किसी गांव में रोशनी नाम की एक औरत रहती थी ।वह भिक्षा मांग मांगकर अपना जीवन यापन कर रही थी। वह बहुत ही आलसी थी। वह कभी भी नहीं सोचती थी कि मेहनत करके भी वह अपना पेट भर सकती है। गांव के लोग उसे कहते थे कि तुम्हें भगवान ने काम करने के लिए हाथ काट दिए हैं फिर क्यों तुम इस तरह मांग मांगकर अपना पेट भरती हो? ।तुम मेहनत क्यों नहीं करती ?
रोशनी के मन में कभी भी मेहनत करने का ख्याल नहीं आया उसने सोचा कि थोड़ा बहुत खाना तो लोग उसे दे ही देते हैं ।इससे मेरा काम चल जाएगा यह सोचकर मुझे खाना तो मिल ही जाएगा वह कुछ भी काम नहीं करती थी ।गांव के लोग उसकी इस काम ना करने की आदत से बहुत परेशान थे ।वह सारा दिन सो कर अपना जीवन निर्वाह कर रही थी ।वह एक दिन अचानक बिमार पड़ गई इतना बिमार पड़ गई कि उसे कोई पानी देने वाला भी नहीं था । उसने मन ही मन भगवान जी से प्रार्थना की हे भगवान एक बार मेरी पुकार सुन लो । मैं अगर ठीक हो जाऊं तब मैं कभी भी आलस नहीं करुंगी ।वह जब थोड़ी ठीक हुई तो वह काम की खोज में निकल गई ।
उस गांव में एक सेठ जी के घर में बर्तन साफ कर उसे ₹50 मिले ।रुपए पाकर उसके मन में फिर से लालच आ गया ।उसने दूसरे दिन उन रुपयों से एक मुर्गी खरीदी और उसके लिए एक पिंजरा भी खरीदा ।जो कुछ मांगा कर मिलता था वह मुर्गी को भी खिलाती और अपने आप भी खाती अपनी खोली में उसने एक तरफ मुर्गी का पिंजरा रखा था और मुर्गी को हमेशा देखा करती थी की कहीं वह उड़ ना जाए ।इसलिए वह उस मुर्गी के पास ही अपनी टूटी हुई चारपाई लगा कर सोती थी ।इस तरह उसके दिन व्यतीत हो रहे थे ।एक दिन जब वह भिक्षा मांग कर आई तो वह काफी थक चुकी थी। थकी होने के कारण उसे तुरंत ही नींद आ गई। नींद में वह सपने ।देखने लगी कि उसकी मुर्गी ने कुछ दिनों बाद अंडे दिए । उन अंडो में से कुछ दिनों बाद छोटे छोटे चूजे निकले।
उसने देखा कि उसके पास बहुत सारी मुर्गियां हो गई है वहां कल्पना करने लगी। वह सपनों की दुनिया में हिलोरे खाने लगी मैं इन मुर्गी के बच्चों को बाजार में बेच दूंगीं तो इसके बदले में मुझे बाजार से बहुत सारे रुपए मिलेंगे ।इन रूपयों को पाकर मैं अमीर हो जाऊंगी । मैं एक उच्च परिवार के व्यक्ति के साथ शादी करके अपना घर बसाऊंगी ।तब तो मुझे जरा भी काम करने की आवश्यकता ही नहीं होगी। मेरे पास काम करने के लिए बहुत सारे नौकर-चाकर होंगे ।फिर हमारे अपने भी बच्चे हो जाएगे ।जब मेरा पति अपने काम पर नहीं जाएगा तब मैं अपने पति की दाढ़ी और उसके बालों को जोर-जोर से नोच डालूंगी और उसे सबक सिखाऊंगी इसी उधेड़बुन में वह जोर-जोर से उसकी दाढ़ी और उसके बालों को खैंचनें लगी ।बालों को नोचते हुए उसके इस झटके से चारपाई टूट गई और पिंजरा भी टूट कर एक तरफ गिर गया
।मुर्गी फुर फुर करके उड़ गई और चारों तरफ जो कुछ उधार मांग कर लाई थी वह दानें इधर-उधर बिखर गए थे वह आलसी औरत इतनी धड़ाम से नीचे गिरी कि वह एक टांग से लंगड़ी हो गई । वह पछताने के सिवा कुछ नहीं कर सकती थी। वह सिर पकड़ कर जोर जोर से रोने लगी।