गुमराह भाग(2)

दिव्यांश अपने माता पिता के साथ एक छोटे  से कस्बे में रहता था। उसके माता पिता के पास गाड़ी थी बंगला था और जिंदगी की सभी ठाट बाट थे जो कि एक धनाढ्य व्यक्ति के पास होते हैं। इतना सब कुछ होते हुए भी दिव्यांश के माता पिता अपने बेटे की आदतों से परेशान थे। उनका बेटा  चौबीसों  घंटे उनकी नाक में दम करता रहता था। उनका कहना नहीं मानता था। उसकी मां उसे हरदम समझाया करती थी कि बेटा तुम हमें क्यों परेशान करते हो? कभी कहता आज स्कूल नहीं जाऊंगा कभी कहता मेरे मनपसंद की खाने की वस्तुएं नहीं बनी है। उसके माता-पिता  हर वक्त यही सोचते कि हमें अपने बच्चे  को किसी बढ़िया बोर्डिंग स्कूल में डाल देना चाहिए था। उसके पिता उसे बोर्डिंग स्कूल में डालने के हक में नहीं थे। उसके पिता एक व्यापारी थे। व्यापार के सिलसिले में बहुत दूर-दूर तक जाते थे। अपने बेटे के लिए समय नहीं निकाल पाते थे। उनकी पत्नी रुचि  नें अपने बेटे की शिकायत अपनें भाई शशांक जो कि विदेश में था रहता था उससे की। उसके भाई  नें  कहा कि मैं दिव्यांश को अपने साथ विदेश में ले जाकर उसको अच्छी तालीम दूंगा। इस बात को काफी वक्त गुजर गया। उसका भाई शशांक वापिस विदेश चला गया था।

एक दिन  रूची नें अपने बेटे से कहा कि जा बेटा थोड़ा समय अपने पिता की दुकान पर भी चले जाया कर। वह बोला मां मैं नहीं जाऊंगा यह काम तो आप भी कर सकती हैं। नौकर चाकर है उन्हें ही कह दिया होता। उसकी मां बोली ऐसा नहीं है बेटा पास में ही तो तुम्हारी पिता की दुकान है। उन्हें भी अच्छा लगेगा। तुम्हारी भी  सैर हो जाया करेगी। हर रोज गाड़ी में स्कूल जाते हो कभी पैदल जाना भी उचित होगा। वह बोला  मां  मैं कभी पैदल   नहीं जाऊंगा उसकी मां बोली बेटा आज घर में तुम्हारे लिए मैंने मीठे-मीठे पकवान बनाएं हैं। वह बोला मां मै घर के बनें   हुए पकवान नहीं खाना चाहता। मुझे तो बाजार से पीजा जलेबी चॉकलेट मंगवा कर दिया करो। मुझे तो बाहर का खाना ही अच्छा लगता है। उसकी मां बोली बेटा  तुम्हारे नाना जी भी  अमीर व्यक्ति हैं। उनके पास भी सारी सुख सुविधाएं है। मैंने कभी भी बाहर का खाना नहीं खाया। अपने घर में अपने मां का और अपने हाथों द्वारा बनाया हुआ भोजन ही खाया। घर में ही हम तरह-तरह की मिठाइयां घर में बना देते थे। वह बोला मां अपनी शेख  मत  बघारा करो। आपने अपने हाथ का बनाया हुआ खाना मुझे दिया तो मैं उसे फेंक दूंगा उसकी मां कुछ नहीं बोली।

वह रोज गाड़ी   में स्कूल  जाता  था। रोज ड्राइवर उसे छोड़ने जाता उसके स्कूल में उसका एक सहपाठी था आशु। आशु  उस से तीन साल बड़ा था। वह तो केवल 10 साल का था। वह अपने दोस्त को रास्ते में हर रोज  अपनी गाड़ी में बिठा देता था। एक दिन की बात है कि उसका दोस्त आशु  बोला स्कूल में अध्यापक कुछ भी पढ़ाई नहीं करा पा रहे हैं। आज मेरे अंकल मुझे मिलने वाले हैं। वह मुझे बहुत सारी चॉकलेट लाएंगे। दिव्यांशु खुश होकर बोला चॉकलेट तो मेरी भी फेवरेट है। आशु बोला मेरे   अंकल तो इतनी इतनी बढ़िया चॉकलेट लाते हैं तुम भी खाना। स्कूल से बंक मारकर अपने अंकल से मिलने चला गया।वह दिव्यांश को भी अपनें साथ ले कर चला गया।

