उसकी तरफ  आते दिखाई दिए। उसने फिर भीे हिम्मत नहीं हारी।  भूरी  ने उसे बताया था कि जंगली जीव जंतु से तुम डरना नहीं।  तुम्हें वह  कुछ नहीं कहेंगे तुम उन की तरफ प्यार से देखना।  पीछे मुड़ कर भी मत देखना।

दूसरे पहाड़ को पार कर रहा था तो उसने अपने पीछे-पीछे कुछ नकाबपोशों को आते पाया। वह उसे पकड़ने के लिए उस पर झपटनें ही लगे थे के तभी उस नें दौड़ लगाई। वह नकाबपोश लोंगों  की आंखों से ओझल हो गया था। उसने उन नकाबपोशों से बचनें के लिए वह जादू की माला  अपनें गले में पहन ली।

जंगल में भालू शेर चीता ना जाने असंख्य जीव जन्तु  अपने बच्चों के साथ दिखाई दिए। उन्होंने उस का मार्ग रोक दिया।  अपने आपको उनसे घिरा हुआ पाया। चारों तरफ उन्होंने उसके आगे घेरा डाल दिया। वह फिर भी ज़रा भी नहीं डरा। उसे वहां पर एक मोटी रस्सी दिखाई दी। उसनें  वह रस्सी अपनी और खींच ली। वह जानवर   भोलू  को रस्सी को खींचते हुए देखने  लगे। रस्सी को जैसे ही उसनें हाथ लगाया वह रस्सी भोलू से बातें करनें लगी। रस्सी को बातें करते देख भोलू को बड़ा आश्चर्य हुआ। रस्सी बोली कि मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं? वह बोला मुझे बहुत भूख लग रही है। प्यास भी लग रही है। यहां पर अनेक असुरों के साथ  लड़ाई करते वक्त मैं बहुत थक चुका हूं। रस्सी बोली तुम्हारी माला कब काम आएगी। उस  माल को पहन कर तू किसी को दिखाई नहीं देगा। मैं यहां पर जादू का पेड़ बनवा दूंगी। तू उन के मीठे मीठे अमरुद खा कर थोड़ा विश्राम करके आगे बढ जाना। भोलू रस्सी को बोला रस्सी बहन  धन्यवाद। तुमने मेरी बहुत सहायता कि   मुझ में अब  आगे चलने की क्षमता नहीं थी।  

भोलू नें माला पहन ली। उस नें पेड़ पर चढ़ कर खुब मीठे मीठे फल खाए। कुछ उसने अपने बैग में रख लिए। वह फल खा कर तरोताजा हो गया था। रस्सी को बोला अब आगे बढता हूं।  अपनें आप को जंगली जानवरों से घिरा पाया तो भोलू रस्सी को बोला

  यह सारे के सारे जंगली जानवर उसे खाने को आ रहे हैं।  रस्सी बोली इन सब के बच्चों को पकड़कर रस्सी से बांध  दो। तुम्हें सब का घेरा तोड़ना होगा। वह अपने बच्चों को लेने आएंगे तो रस्सी को पकड़कर आगे बढ़ते रहना। भोलू नें उन सब को पकड़ कर  खींच लिया था। उसने मोतियों की माला भी पहनी थी।। वह अदृश्य हो गया था। बच्चे कह रहे थे कि आपने हमें क्यों पकड़ा। भोलू नें  अपने बैग से  फल निकाले  जो वह फलों के बाग से लाया  था। उस नें उन सबको अमरूद खाने को दिये। बच्चे फल खा कर बोले  यह तो बहुत ही स्वादिष्ट हैं आज तक इतने मीठे फल खाने को हमें किसी ने नहीं दिए। उसने उन बच्चों को घेरे में बिठा दिया। भालू चीता शेर लोमड़ी सभी के सभी जानवरों के बच्चे थे। उसने उन्हें समझाया  हमें आपस में लड़ाई नहीं करनी चाहिए। मैंने तुम सबको अपने माता पिता से लड़ते झगड़ते देखा। तुम उनकी बात क्यों नहीं मानते हो। माता पिता तो  पूजनीय  होते हैं। उनके साथ अच्छी तरह से पेश आना चाहिए। मैं तुमको अपनी कहानी सुनाता हूं। उसने अपनी सारी कहानी उन सब के बच्चों को सुनाई।

कैसे दुष्ट जादूगर नें  उसके माता-पिता को और राजा को पकड़ कर  मुर्गा बना दिया है। मैं भी अपने माता पिता से बहुत ही प्यार करता हूं। मैं उनको बचाने के लिए जादूगर की तलवार प्राप्त करने के लिए परियों के देश में जा रहा हूं। तलवार प्राप्त कर के ही दम  लूंगा। मैं  तभी अपने घर जा सकूंगा। तुम सब के सब बच्चे बड़े प्यारे हो। तुम अपने माता पिता को रोकना तो उन्हें प्यार से सारी बात समझाना। जब तुम मेरी कहानी अपने माता पिता को सुनाओगे  तब शायद  वे मुझे जाने से नहीं रोकेंगे। बच्चे बोले ठीक है हम अपने माता पिता को मना लेंगे और कहेगें कि हमारे  दोस्त  को छोड़ दो। सभी बच्चे बोले आपने तो हमें अपना नाम भी नहीं बताया। सभी जीव जंतु बोले कि हम आपका नाम  हम रखेंगे। उन्होंने उसका नाम  वैभव रख दिया।  बच्चे सभी उसकी कहानी को गौर से सुन रहे थे। गुस्से से आकर उस बच्चों के मां-बाप बोले हमारे बच्चे को छोड़ दो वरना तुमको हम मार देंगे। वह बोला कि आप मुझे मार नहीं सकते  हो। मैं आपके बच्चों को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। पहले मुझे यहां से जाने दो। जंगल के सारे जानवरों के बच्चों को उसने छोड़ दिया। सारे के सारे बच्चे आकर अपने माता पिता को बोले कि मां-बाप   हम ने हमेशा आपको आज तक बहुत ही सताया  है। हम आगे से आपके साथ कभी भी ऊंची आवाज़ में बात नहीं करेंगे। अपने बच्चों के मुंह से इस प्रकार की बातें सुनकर सभी जीव जंतु बहुत ही प्रसन्न हुए। वे आपस में कहने लगे आज तक हमारे बच्चों के साथ इस तरह से कोई पेश नहीं आया। इस इंसान ने आकर हमारे बच्चों को सुधार दिया। इतने से दिनों में उन में अच्छे गुण आ गए हैं। आज से पहले तो ये बच्चे कभी भी हमारे साथ अच्छे से पेश नहीं आए। बच्चों ने अपने मां बाप को कहा कि हमने इसे वैभव नाम दिया है। इन  की कहानी सुन कर हमारी आंखें भर आईं। इनके मां-बाप को दुष्ट जादूगर ने कैद कर लिया है। वह जब तक जादू की तलवार लेकर नहीं आएंगे तब तक वह अपने मां-बाप को बचा नहीं पाएंगे । उन्होनें  हमें बताया कि हमें बडो का आदर करना चाहिए। हमें उन की इतनी दर्द भरी कहानी सुन कर बहुत ही बुरा लगा। आप को ही कोई दुष्ट जादूगर कैद कर के अपनें पास रख ले तो हमें कैसा लगेगा? आज यह बात हमारी समझ में आई। हम सब उन की मदद करना चाहते हैं।

सभी जीव जंतुओं ने भोलू को कहा कि बेटा तुम जल्दी से जादू की तलवार प्राप्त करके आगे बढ़ जाओ। हम तुम से माफी मांगते हैं। माना हम नें मनुष्य जाति में जन्म नहीं लिया। हम जीव जंतुओं में भी वैसी ही दया भावना होती है। हम तुम्हें जानें से नहीं रोकेंगे। भोलू नें जादू की रस्सी को अपनी ओर खींच लिया था जादू की रस्सी बोली कि तुम्हें  आगे जानें पर  एक बैग दिखाई देगा। वह बोला बैग तो मेरे पास है। वह बोली मैं जादू की रस्सी हूं। सामान्य बैग में मैं नहीं आ सकती।  जो बैग तुम्हे आगे जानें पर  मिलेगा बिना किसी से बात किए उस  बैग को उठा लेना। तुम अगर किसी भी जीव से बात कर लोगे तो मैं उन की हो जाऊंगी। मैं तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर पाऊंगी। तुम बिना किसी से बात किए  जल्दी से रस्सी उठाने का प्रयत्न करना।  उस बैग में तुम रस्सी डाल दोगे तो कोई भी मुझे नहीं देख पाएगा।  आगे जानें पर भोलू जैसे ही बैग को उठाने लगा वहां पर बहुत से जीव जन्तु  बोले हम से ये बैग ले लो। उसनें किसी से बिना बात किए एकदम से रस्सी उठाई और बैग में डाल दी। उसके अतिरिक्त बैग किसी को भी दिखाई नहीं दे रहा था। बैग को लेकर आगे बढ़ता ही  जा रहा था उसे वहां पर एक तालाब दिखाई दिया। उसे प्यास भी बड़ी जोर की लग रही थी। वह पानी पीने ही लगा था कि उसे याद आया। यहां पर पानी पीना खतरे से खाली नहीं होगा वह चुपचाप वहां से बिना पानी पिए ही लौट पड़ा। रस्सी बोली शाबाश  यह जादू का तालाब था। यहां का पानी विषैला था। उसे वहां पर कुछ दूरी पर चलते हुए   एक विशाल खुबसूरत पहाड़ दिखाई दिया।। पहाड़ की चोटी पर बहुत ही सुन्दर  महल दिखाई दिया। वह मन ही मन बहुत ही खुश हो रहा था वह तो परियों के देश में पहुंच गया था। वह सोचने लगा कि  महल के अंदर कैसे जाया जाए? उसने देखा कि एक द्वार पाल पहरा दे रहा था। उसने सोचा उस से ही बात करके देखता हूं। अंदर जाने ही लगा था कि वह द्वारपाल बोला तुम यहां  तक तो  पहुच गए हो। यहां से अंदर जाना खतरे से खाली नहीं है उसने द्वार पाल को कहा कि मुझे पता है कि यह महल जादू की परी सोनपरी का है।  भोलू बोला मुझे अंदर जाने दो।  द्वार पाल बोला कि यह परियों का देश है।  मेरी आज्ञा के बिना यहां कोई  भी प्रवेश नहीं करेगा।

 भोलू बोला मैं अंदर घुस जाऊंगा तो तुम क्या करोगे?  मुझे जादू  की तलवार प्राप्त करना बहुत ही जरूरी है। द्वारपाल बोला  तुम्हें जादू की तलवार क्यों चाहिए? उसने अपनी सारी कहानी उस द्वारपाल को सुना दी।  द्वार पाल बोला कि मेरा बेटा भी एक दुष्ट  जानवर के चुंगल में है। उसे  छुड़ा लाना मेरा फर्ज है। द्वारपाल बोला मेरे बेटे को भी तुम जरूर वापस जादूगर के चंगुल गल से छुड़ा कर लेकर आओगे। तुम मुझसे वादा करो  कि तुम मेरे बेटे को छुड़ा कर ले आओगे। तभी मैं तुम्हें अंदर जाने दूंगा। भोलू बोला कि ठीक है जब मुझे जादू की तलवार मिल जाएगी तभी मैं तुम्हारी बेटे को भी छुड़वा दूंगा। द्वारपाल बोला कि उसने सोनपरी के पिता को और मेरे बेटे को पकड़ लिया है। परी के भाई  बाज बन कर  अपनें पिता का पता लगाने गए थे। पता करके वे वापिस आ गए है। एक बार परी के भाईयों नें बाज बन कर उस दुष्ट जादूगर को छटी का दूध याद दिलवा  दिया था। वहां से  हम दुष्ट  जादूगर को पडनें में कामयाब हो ही गए थें  कि उस दुष्ट जादूगर का  जूता नीचे गिरते देखा। हम जूता ढूंढनें ही लगे थे  तभी जादूगर अपनी तलवार हाथ में ले कर हम पर झपटनें  लग गया  था तभी हम नें देखा एक बूढे आदमी नें उस पर प्रहार किया इस से पहले वह बच पाता वह जादूगर उस बूढे के पीछे पड़ गया। उस पर अपनी लाठी से उस बूढे पर  प्रहार किया। हम उस जादूगर को पकड़नें ही वाले थे कि वह बूढा नीचे गिर पड़ा। हम उस को पकड़ पाते वह हमारी आंखों से ओझल हो गया। उन्होंने परियों को बताया कि उस दुष्ट जादूगर से छुटकारा पाने के लिए पहले उसके भाई से जादू की माला प्राप्त करनी होगी।   उसके भाई की शक्ति  तब समाप्त हो जाएंगी  और तब दुष्ट जादूगर कब्जे में आएगा।

द्वारपाल भोलू  को परी के पास ले जाकर बोला यह एक बहुत ही नेक इंसान है। मुझे आज कहीं जाकर वह मिला है। वह मेरे बेटे और तुम्हारे पिता को वापस जादूगर की कैद से लेकर आएगा। तुम जादू की तलवार उसको दे दो। परी बोली कि तुम्हें कैसे पता है कि वह नेक इंसान है।? उसने भोलू को अपने पास बुलाया और कहा कि तुम मेरे माता पिता को कैसे वापस लाओगे?।

भोलू नें अपनी सारी कहानी बता दी कि कैसे वह सात समुद्रों को पार करता हुआ यहां तक पहुंचा है।  मैं आपके पिता को जल्दी ही वापस ले कर आऊंगा। आपको मेरे ऊपर विश्वास रखना होगा। जादू की तलवार से उस दूष्टजादूगर जादूगर को मार दूंगा और जादू की तलवार तुम्हें वापस कर दूंगा। राजा को भी छुड़वा लूंगा। परी बोली कि  इस तलवार को आज मैं तुम्हें  सौंपती हूं। तलवार प्राप्त कर भोलू खुशी से  झूमनें लगा।

शेष अगले अंक में।

पियक्कड़, गप्पी और सेठ

एक छोटा सा गांव था बेलापुर। गांव का नाम बेलापुर इसलिए रखा था क्योंकि पुराने समय में उस गांव में सब्जियां भरपूर मात्रा में ऊगती थी। वहां पर चारों ओर बेलें  ही बेलें नजर आती थी। हर आने-जाने वाले लोग उन बेलों को देखकर हैरान रह जाते थे। उस छोटे से गांव में एक गप्पी और एक शराबी की पक्की दोस्ती थी। यह दोनों काम धाम कुछ करते धरते नहीं थे । गप्पी तो केवल गप्पे हांकने के  सिवा कोई काम नहीं करता था। टप्पी पियक्ड़ जो कुछ कमाता वह सब शराब पीकर उड़ा देता था।

गप्पी जब भी घर आता तो अपनी पत्नी को गप्पे लडा के प्रसन्न कर देता। उसकी पत्नी अपने पति भौदूंमल की बातों में आ जाती थी। पर वह जो कुछ उसकी पत्नी करती उससे उल्टा काम करता। उसकी पत्नी बानो हर रोज़ भगवान की पूजा करती। वह कहता पहले मुझे खाने को दे दिया करो फिर भगवान का नाम लेती रहना। हर समय बस भगवान को  ही खुश करती रहती हो।

एक दिन वह अपनी पत्नी से बोला कि तुम नें मेरा नाम भौंदू क्यों रखा? मेरा नाम तो कुछ और होना चाहिए था। उसकी पत्नी बोली अच्छा तो मैं तुम्हारा नाम कुछ और रख दूंगी।

वह हर रोज़ हरी राम हरी राम नाम का जाप करती थी। भौंदू  को तो यह सब कुछ पल्ले भी नहीं पड़ता था। वह हर रोज़ अपनी पत्नी को चिढ़ाने के लिए रीह मरा  रीह मरा करता कहता रहता था। उसकी पत्नी बहुत समझदार थी। वह बोली अच्छा आज से आपका नाम भौंदूमल  से रीहमरा रखती हूं। वह सोचती थी कि इस बहाने वह भगवान का नाम तो लेगा चाहे वह उल्टा ही ले। वह अपने आपको इसी नाम से  पुकारने लगा।

वह हर रोज़ जंगल में लकड़ियां  चुनने जाता था। नदंन वन में उसकी दोस्ती एक तोते से हो गई। वह हर रोज उस तोते से बातें करने लगा।  वह जब भी जंगल में जाता अपनें तोते को कभी मूंगफली कभी दानें कुछ न कुछ ले जाना कभी नहीं भूलता था। जिस दिन उसके पास कुछ नहीं होता था वह उसे  सूखी रोटी ही घर से ला कर उसे खिला देता था। तोता भी जो कुछ वह लाता उसको बड़े ही प्यार से ग्रहण करता था। तोते से उसकी इतनी दोस्ती हो गई कि एक दिन उसने तोते से पूछा भाई तुम्हारा नाम क्या है? वह तोता बोला तुम नें भी तो आज तक अपना नाम मुझे नहीं बताया। वह बोला मेरा नाम रीहमरा है। तुम्हारा नाम यह किसने रखा? तोते ने हैरान हो कर पूछा।  भौंदूमल बोला कि मेरी पत्नी ने मेरा यह नाम रखा है। वह मुझ से कहती रहती है इस बहाने तुम भगवान का नाम तो ले लिया करोगे। आज तक उसकी यह बात मेरी समझ में नहीं आई। उसने मेरा यह नाम क्यों रखा? मैं कोई काम धंधा नहीं करता।

तुम मेरे दोस्त हो। तुमसे क्या छुपाना? मेरी पत्नी मुझ से बहुत ही दुःखी रहती है। उसने आज तो मुझे धमकी दी है कि आज काम का प्रबंध करके नहीं आए तो घर से निकाल दूंगी। मैं जो कहती हूं तुम उससे उल्टा करते हो। आज कहीं जाकर मेरी समझ में आया कि अगर मैं काम नहीं करुंगा तो वह बच्चों को कैसे संभालेगी ?

रीहमरा बोला मुझसे तो सारी बातें पूछ ली तुम भी अपना परिचय दो। तुम्हारा नाम क्या है? तोता बोला मेरा तो कोई नाम नहीं है। चलो मैं ही अपना नाम रख देता हूं। तुम मुझे उस नाम से ही पुकारना।

रीहमरा बोला तुम नाम तो रखो। तोता बोला तुम्हारे नाम के अक्षरों को उल्टा कर दो तो वह मेरा नाम होगा। वह बोला इसमें क्या मुश्किल है उन अक्षरों को उल्टा करके बोलो (हरीराम)। तोता बोला, आज से तुम मुझे इसी नाम से पुकारोगे। तुम्हारी पत्नी कितनी समझदार है।

जंगल से  वापिस आकर  रीहमरा सीधे पियकड़ के पास गया और बोला अब क्या करें? घर भी नहीं जा सकते। हमारी बीवियों ने हमें अपने घरों से निकाल दिया है और कहा है कि काम नहीं ढूंडा तो वापिस मत आना।

टप्पी पियक्कड़ बोला, आज हम अपनी पत्नियों को कहेंगें कि हमने नौकरी का प्रबंध कर लिया है। वह हमें घर से जानें के लिए नहीं कहेगी हम उनको मना लेंगे। गप्पीे बोलने लगा कि कोई तरकीब लगाते हैं।

रीहमरा बोला यहां से 5 कोस की दूरी पर एक सेठ रहता है। सेठ बहुत ही धनवान है। उसको चूना लगाते हैं। मैं उस को जाकर कहूँगा कि मैं जो बात कहता हूँ वह सोलह आने सच साबित होती है। मेरी बात पत्थर की लकीर होती है। हम सेठ को चूना लगा कर उस से कुछ रुपये ऐंठ लेंगें।

उस समय पियक्ड नशे में धुत था। वह समझ नहीं पाया कि उस का दोस्त गप्प मार रहा था।  वह सचमुच ही सेठ जी के पास जाकर बोला सेठ जी मेरा एक दोस्त है। जो वह कहता है पत्थर की लकीर होती है। सेठ जी बोले । वाह! क्या ये सच है? टप्पी बोला उसनें मुझ से कहा आज से 15 दिन बाद इतनी वर्षा होगी कि बहुत सारे लोग आंधी तुफान वर्षा से बह जाएंगे वर्षा का कहर इतना होगा कि लोग गांव छोड़कर शहर भाग जाएंगे। मुझे भी 15दिन के भीतर अपने परिवार के लिए भोजन सामग्री जुटानें के लिए 500रुपये की आवश्यकता है। क्या आप मुझे 500रुपये उधार दे सकतें हैं?

