एक गांव में बहुत ही लंबा चौड़ा हट्टा-कट्टा एक आदमी रहा करता था। उसके हाथों से एक बार किसी का खून हो चुका था। वह खून उसने नहीं किया था। मगर साबित हो जाने पर उसे जेल वालों ने उसे छोड़ दिया था। वह काफी दिन तक जेल की हवा खा कर आया था। इसलिए लोग उसको मिलनें से भी कतराते थे। वह उसे खूनी समझते थे। उसे भी सब इन्सानों से नफरत हो गई थी। वह अकेला ही रहना पसंद करता था। इसलिए वह गांव में पहाड़ की तलहटी पर बहुत ही एक सुंदर बगीचा था। वहां पर एक बहुत ही बड़ी गुफा थी। उसमें वह रहने लग गया था। वह इतना भयानक था कि लोग उसको देखकर डर ही जाते थे। वह काफी बूढ़ा हो चुका था। इसलिए वह लोगों को मार नहीं सकता था। लोग उसको देख कर उसे दानव ही समझ लेते थे। लोग उसे मारनें दौड़े। उसके भयंकर रुप के कारण लोग अपनें बच्चो को कहते थे कि पहाड कि तलहटी पर मत जाया करो। वंहा बहुत ही खूंखार दानव रहता है। उसको कम दिखाई देता था। बच्चे कहना मानने वाले थे? बच्चों को जिस बात को मना किया जाए उस बात को वहजब तक कर न लें तब तक उन्हें चैन नहीं आता था
बच्चों नें मिल कर घर में बताए वगैर पहाड़ की तलहटी पर जा कर देखा। पहले पहल तो उस खूंखार दानव को देख कर डर गए। वे फिर भी वहां जाने से नंही डरे। बच्चों ने देखा वह तो बूढे हैं वह हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते। वह अपने से कमजोर लोगों पर ही आक्रमण कर देता था। बच्चों नें फैसला किया हम झून्ड में आया करेंगे। इसलिए वह हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।
बच्चे हर रोज उसके बाग में खेलने जाते थे बच्चों का भी बाग में खेलना उसको पसंद नहीं आता था। वह उन के पीछे उन्हें मारने दौड़ता । बच्चे तो डर के मारे भाग जाते थे। वह उन्हें काफी देर तक दौड़ता। बच्चे अब उस से डरते नहीं थे। वह उसकी डांट फटकार को कुछ भी नहीं समझते थे। बच्चे बार बार उसके कान के पास जोर से आवाज करते। बच्चे झूमते हुए गाते।,बच्चों की मंडली आई, बच्चों की मंडली आई, अब हमारे क्रूर सिंह अंकल की बारी आई? वह बच्चों से पीछा छुड़ाता हुआ उनके जाने के बाद बाग में पानी डालता। बच्चों ने पेड़ पौधे तहस-नहस कर दिए थे। उनको ठीक करता। बाद में पतों को हटाता। बच्चों के जाने के बाद बगीचे को खूब साफ करता। उसका बगीचा बहुत ही सुंदर लगने लगता था।
काफी दिनों तक बच्चे भी खेलने नहीं आ सके थे। बच्चों के शोर कि उसे आदत हो गई थी। कुछ दिन से उसके बगीचे में कोई चहल पहल नंहीं थी। । बच्चे तो अपनी परीक्षा की तैयारी में लगे हुए थे। क्रूर सिंह बार-बार बाहर बाग में झांकता उसे कोई भी बच्चा नजर नहीं आया। कहीं ना कहीं उसे बच्चों की आदत पड़ चुकी थी। उन्हें फटकार करता। वहां तो कोई भी नहीं था बूढ़ा हो चुका था वह चक्कर खा कर नीचे गिर पड़ा।
कुछ दिनों बाद बच्चे बाग में खेलने आए उन्होंने जोर जोर से शोर मचाना शुरू किया राजू पिंकी मुन्नी चारों सब के सब उस की गुफा के सामने जोर जोर से शोर मचा रहे थे उनका शोर सुनकर भी बाहर नहीं आया। सब बच्चे गुफा के बाहर इधर उधर मंडरा रहे थे अचानक एक बच्चे ने अंदर झांका अंदर से कराहनें की आवाज़ आ रही थी। वह बहुत ही बूढा हो चुका था। वह उठ नहीं सकता था। बच्चे उस की ऐसी हालत देखकर हैरान थे। उन्होंनें उसके बगीचे को तहस-नहस कर दिया था। चारों और पत्थर ही पत्थर फैला दिए थे। बच्चों ने जब क्रूर सिंह को देखा अंदर चले गए। वह तो बिस्तर से उठ भी नहीं सकता था। सब बच्चों के मन में उस क्रूर सिंह के ऊपर दया उमड़ आई। बच्चे उन्हें प्यार से बाहुबली कहने लग गए थे।हम इन अंकल को क्रूर सिंह नहीं पुकारेंगें आपस में बोले। अंकल हम सब आपके पीछे भागते थे।