आशु का कोई भी अंकल नहीं था। वह जब स्कूल में नया नया आया  था तो एक अजनबी से  उसके पापा के दोस्त की चाय के ढाबे पर उसकी मुलाकात हुई। उसने एक दिन आशु को अपने पास बुलाया और कहा कि एक चॉकलेट खाओ। हम तुम्हारे चाचा हैं। तुम्हारे पापा के छोटे भाई। तुम तो हमें नहीं जानते। हम तुम्हारी मां जमुना को जानते हैं। तुम्हारे पिता ऑफिस में ही काम करते हैं। तुम्हारे पापा जगदीश बहुत ही अच्छे हैं। वह बोला अंकल आप मुझे चॉकलेट दे दो। वह रोज उनसे चॉकलेट लेने लगा।  उस चॉकलेट  को खाकर उसे ना जाने कैसा नशा हो जाता था वह सब कुछ भूल जाता था। वह घर को भी समय पर नहीं जाता था। देर से आने पर उसकी मां उसे कहती थी कि तुम इतनी देर तक कहां थे? आशु कहता कि मैं खेलने लग गया था। उसके पापा उससे पूछते कि अंकल  का क्या नाम है? वह कहता  आप तो हर बात में  टांग अड़ाते हो। मैं कोई छोटा बच्चा नहीं हूं जो आप हर बात में पूछ ताछ करते हो। उसके पिता नें उस से कहा कि हमें किसी भी अजनबी आदमियों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। दोनों ही माता-पिता इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनका बेटा गलत रास्ते पर जा रहा है। वह  खेलते खेलते  हुए बाहर की ओर भाग गया। आशु के पिता इतने व्यस्त रहते थे कि उन्हें तो एक मिनट की भी फुर्सत नहीं होती थी। अपने बेटे की और कहां से ध्यान देते।

आशु की माता  जमुना और भी भोली भाली औरत थी। उसे तो यह भी मालूम नहीं था कि उसका बेटा नशे की आदत का शिकार हो चुका है। जब एक  दिन आशु  अंकल के पास चॉकलेट लेने गया जहां वह उसे चॉकलेट दे दिया करते थे तो आशु  को बोला अगर चॉकलेट लेनी है तो अब तो रुपए लगेंगे। आशु बोला अंकल आप अपना नाम बताओ।  वह बोला मैं तुम्हारा कोई चाचा नहीं हूं। मैंने तुमसे झूठ बोला था अगर तुमने चॉकलेट खानी है तो रुपए तो तुम्हें लाने ही होंगे। चाहे अपनी माता के पर्स से चोरी करके लाओ। हर रोज आशु अपनी मां के पर्स से कभी  कभी  बीस पचास कभी सौ  सौ रुपए चुरानें लगा।

एक दिन उसकी मां पर्स की छानबीन कर रही थी तो उसे ₹100 कम लगे। वह आशु को बोली तुमने मेरे पर्स  से रुपये तो नहीं  चुराए  हैं। वह बोला मां मैं आपके  पर्स से रुपये क्यों चुराने लगा। उसे जब रुपए नहीं मिले  तो फिर उसी अंकल के पास जाकर बोला। मेरी मां रुपये नहीं देती है। वह अंकल बोले चाहे कुछ भी लाओ मगर बिना रुपयों के तुम्हे चॉकलेट नहीं मिलेगी। रुपये नहीं देती है तो अपनी  मां के गहनो को ला  कर दे दो। मैं तुम्हें चाकलेट दे दूंगा। आशु  को चॉकलेट का इतना नशा हो गया था कि उसके बिना  वह रह नहीं सकता था। एक दिन उसने अपनी मां की सोनें की अंगूठी और कान के बुंदे चुरा लिये। वह धीरे धीरे कर चोरी का अभ्यस्त हो गया तो। उसकी मां यही समझती   रही कि हमारे घर में ना जाने कितने लोग आते-जाते रहते हैं।  वे  लोग ही  गहनों चोरी करके ले गए होंगे। अपनी बेटे की तरफ तो उसका ध्यान ही नहीं गया। अपनी मां के सामने तो वह मासूम सा चेहरा  ले कर बैठ जाता था।

