तीन नन्हें जासूस

आरुषि अर्चना और अभि तीनों पक्के दोस्त थे उनकी दोस्ती इतनी मशहूर थी कि वह अपने कस्बे में भी अपनी जासूसी के कारण अलग ही पहचाने जाते थे। उनके कस्बे में आए दिन किसी ना किसी बच्चे को मारा जाना या बच्चों के नर कंकाल मिलना तो एक आम बात थी। पुलिस कभी पता नहीं कर सकी कि इसके पीछे किसका हाथ है?

आए दिन कुछ न कुछ अखबार में सुनने को मिलता था। उनके घर वाले काफी परेशान आ चुके थे। उन्होंनें अपने बच्चों को घरों से बाहर निकलना भी बंद कर दिया था। हर एक बच्चे के माता-पिता उनके साथ जाते थे। यह दोनों दोस्त आरुषि और अर्चना सातवीं कक्षा में पढ़ते थे। अभिषेक आठवीं कक्षा में पढ़ता था। उनके माता पिता उसे अभि अरु और अर्चु कह कर बुलाते थे। वे जब भी मिलते तीनों एक दूसरे को बताते आज उन्होंने क्या देखा?।

एक दिन  इसी तरह सैर करने निकले थे कि अभि नें देखा कि तीन लंबे लंबे व्यक्ति एक बच्चे को कंही लिए जा रहे थे। उन्होंने  उस बच्चे का चेहरा देखा।  उस बच्चे ने उस  अजनबी व्यक्ति की गर्दन को जोर से पकड़ा हुआ था। जब यह तीनों शाम को इकट्ठे मिले तो आरुषि ने कहा कि मैंने आज 3 आदमियों को एक बच्चे को ले जाते हुए देखा।  अर्चना नें अभिऔर अरु को  कहा कि  हमने  तीन आदमियों को एक बच्चे को ले जाते हुए देखा। हमारे मन में हर समय जासूसी का ख्वाब  छाया रहता है। हो सकता है वह उनका अपना बच्चा हो। अगर वह बच्चा किसी और का होता तो वह शोर मचा रहा होता। आरुषि ने अपने दोस्त से कहा कि उसने  एक ऐसे आदमी को देखा  जिसनेंअपने हाथ में चांदी का कड़ा पहन रखा था। अर्चना ने कहा मैंने  भी  एक ऐसे आदमी को देखा  जिस आदमी की 6 उंगलिया थी। अभि बोला मैंने देखा कि एक आदमी की आंखें गहरे नीले रंग की थी। और उसकी आंख में एक तिल का निशान था। वह तीनों कहने लगे कि अगर हमें पता चला कि वह चोरी करने के लिए आए हैं तो हमें इन आदमियों के बारे में काफी कुछ पता लग चुका है।  तीनों काफी थक चुके थे एक रेस्टोरेंट में चाय पीने लगे। उन्होंने अखबार में पढ़ा कि एक बच्चा जिसकी उम्र 11 साल है उस बच्चे की फोटो भी अखबार में दी हुई थी वह 3 दिन से  अपनें घर  से गायब है।   उन तीनों को समझ आ चुका था कि उन तीनों ने उस आदमी को एक बच्चे को ले जाते हुए देखा था। उस बच्चे की शक्ल उस अख़बार वाले बच्चे से काफी मिलती जुलती थी।। तीनों ने फैसला कर लिया कि वह तीनों युवकों को ढूंढ निकालेंगे। जिन्होंने उस बच्चे को अगवा किया है। अभी तक उन्होंने किसी को कुछ भी नहीं बताया क्योंकि उनके पास पूरा सबूत नहीं था। तीनों ने योजना बनाई कि हम आज स्कूल नहीं जाएंगे। वे तीनों अजनबीयों को ढूंढने निकल पड़े। उन्हें निराशा ही हाथ लगी।

