(झबरु)

एक छोटे से पहाड़ की तलहटी पर झबरु अपनी मां छमिया के साथ रहता  था। झबरू भोली मुस्कान लिए जब अपनी मां की ओर देखता तो उसकी मा फूली नहीं समाती। थोड़ी देर बाद उस की मां को पता नहीं क्या सूझता  वह उसको डांटने लग जाती कहती कि जल्दी ही अपना काम किया करो। अगर समय पर काम नहीं किया तो आज खाना नहीं दिया जाएगा। वह सोचता मां को ना जाने एकदम क्या हो जाता है एक पल में मां दयावान बन जाती है। थोड़ी देर में ना जाने क्या हो जाता है।? कई बार मां को पूछने का यत्न करता लेकिन कभी सफल नहीं होता था। इसी तरह दिन गुजरते रहे। झबरू मां को कहता मां मेरे पिता कहां है? उसकी मांं कहती तुम्हारे पिता हमें छोड़ कर चले गए हैं। तुम आगे  सेअपने पिता के बारे में कभी भी कोई भी सवाल मुझसे मत करना। तुम्हारे पिता को  बड़ा बनने की चाह  नें  और अंहकार नें मार डाला। इंसान बड़ा बनकर अपने सगे संबंधियों को भूल जाता है। बेटा इतना याद रखना हम जैसे भी हैं ठीक है। कभी भी बहुत बड़ा इंसान बनने की चेष्टा मत करना वर्ना तुम भी अपने पिता की तरह बन जाओगे।

मेहनत करो मेहनत करके जो कुछ हासिल हो उसी को अपना मुकद्दर समझो। कभी भी किसी से कुछ भी मांगनें की कोशिश मत करना। तुम्हारे पास भगवान के द्वारा दी गई, खुदा की दी हुई वस्तुएं है जो सबसे अनमोल है। वह तुम्हारी आंखें हैं  जिन से इस संसार को  तुम देखते हो। पैर हैं, जिससे तुम चलते हो, और खाने के लिए मुंह है(जीभ है। भगवान ने  मुंह या  जीभ इसलिए नहीं दिया कि इस से हर कभी अपना पेट भरते रहो इसलिए दिया है कि अपनी मधुर मुस्कान से मधुरता से हर किसी का मन जीत सको। वाणी पर नियंत्रण रखो। कभी किसी के लिए भी अपनी वाणी से अपशब्दों का प्रयोग मत करो। हो सके तो माफ करने की प्रक्रिया का अनुसरण करो।

इंसान गलतियों का पुतला है उसे जाने अनजाने में भूल हो जाती है। सबको क्षमा करना सीखो।  इनमें सब बातों को अपनाओगे तो सब लोग  तुम्हें  प्यार करना शुरू कर देंगें। अगर तुम भी औरों की तरह गुस्सा करने वाले बन गए  तो तुम में और लोगों में क्या अन्तर रह जाएगा। तुम भी और लोंगों  की तरह बन जाओगे तो लोग  तुमसे बात करना पसंद नहीं करेंगे। इसलिए मीठे शब्दों का प्रयोग करो।तुम जब  गुस्सा करते हो तो अवश्य ही तुम नाराज हो कर  वहां से उठ कर चले जाते हो ऐसा नहीं करना चाहिए। आप ठीक कहती हैं मैं आपकी बातों का अनुसरण करूंगा। कानों के द्वारा किसी की निन्दा करनें वालों की तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए।  एक दूसरे की निंदा मत करो। हो सकता है कि वह किसी दुसरे व्यक्ति को लडवानें के लाए ऎसा कह रहा हो। सब से अच्छे दोस्त को तुम से दूर करनें का यत्न कर रहा हो। किसी के बारें में कोई बड़ा फेंसला लेनें से पहले एक बार ठन्डे दिमाग से सोच लो। सोच समझकर ही कोई फैसला लो। अपनी सोच का दायरा बढ़ाओ।