तेरह साल के बच्चे से उसकी मां को ऐसी आशा नहीं थी कि उनका बेटा भी कभी चोरी कर सकता है।  आशु के पास  जब कोई चारा नहीं रहा तो वह उस अजनबी अंकल से बोला अंकल अब मैं क्या करूं।  मेरी मां ने सारे के सारे गहने लॉकर में रख दिए हैं अब तो मेरे पास कुछ भी नहीं है। मैं  बिना चॉकलेट के नहीं रह सकता तो उस अजनबी अंकल ने कहा कि तुम्हारे स्कूल में बहुत सारे बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। उनमें से कोई ऐसा तो बच्चा होगा जो बहुत ही अमीर परिवार का हो। उस बच्चे को अपना दोस्त बनाना और उसे भी चॉकलेट देना। मैं तुम्हें एक एक चॉकलेट मुफ्त में दे दूंगा वह बच्चा  जब चॉकलेट का शौकीन हो जाए तो तब तुम उसे वही प्रश्न करना जो मैंने तुमसे किए थे। अमीर परिवार का बच्चा तो तुम्हें हर रोज रुपये ला कर देगा और तब  तुम्हारा भी काम चल जाएगा और मेरा भी काम बन जाएगा। तुमने अगर किसी के पास भी यह बात बाहर जाहिर की तो मैं तुम्हें मार दूंगा। मेरी नजर तुम पर हमेशा रहेगी। अपने घर पर भी तुम कभी नहीं कहोगे कि मैं नशे का शिकार हो गया हूं। तुम्हारी हर हरकत  पर हमारी नजर रहेगी। हमारे गिरोह के बहुत सारे व्यक्ति हैं अगर किसी को भी तुम्हारे बारे में पता लगा या तुमने किसी को भी बताया तो तुम्हारी गर्दन काट दी जाएगी। आशु डर कर कांपनें   लगा। धीरे धीरे करके उसने दिव्यांश को अपना दोस्त बनाया क्योंकि वह हर रोज गाड़ी में आते जाते उसे देखा करता था। वहीं केवल एक अमीर बच्चा है जो केवल उसे रुपए लाकर दे सकता है इसलिए उसने एक दिन यह योजना बनाई कि उसके अंकल उससे मिलने आ रहे हैं और वह उसी चॉकलेट देने वाले हैं। उसने पता कर लिया था कि दिव्यांश को चॉकलेट बहुत ही पसंद  है। हर रोज की तरह  जब गाड़ी में  दिव्यांश स्कूल जा रहा था तो आशु को देख कर उस के लिए गाड़ी रोक ली और कहा  आ जाओ यार  वह चुपचाप उसके साथ गाड़ी में बैठ गया। जैसे ही दिव्यांश को छोड़ कर  ड्राईवर गया उसने अपने दोस्त को कहा यार तुम्हें तो हर रोज ड्राईवर छोड़ने आता है आज मैं भी तुम्हें अपने अंकल से मिला लूंगा। आज हम स्कूल में से बंक मारतें हैं। तुम मेरे साथ चलो मेरे  अंकल मुझे बहुत सारी चॉकलेट लाए हैं। आशु के मुंह में चॉकलेट का नाम सुनकर  दिव्यांश के मुंह में पानी आ गया। वह बोला तब तो मैं भी जरूर चलूंगा। हमारे अध्यापकों ने अगर घर में पता दे दिया कि हमने बंक मारा है तो क्या होगा? आशु बोला डरने की कोई बात नहीं है तुम मेरे साथ चल रहे हो कह देना कि मेरे दोस्त की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैं उसके साथ चला गया। दिव्यांश भी निर्भीक हो गया था। उसका सारा डर छू मन्त्र हो गया था। वह अपने दोस्त के साथ चल रहा था। चलते चलते वह काफी दूर निकल गए।

स्कूल की घंटी बज चुकी थी उन्होंने अपनी एप्लीकेशन स्कूल में पकड़ा दी थी। दोनों ने यह लिखा था कि हमारी तबीयत ठीक नहीं है इस कारण से हम हॉस्पिटल जा रहे हैं।

आशु अपने दोस्त को लेकर बहुत दूर निकल गया। वहां पर  एक दुकान में घुस गए। वह दुकान एक ढाबे वाले की लगती थी।  उस दुकान के पास आंखों पर चश्मा चढ़ाए हुए और  सूटकेस लिए हुए एक व्यक्ति खड़े थे।  आशु बोला अंकल नमस्ते  आशु बोला अंकल आज मैं अपने दोस्त को लेकर आया हूं। यह मेरा दोस्त दिव्यांश है। सूटकेस वाले अंकल बोले बेटा तुम तो बहुत ही अच्छे बच्चे हो। मैं तुम्हारे लिए बहुत सारी चॉकलेट लाया हूं। उसने दो चॉकलेट  दिव्यांश को थमा दी। आशु अपने अंकल को मिल कर वहां से वापस आ गया।  धीरे धी धीरे कर दिव्यांश को भी चॉकलेट का चस्का लग गया। उस चॉकलेट में ना जाने ऐसा जादू था कि उसको खाकर वह सब कुछ भूल जाता था। दिव्यांश अपने दोस्त को बोला कि ये चॉकलेट तो बहुत ही अच्छी है। इसको खा कर मुझे नींद आती है। तुम इतनी बढ़िया चॉकलेट कहां से लाएं?। तुम्हारे अंकल कहां काम करते हैं? वह बोला मेरे अंकल तो विदेश में सैटल हैं। वह मुझे हर बार चॉकलेट भेजते रहते हैं। इस तरह से उसने दिव्यांश को भी नशे की आदत लगा डाली।

