रोहित अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके माता-पिता मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे। उसके माता पिता ने अपने बेटे की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी थी वह भी हमेशा अपने माता पिता का आदर सम्मान करता था।वह बड़ा हो चुका था अपने माता पिता के संस्कार उसमें कूट-कूट कर भरे पड़े थे। वह हमेशा दीन दुखियों और लाचार व्यक्तियों पर सदा दया की भावना रखता था। वह हमेशा ईश्वर का नाम लेना कभी नहीं भूलता था। उसका एमएससी का लास्ट सेमिस्टर था। रोज की तरह वह अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेकर अपने कॉलेज जाता था जो वह कॉलेज जाने के लिए घर से निकला तो उसने अपनी गाड़ी एक और खड़ी कर दी थी क्योंकि उसकी गाड़ी का पंचर हो चुका था। रास्ते में सड़क पार करते हुए उसने एक अंधे को देखा। सड़क पार करते करते उसकी लाठी नीचे गिर गई थी। पीछे एक गाड़ी पूरी रफ्तार के साथ आ रही थी। गाड़ी वाले को तेज गाड़ी चलाते हुए देखकर रोहित की दृष्टि उस अंधे आदमी पर पड़ी। वह दौड़ा-दौड़ा गया और उस अंधे को पकड़कर सड़क पार करते बाबा आप इस सड़क पर अकेले मत चला करो। उस बूढ़े आदमी ने कहा मैं अकेले सड़क पार नहीं करता। मेरी बेटी मुझे सड़क पार करवाती है। मेरा घर पास में ही है आज मेरी बेटी अपना मोबाइल घर पर छोड़ आई। वह अपना मोबाइल लेने घर गई है। मैंने सोचा क्यों ना मैं आहिस्ता-आहिस्ता सड़क पार कर लूं। मेरा घर समीप ही है।
मैं अपनी बेटी के साथ अपनी दवाई लेने जा रहा था। रोहित ने अच्छा कहकर उस बूढ़े आदमी को सड़क के उस पार छोड़ दिया। जैसे ही वह उस बूढे व्यक्ति को सड़क पार करवा रहा था तो उस बूढ़े अंधे की बेटी ने अपने पिता को सड़क पार करते देख लिया था। उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक रहे थे। उसकी बेटी ने अभी सड़क पार नहीं की थी। उसने रोहित की पॉकेट से कुछ नीचे गिरते देख लिया था। लड़की उस वस्तु को उठाने लगी। उसने देखा कि पीछे से एक जिप्सी गाड़ी ने एक व्यक्ति को बुरी तरह कुचल दिया था। यह वही जिप्सी थी जो बूढ़े अंधे के पीछे आ रही थी। उस बूढ़े आदमी की जान तो रोहित ने बचा ली थी। परंतु उस तेज रफ्तार ने एक और व्यक्ति को कुचल दिया था। वह एक नवयुवक था रोहित ने देखा कि उसकी सांसे जोर जोर से चल रही थी। वह व्यक्ति मरा नहीं था आते जाते लोगों ने उस व्यक्ति को देखा मगर किसी ने भी उस व्यक्ति को छुआ तक नहीं। यह सब रोहित देख रहा था। रोहित ने तुरंत एंबुलेंस बुलाई और उस व्यक्ति को बचाकर हॉस्पिटल ले आया। यह सब वह लड़की देख रही थी वह वह कार्ड देने ही वाली थी उसने देखा एंबुलेंस तो जा चुकी थी। उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे आज भी कि आज भी ऐसी दयालु लोगों की कमी नहीं है। वह सोचने लगी यह भगवान का भेजा हुआ कोई दूत है। जिसने मेरे बाबा की जान बचाई और दूसरे व्यक्ति को गाडी के नीचे आनें से बचा लिया। जिसने मेरे बाबा की जान बचाई और दूसरे व्यक्ति को भी मरने से बचा लिया था जो पूरी तरह कुचल गया था। उस लड़की ने जिप्सी का नंबर भी नोट कर लिया था। वह जल्दी जल्दी अपने पिता को लेकर अस्पताल चली गई।
