धरती का लाल

चीकू रास्ते में जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ा रहा था। उसका मालिक जब वह समय पर काम पर नहीं
पहुंचता था उसको कहता था तब तक तुम्हें खाना नहीं मिलेगा जब तक तुम काम नहीं करोगे। चीकू 12 वर्ष
का था रास्ते में फुटपाथ पर उसके मालिक को पड़ा मिला था। मुश्किल में उस समय चीकू तीन वर्ष का
था चीकू को धुंधला धुंधला याद है। उसकी मां उसे फुटपाथ पर छोड़ गई। जब से उसने होश संभाला
अपने आपको फुटपाथ पर पाया जो कोई भी वहां से जाता उससे खाने को मांगता कोई ना कोई आदमी
उस पर दया करके उसे खाने को दे दिया करता था। उसका मालिक उस से डटकर काम करवाता था।
बदले में उसे खाने को देता था वह भी खुश था क्योंकि उसे खाने को मिल जाता था। रात को वह सड़क के
किनारे पेड़ के नीचे चुपचाप आ कर सो जाता था। उसका वही घर था
एक दिन उसके मालिक ने उसे खाने को नहीं दिया उसे बड़ी जोर की भूख लगी थी। सामने से उसने कुछ
बच्चों को स्कूल जाते देखा उसने बच्चों से पूछा तुम कहां जा रहे हो? वह बोले हम स्कूल जा रहे हैं तुम्हें
इतना भी नहीं पता वह अपने दिमाग में सोचने लगा यह स्कूल क्या होता है? जब वह मालिक के पास
पहुंचा तो बोला मलिक जी मुझे बताओ स्कूल क्या होता है? उसका मालिक बोला तू जान कर क्या करेगा
तूने कौन सा पढ़ाई करनी है? वह बोला यह पढ़ना क्या होता है? उसने एक बार जोरदार चांटा चीकू के
गाल पर मार दिया। आगे से कभी मत पूछना जिसका जो काम हो उसको वही शोभा देता है। जाओ
अपना काम करो उसका मालिक उसे कभी बाहर नहीं जाने देता था। कहीं इस बच्चे ने किसी को बता
दिया कि इतने छोटे से बच्चे से काम करवाया जाता है इसलिए उसे कहीं नहीं जाने देता था। चीकू ने भी
कभी अपने मालिक को कभी पूछने का कष्ट नहीं किया। क्योंकि अगर वह उसे पूछता था उसका मालिक
उसे खाने को भी नहीं पूछता था।
एक दिन जब उसका मालिक बाहर गया हुआ था वह एकदम बाहर निकला अच्छा मौका है बाहर घूमने
का वह सड़क पर अपनी ही धुन में चला जा रहा था।
। बच्चे स्कूल जा रहे थे। वे आपस में बातें कर रहे थे आप आज अगर तुमने प्रश्नों के उत्तर ठीक दिए तो
आज उन्हें स्कूल में बढ़िया-बढ़िया खाने को मिलेगा। सबसे बढ़िया उत्तर देने वाले को ₹500 और उन्हें एक
दिन का होटल में खाने को मुफ्त दिया जाएगा। बच्चों की बातों को सुनकर चीकू को बहुत ही अच्छा लग
रहा था। कोई बात नहीं शायद मैं भी उनके प्रश्नों के उत्तर सही दे पाऊं। इसी तरह चला जा रहा था बच्चे
स्कूल के अंदर घुस गए सभी स्कूल के बच्चे और बाहर से 15 साल तक के बच्चे स्कूल में आए थे। चीकू
भी अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था।।
पुलिस वालों ने अंदर आने के लिए उसे कहा बेटा क्या तुम भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले हो?
बच्चों ने कहा सर यह हमारे स्कूल का बच्चा नहीं है। अधिकारी महोदय ने कहा तो क्या हम 15 साल तक
के सभी बच्चों को यहां आमंत्रित कर रहे हैं? चाहे कोई भी बच्चा हो कहीं का भी हो हम 15 साल तक के

