एकता में बल होता है

एक छोटे से गांव में एक वृद्ध दंपति रहते थे। उनके दो बेटे थे। हनी मोटू था। बनी पतला था। हनी सारा दिन खा खा कर अपना पेट भरता था। घर का कोई भी काम नहीं करता था। वह हर काम के लिए अपने छोटे भाई बनी पर, हुक्म चलाया करता था। उसके मां बाप अपने बेटे की इन हरकतों के कारण तंग आ गए थे। बनी इतना दुबला पतला ऐसा लगता था मानो उसके हिस्से का खाना भी उसका भाई मोटू खा जाता था। हनी और बनी गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ते थे। दोनों हर बार फेल हो जाते थे। मैट्रिक में दो-दो बार फेल हो चुके थे। हर रोज लड़कों से पीट कर आ जाते थे बनी भी कुछ नहीं कर पाता था। दोनों ही मार खाते थे। घर में जब उसके माता-पिता पूछते कि तुम आज फिर किसी से मार खाकर आए हो तो भी दोनों भीगी बिल्ली बन कर सब कुछ अपने मां-बाप को सुना देते थे। उनके मां बाप उन्हें कहते तुम दोनों इतने नालायक हो हर किसी से मार खाकर आ जाते हो। एक खा खा कर पेट भरता रहता है दूसरा इतना कमजोर की फूंक मारकर उडा दो। अपना ही सिक्का खोटा हो तो हम क्या कर सकते हैं? उन दोनों ने अपने बच्चों को सुधारने की कोशिश की मगर व्यर्थ। स्कूल वालों ने भी तंग आकर उन्हें हिदायत दी कि अगर तुम नहीं सुधरे तो तुम्हारे साथ सख्त कार्यवाही की जाएगी। मास्टर साहब के पास कई अमीर परिवार के बच्चे पढ़ते थे।। उन्होंने हैडमास्टर जी को कहा आपके स्कूल के दो बच्चे हमारे बच्चों के साथ लड़ते रहते हैं। इन्हें अगर आपने स्कूल से नहीं निकाला तो हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। बनी के साथ पढ़ने वाले बच्चे मोटू की शिकायत अपने मां-बाप से करते। हमारे स्कूल में एक मोटू है जो सबके बैग से खाना निकाल कर खा जाता है। हनी का जब कोई बस नहीं चलता था तो वह सब बच्चों के बैग से चुरा चुरा कर खा लेता था। अध्यापकों ने कहा हनी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। उन्होंने देखा कि यह दोनों बच्चे गरीब हैं। इनके माता-पिता फीस भी नहीं दे सकते। मास्टर साहब ने सख्त कार्यवाही देते हुए कहा हनी तुम नहीं सुधरे तो हमें सख्ती से पेश आना पड़ेगा। बनी भी अपनें भाई के पक्ष में आगे आ जाता था।
हैडमास्टर जी ने उन दोनों को कहा तुम अपनें माता पिता को बुला कर ले आना।

