पियक्कड़, गप्पी और सेठ

एक छोटा सा गांव था बेलापुर। गांव का नाम बेलापुर इसलिए रखा था क्योंकि पुराने समय में उस गांव में सब्जियां भरपूर मात्रा में ऊगती थी। वहां पर चारों ओर बेलें  ही बेलें नजर आती थी। हर आने-जाने वाले लोग उन बेलों को देखकर हैरान रह जाते थे। उस छोटे से गांव में एक गप्पी और एक शराबी की पक्की दोस्ती थी। यह दोनों काम धाम कुछ करते धरते नहीं थे । गप्पी तो केवल गप्पे हांकने के  सिवा कोई काम नहीं करता था। टप्पी पियक्ड़ जो कुछ कमाता वह सब शराब पीकर उड़ा देता था।

गप्पी जब भी घर आता तो अपनी पत्नी को गप्पे लडा के प्रसन्न कर देता। उसकी पत्नी अपने पति भौदूंमल की बातों में आ जाती थी। पर वह जो कुछ उसकी पत्नी करती उससे उल्टा काम करता। उसकी पत्नी बानो हर रोज़ भगवान की पूजा करती। वह कहता पहले मुझे खाने को दे दिया करो फिर भगवान का नाम लेती रहना। हर समय बस भगवान को  ही खुश करती रहती हो।

एक दिन वह अपनी पत्नी से बोला कि तुम नें मेरा नाम भौंदू क्यों रखा? मेरा नाम तो कुछ और होना चाहिए था। उसकी पत्नी बोली अच्छा तो मैं तुम्हारा नाम कुछ और रख दूंगी।

वह हर रोज़ हरी राम हरी राम नाम का जाप करती थी। भौंदू  को तो यह सब कुछ पल्ले भी नहीं पड़ता था। वह हर रोज़ अपनी पत्नी को चिढ़ाने के लिए रीह मरा  रीह मरा करता कहता रहता था। उसकी पत्नी बहुत समझदार थी। वह बोली अच्छा आज से आपका नाम भौंदूमल  से रीहमरा रखती हूं। वह सोचती थी कि इस बहाने वह भगवान का नाम तो लेगा चाहे वह उल्टा ही ले। वह अपने आपको इसी नाम से  पुकारने लगा।

वह हर रोज़ जंगल में लकड़ियां  चुनने जाता था। नदंन वन में उसकी दोस्ती एक तोते से हो गई। वह हर रोज उस तोते से बातें करने लगा।  वह जब भी जंगल में जाता अपनें तोते को कभी मूंगफली कभी दानें कुछ न कुछ ले जाना कभी नहीं भूलता था। जिस दिन उसके पास कुछ नहीं होता था वह उसे  सूखी रोटी ही घर से ला कर उसे खिला देता था। तोता भी जो कुछ वह लाता उसको बड़े ही प्यार से ग्रहण करता था। तोते से उसकी इतनी दोस्ती हो गई कि एक दिन उसने तोते से पूछा भाई तुम्हारा नाम क्या है? वह तोता बोला तुम नें भी तो आज तक अपना नाम मुझे नहीं बताया। वह बोला मेरा नाम रीहमरा है। तुम्हारा नाम यह किसने रखा? तोते ने हैरान हो कर पूछा।  भौंदूमल बोला कि मेरी पत्नी ने मेरा यह नाम रखा है। वह मुझ से कहती रहती है इस बहाने तुम भगवान का नाम तो ले लिया करोगे। आज तक उसकी यह बात मेरी समझ में नहीं आई। उसने मेरा यह नाम क्यों रखा? मैं कोई काम धंधा नहीं करता।

तुम मेरे दोस्त हो। तुमसे क्या छुपाना? मेरी पत्नी मुझ से बहुत ही दुःखी रहती है। उसने आज तो मुझे धमकी दी है कि आज काम का प्रबंध करके नहीं आए तो घर से निकाल दूंगी। मैं जो कहती हूं तुम उससे उल्टा करते हो। आज कहीं जाकर मेरी समझ में आया कि अगर मैं काम नहीं करुंगा तो वह बच्चों को कैसे संभालेगी ?

