छुक छुक छुक करती आई रेल।
धूम धूम धूम करती आई रेल।।
छक छक छुक छुक करती आई रेल।
खाती कोयला बिजली और तेल।।
छक छक छूक छूक करती आई रेल।
भूक भूक भक भक करती आई रेल।।
यात्रियों को गंतव्य स्थान पर पहुंचाती है।
हर जगह अपना करिश्मा दिखाती है।
पटरी पर चल कर सबका मन लुभाती है।।
छूकछूक छूकछूक करती आई रेल।
सीटी बजाती आई रेल।।
इंजन इसका भारी भारी।
बढ़ता जाता बारी बारी।।
राजा हो या रंक,
छोटा हो या बड़ा।
बुढा हो या जवान,
अमीर गरीब हो या किसान।।
सभी को लेकर जाती है।
अपना अद्भुत करिश्मा दिखाती है।।
उसको आते देख सभी वाहन रुक जाते हैं।
गार्ड हरी झंडी लहरा कर सभी को इशारे से समझाते हैं।।
बहन माल-गाड़ी का है बहुत ही नाम।
फल सब्जी डाक माल ढोना है उसका काम।।
ज़मीन के नीचे चलने वाली भी है एक अनोखी रेल।
वह कहलाती है मेट्रो रेल।।
मेट्रो स्टेशन के बनने से हुआ महानगरों का हुआ काम आसान।
यात्रियों का रेल सफर करना हुआ बहुत ही आसान।।
मेट्रो रेल सबसे पहले कोलकाता में चली।
दिल्ली शहर में भी चलने से सभी के चेहरों पर खुशी झलकी।।