धरोहर

एक बनिया था। वह बहुत ही कंजूस था। हर आने जाने वाले ग्राहकों को उल्लू बनाकर उनसे ज्यादा रुपया ऐंठना उसकी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल था। हर एक ग्राहक को चुना लगा कर ही दम लेता था। उसके बूढ़े पिता उसे जग्गू कहकर बुलाते थे। उसके पिता उससे कहते बेटा अपना काम ईमानदारी से करते चल वह अपने पिता को कहता की पिता जी आप क्या जानते हैं? मैं तो अपना काम जी जान और मेहनत से करता हूं। आप क्या जाने? मेरे साथ किसी दिन दुकान पर चलना। उसके पिता केदारनाथ ने सोचा चलो किसी दिन इसके साथ ही इसकी दुकान का जायजा लेने के लिए चलना चाहिए। जग्गू अपने पिता को कहने लगा कि पिताजी आप मेरे साथ दुकान पर चल कर क्या करोगे। आप घर पर बैठकर ही पूजा पाठ करो। उसका पिता केदारनाथ सोचनें लगा मेरा बेटा मुझे अपने साथ दुकान पर ना ले जाने के लिए मना कर रहा है। वह कहने लगा चलो कोई बात नहीं फिर किसी दिन तुम्हारी दुकान परआकर तुम्हारी दुकान का जायजा लूंगा। उसका बेटा बहुत ही खुश हो गया चलो आज तो पीछा छूटा। अगर पिताजी देख लेते कि बाहर आने जाने वाले ग्राहकों को बेवकूफ बनाता हूं तो फिर क्या होगा। जो भी ग्राहक उस की दुकान पर आता बनिया उस से उसी तरह पेश आता कि जैसे उसके से ज्यादा कोई भी उस व्यक्ति की सहायता नहीं कर सकता। उस ग्राहक के साथ बड़े ही प्यार से पेश आता था। ग्राहक भी उसकी चिकनी चुपड़ी बातों में आकर जग्गू से सामान लेने को विवश हो जाते थे। इधर उधर की बातें कर उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन से ग्राहकों के ऊपर अपनी अमिट छोड़ चुका था। एक दिन एक
ग्राहक उसकी दुकान पर आकर बोला बाबूजी आप आज मुझे सामान उधार दे तो आप का भला होगा। क्यों नहीं बेटा? कितने रुपए का सामान।ग्राहक बोला ₹300 तक का समान होना चाहिए। ग्राहक ने सामान की लिस्ट जग्गू को थमा दी। जग्गू बोला यह सामान तो मिल जाएगा मगर तुम्हें 15 दिन बाद इन रुपयों के सामान की कीमत अदा करनी होगी। ग्राहक बोला ठीक है। मैं मेहनत मजदूरी करके 15 दिन बाद तुम्हे ₹300 दे दूंगा। एक शर्त पर तुम्हें सामान दे देता हूं तुम्हें इनके ₹300 की जगह ₹400 देने होंगे। देखो मैं तुमसे अभी कुछ नहीं ले रहा हूं। तुम 15 दिनों के बाद लौटा देना। उसको सामान की जरूरत थी उसने उस ग्राहक को ₹300का सामान दे दिया। आने जाने वाले ग्राहकों से इसी तरह से सौ सौ रुपए ज्यादा हड़प लेता था। दिन में भी ग्राहक आते सबसे वह सौ सौ रुपए ले लेता था शाम तक उसके पास काफी रुपये जमा हो जाते थे।
कई सारे लोग अनपढ़ अंगूठा छाप होते थे। उन में से कुछ एक ऐसे थे जिन बेचारों को पढ़ना लिखना नहीं आता था। कितने रुपए का सामान बना। और किस ग्राहक से बनिए नें ज्यादा रुपये लिए। उन को अनपढ़ होनें की वजह से रुपयों का लेनदेन करना नहीं आता था वे बेचारे कोरा कागज होनें की वजह से अपनें रुपये गंवा बैठते थे।
