, हमें मित्रता हमेशा समझदार इंसान से ही करनी चाहिए। मित्र हमेशा सोच समझकर ही बनानी चाहिए। हमें अपने दोस्त या मित्र बनाते समय उन्हें जांच की कसौटी पर परख लेना चाहिए कि वह मित्र हमारा वफादार है या नहीं। इसके लिए हमें हमेशा मित्र का चुनाव करते समय सोच समझकर चुनाव करना चाहिए। यह दोस्त मित्रता करने लायक है या नहीं यह कहानी इसी पर आधारित है।
दो ठग थे। वह आपस में घनिष्ठ मित्र थे। हर एक काम इकट्ठे किया करते थे पहला ठग बहुत आलसी था दूसरा ठग चतुर था वह हमेशा ठगी करके लोगों से रुपए ऐठकर जीविका चला रहा था दूसरा था इसके बिल्कुल विपरीत था वह आलसी था वह सो सो कर आलस में ही सारा दिन अपना समय व्यतीत कर दिया करता था। जो कुछ भी कमा कर लाता वह भी थोड़ा बहुत जो भी कमाता था वह दोनों दोस्त आपस में बांट लेते थे।
दोनों दोस्त एक दूसरे के साथ बहुत ही खुश थे वह हर एक बात को एक दूसरे के साथ विचार-विमर्श करके एक दूसरे को बता देते थे चतुर जो कुछ भी लाता था वह एक घर के पास गड्ढे में दबा देता था। यह सब उसका दोस्त देखा करता था। एक दिन उसने उससे कह दिया दोस्त मैंने 20 अशर्फियां इस गड्ढे में दबाई है इसकी जानकारी तेरे इलावा और किसी को भी नहीं है। इसमें से अगर एक भी अशर्फी कम होगी तो मैं तुझको नहीं छोड़ूंगा
आलसी ठग तो था आलसी उसने सोते-सोते योजना बना डाली कि किस तरह उसके कई अशर्फीयों का सफाया करना है उसने एक एक करके सारे अशरफिया चुरा ली। उसकी जगह नकली अशरफिया रख दी। आलसी ठग ने कहा मेरे दोस्त जो भी अशरफिया हम छुपाते हैं हम इनको दिन में नहीं छुपाया करेंगे। दिन में छुपाने से कोई न कोई चोर अशर्फियों को चुरा सकता है। हम इन अशर्फीयों को रात को ही छुपाया करेंगें। चतुर ठगको अपने दोस्त की बात पसंद आ गई
दोनों ठग रात को अशरफिया गिरने लगे। गिरने पर हर रोज अशरफिया 20 ही होती थी। दूसरे को जरा भी भनक नहीं लगी कि उसका दोस्त उसके साथ बेवफाई कर रहा है। उसके साथ छल करके उसकी सारी कमाई को उड़ा सकता है। जब केवल एक अशर्फी बची तो आलसी ठग नें सोचा यूं ही अपने दोस्त के साथ किसी बात को लेकर लड़ाई झगड़ा कर लेता हूं। बात यहां तक आ पहुंची कि दोनों ने एक-दूसरे से किनारा करने की सोची। उसने अपने दोस्त को कहा तू निकल जा मेरे घर से मैं बेवकूफ नहीं । मैं तेरी शकल नहीं देखना चाहता। आलसी ठग तो मौके की तलाश में था। कब उसका दोस्त उसे वहां से जाने के लिए कहे। इससे पहले कि उसकी चोरी का पर्दाफाश हो जाए आलसी दोस्त वहां से चला गया । शाम को जब उसके दोस्त ने गड्ढे में दबाए गई अशरफिया देखी तो उसे खुशी हुई कि अशरफिया तो पूरी बीस की बीस हैं
जब वह उन अशर्फीयों को जोहरी के पास बेचने गया तो उस जौहरी ने कहा कि यह अशरफिया तो नकली है । यह सुनकर उसके पांव के तले से जमीन खिसक गई उसके दोस्त ने उसके सीने पर खंजर घोंपा था। अब पछताने के सिवा कुछ नहीं हो सकता था वह अपना सिर पकड़ कर रोने लगा। अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।