एक दिन  जब वह तीनों पार्क में टहलने गए थे उन्होंने उन तीनों अजनबी लोंगों को जाते देखा इस बार भी उनकी गाड़ी में तीन बच्चे थे।  वे तीन बच्चे भी चिल्ला नहीं रहे थे। उन्हें  मालूम हो  गया था कि  उन अजनबी  लोंगों नें उन तीनों बच्चों को कुछ  सूंघा दिया था। वह बच्चे मुश्किल से 6 साल के थे। तीनों लड़के थे। तीनों ने योजना  बनाई कि उन बच्चों को अवश्य ही उन गुन्डों से छुडा लेंगें। उन्होंनें एक बाइक किराए पर ली। वे सभी  बाइक पर बैठकर उन का पीछा करने लगे। काफी दूर जाकर उन अजनबीयों नें अपनी गाड़ी रोक दी।उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो उनको  अपनें पीछे एक बाईकआती दिखाई दी। उन्हें यह मालूम नंही हुआ कि कोई उनका पीछा कर रहा था। उन तीनों अजनबीयों नें एक दूसरे को  कुछ कहा  फिर उन्होंने तीनों बच्चों को अपने पास बुलाया और पूछा तुम यहां क्या कर रहे हो? उन्होंने कहा कि वह सैर करते-करते बहुत दूर आ गए हैं। और रास्ता भटक गए हैं। तीनों अजनबीयों  नें एक जोरदार तमाचा अभि को मारा। और उन दोनों लड़कियों को एक रस्सी से बांध दिया। उन तीनों को कहा तुम हमें बुद्धू बनाते हो। हमारी नजर तुम तीनों  पर थी।  हमने तुम्हें बहुत दूर से आते हुए देख लिया था। तुम हमारा पीछा क्यों कर रहे थे।? उन तीनों ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने अभि को मारकर उसकी खूब पिटाई की और  बेहोश करनें के पश्चात उसे एक बोरे में भरकर ले गए। आरुषि अर्चना  उन दोनों सहेलियों को भी कुछ सूंघा कर बेहोश कर दिया। उन्होंने अभिषेक को बोरे में डालकर नदी में फेंक दिया। नदी में फेंक कर जब वापस आए तो उन्होंने आपस में कहा कि यह दोनों सहेलियाँ  अभि तक बेहोश है। चलो अंदर चल कर देखते हैं। उन 3 बच्चों को होश आया कि नहीं। यह तीनों अंदर चले गए।

