भाई की सीख

एक छोटा सा गांव था।वंहा पर लगभग ३000 के करीब लोग रहते थे।उस गांव मे सुखवीर और तनवीर दो महिलाएं थी। वह दोनों एक साथ वाले घर में रहती थी यह दोनों महिलाएं आपस में इतना लड़ती कि जोर जोर से एक दूसरे पर चिल्लाने की वजह से इधर उधर सारे मोहल्ले के लोग उन दोनों को लडता देखकर सभी लोग दुःखी रहते। वह सोचते कि ऐसा क्या करें जिससे की वह दोनों लड़ना छोड़ दे। ऐसा कोई भी व्यक्ति उस मोहल्ले में नहीं था जो उनको लड़ता देखकर उनकी सुलह करवा दे । लोग बहुत परेशान हो चुके थे बच्चे भी पढ़ाई नहीं कर सकते थे। सारे मोहल्ले की वह दोनों बौस थी।सभी लोग उन दोनों से डरते थे। दोनों के सामने उनकी बोलती बंद हो जाती थी एक दिन वहां पर एक व्यक्ति आया उस व्यक्ति की नौकरी बिजली विभाग में उसी गांव में लगी थी वह वहां पर कमरा देखने आया था लोगों ने सोचा कि उस व्यक्ति को क्यों ना उन दोनों महिलाओं के पास भेज देते हैं आसपास के मोहल्ले वालों ने उसे तन्वीर के पास भेज दिया। उससे कहा तनवीर के पास मकान खाली है। तुम उस के घर जा कर पता करो। वह जब पूछते पूछते तनवीर के घर पंहूंचा वहां पर ताला लगा हुआ था। दूसरे आसपास के लोगों ने उस से कहा तुम सुखवीर के घर जा कर पता करो। वह जैसे ही सुखबीर के घर की ओर जा रहा था तो किसी ने बताया कि बेटा नीचे वाला घर तनवीर का है। राजू बोला यह घर तो अभी मैं देख कर गया था यहां तो ताला लगा है। एक आदमी ने कहा बेटा लगता है तुम यहां नये नये आए हो। अभी तुम यहां से वाकिफ नहीं हो। जहां पर तुम्हें जोर-जोर से झगड़ने की आवाज सुनाई दे तो समझना कि तुम ठीक जगह पहुंच चुके हो वह बोला हम तुम्हे एक काम सौंपते हैं। राजू बोला अंकल क्या बात है? आप मुझे क्या काम सौंपना चाहते हैं? जल्दी बताओ वह आदमी बोला अगर तुम हमारा यह काम कर दो तो मैं समझूंगा कि तुम वास्तव में बहुत ही बुद्धिमान इंसान हो। गांव के व्यक्ति ने बताया कि हम इन दोनों महिलाओं से बहुत ही तंग आ चुके हैं। यह दोनों सुबह-सुबह लड़ती है झगड़ती है इतनी जोर जोर से एक दूसरे पर चिल्लाती है तो आस पास के सारे लोग उन दोनों महिलाओं को लड़ता देखते हैं तो उन दोनों को छुड़वाने की कोशिश करते हैं परंतु वे दोनों किसी की भी नहीं सुनती। सबको खरा खोटा सुनाने लगती है। हम तो सब मोहल्ले वाले इनकी चिल्लाहट से बहुत ही दुःखी हो जाते हैं। आज तक इन दोनों महिलाओं की कोई भी सुलह नहीं करवा सका। तुम अगर इन दोनों की कड़वाहट को सुलझा दो तो हम सब मोहल्ले वाले तुम्हें ₹5000 देंगे। राजू बोला ठीक है मैं इन दोनों महिलाओं की कड़वाहट को सदा के लिए समाप्त करवा दूंगा तुम्हें भी इसके बदले में अपनी बात पर कायम रहना होगा।। यह बातें हम लोगों के बीच में ही रहनी चाहिए वह आदमी वहां से चला गया ।