रीहमरा बोला मुझसे तो सारी बातें पूछ ली तुम भी अपना परिचय दो। तुम्हारा नाम क्या है? तोता बोला मेरा तो कोई नाम नहीं है। चलो मैं ही अपना नाम रख देता हूं। तुम मुझे उस नाम से ही पुकारना।

रीहमरा बोला तुम नाम तो रखो। तोता बोला तुम्हारे नाम के अक्षरों को उल्टा कर दो तो वह मेरा नाम होगा। वह बोला इसमें क्या मुश्किल है उन अक्षरों को उल्टा करके बोलो (हरीराम)। तोता बोला, आज से तुम मुझे इसी नाम से पुकारोगे। तुम्हारी पत्नी कितनी समझदार है।

जंगल से  वापिस आकर  रीहमरा सीधे पियकड़ के पास गया और बोला अब क्या करें? घर भी नहीं जा सकते। हमारी बीवियों ने हमें अपने घरों से निकाल दिया है और कहा है कि काम नहीं ढूंडा तो वापिस मत आना।

टप्पी पियक्कड़ बोला, आज हम अपनी पत्नियों को कहेंगें कि हमने नौकरी का प्रबंध कर लिया है। वह हमें घर से जानें के लिए नहीं कहेगी हम उनको मना लेंगे। गप्पीे बोलने लगा कि कोई तरकीब लगाते हैं।

रीहमरा बोला यहां से 5 कोस की दूरी पर एक सेठ रहता है। सेठ बहुत ही धनवान है। उसको चूना लगाते हैं। मैं उस को जाकर कहूँगा कि मैं जो बात कहता हूँ वह सोलह आने सच साबित होती है। मेरी बात पत्थर की लकीर होती है। हम सेठ को चूना लगा कर उस से कुछ रुपये ऐंठ लेंगें।

उस समय पियक्ड नशे में धुत था। वह समझ नहीं पाया कि उस का दोस्त गप्प मार रहा था।  वह सचमुच ही सेठ जी के पास जाकर बोला सेठ जी मेरा एक दोस्त है। जो वह कहता है पत्थर की लकीर होती है। सेठ जी बोले । वाह! क्या ये सच है? टप्पी बोला उसनें मुझ से कहा आज से 15 दिन बाद इतनी वर्षा होगी कि बहुत सारे लोग आंधी तुफान वर्षा से बह जाएंगे वर्षा का कहर इतना होगा कि लोग गांव छोड़कर शहर भाग जाएंगे। मुझे भी 15दिन के भीतर अपने परिवार के लिए भोजन सामग्री जुटानें के लिए 500रुपये की आवश्यकता है। क्या आप मुझे 500रुपये उधार दे सकतें हैं?

मै आप को  जल्दी ही लौटा दूंगा। सेठ भी डर के मारे कांपनें  लगा। सेठ ने सोचा कहीं उसकी बात सच हो गई तो? सेठ जी बोले मैं तुम्हें अभी 500 अशरफिया देता हूं।  उन्होंनें अपने बक्से में से 500 अशरफिया निकाली और पियक्ड़ को दे दीे। सेठ जी नें अपने कस्बे में ऐलान कर दिया कि यहां पर इस कस्बे में  ऐसा आदमी आया है उसकी बात हमेंशा सच होती है। तुम लोग भी अपना बचाव करना चाहते हो तो कर लो। आज से 15 दिन बाद यहां पर भयंकर वर्षा तूफान से बहुत लोगों की जानें जा सकती हैं।

कुछ लोग मानतें थे की वह पियक्ड़ और गप्पीे जाने कितनें लोगों को गप्पे लड़ा लड़ा कर ऊल्लू बनाते रहते हैं। उन की बात में कोई सच्चाई नहीं है।