झबरु एक बच्चे की तरह अपनी मां की बातों को  गौर से सुन रहा था। उसकी मां जंगल में पशुओं को चराने जाती  शाम को लौटते  वक्त उसे जंगल से  मीठे मीठे कंदमूल फल ला कर देती। मां अपने बेटे को   कहती कि यह फल कितने पौष्टिक होते हैं। हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। जंगल में नीम के पेड़ के पत्तों को तोड़ कर देती वह उसे बताती  कि ये फल  हमारे जीवन के कितने   लाभदायक होते हैं। उनको  जलाते हैं तो मक्खियां मच्छर इसकी गंन्ध से दूर भाग जातें जाते हैं। नीम के पत्तों का उबाल कर काढ़ा बनाया जाता है। आधा रह जाने पर सरसों के तेल के साथ मिला फुंसी फोड़े पर लगाने से   फोडे फुर्सत ठीक हो जाते हैं। निबौरी  फायदेमंद होती है। इसके सेवन सेदांतों में कभी कीड़ा नहीं लगता। खुजली होने पर भी  यह रामबाण की तरह का काम करती है। पीपल के पत्तों का रस भी उपयोग में लाया जाता है। इसकी एक बूंद नाक में डालने से नाक में नक्सीर नहीं निकलती। बहुत सारी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल दवाइयों के लिए किया जाता है। झबरु बोला क्या मैं अब जाऊं? थोड़ी देर के लिए अपनी मां से अलविदा कह कर वह चला गया।

गांव के आसपास  ही उसके कुछ  दोस्त थे। लेकिन  उसके सभी  दोस्त  स्कूल पढ़नें जाते थे।  वे उस से कहते कि हम तो स्कूल पढ़ने जाते हैं तुम भी हमारे साथ पाठशाला चला करो।  वह कहता कि मेरी मां कहती है कि हमें पढ़ना लिखना नहीं चाहिए। इंसान पढ लिख कर बड़ा बनकर अपनों को भूल जाता है। उसकी मां बेचारी अनपढ़ थी। शायद इसीलिए ही उसके पति ने उसे छोड़ दिया था। वह पढाई को बहुत ही बुरा समझती थी वह अपने बेटे को स्कूल जाने से कोसों दूर रखती थी। उस बेचारें को तो  विद्यालय जानें  का मतलब भी पता नहीं था। एक दिन उसका दोस्त पंकज उस से मिला। पंकज उस से बोला तुम भी मेरे साथ पढ़ने चला  करो। स्कूल में पढ़ाई करने का बहुत ही मजा है। स्कूल में अच्छी-अच्छी बातें सिखाई जाती है। स्कूल में अच्छी बातों के साथ  दोपहर को हर बच्चे को भोजन भी  खानें को  दिया जाता है। बच्चों के मनपसंद खेल  भी खिलाए जाते हैं। ड्राइंग करने को भी मिलती है। सब से मजे की बात है कि हमें स्कूल में कोई भी अध्यापक  काम ना  करने पर  कभी भी कोई अध्यापक मारता नहीं है।। प्यार से  सभी अध्यापक अध्यापिकाएं हमें पढ़ाते हैं। झबरु बोला अब तो  मुझे भी स्कूल जाने का प्रोग्राम बनाना ही पड़ेगा। मुझे पहले स्कूल का मतलब तो पता ही नहीं था।  पाठशाला या  स्कूल क्या होता है?  झबरु अपनें दोस्त पंकज से बोला, जिस प्रकार हम घर में रहते हैं उसे  गृहालय  या आवास स्थान कहते हैं।  जहां पर हम रहते हैं और आलय का मतलब होता है स्थान या आवास स्थान। देवालय  का अर्थ होता है। देव यानि भगवान। भगवान के रहने का स्थान देवालय। (विद्यालय) ज्ञान या पाठ का मतलब होता है ज्ञान प्राप्त करना है। शिक्षा ग्रहण करने का स्थान यही विद्यालय होता है। यही स्कूल होता है। जहां अच्छी अच्छी बातें सिखाई जाती है।  अब समझ में आ गया जहां पर शिक्षा अच्छी बातें सिखाई जाती है वह स्कूल होता है।

