भ्रष्टाचार है एक घोर अभिशाप।
इसने अपनी कुत्सित भावना से विश्व का कर डाला अविनाश।।
इसका भयंकर रूप मलिन और घिनौना है।
जिसने हर मानव का नींद चैन छीना है।।
भ्रष्टाचार ने संपूर्ण विश्व में अपनी जड़े जमा रखी हैं।
नाग बन कर अपनी कुंडली मार कर अपनी निगाहें इस देश पर टिका रखी हैं।।
भ्रष्टाचार से राष्ट्र की प्रगति में अवरोध उत्पन्न हो जाते हैं।
देश की एकता और अखंडता के खतरे मंडरा जातें हैं।।
मानवता का गला घोटकर हर कोई एक दूसरे के खून का प्यासा बन जाता है।
उन को मौत के घाट उतार कर ही अपनी भूख मिटाता है।।
प्रतिदिन काम करने वाले लोगों में आजीविका के साधन छूट जाते हैं।
गरीब बच्चे तड़प तड़प कर बिना रोटी के भूख से मर जाते हैं।।
रोगी दवाई के अभाव में समय से पहले ही बिलख बिलख कर मर जाता है।
उसके परिवार जनों पर अकाल का खतरा मंडरा जाता है।।
बच्चों को इस बुराई से परिचित करवा कर इसकी जानकारी से अवगत करवाया जाए।
आने वाली पीढ़ी को इसकी सही जानकारी देकर उन्हें इस योग्य बनाया जाए।।
भ्रष्टाचार की जड़ों को जड़ से समाप्त करना होगा।
बच्चों में जानकारी देकर इस बीमारी से भारत को मुक्त करवाना होगा।।
भ्रष्टाचार फैलाने वालों को कड़े से कड़ा दंड देना चाहिए।
अन्य लोगों को भी सबक लेकर इस विष- वृक्ष को उखाड़ कर फेंक देना चाहिए।।
जनता में सद्भावना का प्रकाश फैलाना होगा।
देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करवा कर ही दम लेना होगा।।
देश में कानून को स्थापित करना होगा।
सभी धर्म के लोगों को आगे आकर इस नीति को अपनाना होगा।।
कानून का उल्लंघन करने वाले को दंड देकर इस देश को बचाना होगा।
समानता की नीति अपना कर हर दोषी को कड़े से कड़ा दंड देकर सबक सिखाना होगा।।
भ्रष्टाचार के जहरीले पौधे को देश से उखाड़ डालना होगा।
शांतिपूर्ण समस्या के समाधान से इस देश को बचाना होगा।।