(देवव्रत)

किसी गांव में  नीधी और विधि दो बहने थी। इन दोनों के पति किसी दुर्घटना में मर चुके थे उनके कोई भी बच्चा नहीं था वह चाहती थी कि अगर कोई बच्चा उन्हें गोद मिल जाता तो बहुत ही अच्छा था ।उन्हें गांव के लोगों ने बताया कि  तुम अनाथालय से अपनी इस इच्छा को पूरी कर सकते हो ।उन्हें तभी अपनी किसी  सहेली  से पता चला कि गांव के पुजारी को मंदिर में एक बच्चा मिला है ।कोई व्यक्ति बच्चों को चुपके से मंदिर में रख गया था ।वे दोनों मंदिर में पुजारी के पास पहुंच  कर बोली बाबा जी हम बड़ी फरियाद लेकर आपके पास आई हैं ।आपको जो बच्चा मिला है वह पता नहीं किसका है ?आप तो ठहरे मंदिर के पुजारी आप  इस बच्चे को अगर  हमें दे देंगे तो हम आपका आभार कभी नहीं भूलेंगे । बाबाजी बोले अब यह बच्चा मंदिर में ही पल कर बड़ा होगा।तुम्हारा क्या पता तुम इस को यूंही दर दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर दो ? वे दोनों बोली हमारी संताने  नंही हैं।हम दोनों इस बच्चे को मां का प्यार देंगे । बाबा जी बोले मैं तुम पर कैसे विश्वास करूं

पहले तुम इस बच्चे को एक महीने अपने पास रख कर दिखाओ तभी मैं समझूंगा कि तुम्हें इस बच्चे को देना है या नहीं । वह दोनों इस बात के लिए राजी हो गई ।एक महीने तक उन दोनों ने अपने बच्चे की तरह उस बच्चे की देखरेख की।उस मंदिर के पुजारी को विश्वास हो गया था कि वह सचमुच में ही दिल से इस बच्चे को चाहती हैं।  पुजारी ने कहा तुम दोनों बच्चे के लिए आपस में  झगड़ा तो नंही करोगी वे बोली नहीं हम दोनों सगी बहनें  हैं हम भला ऐसा क्यों करेंगी।  छोटी बहन बोली जितना हक मेरा इस बच्चे पर होगा उतना ही हक मेरी बड़ी बहन का इस बच्चे पर होगा ।साधु बाबा ने उस बच्चे को उन दोनों औरतों को सौंप दिया। उनको यह बच्चा मंदिर में मिला था इसलिए उन्होंने उस बच्चे का नाम रखा देवव्रत  रख दिया।देखते ही देखते देवव्रत  छ:वर्ष का हो चुका था ।वह दोनों उस बच्चे को बहुत ही प्यार से पाल रही थी।बच्चा भी उनको बड़ी मां और छोटी मां कह कर बुलाता था ।

एक दिन उन दोनों बहनों की ननद उनके घर आई हुई थी ।वह दोनों उसे देखकर बहुत ही खुश हुई ।वह उन दोनों बहनों का प्यार देखकर मन ही मन ईर्ष्या करने लगी। और सोचने लगी

कि यह दोनों बहनें तो आपस में कितने प्यार से रहती हैं ।मुझे उन दोनों में फूट डलवाने  का काम करना है। उसने अपने मन में एक योजना बना डाली ।उसने शाम को अपनी बड़ी बहन से कहा तुम भी देवव्रत को ज्यादा प्यार करती हो ।बड़ी बहन बोली नहीं जितना प्यार मैं देवव्रत से करती हूं शायद उससे भी ज्यादा मेरी छोटी बहन उस से करती है ।

यह बच्चा हम दोनों की जान है क्योंकि इस बच्चे के आने से हमारे घर में खोई हुई रौनक फिर से आ गई है ।वह बोली बहन यह तो ठीक है परंतु एक दिन जब देवव्रत बड़ा होगा तो वह ज्यादा प्यार अपनी छोटी मां से करेगा ।वह अपनी छोटी मां को लेकर तुमसे दूर हो जाएगा। बड़ी बहन बोली नहीं  मेरा देवव्रत ऐसा कभी नहीं कर सकता । उसकी ननद ने देवव्रत को अपने पास बुलाया और कहा बेटा मैं तुम्हें बहुत सारे लड्डू दूंगी । तू  अगर अपनी बड़ी मां को कहेगा कि मैं छोटी मां से ज्यादा प्यार करता हूं। शाम को उसकी ननद ने बड़ी मां  के पास देवव्रत को  ले जा कर वही सवाल पूछा बेटा तुम बताओ तुम अपनी बड़ी मां को ज्यादा प्यार करते हो या छोटी मां को । देवव्रत बोला मैं अपनी छोटी मां को ज्यादा प्यार करता हूं ।यह सुन कर बड़ी बहन निधि को सचमुच में ही लगने लगा की कहीं ना कहीं मेरी ननद ठीक कह रही है ।उनकी ननद तो दोनों बहनोे