पियक्ड़ अपने दोस्त के पास आकर बोला हमारी पत्नी ने हमें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पैसों का जुगाड़  तो मैं कर आया हूं। आधे तू रख ले और आधे मैं। गप्पीे बोला तुमने सेठ जी को ऐसा क्या कह दिया जो सेठ जी  नें तेरी बात पर आँख मूंद कर विश्वास कर लिया। पियक्ड़ बोला मैनें सेठ से कहा कि मेरे गांव में एक मेरा एक दोस्त  रहता है। उसकी बात हमेशा सच ही होती है।

अरे बाप रे! तूने तो मुझे मरवा ही दिया।  रीहमरा बोला, मेरी कोई बात सच नहीं होती है।  मैं तो गप्प मार रहा था। टप्पी बोला मैंने उनको कहा कि मेरे दोस्त ने कहा है कि 15 दिन बाद सब कुछ तबाह हो जाएगा। लोग गांव छोड़कर शहर की ओर चले जाएंगे। यह बोल कर थोडे रुपये उधार मांग लाया। रीहमरा बोला अरे! बेवकूफ तुने तो मुझे जीते जी मार दिया। जब यह बात झूठी साबित होगी तब सब लोग हमें खूब मारेंगें। टप्पी पियक्कड़, बोला हम मर तो ऐसे भी जाएंगे अगर  घर में कुछ कमा कर नहीं ले गए। अभी तो जो ख़ुशी मनानी है अभी मना लें। कल की सोच में अपना आज क्यों खराब करें। कल का फिर देखा जाएगा। अभी तो काफी दिन पड़े हैं।

हम लोग पहले ही यहां  से भाग कर किसी और जगह पर रहने के लिए चले जाएंगे।

कुछ लोग तो सचमुच अपने रिश्तेदारों के पास चले गए थे। उस की बात सच हो गई। 15 दिन बाद सचमुच गांव में इतना भयंकर तूफान आया कि लोगों को घर छोड़ कर दूसरी जगह अपना आशियाना बनाना पड़ा।  कुछ दिन बाद सब कुछ पहले जैसा हो गया था। सेठ जी ने ऐलान कर दिया कि उस आदमी को मेरे पास लेकर आओ वह तो बहुत ही प्रकांड पंडित होगा। गप्पी भी मन ही मन दुःखी हो रहा था। सेठ अब तो मुझसे कोई और फरमाइश कर देगा। मुझे तो यह भी पता नहीं कि मेरी बात सच कैसे हो गई।?

टप्पी पियक्ड़ नें सेठ को कहा कि  वह ऐसे ही किसी के घर में नहीं जातेहैं। वह बहुत ही ध्यान मग्न रहते हैं।  उन की बात तभी तो सच साबित होती है। वह अपनें मन में सोचने लगा कि इससे पहले  सेठ कोई और फरमाइश मुझ से करे मैं यहां से कहीं और चला जाऊंगा।।

रीहमरा अपने तोते से हर रोज बातें करता था। चाहे तूफान हो या आंधी अपने दोस्त से हर रोज मिलने जाता। सेठ अपने मन में सोच रहा था कि इस गप्पी की परीक्षा लेता हूं। यह आज अगर मुझे बता देगा कि मेरे सिर पर कितने बाल हैं तो जानूं? सेठ गप्पी के पास गया। सेठ को अपने पास आता देख गप्पी ने ध्यान मग्न होने का नाटक किया। सेठ ने कहा कि तुम मुझे बताओ कि मेरे सिर पर कितने बाल हैं? गप्पी ने आँखे नाहीं खोली इसी तरह ध्यान मग्न रहा। तुम अगर सही बताओगे तो मैं तुम्हें 2000रुपये दूंगा। गप्पी ने मन ही मन सोचा के पैसे कमाने का भी अच्छा मौका मिला है इसे व्यर्थ में नहीं गंवाना चाहिए। उसने आँखे खोली और वह  बोला सेठ जी इसके लिए मुझे एक दिन का समय दे दो। सेठ बोला कि अगर तुम सही नहीं बता पाए तो तुम ढोंगी साबित तो होगे ही और तुम सज़ा के हकदार भी होंगे। अब तो रीहमरा अपने मन में सोचने लगा-मेरे दोस्त पियक्ड़ नें मुझे कहां फंसा दिया?