एक दिन बनिए की बेटी को उसके दादा जी नें समझाबुझा कर दुकान पर भेजा तू जा कर देख आ तेरा बापू दुकान की कैसी देखरेख करता है। मिन्नी सब कुछ देख रही थी। उसने बाबा की दुकान का जायजा लेने की कोशिश कि। वहां पर जाकर उसने देखा उसके बापू एक ग्राहक से कुछ बात कर रहे थे। वह सुनने लगी। मेरे भाई तुम यहां क्या लेने आए हो? वह बोला भाई मुझे कुछ लेना नहीं। मैं अपनी मर्जी से यंहा आया हूं। मैंने सोचा चल कर देखता हूं आप की दुकान कैसी चल रही है। बनिया बोला तुम यहां सामान लेने आए हो या सामान का जायजा लेने आए हो। मैं तो सामान बेचता हूं इतने में एक ग्राहक आ कर बोला कि मालिक साहब जी मुझे कुछ राशन दे दो। उसने राशन तुलवाया। वह पढ़ा लिखा नहीं था उसने सामान की लिस्ट बनिए को पकड़ा दी यह सारा का सारा सामान ₹600 का है। ग्राहक बोला ₹600 का हिसाब तो मुझे नहीं पता। उसने अंगूठा लगा दिया। उसने ना जाने कितने लोगों को बेवकूफ बनाकर उनके रुपये अपनी तिजोरी में भरता रहा। मिन्नी नें सब कुछ अपनी आंखों से देखा। उसने अपने पिता की डायरी में लिखा हुआ सारा सामान देख लिया। बनिया एक जगह अपनी असली बही बनाता था और एक जगह पर झूठी बही बनाता था। एक बहीं पर तो ठीक-ठाक सामान की सब की जानकारी लिखी थी और दूसरी बही में ज्यादा लिए गए रुपये।उस बही पर लोगों से ज्यादा रुपया ले ले कर इस तरह उसने ₹50, 000 का चूना उन गरीबों को लगा दिया था। उसकी बेटी हर रोज दुकान पर आती। उसकी तिजोरी में से जितने ग्राहकों से उसने अधिक रुपए वसूल किए थे वह अपने घर के लॉकर में अपनी मां के पास सुरक्षित रख देती थी। मिन्नी नें अपनी मां को बताया कि बाबा अनपढ़ लोगों से और दूसरे ग्राहकों को जो सामान बेचते तो है पर उनसे ज्यादा रुपए लेते हैं। मुझे यह सबअच्छा नहीं लगता। मैंने अपने बाबा द्वारा ज्यादा लिए हुए रुपए घर के के लौकर में सुरक्षित रख दिये हैं। यह सब उन गरीब लोगों की मेहनत से कमाई हुई खून पसीनें की कमाई है।
एक दिन उसने अपनी मां को कहा कि इन रुपयों को बैंक में जमा करा दो जितना ब्याज मिलेगा हम सब लोगों द्वारा लिए गए रुपये उन्हें वापस कर देंगे। बाबा को इस बात का पता नहीं चलना चाहिए।
एक दिन बनिए की पत्नी अपने पति से बोली कि आप लोगों को बहका बहका पर उनसे ज्यादा रुपया मत लिया करो। हमारे पास किस वस्तु की कमी है। सारी सुख सुविधाएं हैं धन दौलत है प्यारी बेटी है जो रात दिन आप की सेवा करती है। आप को और क्या चाहिए? वह बोला हर मामले में टांग मत अडाया करो अपना काम ईमानदारी से तुम ही किया करो। बढ़ी आई ईमानदारी दिखाने वाली। उसकी बेटी अपने पिता के पास जाकर बोली की पिताजी झूठी धन दौलत से आप खुशी तो प्राप्त कर सकते हो लेकिन उस से आप सच्ची खुशी प्राप्त नहीं कर सकते। वह गुस्सा होकर अपनी बेटी को बोला। तुम सिखाओगी मुझे खुशी। वह बोली पिता जी मैं आपसे छोटी हूं लेकिन अच्छी सीख तो एक बच्चे से भी ली जा सकती है। आप कभी खुश नहीं रह सकते। आप गरीब लोगों से ज्यादा रुपए पर हस्ताक्षर कर उनका रुपया छल कपट से अपनी तिजोरी में भर लेते हो। आपके पास इस तरह की दौलत एक दिन किसी काम की नहीं आएगी। धन दौलत से ऐशोआराम की वस्तु तो खरीदी जा सकती है लेकिन अपने मन की शांति आप कभी नहीं खरीद सकते। आप इन लोगों की हाय लेकर क्या करोगे।
गरीब लोगों की करुण वेदना क्या आपको नजर नहीं आती? एक दिन आपको यह सब करता देख कर मैं सारी रात सो नहीं सकी। आप कैसे यह घिनौना काम कर के चैन की नींद सो जाते हो। पिताजी अभी भी समय है।
