किसी गांव में एक किसान रहता था। वह बहुत बूढ़ा हो चुका था ।।एक दिन वह बैठा-बैठा सोचने लगा कि मेरे दो बेटे हैं। एक बेटा तो मेहनत करके अपना निर्वाह अच्छे ढंग से कर सकता है परंतु उसका दूसरा बेटा बहुत ही आलसी था ।वह कुछ भी काम धंधा नहीं करता था ।बैठे बैठे बूढ़े पिता की कमाई पर ऐश कर रहा था। किसान सोच रहा था कि मैं कैसे अपने बेटे को सुधार सकूं। वह हर रोज भगवान जी से सदा यही प्रार्थना करता था कि हे भगवान जी अगर तूने मेरी पूजा स्वीकार की हो तो मैं तुमसे यह मांगना चाहता हूं कि किसी ना किसी तरह तुम मेरे मरने से पहले मेरे बेटे को सुधार दो ताकि मैं इस दुनिया से खुशी-खुशी जा सकूं।मेरे मरने के पश्चात भी अपने बच्चे की तरफ मेरा ध्यान नहीं जाएगा। हे भगवान तू कोई ना कोई चमत्कार कर दे ,हे बिहारी जी तू कुछ ना कुछ चमत्कार कर दे ।तुम्हारा यह एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगा ,इस तरह अपनी पूजा में वह रोज भगवान जी से प्रार्थना किया करता था। एक दिन शाम को जब वह सो गया तो सोचने लगा कि मैं ऐसा क्या करूं, जिससे मेरा बेटा आलस छोड़कर अपना काम ठीक ढंग से करने लग जाए तभी उसके मन में एक विचार आया और वह बहुत अधिक प्रसन्न हो गया ।उसने अपने छोटे बेटे को अपने पास बुलाया और कहा बेटा आज तुम्हें मैं एक महत्वपूर्ण बात बताने जा रहा हूं ।मेरी तबीयत कुछ दिनों से बिगड़ती ही जा रही है ।मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूं, परंतु यह बात बहुत ही गोपनीय है किसी से कहने लायक नहीं है मैं तुम्हीं से यह बात कहना चाहता हूं ,क्योंकि छोटा बेटा कहीं ना कहीं ज्यादा प्यारा होता है यह बात तुम अपने बड़े भाई से भी मत कहना अगर तूने यह बात अपने बड़े भाई को बता दी हो सकता है इस बात का असर समाप्त हो जाए इसलिए तुम मुझसे आज एक वादा करो, जो कुछ आज मैं यह तुम्हें कहने जा रहा हूं उसे ध्यान से सुनो ।तुम्हे मेरी सच्चाई पर विश्वास हो जाएगा आज मैं तुम्हें यह संदुक दे रहा हूं इसमें ताला लगा है। इसमें मैंने तुम दोनों बेटो़ के लिए कुछ चीज छुपा कर रखी है ।यह बक्सा तुम मेरे मरने के उपरांत खोलना ,मगर मैं तुम्हें अपने सामने आलस छोड़कर मन लगाकर काम कर ते देखना चाहता हू ।मुझे शायद अभी मरना नहीं है ,परंतु हो सकता है मैं पहले ही मर जाऊं इसलिए तुम अभी से मेहनत करना शुरु कर दो । इस संदूक में मैंने तुम्हारे लिए उपहार रखा है वह बहुत ही कीमती है । उस संदूक को तुम नहीं खोलना ।यह संदूक मुझे एक सच्चे साधु बाबा ने दिया था और कहा था कि यह संदूक तुम उस व्यक्ति को देना जिससे तुम बहुत ज्यादा प्यार करते हो अगर तूने अभी इस संदूक को खोल दिया तो इसका असर समाप्त हो जाएगा, और उसमें से तुम्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा। यह संदूक प्राप्त करने के लिए तुम्हें संघर्ष करना होगा ।तुम्हें हर रोज खेत जोतनेहोंगें , कुएं से पानी भर कर लाना होगा,पशुओं को चारा खिलाना होगा और चक्की से आटा पिसवा कर लाना होगा, बाजार का आटा नहीं चक्की से आटा पिसवाना,और बच्चों को स्कूल से स्वयं लेने जाना होगा ।यह सभी काम तुम्हें अपने हाथों से करने होंगे तब उसका छोटा बेटा बोला पिताजी बताओ तो इसमें क्या है। उसके पिता बोले तुम इस को हिला तो सकते हो परंतु इसको खोल नहीं सकते ।जब किसान के छोटे बेटे ने उस संदूक को हिलाया तो उसमें छन छन की आवाज आई ।उसने सोचा था इसमें हीरे जवाहरात होंगे छोटा बेटा बहुत ही खुश हो गया ।वह अपना काम बहुत मेहनत के साथ करने लगा ।