मै आप को  जल्दी ही लौटा दूंगा। सेठ भी डर के मारे कांपनें  लगा। सेठ ने सोचा कहीं उसकी बात सच हो गई तो? सेठ जी बोले मैं तुम्हें अभी 500 अशरफिया देता हूं।  उन्होंनें अपने बक्से में से 500 अशरफिया निकाली और पियक्ड़ को दे दीे। सेठ जी नें अपने कस्बे में ऐलान कर दिया कि यहां पर इस कस्बे में  ऐसा आदमी आया है उसकी बात हमेंशा सच होती है। तुम लोग भी अपना बचाव करना चाहते हो तो कर लो। आज से 15 दिन बाद यहां पर भयंकर वर्षा तूफान से बहुत लोगों की जानें जा सकती हैं।

कुछ लोग मानतें थे की वह पियक्ड़ और गप्पीे जाने कितनें लोगों को गप्पे लड़ा लड़ा कर ऊल्लू बनाते रहते हैं। उन की बात में कोई सच्चाई नहीं है।

पियक्ड़ अपने दोस्त के पास आकर बोला हमारी पत्नी ने हमें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पैसों का जुगाड़  तो मैं कर आया हूं। आधे तू रख ले और आधे मैं। गप्पीे बोला तुमने सेठ जी को ऐसा क्या कह दिया जो सेठ जी  नें तेरी बात पर आँख मूंद कर विश्वास कर लिया। पियक्ड़ बोला मैनें सेठ से कहा कि मेरे गांव में एक मेरा एक दोस्त  रहता है। उसकी बात हमेशा सच ही होती है।

अरे बाप रे! तूने तो मुझे मरवा ही दिया।  रीहमरा बोला, मेरी कोई बात सच नहीं होती है।  मैं तो गप्प मार रहा था। टप्पी बोला मैंने उनको कहा कि मेरे दोस्त ने कहा है कि 15 दिन बाद सब कुछ तबाह हो जाएगा। लोग गांव छोड़कर शहर की ओर चले जाएंगे। यह बोल कर थोडे रुपये उधार मांग लाया। रीहमरा बोला अरे! बेवकूफ तुने तो मुझे जीते जी मार दिया। जब यह बात झूठी साबित होगी तब सब लोग हमें खूब मारेंगें। टप्पी पियक्कड़, बोला हम मर तो ऐसे भी जाएंगे अगर  घर में कुछ कमा कर नहीं ले गए। अभी तो जो ख़ुशी मनानी है अभी मना लें। कल की सोच में अपना आज क्यों खराब करें। कल का फिर देखा जाएगा। अभी तो काफी दिन पड़े हैं।

हम लोग पहले ही यहां  से भाग कर किसी और जगह पर रहने के लिए चले जाएंगे।

कुछ लोग तो सचमुच अपने रिश्तेदारों के पास चले गए थे। उस की बात सच हो गई। 15 दिन बाद सचमुच गांव में इतना भयंकर तूफान आया कि लोगों को घर छोड़ कर दूसरी जगह अपना आशियाना बनाना पड़ा।  कुछ दिन बाद सब कुछ पहले जैसा हो गया था। सेठ जी ने ऐलान कर दिया कि उस आदमी को मेरे पास लेकर आओ वह तो बहुत ही प्रकांड पंडित होगा। गप्पी भी मन ही मन दुःखी हो रहा था। सेठ अब तो मुझसे कोई और फरमाइश कर देगा। मुझे तो यह भी पता नहीं कि मेरी बात सच कैसे हो गई।?

टप्पी पियक्ड़ नें सेठ को कहा कि  वह ऐसे ही किसी के घर में नहीं जातेहैं। वह बहुत ही ध्यान मग्न रहते हैं।  उन की बात तभी तो सच साबित होती है। वह अपनें मन में सोचने लगा कि इससे पहले  सेठ कोई और फरमाइश मुझ से करे मैं यहां से कहीं और चला जाऊंगा।।

रीहमरा अपने तोते से हर रोज बातें करता था। चाहे तूफान हो या आंधी अपने दोस्त से हर रोज मिलने जाता। सेठ अपने मन में सोच रहा था कि इस गप्पी की परीक्षा लेता हूं। यह आज अगर मुझे बता देगा कि मेरे सिर पर कितने बाल हैं तो जानूं? सेठ गप्पी के पास गया। सेठ को अपने पास आता देख गप्पी ने ध्यान मग्न होने का नाटक किया। सेठ ने कहा कि तुम मुझे बताओ कि मेरे सिर पर कितने बाल हैं? गप्पी ने आँखे नाहीं खोली इसी तरह ध्यान मग्न रहा। तुम अगर सही बताओगे तो मैं तुम्हें 2000रुपये दूंगा। गप्पी ने मन ही मन सोचा के पैसे कमाने का भी अच्छा मौका मिला है इसे व्यर्थ में नहीं गंवाना चाहिए। उसने आँखे खोली और वह  बोला सेठ जी इसके लिए मुझे एक दिन का समय दे दो। सेठ बोला कि अगर तुम सही नहीं बता पाए तो तुम ढोंगी साबित तो होगे ही और तुम सज़ा के हकदार भी होंगे। अब तो रीहमरा अपने मन में सोचने लगा-मेरे दोस्त पियक्ड़ नें मुझे कहां फंसा दिया?

वह जंगल में जा कर उदास हो कर बैठ गया। उसे तोते के पास बैठे बैठे शाम हो गई थी। वह वहीं पर ऊंघनें लगा। तोता उस को उदास देख कर बोला भाई  आज से पहले मैनें तुम को कभी भी उदास नहीं देखा। शायद मैं तुम्हारी सहायता कर सकूं। अपनें दिल की बात करनें से मन हल्का हो जाता है।

हमारी पत्नीयों नें हमें कहा कि तुम दोनों निखटटू हो। कुछ काम धन्धा नहीं करते। हम दोनों की बीवियां एक दूसरे कि पक्की सहेलियाँ हैं। दोनों नें हम को हिदायत दी कि घर में तब तक फटकने का साहस न करना जब तक कुछ रुपया कमा कर न ले कर आओ। इस लिए हमनें एक योजना निकाली। मेरे दोस्त पियक्ड़ नें जाकर मज़ाक में सेठ को कहा कि मेरे दोस्त की बात पत्थर की लकीर होती है। मेरी बात सच साबित हो गई। उन्होंने इस बात की हमें 500 अशरफिया भी दे डाली। यह बात तो मैंने अपने दोस्त को गप्प मारने के लिए कही थी  लेकिन यह बात सच होगी यह बात मैं भी नहीं जानता था। उस गांव में इतनी भयंकर बारिश हुई और भयंकर तुफान आया। तूफान से बहुत सारे लोग बेघर भी हो गए। तोता बोला यह बात मुझे पता है। गप्पीे बोला तुम्हें यह बात कैसे पता है?

एक  दिन तुम्हारा दूसरा दोस्त पियक्ड़   इसी पेड़ के नीचे शराब पी कर कह रहा था हे भगवान! अपने दोस्त  गप्पीे के बारे मे सेठ को आज झूठमूठ में कह दिया कि उसकी बात पत्थर की लकीर होती है।हमारी पत्नियों ने हमें घर से निकाल दिया है इसलिए हम दोनों ने गप्प मारने की सोची।  मैंने तो सेठ जी के सामने यूं ही झूठ मूठ कह दिया था कि गप्पी ने कहा है कि 15 दिन बाद इस गांव में इतनी भयंकर बारिश होगी और तूफान से सब कुछ नष्ट हो जाएगा। कुछ लोग तो घर छोड़कर चले जाएंगे। और कुछ  घरों से बेघर हो जाएंगे। मैंने तो सेठ जी से रुपयों के लालच में झूठ मूठ में यह बात कही थी। मेरे दोस्त की बात सच कैसी होगी? हे भगवान! मेरे दोस्त को बचा लेना। रोते रोते गिड़गिड़ते वह ईश्वर से दुआ मांग रहा था। आज चाहे मुझे मार दे पर कुछ करिश्मा कर दे। मैंने तो अपने दोस्त के गले में छुरा घोंप दी है। उसकी बात सच्ची कर देना। आज तक मैं शराब पीता रहा उसकी बात सच्ची हो जाएगी तो मैं शराब पीना छोड़ दूंगा। हे भगवान! उसकी बात का मान रख लेना। तुम्हारी दोस्त की विनती भरी बातें सुनकर  मुझे तुम दोनों पर दया आ गई। तुम्हारा दोस्त तुमसे कितना प्यार करता है। मैं एक मामूली तोता नहीं मैं जादुई तोता हूं। तुम्हारी दोस्त की बात का मान मैंने रख लिया मैंने ही वहां तूफान करवाया। तुम मेरे दोस्त हो। गप्पीे हिम्मत कर के बोला आज सेठ जी ने मेरे सामने एक सवाल रखा है कि मेरे सिर पर कितने बाल हैं? तोता बोला तुम उदास ना हो मैं तुम्हारी सहायता करूंगा गप्पी बोला कैसे? तोता बोला मेरा दोस्त चूहा पास में ही रहता है उसे तुम्हारी मदद करने भेजूंगा। तुम अपने मन से कुछ भी कह देना सेठ जी आपके सिर पर इतने बाल हैं। सेठ अपने सिर के बाल दिखा नहीं पाएगा वह कह देगा कि तुम ठीक कह रहे हो। गप्पी खुश होकर बोला मेरी सहायता करनें के लिए धन्यवाद। तोता  बोला तुम भी तुम मुझसे हर रोज मिलना नहीं छोड़ते। आंधी तूफान वर्षा हर रोज मुझसे मिलने आते हो। मैं तुम्हारी सहायता क्यों ना करूं? गप्पी सेठ जी के पास आकर बोला साहब इस बात का जवाब मैं कल दूंगा। तोते ने अपने दोस्त चूहे को गप्पीे की मदद करनें के लिए उस दुकान में भेज दिया था।

गप्पी ने  चूहे को अपने बैग में भर लिया था। गप्पी ने कहा कि सेठ जी आज रात को मैं आपके घर में ही रहना चाहता हूं। सेठ नें अपने घर में ही गप्पी के रहने का इंतजाम कर दिया था रात को सेठ जी के कमरे में चूहा घुस गया रात को जब सेठ सो रहा था तो चूहे ने सेठ जी के सारे के सारे बाल कुतर दिए।  सेठ ने सुबह जब अपने आप को गंजा पाया तो उसने टोपी से सिर ढक लिया उसको टोपी पहने देख उस की दुकान पर आने वाले लोग सेठ जी की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे। सेठ जी आज आपने यह टोपी क्यों पहन रखी है? वह बोला कि मुझे सर्दी लग रही थी इसलिए मैंने यह टोपी पहन रखी है। सेठ जी के पास उसमें 10 12 लोग आए हुए थे।  गप्पी बोला सेठ जी मैं आपके सवाल का जवाब देना चाहता हूं। सेठ जी आपके सिर पर हजार बाल हैं। अगर मैं टोपी उठा देता हूं तो मैं मज़ाक़ का पत्र बन जाऊंगा। कल सब लोगों ने मेरे सिर पर बाल देखे थे। सेठ बोला बिल्कुल ठीक। सारे के सारे लोग वाह-वाह कहनें लगे। सेठ बोला तुम्हें एक बात का जवाब और देना होगा। मेरी पत्नी कभी भी मेरी बात नहीं सुनती है। ऐसा वह क्यों करती है।? गप्पी बोला मुझे एक दिन की मोहलत दे दो। पियक्ड़ को गप्पीे कहनें लगा कि  सेठ तुम को रोज ऐसे ही परेशान करता रहेगा।

मैं अपने दोस्त तोते को कहूंगा कि यार अब की बार मेरी मदद कर दे फिर अब इस बार   सेठ जी से कसम ले लूंगा कि मुझे आगे से कोई भी प्रश्न मत पूछना। गप्पी तोते के पास जाकर बोला अरे यार एक बार फिर मेरी सहायता कर दे। उसके बाद मैं कभी भी  सेठ के सामने नहीं जाऊंगा। तोता बोला ठीक है। उसने मुझसे पूछा है कि मेरी पत्नी मुझसे कभी बात नहीं करती है ऐसा क्यों। सेठ जी की पत्नी हर रोज जंगल में सैर करनें जाया करती थी।  तोता उसके पास आ कर उड़नें लगा। हरी राम हरी राम करनें लगा। उसको देखकर सेठानी बोली तुम बोल सकते हो। सेठानी उसको पाकर बहुत खुश हुई। तुम यहां अकेले क्यों आती हो? सेठ जी को साथ क्यों नहीं लाती हो? वह तो अक्ड़ू है।  मेरी बात कभी नहीं सुनते। वह जिस दिन मेरी बात प्यार से सुनने लगेगें उस दिन मैं भी उनकी उनकी बातों को सुनने लग जाऊंगी। अपनी ही कहे जाते हैं। सेठानी को तोता खूब भा गया था।तुम मेरे साथ चलोगे सेठानी बोली। मेरी बातें सुनने वाला यहाँ कोई नहीं है। तोता बोला मैं आपके साथ नहीं चल सकता हूं। उसने कहा मेरे मालिक नें मेरा नाम हरिराम रखा है। मैं उनके अतिरिक्त किसी के भी पास नहीं रहता हूं। सेठानी बोली तुम्हारा मालिक कहां रहता है? वह बोला आप  सेठ जी को कहना कि जो कोई इस तोते के मालिक का पता बताएगा उसे ₹5000 अशर्फियां मिलेगी। सेठानी बोली ठीक है। सेठानी घर आ गई थी। दूसरे दिन गप्पीे सेठ जी के पास जाकर बोला आप अपने पत्नी की बातें नहीं सुनते हो। आप प्यार से उसकी बात सुनना। उन्हें विश्वास दिलाना कि वह आपकी बात सुन रहे हैं। तब देखना वह आपकी तरफ खींची चली आएगी। सेठ खुश होकर बोला तुम्हारी बात सच होगी तो मैं तुम्हें मालामाल कर दूंगा। गप्पी बोला आप भी आज मुझसे वादा करो कि आगे से मुझसे कोई प्रश्न नहीं पूछोगे।  सेठ बोला ठीक है। मुझे तुम्हारी बात मंजूर है। सेठ ने ठीक वैसे ही किया वह सेठानी को बोला चलो आज मैं भी तुम्हारे साथ वन में घूमनें चलता हूं। सेठानी और सेठ जी धीरे धीरे चल रहे थे। सेठानी सेठ को बोली मेरी बात तो सुनो। सेठ बोला पहले मेरी बात सुनो। वह जल भून कर बोली आप तो अपनी ही कहे जाते हो। मुझे बोलने का मौका ही नहीं देते। सेठ जी को याद आ गया कि उस गप्पी ने मुझसे क्या कहा था? वह सेठानी के साथ प्यार पूर्वक बोला आज तुम्हारे मन की सारी बात सुनेंगे। आज तो हम होटल में खाना खाने भी चलेंगे।  सेठानी खुश हो कर बोली हां ठीक है। जंगल में एक बहुत ही प्यारा तोता है। वह मुझे साधारण तोता नहीं लगता।उस का नाम हरिराम। है। वह मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। वह तोता मुझसे बातें करता है।। बहुत दिनों से उसका मालिक उसके पास नहीं आ रहा है। तुम हरिराम के मालिक को ढूंढने का प्रयत्न करो। वह कहां का है? तुम उसको ढूंढने वाले को 5,000 अशर्फियां दिलवा देना। सेठ बोला ठीक है तुम्हारी सारी बातें मुझे मंजूर है। सेठानी खुश होकर बोली आज से मैं कभी भी तुमसे गुस्सा नहीं होंगी। वादे के मुताबिक गप्पीे की सारी शर्तें पूरी कर दी थी।  सेठ ने ऐलान कर दिया था जो कोई भी इस हरिराम तोते के मालिक को पकड़कर यहां लाएगा उसको मुंहमांगा ईनाम दिया जाएगा।  गप्पी ने पियक्कड़ को कहा कि तू  सेठ जी के पास जाकर कहना कि मैं हरिराम को जानता हूं। उसके मालिक का नाम रीहमरा है शराबी बोला उसकी पत्नी ने उसका यह नाम रखा था। उसके तोते ने उससे कहा कि मैं तुम्हारे अक्षरों के नाम को सीधा करके अपना नाम रख लूंगा।

पियक्ड़  गप्पी को पकड़कर सेठ के पास ले गया। सेठ बोला तुम यहां कैसे? सेठ जी यही तो इस हरी-राम का मालिक है। सेठ को सारा का सारा माजरा समझ में आ गया था। इस की मदद से वह अपने सवालों के जवाब हर बारी दे देता था। सेठ जी उस से कुछ पूछनें ही वाले थे लगा था कि उसको  गप्पी की बात याद आ गई। आज से बात आप मुझसे कोई सवाल नहीं करेंगे। सेठ चुप हो गया वह बोला इसको 5000 अशर्फियां दे दी जाएं। गप्पी और शराबी दोनों मुस्कुराते मुस्कुराते खुशी-खुशी अपने घर वापस आ गए।।

रोहितांश का संघर्ष

कक्षा की घंटी जैसी ही बजे राहुल ने देखा उसकी कक्षा में आज एक नया छात्र दाखिल हुआ था सभी बच्चे कक्षा में पढ़ने में मग्न थे तभी उसकी कक्षा अध्यापिका ने राहुल को कहा राहुल रोहितांश आज तुम्हारे साथ बैठेगा वह आज स्कूल में पढ़ने के लिए आया है रोहितांश के माता पिता उसके गांव में आकर बस गए थे क्योंकि जिस शहर से वह आए थे बाढ़ में उनका सारा कुछ नष्ट हो चुका था  अब वे सदा के लिए उनके गांव में आकर बस गए थे। उसके चार पांच भाई-बहन थे। उस के पिता गांव के कपड़ा विक्रेता की दुकान पर काम करते थे। वह एक छोटी सी नौकरी करते थे और ऊपर से पांच बच्चों का पालन करना  उनके लिए कितना मुश्किल था। एक छोटी सी झोपड़ी में वह रहने लग गए थे । वहीं पर पांच बच्चे और उनके माता-पिता और छोटी सी खोली में रहते थे। कभी कभी तो बच्चों को भरपेट खाने को भी नहीं मिलता था। कपड़ा विक्रेता भी उसे ज्यादा रुपए नहीं देता था। बहुत ज्यादा मेहनत करने के उपरांत जो थोड़े बहुत रुपए मिलते उसे वह अपनी पत्नी और 5 बच्चों का गुजारा कर रहा था।