में फूट डालना चाहती थी ।  बड़ी बहन  से कटी कटी रहने लगी ।छोटी बहन तो इस बात से बेखबर  वह तो देवव्रत को सचमुच में ही निधि से ज्यादा प्यार करती थी ।रातों को जाग जाग कर उसका ख्याल रखती थी परंतु छोटी बहन के मन में ऐसी कोई भावना नहीं थी

देवव्रत को सचमुच में ही अपनी छोटी मां से बहुत प्यार था । नीधी ने सोचा क्यों ना इससे पहले विधि मुझसे देवव्रत को छीन ले मैं देवव्रत को अपना बेटा बना लूंगी। उसने कानूनी रुप से देवव्रत को अपना बेटा बना लिया ।उसने विधि से धोखे से हस्ताक्षर करवा लिए थे ।जिन कागजात पर लिखा था कि कानूनी तौर पर लिखा था कि देवव्रत निधि का ही बेटा है। उसने अपनी छोटी बहन को यह भी नहीं बताया था कि उसने देवव्रत को कानूनी तौर पर गोद ले लिया है ।छोटी ननद अपने ससुराल जा चुकी थी ।

एक दिन बड़ी बहन निधी ने देव व्रत को कहा कि अब तुम्हें अपनी बड़ी मां के पास ही रहना है क्योंकि मैं तुम्हारी असली मां  हूं।विधी नही। क्यातुम मेरे पास रहना पसंद करोगे ?देवव्रत बोला मैं तो तुम दोनों के पास रहूंगा ।मां  मैं छोटी  मां के पास में रहना चाहता हूं।  बड़ी बहन बोली कि तू उनका बेटा नहीं है तू तो मेरा बेटा है ।रोते-रोते  देवव्रत विधि के पास गया और बोला क्या आप मेरी मां नहीं है ?मैं आपके पास क्यों नहीं रह सकता ?मैं तो सदा के लिए आपके पास रहना चाहता हूं ।रात को  जाग जाग कर हर वक्त आपने मुझे लोरी गा गा कर सुलाया है ।आपने रात रात को जाकर मेरी परवरिश की है । विधि बोली बेटा तुम्हारी मां तुम से झूठ बोल रही है। वह तो तुम्हारी परीक्षा ले रही है । अचानक निधि आकर बोली नहीं यह बात बिल्कुल सच है ।तुम्हारा अधिकार देवव्रत पर नहीं है देवव्रत  को कोई भी मुझसे नही  छीन सकता क्योंकि यही मेरे बुढ़ापे का सहारा  होगा। मैंने कानूनी तौर पर  उसे गोद ले लिया है । विधि ने सुना तो वह बहुत जोरों से रोनें लगी और बोली बहन यह तेरा मेरा कहां से आ गया  उस पुजारी बाबा ने इस बच्चे को  हम दोनोँ को दिया था।और कहा था कि हम दोनों ही इस बच्चे की मां हैं।तुमने इतनी जल्दी अपना वादा तोड़ दिया ।उसने अदालत के सारे कागजात उसके सामने कर दिए ।विधि ने  पांच  दिन तक कुछ भी नहीं खाया क्योंकि वह अपने बेटे से अलग रहना नहीं चाहती थी

निधि ने उससे कहा था कि  तुम इस घर को छोड़कर चली जाओ विधि बोली मुझे तुम्हारी हर बात मंजूर है ।मैं यह घर छोड़ कर चली जाऊंगी।तुम  देवव्रत को मुझे सौंप दो। निधि पर तो मानो जुनून सवार था वह तो अपनी बात पर कायम थी ।देवव्रत बोला मां मैं भी आपके साथ चलूंगा ।मैं अपनी बड़ी मां के पास नहीं रहूंगा । मैं तुम्हें प्यार करता हूं आप दोनों इस घर में  ही रहो मैं आप दोनों के पास ही रहूंगा। नीधी ने एक चांटा देवव्रत को मार दिया और कहा कि तू मेरी बात नहीं मानेगा तो मैं तेरी छोटी मां को तुमसे सदा के लिए दूर कर दूंगी ।उसने देवव्रत को धमकी दे डाली कि तुम अपनी छोटी मां को कभी जिंदा नहीं देखोगे ।