एक दिन जब दिव्यांश को  आशु नें चॉकलेट नहीं दी तो तो वह आशु से बोला यार मुझे कहीं से चॉकलेट लाकर दो मैं उसके बिना नहीं रह सकता। दिव्यांश को आशु बोला इसके लिए तुम्हें मुझे रुपए देने होंगे ₹100 में तुम्हें दो चॉकलेट मिलेगी। दिव्यांशु हर रोज ₹100 की चॉकलेट हर रोज खाने लगा। चॉकलेट को खा कर उसे इतना नशा हो जाता था कि वह सब कुछ भूल जाता था। शाम के समय एक दिन वह इसी प्रकार घूम रहा था कि अचानक उसके सामने वहीं अंकल आए और बोले बेटा अगर तुम्हें बहुत सारी चॉकलेट खानी है तो तुम्हें अपनी मां के गहने लाने होंगे। अपनी मां को मत बताना नहीं तो वह तुम्हें कभी भी  रुपये नहीं देगी। चोरी-छिपे उनके लॉकर से  गहनें या रुपये  पर्स से चुरा कर ले आना। दिव्यांश ने अपनी मां के सारे के सारे गहने चोरी कर लिए उसकी मां ने जब तिजोरी खोली तो अपने  गहनें ना पाकर बहुत ही दुःखी हुई और उसने पुलिस में रिपोर्ट कर दी। दिव्यांश बहुत ही डर चुका था। वह चुपचाप वहां से  खिसक गया। है इससे पहले कि उसकी मां उसे चोर समझी वह जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ाने लगा था रास्ते में उसे वही चॉकलेट वाले अंकल दिखाई दिए। वह उनसे बोला मां ने पुलिस  में  रिपोर्ट करवा दी है।

जब रुचि अपने भाई को विदेश में फोन कर रही थी तो उसके भाई ने उससे कहा था  कि बहना हम तेरे घर पर नहीं आएंगे। बाहर ही से तेरे बेटे को  ले जायेंगे। वह समझेगा कि कोई चोर हमें किडनैप करके ले गए हैं। जरा भी मत डरना  मैं उसे एक अच्छा इंसान बना कर ही छोडूंगा,।

आप उसकी अब जरा भी चिंता मत करो। दूसरे दिन जब टेलिफोन बूथ पर अपने भाई को फोन करने जा रही थी  तो किडनैपर्स ने  सारी बात सुन ली थी अपने भाई से शशांक को कह रही थी  अब तो पानी सिर पर से गुजर चुका है मेरा बेटा बहुत ही बिगड़ चुका है मैं कुछ नहीं कर सकती  तुम ही इसे  समझाओ वह बोला मैं तुम्हारा भाई शशांक बोल रहा हूं।  तुम जरा भी मत डरो उसे किडनैप करने की योजना बना लूंगा।  उसे अगर पता लग गया उसके मामा उसके साथ नाटक कर रहे हैं  तो वह कभी भी मेरे साथ नहीं जाएगा। तुम पेट्रोल पंप के पास  उसे  शाम को चार बजे भेज देना। उसे वहीं से आकर ले जाऊंगा। दूसरे दिन रुचि अपने भाई को फोन लगा कर  वापस आ गई थी।

किडनैपर ने उनकी सारी बातें सुन  ली थी। रुचि जब अपनें भाई को  मोबाइल से फोन लगा रही थी वह बाहर सब्जी लानें गई थी।चॉकलेट देनें वाला एक नशे की वस्तुए बेचने और खरीदनें वाले समूह के गैन्ग का सदस्य था। जिस समय रुचि अपनें भाई शशांक से बात कर रही थी वह भी चोरी छिपे उनकी बातें सुन रहा था। वह हर घरों की महिलाओं की चोरी छिपे बातें सुनता था। उस व्यक्ति को जो सबसे बड़ा मुर्गा दिखाई देता था उस पर ही हाथ साफ करता था। रुची बोली मेरे प्यारे भाई तुम अपना पता तो बताओ। वह बोला लिखो शशांक हाऊस नंबर 528। इतनें में फोन कट गया। काफी देर तक उस अजनबी व्यक्ति को कुछ नहीं सुनाई दिया। उसे बस इतना सुनाई दिया कल यहीं पर जब तुम सब्जी लानें आओगी तब फोन सुनना।

  आज कल हर रोज चॉकलेट खाता रहता है और सारे दिन सोया रहता है। कुछ कहो तो आगे से जबाब देता है। मैं तो उसे बोर्डिंग स्कूल में डाल नें लगी थी मगर उसके पापा नें उसे डालने नहीं दिया।।