झबरू अपने दोस्त को बोला तो कल मैं भी तुम्हारे साथ स्कूल चलूंगा। वंहां देखूंगा कि तुम क्या पढ़ाई करते हो? दूसरे दिन जल्दी से तैयार होकर पंकज के साथ विद्यालय चला गया। तीन-चार किलोमीटर पैदल चलकर विद्यालय पहुंच गए।रास्ते से चलते वक्त पंकज बोला हमें  समय पर स्कूल आना पड़ता है। स्कूल में काम समय पर करना पड़ता है। पंकज बोला तुम्हारी मां जब तुम सुबह उठते हो तो तुम्हें मुर्गे की बांग की आवाज सुनकर उठाती है। सुबह हो गई चलो जल्दी नहा कर काम निपटा खाना खाते होंगे। सुबह की दैनिक क्रिया से निवृत्त होते होंगे झमरु बोला यह दैनिक दिनचर्या क्या होती है दैनिक दिनचर्या जो काम तुम सुबह उठकर करते हो जैसे सुबह उठकर शौच जाना दातुन करना नहाना यह सब कार्य दैनिक दिनचर्या में आते हैं सैर करना यानी तुम पशुओं को जंगल में चराने ले जाते हो। जहां पशु चराए जातें हैं उसे चरागाह कहतें ह। यह काम सब दैनिक क्रिया में आते हैं। सुबह जब उठते हो प्रातः काल का समय होता है।  हमें सूर्य निकलने से पहले उठना  चाहिए। झबरु ने अपनी मां को कहा मां मैं पंकज के साथ खेलने जा रहा हूं। वह अपनी मां को बताता कि वह पंकज के  स्कूल जा रहा है तो उसकी मां उसे कभी भी स्कूल नहीं भेजती। उसकी मां पशुओं को चराने के पश्चात आकर घर से 5 किलोमीटर की दूरी पर एक साहुकार के घर में झाड़ू पोछा लगाने का काम करती थी। वह जो कमाती, उसका मालिक  जो कुछ देता वह उसी से गुजारा करती। वह इसी में अपने बेटे के साथ खुश थी। घर पर आकर घर का काम करने के पश्चात थोड़ी देर अपनें बेटे के साथ समय समय व्यतीत करती थी। उसे अच्छी-अच्छी बातें सिखाती थी।

एक दिन बिना अपनी मां को बताए पंकज के स्कूल में जाने के  लिए तैयार हो गया। वह बोला मां आज मैं अपने एक दोस्त के घर जा रहा हूं जल्दी ही आ जाऊंगा। उसकी मां बोली बेटा जल्दी आ जाना मैं भी काम पर जा रही हूं। उसकी मां अपने बेटे को हां  कहकर काम पर चली गई। झबरु अपनें दोस्त के साथ स्कूल में पहुंच गया था। स्कूल में पहुंचकर उसे बहुत ही अच्छा लगा। सभी बच्चे लाइन बनाकर प्रार्थना के लिए जा रहे थे। उनकी मुख्याध्यापिका ने आकर बच्चों को बड़े ही प्यार से शुभ प्रातः कहकर संबोधित किया। बच्चों ने भी शुभ प्रातः कर एक दूसरे का अभिवादन किया। बच्चों ने प्रार्थना में किसी ना किसी विषय पर कुछ ना कुछ बोला। विषय समाप्त होने पर बच्चों ने तालियां बजाई। उसे बड़ा अच्छा लग रहा था

स्कूल में उस दिन एक बच्चे का जन्मदिन था। उस दिन उस बच्चे ने स्कूल में टौफियां और  मिठाई  बांटी। सभी बच्चों ने तालियां बजाई। उस बच्चे की अध्यापिका ने उसके सिर पर हाथ रख कर उसे आशीर्वाद दिया। बेटा तुम पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बनना। सच्चाई के रास्ते पर चलना। पंकज नें भी उस बच्चे के लिए तालियां बजाई।