रोहिताश को जब उसकी मां ने स्कूल भेजा तो उसको उसकी मां ने लालच दिया कि बेटा स्कूल में तुम्हें भरपेट खाने को मिलेगा  और तुम्हें  शिक्षा भी मिलेगी अगर तुम्हारे पिता आज पढ़े लिखे होते तो उन्हें कुछ ज्यादा अच्छा काम मिलता परंतु तुम्हारे पापा बड़ी मुश्किल से पांचवी कक्षा तक पढ़े हैं। उन्हें इसलिए ज्यादा अच्छा काम नहीं मिल पा रहा  बेटा इसलिए मैं तुम्हें पढ़ लिख कर बड़ा व्यक्ति बनाना चाहती हूं अगर तुम पढ़ लिख गए तो तुम अपनी बहन की शादी भी करवा सकते हो और मेरा क्या भरोसा  मैं तो हर वक्त बीमार रहती हूं। इसलिए तुम्हें पढ़ना बहुत ही जरूरी है।। तुम अपने पिता की भी मदद कर सकते हो आज तो रोहिताश स्कूल में आ कर खुश हो रहा था। राहुल ने उसे अपने पास बिठा लिया था परंतु उसके मैले-कुचैले कपड़े देखकर कहा तुम्हारे कपड़ो से तो दुर्गंध आ रही है। वह खड़ा हो कर बोला मैडम जी मैं इसे अपने साथ नहीं बिठाऊंगा। उसके कपड़ो से दुर्गंध आ रही है।।  मैडम ने रोहितांश को कहा बेटा कल से स्कूल साफ कपड़े पहन कर आना। वह सोचने लगा कि मेरे पास तो एक ही जोड़ी कपड़े हैं और यह पैंट तो ऊपर से जगह जगह फटी हुई है  मां ने बड़ी मुश्किल से इसे ठीक किया है। वह क्या करेगा कल साफ कपड़े पहनकर कैसे स्कूल आएगा?घर आकर उसने अपनी मां को कहा कि स्कूल में मैडम कहती है कि साफ कपड़े पहन कर आना  रोहितांश के घर के पास ही एक घर था। वहां पर हर रोज वह एक आंटी को नल पर कपड़े धोते देखता था। शाम को वह चुपके से  उन के घर के पास गया और देखने लगा कि इस नल के पास  से वह आंटी  कब जैसे यंहा से कपड़े धोकर जाएगी। वह दो-तीन घंटे तक पानी को ऐसे ही व्यर्थ गवां देती थी।  एक दिन उसनें देखा  वहां पर आंटी नहीं थी। वहां पर बहुत सा सर्फ वाला पानी बचा हुआ था।  सर्फ वाला पानी नीचे बचता रहता था उसने अपने कपड़े लेकर उसमे डाल दिए और चुपचाप उन कपड़ों को रगड़ने लगा। उसके कपड़े कुछ साफ हो चुके थे।  उसमें अब पहले जैसी मेल नहीं रही थी। दूसरे दिन वह धुले हुए कपड़े पहन कर स्कूल आया था।   राहुल अब तो  रोहिताश को अपने पास बिठाने लग गया था।  रोहितांश उसको हर रोज साफ और स्वच्छ कपड़ों में देखता तो उसका भी मन करता कि मेरे पास भी सुंदर सुंदर कपड़े होते।  उसने  एक दिन अपने दोस्त  राहुल को कहा कि मुझे भी अपनी कमीज पहने के लिए दे दे। मैं भी सुंदर सुंदर कपड़े पहनना चाहता हूं। मेरी मां के पास इतने रुपए नहीं है वह हमें अच्छे वस्त्र  पहना सके। वह हमें अच्छे वस्त्र दिला नहीं सकती। मेरे  पांच भाई बहन हैं। मैडम ने उसकी बात सुन ली थी। मैडम ने रोहिताश को अपने पास बुलाया और उसके सिर पर प्यार से हाथ फिर कर कहा बेटा तुम्हें स्कूल से ही वर्दी मिल जाएगी। उसको स्कूल से वर्दी मिल गई थी। उसको किताबों का सेट भी स्कूल से ही मिल गया था। जहां वहां पहले पढ़ता था वह तीसरी कक्षा तक  पढ़ा था। चौथी कक्षा में आकर उसने पढ़ाई छोड़ दी थी  किताबें पाकर वह बहुत ही खुश हुआ। घर आकर उसने मैडम को बताया कि मां मुझे स्कूल से ही किताबें मिली हैह और वर्दी भी मुझे स्कूल में भरपेट खाने को भी मिला है।  तेरेे पिता के पास किताबें नहीं थी इसलिए वह पढ़ लिख नहीं सके। मां ने कहा बेटा अगर तू पढ़ाई नहीं करेगा तो तू भी बड़ा ऑफिसर नहीं बन पाएगा वह बोला मां नहीं  मैं जरूर पढ़ाई करूंगा।

उसकी बहन भी दो-तीन दिन की छुट्टी लेकर आई थी। उसकी मां ने अपनी बेटी को अपने भाई के पास छोड़ दिया था। वह अपने मामा के पास ही रहकर शिक्षा ग्रहण कर रही थी। जब वह आई तो रोहिताश के गले लगकर बोली भाई तुम्हारे पास तो नई नई किताबें हैं मुझे तो अभी तक मामी ने  किताबें भी  ले कर नहीं दी हैं।वह कहती है  कल ले दूंगी लेकिन कल कल करते न जानें कितने दिन व्यतीत हो ग्ए। स्कूल वालों ने भी किताबें नहीं दी हैं। रोहिताश को अपनी मां की याद आई उसने कहा था कि तुम्हें अपनी बहन को कभी निराश नहीं करना है।। बड़ा बनकर उसकी  भी देखभाल और उसकी शादी का खर्चा भी तुम्हें ही करना है। इसके लिए तुम्हें पढ़ना होगा। रोहितांश नें सोचा अगर मेरी बहन भी नहीं पढ़ पाई तो मेरी बहन भी पढ़ाई से वंचित रह जाएगी  इसलिए मैं अपनी किताबें अपनी बहन को दे देता हूं। उसने अपना किताबों का सेट अपनी बहन को दे दिया। किताबें  पा कर उसकी बहन बहुत ही खुशी हुई। वह भी चौथी कक्षा में पढ़ती थी। उसकी बहन की छुट्टियाँ समाप्त हो चुकी थीं। उसकी बहन अपने मामा के पास वापस जा चुकी थी। उसने अपनी मां को पूछा आपने रीता  को मामा जी के पास क्यों छोड़ा?उसकी मां बोली बेटा हमारा निर्वाह करना भी बड़ी मुश्किल से हो रहा था। उस पर तुम चार बच्चे और हम दो। मैंने इसलिए तुम्हारी बहन को मामा जी के पास छोड़ा है कि वह वहीं कुछ पढ़ लेगी और अपनी मामी के काम में हाथ भी बंटा दिया करेगी। नन्हां सा रोहितांश समझ चुका था कि विद्या प्राप्त करना बहुत ही जरुरी होता है। अगले दिन जब वह स्कूल गया तो वह बहुत ही उदास था। उसने अपनी किताबें अपनी बहन को दे दी थी। मैडम उसे पढ़ाती उसे वह ध्यान से तो सुनता मगर वह कभी होमवर्क करके नहीं लाता था। इस तरह समय व्यतीत  रहा था रोहितांश को होमवर्क न करने पर मैडम से खूब मार पड़ती थी। वह मन ही मन सोचता था कि अब मैं किताबें कहां से लाऊं? एक दिन राहुल जब अपना स्कूल का बैग   खोल कर देख रहा था तो रोहिताश ने भी देखा कि राहुल के पास किताबों के दो सेट थे। एक पुराना और एक नया। पुरानी किताबे  देखकर हैरान रह गया। पुरानी किताबें वह सोचने लगा कि अगर राहुल उसे एक सैट  कुछ दिनों के लिए दे दे  तो वह भी अपना पाठ याद कर सकता है। उसने राहुल को कहा कि मुझे अपनी किताबों में से कुछ दिन के लिए  पूरानी किताबें दे दे।  राहुल नें रोहितांश को कहा कि नहीं मैं तुम्हें किताबें नहीं दे सकता। मेरी मम्मी मुझे बहुत मारेगी। रोहिताश वहां से  चुपचाप चुप्पी साधे वहां से चला गया। मैडम नें उसे हर रोज उदास देखा और एक दिन उस से पूछ ही लिया तुम उदास क्यों रहते हो। मुझे बताओ। हिम्मत कर के करनें लगा इस बार जो आप नें मुझे जो किताब दे दी  थी  वह किताबें मैंने अपनी बहन को दे दी। मेरी बहन मेरे मामा जी के घर पर रहती हैं। मेरी मां बहुत गरीब है। हम पांच भाई बहन हैं। हम यहां पर एक छोटी सी खोली में रहते हैं। मेरी बहन को मेरी मां ने इसलिए अपने भाई के पास भेजा क्योंकि वह वहां पर रहकर पढ़ाई पूरी कर सके। हम यहां चार भाई रहते हैं। हमारे घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। एक दिन रोहितांश नें अपनी मां से कहा कि मां आपने मेरी बहन को मामा के घर क्यों भेजा?  मेरी मां ने कहा कि तुम्हारे पिता इतना अधिक नहीं कमा सकते। तुम्हें कहां से  खिलाएंगे। मैडम हमारे घर में खाने को भी इतना अधिक नहीं है।

मैंने अपनी बहन को किताब दी दी दी क्योंकि उसको मेरी मामी ने अभी तक किताबे लेकर नहीं दी थी। मैं चाहता हूं कि मेरी बहन भी शिक्षा से वंचित ना रहे। रोहितांश  का अपने बहन के प्रति प्रेम देखकर मैडम की आंखें भर गई । उस नें सारी बात मैडम जी को बता दी।

एक दिन मैडम जी मैंने आपको कहा था कि मेरे सिर में दर्द है। मैंने सिर दर्द का बहाना किया था। मैंने राहुल के पास किताबों के  दो सैट देखे। उस दिन उसके बस्ते में से गणित और अंग्रेजी की पुरानी किताबें मैं अपने घर ले गया था। मैंने 5 दिन  उसकी किताबें अपने पास रखी और आज मैं यह किताबे उसके बस्ती में रखने  ही जा रहा था तभी उसने मुझे देख लिया। मैडम मुझे माफ कर दो।

मैडम रोहिताश की सच्चाई सुनकर हैरान थीं। इतना प्यारा बालक। उसने रोहितांश को कहा बेटा आज से तुम मुझे पढ़ने के लिए तुम्हें जिस चीज की भी आवश्यकता होगी किताबें वर्दी जो कुछ भी चाहिए वह मैं तुम्हें दूंगी। बेटा तुम निसंकोच होकर मुझसे मांग लेना। आज से मैं तुम्हारी गुरु ही नहीं तुम्हारी मां के समान हूं।  रोहिताश मैडम की बात सुनकर बहुत ही खुश हुआ। मैडम  नें उसे  नयी किताबों का सेट दिलवा दिया था। रोहिताश अब बड़ा हो चुका था। उसने 12वीं की परीक्षा में सबसे अच्छा आंख लेकर परीक्षा उत्तीर्ण की थी।  बाहरवी की किताबें  भी  उसे  स्कूल से ही उपलब्ध करवाई थी।

मैडम का स्थानांतरण दूसरे  विद्यालय को हो चुका था। उसे हमेशा रोहितांश को पढ़ाई के लिए  और किताबों के लिए हमेशा रुपए भिजवाए। एक दिन अखबार में रोहिताश का फोटो देखकर मैडम चौकी। बारहवींं की परीक्षा में उसने जिले भर में टॉप किया। रोहिदास ने खुब मेहनत करनें के पश्चात  टैस्ट दिया और उसमे सिलेक्ट हो चुका था।  एक दिन वह बड़ा ऑफिसर बन चुका था। सबसे पहले उसने अपनी और अपनी शादी का इंविटेशन अपनी मैडम के घर भिजवाया।  दरवाजा खोलने पर उसके सामने एक व्यक्ति खड़ा था। शेफाली जी का घर  क्या यहीं पर है?   अन्दर से एक औरत आ कर बोली तुम्हें मुझसे क्या काम है?

शैफाली को डाकिए ने कहा कि यह पैकेट आपके नाम है। शेफाली ने पैकेट खोल कर देखा उसमें एक बहुत ही सुंदर साड़ी थी। वह साड़ी देखकर चौंक गई। यह किसने भेजी होगी? साथ में  एक प्यारा सा  पत्र था। लिखावट को देख कर चौक गई। जिसमें कुछ पंक्तियां लिखी थी। आपको किस तरह से धन्यवाद करूं? आप गुरु ही नहीं आप मेरे लिए क्या हो? आपने मुझे एक गुरु ही नहीं एक मां बनकर जो मेरा भाग्य संवारा है वह मुझे उजाले की  किरण प्रदान की है और मेरे भविष्य को उज्जवल बनाने में आप का ही हाथ है। आपने मुझे पहचान ही लिया होगा।  आप मुझे पढ़ाई के लिए मेरा खर्चा नहीं उठाती तो आज मैं इस काबिल नहीं बन पाता

आपने मुझे प्यार और स्नेह तो दिया ही परंतु आपने मेरे भविष्य को उज्जवल बनाया है।  मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट स्वीकार करें। आशा है आप  इसे अपना बेटा समझकर ग्रहण करेंगे।

मैं अपनी शादी का निमंत्रण कार्ड भेज रहा हूं। आप आकर मुझे और मेरी पत्नी को आशीर्वाद देंगे तो मैं अपनें आप को खुश नसीब समझूंगा। तुम्हारा रोहितांश।

पत्र पाकर शेफाली की आंखों में आंसू गए। शेफाली रोहिताश की शादी पर उसे आशीर्वाद देने  उस के गांव गई। रोहिताश ने अपने मां-बाप को अच्छा मकान बनवा दिया था। अपनी बहन की शादी भी करवा दी थी। शेफाली ने रोहितांश और उसकी वधू को आशीर्वाद देकर कहा सदा सुखी रहो।

भोलू पन्डित

किसी गांव में एक बुढ़िया रहती थी उसके एक ही बेटा था उसका नाम था भोलू ।भोलू पढ़ने लिखने में ध्यान नहीं देता था।   वह  किसी की बात ध्यान से   नहीं सुनता था ।अपना काम भी ठीक ढंग से नहीं करता था इसलिए सभी उसे बुद्धू कहकर पुकारते थे।  उसकी मां अपने बेटे के सिर पर हाथ फेर कर कहती मेरा बेटा    बुद्धू नहीं है ।वह अपनी मां के प्यार से ही तो वह काफी खुशी महसूस करता था ।वह अपने दोस्तों के इस व्यवहार से खफा रहता था उसके दोस्त उसे चिढ़ाते  कि वह देखो बुद्धू आया परंतु वह उन्हें जवाब नहीं देता था। वह इतना  भोला  था कि किसी को कुछ नहीं कहता था।स्कूल में मैडम और उसके अध्यापक भी  उसके दोस्तों के सामने उस को बुद्धू कह कह कर पुकारते तो  तब उस को अपने अध्यापकों की बात भी नहीं  जंचती थी। ऐसा नहीं था कि

उसे कुछ समझ नहीं आता था जब उसके  

दोस्तों ने भी उसे बुद्धू कहकर चिढ़ाया  तो  उनकी देखादेखी में उनके अध्यापकों ने भी उसे बुद्धू कहना शुरु कर दिया।उसकी धैर्य सीमा जवाब दे गई वह घर में आकर अपनी मां को जोर-जोर से रोते हुए बोला मां मां मैं सबकी नजरों में बुद्धू हूं और मैं जिंदगी में कुछ भी करने के लायक नहीं हू।ं अपने दोस्तों तक तो ठीक था परंतु सभी रिश्तेदारों ने और बाहर के लोग जब मुझे बुद्धू कहकर चिढ़ाते हैं तो कहीं ना कहीं मेरे मन में बहुत ही चोट लगती है। मेरा अंतर्मन मुझे धिक्कारता है। क्या सचमुच में मैं बुद्धू हूं? इसी हीन भावना के कारण मेरा मन  जरा भी पढाई में नहीं लगता है ।किसी भी काम को ठीक ढंग से नहीं कर सकता हूं। मां मुझे बताओ मैं क्या करू? दूसरे दिन भोलू ने अपनी मां के पैर छुए और कहा मैं स्कूल जा रहा हूं ।उसकी मां अपने बेटे के इस व्यवहार से आश्चर्यचकित हो गई। आज उसे क्या हुआ है भोलू स्कूल नहीं गया रास्ते में उसके सहपाठी उसे मिले तो उन्होंने उसे कहा बुद्धू कहां जा रहे हो ? उसने कहा मैं मरने जा रहा हू। भागकर वह उनकी आंखों से ओझल हो गया। रास्ते में उसकी मैडम मिली उसने भी उससे वही बात पूछी भोलू तुम कहां जा रहे हो ?मैडम जी मैं मरने जा रहा हूं।उसकी मैडम ने समझा कि वह मजाक कर रहा है तभी पड़ोस के अंकल उसी दिखाई दिए वह बोले तुम आज  स्कूल ड्रेस में भी नहीं हो बुद्धू बेटा तुम कहां जा रहे हो?  उसने कहा बुद्धू कहां जाएगा बुद्धू मरने ही जा रहा है।। सभी को उसने यही बात कही अब तो जल्दी जल्दी उसने अपनी चाल को तेज किया और बहुत ही दूर चलता चलता एक पहाड़ी पर पहुंच गया । वहां से नीचे इतनी भयानक खाई थी कि वहां से अगर कोई कूदे तो वहां से उसकी एक हड्डी भी नहीं मिल सकती थी । वह तो सचमुच ही मरने जा रहा था ।वह चलते-चलते सोच रहा था कि सब मुझे बुद्धू कहकर चिढ़ाते हैं कोई भी मुझे इस काबिल नहीं समझता कि मैं कोई ना कोई काम तो अच्छे ढंग से कर सकता हू।ं ऐसी जिंदगी से क्या लाभ जिससे मैं किसी को भी खुशी नहीं दे सकता ।बुद्धू व्यक्तियों को जीने का कोई हक नहीं होता  ।उनका होना या न होना तो बराबर ही है ।जिसके होने से सबको समस्या ही खड़ी होती है मैं अपनी मां को तो इस जीवन में कोई खुशी नहीं दे सका लेकिन हे भगवान !मुझे अगले जन्म में मुझे बुद्धू मत बनाना। मैं अगले जन्म में अपनी बूढ़ी मां का बेटा ही बनना चाहता हूं ।मैं अगले जन्म में उन्हें इतनी खुशियां दूंगा कि वह अपने पिछले जन्म के दुखों को भूल ही जाएगी।