अस्पताल के अंदर जाना चाहती थी कि अस्पताल में इतनी भीड़ देखकर उसने अपने पिता को एक जगह पर बिठा दिया।। घर से चलते हुए जहान्वी ने अपने बाबा की दवाईयो की लिस्ट अपने मोबाइल में सुरक्षित नोट कर ली थी। कौन सी दवाई किस समय देनी है? वह सब कुछ उसने अपने मोबाइल में नोट कर के लिख दिया था। परंतु जल्दी-जल्दी में उसने नोट करनें की जगह रिकॉर्डिंग का बटन दबा दिया था। उसने अपना मोबाइल अस्पताल की खिड़की के कोनों में रख दिया और जल्दी ही अस्पताल के अंदर चली गई। वह जाकर देखने लगी कि वहां पर अंदर डॉक्टर्स की मीटिंग चल रही थी। उसने अस्पताल की खिड़की की एक और अपना मोबाइल रख दिया था। वह उनकी बातें सुनने लगी।
रोहित कह रहा था कि प्लीज डॉक्टर साहब जल्दी कीजिए एक अजनबी किसी व्यक्ति की गाड़ी के नीचे आकर कुचल गया है। उसे अगर जल्दी नहीं देखा गया तो वह बेचारा अपनी जांन गंवा सकता है। डॉक्टर साहब मेरी मदद कीजिए। डॉक्टर उस से बोले कि वह अजनबी तुम्हारा क्या लगता है?
उस लड़की ने देखा कि अंदर बहुत भीड़ थी। वह अस्पताल से बाहर आ गई और अपने बाबा को अंदर ले जाने के लिए खड़ी हो गई। वह सोचने की कि जब भीड़ थोड़ी कम हो जाएगी तभी वह अपने बाबा को अंदर ले कर चली जाएगी। रोहित नें डॉक्टर से कहा जल्दी कीजिए। डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारा लाईसैंस कहां है? यह तो पुलिस केस है। हो ना हो यह आदमी तुम्हारी गाड़ी से ही कुचल गया होगा। रोहित अपना लाईसैन्स कहां से दिखाता? उसका लाईसैन्स तो ना जाने कहां गिर गया था। जब वह सड़क पार कर रहा था। उसने कहा मैं अपनी सारी फॉरमैलिटी बाद में पूरी कर दूंगा। कृपया आप इस व्यक्ति की जान जल्दी बचाइए।
डॉक्टर ने उस से हस्ताक्षर करवा दिए थे। रोहित ने कहा कि अगर किसी लाचार आदमी की जान बचाना गुनाह है तो यह गुनाह मैंने किया है। आप अगर उसे नई जिंदगी नहीं दे सकते तो आप किस काम के डॉक्टर हो? जब डॉक्टर ने रोहित को इस तरह बोलते देखा तो वह बाहर आए। वह बाहर आए उन्होंने देखा कि एक आदमी सचमुच बहुत बुरी तरह उस जिप्सी की चपेट में आ चुका था। जिसकी बचने की कोई आशा नहीं थी। डॉक्टर ने उसे आईसीयू में दाखिल कर दिया। उसका ऑपरेशन करने की तैयारी करने लगे। उसका आप्रेशन सफल हो गया।
जिप्सी के मालिक ने पता कर लिया था कि वह व्यक्ति जो उस गाड़ी की चपेट में आया था वह किस अस्पताल में है? जिप्सी का मालिक डॉक्टर के पास जाकर बोला कृपया आप मेरी जान बचा लीजिए वह जो आदमी आप के पास आए हैं जिसकी जान आपने आज ऑपरेशन करके बचाई है वह हर नवयुवक मेरी गाड़ी के नीचे आया था। मैं उसको मृत अवस्था में देखकर तुरंत गाड़ी को भगाकर ले गया और चुपचाप भागकर यह यह योजना बनाने लगा किस तरह इस युवक को फंसा दिया जाए जिसने उस व्यक्ति की जान बचाई थी।।