उन दोनों सहेलियों को होश आ चुका था परंतु उन दोनों ने बेहोश होने का नाटक किया था। वह तीनों साथ वाले कमरे में थे। वे दोनों जब अंदर गए तो उन्होंने एक व्यक्ति से कहा कि हम तीन बच्चों को लेकर आए हैं। एक और बच्चे ने हमारी सारी हरकतें नोट कर ली थी। इसलिए उस बच्चे को मारकर हमने  उसेनदी में फेंक दिया है। और उसके साथ दो लड़कियां भी थी उसको भी जब होश आ जाएगा तब उनके साथ क्या करना है तब सोचेंगे। पहले हम इन तीनों बच्चों की किडनी निकाल लेंगे। इसके लिए हमने  सैन्ट्रल हॉस्पिटल के डॉक्टर के साथ मिलकर इनकी किडनियां बेचने का फैसला कर लिया है।  हमें  अब जरा भी देर नहीं करनी चाहिए इससे पहले कि इन दोनों सहेलियों को होश आ जाए तब तक हमें अस्पताल जाकर इन बच्चों की किडनीयां निकालनी होगी। तीसरे व्यक्ति ने कहा चलो उन्होंने एक डॉक्टर को फोन किया। उसका क्लीनिक उनके अड्डे में से पांच किलोमीटर की दूरी पर था। यह सारी की सारी बातें वह दोनों सहेलियाँ सुन रही थी। वह तीनों अजनबी जल्दी से बाहर निकले और  और ताला लगाने ही वाले थे  उन्होंने  आपस में कहा कि हम ताला लगा देते हैं। उन्हें याद आया कि ऑफिस की खिड़कियां  तो खुली  ही रह गई हैं। उन्होंने सोचा कि जल्दी से इन्हें भी बंद कर देतें हैं तीनों खिड़कियां बंद करनें लगे। वे दोनों सखियां बहुत ही होशियार थी। उनके पास कैंची थी। उन्होंने कैंची से रस्सी को काट दिया और चुपचाप बाहर निकल गई। वे  तीनों अजनबी दरवाजे के बाहर चुपके   से निकले उन्होंने  आपस में कहा कि अंदर से ताला लगा देते हैं। जिससे वे दोनों सखियां बाहर ना निकल सके। दरवाजा बंद करके जाने लगे तो वे दोनों सहेलियां पीछा करती करती उनके साथ उस क्लीनिक तक पहुंच गई। उन दोनों सहेलियों ने अपने मुंह पर रुमाल बांधे थे ताकि कोई देख ना सके। उन्होंने सबसे पहले एक  टेलिफोन बूथ के ऑफिस के पास पहुंच कर पुलिस को सूचना दे दी थी।  वे तीनोंअजनबी इन तीनों बच्चों की किडनी को निकालने वाले हैं। इसके लिए इन्हें पांच ₹500000 मिलते थे। उन्होंने उस  पिटारा हॉस्पिटल का हवाला दिया और कहा कि आप इस हॉस्पिटल में जाकर उन शातिरों को जल्दी से पकड़ लो।  ना जाने आज फिर तीन अबोध बालकोंं को  मौत के मुंह में जाने से कोई नहीं रोक सकेगा। पुलिस वालों ने  उस अस्पताल में  समय पर पहुंच कर सभी डाक्टरों को ऑपरेशन करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि आज इस  अस्पताल की  चैकिन्ग  होनी है।  उन अजनबीयों  ने सुना तो उन्होंने अपनी गाड़ी की नेम प्लेट निकाल दी। तीनों बच्चों को उन दोनों सहेलियों ने बचा लिया था। इस काम के लिए पुलिस वालों ने उन दोनों सहेलियों  को ईनाम की घोषणा कर दी। उन दोनों नें ईनाम लेनें से मना कर दिया और कहा कि अगर आप हमें ईनाम देना ही चाहते हैं तो हमारे दोस्त अभिषेक को जल्दी से जल्दी हमें ढूंढ कर लौटा दो। तब हम समझेगें कि सचमुच में ही आपने हमारा इनाम हमें दे दिया है। तीनों अजनबी वहां से खिसक चुके थे। उन को पुलिस पकड़ नहीं पाई।

वे तीनों अजनबी आपस में कहनें लगे ऐसा कौन व्यक्ति है जिस नें पुलिस वालों को हमें पकड़वाने की सूचना  दी। यह सूचना किसने दी होगी। यह तो शुक्र है जो आज  हम बाल-बाल बच गए वर्ना आज तो पुलिस वालों ने उन्हें हवालात में बंद कर दिया होता। चुपचाप दूसरी गाड़ी में बैठकर अपने अड्डे पर पहुंचे।

जब उन्होंने ताला खोला तो उन्होंने देखा कि वे दोनों सहेलियाँ वहां से गायब थी। जल्दी में उन दोनों के  आईकार्ड  वंही  पर ही छूट गए थे। उनको समझ आ गया कि वे दोनों सहेलियाँ उन दोनों को चकमा देकर वहां से फरार हो गई थी।। उन्होंने  ही पुलिस वालों को इसकी सूचना दी होगी।

वे सोचने लगे कि इन दोनों को  ढूंढ कर इन दोंनों सहेलियों का काम तमाम कर देंगें।  इसलिए उन तीनों ने उन दोनों के नाम   भी याद कर लिए थे। उनके आई कार्ड संभाल कर रख लिए थे।