बच्चे बहुत ही निराश हुए अध्यापक भी क्या करें? रोज-रोज की किचकिच से तंग आकर उन्होंने उन दोनों बच्चों को कहा कि अपने मां बाप को बुला कर ले आना। दोनों बच्चों ने घर आकर अपने माता पिता को कहा कि मां बापू आप दोनों को स्कूल बुलाया है। दोनों के मां बाप स्कूल में पहुंचे। उन्होंनें सारा किस्सा मास्टर साहब को सुनाया। हैड मास्टर साहब बोले हम तुम्हें 2 महीने का समय देते हैं। तुम दोनों अगर सुधर जाएंगे तो ठीक है वर्ना हमें आपके बच्चों को स्कूल से निकालना पड़ेगा। उनके पिता बोले हमारी बात तो यह बच्चे मानते नहीं। काफी दिनों तक हनी बनी स्कूल नहीं गए। रास्ते में आने वाले आने जाने वाले लोग जब उसे मोटूकह कर बुलाते तो वह आग बबूला हो उठता। हाथों में पत्थर लेकर उन्हें मारने दौड़ता। मोटू सुनना उसे बहुत ही बुरा लगता था। दोनों भाई जहां भी जाते इकट्ठे जाते। हनी के बदले बनी को मार पड़ती थी। वह मार को सहन नहीं सकता था। वह नीचे लुढ़क जाता।
दोनों गली मोहल्ले में भी तू तू मैं मैं करके वापस आ जाते थे। उन दोनों को कोई भी फूटी आंख नहीं सुहाता था। लड़ाई झगड़ा करना उनकी आदतों में शुमार हो गया था। उसके गांव में डाकुओं का आतंक था। वह गांव वालों का सारा माल लूट कर शहर जाकर बेच देते थे। एक दिन माल लेने के लिए जब वे हनी और बनी के घर पहुंच गए तो हनी की माता जी ने कहा कि घर में थोड़े से ही रुपयें हैं। घर का खर्चा भी चलाना है। इस बार आप कृपया कर रुपया मत ले जाओ मगर वे दोनों नहीं माने।
हनी को गुस्सा आया बोला डाकू होंगे अपने घर में। हमारे घर में क्या लेने आए हो? वह उनके साथ भिड़ गया। दोनों डाकुओं नें हनी के जबड़े पर घूंसा मार दिया। मार को हनी सहन नहीं सका। वह नीचे गिर पड़ा। बनी यह सब देख रहा था। बनी ने भी उन दोनों को सबक सिखाने की सोची। वह भी उन दोनों डाकूओं को मारनें लगा मगर वह बेचारा अकेला क्या कर सकता था? डाकूओं की मार से आहत हो कर वह नीचे गिर पड़ा।। डाकू उन दोनों को अधमरा छोड़कर वहां से भाग गए।
एक कमरे में हनी और बनी के मां बापू दर्द से कराह रहे थे। किसी न किसी तरह दूसरे दिन कुछ थोड़ा उठने योग्य हुए। हनी और बनी के मां बाप बोले बेटा आज तुम दोनों किसी काम के होते तो हमें आज हमें यूं रोना नहीं पड़ता। तुम तो निठ्ल्ले बन कर इधर उधर भागते रहते हो। दो दो साल एक ही कक्षा में रह जाते हो। तुम्हारे साथ के सब बच्चे नौकरी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। हमारे तो नसीब ही फूटे हैं। स्कूल में अध्यापकों से डर कर आ जाते हो। रास्ते में राहगीर चलते लोगों से। और रही सही कसर उन गुंडों ने पूरी कर दी। दोनों को क्या कहें। तुम्हारा जीना बेकार है। हम दोनों तो एक न एक दिन मर ही जाएंगे। हमारे जाने के बाद तुम दोनों का क्या होगा?

जब 2 दिनों तक उन्हें कुछ भी खाने को नहीं मिला तो हनी ने बनी को कहा कि हम दोनों काम की तलाश में चलते हैं। मां बापू तो उठनें लायक नहीं है। हम दोनों रोटी पानी का जुगाड़ नहीं करेंगें तो कहां से खाएंगे?
