वीरा दीदी

किसी गांव में चंदू अपनी पत्नी झुमकी के साथ रहता था। वह बहुत ही सीधा साधा था। उसकी एक बेटी थी वीरा। । वीरा को वह बहुत ही प्यार करता था। वीरा भी हर काम में अपने मां का साथ दिया करती थी। एक दिन वीरा को छोड़कर उसकी मां सदा सदा के लिए परलोक… Continue reading वीरा दीदी

नशा नाश का दूजा नाम

नशा नाश का दूजा नाम। घर की बर्बादी है इसका काम।। नशे से अपनें बच्चों को बचाना। तुम उन्हें प्यार से समझा कर होश में लाना।। इससे जग में तो होगी ही जग हंसाई। अपनी रही सही इज्जत भी समझो तुम ने गंवाई।। नशे की आदत से बचो दुनिया वालों। अभी भी वक्त है संभल… Continue reading नशा नाश का दूजा नाम

धरोहर

एक बनिया था। वह बहुत ही कंजूस था। हर आने जाने वाले ग्राहकों को उल्लू बनाकर उनसे ज्यादा रुपया ऐंठना उसकी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल था। हर एक ग्राहक को चुना लगा कर ही दम लेता था। उसके बूढ़े पिता उसे जग्गू कहकर बुलाते थे। उसके पिता उससे कहते बेटा अपना काम ईमानदारी से… Continue reading धरोहर

भाई की सीख

एक छोटा सा गांव था।वंहा पर लगभग ३000 के करीब लोग रहते थे।उस गांव मे सुखवीर और तनवीर दो महिलाएं थी। वह दोनों एक साथ वाले घर में रहती थी यह दोनों महिलाएं आपस में इतना लड़ती कि जोर जोर से एक दूसरे पर चिल्लाने की वजह से इधर उधर सारे मोहल्ले के लोग उन… Continue reading भाई की सीख

जग में ऊंचा नाम करो

काम ऐसे करो कि जग में ऊंचा नाम हो। हर एक शख्स के लव पर एक तुम्हारा ही नाम हो।। मायूसियों में भी आशा कि किरणों का दामन थाम लो। खुशी से गले लगा कर उसका माथा चूम लो।। आत्मविश्वास और उत्साह जगाकर नेक काम करनें का संकल्प ठान लो। देश के काम आ सको… Continue reading जग में ऊंचा नाम करो

नई भोर की उजली किरणें (कविता

नई भोर की उजली किरणें। उम्मीदों और उमंगों का एहसास दिलाती है। मुक्त गगन में उड़ते हुए पक्षियों की चहचाहट से हर सुबह जगाती है।। चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आती है। नई भोर की उजली किरणें उम्मीदों और उमंगों का एहसास दिलाती है। कोयल की कूक कूक और मंदिर के घंटो की नादों… Continue reading नई भोर की उजली किरणें (कविता

जिन्दगी की परख (कविता

एक दूसरे की बातें बना कर इधर उधर समय गंवाते हम। शायद यह बात सभी को समझा पाते हम।। अपने आप की कमियों को नहीं तलाशते। दूसरे में बुराईयां खोजते फिरते हम। अपनी कमियों से सीख ले कर दूसरों को भी समझा पाते हम।। उपदेश तो सभी को देते फिरते। अपने आप अमल करनें से… Continue reading जिन्दगी की परख (कविता

अपनें पराए

किसी गांव में मोनू और सोनू दो भाई थे। मोनू अपने परिवार में बड़ा बेटा था। सोनू छोटा। मोनू और सोनू के माता-पिता नहीं थे। मोनू अपने भाई को बहुत ही प्यार करता था। वह उसकी आंखों में कभी भी आंसू नहीं देखना चाहता था। उसने बचपन से ही अपने भाई को मां और बाप… Continue reading अपनें पराए

जीनें की राह

किसी गांव में वैशाली नाम की एक औरत थी। उसके एक बेटा था। वह कपड़े सिल सिल कर अपना तथा अपने बेटे का पेट पाल रही थी। उसके पिता नहीं थे। उसका बेटा आठवीं कक्षा में पढ़ता था। किशन बहुत ही होशियार था उसके गुरुजन उस से बहुत प्यार करते थे। वह जो कुछ अध्यापक… Continue reading जीनें की राह

मंजिल

अपनी मंजिल को तलाशते तलाशते। यूं ही राही चला चल चला चल चला चल। यूं ही मुस्कुरा कर यूं ही बेखौफ होकर चला चल चला चल चला चल।। सपनों के भवर में तुम यूं ना खो जाना। कठिनाइयों से घबराकर अपने पथ से यूं न विचलित हो जाना।। परेशानियों में जो ना डगमगाए। वही इंसान… Continue reading मंजिल