पुरानी समय की बात है किसी नगर में एक राजा रहता था।।वह राजा अपनी प्रजा को खुश देखकर बहुत खुश होता था ।उसके राज्य में सभी लोग सुखी थे उस ने अपने पास एक सलाहकार नियुक्त किया था। वह राजा को अच्छी सलाह दिया करता था । वह एक अच्छा सलाहकार नंही था।वहबिना सोचे समझे सब को सलाह दिया करता था। राजा उसे अच्छी सलाह देने के लिए कभी धन दौलत कभी रुपए ईनाम स्वरुप दे दिया करता था। वह सलाहकार रुपया पाकर बहुत खुश था ।राजा ने उसे अपने महल में पहरेदार नियुक्त कर दिया था। , वह राजा के घर पर ही रहने लग गया था एक दिन सलाहकार ने अपने मन में मन में सोचा कि मैं बिना सोचे समझे राजा को सलाह देता हूं । मेरी सलाह अगर किसी दिन झूठी साबित हो गई तो राजा उसे छोड़ेगा नहीं ,उसे दंड अवश्य देगा ।वह दंड
से बहुत घबराता था ।राजा जिस भी किसी व्यक्ति को दंड देता था वह उसे कोडे़ लगवाता था ।,।सलाहकार ने सोचा की मैं राजा से एक वचन पहले ही ले लेता हूं उसने एक दिन राजा से कहा कि राजा जी आप तो मुझे अच्छी-अच्छी सलाह लेते हो परंतु आज एक बात आपको मेरी भी माननी होगी ।. राजा ने कहा ने क्या ,मांग के तो देखो? मैं तुम्हे अवश्य दूंगा ।मैं तुझसे वादा करता हूं मैं एक राजा हूं राजा जो भी किसी को वचन देता है वह उसे अवश्य पूरी करता है ।सलाहकार ने राजा से कहा कि अभी नहीं समय आने पर मांगूंगा ।राजा ने कहा तुम्हारी इच्छा मैं अवश्य पूरी करुंगा ।इस बात को बहुत ही महीने गुजर गए ।एक दिन राजा अपने परिवार के साथ घोड़े पर जंगल में गया हुआ था उसने रास्ते में देखा एक बुढ़िया रास्ते में जोर जोर से रो रही थी। बुढ़िया को रोता देखकर राजा का दिल द्रवित होगया ।उसने बढ़िया से कहा तुम क्यों रो रही हो ? बुढ़िया ने कहा मेरी बहू ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया है ।वह मुझे खाने के लिए भी कुछ नहीं देती है ।राजा का हृदय बुढ़िया की बात सुनकर द्रवित हो गया। राजा ने पहरेदार से कहा मैं तो सोचता था कि मेरे राज्य में प्रजा बहुत सुखी है। आज तो मेरा मंत्री मेरे साथ सैर करने नहीं आया । आज मैं तुम्हें अपने साथ सैर.. करनें के लिए ले जा रहा हूं। आज मेरा मंत्री यहां होता तो मैं उसे बुढिया केे साथ उसे उसके घर पता लगाने अवश्य भेजता। राजा ने कहा कल तू मेरे दरबार में आना राजा ने उसे बहुत सारा धन देकर विदा किया । सलाहकार ने राजा को कहा कि आप तो बहुत दयावान हैंराजा जी ।मैं आपसे कह रहा हूं कि बिना देखे बिना सोचे समझे बिना जांचे परखे हमें किसी भी व्यक्ति पर विश्वास नहीं करना चाहिए ।राजा ने कहा कि तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ?सलाहकार ने राजा को कहा कि आज रात को मैं आपके साथ उस बुढिया के घर पर चलूंगा। आप एक राजा के रूप में उस बुढ़िया के पास मत जाना।एक साधारण व्यक्ति की तरह भेश बदल कर जाना ताकि आप को पता चल सके।