नदी में बहता बहता अभि बहुत  ही दूर निकल चुका था।  एक मछुआरे नें एक बोरे को  बहते आते देखकर जब उस बोरे को खोला तो  बच्चे को देखकर उसने उस बच्चे को होश में लानें का यत्न किया। उसकी खूब सेवा किऔर अपने मालिक को बच्चा देते हुए बोला कि यह बच्चा मुझे नदी में बहता मिला है। अगर आप इस बच्चे को रखना चाहते हैं तो ठीक है वर्ना इस बच्चे को मैं पाल लूंगा। यह बच्चा अब खतरे से बाहर है। ना जाने यह किसका बच्चा है? ना जाने कहां से आया है।

उस मछुआरे के मालिक नें उस को बहुत सारा रुपए देकर कहा तुमने हमें एक बच्चे को लाकर हमारी गोद में  डाला है। हम  इसे गंगा मैया की अमानत समझकर इसका पालन पोषण करेंगे। हम इसे इतना प्यार करेंगे कि वह कभी अपने घर जाने का नाम नहीं लेगा।

मछुआरे का मालिक एक बहुत बड़ा होटल का मालिक था। होटल के मालिक ने उस बच्चे से पूछने की कोशिश की कि तुम कौन हो? और कहां से आए हो? मगर वह बच्चा कुछ बोल नहीं सकता था। उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने कहा कि इस बच्चे को किसी ने खूब मार-मार कर इस को नदी में फेंका था। उसकी पीठ पर मार के निशान थे।मालकिन ने उस बच्चे को खूब प्यार किया और कहा कि इसके मां-बाप कितने निर्दयी होंगे जिन्होंने ना जाने किस कारण इस बच्चे को मारकर नदी में फेंक दिया। डॉक्टर ने यह भी कहा कि पिटाई के कारण यह अपनी यादाश्त खो बैठा है। इसे कुछ भी याद नहीं है। और कुछ बोल पाने में भी असमर्थ है। इसका आई कार्ड हमें मिला है। इसमें एक  सैन्ट्रल  स्कूल सीतागढ का नाम लिखा है। और कक्षा आठवीं का छात्र  है। इस बच्चे का नाम अभि है। हम इसे अभि नाम से ही पुकारेंगे।

होटल का मालिक बोला जो भी हो आज से यह हमारा बेटा है।हम  अब इसे खोना नहीं चाहते। वह अभि को बहुत प्यार करते। अभि भी उनसे काफी घुल मिल गया था। पुलिस वाले अभि को ढूंढने में नाकाम हो चुके थे। वह तो अपने शहर से दूर किसी दूसरे देश में पहुंच गया था। अभि के माता-पिता अपनें बेटे के सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सके। बहुत ही उदास रहने लगे। उसको याद करते करते थक चुके थे।  उनकी आंखें  रो रो कर थक चुकी थी उन्होंने समझ लिया था कि हमारा बच्चा मर चुका है।

एक दिन जब अभि होटल में अपने होटल के मालिक के साथ बैठा था तो उसने तीन अजनबी यों को खाना खाने के लिए अपनें होटल में आते देखा। वह तीनों अजनबीयों को देखकर चौका। उसे कुछ कुछ याद आ रहा था। वह चक्कर खा कर नीचे गिर गया। होटल की मालकिन दौड़ी दौड़ी आई और उसे पलंग पर लिटाया। उसने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेर कर कहा क्या हुआ? अभि-अभि ने उन्हें कुछ कहा। बोलने की कोशिश करते करते फिर बेहोश हो गया।