वे दोनों काम की तलाश में घर से निकल पड़े। रास्ते में चलते जा रहे थे। चलते हुए जब वे दोनों काफी दूर निकल आए उन्हें समीप ही पानी का एक कुआं नजर आया। पानी पीने के लिए कुएं के पास पहुंचे। वे थक कर निढाल हो चुके थे। भूख के मारे दम निकल रहा था। सोचा चलो पानी पी कर ही गुजारा करतें हैं। वहां पर उन्हीं की तरह का एक नौजवान पानी पीने के लिए आया था। वह
नवयुवक बोला पहले पानी मैं पिऊंगा। हनी ने उसको धमकाया और कहा नहीं पहले मैं पानी पियूंगा। पहले मैं पहले मै के चक्कर में दोनों में हाथा पाई हो गई। यह कहकर उस नवयुवक नेंजोर से हनी को धक्का दिया। हनी एक तो भूख से बेहाल था। धक्का देनें के कारण एक और जा गिरा। उसका सिर पत्थर से टकराया। वह नीचे गिर चुका था। उसके माथे से खून बह निकला। यह देख कर वह नवयुवक तो वहां से भाग निकला।
वहां से एक अधेड़ व्यक्ति गुजर रहे थे उन्होंने देखा कि एक नौजवान रास्ते में घायल पड़ा था। बनी मदद के लिए पुकार रहा था मगर कोई भी व्यक्ति उस घायल को बचानें के बजाए घेरा लगा कर तरह तरह के प्रश्न पतलू से कर रहे थे। वे उसे अकेला। छोड़ कर भाग गए।
जब एक अधेड़ अवस्था वाले व्यक्ति नें उन्हें व्यक्तियों की मदद से उसके घर सही सलामत पहुंचाया। बनी बोला अंकल आप बहुत ही दयालू हो। आपने मेरे भाई को बचा लिया। वह अजनबी बोले शेखी बघारने से काम नहीं चलेगा पहले मुझे खाना खिलाओ।
हनी और बनी की मां बाहर आकर बोली। हम दोनों बूढ़ा होने के कारण कहीं नहीं जा सकते। यह दोनों बच्चे काम धाम कुछ नहीं करते। हमारे घर में दो दिन से चुल्हा नहीं जला है। यह दोनों नालायक हैं। वह बोला आप ऐसा क्यों कहती है? इसमें इनका क्या कसूर है। हनी बोला मां मेरा भाई नालायक नहीं है। उसे जब स्कूल के बच्चे हर रास्ते में चलते हुए हर कोई उसे मोटू कह कर पुकारता है तो वह आपे से बाहर हो जाता है। काफी देर तक तो सहन करता रहता है मगर उनकी इस हरकत से परेशान हो कर वह उन पर चिल्ला उठता है। बच्चे जब मानते ही नहीं है तो उसका गुस्सा बाहर लावे की तरह फूट पड़ता है। उस वक्त उसे जो कुछ मिलता है वह उठा लेता है। मां मेरा भाई बुरा इन्सान नहीं है।
वह अजनबी बडे ध्यान से उन दोनों भाइयों की बातें बड़े ही ध्यान से सुन रहे थे। बनी नें सारा किस्सा कह सुनाया कि कैसे उस बच्चे ने हनी को धक्का दिया था। बनी की मां बोली इस हनी नें ही पहले कुछ शरारत की होगी नहीं तो ऐसा कुछ नहीं होता।
बनी बोला मां आप हर वक्त मेरे भाई को हमेशा क्यों डांटती रहती हो? वह बोली डांटू नहीं तो क्या? वह काम काज तो कुछ भी नहीं करता। अजनबी अंकल बोले बेटा अगर तुम दोनों एक हो जाओ। मिल-जुल कर सब काम करना सीख सको तो कोई दुनिया की ताकत तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती। स्कूल में हनी इसलिए मार खाता है क्योंकि इसमें शक्ति तो है नहीं। और बनी तुम इतने कमजोर हो कि हर कोई तुम्हें मार कर गिरा दे। आज तुम्हारे घर पर डाकू आए थे। तुम दोनों उन को मिल कर सबक सिखा सकते तो कोई भी माई का लाल तुम्हारे सामने नहीं टिक पाता। तुम तो अपने मोटे होने का फायदा उठा सकते थे। मोटे होने का यह मतलब नहीं कि तुम खा खा कर पेट भरो। काम करो। व्यायाम करो। मेहनत करो। जब तुम में इतनी ताकत आ जाएगी तो कोई भी तुम्हारे सामने नहीं टिक पाएगा। बनी को कहा कि तुम भी हर रोज इतनी फुर्ती से काम करो। दिन और रात एक कर दो। दोनों मिलकर सब को सबक सिखा सकते हो। एक और एक मिलकर ग्यारह बनते हैं। तुम दोनों में बहुत प्यार है मगर ताकत की कमी है। मैं तुम दोनों का मार्गदर्शन करुंगा।
