प्यार की परिभाषा

मुन्नी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। बहुत ही चंचल बड़ी बड़ी आंखों वाली ,घुंघराले बाल ,तीखे नैन नक्श ।सलवार कुर्ते में बहुत ही खूबसूरत नजर आती थी ।कपड़े सलिके से पहनती थी। पैरों में फटे जूते होते थे मगर साफ चमचमाते।वह हमेशा उन को धोती थी। उसके पिता गरीब थे। दिल के अमीर थे। मुन्नी की मां हमेशा बीमार रहा करती थी इलाज ना होने के कारण वह चल बसी। सारी जिम्मेवारी मुन्नी के बापू पर आ गई।
मुन्नी सात वर्ष की हो चुकी थी। स्कूल में कभी जाती कभी नहीं ।मुन्नी की मां के चले जाने के बाद उनके पिता अकेले हो गए ।मुन्नी की मां मरते वक्त मुनि के पिता से कहकर गई थी कि तुम दूसरी शादी मत करना।उस के पिता ने तीन महीने बाद ही पारो से शादी करनें का फैसला कर लिया।उन्होनें अपनी बेटी मुन्नी को कहा कि तुम्हारे लिए मैं नई मां ले कर आ रहा हूं।वह तुझे बहुत ही प्यार करेंगी तू भी उस से इतना घुल मिल जाएगी कि तू अपनी मां को भूल जाएगी।तू जल्दी ही तैयारियों में जुट जा।तुझे स्कूल जाते वक्त गर्म गर्म भोजन मिला करेगा।

मुन्नी बोली कि बापू मैं खेलनें जा रही हूं वह आज अपनी सारी सहेलियों को अपनी नई मां के बारे में बताएंगी।मुन्नी कि सहेलियों नें उसे बताया कि तुम्हें सबकाम अब अपनें हाथों से करना पड़ेगा। तुम्हें वह अपनें साथ कभी नहीं सुलाएगी।इतनी खुश मत हो।मुन्नी बहुत ही परेशान रहने लगी ।मेरे बापू भी अब मुझे प्यार नंही करेंगे।वह अपनी मां को याद करके रोने लगी।उसके पिता ने उसे समझाया कि बेटा तेरे रोने से क्या तेरी मां वापिस आ जाएगी?।

पारो अच्छे घर की लड़की थी ।पारो कि जब विदाई हो रही थी तभी पारो की चाची ने उसे अपने पास बुला कर कहा बेटा तू दूसरे घर में ब्याह के जा रही है जहां पर तुम्हारे पति के एक छोटा सी बेटी है। तुम्हें उसको भी प्यार देना पड़ेगा। तू अगर उसको ही प्यार करती रही तो तेरी गृहस्थी कैसे चलेगी।

पारो बोली कि आप मेरी फिक्र मत करो ।चाची जी मैं आपकी बात समझ गई ।आप ठीक ही कहती हो। मैं सब कुछ संभाल लूंगी।

पारो ब्याह कर अपने ससुराल आ गई। काफी दिन तो मुन्नी अपनी मां के लिए शोक करती रही। फिर उसे पता चल गया कि इस संसार में जो इंसान आया है उसे एक ना एक दिन तो भगवान के घर जाना ही है ।उस नें रोना धोना छोड़ कर अपनी नई मां को अपनाने का निर्णय कर लिया ।वह खुश होकर अपनी नई मां के घर आने की तैयारी कर रही थी। उसने अपनें मन को पक्का कर लिया था।
मां ने आते ही मुन्नी से मुलाकात की ।मुन्नी भी नई मां से बार-बार सवाल पर सवाल करती गई। पारो बोली बेटा और सारी बातें कल करेंगें।तुम अब सो जाओ ।वह बोली मां क्या मैं आपके पास सो सकती हूं?पारो बोली नहीं तुम्हें अपने कमरे में सोने की आदत डालनी होगी ।पारो के पापा बोले कि इसे लोरी सुना दो ।इसे लोरी सुनकर ही नींद आती है ।पारो मुन्नी को लोरी सुना कर अपने कमरे में सोने चली गई ।वह तो सोच रही थी कि मेरी मां मेरे साथ सोया करेगी लेकिन उन्होनें तो मुझ से कहा कि तुम अलग कमरे में सोया करो।उसने अपनी नई मां को लेकर जो सपने संजोए थे वे सारे धूमिल हो गए थे ।दूसरे दिन जल्दी ही उठकर अपनी मां से बोली कि मां मां मुझे पानी पिला दो। उसकी मां बोली की बेटा अपने आप घड़े से ले लो। पारो ने कुछ नहीं कहा। उसने चुपचाप पानी पिया और अपने कमरे में पढ़ने चली गई। उसने तो नई मां के बारे में कितने सपने संजोए थे। उससे सहेलियों नें कहा था कि जब तुम्हारी नई मां आएगी तब तुम्हें सब काम अपने आप करना पड़ेगा। स्कूल में भी आज उसका मन नहीं लगा ।