भोलू ने अपना मन पक्का कर लिया और जैसे ही कूदने लगा उसका पैर एक पहाड़ी पर  पत्थर से टकराया । वह नीचे गिर गया वहं एक जगह अटक गया था।  उसका माथा उस पत्थर से टकराया । उसके माथे से बहुत ही अधिक खून बह चुका था ।उसने अपने सामने एक साधू को आते देखा साधु भगवान ने उस पर पानी के छींटे फैकें। उन्होंने उसे बाजू से पकड़कर ऊपर निकाला ।एक जगह अलग बिठाया और उसके सिर पर पट्टी बांधी तब उसे कहा कि बेटा आत्महत्या करना बहुत बुरी बात है आत्महत्या करना तो कायरो को शोभा देताहै।तुम तो मुझे कायर तो नहीं लगते हो ।तुम तो मुझे भोले ही दिखाई देते तो बेटा तुम मुझे बताओ तुम अपनी जान देने क्यों जा रहे  थे ?साधु महात्मा को भोलू ने बताया कि बाबा मैं अपने जीवन से तंग आ चुका हू मुझे हर कोई बुद्धू कहकर चिढ़ाता है । लेकिन मेरी मां को छोड़ कर  मेरी मां मुझे बुद्धू नहीं कहती तब साधु बाबा बोले तुम्हे तो गर्व महसूस करना चाहिए किं तुम्हारी मां कितनी महान है तुम्हें इतना प्यार जो करती है ।तुमने अपनी मां के बारे में जरा भी नहीं सोचा। अपनी मां के दिल को कभी ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए ।लोग तो तुम्हारे बारे में ना जाने क्या-क्या कहेंगे ।क्या तुम उनके कहने से बुद्धू बन जाओगे ?एक बात सोचो बेटा मैं तो तुम्हें बुद्धू नहीं समझता अगर तुम बुद्धू होते तो तुम मेरी बात ध्यान से नहीं सुनते ।तुमने मेरी बात ठीक ढंग से सुनी कौन कहता है तुम बुद्धू हो?  उसने कहा कि हे साधु महाराज! तुम कौन हो? तुम मुझे क्यों बचाना चाहते हो उस साधु महात्मा ने कहा कि मेरा नाम  हरिहर  है।उस विशाल पत्थर के नीचे कुटिया बनाकर रहता हूं परंतु तुम उस गुफा को देख नहीं सकते नीचे देखने की हिम्मत करोगे तो नीचे गहरी खाई में लुढ़क जाओगे ।मैं तुम्हें कहता हूं कि बच्चे अपने घर को लौट जाओ।  भोलू ने कहा साधु महाराज अब तो मैं पूरा निश्चय कर चुका हूं। मैं इस पहाड़ी से कूदकर अपनी जीवन लीला को समाप्त करना चाहता हूं।साधु महात्मा ने कहा बेटा मान लो तुम इस खाई से नीचे गिर गए और तुम मरे नही तुम्हारी हड्डी पसली टूट गई या टांगे टूट गई तब तुम क्या करोगे ? वह बोला साधु बाबा तुम मुझसे चिकनी-चुपड़ी बातें सुनाकर मुझे मत बहलाओ। आप यहां से चले जाओ मैं आज तो मर कर ही रहूंगा ।नहीं मरूंगा ,तो जो मेरी किस्मत में होगा देखा जाएगा । अचानक साधु ने कहा अच्छा सुनो आज मैं तुम्हें एक उड़ने वाला घोड़ा देता हूं। यह घोड़ा केवल दस मिन्ट तक ही उड़ेगा ।यह घोड़ा तुम्हारे बहुत काम आएगा।  भोलू बोला मैं इस घोड़े का क्या करूंगा ?ं  साधु बाबा बोले बेटा तुम्हें मेरे कहे पर विश्वास ना हो तो आजमा कर देख लो तब भोलू ने कहा अच्छा, तुम इस घोड़े को उड़ाकर दिखाओ क्योंकि घोड़ा उड़ता थोड़े ही है ?।घोड़ा तो दौड़ता है तभी साधु बाबा भोले यह एक जादुई करिश्मा है यह जादू का घोड़ा है । उन्होंने कहा  घोड़े उड घोड़ा पहले तो रूका  फिर इतनी दूर उड़ गया कि वह घोड़ा दिखाई नहीं दिया फिर दस मिनट बाद वहीं आकर खड़ा हो गया। भोलू को साधु बाबा के ऊपर यकीन हो गया था ।उसने हत्या का विचार त्याग दिया और और आगे रास्ते पर चलने लगा ।

भोलू सोचने लगा अभी मैं घर नहीं जाना चाहता क्योंकि जब तक कुछ काम का जुगाड़ नहीं करूंगा तब तक मैं घर नहीं जाने वाला ।मेरी मां भी मुझे बुद्धू ही समझेगी। उसने दूसरी छोर की ओर अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए ।उसे चलते चलते रात हो चुकी थी। एक पेड़ के नीचे उसने रात बिताई। रात को उसे डर भी लग रहा था ।उसने अपने घोड़े को एक पेड़ के नीचे बांध दिया था ।उसने सोचा कि अगर किसी जानवर ने मुझ पर हमला किया तो वह उस घोड़े पर उड़कर  दस मिनट में किसी और जगह पहुंच सकता है ।एक ऐसे शहर में पहुंच गया था वहां जाकर उसने देखा कि एक बहुत ही बड़ा नगर था ।वहां एक राजा अपनी बेटी की बीमारी के कारण बहुत ही उदास रहता था। उसकी बेटी अंदर ही अंदर टूटती जा रही थी। वह कभी भी हंसती नहीं थी। उसने बहुत ही हथकंडे अपना कर देख लिए थे परंतु उसकी कसौटी पर कोई भी खरा नहीं उतरा था ।उसने अपने राज्य में घोषणा कर दी थी कि अगर कोई मेरी बेटी को हंसा देगा तो वह उसे 1000 स्वर्ण मुद्राएं देगा ।भोलू भी उस विशाल सभा में पहुंच गया था जहां पर उस देश के राजा ने अपनी बेटी को हंसाने के लिए यह शर्त रखी थी ।  भोलू ने भी इस शर्त को पढ़ा और सोचने लगा कि मैं कोई उपाय करता हूं ।जिससे उस राजा की बेटी हंस जाए। वह राजा के पास जाकर बोला वह आपकी बेटी को हंसाने का प्रयत्न करेगा ।राजा बोला सुबह से शाम होने को आई है कोई भी मेरी बेटी को हंसाने में समर्थ नहीं हुआ ,तुम भी आजमा कर देख लो । राजा ने कहा कि तुम्हें मैं पंडित की उपाधि भी दूंगा और अगर तुम मेरी बेटी को हंसा पाए तो हजार मुद्राएं तुम्हें तुम्हारे ईनाम की भी दूंगा। मैं तुम्हें 2000 मुद्राएं दूंगा भोलू ने कहा राजा जी अपनी लड़की को लेकर आओ। राजा ने अपनी बेटी को उस विशाल जनसभा में बिठाया ,तभी भोलू बोला राजकुमारी जी की जय हो ।आज मैं तुम्हें एक करिश्मा दिखाऊंगा ।उसने राजा की बेटी को कहा कि मैं तुम्हारे  साथ  एक  खेल खेलूंगा तुम अपनी  तीन सखियों को बुला कर ले आओ ।  राजकुमारी की सहेलियां भी आ गई थी ।सहेलियों से भोलूू ने कहा बैठ जाओ ।  भोलू ने उन से कहा जब मैं कहूंगा उड़ तब तुम उस वस्तु को उड़ा देना। भोलू ने कहा चिड़िया उड ।सब सहेलियों ने अपने हाथ ऊपर किए  एक-एक करके उसने सभी पक्षियों के नाम लिए।  उसने अचानक गाय उड़ कहा। उसकी इस बात से   उपस्थित  लोग जोर-जोर से हंसने लगे ।सभी लोग उससे कहने लगे बुद्धू क्या कभी गाय भी उड़ती है? कई सहेलियों ने ने गाय को उड़ा दिया था? ़

राजकुमारी जरा भी नहीं हंसी ।भोलू ने कहा घोड़ा उड़। वह अपना घोड़ा लेकर आया ।सभी लोग उस को हंसी भरी नजरों से देख रहे थे।  घोड़ा  हिनहिनाया और वह घोड़ा भोलू पर दौड़ा ।अचानक भोलू नीचे गिर गया ।उसके सारे कपड़े फट चुके थे।। उसको इस अवस्था में देखकर सारे लोग हंसने लगे तभी भोलू एक बार और पलटा नीचे गिरा धड़ाम, धड़ाम।  उसे नीचे गिरता देख कर राजकुमारी जोर जोर से हंस  पड़ी।अपनी बेटी को हंसता देखकर राजा बहुत ही खुश हुआ तभी अचानक भोलू घोड़े पर चढ़ा और घोड़ा उसे लेकर आसमान में उड़ गया ।वह दस मिनट बाद वापिस आया घोड़े को उड़ता देखकर राजा बहुत ही खुश हुआ  राजा ने भोलू को अपनी बेटी को हंसाने के लिए हजार स्वर्ण मुद्राएं दी और  घोड़े को उड़ाने के लिए 1000 स्वर्ण मुद्राएं और दी। मुद्राएं पाकर भोलू बहुत ही खुश हुआ। राजा ने अपनी सभा को  संबोधित करते हुए कहा आज मैं गर्व से कह रहा हूं कि आज मैंने इतने बड़े पंडित को अपनी विशाल सभा में बुलायाहै। आज से मैं इसे भोलू पंडित के नाम से पुकारूंगा ।तुम सब भी मेरे साथ दोहराओ भोलू ं पंडित की जय। राजा ने 2000 स्वर्ण मुद्राएं भोलू को दी ।खुशी-खुशी भोलू अपने घर वापिस आ रहा था ।उसकी मां ढूंढते-ढूंढते उसे पुलिस थाने में चली गई थी।सब उसको ना पाकर बहुत दुखी थे ।उसने अपनी मां को 2000 स्वर्ण मुद्राएं दी और कहा मां मैंने यह मुद्राएं अपनी मेहनत से हासिल की है। उसने एक बार फिर उस साधु महात्मा को धन्यवाद  कहां जिसने उन्हें जीने के लिए प्रेरित किया था।

नसीहत

नंदन वन में बहुत सारे जानवर रहते थे। उस वन में पीपल के पेड़ पर दो चिड़िया रहती थी बिन्नी और चिन्नी। वे दोनों पक्की सहेलियां थी। उन दोनों के दो नन्हे नन्हे बच्चे थे,चन्गु मंगु टप्पू गप्पू ।  नंदनवन के पास ही एक स्कूल था। उसमें  वन में रहने वाले जीव जंतुओं के बच्चे पढ़ते थे। सभी जानवरों ने अपने बच्चों को  उस स्कूल में दाखिल करवा दिया था। बच्चे सुबह स्कूल चले जाते थे। नंदन-वन के अन्य जानवर  और वृक्षों पर रहने वाली चिड़ियां सभी पशु पक्षी उन दोनों से ईर्ष्या किया करती थी।

चिन्नी और बिन्नी उन्हें अपनें घौंसलें में इसलिए नहीं आने देती थी क्यों कि वह डरती थी कि अगर और जानवरों नें भी यहां कब्ज़ा कर लिया तब वह क्या करेंगी। उस पेड़ पर भी इसलिए वे किसी को भी नहीं आने देती थीं। जिस पेड़ पर वह दोनों रहती थी।

वह बहुत ही पुराना पेड़ था। वह उस पेड़ पर पली बढी। वह बहुत ही बड़ा पेड़ था। एक बार की बात हे जंगल में बहुत सूखा पड़ा। चारों ओर अकाल छा गया। वर्षा भी नहीं हुई। उस पेड़ के सारे पते  सूख गए थे। सारी की सारी चिड़िया और जीव जन्तु आपस में कहने लगे हम यहां से कंही और चले जाएंगे। चिन्नी और बिन्नी को भी और चिडि़या  कहनें  लगी यंहा से चलो। वे दोनों बोली कि हम इस पेड़ को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगी। इस पेड़ नें हमें ठन्ड आंधी वर्षा से बचाया। अपनें फायदे के लिए उस पेड़ को छोड़कर हम दोनों कहीं नहीं जाएंगी। यंहा पर मर भी जाएंगी तो भी हमें दुःख नहीं होगा। हमारे बच्चे भी यहां सुरक्षित  महसूस करतें हैं। वह दोनों कंही नहीं जाएंगी। पेड़ भी उन की बातें सुन कर रो दिया। इनदोंनों को हम पर कितना विश्वास है।हम इन दिनों को कोई खुशी नहीं दे सकते। वह दोनों उस पेड़ का बहुत ही ध्यान रखती। वे दोनों काफी दिनों तक वहीं पर रही। सूखे पतों को खा कर गुजारा  किया। उस पेड़ को छोड़कर सब  पशु पक्षी कहीं दूसरी जगह रहने चले   गए। उन की देखभाल रेख के कारण पेड़ भी  हरा भरा होनें लगा। एक बार खुब जम कर वर्षा हुई वह पेड़ हरा भरा हो गया। सारे के सारे पक्षी फिर से वहीं रहने आ गए। वह दोनों इस कारण से किसी भी पक्षी को वहां नही आने देती थी।

सभी चिड़िया चाहती थी कि हमें  इन दोनों की दोस्ती तोड़नी है। जब हम इन दोनों में दरार पैदा कर देंगे तब इनकी एकता छिन्न-भिन्न हो जाएगी। वे टूट कर बिखर जाएंगी। हम सब मिलजुलकर यहां पर रहेंगे।  बिन्नी  जब जंगल में दाना चुगने उड़ जाती  तब  उसके बच्चों की देखभाल और अपनें बच्चों की देखभाल चिन्नी करती थी। बच्चें अपनी मौसी  के पास रहते थे। जब चिन्नी भोजन की तलाश में जाती थी तब बिन्नी भोजन बनाती दोनों बारी-बारी भोजन  तलाश करने जंगल में जाती। साथ में रहने वाली सिम्मी हर बार चुपके से चिन्नी से  कहती थी कि जब तुम काम पर चली जाती हो तब तुम्हारी दोस्त बिन्नी बच्चों का ध्यान नहीं रखती। बच्चे उस के डर के मारे आपसे कुछ नहीं कह पाते हैं। चिन्नी सोच रही थी कि नहीं नहीं मेरी दोस्त मेरे साथ ऐसा कभी नहीं कर सकती। आज जब  चिन्नी दाना ले कर वापस आई तो  बिन्नी उसके बच्चों को डांट रही थी।  आते ही चिन्नी ने जब अपनी आंखों से अपने बच्चों को डांटते हुए देखा तो वह अपनी दोस्त से नाराज़ हो गई। बिन्नी ने कारण पूछा कि तुम मुझसे नाराज़ क्यों हो? तो वह बोली तुम्हें इससे क्या तुम मेरे बच्चों को हमेशा डांटती रहती हो।  बिन्नी  कहने लगी कि मेरी बात तो सुनो मगर चिन्नी ने उसकी बातों को सुना अनसुना कर दिया और वहां से गुस्सा हो कर चली गई।  वह उसके साथ पहले की तरह अब ठीक से बात नहीं करती थी। बिन्नी नें वहां से जाना ही उचित समझा। वह पास के पेड़ पर अपने बच्चों को लेकर रहने के लिए उड़ गई। कुछ वन के पक्षी तो यही चाहते थे कि उन दोनों की दोस्ती टूट जाए। आज उन्होंने अपने मन में एक बहुत बड़ी दावत दे डाली। उन दोनों की दोस्ती में  वन के जीव जंतुओं नें दरार डाल दी थी। उस वन में रहने वाले  जंगल के जानवर मस्ती में झूम रहे थे। जब बिन्नी दूसरे पेड़ पर रहने चली गई उसके बच्चे बहुत उदास रहने लगे। चिन्नी के बच्चों का भी यही हाल था। जब स्कूल  में एक दूसरे को देखते तो आपस में गले मिलते। वे आपस में कहते की मौसी को ना जाने क्या हो गया? वह तो हमें बहुत ही प्यार किया करती थी।

आज उनके स्कूल में फंक्शन था। उसमें एक नाटिका दिखाई गई। उस में दर्शाया गया था कि हमें दूसरों की बातों में आकर कभी भी दोस्ती नहीं तोड़नी चाहिए। दोस्ती में दरार पड़ जाए तो उसको जोड़ना बहुत ही मुश्किल होता है। हमें कारण का पता लगाना चाहिए, बच्चों ने सोचा। जब नाटिका समाप्त हुई तब मैडम ने बताया कि मिलजुल कर काम करने से ही सारी समस्या हल हो जाती है। एकता में इतनी शक्ति होती है कि टूटे बंधन फिर से जुड़ जाते हैं।

चिड़िया के बच्चे  आपस में बोले कि हमें अपनी माँओं को समझाना होगा। पहले हमें कारण पता करना होगा कि हमारी मां  के मन में  संदेह  किस कारण पैदा  हुआ है। चंगू मंगू  जब स्कूल से आते तो उस पेड़ के पास नज़रें चढ़ा कर रखते। एक दिन  स्कूल से छुट्टी होने पर जब वापस आए सभी जानवर समारोह मना  रहे थे। उन्होंने कुछ पक्षियों को कहते सुना अच्छा हुआ कि हमने उन दोनों सहेलियों में दरार पैदा कर दी।  वे अब टूट कर बिखर जायेंगी। हम उन को हराकर उस पेड़ पर रहने चलें जाएंगे। बच्चों को कारण का पता लग गया था।

एक दिन जब  चिन्नी बहुत देर  बाद वापस  आ कर उस पेड़ के पास आ कर इधर उधर उड़ रही थी।उसने देखा कि बच्चे उदास बैठे थे।  वह अपनें बच्चों चंगु और मंगु के पास आ कर  बोली तुम  उदास क्यों हो? बच्चे  बोले आप दोनों ने बिना कारण जाने आपस में लड़ाई क्यों की? वह बोली तुम्हारी मौसी   तुम पर  बिना कारण गुस्सा हो रही थी। बच्चे बोले वह इसलिए डांट रही थी कि जंगली कुत्ते हमारे घोंसले के पास आ गए थे। जंगली कुते जैसे ही झपटा मारते बच्चे पीछे से  चोंच से उन पर प्रहार करते।  जब वे पीछे मुड़ कर देखते तो दूसरे बच्चे उस पर आगे से प्रहार करते। उन छोटे छोटे बच्चों नें उन  को छठी का दूध याद दिलवा दिया।  बिन्नी कह रही थी  कि अच्छा हुआ मैं कहीं नहीं गई?  हम बात नहीं मान रहे थे और बाहर जानें की ज़िद कर रहे थे। इसलिए वह गुस्सा हो रही थी। आपने तो दूसरों की बातों में आकर हमको भी अपने दोस्तों से भी अलग करवा दिया। हमने उन  वन के जानवरों को दावत उड़ाते देखा। वे सभी कह रहे थे कि आज हमने इन की एकता को खंडित कर दिया। अच्छा ही हुआ एक तो उस पेड़ को छोड़कर चली गई। दूसरी को भी थोड़े दिन में ही यहां से हटा देंगे। हम चैन से  आ कर  यहां पर  अपना घोंसला बना लेंगे। चिन्नी अपनी  करनी पर बहुत पछता रही थी।