वह जंगल में जा कर उदास हो कर बैठ गया। उसे तोते के पास बैठे बैठे शाम हो गई थी। वह वहीं पर ऊंघनें लगा। तोता उस को उदास देख कर बोला भाई  आज से पहले मैनें तुम को कभी भी उदास नहीं देखा। शायद मैं तुम्हारी सहायता कर सकूं। अपनें दिल की बात करनें से मन हल्का हो जाता है।

हमारी पत्नीयों नें हमें कहा कि तुम दोनों निखटटू हो। कुछ काम धन्धा नहीं करते। हम दोनों की बीवियां एक दूसरे कि पक्की सहेलियाँ हैं। दोनों नें हम को हिदायत दी कि घर में तब तक फटकने का साहस न करना जब तक कुछ रुपया कमा कर न ले कर आओ। इस लिए हमनें एक योजना निकाली। मेरे दोस्त पियक्ड़ नें जाकर मज़ाक में सेठ को कहा कि मेरे दोस्त की बात पत्थर की लकीर होती है। मेरी बात सच साबित हो गई। उन्होंने इस बात की हमें 500 अशरफिया भी दे डाली। यह बात तो मैंने अपने दोस्त को गप्प मारने के लिए कही थी  लेकिन यह बात सच होगी यह बात मैं भी नहीं जानता था। उस गांव में इतनी भयंकर बारिश हुई और भयंकर तुफान आया। तूफान से बहुत सारे लोग बेघर भी हो गए। तोता बोला यह बात मुझे पता है। गप्पीे बोला तुम्हें यह बात कैसे पता है?

एक  दिन तुम्हारा दूसरा दोस्त पियक्ड़   इसी पेड़ के नीचे शराब पी कर कह रहा था हे भगवान! अपने दोस्त  गप्पीे के बारे मे सेठ को आज झूठमूठ में कह दिया कि उसकी बात पत्थर की लकीर होती है।हमारी पत्नियों ने हमें घर से निकाल दिया है इसलिए हम दोनों ने गप्प मारने की सोची।  मैंने तो सेठ जी के सामने यूं ही झूठ मूठ कह दिया था कि गप्पी ने कहा है कि 15 दिन बाद इस गांव में इतनी भयंकर बारिश होगी और तूफान से सब कुछ नष्ट हो जाएगा। कुछ लोग तो घर छोड़कर चले जाएंगे। और कुछ  घरों से बेघर हो जाएंगे। मैंने तो सेठ जी से रुपयों के लालच में झूठ मूठ में यह बात कही थी। मेरे दोस्त की बात सच कैसी होगी? हे भगवान! मेरे दोस्त को बचा लेना। रोते रोते गिड़गिड़ते वह ईश्वर से दुआ मांग रहा था। आज चाहे मुझे मार दे पर कुछ करिश्मा कर दे। मैंने तो अपने दोस्त के गले में छुरा घोंप दी है। उसकी बात सच्ची कर देना। आज तक मैं शराब पीता रहा उसकी बात सच्ची हो जाएगी तो मैं शराब पीना छोड़ दूंगा। हे भगवान! उसकी बात का मान रख लेना। तुम्हारी दोस्त की विनती भरी बातें सुनकर  मुझे तुम दोनों पर दया आ गई। तुम्हारा दोस्त तुमसे कितना प्यार करता है। मैं एक मामूली तोता नहीं मैं जादुई तोता हूं। तुम्हारी दोस्त की बात का मान मैंने रख लिया मैंने ही वहां तूफान करवाया। तुम मेरे दोस्त हो। गप्पीे हिम्मत कर के बोला आज सेठ जी ने मेरे सामने एक सवाल रखा है कि मेरे सिर पर कितने बाल हैं? तोता बोला तुम उदास ना हो मैं तुम्हारी सहायता करूंगा गप्पी बोला कैसे? तोता बोला मेरा दोस्त चूहा पास में ही रहता है उसे तुम्हारी मदद करने भेजूंगा। तुम अपने मन से कुछ भी कह देना सेठ जी आपके सिर पर इतने बाल हैं। सेठ अपने सिर के बाल दिखा नहीं पाएगा वह कह देगा कि तुम ठीक कह रहे हो। गप्पी खुश होकर बोला मेरी सहायता करनें के लिए धन्यवाद। तोता  बोला तुम भी तुम मुझसे हर रोज मिलना नहीं छोड़ते। आंधी तूफान वर्षा हर रोज मुझसे मिलने आते हो। मैं तुम्हारी सहायता क्यों ना करूं? गप्पी सेठ जी के पास आकर बोला साहब इस बात का जवाब मैं कल दूंगा। तोते ने अपने दोस्त चूहे को गप्पीे की मदद करनें के लिए उस दुकान में भेज दिया था।