उसका आलसपन तो मानो गायब ही हो चुका था उसे भूख भी बहुत अधिक लगती थी। अपने बेटे में आए हुए परिवर्तन को देखकर किसान खुश था कहीं ना कहीं वह यह भी सोच रहा था कि अगर मेरे बेटे ने यह संदूक खोल कर देख लिया उसमे तो मैंने पत्थर और मोती भरे हैं ,जिसमें से उसमें छन छन की आवाज आ रही थी ।अब तो वह बहुत ही बीमार हो गया ।उसे लगने लगा कि शायद मैं अधिक दिनों तक जिवित नहीं रह पाऊंगा ।हे बिहारी जी !तू मुझपर सच्ची कृपा कर दे ।मेरे बेटे में सुधार तो आ चुका है हे भगवान !हे बिहारी बाबा !मुझे उठा ले ।इससे पहले कि कुछ अनर्थ हो जाए तभी उसे अपने दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी ।उसने अपने बेटे को द्वार खोलने के लिए कहा उसके बेटे ने बाहर एक साधु बाबा को खड़े देखा तो कहा आप कौन हैं और कहां से आए हैं ? एक बूढ़े साधु बाबा ने कहा कि बिहारी बाबा के नाम पर कुछ दे दो ।अल्लाह !तुम्हारा भला करेगा। उसके पिता ने उस महात्मा की बात सुन ली थी ।उसने अपने बेटे और बहू से कहा कि उस महात्मा को मेरे पास ले आओ और इन्हें खाना खिलाओ। किसान का छोटा बेटा अपने पिता की बात को कैसे टाल सकता था। उसने कहा बाबा जी आप अंदर बैठिए, मेरे बाबा बहुत बीमार है ।वह आप के दर्शन करना चाहते हैं ।किसान के बेटे ने साधु बाबा को अंदर बिठा दिया । छोटे बेटे की पत्नी ने साधु बाबा को खाना खिलाया ।उसने वृद्ध पिता को आशीर्वाद दिया बिहारी बाबू तुम्हारी इच्छा को अवश्य पूरी करेंगे ।तुम खुशी-खुशी प्रस्थान करो ऐसा कहकर साधु बाबा जाने लगे तो वृद्ध किसान ने उनके पांव को हाथ लगाया । साधु महात्मा चले गए थे तभी छोटे बेटे ने पिता से कहा ,बाबा आप क्या कुछ कहना चाहते है? ।उस बूढ़े किसान ने अपने बेटे को कहा तुम इस संदूक को मेरे सामने खोल कर देख सकते हो । मुझे लगता है कि मेरे प्राण अब निकलने ही वाले है।ं इसमें तुम्हें जो कुछ भी मिलेगा उसका आधा हिस्सा अपने भाई को दे देना। उसके छोटे बेटे ने कहा पिता जी ,मैं अपने भाई को आधा हिस्सा अवश्य दे दूंगा। किसान सोच रहा था कि यह बात तो मैंने ऐसे ही कही है अपने भाई को भी इसमें से आधा हिस्सा दे देना ।क्योंकि मैं इसको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि इसमें तुम्हारे लिए खजाना रखा है। उसका दूसरा बेटा भी आवाज सुन कर अंदर आ चुका था ।वह बोला बाबा आपको कुछ नहीं होगा। हम आपको अस्पताल लेकर चलते हैं । छोटा बेटा बोला बाबा की इच्छा है कि इस संदूक को खोलकर देखो । उन दोनों ने उस संदूक को खोला। पहले छोटे बेटे ने जो र लगाया उस से वहां संदूक नहीं खुला। दूसरे बेटे ने भी जोर लगाया तो उससे भी वह संदूक नहीं खुला तब उसके बूढ़े पिता ने हल्की सी आवाज में कहा। एक बेटा संदूक को कस कर पकड़े और एक बेटा संदूक को खोले दोनों ने जब एक साथ मिल कर संदूक को खोला तो वह देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे कि उसमें हीरे-जवाहरात थे ।बूढ़ा वृद्ध किसान भी चकित रह गया था कि वह हर रोज बिहारी बाबा से फरियाद करता था ।आज सचमुच उनके घर के दरवाजे पर बिहारीबाबाआकर उस संदूक में हीरे जवाहरात भर कर गए थे कह गए थे कि प्रस्थान करो। वह खुशी खुशी इस दुनिया से जा रहा था क्योंकि बिहारी ने उसकी मुराद पूरी कर दी थी । दोनों बेटे बूढ़े पिता के पास आकर उन्हें पुकारने लगे। बूढ़ा किसान तो सदा की नींद सो रहा था । वह ऐसी जगह पहुंच गया था जहां से वह कभी वापस नहीं आ सकता था ।वहां जाते जाते उन्हें सीख देकर गए थे कि आपस में मिल जुल कर रहना चाहिए और आपस में मिलजुल कर रहने से सारे काम संपन्न होते हैं ।छोटे भाई ने अपने बड़े भाई को आधे हीरे दे दिए और खुशी खुशी रहने लगे।