इससे पहले कि फोन कटता गैन्ग वाले को पता चल गया था कि दिव्यांश की मां अपनें भाई को विदेश में फोन लगा रही है। उसके भाई का नाम भी शशांक है। मेरा नाम भी शशांक है। क्यों न मौके का फायदा उठाएं। पहले उन दोनों की पूरी बातें सुन लेता हूं फिर कोई योजना बनाता हूं।

रुची बोली तुम इसे अपनें साथ विदेश ले जाओ। वहीं पर वह अच्छी तालिम हासिल करेगा यहां पर तो इसनें हमारी नाक में दम कर रखा है। वह बोली भाई मेरे मुझ पर इतनी सी दया करना।  उसका भाई बोला मैं उसे बताऊंगा ही नहीं मैं  उसका मामा हूं। एक किडनैपर बन कर उसे ले जाऊंगा। तुम उसे सब्जी मार्किट सब्जी लानें भेजना। उसे  चॉकलेट का लालच देना चॉकलेट के लालच में वह मार्किट आने के लिए कभी मना नहीं करेगा।  वह बोली अच्छा वह ऐसा ही करेगी। वह उसका भाई नहीं किडनैपर  शशांक बन कर उसको यह सब बातें कह रहा था। उसनें शशांक के नाम का फायदा उठाया।

रुचि बोली हमारे घर के गहनों भी कोई चोरी कर के ले गया है। मुझे पता है कि मेरा बेटा ऐसा काम नहीं कर सकता। आप जल्दी आ कर उसे ले जाओ। वह बोला  बहना कल तुम्हे इसी वक्त फोन करता हूं। दूसरे दिन उसी समय सब्जी लेनें बाजार चली गयी। उस अजनबी व्यक्ति नें अपनें मन में सोचा आज अच्छा मौका है।

उसका भाई बोला इसके लिए हमें एक योजना बनानी पड़ेगी मैं इसे आ कर ले जाऊंगा लेकिन घर आ कर नहीं। उसे पता चला कि मामा मुझे लेनें आए हैं तो वह कभी भी साथ चलनें के लिए नहीं मानेगा।

रुची के भाई को जरुरी काम आ गया था। किडनैपर   वाली योजना तो गैन्ग वाले व्यक्ति नें सुन ली थी। वह तो मौके का फायदा उठाना चाहता था। उसनें  पौनें चार  बजे के समय फोन किया। कहा बहना अपनें बेटे को जल्दी ही उसी स्थान पर भेजो जहां मैनें तुम्हे बताया था। मुझे कौल मत करना वर्ना तुम्हारे बेटे को पता चल गया तो वह मानेंगा नहीं।

रुची आज बहुत ही खुश थी। आज वह अपनें बेटे को  दिल पर पत्थर रख कर उसके मामा के पास  विदेश भेज रही थी। योजना के मुताबिक रुची नें अपनें बेटे को कहा जा बेटा आज तुम ही बाजार से अपनें मन पसन्द की सब्जियां ले आओ। इसके बदले मैं तुम्हे ढेर सारी चॉकलेट दूंगी। वह कहने ही वाला था कि नौकर को सब्जी लानें भेजो मगर चॉकलेट शब्द सुन कर खड़ा हो कर बोला अच्छा मैं जल्दी ही सब्जियां ले कर आता हूं। आप तब तक मेरी चॉकलेट तैयार रखना। उसने कहा आज मैं पैदल ही जाता हूं। सब्जियों की दुकान तो पास मे ही है। वह जल्दी ही तैयार हो कर सब्जी लानें चला गया। वह रास्ते से जैसे ही जा रहा था एक नकाबपोश नें उसे कुछ सूंघाया और उसे अपनी गाड़ी में ले कर चले गया।

नकाबपोश ने उसे गाड़ी में बिठा कर एक सुनसान सी कोठरी में बन्द कर दिया था। वहां पर वह चॉकलेट वाले व्यक्ति नशा बेचने का कारोबार करता था। दिव्यांश को  जब होश आया तो वह बोला अंकल मेरी मां नें मुझे सब्जियां लाने भेजा था आप जल्दी ही मुझे घर छोड़ दो। वह चॉकलेट वाला व्यक्ति बोला मैं तो तुम्हे किडनैप कर के लाया हूं। पहले मैनें तुम्हारे दोस्त को मोहरा बनाया। उसे इस लिए कैद नहीं किया क्योंकि कि उसके परिवार वालों के पास तो फिरौती की डिमांड के रुपये नहीं थे। हम नें तुम्हे नशा करना सिखा दिया। हमारा चरस कोकीन गान्जा आदि नशे का धन्धा है। चलो तुम भी किसी अमीर  बच्चे  को अपनें धन्धे में फंसाओगे तभी हम तुम्हें छोड़ेगें।