तीनों अजनबी उस क्षेत्र के निवासी थे। वे वंहा पर  दिन के समय उसी होटल में खाना खाने आते थे। वह उस शहर के निवासी थे। वह अभी के शहर में तो सिर्फ चोरी करने के इरादे से वहां गए थे। बच्चों की किडनी बेचकर जो रुपया मिलता था  वह अपने देश में आकर खर्च करते थे। अगली बार जब यह तीनों अजनबी होटल में खाना खाने आए तो अभि वंहा टहल रहा था तभी उन तीनों को देखकर वह चौका। उसे सब कुछ याद आ गया था।

वह तीनों अजनबी जिन्होंने उसे पिटाई कर के बेहोश करके नदी में  फैकनें के लिए एक बोरे में डाल दिया था। सब कुछ याद आ गया था वह बहुत होशियार था उसने जल्दी से एक हैट पहन लिया। अजनबी उसे पहचान नहीं सके  उन्होंने होटल के मालिक से कहा कि यह बच्चा कौन है? उस होटल के मालिक ने कहा कि यह मेरा बेटा है। यह गूंगा है। वह बोलता नहीं है। एक दुर्घटना में इसकी यादाश्त चली गली थी। उन तीनों अजनबीयों ने कहा कि कुछ दिन के लिए  आपअपने बेटे को हमारे साथ भेज दें। क्योंकि हमारे साथ काम करने वाला एक आदमी अपने घर गया है। वह हमारे छोटे-मोटे काम कर दे देता था। अगर आपको मंजूर हो तो हम इस बच्चे को थोड़े दिन के लिए अपने साथ ले जाते हैं। हम आपको आपके बेटे को सही सलामत वापस आपके घर छोड़ने आएंगे। हमें एक एसे ही  नव युवक की तलाश थी जो गूंगा हो। कृपया आप हमारे  साथ इसे भेज दे इसके लिए हम आपको ₹100000 देंगे।

होटल का मालिक मान गया। उसने उन तीनों अजनबीयों को कहा कि अगर तुमने हमारे बेटे को जरा भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो हम तुम्हे छोड़ेंगे नहीं। तीनों अजनबीयों ने कहा कि यह केवल हमारी गाड़ी की देखरेख किया करेगा। और हम इस से कोई काम नहीं करवाएंगे। यह हमारे ऑफिस में हमारे साथ रहेगा। होटल के मालिक ने अभि को  ईशारे से अपने पास बुलाया उससे पूछा क्या तुम इन तीनों के साथ काम करना पसंद करोगे।? इसलिए यह सारी बातें उसनें पर्ची पर लिख दी थी। क्योंकि वह सोचता था कि जो व्यक्ति गूंगा होता है वह सुन भी नहीं सकता। उसने अभि को लिख कर कहा कि क्या तुम इनके साथ जाना पसंद करोगे? अभिने भी पर्ची पर हां लिख कर    दे दिया। ं उन तीनों अजनबीयों के साथ अभि उनके अड्डे पर पहुंच गया। उसने वहां पर पंहुंच उनके बारे में पता लगा लिया वे कैसे-कैसे बच्चों के  लीवर  किडनी बाहर निकालकर उन्हें अस्पतालों में बेच दिया करते थे।

अभि उनके सामने गूंगे होने का नाटक करता था। उनकी गतिविधियों पर वह हर समय नजर रखता था। एक दिन उसने दूरभाष पर उनमें से एक अजनबी को फोन पर बात करते सुना। वह आपस में बातें  कर रहे थे। वह किसी दूसरे व्यक्ति को कह रहा था कि हम जल्दी से दूसरे शहर जा रहे हैं। इस बार आरुषि और अर्चना को ही सबसे पहले अपना शिकार बनाएंगे। क्योंकि वह दोनों लड़कियां उन्हें चकमा देकर फरार हो गई थी। एक का नाम आरुषि और  दूसरी का अर्चना है। वह दोनों सातवीं कक्षा की छात्रा हैं। उनका स्कूल एक खूबसूरत चर्च के पास है। वे दोनों लड़कियां बहुत ही शातिर हैं। हमनें किसी ना किसी तरह उनके दोस्त को तो मार कर नदी में फेंक दिया। शायद वह तो मर भी गया होगा। अच्छा होता अगर उन दोनों को भी उस नदी में फेंक दिया होता। हम तुम्हें इन दोनों लड़कियों की फोटो भेज रहे हैं। हम जल्दी से जल्दी इन लड़कियों को पकड़ना चाहते हैं। अबकी बार हमारा मोहरा यह दोनों सहेलियाँ है। जब अभि नें उस अजनबी को फोन पर यह कहते सुना तो समझ आ चुका था कि अबकी बार वह उनकी दोस्तों को नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहे हैं ।