जिप्सी की गाड़ी का मालिक एक उच्च घराने से ताल्लुक रखता था। वह हमेशा किसी ना किसी को रौंद डालता था। आज भी किसी व्यक्ति को उसने अपाहिज बना दिया था। वह चुपचाप एक प्रतिष्ठित वकील के पास पहुंच गया और उससे दुहाई मांगने लगा और कहने लगा प्लीज वकील साहब आप मुझे बचा लो तो आपका एहसान में कभी नहीं भूलूंगा मैं इसके लिए आपको 500, 000 रुपए भी दूंगा उस वकील ने जैसे ही 500, 000 रुपए देखें उसने कहा ठीक है मैं तुम्हारा केस लूंगा। जिप्सी के मालिक ने वकील को 500, 000 रुपय दिये। उससे कहा कि तुम यह सारा इल्जाम रोहित पर डाल देना। डॉक्टर को 200, 000 रुपए देकर खरीद लिया था डॉक्टर को तो 200, 000 रुपए मिल गए थे। उसने सारा इल्जाम रोहित पर डाल दिया था।
रोहित के माता पिता अपनी बेटे के जन्मदिन मनाने का इंतजार कर रहे थे वह जब देर रात तक वापस नहीं आया तो रोहित के पिता ने रोहित को फोन किया। रोहित द्वारा मालूम हुआ कि वह एक आदमी को लेकर अस्पताल गया था क्योंकि किसी अजनबी को एक जिप्सी ने कुचल दिया था। उस आदमी को अस्पताल ले जाते-जाते वह खुद ही हालात का शिकार हो गया। पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया और हवालात में बंद कर दिया और कहा जब तक पूरी कार्यवाही नहीं होती तब तक तुम जा नहीं सकते। उसने अपने माता पिता को बताया कि उस अजनबी को बचाते-बचाते उसका लाईसैन्स गिर गया था।
रोहित के माता पिता बहुत घबरा गए जब जहान्वी अस्पताल से वापस जाने लगी तो उसे याद आया कि उसका मोबाइल खिड़की के एक और पड़ा था वह अपने पिता को एक जगह बिठाकर अस्पताल के अंदर की और गई। अपना मोबाइल वहां पर देखकर खुश हो गई क्योंकि उसका मोबाइल खिड़की के एक कोने पर पड़ा था। जाहन्वी अपने पिता को लेकर घर आई तो उसके सामने रोहित का चेहरा घूमने लगा जिसने उसके पिता की और दूसरे व्यक्ति की जान बचाई थी जो उस गाड़ी के नीचे आ गया था। जाहन्वी लाईसैन्स को पलट पलट कर देख रही थी। उसे पता चल चुका था कि वह अजनबी कहां का रहने वाला है? जिसने उसके पिता की जान बचाई थी वह सोचने लगी की उसके घर में जाकर वह उस अजनबी को धन्यवाद कर उसका लाईसैंन्स वापिस कर देगी। दूसरे दिन उसकी परीक्षा थी। उसकी डॉक्टर की अंतिम वर्ष की परीक्षा थी। वह सोचने लगी कि जल्दी से जल्दी उस नवयुवक तक पहुंचा जाए। अचानक अखबार पर उस व्यक्ति का चेहरा देखकर चौंक गई। उस पर आरोप लगा था कि उसने एक व्यक्ति को बीच सड़क में देखते हुए भी मरने के लिए छोड़ दिया था क्योंकि उस सड़क पर उसके इलावा वहां पर कोई नहीं था। उसको छः महीने की कैद और दो लाख जुर्माना लग चुका था।
जाहन्वी को यह समझते देर नहीं लगी उस बेकसूर को उस गुनाह की सजा मिलने वाली थी जो गुनाह उसने नहीं किया था। जाहन्वी ने रोहित को पहचान लिया था। वह सोचने लगी कि मैं इस व्यक्ति को बचा कर ही दम लूंगी। क्योंकि उसने यह सब अपनी आंखों से देखा था। उसके पास इसका सबूत भी था।
सुदर्शन वकील आज जल्दी ही कचहरी पहुंच गए थे। वह पेशे से एक वकील थे। वह अपनी पत्नी के साथ नहीं रहते थे। वहअपने बेटे को भी जान से ज्यादा प्यार करते थे। उनका बेटा कॉलेज हॉस्टल में पढ़ रहा था। उसका बीए फाइनल ईयर का अंतिम वर्ष था। उनका बेटा कॉलेज हॉस्टल में पढ़ रहा था। वह बहुत दिनों से अपनें बेटे से भी नहीं मिले थे क्योंकि वह बहुत दिनों से घर नहीं आया था। आज कचहरी खचाखच भरी थी। लोग फैसले का इंतजार कर रहे थे। रोहित ने उस व्यक्ति की जान बचा ली थी।