वह चिल्ला चिल्ला कर बोला मुझे छोड़ दो। उस की बाजु  जख्मी  कर के उसे कहा इस क्षेत्र से बाहर गए तो तुम्हें हम मार देंगें। दिव्यांश बहुत ज्यादा डर गया। दिव्यांश को पकड़ कर कहा अपनी मां को फोन करो और कहो मुझे किडनैपरस नें पकड़ लिया है। मां मां मुझे जल्दी से छुड़वाओ। उसकी मां बोली तुम हमारा कहना नहीं मानते थे तुम्हें यही सजा मिलनी चाहिए थी। हम तुम्हें नहीं छुड़ाने वाले। उन गैन्ग के आदमियों को जब पता चला कि इस की मां रुपया भिजवानें वाली नहीं तो उन्होनें उस से काम लेना शुरु कर दिया। उन्होंने उसे कहा कि तुम अपनें दोस्तों में से किसी को भी इस धन्धे में फंसाओगे  तो तभी हम तुम्हें छोड़ेंगें। वे चुपके से उसके स्कूल के पास उसे छोड़ देते थे। उस के मुंह पर कालिख मल कर और बाल बिखरा कर  उन्होंनें उस का हुलिया ही बिगाड़ दिया।वहीं बच्चा जो अपनें मां पापा की आंख में दम कर रखता था उन के इशारों की कठपुतली बन गया। वह हर काम के लिए उस को आगे भेजते थे। जो बच्चा गाड़ी के बिना एक कदम भी पैदल नहीं चलता था वही बच्चा उन गैन्ग के आदमीयों का काम करनें लगा।वह जब काम करनें से मना करता था तो उसके गर्म गर्म रोड से उस पर प्रहार करते थे।

एक दिन आशु जब स्कूल को जा रहा था तो एक भिखारी उसके सामनें आ खड़ा हुआ। बाबा के नाम पर कुछ खाने को दो। दिव्यांश नें आशु के कमीज का कौलर  पकड़ कर  चुपके से कहा तुमने मुझे नशे की आदत डलवा कर मेरे साथ बुरा किया और मुझे उस चॉकलेट वाले अंकल के हवाले कर दिया। उन्होंनें मेरे माता पिता से दस लाख रुपये की मांग की है। तुम नें मुझे फंसा कर बहुत ही बुरा किया। मुझे जल्दी ही छुड़वाओ नहीं तो मैं मर जाऊंगा। तुम्हे भी ये किडनैपरस पकडने वाले हैं। मैने चोरी छिपे उन की बातें सुन ली थी। तुम जल्दी से मेरे मां के पास जा कर सारी बात बताओ नहीं तो अब तुम्हारी बारी है।

किडनैपरस जैसे ही आशु के पास आया बोला किसी एक बच्चे को हमारे पास ला कर दो। वह जल्दी से बोला अंकल मैं आप को एक बच्चे को सौंपनें वाला हूं।किडनैपर खुश हो कर बोला ठीक है। कल उसे हमारे पास ले कर आना। किडनैपरस जैसे ही जानें लगा वह उस से बोला कल शाम चार बजे छुट्टी के समय उसे ले कर आना। आशु बहुत ही डर गया था। उन गैन्ग के गिरोह नें उसे धमकी दी थी कि अगर तुमनें किसी को भी बताया तो हम तुम्हें मार देंगें।मैं अब किस बच्चे को ले कर आऊं। डर के कारण उसे बुखार आ गया था। वह बुखार में बडबडानें लगा मां मां मेरे दोस्त को बचा लो। उसे किडनैपर पकड़ कर ले गए हैं। उसकी मां नें उसका माथा छूआ उसे तो बहुत ही बुखार था।

आशु की मां की सहेली सुनीता  उनके घर-आई हुई थी। वह बोली आप का बच्चा क्या बुदबुदा रहा है? मेरे दोस्त दिव्यांश  को बचा लो नहीं तो वह मर जाएगा। उसकी सहेली नें दिव्यांश का नाम सुन लिया था। वह आशु की ममी को बोली उस से पूछो कि यह दिव्यांश कौन है? शायद उसनें कोई बुरा सपना देखा होगा। वह बोली अच्छा बहन चलती हूं मुझ जल्दी ही घर पहुंचना है।

दिव्यांश की ममी नें जैसे ही दरवाजे पर दस्तक सुनी वह बाहर की ओर दरवाजा खोलनें बाहर आई। दरवाजा जैसे ही खोला अपनें भाई को सामने देख कर चौंक गई।वह अपनें भाई के गले लगा कर बोली दिव्यांश कैसा है? उसका भाई बोला बहना क्या कह रही हो? उसका भाई बोला तुम नें मुझे फोन क्यों नहीं किया मैं उसे लेनें आया हूं। वह हैरान हो कर बोली आप मुझ से मजाक क्यों कर रहे हो?

