भीम और भीष्म दो भाई थे। दोनों इकट्ठे स्कूल जाते परंतु वे दोनों हमेशा लड़ते ही रहते थे। कभी कभी तो उनका गुस्सा इतना बढ़ जाता था कि दोनों एक-दूसरे के बाल खींचते और घसीटते हुए एक दूसरे को भयंकर चोट पहुंचाते थे। उनकी मां उन्हें ऐसा करने से रोकती थी। मां बड़ी मुश्किल से उसके छोटे भाई को भीम से बचाती थी। एक दिन उन दोनों में इतना भयंकर झगड़ा हुआ दोनों अपने पिता के पास पहुंचे उनके पिता ने कहा मैं तुम्हारे झगड़े में नहीं पड़ना चाहता। तुम दोनों अब बड़े हो चुके हो कि तुम्हें अपना फैसला खुद करना चाहिए। जाओ अपने झगड़े को खुद सुलझाओ। उन्होंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। दोनों भाई बुरी तरह झगड़ने लगे तभी उनकी मां ने उनका झगड़ा बंद करवाया। और कहा जाओ तुम लोग आज मैं तुम दोनों से बात नहीं करूंगी। दोनों अपना सा मुंह लेकर चले गए। दूसरे दिन स्कूल जाते जाते वे अपना झगड़ा भूल चुके थे। रास्ते में जाते जाते उन्हें अपने बहुत सारे दोस्त मिले तभी भीष्म ने देखा सामने से उनके स्कूल की दो बहने प्यार से एक दूसरे का हाथ थामे हुए जा रही थी। बड़ी बहन ने अपनी छोटी बहन का हाथ पकड़ रखा था वह उसी सड़क पार कर रही थी। धीरे-धीरे उसका बस्ता भी उसने स्वयं पकड़ रखा था। भीष्म यह सब देख रहा था। वह सोच रहा था कि हम दोनों भी सगे भाई हैं परंतु हम दोनों तो चूहे और बिल्ली की तरह एक दूसरे के साथ हमेशा लड़ते झगड़ते रहते हैं। स्कूल की घंटी बज चुकी थी। भीष्म भी जल्दी-जल्दी अपनी कक्षा में चला गया।
कक्षा में सारे बच्चे पहुंच चुके थे आज भीष्म जल्दी में खाने का डिब्बा घर पर ही भूल गया था। सारे बच्चे आधी छुट्टी के बाद खाना खा रहे थे। वह जल्दी ही जाकर अपने भाई के पास पहुंच गया था परंतु उसके भाई ने उसे खाना नहीं दिया। चुपचाप उसके भाई ने खाना खाया और वहां से चला गया। उसका ध्यान जरा भी अपने छोटे भाई की ओर नहीं गया। भीष्म ने भी खाना नहीं खाया क्योंकि वह दोनों एक दूसरे के साथ प्यार नहीं करते थे। भीष्म को बड़े जोर की भूख लग रही थी। उसने चुपचाप पानी पीकर अपनी भूख को शांत किया। दूसरे दिन स्कूल में सारे बच्चे खेल रहे थे। उन बच्चों ने जानबूझकर भीष्म को मारकर नीचे गिरा दिया था। भीष्म जोर जोर से रोने लगा। कुछ बच्चे दौड़े दौड़े भीम के पास गए और बोले भीम भीम तुम्हारे भाई को कुछ बच्चों ने मार गिराया है।
भीम बोला मैं क्या करूं? अपना झगड़ा वह खुद ही सुलझाएगा। भीष्म के सिर से खून बह रहा था। बच्चों ने मैडम को सारी बात बताई ।
मैडम ने सारे बच्चों को पास बुलाया और कहा बेटा आपस में लड़ना नहीं चाहिए। लड़ाई झगड़ा करने से दिमाग भी ठीक नहीं रहता है। पढ़ने में भी मन नंही लगता है। लड़ाई झगड़ने वाले बच्चों का दिमाग तेज नहीं होता है।
तुम अपने स्कूल की भैरवी और भानू दोनों बहनों को देखो। दोनों बहनों में आपस में कितना प्यार है। दोनों एक दूसरे के ऊपर जान छिड़कती हैं। भैरवी अपनी छोटी बहन को बहुत ही प्यार करती है। एक दिन भानु कंही चली गई थी। भैरवी नें तो रो रो कर बुरा हाल कर दिया था। यहां छोटे भीम हैं जो हैं तो भीष्म के बड़े भैया मगर पीटने से बचाना तो एक और अपने भाई को खाने के लिए भी नहीं पूछा। आज बेचारा भीष्म सुबह जल्दी ही स्कूल से निकला था तो अपना खाने का डिब्बा घर पर ही भूल गया था।
