अपनी भाषा से न रहो अनजान तुम।
हिन्दी को सीखे बिना न रहो बेजान तुम।
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा जन जन को है सुहाती
प्रेम का मार्ग प्रशस्त कर, राष्ट्र की उन्नति का मुल आधार है कहलाती।
इससे अछूता नहीं है कोई यह तो सभी के मनों को है लुभाती
अपनें भावों की अभिव्यक्ति को सरल और सुगम है बनाती।।
विभिन्न धर्म के अनुयायियों की वाणी का है आधार है हिन्दी ।
क्षमा सत्य,अहिंसा,त्याग कर्मक्षेत्र आदि गुणों का विकास हैं हिन्दी।।
अंग्रेजी का चाहे कितना भी बोलबाला है।
हर कोई इसके पिछे कितना भी मतवाला है।।
हिन्दी को जो सही सही लिख और बोल न पाए।
वह तो पढ़ लिख कर भी असभ्य ,अज्ञानी मानव कहलाए।।
अपनी मातृभाषा को व्यवहार में प्रयोग करते समय अंग्रेज खुशी हैं झलकाते।
वे अपनी भाषा का प्रयोग कर अपना मान सम्मान हैं बढ़ाते।।
अपने देश में फले फूले यह भाषा, यह उक्ति तो हम चरितार्थ हैं कर सकते।।
अपनें व्यवहार में ला कर इस के प्रसार को और अधिक हैं बढ़ा सकते।।
अंग्रेजी का प्रयोग करनें में,वार्त्तालाप करनें में हम गौरव हैं अनुभव करते।
इसका अशुद्ध उच्चारण कर भी हम खुशी से फूले नहीं समाते।
एसी मानसिकता का परित्याग करनें में झिझक कभी न लाओ।
हिन्दी का प्रयोग करनें में गौरवान्वित हो कर मुस्कुराओ।
हिन्दी के बाद अंग्रेजी का बोलबाला है।अंग्रेजी बोलनें के लिए हर कोई उतावला है।
सही और शुद्ध उच्चारण हो तभी है यह सार्थक।अधूरा ज्ञान तरक्की में है बाधक।।
अंग्रेज़ी भाषा के साथ इसको भी सम्मान दे कर स्वीकारें।इसके गौरव को बढ़ा कर स्वर्णिम अध्याय का सूत्रपात कर इसे न अस्वीकारें।।
पुर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण सभी देशों में है बोली जाती।
यह तभी तो सम्मान की भाषा सभी को है भाती।
जैसे बोलो वैसे ही लिखी है जाती।
अंग्रेजी की तरह अन्तर नहीं है करवाती ।
96%लोगों की आवाज है हिन्दी।
संस्कृत भाषा की पहचान है करवाती।एकता और भाईचारे का संदेश है दिलाती।।
लोगों को परस्पर एक हो कर जोड़ने का संदेश है देती।
हिन्दी की यह प्रकृति एकता की है द्योतक ।
अनेकता में एकता के एहसास का है सूचक।।
हिन्दी भाषा का न करो तुम अपमान।
इससे जन-जन को मिलता है ज्ञान।।
बढ़ाओ इसका विस्तार।
करो इसका अधिक से अधिक प्रसार।।
यह तो है मानव की तरक्की के संघर्ष का है द्वार।।
हिन्द देश के वासी हम हिन्दी हमारी शान है।
इससे बढ कर नहीं दूजा यह तो हमारी आन है।।
दिलोजान से हम इसका करते गुणगान हैं।।
आओ हिन्दी भाषा का सम्मान बढ़ाएं ।
इसको भारत माता की एक भाषा बनानें का गौरव प्रदान कर खुशी हर्षाएं।
आओ हिन्दी का सही उच्चारण कर इसे उपयोग में लाएं।
इसे अपना कर अपनें पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता दर्शाएं ।।
अपनें पूर्वजों द्वारा दिए गए संस्कारों का स्वयं में बोध कराएं।।
हिन्दी भाषा को दिल से अपनाएं।
अपनी भाषा को समृद्ध और सशक्त बनाएं।।
26जनवरी 1950 को हिन्दी का अपना संविधान बनने के पश्चात राजभाषा का दर्जा दे पाई।
14सितम्बर 1949कोहिन्दी भाषा अस्तित्व में आई।। राष्ट्र भाषा का रुप ले कर जनमानस के पटल पर छाई।।
(गूंज उठे भारत की धरती,हिन्दी के जय गानों से।
पूजित,पोषित, परिवर्धित हो बालक वृद्ध जवानों से)।।
हिन्दी भाषा के के प्रचार का जयघोष दूर दूर तक फैलाओ।
इसके महत्व को समझा इसे तरक्की और ऊंचाइयों कि बुलन्दियों तक पहुंचाओ।।
(जगदीश चन्द्र त्यागी कि यह पंक्तियां).