मुख्य अध्यापिका जी ने कहा कि तुम्हारा जीवन हर दिन  खुशियां ले कर आए। उसे स्कूल  जा कर बड़ा ही अच्छा लग रहा था। वह पंकज से बोला मेरी मां ने मेरा जन्मदिन कभी भी नहीं मनाया। मुझे तो यह भी पता नहीं है कि मैं कब पैदा हुआ था। मेरी मां कहती है कि बड़ा आदमी कभी मत बनना और अध्यापिका कहती हैं कि पढ लिख कर  बडा आदमी बनना। मैं अपनी मां से पूछ कर ही रहूंगा  मेरा जन्म दिन वह क्यों नहीं मनाती। आधी छुट्टी के समय सभी बच्चों को भोजन वितरण किया गया। उसे  भी बड़ा अच्छा लगा। आधी छुट्टी के पश्चात ड्राइंग का कालांश था। बच्चों की मैडम नें सब बच्चों की उपस्थिति लगाई। उस दिन स्कूल में ड्रॉइंग कंपटीशन था। सभी दूर दराज  से कॉम्पिटिशन में भाग लेंनें के लिए बच्चे अलग-अलग स्कूलों से आए थे।

झमरु की बारी आई तो मैडम बोली बेटा तुम्हारी ड्राइंग नोटबुक कहां  है। पंकज बोला वह आज अपनी कौपीऔर और रंग आज घर पर ही भूल गया है। मैडम को तो पता ही नहीं चला कि वह उनके स्कूल का बच्चा नहीं  है।वह किसी दूसरे स्कूल से ड्राइंग  कंपटीशन  में भाग लेने के लिए आया होगा। वह खुशी-खुशी से ड्राइंग बना रहा था। उसने जंगल में उगते हुए सूर्य और चरागाह को दिखाया था। मैडम नें घोषणा कि  अगले सोमवार को जिन बच्चों का सबसे अच्छा चित्र होगा उसे ईनाम दिया जाएगा। सभी बच्चे वर्दी डालकर आना। अगले  कालांश में दूसरी अध्यापिका आई। पंकज नें कहा वह विज्ञान की अध्यापिका  है। वह बच्चों को बड़े ही प्यार से पढ़ा रही थी। वह बोली बेटा आज मैं तुम्हें बताती हूं कि गंदा पानी पीने से हमें  कौन सी  बिमारी हो सकती है। ? गंदा पानी और गन्दा खाना  से  कीटाणु हमारे शरीर मे चले जातें हैं।  गंदा पानी पीने से हमें उल्टियाँ और दस्त लग जाते हैं। पानी में गंदे कीटाणु होते हैं। इसलिए हमें बरसात के दिनों में पानी को उबालकर पीना चाहिए। घर में जब आपकी मम्मी जहां खाना बनाती है वहां पर भी सफाई का वातावरण होना चाहिए। घर में आसपास क्यारी में पानी इकट्ठा नहीं होना चाहिए।  साफ पानी का उपयोग सोच समझ कर करना चाहिए। खडा पानी किचन के साथ क्यारी में उपयोग करना चाहिए। उस फालतू पानी को क्यारी में डाल देना चाहिए। चाय के पतियों का इस्तेमाल भी हम अपनी वाटिका में कर सकते हैं। घर के आसपास  जगह जगह गड्ढे नहीं होनी चाहिए। उन्हें भरवा देना चाहिए। पानी का सदुपयोग सोच समझ कर करना चाहिए। घर में पीने के लिए साफ बाल्टी का प्रयोग करना चाहिए। पानी निकालने के लिए लंबी हाथी वाले बर्तन का प्रयोग करना चाहिए। कई बार हम पानी निकालते समय  गन्दा गिलास पानी की बाल्टी में डाल देते हैं और बाल्टी को खुला छोड़ देते हैं। जब आपकी मम्मी खाना बनाती है तो रसोई में जिस कपड़े में हम खाना लपेटतें हैं तो वह साफ-सुथरे कपड़े मे लपेटना चाहिए। पानी को हमेशा ढक कर रखना चाहिए। घर में अगर किसी को हैजा या  दस्त लग जाए तो घर में अपने आप  घर में  बना (ओर – आर- एस) का घोल बनाना चाहिए। पानी और नमक का घोल तैयार करके पिलाना चाहिए। दस्त लगनें पर शरीर से अधिक मात्रा में नमक भी हमारे शरीर से निकल जाता है। ओ आर एस का घोल बाजार में बना बनाया अस्पताल में  मुफ्तभी मिलता है। घर में भी इसे  आसानी से बनाया जा सकता है।।  एक लीटर पानी में साफ पानी को उबालकर 15 मिनट तक उबालना है।उस में  तीन चम्मच चीनी डालनी है  या अपनें स्वादानुसार और आधा चम्मच नमक मिला दो। इस मिश्रण को ओ आर एस  का घोल कहते हैं। यह घोल नमक की मात्रा की  कमी को पूरा कर देता है। इसमें हम स्वाद के लिए नींबू भी मिला सकते हैं। रोगी व्यक्ति को बार-बार पीने के लिए देना चाहिए। इससे शरीर में नमक की मात्रा भी कम नहीं होती।