जब अभि  मालकिन के घर से आ रहा था तब उसने चुपके से एक मोबाइल भी उसनें अपनी जेब में रख दिया था।  जब वह तीनों अजनबी बाहर गए तो उसने अपनी दोनों दोस्तों को फोन लगाया। अभि की दोनों दोस्त साथ ही रहती थी।  उन्होंने फोन सुना तो उन्हें आवाज से मालूम हो गया  कि यह तो  हमारा दोस्त अभि है।  उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे थे। अभी नें उन्हें बताया कि किस तरह उन अजनबीयों ने उन्हें मारकर बोरे में बेहोश कर नदी में फेंक दिया था। शायद भगवान को भी मेरा मरना मंजूर नहीं था। मुझे एक मछुआरे ने  बचाया। उसनें मुझे बोरे से निकाल कर अपनें घर ले गया। मेरी बहुत सेवा कि।  उसनें अपनें जाकर एक होटल के मालिक को  मुझे सौंप दिया। वह ना जाने कौन से देश में पहुंच गया है? और वह  अब तकअपनी यादाश्त खो बैठा था। लेकिन जब यह तीनों अजनबी उस होटल पर खाना खाने आए तो इन तीनों अजनबी यों को देखकर मेरी याददाश्त लौट आई।

मैंने यह सब  बातअपने मालिक   को नहीं बताई। मैं उन तीनों अजनबीयों के साथ काम करने के लिए आ गया।  मैंने अपने  बाल खूब लंबे-लंबे कर लिए जिस कारण वे अजनबी उसे पहचान नहीं सके। मैं तुम्हें इसलिए यह सब कह रहा हूं कि आज मैंने इन तीनों की बातें सुनी। तुम तीनों को मारने के लिए तुम्हें अगवा करने की योजना बना रहे  हैं। तुम होशियार रहना । और पुलिस वालों को भी इन्फॉर्म कर देना ताकि तुम दोनों की जान बच सके। जब वह आएंगे तो मैं भी उनके साथ आऊंगा। तब तक तुम मेरे माता-पिता को भी बता देना कि मैं जिंदा हूं। मुझे से कांटेक्ट करने की कोशिश मत करना क्योंकि मैंने किसी को भी यह बात नहीं बताई है कि मुझे होश आ चुका है।

तीनों अजनबीयों ने अपना भेष बदला और गाड़ी में बैठ गए।   अभि नें तो उन्हें कड़ा ,छःऊंगलियों और भूरी आंखों द्वारा उन्हें पहचान लिया था। उसी शहर में  वापिस आकर अभि को एक कमरे में ठहराया और उसे पर्ची पर लिखकर दिया कि हम किसी काम से  गेटवे चर्च के पास जा रहे हैं। वहां हमें काम है। तब तक तुम हमारा यही इंतजार करना।  वह तीनों अजनबी गाड़ी में बैठकर चले गए अभी ने उन्हें जाते देखा।

उसने अपने घर फोन किया। उसकी आवाज सुनने के लिए उसके माता-पिता तरस गए थे अभि की मम्मी तो अभि की आवाज सुन कर बहुत खुश हुई बोली बेटा तू कहां है? हम तुमसे मिलने आ रहे हैं। अभि ने अपनी मम्मी को कहा कि भूलकर भी अभी यहां फोन मत करना वर्ना आप अपने बेटे को नहीं देख सकोगी।