अजनबी बोले बेटा तुम दोनों डाकूओं को मार कर उनका मुकाबला कर सकते थे।उनकी मां बोली इनका कुछ नहीं होनें वाला मैं तो समझा समझा कर हार गई हूं। हनी और बनी के मां बाप बोले बेटा आज तुम दोनों किसी काम के होते तो हां मैं आज उन्हें यूं रोना नहीं पड़ता। तुम तो निठ्ल्ले ले बन कर इधर उधर भागते रहते हो। दो साल एक ही कक्षा में लगा दिए। तुम्हारे साथ के सब बच्चे नौकरी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। हमारे तो नसीब ही खोटें हैं। स्कूल में अध्यापकों से डरकर आ जाते हो और रास्ते में राह चलते लोगों से भीड़ जाते हो और रही सही कसर उन गुंडों ने पूरी कर दी। दोनों को क्या कहे तुम्हारा जीना बेकार है। हम दोनों तो एक न एक दिन इस दुनिया से चले जाएंगे। अजनबी अंकल बोले बेटा तुम दोनों मेरे साथ कुछ महीनों के लिए मेरे घर चल कर रहो। जिस काम को मैं तुम्हें करनें के लिए कहूंगा वह तुम्हें करनी पड़ेगी। मैं तुम्हारा मार्गदर्शन करुंगा।वह अजनबी अंकल बोले तुम दोनों मुझे शेखर अंकल कह सकते हो।
दोनों बच्चे उस अजनबी व्यक्ति के साथ आकर उन के घर चले गए। शेखर बोला तुम दोनों मेरे पास आओ। वह दोनों को सुबह सुबह नंगे पांव दौड़ाता था। हर रोज इतना कठिन परिश्रम करवाता कि दोनों के हाथ छिल जाते हाथ पैर सूज जाते। अंगारों पर दौड़ता। आज दोनों इतने फौलादी बन चुके थे कि उनके माता-पिता उन्हें देख कर हैरान हो गए। अपनें माता-पिता की इतनी सेवा करनें लगे और जब उनके माता पिता कहते बेटा रहने दे हम अपना काम स्वयं कर लेंगें तब हनी और बनी कहते मां बाबा अब आपके दिन काम करनें के नहीं हैं। हम बहुत बदल चुके हैं आप के जीवन में जो कांटो के बादल थे वह छंट चुके हैं। आप दोनों आराम से खाना हम दोनों आप को इतनी ढेर सारी खुशियां देंगें आप अपनें पिछले सारे गम भूल जाएंगें।
वह दोनों बहुत ही खुश नजर आ रहे थे एक दिन वे दोनों एक जमीदार के घर काम के सिलसिले में गए। जमीदार ने हनी को देख कर कहा तुम क्या काम करोगे? वह हनी को देख कर हंसने लगा और बनी को देखकर बोला तुम्हें तो शायद खाना मिलता ही नहीं होगा। हनी को गुस्सा आ रहा था मगर बनी ने अपने हाथ बढ़ाकर हनी को रोक दिया। भाई गुस्सा मत दिखाओ अगर उसने कुछ और ज्यादा बोला तो हम दोनों मिलकर उसे मजा चखाएंगे। जमीदार बोला एक शर्त पर तुम्हें काम मिलेगा अगर तुम मेरे नौकरों से लड़ाई में जीत कर दिखाओ। उसने अपने नौकरों को ट्रेन्ड कर रखा था। जमींदार ने अपने आदमियों को आदेश दिया कि तुम्हें इनके साथ मुकाबला करना है। हनी को कहा अगर तुम मेरी नौकरों से लड़ाई में जीत जाओगे तो मैं तुम्हें काम दे दूंगा। हनी ने उसके आदमियों को पछाड़ डाला बनी ने अपने भाई को कहा कि तुम दूसरे व्यक्ति को पकड़ो। हनी और बनी नें मिल कर देखते ही देखते उन दोनों को मार कर नीचे गिरा दिया।
जमीदार बोला मैं तो तुम दोनों को बहुत ही कमजोर समझता था मगर तुम तो सच में ही तारीफ के काबिल हो। तुम को काम पर रख लेता हूं।
