इस देश की माटी है चन्दन,
हम नित्य इसको करतें हैं वन्दन।।
ग्राम ग्राम तपोवन का है धाम ।
सत्य,शाश्वत,परमात्मा का है स्थान।।
हर बाला में है सीता।
हर बालक में है राम।।
अरूणोदय की वेला में सुरज सबसे पहले आए।
मधुर स्वरों में पक्षी गूंजन कर चहचहाए।
कृषकों कि आवाजाही से खेतों में,
हरी भरी फसलें लहराए।।
घर घर मन्दिर हैं,मन में बसतें हैं श्री राम।
हम उनको कहतें हैं पतित पावन सीताराम।।
प्रकृति की छटा निराली,जैसे सूर्योदय की लाली।।
नदियां प्रेम का संचार है करती,कल-कल का राग सुनाती।
हर आनें जानें वालों को कुछ न कुछ सीख है दिलाती।।
कर्म ही मानव की पूजा ,इसके सिवा न कोई दूजा।
मेहनत है सब को प्यारी,
इससे घर कि महकती है फुलवारी।।
ज्ञान की निर्मल धारा है सुहाती।
हर एक व्यक्ति के जीवन को महकाती।।
बांके छैल छबीले नर-नारी।
भोली भाली सूरत प्यारी।।
हर मानव दयालु और परोपकारी।
संस्कारी,विनम्र और प्रतिभाशाली।।
अदम्य साहस और वीरता की मूर्ति।
नेकी और ईमानदारी की प्रति मूर्ति।।
आलस्य का नहीं है कोई नामोनिशान।
सुबह शाम करतें हैं,सभी प्रभु का गुण गान।।
जीवन के सच्चे आदर्श हैं यहां पर
और यहीं हैं चारों धाम।
हर बाला में है सीता,हर बालक में है राम।
युगों-युगों तक मानव के मन मन्दिर में बसतें हैं श्री सीया राम ।।
हर नारी पवित्रता की सूचक।
मां शारदा,सीता,सरस्वती जैसी पवित्रता की मूर्त।।
कोमल और मृदुल स्वभाव से करती हैं मां का गुणगान।
सुबह सुबह नित्य कर्म निपटा करती हैं मां का ध्यान।।
गौ को समझतें हैं ममता की मूरत।
उसमें दिखती है मां की सूरत।।
बच्चे गाय को चारा खिलानें दौड़े दौड़े हैं जातें।
उनको खिला कर मंद मंद है मुस्कुराते।।
पते पते बूटे बूटे पर श्री राम का है नाम।
हर ग्राम तपोवन का है परम धाम ।।
हर बाला में है सीता, हर बालक में है राम।
युगों युगों तक हर मानव मन में बसतें हैं सीताराम।।
ढोलक मृदंग की थाप पर थिरक थिरक कर, ठूमका हैं लगाती।।
गोपियों कि तरह प्यारे राम और कृष्ण को हैं लुभाती ।
सीता राम की छवि मन में बसा उनको माखन का भोग हैं लगाती ।।
सैनिक देश के लिए कुर्बान हैं हो जाते।।
अपनें प्राणों को न्योछावर करनें से भी नहीं घबराते।।
जीवन के उच्च आदर्श यहीं पर
और यहीं हैं चारों धाम।
परम पिता परमेश्वर का है धाम।
परम पिता परमेश्वर का है धाम।।
सुबह सवेरे मानव है रटता ,
पतित पावन राम का नाम।
जनक जननी सीता माता का नाम।
जनक जननी सीता माता का नाम।।
इस देश की माटी है चन्दन।
हम नित्य करते हैं इसको वन्दन।।