तीनों अजनबीयों को किसी ने बताया था कि वह दोनों लड़कियां तो बहुत ही चालाक है। उन को पकड़ना बहुत ही मुश्किल है। इसलिए उन तीनों अजनबीयों  नें अर्चना और अरु के घर फोन किया हम तुम्हारे स्कूल से तुम्हारे अध्यापक बोल रहे हैं। तुम्हारे स्कूल का सांस्कृतिक कार्यक्रम कल होना है। जिसके लिए तुम दोनों को सिलेक्ट किया गया है। इसलिए हम तुम्हें चर्च के पास लेने आ रहे हैं। उन तीनों अजनबीयों ने स्कूल से पता कर लिया था कि उनके स्कूल के टीचर्स ने सचमुच  फोन किया था या कोई उन्हे झूठमूठ में गुमराह कर रहा है। इसलिए उन्होंने वह फोन नहीं उठाया था।

तीनों अजनबीयों को पता चल चुका था कि किस टीचर ने उन दोनों को फोन किया? जब दोबारा फोन आया तब आरुषि और अर्चना ने पूछा कि आप कौन बोल रहे  हैं?  उन्होंने उनके टीचर का नाम बता दिया मैं तुम्हारा अंग्रेजी का अध्यापक वास्तव  बोल रहा हूं। वह दोनों समझी कि उनके अध्यापक ही उन्हें फोन कर रहे हैं। वह दोनों उनसे मिलने चल पड़ी। उन्होंने अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम का सारा सामान लिया और जल्दी-जल्दी चर्च पहुंचने का प्रयत्न करनें लगी।  उन्हें तभी एक गाड़ी दिखाई दी। उस गाड़ी में  से उतर कर एक आदमी ने कहा कि तुम्हारे सर जल्दी में निकल गए क्यों कि उन्हें वहा पर जल्दी पहुंचना है इसलिए उन्होंने हमें कहा है कि तुम चर्च के सामने गेट पर मिलना। वही तुम्हारे स्कूल का प्रोग्राम एक हॉल  में होने वाला है। वह दोनों जल्दी से गाड़ी में बैठ  गई।

जब काफी देर तक चर्च नहीं आया तो उनकी आंखें  उनका माथा ठनका।  वे  दोनों कंहीं धोखे में आ गई थी। उन्हें समझ आ गया कि एक बार फिर वह पकड़ी गई। जब आरुषि की नजर उस व्यक्ति के हाथ पर गई  जिसके हाथ में  उसनें कड़ा देखा था। अचानक उन्होंनें कहा सर हमने इस शो रुम  से साड़ी लेनी है। उन्होंनें साथ बैठे युवक को साड़ी की स्लिप पकड़ा दी। दो नव युवकों ने उन से कहा कि तुम दोनों इसी गाड़ी में बैठी रहो । हम तुम्हारी  पास की दुकान से साड़ियां ले  करआते हैं। उन्होंने जल्दी से गाड़ी का दरवाजा बंद कर दिया। जल्दी में वह गाड़ी को लॉक करना भूल गये। वह दोनों नवयुवक साड़ी लेने इंपोरियम में गए तभी वह वह दोनों जल्दी से खिड़की से कूद गई।  जल्दी से जाकर पुलिस को इसकी सूचना दे दी।