वह नवयुवक अब खतरे से बाहर था। उसने युवक की मां को सारी बात बता दी थी कि कैसे उसने उसके बेटे की जान बचाई थी? जिस व्यक्ति की वजह से उसका लाईसैंन्स भी गुम हो गया था।उसने उसकी मां को विश्वास दिलाया कि मेरा जीना बेकार होता अगर वह तुम्हारी बेटे को बचा कर नहीं लाता तो भी मर गया होता। उसने यह भी कहा कि मैंने एक अंधे आदमी को पकड़कर सड़क पर ना करवाई होती तो वह बुढा भी मर गया होता। उस नवयुवक की मां समझदार थी। उसने रोहित को कहा बेटा मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। तुमने मेरे बेटे की जान बचा कर मुझ पर एहसान किया है। मैं तुम्हें गुनाहगार नहीं समझती।
मैंने तुम्हारे बारे में कॉलिज से सब कुछ पता कर लिया है। सुनवाई होने जा रही थी। वकील नें अकेले रोहित को बुलाया और कहा कि जिस डॉक्टर ने ऑपरेशन किया है उसको बुला कर लाओ। डॉक्टर ने कहा कि जब यह नवयुवक उस मरीज को मेरे पास लेकर आया था तो यह बेहद डरा हुआ था। वह नवयुवक को इसलिए यहां लाया था ताकि वह अपनी जान बचा सके। जब वह नवयुवक यहां आया था तब रोहित के अलावा सड़क पर पर कोई और व्यक्ति मौजूद नहीं था। रोहित ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि जब मैं उस आदमी को बचाने में लगा था मैंने देखा लोग घायल व्यक्ति को बचाने के बजाए उसे असहाय अवस्था में छोड़कर सब इधर-उधर चले गए। मैंने देखा तो वहां पर कोई नहीं था। सब भाग चुके थे। मैंने उसको मारने के लिए यहां पर नहीं छोड़ा था उस डॉक्टर ने कहा कि तुम अपना एडमिट कार्ड दिखाओ। रोहित का लाईसैंन्स और आइडेंटी कार्ड तो नीचे गिर चुका था। रोहित के पास बचने के लिए कुछ भी नहीं था वह बोला अगर मेरी किस्मत में सजा पाना लिखा है तो मुझे स्वीकार है मैं अपने बचाव में अब कुछ नहीं कहूंगा।
वकील की बीवी दौड़ीदौडी आई और उसने सब के सामनें कहा कि रोहित एक बहुत ही दयालु इंसान है। वह किसी को भी मार नंही सकता। जिप्सी के मालिक को जब बुलाया गया तब जिप्सी के मालिक ने कहा यह व्यक्ति झूठ बोल रहा है। डॉक्टर ने भी रोहित के खिलाफ ही फैसला दिया। रोहित को अपना बचाव करना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में एक लडकी ने आकर उसे जीत की आशा की एक नई किरण दिखा दी। वह लड़की कहने लगी डॉक्टर झूठ बोल रहे हैं। जिस दिन यह हादसा हुआ उस दिन में अपने पिता को लेकरअस्पताल आई मैंने अपने मोबाइल अस्पताल की खिड़की पर रख दिया था। मैं अपने पिता की दवाइयां मैसेज में नोट कर लेती थी। परंतु उस दिन मैंने नोट करनें के बजाय रिकॉर्डिंग का बटन दबा दिया था। मुझे क्या पता था कि यह सारी बातें रिकॉर्ड हो रही थी? आप यह रिकॉर्डिंग सुन सकतें हैं। वह तो डॉक्टर से कह रहे थे कृपया एक व्यक्ति को बचा लीजिए क्योंकि मैं उसे मरने के लिए सड़क पर नहीं छोड़ सकता। क्योंकि लोगों ने उसे देख कर भी अनजान बने हुए उसे वहां से