बनिया बोला पिददी सी हो और जुबान कैंची की तरह चलती है। चली जाओ मेरी आंखों के आगे से। मिन्नी बेहोश होकर नीचे गिर पड़ी। वह बेहोशी की हालत में भी वही बोलती जा रही थी। आप नें इन गरीब लोगों के जो रुपये ज्यादा लिए हैं वह रुपया लौटा दो। दादा जी को तुम्हारी असलियत पता चल चुकी थी वह भी गांव लौट गए वह हमें कह गए जब तक मेरा बेटा यह रुपयों का लालच छोड़ नहीं देता तब तक इस घर में कदम तक नहीं रखूंगा। उन के रुपये उन्हें वापस कर दो। बूढ़ा कंजूस बनिया एक भी रुपया खर्च करने के लिए तैयार नहीं था। उसकी पत्नी बोली तो आप भी मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो मैं भी अपनी बेटी को लेकर यहां से जा रही हूं। मेरी बेटी भी है यहां नहीं रह सकती। हम दोनों मां बेटी कहीं और जाकर रह लेते हैं।
बनिये ने अपनी बेटी को तरह-तरह के प्रलोभन दिए मगर उसकी बेटी टस से मस नहीं हुई। दोनों मां बेटी घर छोड़ कर चली गई। जाते जाते उन्होंनें नहीं बताया कि हम कहां जा रहे हैं। दोनों मां-बेटी पति(पिता) को छोड़कर चले गई। कुछ दिनों तक अकेले काम करता रहा। उसे पानी तक को भी पूछने वाला कोई नहीं था। एक दिन काम करने के लिए एक नौकर रख लिया। कि सेठ जी आप को काम करवाना है तो आपको मुझे 1000रुदेंनें होंगें। कंजूस बनिया नहीं माना बोला। तू जा कहीं और काम कर। कोई भी उसके यहां काम करने को तैयार नहीं हुआ। उसे छठी का दूध याद आ गया। जब उसे सारा घर का काम करना पड़ा। एक दिन बीमार पड़ गया। उसके फैमिली डाक्टर नें उस से कहा कि तुम्हारा लीवर खराब हो चुका है। एक किडनी भी खराब है। उसने काफी कोशिश कर ली मगर ठीक नहीं हुआ। अपनी बेटी और पत्नी को याद करने लगा।उसकी सेवा करनें वाला कोई नहीं था। उसकी बेटी और पत्नी को जब यह पता चला कि बनिया बहुत ही बिमार है वह दोनों घर आ गई। आकर बोली। मैं आपको कहा करती थी कि आपकी यह झूठ से कमाई दौलत किसी काम की नहीं। अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते हो। आप के इलाज में ना जाने कितना रुपया खर्चा आएगा अगर आपके पास जो धन दौलत है वह भी काम नहीं आई तो क्या होगा।
एक दिन डॉक्टर ने बनिए को कहा कि तुम्हारे इलाज के लिए 10, 000, 00 रुपए लगेंगे वह इतने रुपये खर्चा सुन कर हैरान हो गया। वह बेहोश हो कर जमीन पर गिर पडा। वह कहां से इलाज करवाता। उसकी बेटी बोली पापा अभी भी समय है उन मजदूर लोगों का जो रुपया बनता है उसे वापस कर दो। बनिया बोला वह मैंने सारा का सारा खर्च कर दिया। उसकी बेटी बोली अगर आपके पास इतना रुपया होता तो भी आपने उनका रुपए नहीं नहीं लौटाना था।उसके पिता मिन्नी को बोले। मैं तुम्हारी बात एक शर्त पर अवश्य मानूंगा। तुम और तुम्हारी मां दोनों वापस घर आ जाओ। जैसे तुम दोनों कहोगी वैसे ही करूंगा। मां बेटी दोनों घर वापिस आ गई। उन्होंने सिलाई सेंटर खोलकर कुछ रुपया कमाया था। उसकी बेटी बोली अगर मैं आपको रुपए वापस करने को दूं तो क्या आप उनको रुपए वापस कर देंगे? वह बोला तुम इतना रुपए कहां से लाओगी। मैंने 50, 000 मजदूरों को वापस करना है। उसकी बेटी ने 50, 000 ला कर अपने पिता को दिया और कहा कि अपने घर में एक भोज का आयोजन करो