दोनों खुशी खुशी रास्ते से अपनें घर जा रहे थे। चलते-चलते उन्हें अपनें स्कूल के बच्चे मिले। उन्होंने हनी को देखकर चिढ़ाना शुरू कर दिया। मोटू तुम इतने दिन तक तुम दोनों कहां रहे? वह बोला एक बार तुमने मोटू कह कर फिर बुलाया तो देखना जब बच्चों ने फिर उसे दोबारा मोटू बुलाया तो हनी ने उनको मार कर पटक दिया। घर से जब बच्चों के माता-पिता पहुंचे तो भी वे दोनों सामने आकर बोले आंटी अंकल हम दोनों ने बहुत सहन कर लिया। अब पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका है। हम दोनों हाथ नहीं आने वाले। आप हम दोनों को कमजोर समझने की कोशिश मत करना। आंटी हम दोनों आप से आपसे हाथ जोड़कर क्षमा मांगते हैं। अगर कोई मेरे भाई को मोटू बुलाएगा तो हम भाई दोनों मिलकर उस का कड़ा मुकाबला करेंगे। ईट का जवाब पत्थर से देंगे। हनी बोला वह मोटू सुन सुनकर तंग आ चुका है। पहले वह प्यार से समझाएगा। जब वह नहीं मानेंगे तो हमें उंगली टेढ़ी करनी पड़ेगी। जब बच्चे नहीं माने तो हनी ने उन्हें एक जोर का झापड़ जड़ दिया।
उसके मम्मी पापा बोले तुम हमारा क्या कर लोगो। वह बोला हाथ उठाने के लिए मैं भी मजा चखा सकता हूं। यह मत सोचना मोटा देखकर आप हम दोनों को नुकसान पहुंचाने की सोच सकते हो।
उन दोनों ने पुलिसकर्मियों को बुला लिया था
दोनों बच्चों ने पुलिस थाने में चल कर कहा कि ये बच्चे हमें बेवजह ही परेशान कर रहें हैं। उन दोनों नें सारी कहानी पुलिस इन्सपैक्टर से कह सुनाई। उन दोनों नें पुलिसकर्मियों को कहा हम आपसे प्यार से कह रहें हैं। पहले भी उन दोनों नें पुलिस थाने में बेवजह मार खाई है।

हमें कमजोर समझ कर सब लोग हमारा फायदा उठाते थे। हम दोनों अब कमजोर नहीं है। मुकाबला करना हमें भी आता है। पुलिस वाले उन दोनों बच्चों के बुलंद हौसले को देखकर दंग रह गए। क्योंकि वह दोनों भूखे शेर की तरह उनके सामने आ कर ललकारे जा रहे थे।
पुलिस वालों ने उन दोनों को छोड़ दिया एक दिन वही डाकू उनके घर आ धमके। उन दोनों ने उन डाकूओं का डटकर मुकाबला किया।उन्होंने उनके छक्के छुड़ा दिए। वे दोनों डाकू सिर पर पैर रख कर वहां से भाग निकले। उन दोनों बच्चों नें उन्हे इधर से उधर घुमा घुमा कर उनको नानी याद दिला दी।

हनी और बनी के माता-पिता अपने बच्चों में आए हुए परिवर्तन के कारण बहुत खुश थे। आज दोनों बच्चे बहुत ही बहादुर बनकर लौट आए थे। अब हर आने-जाने वाले लोग उन दोनों की प्रशंसा करने से नहीं थकते थे।

हनी और बनी ने शेखर अंकल को धन्यवाद दिया और कहा कि आपने हमारा मार्गदर्शन कर हमें बहुत ही अच्छी सीख दी है। हम आपके एहसान को कभी नहीं भूल सकते। दोनों बच्चों नें उन अजनबी अंकल के पैर छू कर आशीर्वाद लिया और कहा आज तक हमें किसी नें नहीं समझा। आप हमारे गुरु हो। दोनों खुशी खुशी अपनें मां बापू की सेवा अच्छे ढंग से करने लगे।
स्कूल के अध्यापकों नें हनी और बनी को स्कूल में वापिस बुला लिया था। आज वही बच्चे आगे आ कर हनी और बनी के मित्र बन चुके थे। उन्होंने दोनों भाइयों से क्षमा मांग ली थी। कोई भी लडका स्कूल में लड़ाई करता तो वे दोनों हनी और बनी के पास जाते। हनी और बनी पहले तो झगडने वाले को प्यार से समझाते मगर जब पानी सिर के ऊपर से गुजर जाता तो वे अपनी ऊंगली टेढी कर देते। वे पढाई कर के अच्छी नौकरी भी करनें लगे थे।

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