छुट्टी के वक्त झबरू ने अपने कदम घर की ओर बढ़ाएं उसे स्कूल में आज बहुत ही अच्छी बातें सिखाई गई थी।  उसकी मां जब उसे जंगल में चलने के लिए कहती तो वह कहता मां आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है। सिर में दर्द है। बहाने करता रहता। स्कूल में शाम को मैडम ने सभी को कहा था कि अपना अपना बैग और ड्रेस साफ सुथरा लाना है। ड्रेस जल्दी आनी चाहिए। वह धीरे-धीरे अपने दोस्त के साथ स्कूल जाने लगा। उसे स्कूल जाकर बहुत ही अच्छा लग रहा था परंतु वह अपनी मां से चोरी छुपे स्कूल जाने लगा। उसके पास तो वर्दी भी नहीं थी।

वह अपने दोस्त पंकज के साथ एक दुकान पर रुका क्यों कि उसके दोस्त नें  वहां अपनी वर्दी सिलानें के लिए दी थी। पंकज ने अपनी वर्दी  दीवान चंद से खरीदी थी। गांव में दीवान चंद की दुकान बहुत ही मशहूर थी। दीवान चंद तो वहां पर रहते नहीं थे। वह तो सिर्फ बच्चों की बर्दिया बेचने के लिए कभी-कभी गांव आते थे।  उन्होंने गांव में एक ही बहुत ही बढ़िया दुकान खोली थी। पंकज ने अपनी वर्दी देखी। झबरू बोला अंकल आप मुझे भी वर्दी दिखाइए। मेरे नाप की।

दुकानदार दीवान चंद बोले  मेरे पास एक बच्चे नें वर्दी सिलवाने के लिए देकर   दी है। उसके पिता का स्थानांतरण हो गया है।  वह अब वर्दी नहीं लेगा। यह वर्दी पहन कर तो देखो।  झबरु नें जब वह वर्दी पहन कर देखी उसे वह पूरी थी। लेकिन कमीज की बांजुएं थोड़ी लंबी थी। दुकानदार बोला  कल  तुम्हें वर्दी मिल जाएगी।झबरु बोला पहले मैं अपनी मां से पूछ कर बताऊंगा। उसने थोड़ा थोड़ा पढ़ना लिखना भी सीख लिया था। उसने  कुछ कुछ गिनती भी सीख ली थी। उसे पहचानना भी आ गया था। उसे नोटों  के बारे में काफी जानकारी  हो गई थी। वह घर में नोटों को उल्टपल्ट कर देखा करता था। बीच बीच में पंकज स्कूल चला जाता था।

एक दिन  झबरू की मां जब काम पर से वापस आई तो झबरु को घर पर ना पाकर उदास हो गई। वह बीमार होने की वजह से जल्दी ही घर वापस आ गई। । वह तो हर रोज उसकी अनुपस्थिति में स्कूल चला जाता  था। जब काफी देर तक झबरु घर नहीं आया तो  उसके  दोस्त पंकज के घर गई। और पंकज की  मां ने दरवाजा खोला। पंकज की मां बोली आपका बेटा भी मेरे बेटे के साथ स्कूल गया है। उसकी मां बोली मेरा बेटा तुम्हारे घर तो नहीं आया। पंकज की मां बोली आप का बेटा तो मेरे बेटे के साथ स्कूल गया है। वह कहने लगी

मेरा  बेटा तो स्कूल में नहीं पढ़ता है। उसकी मां को विश्वास नहीं हुआ। झबरु की मां को क्या पता होगा वह तो मुझे से पूछ कर गया था। अपने आप पता करूंगी वह ठीक ही कह रही है या गलत। आज  जल्दी में उसके  साथ  स्कूल चला गया होगा। उसे कहना होगा कि पंकज के साथ मत करा कर। वह कभी भी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहती थी। इसी कारण  उसने  पढ़ाई नहीं   की।