वह बोली जब आप का फोन आया था तभी मैंनें आप के पास उसे भेज दिया था। उसका भाई बोला मैनें तुम्हे कहा तो था लेकिन उस दिन मेरा फोन लगा ही नहीं था। वह रोते रोते बोली मेरा दिव्यांश कंहा है? उसके भाई को पता चल चुका था सचमुच ही दिव्यांश को कोई किडनैप कर के ले गया है। वह बोला बहन तू चिन्ता मत कर। वह बोली मुझे फोन आया था कि अगर तुमनें दस लाख रुपये नहीं दिए तो हम उससे न जानें क्या क्या काम करवाएंगे। मैनें सोचा भाई आप हो। आप नें ही तो मुझे कहा था कि  मैं उसके  किडनैप की योजना बनाऊंगा। वह योजना तो सच साबित हो गई। मैनें तो उन गुन्डों को कह दिया कि  मेरे पास कोई रुपया नहीं है। ये मैनें क्या कर दिया। उसका भाई अपनी बहन को ले कर पुलिस थाने गया और रिपोर्ट दर्ज करवाई। उन्होंनें पुलिस वालों से कुछ नहीं छिपाया।

आशु को जब होश आया तो वह डर कर कांपनें लगा। आशु की ममी की सहेली बोली मेरे पति मुझे लेनें आते ही होंगें वह गाड़ी का हॉर्न सुन कर बाहर दरवाजा खोलनें भागी। आशु की ममी बोली भाई साहब बैठो मैं चाय बना कर लाती हूं।  वह चाय बनानें अन्दर चली गयी।  आशु की सहेली सुनीता के पति एक पुलिस औफिसर थे। आशु पुलिस अंकल को देख कर रो पड़ा बोला अंकल मेरे दोस्त को बचा लो। यह कह कर वह फिर से बेहोश हो गया। उसे जब होश आया तो पुलिस अंकल उस से पूछ रहे थे बेटा किसी से भी तुम्हे डरने की जरुरत नहीं है। मुझे  बताओ। तुम्हे कौन परेशान कर रहा है।? वह जोर जोर से रोनें लगा। उसनें सारी की सारी दास्तां अंकल को सुना दी। उन किडनैपरस नें मेरे दोस्त को भी अगवा कर लिया है। वह तो अमीर परिवार के बच्चे को पकड़ कर उसके परिवार से दस लाख रुपयों की मांग करतें हैं। उसे अपनें धन्धे में शामिल कर उस से नशा करनें वालो की तादाद में बढोतरी करवानें के लिए उकसाते हैं जब वह नहीं मानता तो उसको  मार देतें हैं या उसके हाथ पांव तोड़ कर उस से भीख मंगवाते हैं। यही मेरे दोस्त दिव्यांश के साथ हुआ। मुझे नशे की चॉकलेट खा कर होश ही नहीं रहता था। मैं उस का इतना आदि हो गया था कि उन के बताए नक्शे कदम पर चलता रहा। मेरे माता पिता नें मुझे बताया भी था कि अजनबी लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए मगर मेरी आंखों  से तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। सोचने समझनें की शक्ति उस नशे की चॉकलेट नें छीन ली। मुझे अपनें माता पिता  अपनें शत्रु नजर आनें लगे। आज आप मेरे दोस्त को नहीं बचाओगे तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। वह तो नशे में संलिप्त नहीं था। मैनें उसे नशा करनें की आदत डाली। किडनैपरस से जब मैनें कहा कि मुझे और चॉकलेट दो तो उन्होनें मुझ से कहा कि अपनी ममी के पर्स से चोरी कर लाओ। जब मां को पता चला कि उनके गहनों चोरी हो गए हैं तो उन्होनें मुझ पर जरा भी शक नहीं किया। उन्होनें समझा उनका बेटा कभी चोरी नहीं कर सकता। जब मां नें गहनों लौकर में रखवा दिए तो मैनें फिर किडनैपरस को कहा कि मेरे पास रुपये नहीं है। उन्होनें मुझे कहा कि अगर तुम्हे चॉकलेट खानी है तो अपनें स्कूल के किसी अमीर परिवार के लड़के को अपना दोस्त बनाओ। उसे जब चॉकलेट की आदत पड़ जाए तब तुम एक चॉकलेट के 50 रुपये मांगना। तुम को तब तक मुफ्त में चॉकलेट दूंगा। मेरा दोस्त चॉकलेट का इतना अभ्यस्त हो गया कि वह मुझे घर से ला ला कर रुपये देनें लगा उसकी मां के गहनें जब चोरी हुए तो उसनें पुलिस में इसकी सूचना कर दी। वह डर कर शायद चॉकलेट वाले अंकल के पास चला गया होगा। मुझे उन लोगों नें इस लिए नहीं पकड़ा क्यों कि मेरी मां के पास  देनें के लिए इतनी रकम नहीं.है।उन गुन्डों नें मुझे कहा कि अगर तुमनें अपनी जुबान खोली तो मैं तुम्हारे मां बाप को मार दूंगा। कल जब मैं स्कूल गया था तो एक भिखारी को सामने पाया। वह कोई और नहीं वह तो मेरा  दोस्त दिव्यांश था। मैनें उसे पहचाना ही नहीं होता मगर उस की बाजुओं पर चोट का निशान था। खेलते खेलते लग गया था। वह मेरी तरफ देख कर बोला तुम नें मुझे इन नरभक्षियों के आगे डाल कर अच्छा नहीं किया। वह तुम्हें भी कल चार बजे बुला कर तुम्हें भी कैद कर देंगें। जल्दी यहां से खिसको वर्ना तुम्हारी भी यही दुर्गति होगी जो मेरी हुई है।