मैडम सभी बच्चों को कहानी सुना रही थी कि चाहे इंसान कितना भी गुस्से वाला हो तुम उसके साथ प्यार से पेश आओ तो वह भी गुस्सा छोड़ कर तुमसे प्यार करने लगेगा इसके लिए सब्र रखना पड़ता है। सब्र का फल मीठा होता है ।यह नहीं कि तुमने भी गुस्सा करना शुरू कर दिया उसे तो बनने वाला काम भी बिगड़ जाता है ।बेटा इंसान की सबसे बड़ी शक्ति उसका धैर्य होता है। मां-बाप अगर तुम्हें कितना भी डांट डपट दे उनके प्यार में फिर भी कहीं ना कहीं हित ही छुपा होता है। बच्चे अपनें माता पिता के गुस्सा करनें पर उन कि उपेक्षा करने लगते हैं ।और उन्हें भला बुरा कह जातें हैं।उस से उन के मान सम्मान को ठेस पहुंचती है। बे वजह झगड़े को और भी बढ़ा देते हैं ।झगड़े को प्यार से सुलझाना चाहिए।
मुन्नी मैडम की कहानी को गौर से सुन रही थी ।
सहेलियों के साथ बैठकर थोड़ी देर में ही घर वापिस आई तो उसका मन पढ़ाई में भी नहीं लगा। पारो की मां उस से सब काम करवाती। मुन्नी कभी गुस्सा नहीं करती थी ।पारो ने देखा यह कैसी लड़की है?वह उसकी किसी भी बात का बुरा नहीं मानती है ।मुन्नी को एक दिन पारो ने कहा कि जा बर्तन साफ कर आ। मुन्नी ने बर्तन साफ करने में देर लगा दी ।वह मुन्नी पर गुस्सा कर बोली इतनी देर कहां हो गई? मुन्नी नें कुछ नहीं कहा बोली मां आगे से देर नहीं होगी। एक दिन पारो नें उससे पूछ लिया कि तुम किसी बात पर भी गुस्से नहीं होती हो। वह बोली कि मां अगर शादी के बाद मेरी सास मुझे डांटेगी तो मुझे बुरा लगेगा।आप कि डांट में भी प्यार छिपा है। क्योंकि डांट से मुझे काम आ जाएगा। तब आगे चलकर मुझे डांट फटकार का सामना नहीं करना पड़ेगा।

पारो के पिता अपनी बेटी के साथ किए बर्ताव को सहन नहीं कर पाते थे। वह चुपके चुपके पारो पर नजर रखने लगे ताकि मुन्नी को किसी विषय को लेकर चोट ना पहुंचे ।एक दिन जब पारों से रहा नहीं गया तो पारो ने मुन्नी को मारने का प्रयास किया ।वह अपने पति को बोली कि मुन्नी कुछ काम धाम नहीं करती है। बैठे-बैठे अपनी सहेलियों के साथ खेलती रहती है। मुन्नी के पापा मुन्नी को बोलो कि क्या यह सच है? या झूठ ।वह बोली हां बापू मां ठीक ही कहती है। ताकि मां को बुरा ना लगे। अपनी बेटी की आंखों में दिखे आंसओं को छिपा गए। वह समझ गए कि मुन्नी झूठ बोल रही है।वह पारो से लड़ाई झगड़ा करने लगे प्रतिदिन लड़ाई झगड़ा करते।
एक दिन पारो ने मुन्नी को मारने का प्रयत्न किया। मुन्नी के कमरे में बड़ी सी लाठी लेकर पहुंची। वह लाठी का प्रहार करने ही जा रही थी पर्दे के पीछे से मुन्नी के बापू ने देख लिया ।उन्होंने पारो को कहा कि तुम मेरी बेटी की मां कहलाने लायक नहीं हो। मुन्नी नें अनजान बन कर कहा क्या हुआ ?उसने चुपचाप सब कुछ देख लिया था ।आज आपने मुझे मार दिया होता तो अच्छा था। मुन्नी चुपचाप दूसरे कमरे में चली गई ।इस बात को मुन्नी नें गंभीरता से लिया।वह चुपचाप खेलने चली जाती। नई मां के साथ उसी तरह काम करवाती जैसे वह अपनी मां के साथ करती थी ।उनके पिता ने पारो से बोलना छोड़ दिया था।वह अपनी बेटी के लिए परेशान थे।