तुम अपनी छोटी मां को जिंदा देखना चाहते हो तो तुम को सब के पास यही कहना होगा कि मैं बड़ी मां से प्यार करता हूं ।नन्हा  सा देवव्रत चुपचाप कुछ कह नहीं सकता था ।वह अंदर ही अंदर घुटता जा रहा था ।विधि बोली अगर तुम कचहरी जा सकती हो तो मैं भी अपने हक के लिए अदालत में जाऊंगी ।विधि  अपने गांव के सरपंच के पास जाकर बोली सरपंच साहब मैं क्या बताऊ?ं हम दोनों बहनों को गांव के साधु बाबा ने एक बच्चा किया था ।हमने उस साधु बाबा से फरियाद की थी कि बच्चा हमें दे दो।  वह बच्चा साधु बाबा के मंदिर में कोई छोड़  कर गया था। साधु बाबा से फरियाद करके हम दोनों बहनों ने उसे गोद ले लिया था। और उसे कहा था कि हम दोनों मां बन कर इस बच्चे की परवरिश करेंगे ।मेरी बड़ी बहन अपनी बात से  फिर रही है । बड़ी बहन बोली कि इस बच्चे पर तो मेरा ही अधिकार है क्योंकि इसको मैंने कानूनी तौर पर गोद ले लिया है ।मेरी बहन ने मेरे अनपढ़ होने का फायदा उठाया ।मुझसे कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए जिस पर लिखा था कि यह बेटा मैं अपनी बहन को देती हूं ।  छोटी बहन बोली देवव्रत पर जितना उसका है उतना ही मेरा भी क्योंकि रात रात को जाग जाग कर मैंने इस की परवरिश की है।  सरपंच ने निधि  के सामनें  देवव्रत को बुलायां और पूछा तुम किसके पास रहना पसंद करोग?नन्हा देव व्रत बोला मैं अपनी बड़ी मां के पास रहना चाहता हूं ।विधि ने  जब यह सुना तो वह फूट फूट कर रो पड़ी।  उसने सरपंच को कहा नहीं ऐसी बात नहीं है ।इस को यह बात बोलने के लिए  किसी न किसी नें मजबूर किया  है ।

सरपंच बोला मैं तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता ।क्योंकि यह बच्चा  तुम्हारी बड़ी बहन के पास रहना चाहता है सरपंच का एक भाई था उसका नाम था दीनानाथ ।वह  अपने किसी काम से संबंधित दस्तावेज़ जमा करवाने अदालत जा रहा था। उसको एक साधु बाबा मेले के रास्ते में मिले जब वह आ रहा था तो साधु बाबा की आंखो में  किसी नेंंजहरीली  दवाई डाल दी थी। बाबा को पता नहीं चल सका यह औरत कौन थी और उसकी आंखों में उसने यह जहरीली दवाई क्यों डाली थी? दीनानाथ  ने उस साधु बाबा को अस्पताल में नहीं पहुंचाया होता तो बाबा सदा के लिए अपनी आंखें खो डालते अस्पताल में डॉक्टर ने कहा कि इन की आंखों का ऑपरेशन जल्दी करना पड़ेगा वह बाबा को लेकर अपने घर आ गया था ।साधु बाबा दीनानाथ को आशीर्वाद देकर  बोले  बेटा भगवान तुम्हारा भला करे ! एक बार फिर सरपंच के घर आकर विधि ने दरवाजा खटखटाया ।उनके भाई दीनानाथ ने दरवाजा खोला दीनानाथ ने कहा बहन तुम्हे क्या काम है?वह बोली कृपा करके आप  उन  साधु महात्मा से कहो कि देवव्रत को मेरे पास में रहने दो ।   आप की बात को वे टाल नंही सकते। मेरी बहन ने धोखे से मेरा बच्चा मुझ से छीन लिया है उसनें सारा का सारा  किस्सा दीनानाथ को  सुना दिया। दोनो बहनों को मंदिर के साधु बाबा ने बच्चा पालने के लिए दिया। दोनों इकट्ठे रहकर इस की परवरिश करेगी । उसने तो मुझसे मेरा बेटा मुझसे छीन लिया है । दीनानाथ बोले तुम्हारी बहन तो बड़ी चालाक है उसने धोखे से उस बच्चे को पता नहीं क्या पट्टी पढ़ा कर अपने पास रखने के लिए मजबूर कर दिया है । दीना नाथ बोले  बेटा अगर तुम्हें वह साधु बाबा मिल जाते हैं तो वह तुम्हारी गवाही दे सकते हैं ।वह तुम्हें बता सकते हैं कि मैंने ही वह बच्चा इन दोनों बहनों को सौंपा था । अंदर से करहानें की आवाज आई ।साधु बाबा बाहर आकर बोले बेटा जरा मुझे एक गिलास पानी पिलाना।  