हम आपको न जाने कितना कितना भगाते थे। बेचारे बूढ़ा होने के कारण दौड़ भी नहीं पाते हैं। हमारे दादा जी भी तो घर पर हैं। हमारी मम्मी पापा सब उनकी कितनी देखभाल करते हैं। इन क्रूर सिंह अंकल का तो इस दुनिया में कोई नहीं है। सब लोग तो इनके डरावने रुप को देखकर डरते हैं। हम इन अंकल को बाहुबली भी पुकारा करेंगें। हम बाहुबली अंकल को ठीक करके ही दम लेंगे। हम ही उनका परिवार हैं। सब के सब ने मिलकर योजना बनाई पिन्की को कहा। पिंकी तुम घर से बिस्कुट ले आना। राजू को कहा कि तुम नमकीन ले आना। मुन्नी को कहा कि तुम्हारी मम्मी डॉक्टर है उनसे कहना हमारे क्रूर सिंह अंकल को देखकर उन्हें दवाईयां उपलब्ध करवाये।
सब के सब बच्चों ने बाहुबली अंकल के हाथ-पैर धुलवाए। अपने-अपने घरों से खाना लाएं उसके बिस्तर को झाड़ा। उसके कपड़े धोए। किसी ने उसको पंखा किया। किसी ने उसके पैर दबाए। घर को जाते समय मुन्नी की सोने की चेन उसके बिस्तर के पास गिर गई थी। क्रूर सिंह ने जिंदगी में कभी भी इतना प्यार नहीं देखा था। उसकी आंखों में आंसू बहने लगे। वह बोला कुछ नहीं।
बच्चों ने एक हफ्ते में ही उस क्रूर सिंह अंकल की काया ही पलट दी। उसका बुखार भी उतर चुका था। परीक्षा के बाद सभी बच्चे बाग में आए। सारे के सारे बाग को साफ किया। फूलों को पानी दिया। फूलों की खुशबू से और बच्चों की किलकारियों से एक बार फिर बाग में बाहर आ गई। सभी बच्चे अपने घरों को चले गए।
भयानक बालों वाला वह आदमी जैसे ही बाहर आया अपने बगीचे की महक से उसकी सारी बीमारी दूर हो गई थी। धमाचौकड़ी मचाने वाले बच्चों नें बगीचे को फिर से हरा-भरा बना दिया था। वह बहुत ही खुश हुआ बच्चे उसके पास आने लगे। उसको अपना दोस्त अंकल बना दिया। वह क्रूरसिंह अंकल अब बच्चों का परोपकारी बाहुबली अंकल बन गया।
एक दिन किसी गांव वालों ने उस भयानक दैत्य रुपी मानव को बच्चों के साथ खेलते देख लिया। उन्होंने पिंकी के पापा को कहा कि आपकी बेटी और उन सभी बच्चों का ग्रुप उन क्रूर सिंह के साथ खेलता है। मुन्नी की मम्मी ने उससे पूछा कि तुम्हारे सोने की चैन कहां है? उसकी मां को शक हुआ। गांव वालों की बात कहीं सच तो नहीं है। कहीं वह उस बूढ़े क्रूर सिंह के साथ तो नहीं खेलतें हैं। उसके पिता जब उस बूढ़े क्रूर सिंह मानव के घर गए तो उन्हें सचमुच में ही उन्हें पिंकी की चेन उन्हें उस की गुफा में मिली। उन्होंने उस क्रूर सिंह को कहा तुम ने जानबूझकर मेंरी बेटी की सोने की चेन चुराई है। वह बोला मैं क्यों किसी की चेन चुराने लगा? मुझे तो दिखाई भी नहीं देता है। जब उसके पास चेन मिली तो सभी गांव वालों ने पिंकी के पापा को कहा कि इस क्रूर सिंह ने पहले भी एक खून किया था। वह काफी साल जेल में रह कर आया है। इसी ने ही चेन चोरी की है। आप इस को जेल में डलवा दो।
पिंकी के पिता ने क्रूर सिंह को जेल में डलवा दिया। उन्होंने रात के समय उसके गुफा में घुस कर उसे पकड़ लिया और कहा कि तुमने हमारे बच्चों को ना जाने क्या-क्या पट्टी पढ़ाई? वह तुम्हारा पीछा ही नहीं छोड़ते । पिंकी के पिता ने क्रूरसिंह को बुलाया देखो हम तुम्हें कहीं दूर भेज देते हैं। तुम हमारे बच्चों को छोड़ कर यहां से चले जाओ। तुम्हें कहीं दूर दूसरी जेल में भिजवा देते हैं जहां पर हमारे बच्चों की छाया तुम पर ना पड़े। यहां पर तो बच्चे तुम्हें ढूंढ ही लेंगें। पिंकी के पापा ने उस क्रूरसिंह को
दूसरी जेल में शिफ्ट करवा दिया। क्रूर सिंह को भेजने का निश्चय कर लिया। क्रूर सिंह ने पिंकी के पापा को समझाया कि आप सब के बच्चों का भविष्य खराब ना हो इसलिए मैं यहां से सदा के लिए चले जाऊंगा। आपके बच्चों के भविष्य की मुझे भी चिंता है। आपके बच्चे भी खुश रहें। आपके बच्चे महान है। मुझ बुरे आदमी को भी आपके बच्चों ने सुधार दिया। मुझे बच्चों के नाम से भी नफरत थी। मैं तो सब से नफरत करता था। आपके मासूम बच्चों ने मुझे जीने का मतलब समझा दिया। मैं आपके बच्चों की जिंदगी में कभी खिलवाड़ नहीं करूंगा।