मैडम ने कहा तुम्हें भैरवी और भानू से शिक्षा लेनी चाहिए। उन दोनों बहनों में कितनी एकता है। अब दोनों भाई जब घर पहुंचे तो दोनों बिल्कुल चुप थे। दोनों आपस में झगड़ा भी नहीं कर रहे थे। तभी भीष्म के सिर पर पट्टी देखकर उसकी मां ने पूछा बेटा भीष्म तुम्हें सिर में कैसे लगी। भीष्म ने कहा मां मैं स्कूल में फिसल कर गिर गया था। भीष्म की मां ने कहा बेटा भीम तब तुमने अपने भाई को बचाया कि नहीं। भीष्म बोला मम्मी भैया तो दौड़े-दौड़े मेरे पास आए थे उन्होंने मेरा खून पौंछा और मेरे सिर पर पट्टी भी बांधी और कक्षा में मुझे अपने पास बिठाया। अब कहीं ना कहीं भीम को अपने भाई के इस प्रकार बोलने पर आंखों में आंसू आ गए थे। मेरा भाई मुझ से चार साल छोटा है। उसने झूठ झूठ ही कह दिया था कि मैंने पट्टी की। मैंने तो इस के कोई पटटी नहीं की थी। मैंनें ना ही उसे बच्चों से बचाया। इसने झूठ झूठ ही कह दिया कि मैं फिसल कर गिर गया।
वह सोचने लगा कि आज के बाद मैं अपने भाई का ध्यान रखा करूंगा। मैंने तो अपने बड़े भाई होने का फर्ज भी पूरा नहीं किया। कोई बात नहीं अगर मेरा भाई मुझसे लड़ाई झगड़ा करता है वह मुझे अपना समझ कर ही तो मुझ से लड़ाई करता है। आज मुझे अपने आप से घृणा हो रही है। मैंने आज अपने भाई को क्यों नहीं बचाया। उसने फिर मां से झूठ बोला और कहा कि भैया मुझे बचाने आए थे। वह चुपचाप रुआंसा हो गया।चुपचाप अंदर जा कर पढ़ाई करने लगा।
भीष्म चुपचाप अपने कमरे में चला गया उसकी आंखों के सामने उन दोनों बहनों का चेहरा आ गया। कैसे वह दोनों बहने इतने प्यार से रहती हैं?
मजाल है स्कूल में कोई बच्चा कुछ कह दे। अगर कोई छोटी बहन को कुछ कहता है तो बड़ी बहन बचाने आ जाती है। जब बड़ी बहन को कुछ कोई कहता है तो छोटी उसे बचाने आ जाती है। दोनों एक दूसरे की हिम्मत है। दोनों एक दूसरे की ताकत है। भीष्म नें सोचा कि मैं भी किसी से कम नहीं हूं। मैं बिना वजह ही अपने भाई से लड़ता झगड़ता रहता हूं। तभी तो वह मुझसे झगड़ा करता है।
आज से मैं अपने भाई के साथ नहीं लड़ूंगा अपनी सारी वस्तुएं भी उसी से बांटा करुंगा और उससे पूछ कर ही कोई काम करूंगा। भीम भी अपने मन में सोच रहा था कि मैंने अपने भाई को आज बचाया भी नहीं। यह बातें उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। उन दोनों के पिता ने उन दोनों को आवाज दी। भाई कहीं मैं आज गलत घर में तो नहीं घुस गया इतनी चुप्पी। तब तक उन दोनों भाइयों की मां भी अंदर आ चुकी थी फिर भी दोनों बच्चे चुप थे।
भीष्म के सिर पर पट्टी बंधी देखकर भीष्म के पापा बोले क्या बात है? आज फिर दोनों झगड़ा करने के बाद इस तरह यूं मायूस हो कर क्यों बैठे हो। चलो अब दोनों मुस्कुराओ। उसके पापा ने कहा चलो भीम आओ मेरी गोद में आकर बैठो। परंतु भीम नें कहा पापा आज भीष्म को ही अपनी गोद में बिठाओ। जब भीम ने भीष्म का नाम लिया तो भीष्म बहुत जोर जोर से रोने लगा। पापा पापा आज मैं आपको सच्चाई बताता हूं। जब तक मैं आपको यह बात ना बता दूं तब तक मुझे चैन नहीं मिलेगा।