विधि साधु बाबा को देख कर चौक  गई। विधि  नें साधु बाबा को कहा नमो नारायण !आपने मुझे पहचाना ।बाबा बोला बेटा मैं तुम्हें देख नहीं सकता क्योंकि अभी मेरी आंखों पर पट्टी बंधी है ।पता नहीं किस दुष्ट महिला ने मुझ पर इतना जहरीला पदार्थ फैंका कि मैं अपनी आंखें सदा के लिये गंवा देता अगर इन भाई साहब ने मुझे समय पर पंहूच कर बचाया नंही होता । विधि साधु बाबा के पैरों पर पकड़ कर फफक फफक कर रो पड़ी और बोली बाबा आपने मुझसे और मेरी बहन को एक बच्चा दिया था और कहा था कि तुम दोनों इस बच्चे की परवरिश करोगी ।मेरी बहन ने मुझ से धोखे से कानूनी कागजों पर हस्ताक्षर करवा लिया और मुझसे देवव्रत को छीन लिया ।देवव्रत मुझे ज्यादा प्यार करता है । मैं तो चाहती हूं कि हम दोनों साथ रहकर इस बच्चे की देखरेख करे।ं परंतु मेरी बहन ने मुझे यह कहा कि तुम इस घर से सदा के लिए चली जाओ और देवव्रत को भी सिखा दिया है कि अगर तुम कहोगी कि मैं छोटी मां से प्यार करता हूं तो वह छोटी मां को सदा के लिए मार देगी ।डर के मारे देवव्रत मुझे बचाने के लिए उसके पास जाने के लिए मजबूर हो गया है ।साधु बाबा बोले बेटा मैं अदालत में चलकर गवाही दे दूंगा ।मैं अदालत में बताऊंगा कि मैंने इन दोनों बहनों को यह बच्चा सौंपा  था । विधि को ध्यान आया कि कि कहीं निधि नें ही तो बाबा के ऊपर जहरीला पदार्थ तो नहीं फेंका था ।कहीं वह चलकर अदालत में गवाही न  दे सके।निधि ने सारी बात दिनानाथ को कहीं कृपा करके आप अदालत में जाकर मेरी दरख्वास्त को मंजूर करने की अपील करें ।और उनसे कहे कि मुझे मेरा बेटा लौटाने की कृपा करें ।सारा मामला अदालत में चला गया था ।जज साहब ने कहा उस पर कानूनी तौर पर हक केवल बड़ी बहन यानि निधि का है ।इन सब बातों को मध्य नजर रखते हुए हम भी देव व्रत से पूछना चाहते हैं कि तुम किसके पास रहना चाहते हो ?विधि ने देवव्रत को समझा दिया था कि बेटा इस दुनिया में डर कर नहीं जी-या जाता मुझे तुम्हारी बड़ी मां कुछ नहीं कर सकती ।तुम सच्चाई का सामना डट कर करो नहीं तो तुम मुझे सदा के लिए खो दोगे ।मैं सचमुच में ही तुमसे दूर चली जाऊंगी ।क्योंकि हारता वही है जो डटकर लड़ना नही जानते।तुम्हारे साथ तुम्हारी छोटी मां है। और वही पुजारी जी हैं जिनसे मैंने और तुम्हारी बड़ी मां ने तुम्हें गोद लिया था । अदालत में देवव्रत ने कहा कि विधि ही मेरी छोटी मां है ।उस ने मुझे ज्यादा प्यार किया परंतु मैं तो दोनों के साथ रहना चाहता था परंतु मेरी बड़ी मां ने मुझे कहा कि अगर तुम अपनी छोटी मां का नाम लोगे तो मैं तुम्हारी मां को मार दूंगी ।मैं डर गया था मैंने सोचा था कि सचमुच में ही वह कंही मेरी छोटी मां को मार ना दे तब अदालत मे मेजर साहब ने कहा। अगली कार्यवाही अगले सप्ता होगी ।अदालत में नीधी से पूछा गया कि तुमको  यह बच्चा किस ने दिया  था? विधि बोलीं हम दोनों को यह बच्चा एक साधु महात्मा ने दिया था ।  निधि बोली नहीं ज़ज साहब।  वह झूठ बोल रहीहै।साधु महात्माने बच्चा मुझे दिया था ।उसे नहीं ।अदालत में दोनों लड़ने लगी क्योंकि निधि ने सोचा था कि साधु महात्मा तो शायद मर गया हो गया ।अंधा हो गया होगा।  उसने ही साधु महात्मा की आंखों में जहरीली दवाई डाली थी ताकि वह अदालत भी उसे पहचान ना सके ।उसने सोचा था की शायद साधु बाबा मर गया होगा तभी अदालत में विधि बोली कि हम साधु बाबा का अदालत मैं लेकर आ ग्ए हैं वहीं हमारी गवाही देंगे ।  निधि ने  जब यह सुना तो वह हैरान हो गई यह बात कैसेमालूम हुई ?