राजू अब सुखबीर के घर पहुंचा उसने दरवाजा खटखटाया। अंदर से एक महिला ने दरवाजा खोलते हुए कहा तुम कौन हो और तुम यहां क्यों आए हो। आंटी जी मैं यंहा मकान किराए पर लेना चाहता हूं मुझे पता चला है कि आपके पास एक कमरा खाली है वह बोली मकान तो तुम्हें मिल जाएगा मगर तुम्हें मेरा किराया महीने के आखरी दिन अदा करना होगा और समय पर किराया दोगे तो तुम्हें यह मकान मैं किराए पर देने के लिए तैयार हूं । वह बोला आंटी जी एक महीने का एडवांस आज ही मैं तुम्हें दे देता हूं राजू बोला आंटी जी धन्यवाद आप तो बहुत ही अच्छी है तब वह बोला मैं आज बहुत ही थक चुका हूं ।मैं आराम करना चाहता हूं। सुखबीर बोली यह दरवाजा दूसरी तरफ से भी खुलता है पर दूसरी और एक और अलग मकान है। यहां पर दूसरे लोग किराये पर रहते हैं।
राजु नेें दरवाजा बंद कर दिया दूसरी तरफ से उसने दरवाजा खोल दिया। वहां साथ में ही उसकी पड़ोसन तन्वीर रहती थी राजू को समझते देर नहीं लगी तनवीर और सुखबीर की आपस में नहीं बनती है। मुझे तो इन दोनों की कड़वाहट को मिटाना है। उसके लिए उसे 5000 रुपए मिलेंगे। मैं ऐसा क्या करुं जिससे वह दोनों लड़ाई झगड़ा छोड़ कर आपस में प्यार से रहे तभी राजु के दिमाग में एक विचार आया वह तनवीर के घर आकर बोला नमस्ते आंटी जी तनवीर उनको देखकर बोली बेटा तुम कौन हो? तब वह बोला मैं आपका नया पड़ोसी हूं। आंटी जी आपके बारे में तो आपकी सहेली सुखबीर ने मुझे बताया है उन्होंने मुझे बताया कि हम दोनों सहेलियों का आपस में इतना प्यार है कि पूछो ही मत। हम आपस में इतना लड़ती हैं कि अगर हम ना लड़े तो हमारा खाना ही हजम नहीं होता। हम एक दूसरे को ना देखें तो लगता है कि आज पता नहीं क्या हुआ है। लगता है कि हम दोनों का पिछले जन्म का कोई रिश्ता है। मैं जब तक उनके घर में जा कर उनके हाथ का बना हुआ हलवा खाती हूं तो लगता है कि सारा दिन मिठास भरा व्यतीत होता है। राजू इतना कहकर वहां से चला गया। तनवीर ने सोचा मैं तो अपनी सहेली के साथ सच मुच में ही लड़ाई करती हूं। मैंने तो कभी भी अपनी सहेली के बारे में कभी भी एसा नहीं सोचा मुझे तो वह एक डायन लगती है। मगर वह मेरे बारे में इतनी अच्छी सोच रखती है और मैं इतनी बड़ी पागल हूं जो जानबूझ कर उससे लड़ती हूं। एक दिन मैंने उसे हलवा क्या खिलाया वह तो मेरी इसके सामने इतनी प्रशंसा करने लगी पर आगे से मैं भी उस से लड़ते हुए उसे झूठ-मूठ में ही लड़ाई करुंगी। वह तो सचमुच में ही मेरी कोई बड़ी बहन लगती है। जो उसने इस नए आदमी के पास मेरी इतनी प्रशंसा कर दी वर्ना नहीं तो किसी के पास ही यूं ही कोई किसी की प्रशंसा क्यों करने लगा। मैं भी अब सुखबीर के साथ लड़ाई झगड़ा नही किया करूंगी। मैं उसके साथ प्यार से पेश आऊंगी। राजू अब अपनें कमरे मे वापिसं आ चुका था वह सोचने लगा कि उसने तो झूठ-मूठ में ही तनवीर के पास जा कर सुखवीर. की झूठी प्रशंसा कर दी। सुखबीर ने तो तनवीर के बारे में कुछ भी नहीं कहा ।हे! भगवान दोनों को इस सच्चाई का पता नहीं चलना चाहिए अचानक तभी घड़ी के अलार्म को सुनकर राजू दौड़ा और उसने अलार्म को बंद कर दिया ।
