जंगल में एक वृक्ष की शाखा पर कबूतर कबूतरी का जोड़ा था रहता
साथ में मधुमक्खियों का झुंड भी था इकट्ठा रहता।।
हर रोज कबूतर दाना चुगनें था जाता ।
थक हार कर घर वापस था आता।
कबूतर था बेचारा भोला भाला
वह तो था उसका सच्चा दिलवाला।।
कुछ समय बाद कबूतर कबूतरी ने घौंसले में अंडे दिए।
नन्हे नन्हे बच्चे पाकर वे दोनों बहुत ही खुश थे दिखाई दिए।।
वे दोनों अपने बच्चों के स्नेह में मग्न रहने लगे।
काम काज छोड़कर उन्हीं में सुख चैन पानें लगे।।
कबूतर और कबूतरी दोनों एक दिन भोजन की तलाश में जा उड़े।
बच्चों को अकेला छोड़ कर दाना लानें निकल पड़े।
बच्चे थे छोटे छोटे प्यारे प्यारे।
सुंदर पंख वाले ,कजरारे नैनों वाले।।
बच्चे निर्भय होकर घर में थे खेल रहे ।
वे खुशी में मग्न ठिठोली थे कर रहे।।
एक शिकारी उनके घोंसले के समीप आया।
शिकारी ने चुपके से अपना जाल फैलाया।।
नन्हे मुन्नों को अकेला देख शिकारी मुस्काया।
उनको पकड़ने का षडयंत्र उसनें रचाया।।
शिकारी को सामने देखकर बच्चे जोर जोर से चिल्लाए ।
मां- मां बचाओ बचाओ कहकर थे डर कर थरथराए।।
कबूतरी को जंगल में बच्चों का शोर था सुनाई दिया।
दाना चुगना छोड़ कबूतरी ने घर पहुंच कर ही दम लिया ।।
शिकारी को देख कबूतरी चिल्लाई।
बच्चों को चिल्लाता देख कर उसकी आंखें भर आई।।
शिकारी की गिरफ्त से वह भी ना बच पाई।
शिकारी ने उसे भी पकड़कर खुशी झलकाई।।
कबूतर जैसे ही जाल के पास आया।
परिवार को जाल में फंसा देखकर चिल्लाया ।।
कबूतरी और बच्चे थे उसकी जान के प्यारे।
नन्हें मुन्नें प्यारे प्यारे,अपनें माता-पिता के राजदुलारे।।
कबूतर कबूतरी की तरफ देख कर बोला, तुम हिम्मत और साहस जुटाना।
तुम सब इस मुश्किल घड़ी में जरा भी न घबराना।।
मै तुम सब को सुरक्षित बचा कर घर ले आऊंगा।
या स्वयं भी तड़फ तड़फ कर मर जाऊंगा।।
अपने परिवार को संकट की घड़ी में डाला।
हाय!यह मैनैं क्या कर डाला।।
इनके बिना मेरा जीवन है बेकार ।
इनके बिना जीना नहीं है स्वीकार ।
कबुतर नें व्याकुल होकर मधुमक्खियों से गुहार लगाई।
अपनें परिवार को बचानें के लिए फरियाद लगाई।।
कृपया इस मुश्किल की घड़ी में मेरे परिवार को बचाओ।
अच्छे दोस्त होनें का फर्ज निभाओ।।
मधुमक्खियां बोली मुश्किल की घड़ी में एक अच्छा दोस्त ही काम आता है।
विपति में जो साथ ना दे वह तो स्वार्थी मित्र कहलाता है।।
मधुमक्खियों नें शिकारी को जगह जगह से काट खाया।
रोते चिल्लाते मुश्किल से से वह अपनी जान बचा पाया।।
कबुतर अपनें परिवार को सुरक्षित देख कर मुस्कुराया।
मधुमक्खियों का धन्यवाद कर अपनें परिवार को गले से लगाया।। हिम्मत, साहस और दृढ़ निश्चय को ही कबुतर नें अपनाया।
उन्हीं के बल से अपने परिवार को बचानें में कामयाब हो पाया।।