अब उसे पता चल चुका था कि साधु महात्मा की आंखों का ऑपरेशन होना है ।उसके बाद वह आकर गवाही देंगे ।दीनानाथ को सारी बात पता थी कि अब भी निधि साधु बाबा को नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए उसने डॉक्टर से मिलकर वहां अस्पताल में सी सी टीवी कैमरा फिट करवा दिया था ताकि निधि उसके साथ दोबारा कभी छल ना कर सके ।जिस दिन साधु बाबा का आपरेशन होना था उस उस दिन बडी दीदी अस्पताल में नर्स बनकर पहुंच गई थी

उसने साधु बाबा के कमरे में उनका गला घुटने का प्रयत्न किया । उसने  जैसे ही साधु बाबा का गला काटना शुरू किया बाहर से आकर कर्मचारियों ने निधि को रंगे हाथ पकड़ लिया।  पुलिस निधि को ले जा चुकी थी परं विधि ने जमानत देकर अपनी बहन को छुड़ा लिया था साधु बाबा की आंखों का ऑपरेशन हो चुका था । उन्हें दिखाई देने लगा था उन्होंने निधि को पहचान लिया था ।उन्होंने उसे बालों से पकड़ कर कहा दुष्ट औरत एक साधु बाबा के साथ छल करती है ।जा तू कभी सुखी नहीं रहेगी।  विधि बोली बाबा मेरी बहन को माफ कर दो ना जाने इस ने भी किसी के बहकावे में आकर दवे व्रत को मुझसे छीनने  का प्रयत्न किया होगा। देवव्रत आ कर  बोला बुआ ने मुझसे कहा था कि मैं तुम्हें ज्यादा लड्डू दूंगी अगर तू यह कह देगा कि मैं अपनी  बडी मां से ज्यादा प्यार करता हूं ।

सारी सच्चाई उसके सामने आ चुकी थी क्योंकि उसकी ननद ने ही उन दोनों बहनों के बीच फूट डलवाने की कोशिश की थी । निधि को कहीं ना कहीं अपनी गलती का एहसास हो चुका था ।उसने अदालत में कहा जज साहब मैंने धोखे से अपनी बहन से इस बच्चे को चुराया था ।इस बच्चे पर हम दोनों का अधिकार है ।इसबच्चे के लालच में मैंने साधु बाबा पर भी हमला किया । मेरी बहन ने मुझे जेल  जानें से बचा लिया । मुझे अपनी गलती पर पछतावा हो रहा है । देवव्रत को हम दोनों अपना बच्चा जान कर पालेगें ।कृपया करके हो सके तो मुझे माफ कर देना। यह दस्तावेज़ मैंंजला डालती हूं।  उसने वह वह अदालत का दस्तावेज फाड़ दिया और साधु बाबा से भी क्षमा मांगी ।बोली  बाबा जी आपकी आंखों के ऑपरेशन का जो भी खर्चा होगा वह मैं अदा करूंगी क्यों कि मैंने किसी के बहकावे में आकर यह गलत कदम उठाया था ।आज सचमुच में ही मुझसे ज्यादा हक देवव्रत पर मेरी छोटी बहन का है । विधि विधि ने देवव्रत का हाथ निधि के हाथ में देकर कहा पहला अधिकार तो तुम्हारे  ऊपर बड़ी मां का है क्योंकि मुझ से पहले वह तुम्हारी बड़ी मां है।  उन दोनों ने देवव्रत को गले से लगा लिया और कहा बेटा हमें छोड़कर मत जाना तुम हम दोनों के बेटे हो।

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