पारो को जल्दी ही अपनी गल्ती का एहसास हो गया।एक दिन पारो बिमार हो गई। उसको पानी पिलानें वाला भी कोई नहीं था।मुन्नी ने सारा दिन अपने नन्हें नन्हें हाथों से मां कि देखभाल कि।वह स्कूल भी नहीं गई और अपनी सहेलियों के संग खेलने भी नहीं गई।वह घर के पास से ही डाक्टर का हाथ पकड़ कर अपनें घर ले आई बोली इस बार मेरी मां को भगवान के घर मत ले जाना।आप उन्हें जल्दी ठीक कर दो।मेरी गुल्लक में थोड़े से रूपये हैं।मुझे मेरी मां नें दिए थे।आप इन को ले लो।जल्दी मेरे घर चलो।मुन्नी कि प्यार भरी बातों को सुनकर डाक्टर उसके घर पहुंच गए थे।पारों बेहोश हो चुकी थी।उसने जब मुन्नी को अपनी गुल्लक डाक्टर के हाथों में देते देखा तो उन्होनें उसे प्यार से सहलाया कहा मैनें तुम्हारी मां को इन्जैक्शन लगा दिया है। आज उसने उस नन्ही सी बच्ची का प्यार देखा।उसे अपनी गल्ती का एहसास हो गया।उसने मुन्नी के बापू से क्षमा मांग कर कहा कि मैंनें छोटी सी बच्ची के दिल को बहुत ही चोट पहुंचाई। मैं उसे उसकी मां से भी ज्यादा प्यार दूंगी।
पारो ने मुन्नी को बुलाया और कहा बेटा मैंने तुझे बहुत भला बुरा कहा। तूने कभी भी मुझसे बैर नहीं रखा। इतनी छोटी सी बच्ची ने मेरी काया ही पलट दी ।आज मुझे समझ में आया कि बच्चे भी अपने माता-पिता को बहुत कुछ सिखा जातें हैं । वह अपनें मन में सोचनें लगी मुन्नी अपने पिता को नहीं मनाती तो वह मुझे मुझसे कभी का रिश्ता तोड़ देते।
पारो मुन्नी को बोली मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके जा रही हूं अपने बापू का ध्यान रखना ।प्रशांत ने पारो को कहा कि एक हफ्ते बाद मैं तुम्हें लेने आ जाऊंगा। पारो मायके में पहुंच गई थी। घर में सब उसके आने पर खुश थे ।उसके माता-पिता, चाचा चाची उस कि ओर देख कर बोले बेटा सुनाओ तुम्हारे क्या हाल है? तुमनें अपनी बेटी को जल्दी से बाहर का रास्ता दिखा दिया होगा। तुम जल्दी से अपने पति को अपने वश में कर लो बाद में तुझे कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। हम तेरी मदद नहीं करेंगे। तुम अपने पति को कहना कि अगर तुम मुन्नी को बाहर नहीं भेजोगे तो मैं इस घर से सदा के लिए चली जाऊंगी।पारो बोली आप लोगों को तो मुझे समझाना चाहिए था कि शादी के बाद ससुराल ही बेटी का घर होता है। और बड़े बुजुर्गो के साथ प्यार से रहना चाहिए। तन मन से उनकी सेवा करनी चाहिए । मेरी बहन, या चाची जी, आज मैं आप से पूछना चाहती हूं आपकी बेटी, मेरी बहन को कोई ऐसा लड़का मिला जो उसके साथ भी वही बर्ताव करे तो आप क्या जवाब देंगे बेटी का असली घर तो उसका ससुराल होता है।आपको तो उनका सत्कार करना सिखाना चाहिए। घर को जोड़ना सिखाना चाहिए न कि तोड़ना। मां मुझे तो छोटी सी लड़की ने आज सिखा दिया कि प्यार की परिभाषा क्या है। दिलों को गुस्से से नहीं विश्वास से जोड़ा जाता है। मेरा ससुराल ही मेरा घर है ।आप मुझे घर तोड़ने के लिए कहोगी तो मैं आज के बाद कभी भी यहां कदम नहीं रखूंगी और चाची को तब कहीं जाकर वह बात समझ आई। वे बोली बेटी हमें माफ कर दे । हमारी सोच गल्त थी।दूसरे दिन प्रशांत और मुन्नी पारो को लेने के लिए उसके मायके आए ।
मुन्नी आते ही बोली मां ,मां घर चलो ।मुझे आपके बिना अच्छा नहीं लगता ।पारो बोली बेटा मुझे भी तेरे बिना अच्छा नहीं लग रहा था। पारो बोली मैंने तेरे मनपसंद की खीर और पूरी बनाई है ।मुन्नी आज बहुत खुश थी। असली मायने में आज ही तो वह अपनी नई मां से मिली थी। इतने दिनों के बाद मुन्नी के बापु नें मुन्नी को खिलखिलाते देखा था।

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