बाबूजी लेकिन मैं उस समय यहां से जाऊंगा जब मेरे समीप यह बच्चे नहीं होंगे। मैं उनको देखते हुए उनको अलविदा नहीं कर सकता। यह कह कर क्रूर सिंह रो पड़ा। पिंकी के पिता ने उसे दूसरी जेल में भेज दिया था। बच्चों ने अपने क्रूर सिंह अंकुर को बहुत ढूंढा मगर उन्हें वह दिखाई नहीं दिए। सारे बच्चे खोए खोए से रहने लगे।
एक दिन पिंकी को पता चल ही गया कि मेरे पापा ने ही क्रूर सिंह अंकल को जेल भिजवा दिया। उसने दूसरे अंकल को कहते सुन लिया था कि अंकल को पिन्की के पापा नें इसलिए जेल में डाला क्योंकि उसनें पिंकी की चेन चोरी की थी। वह अपने पापा के पास गई बोली पापा आपने उन्हें जेल भिजवा दिया। तीन-चार दिन तक उसनें खाना नहीं खाया। वह बोली पापा मैं खाना नहीं खाऊंगी। जब तक आप अंकल को वापिस नहीं बुलाओगे।
वह बहुत बूढ़े हैं उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। जब आप बूढ़े हो जाओगे अगर आप लोगों को कोई ऐसी जगह छोड़कर आ जाएगा जंहा उसे कोई जानता न हो तो आप क्या करेंगे? पिंकी ने अपने सभी साथियों को कह दिया था सब के सब बच्चे अपने माता-पिता पर गुस्सा थे। वह बेचारे क्रूर सिंह अंकल आप लोगों को क्या बिगड़ते थे? आपने तो उनके घर को भी छीन लिया। मेरी सोने की चेन उन्होंने नहीं चुराई। उनको तो दिखाई भी नहीं देता था। आपने उन पर बेवजह शक करके उनको जेल में डलवा दिया। क्रूर सिंह अंकल वह नहीं आप सभी क्रूर हो। जिनके दिलों से दया मिट गई है। मैं आप को कभी माफ नहीं करूंगी। ऐसा कहते कहते पिंकी बेहोश हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि उसे गहरा सदमा लगा है अगर उनकी इच्छा को पूरी नहीं किया गया तो वह कोमा में भी जा सकती है। सभी के सभी बच्चे पिंकी के इर्द-गिर्द खड़े थे। पिंकी के पापा क्रूर सिंह के पास जेल में जाकर बोले। वास्तव में तुमने सोने की चेन चोरी नहीं की थी। यह मेरी गलती थी। जो गुनाह तुमने किया ही नहीं मैंने तुम्हें उसकी सजा दे दी थी। तुम वास्तव में हमारे बच्चों के हितैषी हो। मेरी बेटी ने मुझे बता दिया था।
मेरी बेटी जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है जल्दी से आकर मेरी बेटी को बचा लो। मैंने तुम्हें गलत समझा था। क्रूर सिंह बोला आपकी बेटी को बचाने के लिए मैं अपनी जान भी दे सकता हूं। जल्दी ही वह पिंकी के पापा के साथ गाड़ी में अस्पताल पहुंच गया। पिंकी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला मेरी नटखट पिंकी जल्दी उठ जाओ। तुम्हारे अंकल तुम्हें देखने के लिए नजरें टिकाएं हैं। पिंकी को होश आ गया था। वह बोली अंकल आप हमें छोड़ कर मत जाना। हम आपके बगीचे को साफ रखा करेंगे।
सारे के सारे बच्चे क्रूर सिंह के इर्द गिर्द बैठे थे बोले अब हम आपके बगीचे में पत्थर नहीं फेंकेगे। हम तो बस आपके साथ खेलना चाहते हैं। पहले वाले क्रूरसिंह अंकल बन जाओ। थोड़ा डांट कर थोड़ा फटकार कर हमें दौड़ाओ। आप की डांट में भी एक प्यार छिपा है। पिंकी धीरे-धीरे ठीक हो रही थी।
क्रूरसिंह वापिस अपनी गुफा में आकर रहने लग गया था। एक बार फिर बच्चों
के साथ मौज मस्ती करके अपने जीवन को खुशहाल बना दिया था। बच्चे झूमझूम कर गा रहे थे। बच्चों की मण्डल आई। बच्चों की मण्डल आई। आओ खेलेंगे लुका छिपी। आओ खेले लुका छिपी। बाहुबली अंकल की मंन्डली आई। अब हमारे क्रूरसिंह अंकल की बारी आई। आओ खेलेंगे हम खेल। क्रूर सिंह अंकल आओ बाहुबली अंकल आओ। यूं न हमें डराओ। आ कर हम बच्चों के मन को बहलाओ।