इस रूप में उस बुढ़िया के पास मत जाना एक साधारण व्यक्ति की तरह भेष बदलकर जाना ताकि आपको पता चल सके जो बुढिया आपके सामने अपनी बहू की शिकायत करने आई थी वह सच मुच् उसे घर से बाहर निकालना चाहती थी कि नही। वह झूठ मूठ का बहाना बनाकर आप से रुपए लेना चाहती थी और झूठ-मूठ का नाटक करना चाहती थी। राजा को सलाहकार की बात ठीक लगी। राजा एक साधारण व्यक्ति का भेष धारण कर पहरेदार के साथ चल पड़ा ।वह बुढ़िया के घर पहुंचा आधी रात हो चुकी थी अंदर की तरफ कान लगाकर राजा उनकी बातें सुनने लगा बुढ़िया के जोर जोर से रोने की आवाज सुनाई दे रही थी ।हंस हंसकर अपनी बहु से कह रही थी उसने आज राजा को बेवकूफ बनाया कि तुम मुझे हर रोज खाना नहीं देती हो और आज तो मैं राजा से इसके बदले बहुत सारा रूपया लाई हूं ।राजा बुढ़िया की बात सुनकर दंग रह गया चुपचाप वह अपने महल में लौट आया। उसने पहरेदार को वह बहुत सारा रुपया दिया ।पहरेदार रूपया प्राप्त कर फूला-नहीं समा रहा था ।एक बार वह राजा शिकार कर रहा था तो उसकी एक उंगली कट गई और उसकी उंगली से खून बहने लगा यह देख कर उसका सलाहकार बोला भगवान जो करता है वह अच्छा ही करता है ।जब सलाहकार ने ऐसे शब्द कहे तो राजा को बहुत गुस्सा आया। मन ही मन में सोचने लगा जो उसने कहा है शायद यह बात वह सोच समझकर ही बोल रहा होगा, इसलिए राजा ने अपने पहरेदार को कुछ नहीं कहा और चुपचाप चलने लगा चलते-चलते जब वह बहुत दूर निकल आए तो रास्ते में चोरों ने उन्हें देख लिया ।चोरों को सुबह से ही चोरी करने के लिए कुछ भी नहीं मिला था उन्होंने किसी से सुन रखा था अगर किसी इंसान की बलि दे दी जाए त़़ोू माता बहुत प्रसन्न होती है।और उसे बहुत सारा धन दौलत देती है। चोर अपने सामने दो हट्टा-कट्टा नवयुवकों को देखकर जो बहुत ही खुश हुए उन्होंने अपनी तलवार दिखाते हुए उन दोनों को बांध लिया और काली माता के मंदिर में ले जाने लगे और जोर-जोर से कहने लगे कि आज तो तुम में से किसी एक की बलि दे दी जाएगी। एक चोर ने दूसरे से कहा पहले यह भी जान लो कि किसी व्यक्ति का कोई अंग कटा तो नहीं है। राजा ने जब यह सुना तो राजा बहुत खुश हुआ क्योंकि वह सोचने लगा मैं तो आज बाल बाल बचा। राजा अपने सलाहकार के लिए कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि वह अगर सलाहकार को बचाने की कोशिश करता तो वह खुद जान से हाथ धो बैठेगा ।उन चोरों ने राजा की कटी ऊंगली देखकर उस राजा को तो छोड़ दिया मगर उस सलाहकार को पकड़कर ले गए। राजा तो अपने महल में वापिस आ चुका था रास्ते में उस सलाहकार ने सोचा कि आज तो मैं इन चोरों के चुंगल से अपने आप को छुड़ा नहीं सकता ना जाने मेरी बात कैसे सच हो गई ।राजा तो बच गया मैंने तो अनजाने में ही राजा से बात कही थी कि भगवान जो करता है अच्छा ही करता है ।राजा की उंगली कटने के बावजूद भी राजा ने मुझे कुछ नहीं कहा। वह योजना बनाने लगा कि कैसे मैं इन चोरों से अपने आप को छुडवाऊं।उसके दिमाग में एक योजना आई उसने उन चोरों से कहा चोर भाई चोर भाई, तुम्हें मेरी बलि देने से क्या होगा? तुमने चोरी करनी है तो तो मैं तुम्हें एक तरकीब बताता हूं ।तुम्हें मेरी बात पर यकीन ना हो तो मैं मरने के लिए तैयार हूं ।