काफी दिन तक उसकी मां बीमार रही

उसे दस्त लग गए थे। घर में झबरु ने देखा कि रसोई में मां ने जिस कपड़े में रोटियां  लपेटी थी वह कई दिन से साफ नहीं किया गया था। उसने रोटी लपेटने के कपड़े को साफ कर दिया। पानी पीने के लिए उसने एक तार को मोड़ कर गिलास के चारो और लपेट कर उस की हत्थे बना दी थी। गिलास के चारों ओर तार लपेट दी थी। उसको पानी की बाल्टी में पीने के लिए प्रयोग किया और उसने वह बाल्टी  साफ करके उसको ऊपर से ढक दिया। घर को  भी साफ कर रख दिया।

उसकी मां को   डीहाईडरेश्न हो गया था।  दस्त लग जाने के कारण उसके शरीर में पानी और नमक नमक की कमी हो गई थी। उसकी मां बोली बेटा तुम मेरे मालिक के पास जाकर पहले मेरी पगार ले कर आ जाना। मुझे दवाइयाँ लानी है। वह मालिक के पास गया जिस साहुकार के यहां उसकी मां काम करती थी। उसकी मां नें कागज की एक पर्ची दे कर कहा उसे इतने रुपए मिलते हैं। उसने  मालिक के घर का पता पूछ पूछ कर वहां जा कर देखा उसके मालिक ने उसे ₹300 की जगह उस पर ₹800 के हस्ताक्षर करवाए थे। वह अपनें साथ पंकज को भी ले कर गया था। उसकी इस करतूत को देख कर  झबरु साहुकार को बोला  मेरी मां से आप ₹300 की जगह पर800रु पर हस्ताक्षर करवाते हो। मेरी मां पढी लिखी नहीं है।  मेरी मां दिन-रात मेहनत करके कमाती है आप उन्हें कम पगार देते हैं।  शेष राशि को आप अपनी जेब में डाल देते हैं। उसको 800रु की जगह पर 300रु  ही देते हो। झबरु पंकज से बोला मेरी मां नें पर्ची पर आठसौ ही लिखा है न, तुम देख के बताओ। पंकज बोला हां दोस्त यह 800रू ही है। आज मेरी मां पढ़ी-लिखी होती तो  और मैं भी पढा लिखा होता तो हमें यह दिन नहीं देखना  पड़ता। मां मुझे   भी स्कूल न भेज कर मेरा भी नुकसान कर रही है। उसे आज समझ आ गया कि पढ़ना लिखना जरूरी होता है।

घर आ कर उसने अपनी मां को  ओ आर एस का घोल अपने हाथ से बना कर दिया। 1 लीटर पानी को ठंडा कर उसको बनाकर घोल बनाया।  मां की हालत पहले से बेहतर हो गई थी। उसकी मां बोली बेटा तुमने यह कहां से सीखा। तुम्हें यह घोल बनाना  किस से सीखा। मां आप ने  एक दिन मुझ से कहा था कि  हमें पढ़ना  लिखना नहीं चाहिए। आप  कितना गल्त थी। यह मैनें स्कूल जा कर जाना। अगर मैं स्कूल नहीं गया  होता तो मैं यह सब कहां सीखता?आज आपको एक बात बताता हूं पढ़ना लिखना सबके लिए जरूरी होता है आज मैंने यह जाना। जहां पर आप काम करती है उसका मालिक आपको ₹800  आप की पगार के देता है लेकिन आपको ₹800 के बदले वह ₹300 ही देता है। ₹500 अपनी जेब में डाल देता है आप अनपढ़ होने के कारण यह बात नहीं समझ सकती हो। वह आप का फायदा उठाता है। यह सारी बातें मैंने स्कूल में सीखी। हां ‘मैंने भी आज एक गलत काम किया। स्कूल जाने के लालच में  एक सेठ जी की दुकान का ताला तोड़कर वर्दी चुरा ली। स्कूल पहनकर जाने ही वाला था कि आप सामने आ गई। आपको पता चल गया था कि मैं पंकज के साथ स्कूल गया हूं। उसकी मां ने एक दिन उसको कहा  था कि तुम अगर आज से स्कूल गए तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी। उस दिन मैंने स्कूल जाने का ख्याल छोड़ दिया था। मैंनें आज अपनी मां की कसम को तोड़ दिया था। मां मुझे माफ कर दो।