नहीं उठाया। उस नवयुवक को डाक्टर नें कहा जल्दी से इस नव युवक की जान बचा कर अपनी सच्चाई का प्रमाण दीजिए। डॉक्टर ने कहा कि अपना आइडेंटी कार्ड दिखाओ। उसने कहा कि मेरा एडमिट कार्ड तो जल्दी में कहीं छूट गया है। डाक्टर साहब आप इसे सुरक्षित बचा कर अपना फर्ज पूरा करोगे। उसका आइडेंटी कार्ड मुझे मिला था। जब मैं कार्ड देने के लिए रोहित के घर पर पहुंची तो उनके माता-पिता से पता चला कि उनके बेटे को तो पुलिस पकड़ कर ले गई है। उसपर किसी व्यक्ति को कुचलने की सजा दी जा रही है। उनका बेटा तो उसी उस घायल व्यक्ति को बचाने गया था। मगर कभी-कभी नेकी कर के भी कुछ हासिल नहीं होता तब मैं जल्दी में यहां पहुंच गई ताकि आज किसी बेगुनाह को को बचाकर अपना फर्ज पूरा कर सकूं। वकील ने उस लड़की को घूरते हुए कहा कि तुम भी इस लड़के के साथ मिली हुई हो यह तुम्हारी सोची समझी साजिश है। तुम इस लड़के को बचा नहीं सकती। यह लड़का किसी भी हालत में बच नहीं सकता।
वकील की पत्नी दौड़ती हुई आई और बोली बस कीजिए अगर आज उसने एंबुलेंस नहीं बुलाई होती तो मेरा बेटा बच नहीं सकता था
जरा सजा सुनाने से पहले यह भी सोच लो जो गाड़ी के नीचे जो कुचला गया है वह तुम्हारा बेटा भी हो सकता है। यह सुन कर वकील के मानो पसीने छूट गए। उसे मालूम हो चुका था कि जिस लड़के को उस नवयुवक ने बचाया था वह कोई और नहीं उसका अपना ही बेटा था। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था तब वकील ने कहा की आज की कार्यवाही को यहीं स्थगित किया जाए।
जब शाम को वकील अपने घर पहुंचे तो उसने अपनी बीवी को पूछा कि पुनीत कंहा है तो उसने सारा वृतांत कह सुनाया। किस तरह उस नवयुवक ने अपने घर में मेरे बेटे को रखा और उसको मौत के मुंह से बचा लिया। सुनवाई का दिन आ चुका था। वकील ने सारी जनता के सामनें कुबूल किया कि वह नवयुवक सचमुच भगवान का भेजा हुआ दूत है। मैंने आज बहुत बड़ा जुल्म कर दिया होता अगर आज मैंने रोहित को सजा सुना दी होती। उसने सारा वृत्तांत कह सुनाया। किस तरह जिप्सी के मालिक ने मुझे 500, 000 रुपए देकर खरीद लिया था और डॉक्टर को 2 लाख रुपए देकर खरीद लिया था। रोहित ने अपनी गाड़ी के नीचे उसे नही कुचला है। उस वकील ने रोहित को सजा होने से बचा लिया और कहा कि मैं आज से कसम खाता हूं कि कभी भी मैं रिश्वत से कमाया हुआ रुपया नहीं लूंगा। अपने बेटे को देखने रोहित के घर गया तो रोहित के माता-पिता उसकी इतनी देखभाल कर रहे थे उसने उन दोनों से माफी मांगी और कहा कि मैं अपनी गलतियों के लिए आप दोनों से क्षमा मांगता हूं। जब तक आप मुझे क्षमा नहीं करेंगे तब तक मैं पश्चाताप की अग्नि में मैं दिनरात जलता रहूंगा। रोहित खुशी-खुशी अपने घर वापिस आ चुका था। रोहित को घर वापिस आते देख कर उसके माता-पिता ने उसे गले से लगा दिया और कहा कि हमें अपने बेटे पर गर्व है। उस लड़की नें कहा तुम जैसा साथी पा कर मैं अपनें आप को खुश नसीब समझूंगीअगर तुम मुझे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हो। उनके माता-पिता नें हंसते हंसते हां में हामी भर दी।