और उनसे यह कहो कि मेरी बेटी और पत्नी के घर वापस आने की खुशी में मैं यह भोज दे रहा हूं। उसके सारे के सारे ग्राहक उसके भोज निमन्त्रण में एकत्रित हुए। बनिए ने हर एक के रुपये लौटाते हुए कहा कि मैं तुमसे ज्यादा कर लिया करता था। यह तुम्हारा ब्याज है। सब के सब लोग एक साथ ही ब्याज पाकर खुश हो गए। हम सब स्वपन तो नहीं देख रहे। हमारा मालिक हम पर इतनी जल्दी मेहरबान कैसे हो गया? लोगों को खुशी थी कि उनके मालिक नें उनके हक के रुपये खर्च नहीं किए थे बल्कि बैंक में रखे थे। जिससे ढेर सारा ब्याज मिला था।
एक दिन बनिया बहुत बीमार पड़ गया। उसकी बीमारी में सारे के सारे रुपए खर्च हो गए। उसके पास घर के खर्च तक के भी रुपए नहीं बचे थे। सारे ग्राहको को जब मालूम पड़ा कि उनका सेठ बनिया अपनी जिन्दगी की आखिरी सांसे गिन रहा है। वे सारे के सारे मिल कर उस बनिए के घर आ कर बोले आप पर मुश्किल आन पड़ी है। मुश्किल की घड़ी में आपने हमारी सहायता ही नहीं कि बल्कि हमें ब्याज सहित हमारा रुपया लौटा कर हमारा हौसला बढाया है। आपका साथ देने की अब हमारी बारी है। आप जल्दी से ठीक हो कर घर आएं। आप के पास हमारे रुपये धरोहर के रूप में सुरक्षित रहेंगे। बनिए की आंखों में खुशी के आंसू थे। वह बोला तुम सब मुझे माफ कर दो। मैंने तुम सब लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। मेरी बेटी ने और मेरी पत्नी नें मिल कर मुझे समझाया ही नहीं बल्कि एक गुरु की तरह सीख देकर तुम्हारा रुपया लौटानें के लिए मुझे विवश किया। मेरी बेटी हर महीनें बैंक में जा कर रुपये जमा कराती थी ताकि बाद में तुम को लौटा कर के अपना फर्ज पूरा करने सकें। ब्याज के रूप में तुम सब को यह राशि मिली। बनिए के स्वास्थ्य में धीरे धीरे सुधार होंने लगा।
एक दिन जब बनिया घर वापिस आया तो घर के अन्दर से जोर जोर के हंसने की आवाजें सुन कर चौका। वह दरवाजे के बाहर कान लगाकर सुनने लगा। उसकी पत्नी और बेटी अपने फैमिली डॉक्टर से कह रही थी आपने मेरे पति को नई जिंदगी दी है। हमारा यह नाटक काम कर गया। आप सचमुच में ही बहुत महान हो। मेरे पति कभी भी उन ग्राहकों को उन के रुपए वापस नहीं कर सकते थे । आपने इस नाटक में हमारा साथ दिया। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। डॉक्टर साहब बोले आपके पति को कोई बीमारी नहीं है। वह एकदम तंदुरुस्त है । गल्त खानपान की वजह से उनका थोड़ा लीवर खराब हो गया था। अब सब कुछ ठीक है। यह कहकर सब हंसने लगे। बनिया यह सुनकर हक्का-बक्का रह गया। यह सारी की शैतानी मेरी फैमिली डॉक्टर की है। जिसने मुझे झूठी बीमारी बता कर मुझ से छल किया । यह बात मुझे नहीं बताता तो मैं इन गरीबों के दर्द को कभी भी नहीं समझ सकता था। मैं कभी भी गलत काम धंधे में शरीक नहीं हूंगा। अपना काम इमानदारी से निभाऊंगा। आज मैं बहुत ही खुश हूं कि मैं बिल्कुल तंदुरुस्त हूं और मेरा परिवार मेरे साथ है। इससे बढ़कर मुझे और क्या चाहिए। कुछ दिनों के पश्चात बनिया अपनें ग्राहकों को उनके रुपये और ज्यादा ब्याज के साथ लौटाते हुए बोला तुम हर कभी आ कर मेरी दुकान पर सामान खरीद सकते हो।

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