उसकी मां बोली मुझे नहीं पता था कि पढ़ना लिखना जरूरी होता है। मैं तुम्हें इसलिए पढ़ाना नहीं चाहती थी कि तुम वहां पर जाकर अपने पिता की तरह बन जाओगे। तुम्हारे पिता ने मुझे इसलिए छोड़ दिया कि उन्हें ज्यादा रुपए का लालच हो गया था। शायद मेरी अनपढ़ होनें के कारण। मुझे तो यही लगा कि उन्हें धन पा कर घमंड हो गया था। बेटा मैं भी तुम्हें पढ़ाऊंगी पर एक बात का ध्यान रखना अपने पिता की तरह मुझे छोड़कर ना जाना। मैं तुम्हें स्कूल अवश्य भेजूंगी। तूने तो घर की काया ही पलट दी।

इतनी अच्छी अच्छी बातें स्कूल में सिखाई जाती है यह मैंनें तुम से जाना। सबसे पहले तुम कसम खाओ कि तू उस दुकानदार की वर्दी वापस करके आएगा। । मैं तुझे वर्दी दिलवाने का प्रयत्न करूंगी।

पंकज दौड़ता दौड़ता आया दोस्त तुम्हारी ड्राइंग तो सबसे अच्छी थी। मैडम ने तुम्हें स्कूल में बुलाया है। तुम्हें स्कूल में पारितोषिक वितरण किया जाएगा। स्कूल  वालों नें  तुम्हें इनाम देने की घोषणा की है।स्कूल में झबरु की मां  पंहुच गई थी। वह स्कूल पंहुच कर औफिस के पास जा रहा खड़ी हो गई। चौकीदार नें उसे अन्दर जाते देख लिया था वहीं बोला आप बिना इजाजत के अन्दर नहीं जा सकती। स्कूल कीअध्यापिकाओं नें उसे पूछा तुम यहां क्यों आई हो? वह बोली मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं आप के स्कूल की मुख्याध्यापिका जी से मिलना चाहती हूं जिस की वजह से आज मेरा बेटा आज कुछ पढना लिखना सिखा। वे उसे अन्दर ले कर गई। झबरु  की मा बोली पर आज मेरे बेटे नें एक गल्त काम किया है। मेरा बेटा कभी भी किसी की चोरी नहीं करता लेकिन आज उसने यह लालच में कर डाला। मुख्याध्यापिका जी नें उसे बिठाया। ठन्डा पानी पीनें को दिया। मैडम नें कहा तुम्हारे बेटे का नाम क्या है।? वह बोली मेरे बेटे का नाम झबरु. है। मैडम ने एक बच्चे को कागज का पर्चा थमा कर झबरु को बुलवानें भेजा। चपरासी नें आ कर कहा कि झबरु नाम का कोई भी बच्चा यहां नहीं पढता। मुख्याध्यापिका जी बोली इस नाम का कोई भी बच्चा यहां नहीं पढता। झबरु की मां बोली आप के स्कूल में पंकज चौथी कक्षा का छात्र है। उसके साथ स्कूल आ जाता था। मैंनें ही उसे पढ़नें से रोका था। आपके द्वारा सिखाए गए ज्ञान नें मेरी आंखे खोल दी। मेरा बेटा मुझ से चोरी छिपे यंहा अपनें दोस्त के संग पढ़नें आने लगा।उसकी मैडम नें उसे  पढना लिखना सिखाया। उसे स्कूल आना अच्छा लगनें लगा। एक दिन जब मैं बिमार पड़ी तो उसने घर में घोल तैयार कर मुझे पीनें को दिया। घर में कूड़ा कचरा  फैलाने वाला मेरा बेटा समझदार बन गया। यहां तक के उसने मुझे एहसास दिलाया कि पढ़ना लिखना सभी वर्ग के लोंगो के लिए जरुरी होता है।