भीष्म के पापा बोले बेटा बताओ । वह बोला पहले भीष्म पापा की गोद में बैठेगा भीष्म को उसके पापा ने गोद में बिठा दिया। भीम बोला पापा आपने ही हमें सिखाया है कि आपसी झगड़ा आपस में ही सुलझा लेना चाहिए। आज कक्षा में कुछ बच्चों ने भीष्म को मारा उसकी कक्षा के बच्चे मेरे पास आए। उन्होंने कहा कुछ बच्चों नें तुम्हारे भाई को कुछ बच्चों ने धक्का देकर गिरा दिया है। तब भी मैं अपने छोटे भाई को बचाने नहीं गया। मैंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया और आज भीष्म अपने खाने का डिब्बा भी यही घर पर भूल गया था मैंने उसे अपने खाने में से भी उसे कुछ नहीं दिया।
मेरा छोटा भीष्म सारा दिन भूखा ही रहा। फिर भी मेरा दिल नहीं पसीजा। मैं उसके साथ भी नहीं बैठा। मैंने सोचा वह खुद अपना झगड़ा सुलझा लेगा। बच्चों ने जाकर कक्षा की मैडम को सारी बात बताई। मैडम ने हमें एक घंटा भाषण दिया उन्होंने कहा कि हमें आपस में लड़ना नहीं चाहिए। उन्होंने स्कूल में दो बहनों का उदाहरण भी दिया कि कैसे वे दोनों बहने अपनी कक्षा में प्यार से एक दूसरे का हाथ पकड़कर स्कूल जाती है?
दोनों एक दूसरे की ताकत है। दोनों एक दूसरे की हिम्मत है। वह दोनों हमेशा एक दूसरे की सहायता करती हैं। परंतु फिर भी मेरा दिल नहीं पसीना। जब भीष्म नें स्कूल से आकर आप से कहा कि मैं स्कूल में फिसल कर गिर गया था और मेरे भाई ने मुझे बचाया और मेरे सिर पर पट्टी बांधी तो मैं अपने आप को कोसनें लगा मैंने अपने नन्हें से भाई के मासूम दिल को चोट पहुंचाई और मैं इतना निर्दय कैसे बन गया। मैंने उसे सारे दिन भूखा रखा और सारा खाना उसके सामने खा गया। वह सारा दिन पानी पीकर ही रहा। मम्मी और पापा भी उनकी बात सुनकर बहुत ही दुखी हुए और बोले बेटा यह तुमने ठीक नहीं किया। भीम के पापा बोले बेटा मैं तुम दोनों को इसलिए कहता हूं कि तुम आपस में अपना झगड़ा सुलझा ताकि हम बड़े तुम्हारे झगड़े के बीच में नहीं आए।
तुम दोनों को अपने आपस में मिल जुल कर रहना चाहिए। आपस में लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए। लड़ाई झगड़ा करने से कभी भी बहुत ही बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। तुम दोनों भाई एक दूसरे की ताकत हो। तुम्हें अपने छोटे भाई की हमेशा मदद करनी चाहिए। अगर अभी से तुम दोनों तू-तू-मैं-मैं करोगे तो बाद में बड़े होकर भी तुम सुधर नहीं पाओगे। तुम दोनों एक हो कर काम करोगे तो बड़ी से बड़ी समस्या भी तुम चुटकियों में हल कर लोगों।
भीम के पापा बोले जाओ अपने छोटे भाई के गले लगकर उस से क्षमा मांगो। उसी वक्त भीम अपने भाई के पास गया और बोला मेरे छोटे भाई मुझे माफ कर दो। आज के बाद में कभी भी तुझे कष्ट नहीं पहुंचनें दूंगा। चल ये टॉफी खास। उसने जबरदस्ती टॉफी अपने छोटे भाई भीष्म के मुंह में डाल दी। दूसरे दिन दोनों भाई कक्षा में चुपचाप चले गए। इस बात को बहुत दिन बीत चुके थे। वह दोनों आपस में प्यार से रहते और सुख दुख में दोनों एक दूसरे का साथ देते थे। एक दिन कक्षा के उद्दंड बच्चों ने फिर से भीष्म को मारा तभी उसके बड़े भाई ने आकर अपने भाई भीष्म को उनसे छुड़वा लिया और उनकी खूब पिटाई की सब लोग अब तो उन्हें छोटा भीम के नाम से पुकारने लगे थे।