जब एक दिन  बिन्नी भोजन की तलाश में गई हुई थी  तो  कुछ जंगली भेडिए उसके पीछे पड़ गए।  जंगली भेडिए उस पर झपटनें ही  वाले थे कि  चिन्नी ने अपनी दोस्त  बिन्नी को बचा लिया। उसे घर ले कर आई। उसके बच्चों की भी  उसी प्रकार देखरेख कि जैसे वह अपनें बच्चों की करती थीं। चिन्नी ने  बिन्नी  से अपनी गल्ती के लिए माफी मांगी। कहनें लगी बहन मैने उस दिन दूसरों के बहकावे में आ कर तुम्हारे साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया। आप  फिर से आ कर उस पेड़ पर रहो। बिन्नी ने मुस्कुरा कर चिन्नी को माफ कर दिया था।

बिन्नी एक बार फिर से अपने बच्चों को वापस  ला कर पेड़ पर रहने आ गई थी।

दूसरे दिन सभी जीव जन्तुओं ने सोचा कि चलो आज एक बची हुई चिड़िया की भी खबर लेते हैं। वे सब के सब उस पर टूट पड़े। दोनों चिड़िया ने उनके बच्चों ने मिलकर सभी पक्षों को वहां से जाने पर मजबूर कर दिया।

आज बच्चों की  नसीहत नें हमें  एकता  निभाने पर   मजबूर कर दिया। आज उन्हें समझ आया कि बच्चों को शिक्षा देना बहुत ही जरूरी है। बच्चों ने  हमें  सत्य से अवगत नहीं कराया होता  तो हमारा परिवार और हमारा घर बिखर गया होता। आज हमारी एकता ने इस परिवार को फिर से जोड़ दिया आगे से हम कभी भी झगड़ा नहीं करेंगे। सारे परिवार में खुशी की रौनक छा गई थी।

वन में रहने वाले जीव जन्तु  उनकी सूझबूझ के कारण हार कर पीछे हट गए। सिमी नें भी अपनी गल्ती  मान ली। उसनें चिन्नी और बिन्नी को बताया कि मैनें ही जंगली जीव जन्तुओं के सिखानें पर इनकी दोस्ती को तोड़ने की कोशिश की। सभी जीव जन्तु बिन्नी और चिन्नी के पास आ कर बोले हमारे बच्चे भी हम से बात नहीं कर रहें हैं वे कह रहें हैं की जब तक आप उन दोनों से अपनी करनी पर  माफी नहीं मांगोगे तब तक हम भी आप से बात नहीं करेंगें। हम सब बच्चे इस वन को छोड़कर कहीं चले जाएंगे। आप हमें ढूंढ भी नहीं पाओगे।  उन्होनें हमें बताया वह दोनों यहां पर बचपन से रह रही हैं। हमारे  बच्चों नें हमें बताया कि आप के घर में कोई यूं ही जानबूझ कर कब्जा कर ले तो आप सब को कैसा लगेगा। वह दोनों तो बेचारी अकेली हैं फिर भी कितने अच्छे से अपनें बच्चों का पालन पोषण कर रही थी। आप नें इनकी दोस्ती में दरार डाल दी। सिमी को उनकी दोस्ती तोड़ने भेजा। आप जब तक उन दोनों से माफी नहीं मांगोगे तब तक हम भी आप से बात नहीं करेंगे।  आज से हमारी भूखहडताल है। हम  भी गप्पू टप्पू चंगू मंगू के साथ हैं। बच्चे  भूख हड़ताल पर बैठ गए  थे।  नंदन वन के जीव जन्तुओं  नें बिन्नी और चिन्नी से माफी मांगी। वे दोनों अपनें सामने सभी जानवरों को माफी मांगते देख रही थी। वे दोनों बोली आप नें अपनी लगती मान ली। हम भी आप सभी को माफ करतें हैं। वनमें एक बार फिर से खुशी की लहर छा गई थी। सभी बच्चे बोले समारोह तो आज करना चाहिए। सभी खुशी से उत्सव में शामिल हो गए।

कब क्यों और कैसे

 तीन दोस्त थे अंकित अरुण और आरभ। तीनों साथ-साथ शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वह तीनों 12वीं की परीक्षा के बाद पढ़ाई भी कर रहे थे। और नौकरी  ढूंढने का पर्यास भी कर रहे थे। उनके माता पिता चाहते थे कि वे नौकरी करके हमारा भी सहारा बने। अंकित अरुण और आरभ तीनों मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे। अंकित एक लंबा चौड़ा हट्टा-कट्टा देखने में खूबसूरत, चतुर और शान्त स्वभाव का। ना जाने उसने कितने इंटरव्यू दे डाले मगर कहीं भी नौकरी नहीं मिल रही थी। अंकित की मम्मी ने पुकारा “बेटा क्या बात है? तुम आजकल कहीं भी इंटरव्यू नहीं दे रहे हो। ऐसा कब तक चलेगा। घर में कोई ना कोई कमाने  वाला होना चाहिए। तुम्हें जल्दी से जल्दी नौकरी ढूंढनी होगी मगर तुम तो शायद एक कान से सुनते हो और दूसरे कान से निकाल देते हो”। अंकित बोला “मां मैं क्या करूं? तुम सोचती हो मैं सारा दिन यही आवारागर्दी करता रहता हूं। मुझे आप सबकी कोई फिक्र नहीं है। कोशिश तो कर रहा हूं।”

 अरुण  के परिवार में अरुण सबसे छोटा था।  उसके परिवार में एक बहन थी। पापा रिटायर हो गए थे।  सभी की आस अरुण पर टिकी थी कि कब वह जल्दी से अपनी जिम्मेदारी समझे और कुछ कमा कर लाए। अरुण भी इन्टरव्यू दे दे कर थक चुका था।  अरुण बहुत चतुर था, जो देख लेता उसे भूलता नही था।

आरभ के परिवार में  भी उसके पिता और उसकी एक बहन थी। आरभ छोटे कद का घुघंराले बालों बाला देखने में सुन्दर।    तीनों  जब भी आपस में मिलते तो  कहते नौकरी   ढूंढते-ढूंढते थक गए। कुछ ना कुछ नया करते हैं। घर में बताए बगैर घर से निकल गए।

तीनों ने एक दो दिन पहले अपने माता पिता को बता दिया था कि हम तीनो  को काम के सिलसिले से बाहर भी जाना पड़ सकता है। तीनों के माता-पिता  अपनें बच्चों की इतनी चिंता नहीं करते थे। तीनों दोस्त मुंबई जाने वाली गाड़ी में बैठ कर आपस में बातें करनें  लगे। टिकट चेकर आया तो हम क्या कहेंगे। हमारे पास तो मुंबई जाने का भी किराया नहीं है।  अरुण के दिमाग में एक योजना आई। क्यूं न हम यूं ही कैसी भी योजना बना लें। यूं ही कोई मन गडन्त  कहानी। आरभ मन ही मन में कहने लगा। सचमुच में ही उन्हें टिकट चेकर आता दिखाई दिया। वह वही आ रहा था।  बोला तुम तीनों खड़े क्यों  हो? अरुण बोला हम यूं ही खड़े हैं। अभी अभी ना जाने हमारा सूटकेस एक व्यक्ति लेकर भाग गया। हमने यहां पर रखा था। टिकट चेकर उन्हें भला बुरा कहने लगा। तुम झूठमुठ कह रहे हो। मैं अभी थानेदार साहब को बुलाता हूं। उसने सचमुच में  ही थानेदार  को बुला लिया था।गाडी धीमी रफ्तार से चल  रही थी। टिकेटचैकर उन तीनों से बोला जब तक पुलिस इन्सपैक्टर आते हैं तब तक तुम बैठ सकते हो।  तीनों चुपचाप एक दूसरे से कह रहे थे न जानें अब क्या होनें वाला है। कुछ न कुछ तो सोचना ही पड़ेगा। वे तीनों बैठ गए थे। उन के ही समीप एक लम्बा सा आदमी अपनें किसी रिश्तेदार को जोर जोर से कह रहा था मेरे घर जरूर आना। मैं तुम्हें नौकरी दिलवा दूंगा। अरुण उस व्यक्ति को बार बार देख रहा था। उसके कानों में छेद थे। उसने एक कान में बाली पहन रखी थी। मांग सीधी की हुई थी। वह स्टाइल उस को खुब जंच रहाथा। हाथ में सोनें का कंगन पहन रखा था। देखें में किसी नवाब से कम नहीं लग रहा था। अरुण अपनें दोस्त को बार बार इशारा कर रहा था  मगर उसका दोस्त तो भीगी बिल्ली बना अपनें मन में  आने वाली मुसीबत से बचनें का उपाय सोच रहा था। जब अरुण नें उसे झंझोडा तब उस की तन्द्रा टूट गई वह अपने दोस्त की  तरफ देख कर बोला क्या है? अरुण नें उस व्यक्ति को दूसरे डिब्बे में जाते देख लिया था। जब वह जाने लगा तो अचानक उसे धक्का लगा। उस के पैर से खून निकल रहा था। उस के साथ एक शख्स था जो हाथ में शायद सूटकेस लिए  था। उसनेपना सूटकेस किसी को थमा दिया।

वह बोला बाबू साहब आप को कहां लगी? उसका हाथ पकड़ कर बोला बाबू साहब आप के हाथ से भी खून बह रहा है। मै आप को पट्टी बांध देता हूं। वह उसके हाथ में पट्टी बांधने लगा। अचानक अरुण की नजर फिर से उस व्यक्ति पर गई। उस के हाथ पर टैटू खुदा हुआ था। अचानक थोड़ी देर बाद वह शख्स न जानें कंहा गायब हो गया।

वहां पर पंहूंच कर थानेदार को टिकट चेकर ने सारी घटना सुना दी किस तरह कुछ नकाबपोशों ने इन नवयुवकों का सूटकेस छिन कर अपनें पास रख लिया है। टिकट चेकर बोला  तुम्हारा सूटकेस किस रंग का था। अंकित बोला नीले रंग का था। बीच में काली धारी  लगी थी। हमारा सब कुछ उस सूटकेस में था। हमारे पास टिकेट लेने के लिए  भी रुपये नंही है। तीनों इसी तरह  एक दूसरे से कहने लगे चलो दोस्तों अभी भी समय है। क्या पता।? वह आदमी हमारा सूटकेस लेकर नीचे उतरा हो। आओ हम तीनों गाड़ी से नीचे उतर जाते हैं। हम कैसे मुंबई जाएंगे? अंकित  आंखों में झूठमूठ के आंसू भर कर  बोला मेरे दोस्त की बहन की शादी है।  उसने मुझे शादी में बुलाया था। वहीं पर पहुंच कर रुपयों का जुगाड़ करते हैं। हमारी एक दोस्त भी सूरत में रहती है। उस से रुपये ले कर हम आप को दे देंगे। मैने उस को फोन कर दिया है।

   रेलवे सेक्योरिटी पलिस  पास ही  गाड़ी के डिब्बे में घूम रहा था एक बड़े से नकाबपोश वाला आदमी उसके पीछे खड़ा था।  गाड़ी में  आया और वह अपने आदमियों को कहनेंलगा इस सूट केस में  बहुत ही जरुरी कागजात हैं। उसने वह सूटकेस उसने  अपनें पीछे छिपा लिया। टिकट चैकर  कि नजर भी उस व्यक्ति पर नजर पड़ी। उसके हाथ में से सूटकेस लेकर टिकट चेकर हैरान रह गया। वह थानेदार से बोला वह नवयुवक ठीक  ही कह रहे थे। यह उन्हीं का  सूटकेस है। नीले रंग का सूटकेस और काली धारी वाला।  थानेंदार  नकाबपोश आदमी से बोला तुम्हारा पर्दाफाश हो चुका है। तुम अपने आप को मेरे हवाले कर दो। वर्ना  बेमौत मारे जाओगे। एक तो चोरी और ऊपर से सीनाजोरी।  अरुणको थोड़ा सा सुनाई दिया।  वह चौक कर टिकट चेकर को देखनें लगा। वह किस से बातें कर रहा है।  अपने दोस्तों से बोला कि टिकट चेक कर कुछ बातें कर रहें हैं।  जल्दी  से उस  नकाबपोश व्यक्ति ने चलती गाड़ी से छलांग लगा दी।  जब वह गाड़ी से कूदा अरुण बाहर की ओर खडा हर आनें जानें वाले को बड़ी  होशियारी से देख रहा था। टिकट चेकर  सूटकेस लेकर उन तीनों के पास आया।  अरुण सोचने  लगा शायद सूटकेस में  रुपये  होंगें।   उसने नकाबपोश वाले व्यक्ति को सूटकेस को खोलते देख लिया था। वह सूटकेस  किसी  एक नम्बर को डायल करनें से खुलता था। उसने 845 डायल करते देख लिया था  वह नकाबपोश गाड़ी से नीचे उतर चुका था।  उस के अन्दर एक  डायरी और कुछ रुपये थे।

टिकेट चैकर बोला सूटकेस मिल गया है।  तुम ठीक कह रहे हो या गलत। तब तो  इस सूटकेस की चाबी  भी तुम्हारे  पास होगी। अरुण  नें कहा यह सूटकेस तो नम्बर डायल करनें से खुलता है।  यह चाबी से नहीं खुलेगा। दोनों दोस्तों की सिटीपिटी गुम हो चुकी थी। अब तो अवश्य पकडे जाएंगे। अरुण सोचने लगा कंही उस ही  नकाबपोश का सूटकेस तो नहीं है।   यह उस व्यक्ति का सूटकेस होगा तो 845नम्बर से खुल जाएगा। अब सब कुछ राम भरोसे है। या गाड़ी आज आर या पार वाली स्थिति उत्पन्न हो गई थी। टिकट चेकर बोला इसमें क्या है वह बोला इसमें एक डायरी कपडे और रुपये हैं। अरुण नें  नम्बर घुमाया ताला खुल गया। दोनों दोस्त उस की तरफ हैरत से देखनें लगे। टिकट चेकर नें वह सूटकेस उन्हें थमा दिया। टिकेट चैकर ने कहा चलो गाड़ी का टिकट लो। अब तो तुम्हें सूटकेस भी मिल गया है। आरभ बोला क्यों नहीं अभी हम आपको  रुपये देते हैं। अरुण नें टिकेटचैकर को कहा इसमें हमारा पर्स था। वह नकाबपोश इसमें से पर्स ले कर भाग गया। टिकेटचैकर बोला मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता अगला स्टेशन सूरत आएगा वहीं तुम उतर जाना। यह कह कर टिकेटचैकर चला गया। आरभ ने चुपके से 50,000रुपये अपनी जेब में डाल लिए। उसमें एक मोबाइल भी था। उसने वह मोबाईल अपनी जेब में रख लिया। थोड़ी देर बाद उस नकाबपोश नें फोन किया जिसका सूटकेस था। उसने कहा मेरा सूटकेस तुम तीनों के पास है। यह मत समझना मैं तुम को छोड़ दूंगा। तुम नें अगर मेरा सूटकेस मुझे नहीं लौटाया तो तुम को ऐसी सजा दूंगा तुम जिन्दगी भर नहीं  भूल पाओगे किस से पाला पड़ा था। अरुण ने उस नकाबपोश की सारी की सारी डायरी पढ ली थी। वह कंहा जानें वाला था। उसने अपनें दोस्तो को भी बताया मुझे तो यह आदमी ठीक नहीं लगता वह सचमुच ही कीसी गैन्ग से सम्बन्ध रखने वाला लगता है। अरुण नें उस  डायरी में से उस नें जो कुछ डायरी में लिखा था उस की फोटोकॉपी कर ली। टिकेटचैकर चैकर उनके पास आ कर बोला उतरने के लिए तैयार हो जाओ।अरुण नें टिकेटचैकर को कहा तबतक आप हमारे सूटकेस संभालकर रखोजब तक सूरत स्टेशन नहीं आ जाता। हो सकता है वह फिर चोरी करनें आ जाए अभी तो हमारे रुपये ही खोए हैं फिर जरुरी कागजात भी गुम हो सकते हैं। अरुण नें  वहसूटकेस पुलिस्इन्सपैक्टर को पकड़ा दिया।

तीनों बड़े खुश हुए। वाह! आज तो  हमारी  लॉटरी लग गई।  अचानक गाड़ी रुक  गई। वह उतरने के लिए तैयार ही थे कोई अजनबी नकाबपोश अचानक ट्रेन में आया और तीनों के ऊपर बंदूक तान कर बोला तुम तीनों अपने खैरियत  चाहते  हो तो सूटकेस मेरे हवाले कर दो वर्ना बेमौत मारे जाओगे। तुमने मेरा सूटकेस टिकट चेकर के हवाले कर दिया है। जल्दी से 15 दिन के अंदर-अंदर मेरा सूटकेस इस पते पर मुझे मिल जाना चाहिए वर्ना तुम तीनों में से कोई भी जिंदा नहीं बचेगा।

तीनों थर-थर कांपने  लगे। हम तुम्हें  तुम्हारा सूटकेस लौटा देंगे। आरभ नें वह सूटकेस सीट के नीचे रख लिया था। पुलिस वाले ने उसे देख कर कहा। तुम फिर आ धमके। पुलिस  इन्सपैक्टर उसे पकडने ही वाला था वह फिर से उसे चकमा दे कर भाग गया।

वह अजनबी न जाने कहां गायब हो गया। सूरत स्टेशन आ गया था। अंजली  उन्हें लेने स्टेशन पर आ गई थी। बोली तुम तीनों मेरे साथ चलो। यहां की शादी को देखने का लुफ्त उठाओ। गाड़ी 2 घंटे लेट थी। गाड़ी सूरत पंहुच गई थी। अंजलि के जोर देनें पर वे तीनों  शादी में चले गए। शादी के समारोह में  सब खुशियां मना रहे थे।  उन्होंने देखा कि वह  नकाब पोश जिसका  वह  सूटकेस  था वह आदमी भी शादी में मौजूद था। उसने दुल्हन के पिता के साथ हाथ मिलाया।   अंकित अंजलि से बोला   यह व्यक्ति कौन है? जो तुम्हारी सहेली के पिता से हाथ मिला रहे हैं। यह तो मेरी सहेली  के पिता के खान दोस्त हैं।   अरुण और अंकित को पता चल गया शायद उनकी सहेली के  पिता  भी इस गैन्ग में संलिप्त होंगे। वह जब तक अपनी आंखों से देख कर पता नहीं करेगा तब तक वह किसी पर भी आरोप लगाना ठीक नहीं समझता। अंकित नें अंजलि के साथ मिलना-जुलना शुरू कर दिया।  वह अंजलि के साथ दोस्ती बढ़ा कर पता लगाना चाहता था कि  कौन कौन  व्यक्ति इन गैन्ग के आदमियों के साथ संलिप्त है। अंजलि के कहनें पर वे सूरत में रुक गए थे अंजलि नें उन्हे कहा कि मैं तुम्हे अपनें पति अक्षय से मिलवाती हूं। शायद वह तुम्हे अच्छे ढंग से तुम्हें  गाईड कर दे।