दूसरे दिन राजू ऑफिस पहुंच गया था लोगों ने देखा तनवीर सुखबीर को कह रही थी बहन आप तो बहुत हीअच्छी हैं। मुझे ऐसा लगता है कि हम दोनों पिछले जन्म में बहने थी। वह भी जुड़वां बहन आज मेरे घर पर एक चाय का प्याला पी कर जाओ तनवीर की बात सुनकर सुखवीर चौकी परंतु अपने आप को संभालते हुए बोली नहीं बहन, चाय तो मैं किसी दिन आ कर पियूंगी आज तो मुझे बहुत ही काम है। लोग हैरान थे आज तो दोनों तू तू मैं मैं करने वाली दोनों महिलाएं बहुत ही शांत थी।
मोहल्ले वालों नेे सोचा एक दिन से क्या होता है कल फिर दोनों लड़ना शुरू कर देंगीे। सुखबीर ने राजू को कहा कि बेटा यहां दूसरी तरफ मेरी एक सहेली रहती है वह भी बहुत ही अच्छी है। उसके मुंह से यह बात सुनकर राजू सोचने लगा। मेरी इतनी सी बात का इन दोनों पर इतना बड़ा असर हुआ दूसरे दिन राजू ऑफिस से जब आया तो वह बाजार से पकोड़े खरीद कर लाया। हम तीनों बैठ कर खाते हैं
तीनों पास पास ही बैठ गए थे। राजू नें तनवीर के पास पकौड़े खानें के लिए आगे कर दीऔर बोला आंटी जी पकौड़े खाओ। तनवीर बोली नहीँ पहले पकौड़े मेरी बड़ी बहन को दो। पहले वह खाएगी उसके बाद मैं खाऊंगी। तनवीर नें जब ऎसे शब्द कहे तो सुखवीर की आंखों से आसूं छलक पड़े।।
सुखबीर सोचने लगी कि मैं तो अपनी सहेली के बारे में ना जाने कितनी नकारात्मक सोच रखती थी। यह तो इतनी अच्छी है तनवीर बोली आज तुम दोनों मेरे ही घर खाना खाना शाम को सुखवीर तनवीर के घर खाने पर पहुंच गई। दोनों के मन में कड़वाहट का नामोनिशान ही नहीं था। राजू बोला स्वादिष्ट खाना खिलानें के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपका स्वादिष्ट खाना खाकर मैं तो भूल ही गया था कि मैं कहीं दूसरी गांव में पहुंच चुका हूं क्योंकि मुझे अपने घर से आए हुए पांच महीनें हो चुके हैं। पता ही नहीं चला। तुम सब का इतना भरपूर प्यार मिला। सारे गांव के लोग राजू की बुद्धिमान की प्रशंसा करने लगे उन्होंने वादे के मुताबिक 5000 ला कर राजू को दे दिए। राजू 5000 पाकर बहुत खुश हुआ। यह ईनाम उसे उन दोनों महिलाओं की वजह से मिला था। इस तरह उसको काम करते करते वहां पर आठ महीने हो गये। वह जल्दी ही अपना स्थानंतरण अपनें गांव करवाना चाहता था। उसके घर में उसकी बूढी मां को देखने वाला कोई नहीं था। इसलिए उसने अपने स्थानातंरण के लिए अर्जी दे दी थी। उस की अर्जी मंजूर हो ग्ई थी।
