नन्हें हाथों का कमाल

एक दिन रिया घर में लगी थी चित्र बनाने।

चित्र में रंग भर भर कर लगी थी उसे सजाने।। छोटी टिया ने आकर चित्र बनाने का मजा किरकिरा कर दिया।

उसकी रही सही मेहनत पर पानी फिरा दिया।। टीया अपनी बहना को उदास देखकर लगी उसे मनाने।

कान पकड़ पकड़ कर हाथ जोड़कर लगी उसे लुभाने।।

रिया  को मालूम था उसकी बहन है नादान।

उसकी नन्ही नन्ही शरारतों से थी हैरान।।

टिया  पानी का गिलास  चित्र पर   गिरा देख कर थी हैरान।

यह सब देखकर  रीया गुस्से के मारे  बोली चल हट   शैतान।।

 अपनी बहना को उदास देख कर नन्हे नन्हे हाथों से चित्र लगी बनाने।

रंगो को एक साथ मिलाकर लगी दर्शाने।।

थोड़ी देर बाद उसने चित्र बना डाला।

रिया बोली शाबाश! यह तूने क्या कमाल कर डाला।।

घोड़े की जगह गधा बना डाला।

हाय! यह तूने क्या कर डाला।।

उसे यूं चित्र बनाता देख कर  रिया उसके ऊपर खिलखिलाई।

उसकी हंसी उड़ा कर   उस पर  चिल्लाई।।

टीया बोली हंसी उड़ाना कोई अच्छी बात नहीं है।

रिया बोली असफलता के बिना सफलता आती    हाथ नहीं है।।

रोज-रोज अभ्यास से अच्छे चित्र  बना पाऊंगी। एक दिन फिर गधे की जगह घोड़ा बना पाऊंगी।।

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