मान्या 12वीं कक्षा की छात्रा थी। वह दौड़ते दौड़ते अपने पापा के पास आकर बोली पापा पापा। उसके पापा उसे हैरान होकर देख रहे थे। वह बोली पापा मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं। वह बोले बेटी बोलो। क्या कहना चाहती हो? , वह बोली पापा हमारे पास सब कुछ है। मैं चाहती हूं आप… Continue reading संस्कार
छोटी सी दुनिया
आज भी रोशनी ऑफिस में अपने से निचले वर्ग के कर्मचारियों पर रौब झाड़ रही थी। रोशनी ने झुमकी को डांटते हुए कहा कि साहब के कमरे में ठीक ढंग से झाड़ू लगाया करो। यह क्या साहब की मेज पर तो चारों तरफ धूल ही धूल है। उसे भी साफ कर दिया कर। रुपए किस… Continue reading छोटी सी दुनिया
(टौमी की निकली बारात) कविता
टॉमी की निकली बारात। जंगल में सबके लिए थी खुशी की सौगात।। टॉमी ने जंगल के सभी जानवरों को था बुलाया। ठुमक ठुमक कर बैंड बाजे वालों के साथ खुशी से था इतराया।। लोमड़ी भी बधाई देने आई। उसके साथ उसकी सखियों ने आकर धूम मचाई।। बिल्ली भी लहंगा पहन कर आई। हिरनी नें भी… Continue reading (टौमी की निकली बारात) कविता
दर्द का रिश्ता
पारो वर्षा में भागी जा रही थी। उसकी बेटी बुख़ारी में तप रही थी। वह अपनी बेटी मुन्नी के लिए दवाइयों का इंतज़ाम करने जा रही थी। उस छोटे से घर में वह अपनी बेटी के साथ एक साल से रह रही थी। कोई नहीं जानता था कि पारो कहां से आई है? वह मेहनत… Continue reading दर्द का रिश्ता
छुक छुक छुक करती आई रेल
छुक छुक छुक करती आई रेल। धूम धूम धूम करती आई रेल।। छक छक छुक छुक करती आई रेल। खाती कोयला बिजली और तेल।। छक छक छूक छूक करती आई रेल। भूक भूक भक भक करती आई रेल।। यात्रियों को गंतव्य स्थान पर पहुंचाती है। हर जगह अपना करिश्मा दिखाती है। पटरी पर चल कर… Continue reading छुक छुक छुक करती आई रेल
(वीर बनों प्रतिभावान बनों तुम) कविता
वीर बनो, प्रतिभावान बनो तुम। विद्वान बनों, एक नेक इन्सान बनों तुम। जग में अपनी कीर्ती से अपना नाम करो तुम।। कठिनाइयां सहकर भी ताकतवर बनो तुम। अपने गुरुजनों के आशीर्वाद से फलो-फूलो तुम।। अपनी हिम्मत और ताकत को तुम कभी मत खोना। सच्चाई के पथ पर निर्भर हो कर जीना।। अपने भाग्य के निर्माता… Continue reading (वीर बनों प्रतिभावान बनों तुम) कविता
छोटी सी भूल
लोकनाथ के परिवार में उसकी पत्नी एक बेटा और बेटी थी। यही उनकी छोटी सी दुनिया थी। दिन रात मेहनत करके जो मिलता उस से अपनी पत्नी निर्मला और बच्चों का पेट भरता था। लोकनाथ बहुत ही मेहनती था। वह सुबह सुबह हल लेकर खेत को जोतने निकल पड़ता था। उसकी पत्नी निर्मला अपने पति… Continue reading छोटी सी भूल
रूलदू और गडरिया
एक चोर था वह अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से कस्बे में रहता था। उसकी पत्नी बहुत ही नेक थी वह चोर को कहती थी कि चोरी का धंधा छोड़ दो ।चोर कहता था जब तक मुझे कोई काम नहीं मिलेगा मैं चोरी करना नंही छोड़ सकता क्योंकि मैं पढ़ा लिखा नहीं हू।ं मेरे… Continue reading रूलदू और गडरिया
रहस्यमयी गुफा भाग3
भोलू जैसे ही हड्डियों को दबाकर आया उड़ने वाले घोड़े पर बैठकर सीधा गुफा से बाहर निकल गया। उस नें गोलू को कहा कि गाय की हड्डियों को मैं उस गुफा के पास बरगद वाले पेड़ के पास बनें गड्डे में 5 कोनों में दबा आया हूं। जल्दी से घर चलते हैं। उड़ने वाले घोड़े… Continue reading रहस्यमयी गुफा भाग3
सच्ची राह कविता
वृद्धों का ना तुम करो अपमान। भविष्य की संचित निधि समझकर सदा करो उनका सम्मान।। इन कीमती निधि को यूं ना तुम ठूकराना। अपने संस्कारों से तुम यूं ना पीछे हट जाना।। उनके साथ रह कर ही आती है घर में खुशहाली। हीरे मोती से बढ कर है घर में उनकी शोभा निराली।। अपने मां… Continue reading सच्ची राह कविता