आपने जिस आदमी को अभी छोड़ा है वह साधारण आदमी नहीं वह एक राजा है । मैं उसका मामूली सा एक सलाहकार हूँ। तुम चोरी करने राजा के महल में रात को आना मैं तुम्हें महल में घुसने से नहीं रोकुंगा। तुम चुपचाप चोरी करके महल से चले जाना। इस तरह तुम्हें बहुत सा थनभी मिलेगा। चोरों को सलाहकार की बात जंच गई और उन्होंने उस सलाहकार को छोडते हुए कहा कि अगर तुमने हमसे जरा भी झूठ कहा तो तुम हमसे नहीं बचोगे ।हम किसी न किसी तरह तुम्हें पकड़ ही देंगे ।यह कहकर उन चोरों ने उस को छोड़ दिया जब रात को चोर राजा के महल में घुसने लगे तो पहरेदार ने उन्हें अंदर जाने दिया ।पहरेदार ने चोरों के आने की सूचना राजाको दे दी ।राजा ने अपने सैनिकों को उन चोरों को पकड़ने का आदेश दिया उन चोरों को पकड़कर जब राजा के सामने लाया गया , चोरों ने राजा से कहा कि आप हमें दंड नहीं दे सकते। आप हमें छोड़ दो। आपका असली गुनाहगार तो आपका सलाहकार है। हम जब आप की बलि चढ़ाने वाले थे तो उसने हमें बताया कि जिस आदमी को आपने अभी छोड़ा है वह साधारण आदमी नहीं बल्कि एक राजा है । तुम चोरी करने आओगे तो मैं तुम्हें महल में घुसने दूंगा । तुम मुझे छोड़ दो सलाहकार के ऐसा कहने पर हमने उसे छोड़ दिया ।हमें क्या पता था कि आपने अपने महल में ना जाने ऐसे बेवकूफ को अपना सलाहकार नियुक्त किया है जो इंसान यकीन करने के लायक नहीं है। आपको उसे दंड अवश्य देना चाहिए। सलाहकार की बात पर राजा को यकीन हो गया कि वह जो सच कह रहा है। राजा ने उन चोरों को तो छोड़ दिया ।पहरेदार को राजा ने अपने पास बुलाया और कहा कि तुम वफादारी के काबिल नहीं हो तुमने मुझसे छल कपट किया है।
तुम्हें कल सारी प्रजा के सामने दंड मिलेगा उस सलाहकार ने राजा को कहा राजा जी पहले आप मेरी बात तो सुन लो । सलाहकार ने राजा को कहा कि जब चोरों ने आपको छोड़ दिया तो मैं भी अपना चोरो से बचाव करना चाहता था। इसलिए मैंने उन्हें कहा कि तुम महल में चोरी करने आ जाना मैं पहरेदार को समझा दूंगा वह तुम को अंदर आने देंगे। मेरा ऐसा कहने पर चोरों ने मुझे छोड़ने का निश्चय कर दिया ।मैंने चोरों को कहा कि जिसे आप साधारण आदमी समझ रहे हो वह एक साधारण आदमी नहीं है वह एक राजा है मैं उनका सलाहकार।तुम चोरी करने राजा के महल में आना मैं तुम्हें महल में घुसने दूंगा तुम चोरी करके चले जाना ऐसा मैंने अपने बचाव में कहा था तभी उन्होंने मुझे छोड़ दिया ।राजा ने कहा कि मैं तुम्हारी किसी बात पर यकीन नहीं करता तुम्हें सारी प्रजा के सामने सजा तो अवश्य ही मिलेगी ।अगले दिन सारी प्रजा के सामने पहरेदार को बुलाया और कहा तुम्हे दंड तो अवश्य मिलेगा ।तब सलाहकार ने सारी बात। प्रजा के सामने राजा से कहा कि मुझे सजा देने से पहले आपको भी मेरी बात माननी होगी ।आपने सारी प्रजा के सामने मुझे कहा था कि मैं भी तुम्हें एक वचन देता हूं जो तुम मांगोगे मैं तुम्हें दूंगा ।मैंने अपने वचन में आपसे कहा था कि समय आने पर मांग लूंगा ।आज सारी प्रजा के सामने आपसे अपना यह वचन मांगता हूं कि आप मुझे छोड़ दे। राजा ने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी ।एक बार फिर राजा ने उसकी चतुराई की प्रशंसा की और कहा कि तुम यहां से मत जाओ ।मैंनें तुम्हारी सजा को माफ कर दिया।