प्लीज जल्दी से उन दोनों नव युवकों को पकड़ लो। एक बार फिर  किडनी गैंग के लोग हमारे शहर में पहुंच चुके हैं। उन्होंने एक बार फिर हमें पकड़ लिया था। आप जल्दी से हमारे   साथ चल कर  एंपोरियम में दो लंबे हट्टे-कट्टे नौजवान जो साड़ी लेने गए हैं उन्हें आप जल्दी से पकड़ लो। पुलिस तो पहले ही उन गैन्ग की  तलाश में थी  जो मासूम बच्चों को कुछ सूंघा कर और बेहोश कर के उनके किडनी लिवर निकाल कर दूसरे देशों को भेज देती थी। जैसे उन्होंने अर्चना और आरुषि की आवाज सुनी  जल्दी से  पुलिसवालों को अलग-अलग स्थानों पर तैनात कर दिया। इंपोरियम से जैसे  ही वे दोनों अजनबी वापिस आ रहे थे उन्होंने उन को पकड़ लिया। अभि भी पुलिस वालों के पास पहले  ही पंहुच चुका था। उसने भी उन दोनों की सूचना पुलिस वालों को दे दी थी। अभि ने अपना सारा हाल कह दिया कि किस प्रकार उन्होंने  उसे नदी में भरकर बोरे में भरकर एक नदी में फेंक दिया था। फिर एक मछुआरे ने दया करके उसे बचाया और होटल के मालिक ने उसे बच्चे की तरह प्यार किया। उसने अपनी सारी कहानी पुलिसवालों को सुना दी और उन्होंनें उसे अपने बच्चे से भी बढ़कर प्यार किया। उसने अपनी सारी कहानी पुलिस वालों को बताई किस तरह उसने सारे गैंग वालों का पर्दाफाश किया और पुलिस वालों ने किडनी निकालने वाले गैंग को पकड़कर अपना फर्ज पूरा किया। और उन तीनों बच्चों को ईनाम देकर 26 जनवरी के मौके पर उनको सम्मानित किया।उन तीनों को उस गैन्ग को पकडवाने  के लिए तीन लाख की राशि ईनामस्वरुप दी गई।

अभि   नें होटल के मालिक को फोन किया और उनको सच्चाई से अवगत कराया। आप जैसे मां बाप पाया कर में फूला नहीं समाया। आप दोनों जहां भी रहो खुश रहो।

उसने सारी कहानी होटल के मालिक को सुनाई कैसे उसको  उन अजनबी युवकों ने उसे मारकर बोरी में फेंक दिया था। परंतु आपके होटल में जब वे तीनों खाना खाने के लिए आए। जिन लोगों नें उसे नदी में फैंक दिया था उन्हें देखकर मेरी याददाश्त वापस आ गई। परंतु मैंने  आप को कुछ नहीं बताया इसलिए मैंनें उनके साथ जाना स्वीकार कर लिया क्योंकि मैं उनसे सच्चाई उगलवा कर उनका पर्दाफाश करना चाहता था।

उन्होंने  न जानें कितने अबोध बच्चों को पकड़कर उनके किडनी लीवर निकाल कर मार दिया था। मैंने उनके अड्डे का पता लगा कर उन तीनों अजनबी यों को पुलिस के हवाले कर दिया। हमारे  शहर में तो वे दो ही आए थे। परंतु तीसरे को भी रंगे हाथ पकड़ लिया गया। उनके शहर में ही उसे पकड़ लिया गया। अब वे तीनों सलाखों के पीछे हैं। मैं मार के कारण अपनी यादाश्त खो बैठा था परंतु इन तीनों को देखकर मुझे सब कुछ याद आ गया। मैंने अगर आपको सच्चाई बता दी होती तो आप मुझे उनके साथ नहीं भेजते। कभी आपसे मिलने जरूर आऊंगा। आपका अभि।

अभि आरुषि और अर्चना तीनो दोस्त मिलकर बहुत ही खुश हुए। तीनों की आंखों से झर झर आंसू बह रहे थे। अभि के माता पिता भी अपने बेटे को गले से लगाकर बोले बेटा हम तो निराश ही हो  चुके थे। तुम तो हमारे होनहार बेटे हो। हमें तुम तीनों पर गर्व है। आज सचमुच में ही हमारी खुशियां लौट आई है।

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