गप्पी ने  चूहे को अपने बैग में भर लिया था। गप्पी ने कहा कि सेठ जी आज रात को मैं आपके घर में ही रहना चाहता हूं। सेठ नें अपने घर में ही गप्पी के रहने का इंतजाम कर दिया था रात को सेठ जी के कमरे में चूहा घुस गया रात को जब सेठ सो रहा था तो चूहे ने सेठ जी के सारे के सारे बाल कुतर दिए।  सेठ ने सुबह जब अपने आप को गंजा पाया तो उसने टोपी से सिर ढक लिया उसको टोपी पहने देख उस की दुकान पर आने वाले लोग सेठ जी की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे। सेठ जी आज आपने यह टोपी क्यों पहन रखी है? वह बोला कि मुझे सर्दी लग रही थी इसलिए मैंने यह टोपी पहन रखी है। सेठ जी के पास उसमें 10 12 लोग आए हुए थे।  गप्पी बोला सेठ जी मैं आपके सवाल का जवाब देना चाहता हूं। सेठ जी आपके सिर पर हजार बाल हैं। अगर मैं टोपी उठा देता हूं तो मैं मज़ाक़ का पत्र बन जाऊंगा। कल सब लोगों ने मेरे सिर पर बाल देखे थे। सेठ बोला बिल्कुल ठीक। सारे के सारे लोग वाह-वाह कहनें लगे। सेठ बोला तुम्हें एक बात का जवाब और देना होगा। मेरी पत्नी कभी भी मेरी बात नहीं सुनती है। ऐसा वह क्यों करती है।? गप्पी बोला मुझे एक दिन की मोहलत दे दो। पियक्ड़ को गप्पीे कहनें लगा कि  सेठ तुम को रोज ऐसे ही परेशान करता रहेगा।