सभी बच्चों को इस प्रतियोगिता में शामिल करने के लिए आमंत्रित करते हैं। वह अंदर आ कर खुश हो
रहा था कब जैसे मैं इनके प्रश्नों के उत्तर दूं और कब मुझे ईनाम मिले और भरपेट खाने को तो मिलेगा।
आज तो मेरा मालिक भी कुछ नहीं कह सकता। उस के आदमियों ने आज मुझे छूट दे दी है। आज तो मैं
अपने मन की हर इच्छा को पूरी करूंगा। मेरा मालिक आ जाएगा तो मैं कहीं नहीं घूम सकता। सब लोग
अतिथि महोदय के आने का इंतजार कर रहे थे। बड़ी सी गाड़ी में एक लंबे से आदमी ने उतरकर जैसे ही
स्कूल के मैदान में कदम रखा चीकू ने देखा सब उसको सलाम कर रहे थे। कोई झंडे लेकर कोई माला
पहनाकर उनका स्वागत कर रहे थे। चीकू तो आज यह सब देख कर मन ही मन खुश हो रहा था वाह वाह
इस सेठ के खूब ठाठ ह उसको सब माला क्यों पहना रहे हैं ? इसकी तो बड़े ही ठाठ है कोई उसको मिठाई
खिला रहा है ? कोई इसको टीका लगा रहा है? कोई उसको ना जाने क्या-क्या ढेर सारी वस्तुएं दे रहे हैं ?
इसके बदले अगर इतनी सी इतनी सारी वस्तु किसी ने मुझे दी होती तो कितना अच्छा होता जरूर आज
तो इस सेठ जी से ही दोस्ती करूंगा। यह तो मेरी मालिक से भी बहुत अच्छे हैं शायद यही मुझे ज्यादा खाने
दे दिया करेगा। चीकू ने देखा लाउडस्पीकर की ध्वनि से सभी बच्चों को बैठने को कहा गया। और जो
बच्चा हमारे तीन प्रश्नों के अच्छे ढंग से उत्तर देगा वही आज का विजेता घोषित किया जाएगा ।
अधिकारी महोदय ने कहा 15 साल से कम उम्र का बच्चा ही इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है। एक
एक करके सभी बच्चों को बुलाया गया अधिकारी महोदय ने 10 बच्चों को सिलेक्ट किया अधिकारी
महोदय ने कहा कि एक बच्चा हम बाहर का भी ले सकते हैं जो बच्चा सबसे पहले हाथ खड़े करेगा उस बच्चे
को बुला लिया जाएगा। अधिकारी महोदय ने देखा इतनी बड़ी भीड़ में सबसे पीछे एक बच्चे का हाथ खड़ा
दिखाई दिया। उन्होंने जोर से कहा जो सबसे पीछे बच्चा खड़ा है वही आगे आएगा। चीकू ने खुश हो कर
कहा वह जल्दी-जल्दी उस भीड़ में से निकलने का पर्यत्न करने लगा। उन बच्चों की लिस्ट में शामिल हो
गया। सभी बच्चों को अधिकारी महोदय ने कहा तुम कहां तक पढ़े हो? सभी बच्चों ने कहा हम इसी स्कूल
में पढ़ते हैं चीकू से पूछा उसने कहा मुझे स्कूल का पता नहीं है स्कूल क्या होता है? अधिकारी महोदय
हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगे पहले बच्चे से अधिकारी महोदय ने प्रश्न किया तुम्हारे मां तुम्हारे
परिवार और तुम्हारे परिवार म कौन-कौन सदस्य हैं। इन 3 प्रश्नों के उत्तर सबसे अच्छा जो उत्तर देगा वही
हमारा आज का विजेता घोषित होगा ।।
सभी बच्चे कहने लगे हमारी असली गुरु हमारी मां है। स्कूल में अध्यापक महोदय हैं। हमारे रिश्तेदार और
हमारे सगे संबंधी हमारा परिवार है। चीकू बोला महोदय मेरा असली गुरु मेरी धरती मां है। जिसकी गोद में
मैं बड़ा हुआ हूं। यहां पर आकर मुझे पता चला कि यहीं पर सब कुछ है जब मां अपने बेटे को पुचकारती है
दुलारती है तब मेरी मां ने मुझे रास्ते में चौराहे पर फेंक दिया। मैंने अपनी असली मां बाप को तो नहीं
देखा। जब से मैंने होश संभाला तबसे मैं अपनें आप को चौराहे पर भीख मांगता फिरा करता था। जब

थोड़ा बड़ा हुआ तो एक सेठ ने जी ने मुझे यहां पर काम पर रख लिया। मैं वहां उनके जूठे बर्तन साफ करने
का काम करता हूं। वह मेरा मालिक क्या गुरु हो सकता है पर उसे मैं अपना गुरु नहीं मानता। क्योंकि गुरु
तो वह होता है जो अपने शिष्य को सब कुछ बांट सके । मेरा मालिक तो मुझे जब मेरा काम करने का मन
नहीं करता वह मुझे कहता है तुम्हें आज खाना नहीं दूंगा थक हार कर मैं वहां से हरी-भरी पहाड़ों के बीच में
हरियाली खेतों के बीच में अपने आप को वहां पहुंचकर बहुत ही खुशी महसूस करता हूं । जब मैं शाम को
थक हार कर घर आता हूं तो किसी पेड़ के नीचे या बगीचे में टहल कर सो जाता हूं। तितलियां पक्षी भंवरे
फूल यह सब मेरा परिवार है । प्रकृति की मूल्यवान संपदा मेरा घर है । यही मेरी मां है । यही मेरा परिवार
है।
अधिकारी महोदय जी आप जल्दी से मेरा इनाम दे दो। वर्ना अगर मैं आज देर से होटल पहुंचा तो मेरा
मालिक आज मेरे साथ न जाने क्या-क्या कर डालेगा। अधिकारी महोदय इस बच्चे की बात सुनकर
अवाक रह गए। वह बोले यही बच्चा इस ईनाम का असली हकदार है उन्होंने उस बच्चे को कहा यह लो
₹500 वह बोला साहब यह मुझे पता है एक नोट 500 का है दूसरा हजार का। चलो मुझे किसी अच्छे से
होटल में मुझे ले चलो। मैं अपनी मनपसंद की वस्तु खाना चाहता हूं। अधिकारी महोदय उस बच्चे की
कहानी सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने शाम को जाकर उस होटल का पता किया होटल के मालिक को
जेल में डाल दिया। तुमने इतने छोटे से बच्चे के साथ अन्याय किया है। छोटे बच्चों से काम करवाना जुर्म है।
उन्होंने उस दुकानदार को जेल में डलवा दिया। चीकू ने कहा जब मैं बडा बन जाऊंगा तब मै अपने परिवार
की देखभाल करूंगा मै कभी भी किसी को पेडो को काटने नंदी दूंगा। अपने जन्म दिन पर एक पेड़ अवश्य
ही लगाऊंगा। सरकार नें चीकू की पढाई का खर्चा अपनें ऊपर ले लिया। पढ लिख कर चीकू एक बहुत ही
बडा औफिसर बना।

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