अंजलि ने एक दिन अंकित को अपने पति से मिलवाया। उसके पति एक बहुत ही बड़े व्यापारी थे।  उनसे मिलकर अक्षय बड़ा खुश हुआ। अंजली बोली यह नौकरी की तलाश में यहां पर आए हैं। उसके पति बोले  यह तो बड़ी अच्छी बात है अंजलि के पति उन दोनों को छोड़कर अंदर चले गए थे।वह थोड़े ही समय में अंजलि से घुलमिल  गया था। वह सोचने लगा मुझे अंजली को सब कुछ बताना चाहिए। मैं उससे किसी भी किमत पर झूठ नहीं बोल सकता। तीनों दोस्त वही रुक गए थे।शादी के माहौल में सब लोग इधर उधर आ जा रहे थे। अरुणभी डान्स करनें के लिए तैयार हो गया। अचानक उस की नजर उस शख्स पर पड़ी जो  अपना सूटकेस मांगने आया था।

अरुण नें जल्दी  से  अपने  दोस्तों को इशारे से अलग कमरे में बुलाया। तीनों दोस्त इकट्ठे  अलग कमरे में आ गए। अरुण बोला अभी अभी मैनें उस  नकाबपोश आदमी को यंहा देखा है।हमें पता करना होगा यह वही आदमी है या नही हमें उसके हाथ पर बनें टैटू पर नजर रखनी होगी। हमें उस से सतर्क रहना होगा। उस नें आज तो कान में बाली नही डाली है। आरभ बोला तुम नें सारा शादी का मजा किरकिरा कर दिया बड़ी मुश्किल से शादी में आन्नद लेनें का मौका मिल रहा था। अंकित बोला मैंने भी देख लिया था। मैंने अपनी दोस्त अंजलि से उस इन्सान के बारे में पता कर लिया। यह अंजलि की सहेली के पिता के खान दोस्त है। उनके बेटे से अंजलि की सहेली की शादी हो रही है। हम इस गैन्ग का पर्दाफाश कर के  ही रहेंगे। अच्छा हुआ हम पर किसी की नजर नहीं  पड़ी नही तो वह हमें पहचान जाता। हम तीनों को वेश बदलना होगा। उस पर कड़ी नजर रखनी होगी। अरुण नें कहा मुझे दुल्हन का मेकअप करना अच्छे ढंग से आता है। मैने अंजली भाभी को अपनी सहेली से बातें करते सुन लिया था वह अंजलि को कह रही थी कि मैंने मेकअप करवानें के लिए बेस्ट डिजाइनर को बुला लिया है। वह आती ही होगी। उसका नाम श्वेता है। उसका फोन आया था मुझे लेनें आ जाओ। मै तो जा रहा हूं। मै मेकअप वाली बन कर आ जाऊंगा। उसका कुछ न कुछ बन्दोबस्त करना पड़ेगा इतना कह कर वह बाहर निकल गया

अरुण  जल्दी   से बस स्टॉप पर जा कर श्वेता की तरफ   जा कर बोला। शायद आप किसी को ढूंढ रहीं हैं। वह बोली मैं  पास ही अपनी सहेली  अंजली की दोस्त की  शादी में  उसका मेकअप करनें जा रही हूं। अचानक अरुण बोला मुझे तुम्हारी सहेली  अंजलि नें भेजा है। श्वेता उस के साथ चलने लगी। अरुण नें उसे नींद की गोलियां खिला दी और उसे कुछ सूंघा दिया और बेहोश कर दिया। उसनें  उसे उस की गाड़ी में ही रहने दिया और मेकअप वाली बन कर आ गया।

आरभ नें और अंकित नें औरतों वाली ड्रेस पहन ली और डान्स करने के लिए तैयार हो गए। उनकी नजरें तो खान पर थी। वह कंहा जा रहें है? क्या कर रहें हैं?

दुल्हन की सहेलियाँ उसे मण्डप की ओर ले जा रही थी। जय माला हो चुकी थी। खान अंकल के बेटे कुणाल नें वधु को जयमाला पहना दी।  किरण नें भी जयमाला कुणाल के गले में डाल दी। फेरे भी लगनें वाले थे। कुणाल नें अपनी पत्नी को हीरों का हार पहनाया। सब की नजरें श्वेता के गलें में पहने हीरो के हार पर पड़ी। वह पूरे 25करोड का हार था। सब लोंगो नें तालियाँ बजा कर वर वधू को आशिर्वाद दिया। वर के पिता नें उन दोनों को आशीर्वाद दिया। उन्होने रुपये देनें के लिए पन्डित को बुलाया।  जब वर के पिता नें अपनी जेब से रुपये निकाले तो अरुण  हक्काबका रह गया उस के हाथ में टैटू था। उसे मालूम हो चुका था वह तो वही नकाबपोश है जिस का सूटकेस हमारे पास  था।

सब लोग शादी में व्यस्त हो गए।

अचानक अंजलि के पति को दौड़ कर जाते हुए अंकितनें देखा। अंजलि नेंअपनें पति को आवाज लगाई आप कंहा भागे जा रहे हो? वह भागता हुआ अपनें दोस्त खान को गले लगा कर बोला आप को बधाई हो। आज तो आप बहू वाले हो गए। अंकित और आरभ बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थे। अंकित को मालूम हो गया था अंजलि के पति भी उन से मिले हुए थे। अचानक लाईट चली गई। अंकित नें देखा अंजलि के पति नें मास्क लगा लिया था। उन को अब कोई भी नहीं पहचान रहा था। वह खान के पास जा कर खड़े हो गए। खान उनके पास आ कर बोले आप को किस से मिलना है? उन्हें उन के दोस्त नें भी नहीं पहचाना। अचानक मास्क वाला आदमी मुस्कुराते हुए वह वहाँ से चलते हुए बोला मैं लाईट ठीक करनें वाला हूं। खान नें कहा जल्दी जाओ यहाँ पर क्या कर रहे हो?  मास्क वाले आदमी ने लपक कर दुल्हन के गले से चेन छीन ली। अरुण नें उसे चोरी करते देख लिया था। चोरी करनें के बाद अंजलि के पति नें वह चेन एक गाड़ी की डिक्की में रख दी। अरुण नें गाड़ी का नम्बर देखनें का प्रयास किया। उसे अन्धकार में कुछ नहीं दिखाई दिया। उसनें अपना हैट उतार दिया। और सामान्य स्थिति में आ गया। अचानक लाईट आ चुकी थी।दुल्हन नें अपनें गले की तरफ देखा हार नहीं था। वह जोर जोर से रोनें लगी। हार गायब हो गया था। शादी वाले घर में इधर उधर भगदड़ मच गई थी। सब लोग हैरान थे हार कौन ले कर जा सकता है? दुल्हन के पिता नें पुलिस कर्मियों को फोन कर दिया था। एलान कर दिया था कोई न भागने पाए।

अंजली के पति नें बडी ही होशियारी से वह हार अपनी गाड़ी में छिपा दिया था। उसे और भी खुशी हुई जब उनके दोस्त खान साहब नें उन्हें इस वेश भूषा में नहीं पहचाना। उन्होनें अपनें मन में सोचा आज तो 25करोड की लाटरी लग गई मुझे कौन कहेगा कि मैंनें अपने दोस्त के पेट में छुरा घौपा है। मेरे पर तो किसी को भी शक नहीं होगा। वह चुपचाप हार रख कर शादी के उत्सव में भाग लेनें के लिए चला गया।अरुण के दिमाग में वह सब घटना घूम रही थी। मेरी दोस्त का पति भी खान साहब की तरह ही फरेबी है। कितनी आसानी से उस नें वह हार गाड़ी की डिक्की में डाल दिया। खान को तो  कभी विश्वास नहीं होगा कि उनका दोस्त उसके साथ छल कपट भी कर सकता है

शादी वाले घर में कोहराम मच गया था। सब आपस में बातें कर रहे थे आखिर हार कौन ले जा सकता है? चलो दुल्हन को मेकअप करने के लिए ले जाओ। तब तक पुलिस आती ही होगी। अरुण नें सारी बात अंकित को बता दी कि अंजली के पति ने मास्क पहन कर हार अपनी गाड़ी में डाला है। मुझे रात के समय गाड़ी का नम्बर नहीं दिखा। अंकित बोला मैं बाहर जा कर गाड़ी का पता लगाता हूं। अंकित बाहर औरत के वेश में ही बाहर चला गया। वह गजरा बेचने वाली बन कर आई थी। अंकित खानसाहब और अंजलि के पति के पीछे वाली सीट पर बैठ गया। खान अंजलि के पति से बोले हार कौन ले कर जा सकता है। अंजलि के पति अक्षय बोले  हार कंही नहीं जाएगा। आप नें पुलिस वालों को यूं ही बुलाया। यंहा से कोई भी भाग नहीं सकता।

अंजलि के पति नें अपनी गाड़ी अपनी दुकान के एक ओर खड़ी कर दी थी। उसने सोचा शादी वाले घर में तो सब तलाशी करेंगे। यंहा पर तो किसी को शक नहीं होगा। एक लोहे का सामान बेचनें वालों की दुकान समीप थी। जब वह गाड़ी से उतरा तो वह अरुण से टकराया था। अरुण अपने दिमाग पर जोर दे कर सोचने लगा जब अंजलि के पति ने हार चुराया वहश्वेता के साथ था।  जिस शख्स को उस नें देखा उसके पैर में छः उंगलियां थी। अरुण नें सारी बातें अंकित को बता दी कि अंजलि के पति नें हार अपनी गाड़ी की डिक्की में छिपा कर रखा। जिस शख्स नें हार चोरी किया उस व्यक्ति के पैर में छः ऊंगलियों थी।

उसने उस नवयुवक को लोहे वाले की दुकान पर चाबियां खरीदते देख लिया था।जब वह अपनी गाड़ी के लिए टायर पूछने जा रहा था।

अंकित को जब अंजलि नें पुकारा तुम्हारे जीजा जी तुम्हे पुकार रहें है। वह बोला आया भाभी। अंकित उन के पास जा कर बैठ गया। अंजली बोली डान्स करो। खुब मौजमस्ती करो। अचानक अंकित की नजर अंजलि के पति के पैर पर गई। उसके पैर में मोजा था। अंजलि के पति बोले तुम देवर भाभी मिल कर शादी का लुत्फ उठाओ। अंजलि के पति जैसे ही उठ कर गए अंकित बोला इनमें के पैर में ये मोजा। वह बोली इनके पैर में छः उंगलियाँ है। इस कारण यह हर वक्त अपनें पैर में मोजा पहन कर रखते हैं।

अंकित को मालूम चल गया था कि उस व्यक्ति ने  ही गाड़ी लोहे वाली दुकान के पास रखी थी। अंकित उस दुकान पर गया गाड़ी अभी भी वही थी। उसने गाड़ी की डिक्की को खोलना चाहा डिक्की नहीं खुली। वह लोहे वाले की दुकान पर जा कर बोला  मैं पुलिस इन्सपैक्टर हूं। आप जल्दी से बताओ तीन चार घंटे पहले एक आदमी यंहा गाड़ी की चाबी बनवाने आया था। वह बोला साहब हां उसकी चाबी तो बन गई है मगर वह गाड़ी की असली चाबी यही पर भूल गया।

पुलिस वाला बन कर  बोला अभी अभी एक खूंखार डाकू जेल से भागा हो। उसकी गाड़ी को चैक करना पडेगा। अंकित नें चाबी लेकर गाड़ी की डिक्की को खोल कर देखा उस में उसे वही हार मिल गया। उसने चुपके से हार निकाला और शादी वाले घर में आ गया। पुलिस छान बीन कर रही थी। अंकित  चुपचाप गजरा बेचने वाली बन कर वह हार अरुण जो मेकअप वाली बना हुआ था उसके पास दे दिया। अरुण नें वह हार अपनी साड़ी के ब्लाउज में छिपा लिया।

शादी समाप्त हो गई थी। हार नहीं मिला था।पुलिस वालों ने सारा घर छान मारा मगर किसी के पास हार नहीं मिला। तीनों दोस्त खुशी से फुले नंही समा रहे थे। अंकित नें अपनी दोस्त को बुलाया और कहा अब हमें इजाजत दो। वह बोली आते जाते रहा करो। मैं अपने पति को कह कर तुम्हें काम पर लगवा दूंगी।

अंकित बोला मैनें आप को अपनी भाभी

व दोस्त समझा है मगर मुझे आपकी सहेली के पिता के दोस्त और आप के पति की हरकतें ठीक नहीं लगी। आप  ये क्या कहना चाहते हो? आपकी हिम्मत भी कैसे हुई यह सब  कुछ  कहने की एक तो मैं तुम्हारी सिफारिश अपने पति से कर रही थी कि तुम्हें नौकरी पर रख लें मगर तुम तो हमारे ऊपर कीचड उछाल रहे हो। वह बोला तुम मुझे गल्ती मत  समझना। मैं ऎसा ही हूं। वह बोली मैने तुम्हे बुला कर बहुत बडी़ गल्ती की है। जल्दी से हमारे घर से नौ-दो-ग्यारह हो जाओ।इससे पहले कि एक दोस्त का दूसरे दोस्त पर से विश्वास समाप्त  हो जाए तुम यंहा से चले जाओ।

पुलिस इन्सपैक्टर  के पास जा कर और टिकेटचैकर के पास जा कर  उनको भी  सारी घटना कह सुनाई कि हम नें आप से उस दिन झूठ कहा था कि हम शादी में जा रहें हैं। हम बेरोजगार थे। हमें नौकरी नहीं मिल रही थी। हम ने घर वालों को झूठमूठ बहाना कर के नौकरी की तलाश में निकल गए। हमारे पास फूटी कौड़ी भी नहीं थी। हम चुपचाप अहमदाबाद जानेंवाली गाडी में बैठ गए। अचानक गाडी चलने लगी इतनें में आप दिखाई दिए। मेरा दोस्त कहने लगा हमारे पास तो किराया भी नहीं है। आज तो पिट गए इतने मेरे दोस्त को एक योजना सूझी। हम नें मासूम बन कर आप से झूठमूठ ही कहा था हमारा  सूटकेस चोरी हो गया है। आप को हम पर दया आ गई आप नें हमें कहा कोई बात नहीं जब आप चले गए तो हम जोर जोर से हंसने लगे। डर भी लगता रहा था आगे क्या होगा अचानक आप बैग ले कर आते दिखाई। दिए। हम ने एक मास्

नकाबपोस आदमी को नीचे उतरते देख लिया था। आप ने आ कर कहा तुम्हारा सूटकेस मिल गया है। हमारे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब हम नें देखा कि आप नीली धारी वाला  सूटकेस ले कर हमारे पास  देते हुए बोले यह लो तुम्हारा  सूटकेस। बदमाशों से बडी़ ही मुश्किल से हासिल किया। आप नें हम से पूछा इस  सूटकेस में क्या है? मेरे दोस्त ने झूठमूठ ही कहा इसमें हमारा पर्स और जरुरी दस्तावेज थे। उससूटकेस में सचमुच ही नीली और काली पट्टी दी। आप ने कहा तब तो  यह तुम्हारा है। हम सूटकेस पा कर बहुत ही खुश थे।  वही वह नकाबपोश  आदमी हमें धमकी दे कर गया कि तुम अगर इन्सपैक्टर से सूटकेस ले कर वापिस नहीं लौटाओगे तो तुम देखना तुम्हारी क्या हालत  करेंगे। आपने हमें सुरत तक जानें की इजाजतदे दी जब हम नें कहा कि इस सूटकेस में से पर्स गायब हो गया है।  आप नें कहा हम कुछ नहीं कर सकते तुम्हे उतरने ही पडेगा। हम नें आप से कहा हमारी दोस्त सूरत में रहती है हम उस से रुपयों का इन्तजाम कर लेंगें।आप नें कहा अगला स्टेशन सूरत आएगा तुम को वहीं उतरना पड़ेगा। आप अगले डिब्बे में चले गए। रास्ते में वही नकाबपोश हमें धमकी दे कर चले गते कि तुमनें हमारा सूटकेस वापिस नंहीं किया तो हम तुम्हारा क्या हाल करेंगें। इतनें में आप आते दिखाई दिए। वह चलती गाड़ी से नीचे कुद गए।

हमारी दोस्त हमें अपनी सहेली की शादी में ले गई। वहां पर भी  हमारा सामना उन नकाबपोश वाले व्यक्ति यों से हुआ। हम नें अपनी वेशभूषा बदल ली। वह हमें पहचान नहीं सके। सारी की सारी कहानी सुना दी।पुलिस इन्सपैक्टर बोले हमें एक हीरे का हार चोरी करनें वाले की तलाश थी। एक व्यापारी के घर से नकाबपोशों नें वह हार चुरा लिया। उस हीरो के हार को पकडवानें वाले को उसके व्यापारी नें दस लाख रुपये देनें की घोषणा की है। अरुण बोला एक हीरे का हार उस नकाबपोशों व्यक्ति नें अपनी बहू को शादी में पहनाया था। उस हार को देख कर सब लोंगों की आंखें फटी की फटी  रह गई शादी में वह हार एक अन्य व्यक्ति नें चुरा कर अपनी गाड़ी की डिक्की में रख लिया। मुझे तो वह दोनों व्यक्ति खूंखार लगतें हैं। अरुण ने शुरू से ले कर अन्त तक जो कुछ उन के साथ घटा था सारा किस्सा पुलिस्इन्सपैक्टर को सुना  दिया। पुलिस इन्सपैक्टर को यह भी बताया उसने जो कुछ अपनी डायरी में लिखा था उसकी फोटोकॉपी कर ली थी।

जिस शादी में गए थे उन की लड़की के साथ रिश्ता कर के वह नकाबपोश आदमी और ही योजना को अंजाम दे रहे थे। उन्होंने जैसे ही 25करोड के हीरे का हार अपनी होने वाली बहू के गले में डाला सब के सब शादी में आए हुए व्यक्ति उन दुल्हा दुल्हन को ही देखते रहे। अचानक लाईट चली गईं और उस नकाबपोश के दोस्त नें मेरी दोस्त अंजलि के पति नें चुपके से वह हार  चुरा कर अपनी डिक्की में रखकर अपनें दोस्त को भी मात दे दी। मैने सारी बात अंजली से कही मगर वह बोली तुम मेरे ही घर आ कर मेरे पति को चोर  ठहरा रहे हो। निकल जाओ। मैने उस की गाडी की डिक्की से हार निकाला और ले आया। पुलिस इन्सपैक्टर उन की बहादुरी की प्रशंसा करते हुए कहने लगे तुम ने अच्छा किया जो यंहा चले आए आगे मैं तुम्हे  समझाता हूंक्या करना है? तुम उसका  सूटकेस  ले जा कर खान को कहो ये लो अपना सूटकेस। तुम कहना मै तुम्हारे हार चोरी करने वाले को जानता हू। आप को मेरे साथ चल कर देखना होगा। वह नकावपोश आदमी तुम्हारे साथ चल कर अपने दोस्त की गाडी में  हार देखेगा तो वह अक्षय को बुराभला कहेगा। अंकित नें आकर खान को कहा ये लो अपना सूटकेस। उस नकाबपोश ने उसे 50,000रुपये दे दिए। उसे उसकी डायरी मिल गई थी। अंकित नें कहा कि वह तुम्हारी बहू के हार चोरी करनें वाले को जानता है। खान अंकित के साथ चलने के लिए तैयार हो गया।अंकित नें अरुण से हार ले कर रात को ही फिर से अक्षय की गाड़ी में रखवा दिया था।