पढा लिखा इन्सान कभी भी जीवन में किसी के आगे धोखा नहीं खा सकता। वह अपनी आय और व्यय का हिसाब कर सकता है। मुझे मेरा मालिक पगार के 800रु के बदले 300रुपये ही देता था। रजिस्टर पर 800रुपये पर हस्ताक्षर करवा देता था। मुझे जब उल्टियाँ दस्त लगे मैं काम पर नहीं जा सकी। मैनें अपनें बेटे को मालिक के पास पगार लेनें भेजा। मेरे बेटे को भी कुछ लिखना पढना नहीं आता था।वह पंकज के साथ दो तीन महीनें  से स्कूल में आ रहा है। उस के साथ आ कर बहुत कुछ पढ लेता है। एक दिन जब मैं बिमारी की वजह से जल्दी घर पंहुंचीतो मुझे पता चला कि वह तो पंकज के साथ स्कूल जाता है। उसने मुझे बिमारी से ठीक किया। घर में घोल बना कर मुझे पिलाया। मैंने उसे स्कूल न जानें की कसम दी थी आज मैं वह अपनी कसम तोड़ने आई हूं। आज मै उसे स्कूल में दाखिल करवानें भी आई हू। मेरे बेटे नें आज एक साहुकार के घर जाकर कर उसकी दुकान से वर्दी चोरी की। वह आज आप के स्कूल में पहन कर आना चाहता था लेकिन अपनी गल्ती के कारण वह आज मेरे साथ स्कूल नहीं आया। स्कूल के अध्यापक अध्यापिकांएं हैरान हो कर उस बच्चे की कहानी सुन रहीं थी। पंकज आ कर बोला मेरा दोस्त मेरे साथ स्कूल आया है। लेकिन वह बाहर ही खड़ा है कह रहा है कि मैं स्कूल जानें योग्य नहीं हूं। मैंनें अपनी मां के साथ विश्वासघात किया है। उस दुकानदार को जब पता चलेगा तो वह भी मुझे चोर समझेगा। मुख्याध्यापिका जी  नें झबरु को अपने पास बुला कर कहा कि कौन कहता है कि तुमनें चोरी की है। चोरी कर के जो अपनी गल्ती स्वीकार कर लेता है वह तो अच्छा इन्सान होता है। हमें नहीं पता था कि तुम तो पढाई के लिए यह सब कर रहे थे। हम तुम्हे अपने विद्यालय में प्रवेश देतें हैं। तुम्हें स्कूल कीओर से वर्दी भी मुफ्त में दी जाती है। झबरु की मां जब सेठ जी की दुकान  के पास वर्दी लौटानें गई तो सेठ जी को बोली मेरे बेटे नें पढाई करनें के लालच में आप की दुकान से चोरी की। आप नें उसके दोस्त पंकज को वर्दी दिखाई। उसनें वह वर्दी पहन कर देखी थी। उसे लालच आ गया था। मैने उसे कभी स्कूल न भेजने का निर्णय किया था मगर उस बच्चे ने मुझे भी शिक्षा दे कर मुझे शिक्षा का महत्व क्या होता है सिखा दिया। साहुकार दिवानचन्द उस बुढिया की ईमानदारी से प्रसन्न ही नही हुए बल्कि उस के बच्चे के नेक विचारों से भी खुश होकर बोले आप का बेटा पढाई करनें के लिए कितना इच्छुक है और एक मेरा बेटा है वह कभी स्कूल जाना ही नहीं चाहता। अपनी तरफ से मैं भी उसे उस की ईमानदारी के लिए उसे वह वर्दी  ईनाम के तौर पर देता हूं। उस की पढाई के लिए में भी उस के स्कूल आ कर उस को कौपियां किताबे उपलब्ध करवाऊंगा।  मैडम नें उसे अच्छी चित्रकारी करनें पर रंग और  ड्राइंग की कॉपी भी ईनाम में दी।स्कूल जा कर झबरु एक अच्छा बच्चा बन गया था।पढ लिख कर झबरु नें अपनी मां को सभी खुशियों दी। उसे घर बनवा कर दिया।

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