शेरू कुछ दिनों के लिए शहर से अपनी मालकिन के साथ गांव आया था। वहां पर उसकी मुलाकात एक गांव में रहने वाले कुते वीरू के साथ हो गई। वह अपनी पूंछ हिला हिला कर अपनी मालकिन को चकमा देकर चुपचाप अपने दोस्त वीरू के साथ खेलने खेलने चला जाता। बड़ी-बड़ी आंखें भूरी आंखों वाला देखने में इतना सुंदर उसकी मालकिन सुरभि उसे वीरुके साथ खेलने देती। उसने वीरू को अपने घर के पास ही भोंकते देखा। वीरू भी काले रंग का भूरी भूरी आंखों वालाथा। वह सोचती चलो इसको भी यहां खेलने के लिए अपने जैसे साथी मिल गया। वह जब बाग में घूमने जाती तो शेरु को भी साथ ले जाती। वहां पर जाकर सुरभि अपनी सहेलियों के साथ बातें करने लगती। गांव का कुत्ता वीरु उसका दोस्त बन गया था। वह अपने शहर वाले दोस्त से बोला अरे यार तुम्हारे तो बड़े ठाठ है। तुम तो इन रईस लोगों के साथ इनमें के घरों में ठाठ से रहते हो जैसे कि तुम उनके बेटे हो। सुबह उठते ही वह तुम्हारा ब्रश करवाते हैं। तुम्हें नहलाते हैं शैंपू करते हैं फिर पाउडर छिडकतें है। तुम्हें ना जाने क्या-क्या खाने को मिलता है? महंगी महंगी वस्तुएं पनीर पिज्जा बर्गर और ना जाने क्या-क्या। सुबह शाम तुम्हें एक बादशाह की तरह सैर कराई जाती है। तुम्हें इतना प्यार किया जाता है।। एक हम हैं जो कहीं भी पड़े रहते हैं। कभी सड़कों पर कभी एक स्थान से दूसरे स्थान पर भोजन की तलाश में। जब किसी के घर की तरफ आते हैं तो कोई लाठी लेकर आकर हमें मारने दौड़ता है। कभी-कभी तो एक दो लाठी के प्रहार पड ही जाते हैं। खाने को मिलती है तो बस सूखी सूखी रोटियां। कभी-कभी तो भूखे ही रह जाते हैं।
कभी-कभी तो हम मालिक लोंगों को बताना चाहते हैं कि तुम्हारे घर में चोर घुस गए हैं पर वह लोग अंदर घोड़े बेचकर सोते हैं जैसे की अफीम खाकर सोते हो। तब तक नहीं उठते जब तक कि उन्हें तीन चार बार चाय पीने को न मिले। मेरे यार तुम्हें भी तो सोने के लिए खूब मोटे मोटे गद्दे बिछाकर सुलाया जाता है। हम तो बर्फ के दिनों में बाहर सर्दी में ठिठुरते रहते हैं।
एक बार मैंने सोचा शायद कोई रर्ईसजादा मुझे गोद ले ले। एक बार उस सेठ की गाड़ी में उनकी डिक्की में बैठकर उनके साथ शहर चले गया। लेकिन जैसे ही उनका स्टेशन आया तो उसे रईसजादे ने अपने नौकर को कहा कि यह किसका कुत्ता है? मुझ पर एक लाठी का प्रहार किया और नौकर को कहा कि इस कुत्ते से इतनी बदबू आ रही है। इसे बाहर करो। यह गाड़ी में कैसे आया?
शेरु की मालकिन के बुलाने पर शेरु घर वापिस आ गया। उसने नें ब्रैड का टुकड़ा शेरु को खाने को दिया। उसनें थोडा ब्रैड का टुकडा खाने के बर्तन के पास छुपा कर रख दिया। सुरभि ने उसे देख लिया कि अब इसका क्या करेगा देखती हूं। थोड़ी देर बाद उसने वह ब्रेड का टुकड़ा एक जगह छुपा कर रख दिया। दरवाजे पर दस्तक हुई बाहर जाकर दरवाजा खोलने गई तो सामने वीरू को देखकर चौकी। वह दरवाजे पर दस्तक देकर अपने दोस्त शेरू को खेलने के लिए बुला रहा था। सुरभि ने शेरु को वीरु के साथ खेलने जाने दिया। वह पहले उस स्थान पर गया जहां उसने ब्रेड का टुकड़ा रखा था। वह इतनी जल्दी से भागा कि कहीं वह उस से रोटी का टुकड़ा ना छीन लो। रोटी का टुकड़ा उसनें वीरु को दे कर कहा मेरे दोस्त जब तक मैं यहां हूं तुम्हें अपनी मालकिन के यहां से खाने को देता रहूंगा। मेरे दोस्त उदास ना हो एक दिन तुम्हें भी कोई गोद ले लेगा। तुम मेरे पक्के दोस्त बन गए हो। अगली बार जब मैं शहर से आऊंगा तो तुम्हारे लिए एक नया उपहार लेकर आऊंगा।
चलो दोस्त मेरे दिमाग में एक विचार आया है मेरी मालकिन की बेटी अपनी नानी के साथ बाहर घूमनें गई है। वह तुम्हें भी बहुत प्यार करेगी। वह अपनी मां से तुम्हें अपने साथ ले जाने के लिए जिद कर सकती है। हम दोनों शहर जाकर खूब मौज मस्ती करेंगे। शेरू उसके साथ खेलने चला गया। चलो कीचड़ में खेलते हैं।कीचड़ में खेलने से मैं भी तुम्हारे जैसा हो जाऊंगा। दोनों एक जैसे हो जाएंगे। े मेरी मालकिन मुझे नहलाएगी तब नलके के पास तुम भी मेरे पास आ जाना। तुम भी साफ हो जाओगे। तुम भी सुंदर बन जाओगे। वह दोनों मिट्टी में कीचड़ में खेलने चले गए। कीचड़ में सने हुए जब वापिस आने लगे तो शेरु को उसकी मालकिन खींचकर नलके के पास लेकर गई। तभी उसकी बेटी मिनी दौड़ती हुई सड़क से आ रही थी। उसकी नानी एक पडौसन से बातें करनें लगी। मुन्नी नें अपनी नानी का हाथ छुड़ाया और दौड़कर आते आते गाड़ी से टकराने ही वाली थी तभी वीरू ने उछल करके उसे उठा लिया। शेरु की मालकिन ने उसे मुन्नी को बचाते देख लिया। जैसे ही उसने मीन्नी को बचा कर सीढीयों के पास रख दिया। इस छीनाझपटी में उसकी टांग में चोट लग गई।
शेरु को छोड़ कर सुरभि वीरू के पास आई उसने नलके के पास ले जाकर वीरू को भी नहलाया। उसके पश्चात उसकी पट्टी की। उसनें शेरु को कहा कि तुम्हारा दोस्त भी तुम्हारी तरह सुंदर बन गया है। उसकी तरफ देखकर प्यार से मुस्कुराई। वह बोली चलो इस बार इसको भी शहर ले चलते हैं अब यह भी तुम्हारा दोस्त बन जाएगा। शेरू को तो मानो सारे जहां की खुशी मिल गई हो। वह वीरू की तरफ देख कर मुस्कुराया। यार तुम्हारी पुकार भगवान ने सुन ली। मेरी योजना विफल नहीं गई। मेरी और तुम्हारी पक्की दोस्ती। अब तुम भी मेरी तरह मेरी मालकिन के साथ रहोगे। सुरभि की बेटी की जान बचाने का उसे अमूल्य उपहार मिला था। वह वीरु को भी अपनें साथ शहर ले गई।