सचमुच ही हार अक्षय की गाड़ी में था।

पुलिस ने मौके पर पंहूंच कर उस नकाबपोश और उस के साथ इस काम में संलिप्त व्यक्तियों को पकड़ कर जेल में डाल दिया। अंजलि के पति नें कबूल किया कि उस नें विदेशों से माल चोरी कर हीरे भारत देश में भेजे जाते थे। हीरे माचिस की डिब्बियों में भर कर सप्लाई किए जाते थे। उन तीनो दोस्तो की मदद से इतने बडे गैन्ग के अड्डे का पर्दाफाश हुआ।

पुलिस ने उन नकाबपोश व्यक्ति यों को पकड़ कर जेल में डाल दिया। पुलिस नें उस डायरी की मदद से सारी जगहों पर छापे डाले जिन जगहों का हवाला उसनें अपनी डायरी में लिखा था।

अंजली  अंकित से बोली मैनें तुम्हें बुरा भला कहा मुझे माफ कर देना।

उन्होंने  वह हार एक व्यापारी की दुकान से चोरी किया था। वह व्यापारी बहुत ही अमीर था। उसनें पुलिस वालों को सुचना दी थी कि जो कोई भी उस हार को ढूंढने कर लाएगा उसे दस लाख रुपये दिए जाएंगे। तीनों दोस्तों नें जब पुलिस इन्सपैक्टर को सारी कहानी सुनाई तो वे बहुत ही खुश हुए उन्होने कहा कि अगर तुम उन नकाबपोशों तक हमें पहुचाओगे और हार प्राप्त कर लाओगे तो तुम्हें दस लाख रुपये दिए जाएंगे। अपनें वायदे के मुताबिक उन तीनों दोस्तों को दस लाख दिलवा दिए और उन नकाबपोशों को सजा। दिलवाई। खुशी खुशी अपनें घर वापिस आ कर  उन्होंनें अपना कारोबार संभाला।

रहस्यमयी गुफा भाग(4)

गोलू ने अपने दोस्त को कहा कि वह काला नकाबपोश आदमी राजा का पता करता हुआ राजा के महल की ओर गया है। भोलू बोला कि तुम पता लगाकर आओ कि वो राजा के महल में जाकर क्या करता है? तुम वहीँ मेरा इंतजार करना मैं अपने माता पिता को जल्दी ही राजा के महल में ले कर आता हूं। गोलू राजा के पास जा रहा था तो उसने नक़ाबपोश  को राजा के महल की ओर जाते देखा। नाकाबपोश ने एक बूढ़े व्यक्ति का भेष धारण कर लिया। राजा के महल मे पहरेदारों ने उस वृद्ध से वहां आने का कारण पूछा। तब उस व्यक्ति ने कहा कि मैं बड़ी दूर से आया हूं। आज रात यहां पर विश्राम करना चाहता हूं। पहरेदार ने संदेश राजा के मंत्री को पहुँचाया। मंत्री को उस पर दया आ गई। उसने कहा कि ठीक है आने वाले मेहमानों का स्वागत  है। आपका हमारे महल में स्वागत है। मैं राजा को सूचना दे कर आता हूं। राजा उस समय विश्राम कर रहे थे।राजा का मंत्री उसे अंदर लेकर गया। उसने उस व्यक्ति के ठहराने का प्रबंध कर दिया।  मंत्री ने पूछा कि आप कहां से आए हैं आप कहां रहते हैं? उस वृद्ध ने बताया कि वह भी एक राज्य का मन्त्री है। जंगल से गुज़रते हुए रास्ता भटक गया और यहां पर पहुंच गया। हमारा राज्य यहां से  100 किलोमीटर की दूरी पर  पहाड़ की तराई पर है वहां पर मैं अपनी पत्नी के साथ राजा के महल में रहता हूं। वृद्ध व्यक्ति ने राजा के बारे में थोड़ी जानकारी ले ली थी।

राजा जागा तो मंत्री ने  सारा  हाल राजा से कह सुनाया कि  एक  वृद्ध व्यक्ति  चलते चलते अपने मार्ग से भटक  गये थे। वे सुनसान रास्ते पर चलते जा रहे थे। । उन्हें मार्ग ही नहीं सूझ रहा था। इसलिए आज रात ये हमारे अतिथि हैं। राजा ने कहा ठीक है  हर मेहमान का हमारे घर में स्वागत है।

गोलू नें उस नकापोश को महल में घुसते देख लिया था । उस नकाबपोश वाले मंत्री नें एक साधारण वृद्ध का भेष धारण कर लिया था। भोलू नें माला के दो मोती  अपनें दोस्त गोलू को दिए थे। मोती की माला उसने अपने गले में पहन ली। उस की मदद से उसने मन्त्री और उस व्यक्ति की सारी  बातें सुन ली थी। उसे याद आया कि उस के पास उस दुष्ट दानव के बाल भी थे।जैसे ही  गोलू नें उन्हें हाथ में लिया एक बौना प्रकट हुआ और बोला के मैं  तुम्हारी क्या   सेवा कर सकता हूं? गोलू बोला तुम मुझे शिकारी की वेश भूषा दिलवा दो। उस  बौनें नें गोलू को शिकारी की वेषभूषा पहना दी और उस के बाल भी शिकारी जैसे बना दिए।

राजा ने देखा कि एक शिकारी उस के महल में हाथ में  भाला लिए आ रहा था। गोलू ने राजा को देखकर शिकारी का भेष धारण कर लिया था।। शिकारी बोला क्या आज रात को मैं आपका मेहमान बन सकता हूं। राजा बोला क्यों नहीं?  महल में आप का स्वागत है। शिकारी अपना परिचय देने के उपरान्त उस वृद्ध व्यक्ति के साथ बैठ गया। वृद्ध ने शिकारी को घूर कर देखा। भोलू ने देखा कि वह  आदमी राजा से बात करने  के  इंतजार में बैठा  था।  वृद्ध व्यक्ति राजा से बोला क्या कभी आप शिकार पर गए हो? राजा बोला कि हां मैं एक  एक बार जंगल में  एक विचित्र  गुफामें फँस गया था। वृद्ध बोला फिर क्या हुआ? राजा आगे कहने ही जा रहा था की तभी  शिकारी नें  राजा को कहा कि राजा जी क्या अकेले में आप मेरी बात सुन सकते हैं? मैं आपके पास एक विनती लेकर आया हूं। मैं इस व्यक्ति के सामने अभी कुछ नहीं कह सकता हूँ। राजा बोला ठीक है। राजा ने उन वृद्ध मेहमान को कहा कि आप महल में जाकर आराम कीजिए। आप के लिए कमरे का इन्तज़ाम कर दिया गया है। वृद्ध के जाने के बाद गोलू बोला राजा जी आप  मुझे नहीं पहचानते क्या? राजा बोला कि मैं तुम्हें कैसे पहचान  सकता हूं? यहां जो व्यक्ति आपके पास आया है वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है। जादूगर ने आप का पता करवाने के लिए उसे यहां भेजा है। आप इस आदमी से बच कर रहना। आपने अपना सारा किस्सा उस उस व्यक्ति को सुना दिया। वह आप से पूछना चाहता था कि आपने वह माला कहां रखी है?  तुम्हें माला के बारे में कैसे पता चला राजा बोला। मैं ही आपके दोस्त भोलू का दोस्त गोलू हूं। मुझे यहां पर आने के लिए शिकारी का वेश धारण करना पड़ा। आपका दोस्त भोलू भी आपसे मिलने के लिए कल यहां पर आएगा।

मैंने उस दुष्ट जादूगर को यह कहते सुना कि हम सामान्य व्यक्ति का वेश धारण कर राजा के महल में जाएंगे। उससे मोतियों की माला प्राप्त कर लेंगे। गोलू को देखकर राजा बड़ा प्रसन्न हुआ। दूसरे दिन  वह वृद्ध व्यक्ति राजा को धन्यवाद कह कर चला गया।

अगले दिन भोलू अपने माता-पिता को ले कर राजा के महल में आया। भोलू को देख कर राजा बड़ा खुश हुआ। मैनें ही अपनें दोस्त को कल आप की सहयता के लिए उसे यहां भेजा था। आप को किसी भी अनजान से बच कर रहना चाहिए। वह आप को हानि पहुंचा सकता है।  मैं उस दिन आप से अलविदा ले कर  आ ही रहा था तो मैने उस महल में जाने के लिए वह मोतियों की माला पहन ली थी। रास्ते में मुझे अचानक वह नकाबपोश और वह दुष्ट जादूगर दिखाई दिए। वह चुप चाप एक महल में चले गए । मेने उनका पीछा किया तो पता चला कि आप से मोतियों की माला चुरा के वो आप का राज्य हत्याने का षड्यंत्र रचा रहे थे। तभी मेने आप को सावधान करने के लिए गोलू को आप के पास भेजा। राजा नें भोलू का धन्यवाद किया और कहा एक बार फिर तुमनें मेरी सहायता की है मैं तुम्हारा उपहार कभी नहीं भूल सकता।

भोलू अपनें माता पिता को राजा के पास छोड़ कर छड़ी प्राप्त करनें के लिए निकल गया।

राजा एक दिन शिकार खेलने के लिए जंगल चला गया।  चलते चलते बहुत दूर पहुंच गया था। रास्ता भटक गया।  उस गुफा के पास ही पहुंच गया था।  दुष्ट जादूगर ने उसे आते हुए देख लिया था। उसने अपने मन में सोचा कि इस से पहले  राजा को पता चल जाए कि वह वही गुफा है  जहां पर उसे जादू के मोतियों की माला मिली थी। क्यों न जादू के बल से  इस पर एक सुन्दर सा महल बना देता हूं?  जादूगर के मंत्री ने अपने जादू के बल से वहां एक सुंदर सा महल बना दिया। जगह-जगह तालाब झरने उसमें इतना सुंदर महल बना दिया। राजा ने इतना सुंदर महल देखकर सोचा अंदर जाकर पता करता हूं कि यहां कौन रहता है? वही  बूढा  मंत्री राजा को दिखाई दिया। राजा का मंत्री बोला यहां पर मैं और मेरी पत्नी रहते हैं। राजा जी कुछ दिनों के लिए अपने भाई के पास गए हैं। राजा की उन दोनों पति पत्नी ने बहुत खातिरदारी की। नाना प्रकार के पकवान बना कर खिलाए।

राजा  सोचने लगा यह तो बूढा मन्त्री है। वह तो जादूगर नहीं हो सकता। उस से पता करता हूं कि तुम इस जंगल में अकेले यहां क्यों रहते हो? राजा उस बूढे मन्त्री से बोला आप यहां अकेले क्यों रहते हो। वह बूढा मन्त्री बोला मेरा भी एक सुन्दर महल था। मेरे पास सब कुछ था। मेरे अपनों नें ही मुझे धोखा दिया। खास कर मित्रों नें। उन्होनें मेरा सब कुछ छिन लिया। राजा जी को मुझ पर दया आई उन्होंनें मुझे और मेरी पत्नी को आश्रय दिया। वे मुझे अपनें घर के एक सदस्य की तरह समझते हैं।  राजा सोचने लगा कि यह कोई जादूगर नहीं हो सकता। यह मंत्री  तो कितना समझदार है।? राजा का विश्वास जीतने में सफल हो गया था। उसने बूढ़े मंत्री को कहा कि आप दोनों भी मेरे महल में आते जाते रहा करो।

एक दिन वह दोनों राजा के महल में कुछ दिन बिताने के लिए आ गए थे। राजा भी उनकी खूब खातिरदारी करने लगा। एक दिन गोलू ने उनको देखा। उसे पता चल गया था कि वह कोई राजा का मंत्री नहीं है। वह  तो उस दुष्ट जादूगर का मंत्री है। वही नकाबपोश  व्यक्ति है। यह राजा की जादू की माला का पता करने आया है।

एक दिन गोलू ने देखा कि उस मंत्री ने अपने भाई और भाभी को भी राजा के महल में बुला लिया था। वह तो दुष्ट जादूगर था जो राजा के महल में घूम रहा था।  उस दुष्ट जादूगर की नजर भोलू के पिता पर पड़ी। वह उसको पहचान गया। वह उसके पास जाकर बोला तुम यहां कैसे? तुम्हें इतना ढूंढा मगर तुम नहीं मिले। मैं तुम्हारा ही पता करते हुए यहां तक आया हूं। आज अच्छा मौका है। तुम मिल ही गए। तुम जल्दी बताओ कि मेरे जादू का जूता कहां है?

उस दिन तुम मेरी जादू की छड़ी के  प्रकोप से बच गए लेकिन आज मेरे  कहर से तुम्हें कौन बचाएगा? गोलू के पिता को  जोर जोर से झंझोडते हुए बोला जल्दी बताओ मेरा  जादू का जूता कंहा है।

वह कुछ नहीं बोला।  नकाबपोश  व्यक्ति जिसने बूढ़े मंत्री का भेष धारण किया हुआ था दुष्ट जादूगर  को बोला कि आप के भाई और भाभी कुछ दिनों के लिए आपके पास गए थे। मुझे अपने महल में तैनात करके गए। आज भी मैं आपको यहां सैर कराने ले आया। आपको तो पता ही होगा कि जो जादू के मोतियों की माला राजा  आप के भाई से छीन कर  लाए हैं हम उन राजा के ही महल में आ गए हैं। यही वह राजा का महल है जिन्होंने उनकी मोतियों की माला छीनी है। मैं भी राजा से मोती की माला का पता करने आया था। दुष्ट जादूगर  बोला  भाई और भाभी  तब तक मेरे ही महल में रहेंगें  है जब तक  उनके  वह मोतियों की माला नहीं मिलती।  वह माला उन्हें नहीं मिली तो उनकी शक्तियां क्षीण हो जाएगी। मैं तो ऐसे ही घूमने के लिए यहां आ गया था क्योंकि मेरा भी जादू का जूता एक आदमी के साथ लड़ते हुए नीचे गिर गया था। मैं अपना जादू का जूता प्राप्त करना चाहता हूं। लेकिन आज वह आदमी मुझे मिल गया है। वह आदमी हमेशा पहाड़ की तराई में हमेशा आता रहता था। एक दिन भंयकर तुफान में मेरा सामना उस से हुआ। वहां पर  वह बाज नहीं आए होते तो मैं इस आदमी को वहीं ढेर कर देता। लड़ाई करते करते मेरा जादू का जूता मेरे हाथ से गिर पड़ा। वह व्यक्ति इसी महल में है। बूढ़ा मंत्री जिसने नकाब पहना था वह बोला वह कौन है? दुष्ट जादूगर बोला मैं उससे पूछ रहा था कि तुमने वह जादू का जूता कहां डाला? लेकिन वह कुछ नहीं बोला। दुष्ट जादूगर  नें  भोलू के पिता की तरफ इशारा करते हुए कहा यह है वह व्यक्ति। गोलू यह सब कुछ देख रहा था।  उसको पता चल गया था कि वही दुष्ट जादूगर है जिसके पास जादू की छड़ी है। जिसने भोलू के पिता पर जादू की छड़ी का प्रहार किया था। उनके बोलने की शक्ति जाती रही। गोलू यह सब सुन रहा था।

तभी राजा सामने आकर बोला कि आपको हमारा महल कैसा लगा? दुष्ट जादूगर बोला यहां आ कर मन खुश हो गया। यहां पर आने की बडी़ तमन्ना थी। दुष्ट जादूगर राजा को बोला यह बुढे इंसान कौन है? वह बोलते क्यों नहीं है? शायद इन के बोलने की शक्ति चली गई है। राजा बोला यह मेरे मित्र भोलू के पिता हैं। किसी दूष्ट जादूगर  की छड़ी के प्रहार से इन के बोलनें की शक्ति जाती रही। । उनके बोलने की शक्ति तो  तब वापिस आएगी जब वो जादू की छड़ी प्राप्त करके  भोलू यहां पर ले आएगा।

गोलू राजा के पास चुपके से आकर बोला  ये वही राजा जादूगर का भाई है जिसने भोलू के माथे पर जादू की छड़ी का प्रहार किया था। इनसे बचकर रहना चाहिए। राजा को पता चल गया था कि वह दुष्ट जादूगर का भाई है जिसकी मोतियों की माला भोलू के पास है।।  भोलू  तो जादू की छड़ी प्राप्त करनें के लिए निकल गया है। वह दुष्ट जादूगर  राजा के महल में भी पहुंच गया। राजा गोलू को बोला कि अब क्या करें? इन से कैसे अपनें  आप को बचाया जाए। कुछ उपाय सोचतें हैं।

दुष्ट राजा के नंत्री ने गोलू और राजा की  सारी बातें सुन ली थी। उसने अपने राजा के साथ मिल कर षड्यंत्र से राजा को बंदी बना लिया और  कहा कि तुमने अगर मोतियों की माला के बारे में हमें नहीं बताया तो हम तुम्हें मार देंगे। गोलू चुपके से वहां से भागने में सफल हो गया। गोलू  ने सोचा के भोलू को सब बता देना चाहिए। उसने सोचा कि  वह ज्यादा दूर नहीं गया होगा। गोलू नें उस बौने को कहा कि मुझे जल्दी से भोलू के पास पहुंचा दो। उस बौने नें गोलू को कहा कि तुम्हारा दोस्त सात समुद्रों को पार करना चाहता है। लेकिन अभी वह पहला समुद्र भी पार नहीं कर पाया है। अचानक उस बौनें नें गोलू को भोलू के पास पहुंचा दिया। बौना उस को वहां पर छोड़ कर अदृश्य हो गया। भोलू अपनें दोस्त को आता देख कर परेशान हो गया। कुछ न कुछ गडबड़ तो अवश्य है। भोलू बोला तुम यहां कैसे। भोलू नें गोलू को सारी कहानी सुना दी कि किस तरह उस जादूगर   नें राजा को अपनें काबू में कर लिया। जिस दुष्ट जादूगर का जूता तुम्हारे पिता को मिला था वह दुष्ट जादूगर  यहां राजा के दरबार में आ गया था। वहां पर तुम्हारे पिता को पूछनें लगा मेरा जादू का जूता कहां है? उसनें राजा को भी बन्दी बना लिया है। तुम्हारे माता पिता को भी उस दुष्ट जादूगर नें बन्दी  बना लिया है। भोलू यह सुन कर चिन्ता में पड़ गया। वह सोचने लगा कि अपने माता पिता को उस जादूगर से कैसे छूडाऊं। मैं अपनें माता पिता को  और राजा को अवश्य ही छुड़ा कर रहूंगा। अपने जान की बाजी ही क्यों न लगानी पड़े मैं उन्हें जल्दी ही जादूगर की कैद से मुक्त करवाऊंगा।  शेष अगले अंक में
मीना

                                      