मैं अपने दोस्त तोते को कहूंगा कि यार अब की बार मेरी मदद कर दे फिर अब इस बार   सेठ जी से कसम ले लूंगा कि मुझे आगे से कोई भी प्रश्न मत पूछना। गप्पी तोते के पास जाकर बोला अरे यार एक बार फिर मेरी सहायता कर दे। उसके बाद मैं कभी भी  सेठ के सामने नहीं जाऊंगा। तोता बोला ठीक है। उसने मुझसे पूछा है कि मेरी पत्नी मुझसे कभी बात नहीं करती है ऐसा क्यों। सेठ जी की पत्नी हर रोज जंगल में सैर करनें जाया करती थी।  तोता उसके पास आ कर उड़नें लगा। हरी राम हरी राम करनें लगा। उसको देखकर सेठानी बोली तुम बोल सकते हो। सेठानी उसको पाकर बहुत खुश हुई। तुम यहां अकेले क्यों आती हो? सेठ जी को साथ क्यों नहीं लाती हो? वह तो अक्ड़ू है।  मेरी बात कभी नहीं सुनते। वह जिस दिन मेरी बात प्यार से सुनने लगेगें उस दिन मैं भी उनकी उनकी बातों को सुनने लग जाऊंगी। अपनी ही कहे जाते हैं। सेठानी को तोता खूब भा गया था।तुम मेरे साथ चलोगे सेठानी बोली। मेरी बातें सुनने वाला यहाँ कोई नहीं है। तोता बोला मैं आपके साथ नहीं चल सकता हूं। उसने कहा मेरे मालिक नें मेरा नाम हरिराम रखा है। मैं उनके अतिरिक्त किसी के भी पास नहीं रहता हूं। सेठानी बोली तुम्हारा मालिक कहां रहता है? वह बोला आप  सेठ जी को कहना कि जो कोई इस तोते के मालिक का पता बताएगा उसे ₹5000 अशर्फियां मिलेगी। सेठानी बोली ठीक है। सेठानी घर आ गई थी। दूसरे दिन गप्पीे सेठ जी के पास जाकर बोला आप अपने पत्नी की बातें नहीं सुनते हो। आप प्यार से उसकी बात सुनना। उन्हें विश्वास दिलाना कि वह आपकी बात सुन रहे हैं। तब देखना वह आपकी तरफ खींची चली आएगी। सेठ खुश होकर बोला तुम्हारी बात सच होगी तो मैं तुम्हें मालामाल कर दूंगा। गप्पी बोला आप भी आज मुझसे वादा करो कि आगे से मुझसे कोई प्रश्न नहीं पूछोगे।  सेठ बोला ठीक है। मुझे तुम्हारी बात मंजूर है। सेठ ने ठीक वैसे ही किया वह सेठानी को बोला चलो आज मैं भी तुम्हारे साथ वन में घूमनें चलता हूं। सेठानी और सेठ जी धीरे धीरे चल रहे थे। सेठानी सेठ को बोली मेरी बात तो सुनो। सेठ बोला पहले मेरी बात सुनो। वह जल भून कर बोली आप तो अपनी ही कहे जाते हो। मुझे बोलने का मौका ही नहीं देते। सेठ जी को याद आ गया कि उस गप्पी ने मुझसे क्या कहा था? वह सेठानी के साथ प्यार पूर्वक बोला आज तुम्हारे मन की सारी बात सुनेंगे। आज तो हम होटल में खाना खाने भी चलेंगे।  सेठानी खुश हो कर बोली हां ठीक है। जंगल में एक बहुत ही प्यारा तोता है। वह मुझे साधारण तोता नहीं लगता।उस का नाम हरिराम। है। वह मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। वह तोता मुझसे बातें करता है।। बहुत दिनों से उसका मालिक उसके पास नहीं आ रहा है। तुम हरिराम के मालिक को ढूंढने का प्रयत्न करो। वह कहां का है? तुम उसको ढूंढने वाले को 5,000 अशर्फियां दिलवा देना। सेठ बोला ठीक है तुम्हारी सारी बातें मुझे मंजूर है। सेठानी खुश होकर बोली आज से मैं कभी भी तुमसे गुस्सा नहीं होंगी। वादे के मुताबिक गप्पीे की सारी शर्तें पूरी कर दी थी।  सेठ ने ऐलान कर दिया था जो कोई भी इस हरिराम तोते के मालिक को पकड़कर यहां लाएगा उसको मुंहमांगा ईनाम दिया जाएगा।  गप्पी ने पियक्कड़ को कहा कि तू  सेठ जी के पास जाकर कहना कि मैं हरिराम को जानता हूं। उसके मालिक का नाम रीहमरा है शराबी बोला उसकी पत्नी ने उसका यह नाम रखा था। उसके तोते ने उससे कहा कि मैं तुम्हारे अक्षरों के नाम को सीधा करके अपना नाम रख लूंगा।

पियक्ड़  गप्पी को पकड़कर सेठ के पास ले गया। सेठ बोला तुम यहां कैसे? सेठ जी यही तो इस हरी-राम का मालिक है। सेठ को सारा का सारा माजरा समझ में आ गया था। इस की मदद से वह अपने सवालों के जवाब हर बारी दे देता था। सेठ जी उस से कुछ पूछनें ही वाले थे लगा था कि उसको  गप्पी की बात याद आ गई। आज से बात आप मुझसे कोई सवाल नहीं करेंगे। सेठ चुप हो गया वह बोला इसको 5000 अशर्फियां दे दी जाएं। गप्पी और शराबी दोनों मुस्कुराते मुस्कुराते खुशी-खुशी अपने घर वापस आ गए।।

2 thoughts on “पियक्कड़, गप्पी और सेठ”

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