दोस्त अलविदा तुम भी मेरी तरह नासमझ थे। मुझे आज कहीं जा कर समझ में आया मां बाप अपनें बच्चों का बुरा कभी भी नहीं चाहते। हम बच्चे चौबीसों घन्टे उनकी नाक में दम करते रहते हैं। मैं नहीं बच सका तो कोई गम नहीं क्योंकि तुम को मैं इतना कह रहा  हूं कि अपनें माता पिता का कहना मानना और नशे की आदत को छोड़ दना। वह यही कह रहा था कि अचानक एक गाड़ी आई और मेरे दोस्त को ले गई। पुलिस वाला बोला मेरे पास कल एक बच्चे के अगवा होनें की सुचना आई है कहीं वह तुम्हारा दोस्त दिव्यांश तो नहीं। पुलिस औफिसर नें अपनें बैग से फोटो निकाली और आशु के सामने रख दी। आशु बोला अंकल यही मेरा दोस्त है। पुलिस अंकल बोले हम उन नशे मे संलिप्त गैन्ग का सफाया कर के ही दम लेंगें। वह जब तुम्हें चार बजे बुलाएंगे तब तुम चले जाना। हम तुम्हारा पीछा करते वहां तक पंहुच जाएंगे।आशु बोला ठीक है अंकल। मैं अब डरूंगा नहीं आप मेरे दोस्त को बचा लेना। अगले दिन जब आशु स्कुल आया तो उन गैन्ग वालों का  उसे फोन आया। पुलिस वालों नें चुपके चुपके आशु का पीछा किया। चार बजे ठीक आशु  को उन गैन्ग वालों नें स्कूल से थोड़ी दूरी पर से फोन किया था। पुलिस वालों को पता चल गया। उन्होनें उन की कोठरी पर धावा बोला। इससे पहले वह  चौकन्ना होते पुलिस वालों नें पिछली खिड़की से पहुंच कर उन सभी को पकड़ लिया। उनके गैन्ग का बहुत ही बड़ा अड्डा था। गैन्ग के आदमियों से पुलिस वालों ने कोडे लगा कर सभी अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। दिव्यांश की भी बुरी हालत बन गई थी। वह अपनी ममी से बेहोशी की अवस्था में बोला मैं हमेशा आप का कहना माना करूँगा। आप मुझे माफ कर दो। मैं चॉकलेट की आदत को छोड़नें की कोशिश करुंगा। आप दोनों मुझे जब तक माफी नहीं दोगे तब तक मैं  कुछ भी नहीं खाऊंगा। उसके माता पिता नें अपनें बच्चे का अच्छे से अस्पताल ले जा कर उसका इलाज करवाया। उसका दोस्त आशु भी अपनें दोस्त के गले लग कर बोला अच्छा हुआ हम दोनों को अपनी गलती अभी ही समझ आ गई वर्ना हम भी न जानें  दर दर भटक भटक कर भीख मांग रहे होते। हम दोनो कसम खातें हैं कि आज के बाद हमें कोई भी बच्चा नशा करते दिखाई देगा उस की सूचना हम पुलिस को अवश्य देगें।  न जानें हमारे जैसे कितने बच्चे होगें जो  की नशे कि आदत का शिकार हो कर नशा कराने वाले लोगों का साथ दे कर उस में संलिप्त हो कर अपना आज बर्बाद कर देंगें।हमें उन्हें गुमराह होनें से बचाना है। यही हमारा प्रायश्चित होगा। एक भी बच्चे को बचानें में सफल हो गए तो अपनें आप को  खुश नसीब समझेंगें। पुलिस अंकल बोले शाबास मेरे शेर बच्चों इस नेक काम में मैं भी हरदम तुम्हारे साथ रहूंगा।  दोनों बच्चों का अस्पताल में इलाज चला। वे दोनों गुमराह होनें से बच गए।

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