चिन्टू का कमरा

किसी पहाड़ी की तलहटी पर एक छोटा सा गांव था। उसमें बिहारी बाबू अपनी पत्नी  निर्मला और दो बच्चों के साथ रहते थे। बीनू बड़ी थी और चीनू छोटा था। चीनू छोटा होने के कारण घर में सबका लाडला था। मां बाप ने उसको इस कदर बिगाड़ दिया था कि वह हर काम को करने में देर लगाता था। जब तक उसके मम्मी-पापा बार बार आवाज लगाकर उसे बुलाते नहीं थे तब तक वह किसी की भी नहीं सुनता था। वह कभी भी खाना खाने की मेज पर नहीं आता। बीनू एकदम गंभीर शांत और चीनू नटखट  स्वभाव वाला। उसकी मां उसे समझाती कि बेटा तुम अब आठ साल के हो चुके हो  कब तक कहना नहीं माना करोगे मगर उसको लगता कि मां-बाप उसे बेवजह डांट रहे हैं। वह खाने को नीचे फैेंक देता और जल भून कर बाहर चला जाता।  उसे जब तक मनाया नहीं जाता वह खाना भी नहीं खाता था। बीनू भी अपने मम्मी-पापा को कहती मां स्कूल जाते हुए भी यह मुझे बहुत ही तंग करता है। एक दिन तो चिन्टू नें घर आते समय इतनी तेज दौड़ लगाई बेचारी वीनू दौड़ दौड़ कर परेशान हो गई।

उसकी बहन नें घर आकर अपनी मां को कहा मां आप अपने लाड़ले को समझाते क्यों नहीं? वह तो मुझे भी बहुत तंग करता है। वह अब उसकी कोई भी बात नहीं मानेगी। आपको इसको समझाना होगा। मैं इसे स्कूल नहीं लेकर जाया करूंगी। उसकी मां बीनू को डांटते हुए बोली तुम्हारे एक ही तो भाई है। तुम इसके बारे में ऐसा क्यों सोचती  हो? वह बोली मां यह मेरा भाई है इसका भला मैं भी चाहती हूं।  मां बाबूजी आप दोनों को इसके साथ सख्ती से पेश आना होगा। उसके पापा बोले बीनू ठीक ही कहती है। उसकी मां बोली जब यह शरारत करे तो आपको इसको डांटना होगा नहीं तो बड़ा होकर इस को सुधारना मुश्किल हो जाएगा।

एक दिन उसकी मौसी उसके घर पर आई थी। उसकी मौसी उसे बुलाते बुलाते थक गई मगर वह नहीं आया। स्कूल से  आते हीअपना बस्ता एक ओर फैंका और अपने कपड़े  भी कुर्सी पर फेंके अपना खेल का बैट जोर से इस तरह पटका  वह टूटते टूटते बचा। उसनें अपना बस्ता भी  जोर से घुमा कर फैंका। बस्ते की जीप का मुंह खुला हुआ था। कुछ किताबें सोफे के नीचे गिरी, कोई  कहीं, कोई कहीं। उस की मां ने  उसे बुलाया तो  उसनें आने में बहुत देर कर दी। उसनें अपनी मां को ऐसे देखा जैसे उसनें उसे बुलाकर कोई गुनाह किया हो। खाने की प्लेट को जल्दी से टेबल पर रखा। खाने का एक कौर मुंह में लेकर बोला यह क्या बनाया है? खाने की थाली को नीचे गिरा दिया। वह जोर से चिल्ला कर बोला हर रोज भिंडी बना देती हो। उसकी मां उसे प्यार करते हुए बोली बेटा आज खा ले, कल से तेरी मनपसंद की सब्जी बनाया करूंगी। बड़ी मुश्किल से उसे खाना खाने के लिए मनाया। बीनू यह सब देख रही थी। उसे गुस्सा आ रहा था मां मुझे तो ऐसे कभी नहीं मनाती। छोटा है तो क्या हुआ?  इसको कहते कि नहीं खाना है तो मत खा, तुझे आज खाना नहीं मिलेगा। मेरे बस में होता तो मैं उसे खाना ही नहीं देती। कामकाज कुछ करता नहीं है। सब की नाक में दम कर रखा है। उसकी मौसी आभा सब कुछ देख रही थी। वह दौड़ी दौड़ी आई और निर्मला को बोली बीनू ठीक ही कहती है।  उसको बिगाड़ने में आप लोगों का ही हाथ है। जब यह कोई चीज मांगता है तो तुरंत हाजिर कर देते हो। आपको इसे काम करना तो सिखाना ही चाहिए। ज्यादा लाड प्यार करना ठीक नहीं होता। जब कभी खाने की थाली गिराए तो किसी को भी इस को मनाना नहीं चाहिए। इसको हर काम को अपने आप करने की आदत डालनी चाहिए। जब भी यह चीजें इधर-उधर पटके इसके साथ बातें मत कीजिए। एक दिन गुस्सा करेगा। दो दिन  गुस्सा करेगा कब तक करेगा? कोई भी उसके साथ घर में बात ना करें। और मनाओ भी मत। मनानें से और पिटाई करनें से तो वह ढीठ बन जाएगा। उसकी मां ने खाना मेज पर लगा दिया।

चींटू के स्कूल में जब उसकी मम्मी निर्मला गई तो उसकी कक्षा अध्यापिका बोली आपका बच्चा बहुत ही शरारती है। वहीं। कभी भी एक स्थान पर टिक कर नहीं बैठता है। हर  दस मिनट बाद अपनी बहन से कभी कापी कभी पेंसिल कभी पैन लेने आ जाता है। उसे भी कक्षा में डिस्टर्ब करता है। कभी कोई कॉपी लाता है, कभी कोई कॉपी। कभी भी उसके पास किताबे नहीं होती कभी पेंसिल नहीं होती। आप कैसे अभिभावक हैं? आप अपने बच्चे के बैग को चैक करके दिया करो।

यह सब बातें सुनकर निर्मला को बहुत ही बुरा लगा। वह जैसे ही घर आई बहुत ही उदास थी उसकी बहन बोली की क्या बात है? तुम इतनी उदास क्यों हो?  आज चिन्टू के स्कूल गई। स्कूल के अध्यापकों ने भी चिंटू की शिकायत की। स्कूल को कॉपी नहीं ले जाता। कल से उसके बस्ते को चेक कर दिया करुंगी। उसकी बहन आभा बोली न बहना ऐसा मत करना। उसे अपना काम स्वयं करने की आदत डालो। स्कूल में उसकी पिटाई होगी तो होने दो।। तुम उसे कुछ मत कहना।

एक दिन निर्मला की सहेलियां उसके घर पर आई थी। चिंटू ने एक पैर का जूता सोफे पर, एक नीचे, कॉपी इधर उधर फैंकी हुई थी। जब उसकी सहेलियाँ घर में आई तो अपने कमरे की हालत देखकर निर्मला को रोना आ रहा था उसकी सहेलियों ने तो उसे कुछ कहा नहीं परंतु वे आपस में एक दूसरे से बातें कर रही थी। चिन्टू की ममी उनसे कहने लगी हर रोज मैं कमरे की सेटिंग करती हूं।  चिंटू कोई ना कोई चीज इधर उधर फैंक देता है। उसकी मौसी बोली एक छोटा सा कमरा चिंटू को दे दो। वह अपने कमरे को कैसे रखें यह उसकी मर्जी है। निर्मला नें एक दिन स्टोर रूम खाली कर दिया। स्टोर वाला कमरा चिंटू को दे दिया। चिंटू नया कमरा पाकर बहुत ही खुश हो गया। जल्दी से स्कूल से आया उसने जूते एक और फैंक डाले।  उसकी  अपने बिस्तर पर किताबे इधर उधर पड़ी थी। उनको वंहा से उसनें नहीं उठाया और दौड़ कर बाहर की भाग गया उसकी मां कमरे में आई तो कमरे की हालत देखकर उसे क्रोध भी आया। आभा बोली कि आप इसे कुछ नहीं कहेंगी। उसे करने दो जो  वह करता है। जब उसकी कोई वस्तु नहीं मिलेगी तो आप उसे ढूंढ कर मत देना। उससे कोई बात भी नहीं करना। थाली फैंक कर जाता है तो  देना आप उसे पटकने देना। जब तक वह खुद खाना  नहीं मांगे तब तक उसे खाना देना मत। धीरे-धीरे वह खुद ही समझ जाएगा।

तीन दिन बाद उसकी परीक्षा थी। स्कूल से घर आया तो वह अपने  बैग में अंग्रेजी की पुस्तक खोजनें लगा। उस की अंग्रेजी की कॉपी भी नहीं मिल रही थी और न ही किताब। उसने बीनू को बुलाया।  मेरी कॉपी ढूंढ दो। बीनू बोली मैंने  तुम्हारी अंग्रेजी की कापी ढूंढने का ठेका नहीं ले रखा है। खुद ढूंढ ले। वह चुपचाप अपनें कैमरे में आ गया और भूल गया कि उसका कल पेपर है। वह जल्दी जल्दी खेलने बाहर  चला गया।

शाम को जब  खेल करआया तो  उसे अचानक याद आया कल तो उसकी अंग्रेजी की परीक्षा है। अंग्रेजी की कॉपी सारे ढूंढ निकाली मगर नहीं मिली। उसकी मां ने भी उसकी कॉपी ढूंढने में उसकी मदद नहीं की। वह तीन बार अपनी मां के पास आया। मां मैं इस बार फेल हो जाऊंगा। मेरी कॉपी ढूंढने में मेरी मदद करो। सारा घर छान मारा मगर  उसकी अंग्रेजी की किताब  और कॉपी नहीं मिली। बिना पढ़े ही वह स्कूल चला गया। किसी  के साथ बात नहीं की। खाने को भी मेज पर गुस्से के कारण पटका और खाना भी नहीं खाया। उसकी मां को बहुत ही दुःख हुआ। उसने अपने दुःख को अंदर ही अंदर रखा। वह अपनें मन में सोचने लगी जो कुछ भी होगा  उसे अब अपने ऊपर काबू रखना होगा। सब उसे ही कहते हैं कि उसनें चिंटू को बिगाड़ दिया है। कोई बात नहीं इस बार फेल हो जाएगा कोई बात नहीं। इस बार उसको सुधार कर ही दम लूंगी। इसके कमरे की हालत तो खस्ता है। मैं उसके कमरे को भी ठीक नहीं करूंगी।

चिंटू घर वापिस आया तो चुपचाप एकदम अपने कमरे में गया उसने अपना बैट इतनी जोर से फेंका कि वह जाकर सोफे के पीछे जा लगा। उसकी मां ने उसे खाना खाने भी नहीं बुलाया। वह चुपचाप था। उसने सुबह से कुछ नहीं खाया था। उसके पेट में चूहे भी कूद रहे थे। वह  जल्दी  ही उठ कर खाने की मेज पर चला गया बोला खाना लाओ। उसनें खाना खाया किसी से कुछ नहीं बोला और चुपचाप खेलने चला गया।

तीसरे दिन उसका स्कूल में क्रिकेट का मैच था वह अपना बैट ढूंढता रहा। सब जगह ढूंढ निकाला परंतु उसे बैट नहीं मिला। वह रोते-रोते अपनें पापा के पास गया बोला पापा ना जाने मेरा बैट कहां गिर गया। कल मेरा मैच है मुझे दूसरा बैट लाकर दे दो। उसके पिता बोले बेटा मैं तुझे ना जाने कितने बैट लेकर आया। मैं अब तुम्हारी चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आने वाला। मक्खन केवल अपने मां को ही लगाना। वही ही तुम्हें मनाएगी। वह मां के पास जाकर बोला मां मेरा बैट ढूंढने में मेरी मदद कर दो। आगे से मैं कभी भी चीजों को इधर-उधर नहीं फेंका करुंगा। उसकी मां बोली कि मैं बाजार जा रही हूं। मुझे बहुत ही जरूरी काम है। वह अपनी बहन के पास जाकर बोला मेरी प्यारी बहन मेरा बैट ढूंडवानें में मेरी मदद कर दे। वह बोली मैं तुम्हारी  चिकनी चुपडी बातों में नहीं आने वाली। तुम्हें अपना काम खुद करना चाहिए। जो बच्चे आलसी होते हैं उनकी मदद तो भगवान भी नहीं करते।  तुम अगर अच्छे बच्चे बनना चाहते हो तो एक बात गांठ बांध लो। अपना सामान एक जगह पर  रखना सीखो।  जो व्यक्ति अपना सामान ठीक ढंग से ठीक जगह पर नहीं रखता  उसकी मदद  तो कोई भी नहीं करता। तुम जिस दिन अपनी चीजें ठीक ढंग से रखना सीख जाओगे उस दिन से तुम एक अच्छे बच्चे बन जाओगे। वह चुपचाप अपने कमरे में आ गया। वह बिस्तर पर अपने जूतों के साथ ही चढ़ गया और सोचने लगा कि उसका बैट कहां गया होगा? वह कहीं  बाहर तो नहीं भूल गया। अच्छा बिट्टू के घर जाकर उसका बैट ले  कर आता हूं। वह जल्दी जल्दी बिट्टू के घर पर जाकर अपनें दोस्त से बोला। बिट्टू कल के लिए मुझे अपना बै दे दे। कल मेरा मैच है

बिट्टू बोला नहीं मैं तुझे अपना बैट नहीं दे सकता।  तूने अगर   मेरा बैट तोड़ दिया तो मुझे तो कोई भी दूसरा बैट लेकर नहीं आएगा। मेरे माता पिता तुम्हारे पिता माता पिता की तरह अमीर आदमी नहीं है। बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी गुल्लक के पैसों को  जोड़ जोड़ कर यह बैट लिया है।

चिंटू को रोना आ रहा था। वह मन ही मन में बोला। अपने आप को क्या समझता है? नहीं देना है तो मत दे। निराश होकर चिंटू घर लौट आया। उसने खाना भी नहीं खाया। कमरे में आते ही बिस्तर पर लेट गया। उस जल्दी हीे नींद आ गई। स्वपन में उसे एक परी दिखाई दी। वह बोलीआज तुम्हें पता चला।  अपने बैट के लिए तुमने सब के पास कितनी फरियाद की मगर किसी ने भी तुम्हारी मदद नहीं की। क्या तुमने कभी सोचा है कि जो बच्चा अपना सामान इधर-उधर  फैंकता है वह कभी भी जिंदगी में सफल नहीं हो सकता। अभी भी समय है। जल्दी से सोचो तुमने अपना बैट कहां रखा होगा? ट्राफी भी हासिल नहीं कर  पाओगे।  तुम  जिस तरह अपने जूते फेंकते हो और जूतों के साथ ही बिस्तर पर चढ़ जाते हो यह बुरी बात है। इस तरह तुम्हारा बैट  कहीं भी गिर सकता है। शायद बिस्तर के नीचे सोफे के नीचे या कहीं और। शांत मन से जल्दी से सोचो। अचानक उसकी आंख खुल गई। ठीक ही तो है जब स्कूल से आया तो जोर से उसने अपना बस्ता  बिस्तर पर  पटका।  वह कभी भी  बस्ते की जीप  बन्द नहीं करता है। बस्ते की जीप खुली थी। उसमें से कॉपी और किताबें बिस्तर के नीचे भी जा सकती हैं। उसने छड़ी लेकर बिस्तर के नीचे से किताब निकाली। उसकी अंग्रेजी की किताब बिस्तर के नीचे मिल गई थी। किताब  पास कर बड़ा खुश हुआ। उसने अपनी किताब को उठाया और चूम लिया उसको जैसे कोई खजाना मिल गया हो। उसने  तकिया उठाया। उसे अपनी  एक जुराब  तकिए के नीचे मिली। उस में से बदबू आ रही थी। एक ही जुराब  थी। दूसरी कहां होगी? उसने सारा बिस्तर झाड़ डाला। दूसरी जुराब चादर के नीचे मिल गई। गल्ती से  चादर  के   नीचे घुस गई थी। उसकी जुराबों से दुर्गंध आ रही थी।  उसे ने साबुन लिया और अपनी जुराबे धोने लगा। मेरी मां को भी तो इसमें से दुर्गंध आती होगी। उसने जैसे तैसे करके नल के के नीचे अपनी जुराबें  धो डाली।

उसकी मां और मौसी उसे देख रही थी।। उसकी मां की आंखों में खुशी के आंसू थे। आज थोड़ी ही सही उसे  अक्ल तो आई। उसकी मां ने जब उसे बुलाया तो वह दौड़ा दौड़ा आया बोला  मुझे बहुत भूख लगी है। उसकी मां बोली बेटा आज भिंडी की सब्जी बनी है। वह बोला मां कोई बात नहीं मैं वही खा लूंगा। उसे भिंडी की सब्जी खाते देख कर उसकी मां बोली कोई बात नहीं कल  तुम्हारी पसंद की सब्जी बनेगी। वह अपने कमरे में आया।

जूते की रैक को खिसका कर बैट ढूंढने लगा। रैक के पीछे  ही उसका बैट पड़ा था। वह बैट पा कर बड़ा  हीखुश हुआ। वह सोचने लगा सभी ठीक ही तो कहते हैं मुझे अपनी चीजों का ध्यान रखना चाहिए। अच्छा हुआ मेरा बैट मिल गया। चलो कल ही  मैच है। कल मैच के लिए तो उसका बैठ मिल गया है। उसने अपना बस्ता शाम को ही पैक कर लिया।

सुबह जब उसकी मां कमरे में आई तो अपने बेटे के कमरे की सफाई देख कर चौंक गई। सारी चीजें अपनी जगह पर ठीक जगह पर थी। उसकी मां  भी अपनी चप्पल  बाहर खोल कर अंदर आकर बोली। बेटा आज  आज मैं बहुत ही खुश हूं। तुमको आज मैं तुम्हारी मनपसंद की चीजें लेकर आऊंगी। वह बोला मां मुझे कुछ नहीं चाहिए। वीनू बोली चल जल्दी से स्कूल चलते हैं। वह बोला आया दीदी। वीनू हैरान हो गई।। आज उसने उसे दीदी कहकर पुकारा था। वह बोली एक बार फिर बोल क्या तू मेरा ही भाई है? उसे गले लगा कर बोली भाई मैं तुझे सुधारना चाहती थी। तू सुधर गया। हम सब थोड़े दुःखी तो हुए मगर तुम्हें सुधार कर हम आज बहुत ही खुश हैं। कल तो मैं भी तुम्हे   उपहार  ला कर दूंगी।  सब के मुख से अपनी प्रशंसा सुन कर चिन्टू बहुत  ही खुश हुआ। परी ठीक ही कहती थी। मै  अच्छा बच्चा बनकर ही रहूंगा। शाम को जब वह सोया तो वह बोला मेरी प्यारी प्यारी परी आपका धन्यवाद। आप मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। परी बोली मैं  तो  तुम्हारा मार्गदर्शन करने आई थी।  तुम अब अच्छे बच्चे बन गए हो। मैं यहां से जा रही हूं।

अपनें माता पिता का कहना मानना चाहिए। उनको दुःखी नहीँ करना चाहिए। आपकी मां आप के दुःख में बिमार पड़ गई तो उन्हें कौन देखने आएगा? परी बोली तुम अपनी बहन को भी बहुत तंग करते हो। उसको तुम दीदी कह कर पुकारा करो। यह सब बातें अच्छे शिष्टाचार में आतीं हैं। पापा भी तुम्हें प्यार से अपनी गोद में बिठाएंगे  जब आप उनकी बात को ध्यान से सुनोगे और उन का भी कहना मानोगे। चिन्टू बोला धन्यवाद। आगे से वह कभी उन सब को कभी तंग नहीं करेगा।वह जल्दी ही अच्छा बच्चा बन जाएगा। परी वहां से चली गई थी मगर उसकी बातें उसके मन में घर  कर गई थी। वह सचमुच ही सुधर गया था।