(वीर बनों प्रतिभावान बनों तुम) कविता

वीर बनो, प्रतिभावान बनो तुम।

विद्वान बनों, एक नेक इन्सान बनों तुम।

जग में अपनी  कीर्ती से  अपना नाम करो तुम।।

कठिनाइयां सहकर भी ताकतवर बनो तुम।

अपने गुरुजनों के आशीर्वाद से फलो-फूलो तुम।।

अपनी हिम्मत और ताकत को तुम कभी मत खोना।

सच्चाई के पथ पर निर्भर  हो  कर जीना।।

अपने भाग्य के निर्माता तुम खुद बन सकते हो।

तुम भी नभ के तारे छू सकते हो।।

ऊंची उड़ान भरकर दिखलाओ।

आग बिजली तूफानों का सामना करके दिखलाओ।।

तुम संघर्षों से विजय पाकर धूप के थपेड़े खाकर और भी निखर जाओगे।

अपनी इच्छाशक्ति से कल्पनाओं को साकार कर पाओगे।।

तुम अपनी हार का मातम कभी मत मनाना।

नहीं तो जीवन भर तुम्हे पड़ेगा पछताना।।

अपनी हार में भी विजय छिपी है यह तुम जान लो।

सच्चे मन से इस हार को जीत में बदलना तुम ठान लो।।,

आने वाले कल की तुम तकदीर हो।

तुम इस संसार की सबसे सुन्दर  तस्वीर हो।।

तुम देश को तरक्की के शिखर पर पहुंचाने वाली  सीढी हो।

तुम देश में अपनत्व की लहर  जगानें वाली एक कडी हो।।

 वीर बनों  प्रतिभावान  बनों तुम।

विद्वान बनों एक नेक इन्सान बनों तुम।

जग में अपनी कीर्ती से अपना नाम करो तुम।।

भारत देश की आन बान और शान हो तुम।  

जहां की एकता की मिसाल और कमान हो।।

, तुम बुलंद हौसलों की उड़ान हो।

तुम देश का भूत भविष्य  और वर्तमान हो।।

वीर बनों, प्रतिभावान बनों तुम।

विद्वान बनों एक नेक इन्सान बनों तुम।

जग में अपनी कीर्ती से अपना नाम करो तुम।।

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