सारे गांव के लोग खुश थे। शाम को जब राजू ऑफिस से घर आया तो उसने बताया कि मेरा स्थानांतरण अपने ही गांव में वापस हो चुका है। मैं तो आपके गांव में आकर आप दोनों से इतना हिल मिल गया था कि पूछो ही मत। मुझे तो ऐसा लगता था कि मुझे दो प्यारी प्यारी आंटियां मिल चुकी है। मैं तो आज आप दोनों के लिए उपहार लेकर आया हूं। उसने उन दोनों को एक एक साड़ी ला कर दी। उसने उन दोनों को कहा कि आज मैं आप दोनों को एक सच्चाई से अवगत करवाना चाहता हूं। पहले वादा करो कि तुम दोनों आपस में इतने ही प्यार से रहोगी जैसे अभी भी मैं तुम्हें देख रहा हूं। मेरे जाने के बाद तुम आपस में लड़ना मत। वे दोनों साड़ियां पाकर बहुत ही खुश हो कर बोली। हम कसम खाते हैं हम दोनों आपस में कभी नहीं लड़ेगी क्योंकि हम दोनों एक दूसरे पर पहले इतना कटाक्ष करती थी कि आसपास के लोग चलते हुए हम पर बहुत ही गुस्सा होते थे।
राजू बोला मैंने तुम दोनों को आपस में इतना प्यार करते हुए देखा। गांव के लोगों का तो आप दोनों के प्रति बहुत ही गलत नजरिया है दोनों आपको झगड़ालू समझते हैं। वे तो आप दोनों का ऐसा रूप देखकर चौक रहे हैं। उन्हें तो विश्वास ही नहीं हो रहा है कि वे दोनों वही महिलाएं है जो आपस में एक लड़की थी। मैं जिस दिन यंहा आया था तब यहां के लोगों ने मुझे कहा था कि हम दोनों इन दोनों महिलाओं के लड़ने झगड़ने के कारण बहुत ही परेशान हैं तुम तो इस गांव में नए आए हो अगर तुम इन दोनों का झगड़ा समाप्त करवा दो तो हम तुम्हें ₹5000 देंगे। यह ईनाम मुझे इन लोगों ने ही दिया है जिससे मैं तुम्हें साड़ियां लाया हूं। मैंने झूठ में ही एक दूसरे के पास तुम्हारी प्रशंसा कर दी। मुझे यह पता नहीं था कि इस प्रशंसा का तुम दोनों पर इतना असर होगा आज देख भी लिया परंतु सच्चाई जानकर तुम दोनों एक दूसरे के साथ झगड़ा मत कर देना। इसलिए मेरे जाने के बाद तुम अपने भाई की सीख को याद रखना। लड़ाई झगड़ा करने से कुछ हासिल नहीं होता तुम दोनों एक दूसरे के साथ लड़ते झगड़ते रहोगी तो ना तुम सुखी रहोगी और ना तुम्हारे आसपास के रहने वाले लोग। लोगों का क्या है वह तो लड़ाई झगड़ा देख देख कर खुश होते रहते हैं। लड़ाई झगड़े से कोई मसले हल नहीं हुआ करते। तुम अगर मेरी बात मानो तो आज के बाद झगड़ना मत। वह अलविदा कह जाते हुए राजू को देख रही थी वह समझ गई थी कि यह फरिश्ता उन दोनों को आपस में मिलाने आया था। वह अच्छी सीख दे कर गया था। वह नम आंखों से राजू को विदा कर रही थी। सुखबीर ने तनवीर को कहा कि आज हम दोनों प्रण लेती हैं कि हम दोनों में जितनी मर्जी कड़वाहट आ जाए हम दोनों एक दूसरे के साथ कभी भी अलग नहीं होंगे। शायद सच में हम दोनों पिछले जन्म में जुड़वा बहनें थी। दोनों कड़वाहट भुलाकर एक दूसरे के गले लग गई।

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